Pages

Saturday, February 27, 2021

सैनिकों की पूर्ण वापसी की योजना पर अमल के लिए टकराव वाले स्थानों से सैनिकों को हटाना जरूरी - भारत


नयी दिल्ली (भाषा) - सरहद पर शांति और स्थिरता को द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति के लिए जरूरी बताते हुए भारत ने चीन से कहा है कि सैनिकों की पूर्ण वापसी की योजना पर अमल को लेकर जरूरी है कि टकराव वाले सभी इलाकों से सैनिकों को हटाया जाए। दोनों देशों ने समय-समय पर अपने दृष्टिकोण साझा करने के लिए हॉटलाइन संपर्क तंत्र भी स्थापित करने पर सहमति जतायी है।

पिछले सप्ताह भारत और चीन की सेना ने पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सैनिकों और साजो-सामान को पीछे हटाने की प्रक्रिया संपन्न की। विदेश मंत्री एस जयशंकर की उनके चीनी समकक्ष वांग यी के साथ बृहस्पतिवार को 75 मिनट तक टेलीफोन पर हुई बातचीत का विवरण जारी करते हुए विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि चीन से कहा गया है कि दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर पिछले साल से गंभीर असर पड़ा है।

मंत्रालय ने कहा, ‘‘विदेश मंत्री ने कहा कि सीमा संबंधी प्रश्न को सुलझाने में समय लग सकता है लेकिन हिंसा होने, और शांति तथा सौहार्द बिगड़ने से संबंधों पर गंभीर असर पड़ेगा। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों मंत्री लगातार संपर्क में रहने और एक हॉटलाइन स्थापित करने पर सहमत हुए।

दोनों नेताओं ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हालात और भारत-चीन के बीच समग्र संबंधों को लेकर चर्चा की। बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा देर रात जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक वांग ने कहा कि चीन और भारत को आपसी भरोसे के सही मार्ग का कड़ाई से पालन करना चाहिए और दोनों पड़ोसी देशों के बीच सहयोग होना चाहिए।

स्टेट काउंसलर का भी पद संभाल रहे वांग ने कहा कि दोनों देशों को द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर रखने के लिए सीमा मुद्दों को उचित तरीके से निपटाना चाहिए। विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक जयशंकर ने मॉस्को में सितंबर 2020 में अपनी बैठक का हवाला दिया जहां भारतीय पक्ष ने यथास्थिति को बदलने के चीनी पक्ष के एकतरफा प्रयास और उकसावे वाले बर्ताव पर चिंता प्रकट की थी।

जयशंकर ने कहा कि पिछले साल मॉस्को में बैठक के दौरान उनके बीच सहमति बनी थी कि सीमाई क्षेत्रों में तनाव की स्थिति दोनों देशों के हित में नहीं है और फैसला हुआ था कि दोनों पक्षों वार्ता जारी रखेंगे, सैनिकों को पीछे हटाएंगे और तनाव घटाने के लिए कदम उठाएंगे।

विदेश मंत्री ने कहा कि उसके बाद से दोनों देशों के बीच राजनयिक और सैन्य स्तर पर लगातार संपर्क कायम रहा। इससे प्रगति हुई और इस महीने पैंगोंग झील वाले इलाके में तैनात सैनिकों को पीछे हटाया गया। पैंगोंग झील इलाके में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया संपन्न होने का उल्लेख करते हुए विदेश मंत्री ने जोर दिया कि दोनों पक्षों को पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर बाकी मुद्दों को भी सुलझाने के लिए कदम उठाने चाहिए।

सूत्रों के मुताबिक पिछले सप्ताह वरिष्ठ कमांडरों के बीच 10 वें दौर की वार्ता के दौरान क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए भारत ने हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देपसांग से सैनिकों को पीछे हटाने पर जोर दिया। जयशंकर ने वांग से कहा कि गतिरोध वाले सभी स्थानों से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दोनों पक्ष क्षेत्र से सैनिकों की पूर्ण वापसी और अमन-चैन बहाली की दिशा में काम कर सकते हैं।

विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक वांग ने अब तक हुई प्रगति पर संतोष जताया और कहा कि सीमाई क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बहाली की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है। वांग ने सीमाई क्षेत्रों में प्रबंधन और नियंत्रण भी बेहतर करने की जरूरत पर जोर दिया वहीं जयशंकर ने रेखांकित किया कि दोनों पक्ष द्विपक्षीय संबंधों की बेहतरी के लिए सीमाई क्षेत्रों में अमन-चैन बनाए रखने पर सहमत रहे हैं।

वांग ने कहा कि भारतीय पक्ष ने संबंधों के लिए ‘आपसी सम्मान, संवेदनशीलता और आपसी हितों’ को ध्यान में रखने का प्रस्ताव दिया। चीनी विदेश मंत्रालय की विज्ञप्ति के मुताबिक वांग ने कहा कि सीमा पर विवाद एक हकीकत है और इस पर समुचित ध्यान दिए जाने और इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। हालांकि, सीमा विवाद भारत-चीन के समूचे रिश्तों को बयां नहीं करता है।

भारत और चीन की सेनाओं के बीच पांच मई को सीमा पर गतिरोध शुरू हुआ था। दोनों देशों के बीच पैंगोंग झील वाले इलाके में हिंसक झड़प हुई और इसके बाद दोनों देशों ने कई स्थानों पर साजो-सामान के साथ हजारों सैनिकों की तैनाती कर दी।

इसके बाद पिछले चार दशकों में सबसे बड़े टकराव में 15 जून को गलवान घाटी में झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए। झड़प के आठ महीने बाद चीन ने स्वीकार किया कि झड़प में उसके चार सैन्यकर्मी मारे गए।

कोरोना संक्रमण ने रोके विदेशी मेहमानों के कदम


कोरोना संक्रमण ने रोके विदेशी मेहमानों के कदम
कोरोना संक्रमण ने रोके विदेशी मेहमानों के कदम

जसराजपुर राजघाट में दस महीने से विदेशियों के इंतजार में बौद्ध बिहार और मंदिर सूने पड़े हैं।

हिमांशू यादव, भोगांव, मैनपुरी: जसराजपुर राजघाट। ये वह दर है जहां के कण-कण में आस्था समाहित है। बौद्ध की पवित्र तीर्थस्थली संकिसा से सटे गांव जसराजपुर में अब विदेशी मेहमानों का इंतजार है। कोरोना की दहशत से विदेशी मेहमानों के कदम रुकते ही यहां के बौद्ध बिहारों और मंदिरों में सन्नाटा पसरा हुआ है। सूने दर श्रद्धालुओं की राह ताक रहे हैं।

बौद्ध धर्म की ऐतिहासिक और पौराणिक तीर्थ स्थलीय संकिसा में आने वाले विदेशी मेहमान जसराजपुर राजघाट में बने बौद्ध बिहारों और मंदिरों का दीदार करने जरूर आते हैं। यहां पर विदेशी कारीगरों द्वारा निर्मित कंबोडिया मंदिर और दुनिया के सबसे ऊंचे अशोक गज स्तंभ को निहारने के लिए कई देशों के श्रद्धालु भी आते हैं, लेकिन कोरोना काल में अचानक विदेशियों के कदम रुक गए। अब बौद्ध बिहारों और मंदिरों में विदेशियों के आगमन का इंतजार हो रहा है। ज्यादातर बौद्ध बिहार का संचालन करने वाले विदेशी संस्थाओं के जिम्मेदार अपने देशों से अब तक जसराजपुर वापस नहीं आए हैं। जसराजपुर की सड़कें श्रद्धा से लबरेज विदेशियों की पदचाप सुनने को बेताब हैं। विदेशियों का आगमन न होने से यहां बौद्ध बिहारों के संचालन में जिम्मेदारों को परेशानियां आने लगी हैं। हर आते हैं हजारों श्रद्धालु

जसराजपुर राजघाट और संकिसा में हर साल हजारों श्रद्धालु बौद्ध दर्शन से रूबरू होने आते हैं। यहां श्रीलंका, म्यांमार, दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया, थाईलैंड, जापान, ताइबान, तिब्बत, मंगोलिया, मलेशिया, वियतनाम, आस्ट्रेलिया, अमेरिका, कंबोडिया, नीदरलैंड आदि देशों से बौद्ध धर्मावलंबी आते हैं। दर्शनीय स्थल

-अशोक गजस्तंभ, बाईवीएस सेंटर

-कंबोडियन मंदिर

-शाक्यमुनि बुद्ध बिहार

-अनंत मित्ता बुद्ध बिहार म्यांमार

-धम्मा सेंटर कोरिया

-अशोकाराम बुद्ध बिहार

विदेशी श्रद्धालुओं की संकिसा और जसराजपुर में विशेष आस्था है। कोरोना के खौफ के चलते बीते दस महीने से विदेशियों की आमद नहीं हो पा रही है। अब बंदिशें हटने के बाद आने वाले दिनों में बौद्ध बिहारों में विदेशी मेहमानों का आगमन शुरू होने की संभावना है।

मोदी सरकार ने श्रीराम एयरपोर्ट के लिए खोला खजाना, दिए 250 करोड़


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी को अयोध्या इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए 250 करोड़ रुपए के लिए धन्यवाद दिया है। साथ ही योगी ने कहा है कि अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया युद्ध स्तर पर चल रही है। भारत की सनातन आस्था का केंद्र बिंदु होने के नाते लाखों श्रद्धालु पर्व त्योहार पर अयोध्या आते हैं। अयोध्या में पर्यटन और श्रद्धा का एक समन्वित रूप देखने को मिलता है। केंद्र और राज्य सरकार अयोध्या के समग्र विकास के लिए कार्य कर रही हैं।

सीएम ने कहा कि अयोध्या को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए अयोध्या को इंटरनेशनल एयरपोर्ट के रूप में डेवलप करने का प्रस्ताव भारत सरकार के पास भेजा, एयरपोर्ट निर्माण के लिए भूमि क्रय के लिए लगभग 1 हजार करोड़ की राशि दी है और अधिग्रहण का कार्य चल रहा है, अब तक 377 एकड़ की भूमि अब तक क्रय कर ली गयी है।

सीएम ने कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार को अनुमोदित किया है कि एयरपोर्ट पर्यटन विकास के लिए 250 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है। इसके साथ एयरपोर्ट विकास की कार्रवाई चलती रहेगी जिससे आने वाले समय मे एयरबस जैसे और अन्य अत्याधुनिक विमान का संचालन होगी। इस तरह निश्चित रूप से अयोध्या के पर्यटन को और आने वाले श्रद्धालुओं के आवागमन को और सरल बनेगा।सीएम योगी इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी के प्रति आभार प्रगट करता हूँ, साथ ही केंद्रीय मंत्री हरदीप पूरी को हृदय से धन्यवाद देता हूं।

बजट में भी अयोध्या के लिए अलग से धन दिया
2021 के बजट में यूपी सरकार के द्वारा आगामी बजट में राज्य सरकार ने अयोध्या में पर्यटन सुविधाओं के विकास एवं सौन्दर्यीकरण के लिए 100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। अयोध्या स्थित सूर्यकुण्ड के विकास सहित अयोध्या नगरी के सर्वांगीण विकास की योजना के लिए 140 करोड़ रुपए की व्यवस्था का प्रस्ताव किया गया है। अयोध्या को राज्य स्मार्ट सिटी योजना के तहत स्मार्ट एवं सेफ सिटी के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया है।

अयोध्या सहित 7 नगर निगमों के लिए इस योजना के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट में 175 करोड़ रुपए की व्यवस्था प्रस्तावित की गई है। श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर, अयोध्या धाम तक पहुंच मार्ग के निर्माण के लिए 300 करोड़ रुपए की व्यवस्था आगामी वित्तीय वर्ष के बजट में प्रस्तावित की गई है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे परियोजना जनपद अयोध्या से गुजर रही है।

1मार्च से खुलेंगे प्राइमरी स्कूल कोविड -19 की गाइड लाइन का पालन करना होगा अनिवार्य


प्राथमिक विद्यालय छात्रों से होंगे गुलजार

एक मार्च से खुल रहे हैं कक्षा एक से पांच तक के विद्यालयविद्यालयों में करना होगा कोविड-19 की गाइड लाइन का पालन

संवाद सहयोगी, मथुरा : कक्षा एक से पांच तक के विद्यालय एक मार्च से खुलने जा रहे हैं। छोटे बच्चे होने के कारण विद्यालय स्टाफ को भी कोविड-19 की गाइड लाइन का पालन कराना चुनौती होगा। कक्षा छह से आठ तक के विद्यालय दस फरवरी से खोले जा चुके हैं। छात्र-छात्राएं कम आने के कारण शारीरिक दूरी का पालन कराने में समस्या नहीं आ रही है, लेकिन कभी-कभी छात्र-छात्राएं मास्क लगाकर नहीं आते हैं। मास्क की व्यवस्था अधिकांश विद्यालय उपलब्ध करा रहे हैं।

कोरोनाकाल में पिछले वर्ष मार्च से बंद चल रहे विद्यालय एक मार्च से खोले जाएंगे। करीब 11 माह बाद विद्यालयों में चहल-पहल होगी। छात्र-छात्राओें को अभिभावक की अनुमति लाना आवश्यक होगा। जिले में 1358 प्राथमिक विद्यालय हैं। इसके अलावा 589 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। उच्च प्राथमिक विद्यालय दस फरवरी से खुल चुके हैं। प्राथमिक विद्यालयों में करीब 80-90 हजार छात्र-छात्राएं हैं। सीबीएसई के भी करीब 106 विद्यालय हैं। दस फरवरी के कक्षा छह से आठ तक के विद्यालय खोले जा चुके हैं। कुछ छात्र-छात्राएं मास्क लगाकर नहीं आते हैं। ऐसे में विद्यालय संचालक मास्क उपलब्ध कराते हैं।

रतनलाल फूल कटोरी देवी बालिका विद्यालय की प्रधानाचार्य डा. अनीता सिंह ने बताया कि कोविड-10 की गाइड लाइन का पालन कराया जा रहा है। कभी-कभी छात्राएं मास्क लगाकर नहीं आती हैं। थर्मल स्क्रीनिग के समय छात्राओं को मास्क उपलब्ध कराया जाता है और छात्रा को प्रतिदिन मास्क लगाकर आने को जागरूक किया जाता है।

सीबीएसई के कोआर्डिनेटर,अनिल यदुवंशी ने बताया कि

छात्र-छात्राएं कम आने के कारण कोविड-19 की गाइड लाइन का पालन कराने में दिक्कत नहीं आ रही है। कक्षा एक से पांच तक की कक्षाएं भी कोविड-19 की गाइड लाइन का पालन कराते हुए खोली जाएंगी।


यह रहेंगी शर्त

-छात्र-छात्राओं को मास्क लगाना अनिवार्य होगा।

-छात्र-छात्राओं के बीच छह फीट की दूरी होनी चाहिए।

-विद्यालय के सभी गेट आगमन, प्रस्थान के समय खुले रखे जाएं, ताकि भीड़ एकत्रित न हो सके।

-प्रत्येक कक्षा में छात्रों की कुल क्षमता पचास फीसद रहेगी।

इस तरह चलेंगी कक्षा

कक्षा एक और पांच की कक्षा सोमवार, गुरुवार, कक्षा दो व चार की मंगलवार, शुक्रवार, कक्षा तीन की पढ़ाई बुधवार व शनिवार को होगी। यदि किसी कक्षा में छात्र-छात्राओं की संख्या अधिक है तो दो पालियों में कक्षा संचालित की जाएंगी।


धीमा जहर हैं ये 10 फूड आइटम्स, तुरंत खाने में करें एवॉयड


क्या आप जानते हैं जो फूड्स आप रोजाना खाते हैं वो आपके शरीर में धीरे-धीरे जहर बनते जाते हैं। इन चीजों का सेवन करने से आपको कई बीमारियां हो सकती है। जैसे- बीपी, हार्ट अटैक, शुगर आदि।ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि  रिसर्च से साबित हुआ है। शक्कर व्हाइट प्वाइजन है। आज हम बता रहे हैं ऐसे ही 10 फूड के बारे में…

शक्कर:-

इससे बॉडी में ब्लड शुगर बढ़ता है। ज्यादा शक्कर खाने से डाइबिटिज बढ़ सकती है। इससे हार्ट प्रॉब्लम, लीवर और किडनी की बीमारियाँ हो सकती हैं।

अंकुरित आलू :-

इसमे ग्लाइकोअल्केलाइड्स होते है जिससे डायरिया हो सकता है, इसी तरह के आलू लगातार खाने से सिर दर्द या बेहोशी हो सकती है।

राजमा :-

कच्चे राजमा में ग्लाईकोप्रोटीन लेकितन होता है जिससे उलटी या इनडाईजेशन की प्रॉब्लम लगातार बनी रहती है। इसलिये राजमा को हमेशा अच्छी तरह उबालकर खाना चाहिए।

कोल्ड ड्रिंक :-

इसमे शक्कर और फास्फोरिक एसिड की मात्रा ज्यादा होती है, ज्यादा कोल्ड ड्रिंक पीने से ब्रेन डैमेज या हार्ट अटैक हो सकता है। इससे ब्रेन पॉवर कम हो सकती है।

मैदा :-

मैदा बनने की प्रोसेस में फाइबर्स, विटामिन्स निकल जाते हैं। मैदे से बनी चीजें खाने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल नही रहता है। इससे किडनी, लीवर, प्रॉब्लम हो सकती है। हार्ट अटैक जैसे दिल की बिमारियों के चांस बढ़ते हैं।

आयोडीन नमक :-

इसमें सोडियम की मात्रा अधिक होती है। ज्यादा खाने से हाई BP की सम्भावना बढती है, इससे हार्ट अटैक हो सकता है। इससे कैंसर और ऑस्टियोपोरोसिस के चांस बढ़ते हैं।

जायफल:-

इसमे myristicin होता है। इससे बार – बार हार्ट रेट बढती है, वॉमिटिंग और मुंह सूखने की प्रॉब्लम लगातार बनी रहती है। ज्यादा खाने से ब्रेन पॉवर कम होती है।

फ़ास्ट फ़ूड :-

इसमे मोनोसोडियम ग्लूटामेट होता है जिससे ब्रेन पॉवर कम होती है और मोटापा तेजी से बढ़ता है। साथ ही हार्ट प्रॉब्लम का खतरा बढ़ता है।

मशरूम :-

कच्चे मशरूम में कार्सिनोजेनिक कंपाउंड होते है जिससे कैंसर के चांस बढ़ते है इसलिये मशरूम को अच्छी तरह उबालने के बाद ही यूज़ करना चाहिए।


Friday, February 26, 2021

बोरिंग में पानी की जगह निकली आग की लपटे, मध्यप्रदेश के 24गांवों में जहां भी खोदो दिखा ऐसा नजारा



आमतौर पर लोग जब भी जमीन में बोरिंग खुदवाते हैं तो उम्मीद करते हैं कि इसके अंदर से ढेर सारा पानी निकलेगा। लेकिन मध्य प्रदेश के दामोह जिले में जब लोगों ने घर के खेतों में बोरिंग खुदवाई तो उसमें से पानी की जगह आग की लपटे निकलने लगी।

दरअसल दमोह जिले के करीब 24 गांव इस समय कुएं और बोरिंग से मीथेन गैस निकलने की वजह से चर्चा में बने हुए हैं। हाल ही में जांच के दौरान ONGC की टीम को पता चला कि इन 24 गांवों में मीथेन गैस का भंडार है। अपनी जांच के दौरान ONGC की टीम ने लगभग 1120 करोड़ रुपए खर्च कर 28 कुएं खोदे डालें। इस दौरान सेमरा रामनगर गांव में एक कुएं में ज्वलनशील गैस मिली।

ONGC टीम ने यहां के आसपास के इलाकों में भी बोरिंग चेक की तो वहां भी गैस निकलती दिखाई दी। अब आठ ऐसे कुओं की खोज की जा रही है जहां बड़ी मात्रा में मीथेन का भंडार मिलने के आसार हैं। उधर कमता गांव में 12 किसानों के भी उस समय होश उड़ गए जब उनके खेतों की बोरिंग से पानी की बजे गैस निकलने लगी। इस गैस के निकलने की पुष्टि खुद ONGC के वैज्ञानिक डॉ. एनपी सिंह ने की है।

गैस निकलने के कारण पर बात करते हुए ONGC के अधिकारियों ने बताया कि दमोह में 10 से 20 हजार साल पहले जीवाश्म बहुत प्रचुर मात्रा रहे होंगे। इतनी अधिक संख्या में मारे जीव-जंतुओं के अवशेष में अधिक मात्रा में तेल मौजूद था जिसका समय रहते दोहन नहीं हो सका। ऐसे में यह अब गैस में बदल गया है।

बताते चलें कि यहां आसपास के कई गांवों में बोरिंग से गैस की गंध आने जैसे मामले सामने आ चुके हैं। वहीं दमोह जिले के हटा क्षेत्र के कमता गांव में बीते 2 सालों से नलकूपों की खुदाई के दौरान गैस रिसाव की खबर आ रही है।

स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि जब हमने बोरिंग में मशीन डाली तो उसमें से गैस की गंध आने लगी। ऐसे में जब हमने माचिस की तीली से चेक किया तो पानी में कुछ देर के लिए आग लग गई। ये घटना जैसे ही गाँव में फैली तो सनसनी मच गई। फिर लोगों ने गाँव में और कई दर्जनों बोरिंग खुदवाई जिसमें माचिस की तीली बताते ही आग की लपटे पैदा होने लगी।

इस घटना के बाद ONGC के वैज्ञानिक डॉ. एनपी सिंह यह कार्ययोजना बना रहे हैं कि गैस के भंडार वाले इन गांवों में खुदाई किस प्रकार की जाए।

आतंकियों को पनाह देने वाले देशों से भारत को रहना होगा सावधान

आतंकवाद का खतरा बरकरार

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद के मसले पर ने संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार फोरम पर महत्वपूर्ण हस्तक्षेप किया है. इस फोरम पर बीते चंद सालों से कुछ ऐसे लोग आये हैं, जिन्होंने भारत के खिलाफ अनेक बयान दिये हैं या रिपोर्ट प्रकाशित की हैं. यह सब बिना सोचे-समझे और अध्ययन किये महज कुछ अखबारों की सुर्खियों को आधार बना कर किया गया है. इनमें मुख्य रूप से कश्मीर के हालात पर एकतरफा तस्वीर पेश की गयी है.

वे लोग कोई प्रस्ताव तो नहीं पारित कर सके, लेकिन ऐसी रिपोर्ट वहां प्रकाशित की जा रही हैं. भारत ने ऐसी रिपोर्टों पर आपत्ति जतायी है और उनका खंडन भी किया है, पर इसका कुछ खास असर नहीं हुआ है. कुछ समय पहले संयुक्त राष्ट्र की ओर से विशेष रिपोर्ट देनेवालों ने फिर से बेबुनियाद बातें भारत के विरोध में कही हैं और कश्मीर को लेकर निराधार आरोप लगाये हैं. ऐसे में भारत के लिए यह जरूरी था कि उसी मंच से विदेश मंत्री दो टूक शब्दों में बताएं कि सुरक्षा के लिहाज से भारत द्वारा जो कदम कश्मीर में उठाये गये हैं, वे इसलिए जरूरी हैं, क्योंकि कश्मीर में आतंकवाद पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है और दुबारा इसे बढ़ाने की कोशिश हो रही है.

भारत का यह भी मानना है कि दुनिया को यह अवगत कराना जरूरी है कि आतंकवाद कोई अपने-आप पैदा हो जानेवाली चीज नहीं है. इसे समर्थन करनेवाले लोग हैं तथा कुछ ऐसे देश हैं, खास तौर से पाकिस्तान, जो अपनी विदेश नीति के लिए आतंकवाद का इस्तेमाल करते हैं. कश्मीर और अफगानिस्तान में आतंकवाद को बढ़ाने में पाकिस्तान की मिलीभगत के स्पष्ट साक्ष्य मिले हैं. विदेश मंत्री जयशंकर न सिर्फ भारत की कश्मीर नीति की चर्चा कर रहे थे, बल्कि उसके कारणों का भी उल्लेख कर रहे थे.

इसी संदर्भ में वे बता रहे थे कि आतंकवाद न केवल यह लोगों की जिंदगी को तहस-नहस करता है, बल्कि इससे कानून-व्यवस्था की स्थिति भी इतनी बिगड़ जाती है कि लोगों के जीने के अधिकार भी छिन जाते हैं. मानवाधिकार की बहस में विदेश मंत्री ने आतंकवाद को केंद्र-बिंदु बनाया है. कहा है कि जब तक आतंकवाद के मसले को हल नहीं किया जाता है, तब तक अगर केवल मानवाधिकारों की बात होगी, तो वह एक गलत राह होगी. आतंकवाद खत्म होगा, तो लोगों के मानवाधिकार खुद-ब-खुद बहाल हो जायेंगे. आतंक के साये में मानवाधिकार संभव नहीं है. मेरी राय में विदेश मंत्री इस तथ्य को रेखांकित कर रहे थे और यह उनके संबोधन की व्यापक दिशा थी.

जहां तक आतंकवाद को लेकर अंतरराष्ट्रीय सहमति का सवाल है, तो हमें यह समझना होगा कि दो देशों के बीच संबंध अपने हितों के आधार पर बनते हैं. जहां दोनों पक्षों के हित होते हैं, वहां मित्रता होती है और जहां हितों का टकराव होता है, वहां मित्रता नहीं होती. आतंकवाद भारत के लिए भी मुद्दा है और अमेरिका के लिए भी. आतंकवाद से जुड़े जिन मसलों पर दोनों देशों में सहमति होती है, दोनों देश मिल कर उसका मुकाबला करते हैं,

लेकिन कई ऐसे मामले भी हैं, जहां दोनों देशों में सहमति नहीं है. इसका एक उदाहरण सीरिया है, जहां आतंकवाद ने पूरे देश को तबाह कर डाला है. वहां कुछ ऐसे गुट हैं, जो सीरियाई सरकार के खिलाफ लड़ रहे हैं और जिन्हें वहां की सरकार आतंकी गुट मानती है. इन गुटों को अमेरिका का समर्थन हासिल है, लेकिन यह स्थिति हमारे हितों के अनुरूप नहीं है. हम सीरियाई सरकार का समर्थन कर रहे हैं. पश्चिम एशिया में भी ऐसा ही सिलसिला है.

मैं जिसे आतंकवादी मानता हूं, हो सकता है कि मेरा कोई दोस्त उसे आतंकवादी नहीं मानता हो. यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र में लंबे समय से भारत जो प्रस्ताव रख रहा है, वह मान्य नहीं हो सका है. उदाहरण के लिए चीन को लें, जो अपने देश में आतंकवाद के खिलाफ यह कहते हुए कठोर कदम उठा रहा है कि इस्लामी कट्टरपंथी आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हैं, लेकिन यही चीन जैशे-मुहम्मद जैसे आतंकी समूहों के मामले में अड़ंगा लगाने लगता है. पहले वह ऐसा ही रवैया लश्करे-तय्यबा के मसले में करता था. इसका कारण यह है कि पाकिस्तान में इन गुटों की वजह से उसके हित प्रभावित नहीं होते.

चूंकि चीन पाकिस्तान का करीबी दोस्त है, तो पाकिस्तान के पाले हुए आतंकी गुट चीन के भी दोस्त हो जाते हैं. चीन पाकिस्तान का बचाव भी करना चाहता है. आतंकवाद को हर देश अपनी नजर से देखता है. इसलिए अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद की रोकथाम में बड़ी मुश्किल आती है.

भारत की एक चुनौती अफगानिस्तान की स्थिति से भी जुड़ी हुई है. यह समझा जाना चाहिए कि वहां जो शांति प्रक्रिया चल रही है, वह असल में शांति प्रक्रिया है ही नहीं. असलियत यह है कि अफगानिस्तान के अंदर जो हालात पैदा हो रहे हैं और जिस तरह का समझौता अमेरिका ने तालिबान के साथ किया है, उसने तालिबान को और शह दी है. तालिबान ने न तो अपने हमले बंद किया है और न ही अपने रवैये में कोई बदलाव किया है.

अफगान सरकार कमजोर से कमजोरतर होती जा रही है. बहुत-से लोगों की आशंका है कि अगर अमेरिका अफगानिस्तान से निकल गया, तो कुछ ही समय में अफगान सरकार का पतन हो जायेगा और उसकी जगह तालिबान काबिज हो जायेगा. अगर ऐसा होता है, तो तालिबान के साथ वे सभी आतंकी गुट, जो न्यूयॉर्क ट्रेड सेंटर पर हुए हमले से पहले अफगानिस्तान में रहते थे, फिर से सक्रिय हो जायेंगे. तालिबान ने अमेरिका को आश्वासन तो दिया था कि वह अल-कायदा जैसे समूहों से कोई संबंध नहीं रखेगा और अफगानिस्तान में उनकी कोई जगह नहीं होगी, लेकिन पिछले एक साल में,

जब से समझौता हुआ है, यह बात साफ हो चुकी है कि तालिबान से इन गुटों के संबंध बहुत मजबूत हैं. भारत में यह आशंका है कि ये सारे गुट अगर फिर सक्रिय होंगे, तो भारत में भी आतंक बढ़ने का खतरा बहुत बढ़ जायेगा, क्योंकि इनके साथ पाकिस्तान सरकार व सेना के तत्व और अन्य गुट मिल कर भारत को अस्थिर करने की कोशिश करेंगे. ऐसे में आज जरूरी हो गया है कि सभी देश आतंकवाद को आतंकवाद की तरह देखें, ताकि दुनिया में शांति और स्थिरता बहाल हो सके.

भारत की अर्थव्यवस्था में लगातार हो रहा सुधार:प्रताप मिश्रा

सुधरती अर्थव्यवस्था

विभिन्न आर्थिक सूचकांकों में लगातार बेहतरी से इंगित होता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मंदी के भंवर से बाहर निकल चुकी है. महामारी रोकने के लिए लगे लॉकडाउन की वजह से चालू वित्त वर्ष की पहली दो तिमाहियों- अप्रैल से जून तथा जुलाई से सितंबर- में आर्थिक वृद्धि ॠणात्मक रही थी.

यदि लगातार दो तिमाही में वृद्धि दर नकारात्मक रहती है, तो तकनीकी आधार पर इसे मंदी का दौर कहा जाता है. लॉकडाउन और अन्य पाबंदियों के धीरे-धीरे हटने के साथ औद्योगिक और कारोबारी गतिविधियों में तेजी की वजह से अक्तूबर से दिसंबर के बीच अर्थव्यवस्था में धनात्मक बढ़ोतरी होने की पूरी उम्मीद है. आकलनों की मानें, तो 2020 के अंतिम तीन महीनों में सकल घरेलू उत्पादन की वृद्धि दर में 2019 की इस अवधि की तुलना में 0.5 प्रतिशत की बढ़त हो सकती है. शुक्रवार को तीसरी तिमाही के आंकड़े आनेवाले हैं. अर्थव्यवस्था में सुधार की इस उम्मीद का एक अहम आधार यह है कि जनवरी में लगभग सभी क्षेत्रों में बढ़ोतरी हुई है.

सेवा क्षेत्र में लगातार चौथे महीने विस्तार हुआ है. बिक्री और निर्यात में वृद्धि से निर्माण व उत्पादन में तेजी आयी है. आर्थिक गतिविधियों में बढ़त की वजह से रोजगार बढ़ने के संकेत भी स्पष्ट हैं. रोजगार और आमदनी का सीधा संबंध मांग बढ़ने से है. उल्लेखनीय है कि बीते साल अर्थव्यवस्था को अधिक मुद्रास्फीति से भी जूझना पड़ा है. मांग, उत्पादन और आमदनी के गतिशील होने से मुद्रास्फीति के भी स्थिर होने की आशा है. यात्री वाहनों की बिक्री मांग का महत्वपूर्ण सूचक होती है. इस साल जनवरी में पिछले साल जनवरी की तुलना में इसमें 11.4 प्रतिशत की बढ़त हुई है.

इस वर्ष कृषि उपज में रिकॉर्ड बढ़ोतरी से खाद्यान्न मुद्रास्फीति में कमी हो रही है. महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था को सहारा देने तथा लोगों को राहत पहुंचाने के लिए सरकार ने लगातार पैकेज दिया था. आगामी बजट प्रस्ताव में भी आर्थिकी के विस्तार के प्रावधानों से उद्योग जगत और बाजार में भरोसे का संचार हुआ है. पिछले साल कृषि उत्पादों के निर्यात ने जहां अर्थव्यवस्था को आधार दिया था, वहीं इस वर्ष जनवरी में इंजीनियरिंग वस्तुओं, कीमती पत्थर, लौह अयस्क, आभूषण और कपड़ा के निर्यात में तेजी आयी है.

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी विश्वास व्यक्त किया है कि अर्थव्यवस्था विकास के अहम मोड़ पर खड़ी है. फरवरी में हुए रिजर्व बैंक के सर्वेक्षण में उपभोक्ताओं ने नवंबर के सर्वेक्षण की तुलना में वर्तमान स्थिति को बेहतर माना है तथा उन्हें आशा है कि आगामी वित्त वर्ष भी अच्छा होगा. उपभोक्ताओं का भरोसा आर्थिक वृद्धि के लिए बेहद अहम है क्योंकि इसी आधार पर वे खरीदारी और निवेश करते हैं. अर्थव्यवस्था के भविष्य में भरोसा होने की वजह से ही शेयर बाजार में भी तेजी है. हालांकि वृद्धि दर के पहले की तरह गतिशील होने में समय लग सकता है, पर मौजूदा रुझान आगे लिए आश्वस्त करते हैं.

यूपी की इस सीट से राबर्ट बाड्रा पर दांव लगाने जा रही है कांग्रेस


लखनऊ. प्रियंका गांधी के उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय होने के बाद जिन्दा होती नज़र आ रही कांग्रेस को और ताकत देने के लिए बहुत जल्दी प्रियंका गांधी के पति राबर्ट बाड्रा की भी राजनीति में इंट्री हो सकती है. राबर्ट का ध्यान भी उत्तर प्रदेश की राजनीति पर ही है.

राजनीति में आने का संकेत हवा-हवाई नहीं है. यह बात खुद राबर्ट ने कही है. जयपुर के मोती डूंगरी मन्दिर में गणेश जी के दरबार में हाजिरी लगाने आये राबर्ट ने मीडिया को बताया कि सभी चाहते हैं कि मैं राजनीति में आऊँ. मनपसंद सीट के बारे में सवाल उठा तो राबर्ट ने कहा कि मुरादाबाद और गाज़ियाबाद दोनों जगह के लोग यह चाहते हैं कि मैं वहां से चुनाव लडूं.

फोटोग्राफी जनसंचार का माध्यम है, आज इसकी अहमियत पहले से भी अधिक बढ़ी हैः डॉ. निर्मल

प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश की नब्ज़ को बहुत अच्छी तरह से समझती हैं. वह यह भी जानती हैं कि अब राजनीति में हर वर्ग का ध्यान रखना होगा. मन्दिर को लेकर सियासत का माहौल यूपी में गर्म हो चुका है इसलिए वह इस एजेंडे पर भी निगाह गड़ाए हुए हैं.

इलाहाबाद में संगम में स्नान और वृन्दावन के मन्दिरों में माथा टेककर उन्होंने बीजेपी को सीधे तौर पर चुनौती पेश ही कर दी है साथ ही किसान पंचायतों में शिरकत कर सियासत का पारा काफी गर्म कर दिया है. किसान आन्दोलन के ज़रिये प्रियंका गांधी ने मुसलमानों, सिक्खों और जाटों के बीच एक साथ अपनी पैठ बना ली है.

प्रियंका गांधी कल 27 फरवरी को प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुँच रही हैं. वह यहाँ रविदास जयन्ती के मौके पर गंगा किनारे उनके जन्मस्थान घासी टोला में बने रविदास मन्दिर का दर्शन करने जाएंगी. इस मौके पर वह देश भर के दलित संतों से मुलाक़ात करेंगी और प्रसाद ग्रहण करेंगी. प्रियंका इस मन्दिर में पहले भी आ चुकी हैं. इस नाते इलाके के दलित भी उत्साहित हैं।

UPPRPB Recruitment: यूपी पुलिस में निकली SI के पदों पर वैकेंसी, यहां पढ़े पूरी डिटेल


UPPRPB Recruitment: यूपी पुलिस में निकली SI के पदों पर वैकेंसी, यहां पढ़े पूरी डिटेल

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में नागरिक पुलिस ने हाल ही में सब इंस्पेक्टर, PAC में प्लाटून कमांडर और अग्निशमन द्वितीय अधिकारी के पदों के लिए और प्रोन्नति बोर्ड (UPPRPB) ने 9534 पदों पर वैकेंसी निकाली हैं। इन सभी पदों पर ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया 1 अप्रैल से शुरू हो जाएगी। सरकारी नौकरी के लिए सभी अभ्यर्थियों को जल्द तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।

यहां जाने पुरी डिटेल और परीक्षा पैटर्न, सिलेबस

ऑनलाइन लिखित परीक्षा का पैटर्न

परीक्षा कुल 400 अंकों की होगी।

परीक्षा का सिलेबस चार खंडों में है।

सभी खंड 100-100 अंकों के हैं।

परीक्षा के लिए 02 घंटे का समय दिया जाएगा।

प्रत्येक विषय में कम से कम 35% अंक हासिल करने होंगे।

सभी खंड मिलाकर कम से कम 50% अंक हासिल करना अनिवार्य है.

शारीरिक दक्षता परीक्षा

पुरुषों को 4.8 किमी की दौड़ 28 मिनट में पूरी करनी होगी।

महिलाओं को 2.4 किमी की दौड़ 16 मिनट में पूरी करनी होगी।

शारीरिक दक्षता परीक्षा केवल क्वालिफाइंग होगी।

ऑनलाइन लिखित परीक्षा का सिलेबस।

  1. सामान्य हिंदी- हिंदी, भारतीय भाषाएं, हिंदी व्याकरण का मौलिक ज्ञान, अपठित बोध, प्रसिद्ध कवि और उनकी प्रसिद्ध रचनाएं, हिंदी भाषा में पुरस्कार और विविध।
  2. मूल विधि/संविधान/सामान्य ज्ञान- भारतीय दंड विधान एवं दंड प्रक्रिया संहिता, सूचना का अधिकार, आयकर अधिनियम, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, भू राजस्व संबंधी कानून आदि। संविधान से संविधान का उद्देश्य, मौलिक अधिकार, नीति निदेशक तत्व व मूल कर्तव्य, संसदीय व्यवस्था, केंद्र व राज्य के बीच संबंध, अखिल भारतीय सेवाएं और उनकी चयन पद्धति, सामान्य ज्ञान से विश्व स्वास्थ्य विज्ञान, भारत का इतिहास, स्वतंत्रता संग्राम, भारतीय अर्थव्यव्यवस्था, कृषि, भूगोल, समसामयिक, सोशल मीडिया कम्युनिकेशन आदि।
  3. संख्यात्मक एवं मानसिक योग्यता परीक्षा- संख्या पद्धति, सरलीकरण, दशमलव और भिन्न, महत्तम समापवर्तक-लघुत्तम समापवर्तक, अनुपात-समानुपात, प्रतिशतता, लाभ-हानि, चक्रवृद्धि ब्याज, औसत, लॉजिकल डायग्राम, प्रत्यक्ष ज्ञान बोध, शब्द रचना परीक्षण, आंकड़ों का तार्किक विश्लेषण आदि।
  4. रीजनिंग और मानसिक अभिरुचि परीक्षा- जनहित, लॉ एंड ऑर्डर, विधि का शासन, अनुकूलन की क्षमता आदि के प्रति दृष्टिकोण, संबंध और आंशिक समानता का परीक्षण, कोडिंग-डिकोडिंग, रक्त संबंध, गणितीय योग्यता, समरूपता, समानता, भिन्नता, खाली स्थान भरना, विजुअल मेमोरी, अवधारणा, अंक गणितीय नंबर सीरीज आदि।

अमेरिका का एयरस्ट्राइक: सीरिया पर जबर्दस्त हमला, तहस नहस कर दिया सब कुछ


अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने सीरिया में ईरान समर्थित आतंकियों पर सीमित एयरस्ट्राइक का आदेश दिया था। जिसके बाद अमेरिकी सेना ने सीरिया में हमला किया है।

Biden Orders US airstrikes in Syria Against Iran Backed Militia targets

लखनऊ: सीरिया पर एयरस्ट्राइक की जानकारी सामने आ रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका ने सीरिया पर स्थिति ईरान समर्थित आतंकियों के ठिकाने पर एक हवाई हमला किया। इस हमले का आदेश अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने दिया था। बताया जा रहा है कि इराक में अमेरिकी ठिकानों के खिलाफ रॉकेट हमलों की प्रतिक्रिया में एयर स्ट्राइक की गयी है।

अमेरिका ने सीरिया पर किया हवाई हमला

दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने सीरिया में ईरान समर्थित आतंकियों पर सीमित एयरस्ट्राइक का आदेश दिया था। जिसके बाद अमेरिकी सेना ने गुरूवार को सीरिया में हमला किया। बता दें कि हाल ही में ईराक में अमेरिकी सेना के जवानों पर हमला हुआ था। इस हमले की प्रतिक्रिया में बाइडन ने कार्रवाई करने के आदेश दिए थे।

सीरिया में ईरान समर्थित आतंकियों पर एयर स्ट्राइक

ऐसे में राष्ट्रपति बाइडन ने अपने आदेश में सीरिया में ईरान (Iran) समर्थित मिलिशिया के ठिकानों हमले के आदेश दिए। इसकी जानकारी पेंटागन के प्रवक्‍ता जॉन क्रिबी ने दी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमले में किसी अमेरिकी के हताहत होने की जानकारी नहीं मिल सकी।

airstrike

अमेरिका ने 2,500 कर्मी इराक में

बता दें कि इराक में अमेरिका ने 2,500 कर्मियों तक सीमित कर दिया है। अब इस्लामिक स्टेट समूह के खिलाफ चल रहे अभियानों में इराकी बलों के साथ युद्ध अभियानों में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। वहीं शिया आतंकवादी समूह जो खुद को सरया अवलिया अल-दम कहते हैं, ने 15 फरवरी के हमले की जिम्मेदारी ली थी। एक हफ्ते बाद बगदाद के ग्रीन जोन में एक रॉकेट हमला अमेरिकी दूतावास परिसर को निशाना बनाया गया था लेकिन किसी को चोट नहीं पहुंची।


भारत भेजा जाएगा नीरव मोदी:लंदन की कोर्ट ने नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पण की मंजूरी दी


PNB घोटाले में वॉन्टेड हीरा कारोबारी नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पण पर ब्रिटेन की कोर्ट में गुरुवार को आखिरी सुनवाई हुई। इसमें कोर्ट ने नीरव को भारत भेजने की मंजूरी दे दी। लंदन में वर्चुअल हियरिंग के बाद जज सेमुअल गूजी ने कहा कि नीरव मोदी को भारत में चल रहे केस में जवाब देना होगा। उन्होंने माना कि नीरव मोदी के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। 2 साल चली कानूनी लड़ाई के बाद यह फैसला आया है।

जज ने कहा कि नीरव मोदी को भारत भेजा जाता है तो ऐसा नहीं है कि उन्हें वहां इंसाफ न मिले। कोर्ट ने नीरव मोदी की मानसिक स्थिति ठीक न होने की दलील भी खारिज कर दी है। कहा कि ऐसा नहीं लगता उन्हें ऐसी कोई परेशानी है। कोर्ट ने मुंबई की ऑर्थर रोड जेल की बैरक नंबर-12 को नीरव के लिए फिट बताया। साथ ही कहा कि भारत प्रत्यर्पण होने पर भी उन्हें इंसाफ मिलेगा। 19 मार्च, 2019 को गिरफ्तार किए गए नीरव मोदी पर मनी लॉन्ड्रिंग, सबूतों से छेड़छाड़ और गवाहों को डराने की साजिश रचने का आरोप है।

मुंबई की जेल लंदन की सेल से कहीं बेहतर
भारत में जेल के माहौल और मेडिकल अरेंजमेंट्स पर अदालत ने कहा मुंबई की आर्थर रोड जेल लंदन में नीरव की अभी की सेल से कहीं बेहतर दिखती है। दरअसल, नीरव के वकीलों ने दलील दी थी कि कोरोना के बाद के हालात और भारत में जेलों की खराब हालत के कारण उनकी दिमागी हालत पर असर पड़ सकता है। कोर्ट ने ये दोनों बातें नकार दीं।

प्रत्यर्पण को लेकर अब आगे क्या?
पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के 14 हजार करोड़ से भी अधिक के लोन की धोखाधड़ी का आरोपी नीरव इस समय लंदन की वांड्सवर्थ जेल में बंद है। लंदन कोर्ट में जज सेमुअल गूजी के फैसले के बाद मामला अब ब्रिटेन के गृह मंत्रालय के पास जाएगा। प्रत्यर्पण को लेकर कोर्ट के फैसले पर गृह मंत्री प्रीति पटेल आखिरी मोहर लगाएंगी।

हालांकि, नीरव के पास अभी हाईकोर्ट में अपील करने का रास्ता खुला है। अगर वे हाईकोर्ट नहीं जाते हैं और गृह मंत्री प्रत्यर्पण की इजाजत दे देती हैं तो नीरव को भारत लाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इस मामले में भारत की होम मिनिस्ट्री का कहना है कि नीरव मोदी के जल्द प्रत्यर्पण के लिए ब्रिटेन के अफसरों के साथ संपर्क किया जाएगा।

नीरव ने हाईकोर्ट में अपील की तो क्या होगा?
1. भारतीय जांच एजेंसियों को कोर्ट में साबित करना होगा कि माल्या पर लगे आरोप ब्रिटेन के कानून के तहत भी अपराध हैं।
2. अगर आरोप साबित होते हैं तो हाईकोर्ट नीरव के प्रत्यर्पण का ऑर्डर दे सकता है।
3. हाईकोर्ट यह भी देखेगा कि क्या नीरव के प्रत्यर्पण से ह्यूमन राइट्स का वॉयलेशन तो नहीं होगा।
4. ऐसे में नीरव को भारत लाने में भारतीय एजेंसियों को कम से कम 10 से 12 महीने का वक्त लग सकता है।

वकीलों ने नीरव को मानसिक रूप से बीमार बताया था
इससे पहले वकीलों ने दावा किया कि नीरव मोदी मानसिक रूप से बीमार है। साथ ही उन्होंने भारत की जेल में सुविधाएं न होने के दावे किए। भारतीय एजेंसियों की ओर से क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (CPS) मामले की पैरवी कर रहा है। CPS की बैरिस्टर हेलन मैल्कम ने कहा था कि मामला बिल्कुल स्पष्ट है। नीरव ने तीन पार्टनर वाली अपनी कंपनी के जरिये अरबों रुपए का बैंक घोटाला किया। जबकि बचाव पक्ष के वकीलों ने कहा कि मामला विवादित है। नीरव मोदी पर गलत आरोप लगाए गए हैं।

14 हजार करोड़ रुपए से भी अधिक लोन धोखाधड़ी का आरोपी
नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी ने बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर पंजाब नेशनल बैंक में करीब 14 हजार करोड़ रुपए से भी अधिक के लोन की धोखाधड़ी की। यह धोखाधड़ी गारंटी पत्र के जरिए की गई। उस पर भारत में बैंक घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग के तहत दो प्रमुख मामले CBI और ED ने दर्ज ‍किए हैं। इसके अलावा कुछ अन्य मामले भी उसके खिलाफ भारत में दर्ज हैं। नीरव मोदी ने अपने प्रत्यर्पण के आदेश के खिलाफ ब्रिटेन की अदालत में चुनौती दी थी।

19 मार्च 2019 से जेल में है नीरव
नीरव मोदी 19 मार्च 2019 को गिरफ्तार होने के बाद से जेल में है। उसने कई बार जमानत हासिल करने की कोशिश की थी, लेकिन हर बार उसकी याचिका खारिज हो गई, क्योंकि उसके फरार होने का जोखिम है।

फिर लौटा लॉकडाउन, जानिएं कहाँ-कहाँ लगी पाबंदी


Lockdown returned again, know where the ban was

देश में एक बार फिर से कोरोना के सक्रिय मामलों में तेजी आने लगी है। कोरोनावायरस संक्रमण का  ताज़ा आंकड़ा 1.10 करोड़ पार कर गया है।22 फ़रवरी को स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में 14,199 नए COVID-19 केस दर्ज होने के साथ कुल संक्रमितों की तादाद 1,10,16, 434 हो गई है। देश में अब तक कोरोनावायरस के चलते 1.56 लाख से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। साथ ही एक्टिव केसों की संख्या भी 1.5 लाख के पार हो गई है।

महाराष्ट्र में फिर लगा लॉकडाउन

महाराष्ट्र, केरल, पंजाब, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों ने चिंता बढ़ा दी है। बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य के अमरावती जिले में 22 फरवरी रात 8 बजे से एक सप्ताह के लॉकडाउन लगाया गया है। लॉकडाउन 1 मार्च को सुबह 8 बजे तक लागू रहेगा। पुणे में भी स्कूल, कॉलेज और कोचिंग संस्थान को बंद करने का आदेश दिया गया है। 

रात 11 बजे से सुबह पांच बजे तक जरूरी सेवाओं से जुड़े लोगों को छोड़कर बाकी लोगों के घर से निकलने पर रोक है। महाराष्ट्र के अमरावती, मुंबा, नागपुर, पुणे, पिंपरी, चिंचवाड, नासिक, औरंगाबाद, ठाणे, नवी मुंबई, कल्याण-डोम्बिवली, अकोला, यावतमाल, वसीम और बुलढाणा में पाबंदियां लगाई गई हैं। भारत में कोरोना का पलटवार काफी ज्यादा संक्रामक हो सकता है। पिछले कुछ दिनों में जिस तरह से कोरोना वायरस के मामलों में तेजी देखने को मिली है, उसने एक बार फिर से सरकार की चिंता और भी बढ़ा दी है।

कोरोना से सबसे अधिक मौतें महाराष्ट्र में

अमर उजाला समाचार पत्र की 22 फ़रवरी की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से साझा की गई जानकारी के मुताबिक, देश में बीते 24 घंटे में कोरोना से जान गंवाने वाले मरीजों में 83 में से महाराष्ट्र में 35, केरल में 15, पंजाब में छह, छत्तीसगढ़ में पांच और मध्यप्रदेश में चार हैं। महाराष्ट्र में अब तक 51,788, तमिलनाडु में 12,460, कर्नाटक में 12,294, दिल्ली में 10,900, पश्चिम बंगाल में 10,249, उत्तर प्रदेश में 8,715 और आंध्र प्रदेश में 7,167 लोगों की मौत कोरोना संक्रमण के चलते हुई है।

मध्य प्रदेश में आज होगी बैठक

करोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच मध्य प्रदेश सरकार ने नये दिशा निर्देश जारी किये हैं। मध्यप्रदेश के कई जिलों में संक्रमण बढ़ते मरीजों के देखते हुए 23 फरवरी मंगलवार यानी आज एक बैठक होनी है। इस बैठक में आगामी मेले, महाराष्ट्र सीमा पर आयोजित कार्यक्रम रद्द करने जैसे कई फैसले लिए जा सकते हैं। आदेश में महाराष्ट्र से आने वाले लोगों की जाँच साथ ही अनिवार्य रूप से मास्क नहीं पहनने वाले लोगों पर कार्रवाई करने की भी बात कही गई है।

क्या लोगों की लापरवाही है बढ़ते केस का कारण

स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सरकारी अधिकारियों का कहना है कि लोगों की लापरवाही के चलते इस तरह की स्थितियां सामने आ रही हैं। जगह-जगह लोगों की भीड़ देखने को मिलती है चौराहा हो या बड़ा मार्केट, लोगों की भरी भीड़ देखि जा सकती है। लोगों ने मास्क पहनना और दो गज की शारीरिक दूरी बनाए रखना छोड़ दिया है। यही वजह है की कोरोना वायरस अपना पैर पसारने में कामयाब हो पा रहा है। कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा अभी टला नहीं हैं। ये बात सभी को ध्‍यान में रखनी चाहिए और सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए। 

Thursday, February 25, 2021

बोर्ड एग्‍जाम से पहले होंगे यूपी में पंचायत चुनाव, चार चरणों में पूरी होगी मतदान प्रक्रिया


लखनऊ 25 फरवरी। उत्तर प्रदेश में आख‍िर कब होंगे पंचायत चुनाव इस पर बना सस्‍पेंस खत्‍म हो गया है. गत दिवस उत्‍तर प्रदेश व‍िधानसभा में मुख्‍यमंत्री योगी आद‍ित्‍यनाथ ने अपने भाषण में बता द‍िया है क‍ि पंचायत चुनाव के ल‍िए मतदानत बोर्ड परीक्षा शुरू होने से पहले पूरा कर ल‍िया जाएगा. यान‍ी 24 अप्रैल से पहले पंचायत चुनाव के ल‍िए मतदान प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी. इतना ही नहीं इस बार पंचायत चुनाव चार चरणों में होगा.

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने व‍िधानसभा में बताया क‍ि राज्‍य चुनाव आयोग ने 24 अप्रैल से पहले क्षेत्र पंचायत, ग्राम प्रधान, जिला पंचायत और ग्राम पंचायत सदस्य के चारों पदों पर वोटिंग प्रक्रिया पूरी करा लेने की तैयारी शुरू कर दी है. मीडिया र‍िपोर्ट के अनुसार, पंचायत चुनाव के अंत‍िम चरण के वोट‍िंग के दो दिन को र‍िर्जव रखा गया है ताक‍ि कोई गड़बड़ी होने पर अगर जरूरत होगी तो उन केन्‍द्रों पर दोबारा मतदान कराया जा सके.

राज्‍य चुनाव आयोग के अनुसार, पंचायत चुनाव की सारी प्रक्रिया 30 अप्रैल तक पूरी करवा ली जाएगी. आयोग ने यह भी साफ कर द‍िया है क‍ि 26 अप्रैल को अवकाश होने की वजह से मतदान 27-28 अप्रैल को कराया जा सकता है.
वहीं उत्‍तर प्रदेश शासन ने पंचायत चुनाव की अनंतिम आरक्षण सूची जारी कर दी है. शासन ने इस प्रस्‍तावित सूची पर आठ मार्च तक आपत्तियां मांगी हैं. अंतिम सूची का प्रकाशन 13 एवं 14 मार्च, 2021 को किया जाएगा. अपर मुख्‍य सचिव पंचायती राज मनोज कुमार सिंह ने ने बताया था क‍ि प्रदेश के 75 जिलों में जिला पंचायत अध्‍यक्ष, 826 विकास खंडों में प्रमुख क्षेत्र पंचायत और 58,194 ग्राम पंचायतों में ग्राम प्रधानों के चुनाव के लिए अनुसूचित जाति, पिछड़ा संवर्ग और महिला के अलावा सामान्‍य वर्ग के लिए निर्धारित कोटे की सूची जारी की.

सिंह के मुता‍बिक प्रदेश में जिला पंचायत अध्‍यक्ष के लिए अनुसूचित जाति संवर्ग में छह महिला समेत कुल 16 सीटें आरक्षित की गई हैं. अन्‍य पिछड़ा वर्ग में सात महिला समेत कुल 20 सीटें आरक्षित की गई हैं जबकि महिलाओं के लिए 12 सीटों के अलावा 27 अन्‍य सीटें अनारक्षित की गई हैं। जिला पंचायत अध्‍यक्ष के लिए सभी वर्गों की मिलाकर महिलाओं के लिए कुल 25 सीटें आरक्षित की गई हैं.

अपर मुख्‍य सचिव द्वारा जारी सूची के मुताबिक शामली, बागपत, लखनऊ, कौशांबी, सीतापुर और हरदोई जिला पंचायत अध्यक्ष पद अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया है। कानपुर नगर, औरैया, चित्रकूट, महोबा, झांसी, जालौन, बाराबंकी, लखीमपुर खीरी, रायबरेली और मिर्जापुर जिला पंचायत अध्यक्ष पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया है.

इसके अलावा संभल, हापुड़, एटा, बरेली, कुशीनगर, वाराणसी और बदायूं जिला पंचायत अध्यक्ष पद अन्य पिछड़ा वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित किया या है. ई है जबकि आजमगढ़, बलिया, इटावा, फर्रुखाबाद, बांदा, ललितपुर, आंबेडकर नगर, पीलीभीत, बस्ती, संतकबीरनगर, चंदौली, सहारनपुर और मुजफ्फरनगर जिला पंचायत अध्यक्ष पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है.

जारी सूची के अनुसार कासगंज, फिरोजाबाद, मैनपुरी, मऊ, प्रतापगढ़, कन्नौज, हमीरपुर, बहराइच, अमेठी, गाजीपुर, जौनपुर और सोनभद्र जिला पंचायत अध्यक्ष पद महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया है. अलीगढ़, हाथरस, आगरा, मथुरा, प्रयागराज, फतेहपुर, कानपुर देहात, गोरखपुर, देवरिया, महाराजगंज, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, अयोध्या, सुल्तानपुर, शाहजहांपुर, सिद्धार्थ नगर, मुरादाबाद, बिजनौर, रामपुर, अमरोहा, मेरठ, बुलंदशहर, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, उन्नाव और भदोही जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए अनारक्षित किया गया है.

सूची के मुताबिक ब्‍लॉक प्रमुखों के लिए कुल 826 सीटों में अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए चार सीटों समेत इस संवर्ग के लिए कुल पांच सीटें आरक्षित की गई है जबकि अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए 86 सीटों समेत इस संवर्ग के लिए कुल 171 सीटें आरक्षित की गई हैं.

इसी तरह ब्‍लॉक प्रमुख की अन्‍य पिछड़ा वर्ग में महिलाओं के लिए 97 सीटों समेत इस संवर्ग में कुल 223 सीटें आरक्षित की गई हैं. प्रदेश में 113 सीटें महिलाओं के लिए और 314 सीटें अनारक्षित हैं. सिंह के अनुसार प्रदेश में 58,194 ग्राम पंचायतों में से ग्राम प्रधान की 19,659 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई है।

कोरोना वायरस का बढ़ता खतरा, सरकार के साथ स्कूल प्रबंधन भी अलर्ट


कई राज्यों में कोरोना के बढ़ते खतरे को देखते हुए भले ही राज्य सरकार अलर्ट हो पर स्कूलों में अपने बच्चों को लेकर उनके माता पिता बेहद गंभीर हैं। वह अपने बच्चों को स्कूल भेजने को बिल्कुल तैयार नहीं हैं।

कोरोना संक्रमण
स्कूल प्रबन्धन अलर्ट (file pic )

लखनऊ: कई राज्यों में कोरोना के बढ़ते खतरे को देखते हुए भले ही राज्य सरकार अलर्ट हो पर स्कूलों में अपने बच्चों को लेकर उनके माता पिता बेहद गंभीर हैं। वह अपने बच्चों को स्कूल भेजने को बिल्कुल तैयार नहीं हैं। वहीं स्कूल प्रबन्धन भी किसी भी इसे लेकर कोई ठोस  फैसला नहीं ले पा रहा है।

लामार्टिनियर बॉयज कॉलेज में कोरोना के मामले

यूपी की राजधानी लखनऊ के ला मार्टिनियर बॉयज कॉलेज में बुधवार को कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने के बाद अन्य स्कूल प्रबंधन भी सतर्क हैं। कई निजी स्कूलों ने हर क्लास में 20 के बजाय 12 बच्चों को ही बैठाने का फैसला किया है। वहीं दूसरी तरफ पूर्व में राज्य सरकार प्राइमरी स्कूलों को एक मार्च से खोलने के लिए हरी झण्डी दिखा चुका है। पर मां बाप अभी अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं।

ऑफलाइन कक्षाएं शुरू करने पर रोक

राजधानी लखनऊ के कई बड़े स्कूलों ने फिलहाल पहली मार्च से कक्षा एक से पांच तक की ऑफलाइन कक्षाएं शुरू करने पर रोक लगा दी है। इससे पहले शासन ने करीब एक साल बाद पहली मार्च से स्कूलों में प्राइमरी की कक्षाएं शुरू करने की अनुमति दी थी। जबकि कई निजी स्कूल एक मार्च से पहली से पांचवीं तक के बच्चों को बुलाने से कतरा रहे हैं औरऑनलाइन क्लास ही जारी रखने की दलील दे रहे हैं। जो स्कूल खुले हैं वहां का प्रबन्धन 6 से 8 तक की हर क्लास में अब 20 बच्चों के बजाय 12 बच्चों को बैठाने की योजना बनाई है।

स्कूल-कॉलेजों में रैंडम सैम्पलिंग होगी

कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर सरकार ने फोकस टेस्टिंग को बढ़ाया है। इसके तहत स्कूल-कॉलेजों में रैंडम सैम्पलिंग होगी। अब अगले 4 दिनों तक संस्थानों में रैंडम जांच की जाएगी। इसके साथ ही प्रदेश के हर जिले में बाहर से आने वाले लोगों की सूचना देने के लिए सभी होटल को भी निर्देश दिया गया है।

एक मार्च से प्रदेश में कक्षा एक से लेकर कक्षा पांच तक के स्कूलों में भी पढ़ाई शुरू की जाएगी। ऐसे में अब स्वास्थ्य विभाग और चैकन्ना हो गया है। दूसरे राज्यों में तेजी से बढ़ रहे संक्रमण के मद्देनजर और सर्तकता बरती जा रही है। अब तो जिलों में स्कूल-कॉलेजों के अलावा रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन और बाजारों में रैंडम सैंपल लिए जा रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ने कोरोना को लेकर ढिलाई बिल्कुल भी न बरतने की हिदायत दी है। फोकस टेस्टिंग के तहत पंद्रह दिवसीय अभियान चलाया जा रहा है, इसे और आगे बढ़ाया जाएगा।

मर्ज की दवा नहीं है निजीकरण: प्रताप मिश्रा


भारत के बैंकिंग इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब सरकार चार सरकारी बैंकों को बेचेगी या उनका निजीकरण करेगी. मार्च 2017 में, देश में 27 सरकारी बैंक थे, जिनकी संख्या अप्रैल 2020 में घटकर 12 रह गयी. अब चार सरकारी बैंकों- बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक में सरकार अपनी हिस्सेदारी बेचना चाहती है. इनमें बैंक ऑफ इंडिया बड़ा बैंक है, जबकि अन्य तीन छोटे. बैंक ऑफ इंडिया में 50,000, सेंट्रल बैंक में 33,000, इंडियन ओवरसीज बैंक में 26,000 और बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 13,000 कर्मचारी कार्यरत हैं. इनकी कुल 15,732 शाखाएं हैं.

सरकारी बैंकों के निजीकरण के मूल में कोरोना काल में सरकारी राजस्व में भारी कमी आना है. सरकार विनिवेश के जरिये इस कमी को पूरा करना चाहती है. हालांकि, वित्त वर्ष 2021 में सरकार के लिए विनिवेश के लक्ष्य को हासिल करना लगभग नामुमकिन है. इसलिए, वित्त वर्ष 2021 में विनिवेश के लक्ष्य को कम करके 32,000 करोड़ रुपये किया गया है. वित्त वर्ष 2022 के लिए सरकार ने विनिवेश से राजस्व हासिल करने का लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रखा है, जिसमें से एक लाख करोड़ सरकारी बैंकों और वित्तीय संस्थानों में सरकार की हिस्सेदारी बेचकर जुटाने का प्रस्ताव है.

इंडियन ओवरसीज बैंक के पास सबसे ज्यादा इक्विटी कैपिटल है, जबकि बैंक ऑफ इंडिया के शेयरों का बाजार मूल्य दूसरे सरकारी बैंकों से ज्यादा है. यदि सरकार दोनों बैंकों के प्रबंधन को अपने हाथों में रखते हुए अपनी हिस्सेदारी को मौजूदा कीमत पर बेचकर 51 प्रतिशत पर ले आती है, तो उसे लगभग 12,800 करोड़ मिलेंगे. माना जा रहा है कि सरकार, सरकारी बैंकों में अपनी हिस्सेदारी को 51 प्रतिशत तक लायेगी और उसके बाद उसे 50 प्रतिशत से नीचे लायेगी.इंडियन ओवरसीज बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 95.8 प्रतिशत, बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 92.5 प्रतिशत, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 92.4 प्रतिशत और बैंक ऑफ इंडिया में 89.1 प्रतिशत है. बैंक ऑफ महाराष्ट्र और सेंट्रल बैंक में अगर सरकार अपनी हिस्सेदारी को घटा कर 51 प्रतिशत करती है, तो उसे 6,400 करोड़ रुपये मिलेंगे. इसी तरह, यदि सरकार बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच देती है, तो उसे लगभग 28,600 करोड़ मिलेंगे.

बैंकों को बेचने से सरकार को उसकी पूंजी वापस मिल जायेगी, इन बैंकों में और अधिक पूंजी डालने की जरूरत नहीं होगी, जिससे सरकार को अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत करने में मदद मिलेगी. इसके अलावा, वित्त मंत्रालय, केंद्रीय सतर्कता आयोग आदि जैसे सरकारी विभागों को इन संस्थानों की निगरानी और पर्यवेक्षण की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे मानव संसाधन और धन दोनों की बचत होगी. कुछ लोग कयास लगा रहे हैं कि नये अधिग्रहणकर्ता बैंक को अधिक पूंजी वृद्धि के साथ कुशलता से चला पायेंगे.

बैंकों का बेहतर मूल्य सरकार को मिलेगा. निजी शेयरधारकों को लाभ होगा. बाजार में कुछ लोगों की यह भी राय है कि भले ही सरकार बैंकों को बेचना चाहती है, लेकिन इन्हें बेचना उसके लिए आसान नहीं होगा. बैंक ऑफ महाराष्ट्र की सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) 31 दिसंबर 2020 को 8,072.43 करोड़ रुपये रहीं, जो 30 सितंबर 2020 को 9,105.44 करोड़ थीं. वहीं, 31 दिसंबर 2019 को यह 15,745.54 करोड़ थी. बैंक ऑफ इंडिया का दिसंबर 2020 में सकल एनपीए 5499.70 करोड़ रहा, जो सितंबर 2020 में 5623.17 करोड़ था.

इंडियन ओवरसीज बैंक का दिसंबर 2020 में सकल एनपीए घट कर 16,753.48 करोड़ हो गया, जो सितंबर 2020 में 17,659.63 करोड़ था. इसी तरह, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का दिसंबर 2020 में सकल एनपीए 29,486.07 करोड़ रहा, जो सितंबर 2020 में 30,785.43 करोड़ था. इन बैंकों के तिमाही प्रदर्शन से साफ हो जाता है कि इन चारों बैंकों का निजीकरण उनके खराब प्रदर्शन के कारण नहीं किया जा रहा है. चार सरकारी बैंकों के निजीकरण से वहां कार्यरत कर्मचारियों की नौकरी जाने की संभावना बढ़ जायेगी.

इसलिए, इन बैंकों के निजीकरण का नकारात्मक प्रभाव सरकार की कल्याणकारी छवि पर पड़ सकता है. इन बैंकों का सेवा शुल्क भी बढ़ जायेगा. ग्रामीण इलाकों में सेवा देने से भी ये बैंक परहेज करेंगे. सरकारी योजनाओं को लागू करने से भी इन्हें गुरेज होगा. विभिन्न गैर-पारिश्रमिक सेवाओं जैसे पेंशन वितरण, अटल पेंशन योजना, सुकन्या समृद्धि आदि से जुड़े कार्य भी ये बैंक नहीं करेंगे. राजस्व बढ़ाने के लिए बैंक म्यूचुअल फंड, बीमा आदि जैसी अधिक गैर-बैंकिंग सेवाएं प्रदान कर सकते हैं. चूंकि, मौजूदा समय में सरकारी योजनाओं को मूर्त रूप देने में सरकारी बैंकों का अहम योगदान है, इसलिए, चार बैंकों के निजीकरण से अन्य बचे हुए सरकारी बैंकों पर सरकारी योजनाओं को लागू करने का दबाव बढ़ जायेगा.

अभी भी देश का एक तबका निजीकरण को हर मर्ज की दवा समझता है, लेकिन यह पूरा सच नहीं है. कई निजी बैंक डूब चुके हैं. ताजा मामला यस बैंक और पीएमसी का है. कोरोना काल में निजी और सरकारी बैंकों ने कैसा प्रदर्शन किया है, यह किसी से छुपा नहीं है? सरकारी बैंकों के विनिवेश से कुछ हजार करोड़ जरूर मिल सकते हैं, लेकिन उससे सरकार को कितना फायदा होगा इसका भी आकलन करने की जरूरत है. फायदा नकदी में हो, यह जरूरी नहीं है. सवाल रोजगार जाने का और बचे हुए सरकारी बैंकों पर काम का दबाव बढ़ने का भी हैl

सदन में बिफरे CM योगी, सुधर जाओ..ज्यादा गर्मी न दिखाओ..वरना ऐसी भाषा में समझाऊंगा, पेट दर्द दूर हो जाएगा


uttar pradesh news CM yogi adityanath stunning speech in vidhanmandal samajwadi party mla kpr

लखनऊ. उत्तर प्रदेश के विधानमंडल में बजट सत्र चल रहा है। विधान परिषद में विपक्ष के हंगामे पर मुख्यमंत्री में योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी के  विधायकों की जमकर क्लास लगाते हुए सख्त लहजे में नसीहत दी। कहा-सपा के लोग ज्यादा गर्मी ना दिखाएं, जो जिस भाषा को समझता है, उसे उसी भाषा मे समझाया जाता है। सदन में आने से पहले अपना आचरण सुधार लें, सरकार की बात सुनने की आदत डाल लो। मैं जानता हूं आप लोग किस प्रकार की भाषा सुनते हैं, समझते हैं। उसी प्रकार का जावाब समय-समय पर आता है। वरना सबका में पेट दर्द दूर कर दूंगा।

समझ जाओ नहीं तो मुझे समझाना भी आता है
दरअसल, गुरुवार को विधान परिषद मे राज्यपाल आनंदीबेन के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संबोधन कर रहे थे। इसी दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष की एक-दूसरे पर हमले और तीखी टीका-टिप्पणी होने लगी। जहां सपा नेता सदन में शोरगुल करते हुए भाजपा सरकार पर कई तरह के आरोप लगाने लगे। बस इसी बात पर  सीएम योगी आदित्यनाथ बिफर गए और सख्त लहजे में विपक्ष को नसीहत दे डाली।


इस बात पर बिफर गए सीएम योगी
सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन के दौरान किसानों का मसला उठाया था। उन्होंने कहा कि देश के अंदर किसानों की चर्चा हो रही थी, मोदी सरकार ने सबसे ज्यादा किसानों को एमएसपी दिलाई है। फिर कुछ लोग किसानों में जबरन का भ्रम फैला रहे हैं। जो लोग गमले में धान उगाते हैं वह आज एमएमपी की बात कर रहे हैं। उनको पता भी है कि खेती क्या होती है। इनता ही नहीं सीएम योगी ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर भी तंज कसा। कहा कि अगर अखिलेश जी राज्य में इतना अच्छा करते तो जनता ने उनको यूं ही नहीं भगाया होता। 

किसान आंदोलन : किसानों का ऐलान, अब 50 रूपये लीटर वाला दूध 100 रूपये में बेचा जाएगा


कृषि कानूनों का विरोध बढ़ता जा रहा है। दिल्ली सीमा पर किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं तो किसानों की महापंचायतें भी जारी हैं। सरकार मान नहीं रही तो किसानों ने विरोध का दायरा बढ़ाना शुरू कर दिया है। इससे आमजन को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। भारतीय किसान यूनियन ने अब कृषि कानूनों के विरोध में बड़ा एलान किया है।

सिंघु बार्डर पर बैठे संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों ने दूध के दाम बढ़ाने की बात कही है। भारतीय किसान यूनियन के जिला प्रधान मलकीत सिंह ने बताया कि एक मार्च से किसान दूध के दामों में बढ़ोतरी करने जा रहे हैं, जिसके बाद 50 रुपये लीटर बिकने वाला दूध अब दोगुनी कीमत यानी 100 रुपये लीटर बेचा जाएगा।


मलकीत सिंह का कहना है कि केंद्र सरकार ने डीजल के दाम बढ़ाकर किसानों पर चारों तरफ से घेरने का भरसक प्रयास किया है, लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा ने तोड़ निकलाते हुए दूध के दाम दोगुने करने का कड़ा फैसला ले लिया है। अगर सरकार अब भी न मानी तो आने वाले दिनों में आंदोलन को शांतिपूर्वक आगे बढ़ाते हुए हम सब्जियों के दामों में भी वृद्धि करेंगे। 

सौ रुपये लीटर दूध बेचने से जनता पर भार पडऩे के सवाल पर मलकीत सिंह ने कहा कि अगर जनता 100 रुपये लीटर पेट्रोल ले सकती है तो फिर 100 रुपये लीटर दूध क्यों नहीं ले सकती। अब तक किसान एक लीटर दूध को नो प्राफिट नो लॉस पर बेचता आया है। यह तो अभी शुरुआत होगी अगर सरकार फिर भी कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है तो आने वाले दिनों में सब्जियों के दाम दोगुने किए जाएंगे। 


आधी हो सकती है पेट्रोल-डीजल की कीमतें


आमजन के लिए खुशखबरी! आधी हो सकती है पेट्रोल-डीजल की कीमतें

बीते कुछ दिनों से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आग लगी हुई है। भारत के इक्का दुक्का जिलों में दाम 100 के पार जा चुके हैं। वहीं दिल्ली समेत ज्यादातर शहरों में कीमतें 90 के पार पहुंच गई हैं। इस कीमत बढ़ोतरी का सबसे अधिक दोष केंद्र एवं राज्य सरकारों के टैक्स को दिया जा रहा है। ऐसे में एक बार फिर से पेट्रोल तथा डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग उठ रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक, जीएसटी के उच्च रेट पर भी पेट्रोल-डीजल को रखा जाए तो मौजूदा दाम कम होकर आधी रह सकते हैं।

वही ऐसा नहीं है कि सरकार इस बारे में चर्चा नहीं कर रही है। दरअसल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तथा पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इसके हिंट भी दिए हैं। टैक्स के मौजूदा इंतजाम पर ध्यान दे तो पेट्रोल एवं डीजल पर केंद्र सरकार उत्पाद शुल्क तथा राज्य सरकारें वैट वसूलती हैं। इन दोनों टैक्स तथा वैट का बोझ इतना अधिक है कि 35 रुपए का पेट्रोल तमाम प्रदेशों में 90 से 100 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच रहा है। पेट्रोल डीजल की बात करें तो इस पर केंद्र ने क्रमशः 32.98 रुपए लीटर तथा 31.83 रुपए लीटर का उत्पाद शुल्क लगाया है। 

साथ ही पेट्रोल डीजल प्रदेश की कमाई का भी प्रमुख स्रोत हैं। ऐसे में 1 जुलाई 2017 को जीएसटी निर्धारित करते समय सरकार ने पेट्रोल और डीजल को इसके दायरे से बाहर रखा था। इस वक़्त देश में 4 प्राथमिक जीएसटी रेट हैं - 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत तथा 28 प्रतिशत है। वहीं पेट्रोल तथा डीजल पर केंद्र एवं राज्य सरकारें उत्पाद शुल्क एवं वैट के नाम पर 100 प्रतिशत से अधिक टैक्स वसूल रही हैं। ऐसे में अगर सरकार पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत सम्मिलित करती है तो पुरे भारत में ईंधन की एक समान दाम होंगे। दाम घटकर आधे हो  सकते हैं।

एक बार फिर देश में बढ़ रहा संक्रमण, बीते 24 घंटों में 16 हजार से अधिक नए मामले


 एक बार फिर देश में बढ़ रहा संक्रमण, बीते 24 घंटों में 16 हजार से अधिक नए मामले

नई दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय  के अनुसार कल की तुलना में आज नए मामलों में 3 हजार से अधिक की बढ़त दर्ज की गई है। मंत्रालय के अनुसार, पिछले 24 घंटे में COVID-19 के 16 हजार 7 सौ 38  से अधिक मामले सामने आए और 138 लोगों की मौत हो गई। इसके साथ ही देश में कुल संक्रमितों का आंकड़ा 1,10,46,914 हो गया और  कुल मौतों की संख्या 1,56,705 हो गई है। मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों को देखें तो देश में अभी सक्रिय मामलों की संख्या  1,51,708 है और डिस्चार्ज हुए मामलों की कुल संख्या 1,07,38,501 है।  देश में 16 जनवरी को वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई।  भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) अब तक यहां के कुल 21,38,29,658 सैंपल टेस्ट किए जा चुके हैं, जिनमें से 7,93,383 सैंपल कल टेस्ट किए गए। मिजोरम में पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस का एक भी नया मामला सामने नहीं आया। कोरोना पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या अब 4,413 है जिसमें 23 सक्रिय मामले, 4,380 डिस्चार्ज हो चुके मामले और 10 मौतें शामिल हैं। मिज़ोरम सरकार के सूचना और जनसंपर्क विभाग COVID-19 दिल्ली में पिछले 24 घंटों में COVID-19 के 200 नए मामले सामने आए हैं। 115 लोग डिस्चार्ज हुए और 2 लोगों की मृत्यु हुई है। महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटों में 8,807 नए COVID​​-19 मामले, 2,772 डिस्चार्ज और 80 मौतें दर्ज़ की गई। आंध्र प्रदेश में पिछले 24 घंटों में 94 नए #COVID19 मामले और 66 रिकवरी  l

Friday, February 12, 2021

दक्षिण चीन सागर में अमेरिका को मिला फ्रांस का साथ, तैनात की परमाणु पनडुब्‍बी


दक्षिण चीन सागर में अमेरिका को मिला फ्रांस का साथ, तैनात की परमाणु पनडुब्‍बी, चिंता में चीन
दक्षिण चीन सागर में फ्रांस ने तैनात की परमाणु पनडुब्‍बी।

फ्रांस ने दक्षिण चीन सागर में बीजिंग के बढ़ते प्रभुत्‍व को चुनौती देने के लिए अपनी एक परमाणु पनडुब्‍बी तैनात की है। इससे दक्षिण चीन सागर में संघर्ष की आशंका तेज हो गई है। ऐसे में सवाल है कि अब दक्षिण चीन सागर में उसकी नई रणनीति क्‍या होगी।

हांगकांग/वाशिंगटन, एजेंसी। फ्रांस ने दक्षिण चीन सागर में बीजिंग के बढ़ते प्रभुत्‍व को चुनौती देने के लिए अपनी एक परमाणु पनडुब्‍बी को तैनात किया है। हाल ही में अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने कहा था कि दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ प्रतिस्‍पर्धा चरम पर पहुंच चुकी है। बाइडन ने इसके साथ यूरोप और एशिया में समान विचारधारा वाले सहयोगी देशों का आह्वान किया था। फ्रांस के इस कदम को बाइडन के इस आह्वान से जोड़कर देखा जा रहा है। फ्रांस के इस कदम से दक्षिण चीन सागर में संघर्ष की आशंका तेज हो गई है। बाइडन की इस अपील का असर यूरोपीय देशों पर पड़ा है। ऐसे में सवाल यह है कि अब दक्षिण चीन सागर में चीन की नई रणनीति क्‍या होगी।


बौखलाया पाकिस्तान: अमेरिका ने कश्मीर पर दिया ऐसा बयान, पागल हुए इमरान


अमेरिका ने कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवा की बहाली को लेकर कुछ ऐसा ट्वीट किया, जिससे पाकिस्तान को तेज मिर्ची लगी है। हालांकि इसके बाद भी अमेरिका ने अपने ट्वीट में बदलाव नहीं किया है। 

imran khan-joe biden
बौखलाया पाकिस्तान: अमेरिका ने कश्मीर पर दिया ऐसा बयान, पागल हुए इमरान 

नई दिल्ली: 5 अगस्त 2019 को भारत सरकार द्वारा आर्टिकल 370 हटाकर जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद से ही पाकिस्तान बौखला गया है। जिसके बाद से वो इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ले जाने की कोशिश में लगा रहता है। लेकिन इस मामले में उसे हमेशा निराशा ही हाथ लगती है। इस बीच अमेरिका ने कश्मीर को लेकर जो ट्वीट किया है, उससे पाकिस्तान को मिर्ची लग गई है।

क्या कहा अमेरिका ने अपने ट्वीट में

दरअसल, अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने एक ट्वीट करते हुए लिखा कि हम भारत के जम्मू-कश्मीर में 4G मोबाइल इंटरनेट सेवाओं के बहाल होने का स्वागत करते हैं। ये स्थानीय लोगों के लिए अहम कदम है और हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले दिनों में जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक और आर्थिक प्रगति के जरिए हालात और सामान्य होंगे।

pm imran khan

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने जाहिर की नाराजगी

इस ट्वीट में अमेरिका द्वारा जम्मू-कश्मीर को ‘विवादित क्षेत्र’ ना करार दिए जाने पर पाकिस्तान ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है। आपत्ति जाहिर करते हुए पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय प्रवक्ता जाहिद चौधरी ने कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय के ट्वीट में कश्मीर का जिस तरह जिक्र किया गया है, उससे पाकिस्तान को निराशा हुई है। कश्मीर को विवादित क्षेत्र ना बताना संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के खिलाफ है।

अमेरिका ने नहीं किया ट्वीट में बदलाव

जिसके बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने एक मीडिया ब्रीफिंग में इस बारे में सवाल किए जाने पर कहा कि कश्मीर को लेकर अमेरिका की नीति में कोई बदलाव नहीं आया है। हालांकि पाकिस्तान की आपत्ति के बाद भी अमेरिका की तरफ से ट्वीट में कोई बदलाव नहीं किया गया।

कुरैशी ने लगाई बाइडेन प्रशासन से गुहार

बता दें कि इससे पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री महमूद कुरैशी भी गुरुवार को जो बाइडेन प्रशासन से गुहार लगाते नजर आए। उन्होंने कहा कि बाइडेन प्रशासन कश्मीर की जमीनी हकीकत को नजरअंदाज ना करे। हमें बैठकर रास्ता निकालना होगा। कुरैशी ने यहां तक चेतावनी दी कि देर होने से पहले कश्मीर विवाद का समाधान कर लिया जाना चाहिए।


Thursday, February 11, 2021

कोई समस्या हो...बेझिझक करें मुझे कॉल, CM योगी ने जारी किया नंबर


if there is any problem feel free to contact the cmhelpline 1076 yogi

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश के किसी भी नागरिक को कोई समस्या हो तो वह बेझिझक मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 1076 पर सम्पर्क कर सकता है। योगी ने कहा कि मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर आने वाली शिकायतों के आधार पर फील्ड क्षेत्र में तैनात अधिकारियों के प्रदर्शन का आकलन होगा। उन्होंने कहा कि तहसीलदार हो या थानाध्यक्ष, अगर जनता इनके कार्यों से संतुष्ट नहीं है तो इनके खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित होगी।

एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि लोकभवन में उच्चस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने ‘सीएम हेल्पलाइन 1076' के अधिकाधिक प्रयोग के लिए जनता को जागरूक करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि थाना एवं तहसील स्तर पर जिस भी व्यक्ति की समस्या का निस्तारण नहीं हो सका है, तो वह व्यक्ति अपनी समस्या को लेकर मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 1076 पर कभी भी संपर्क कर सकता है। हेल्पलाइन पर मिली ऐसी शिकायतों का तत्परता से निराकरण कराया जाएगा।

भारत का पहला CNG ट्रैक्टर, अब खेती होगी और आसान, कल होगा लॉन्च



सीएनजी फिटेड ट्रैक्टर को देश का पहला ऐसा ट्रैक्टर बताया जा रहा है जो बिना पेट्रोल और डीजल की मदद से चलेगा। इस ट्रैक्टर को कल लॉन्च किया जाएगा। आपको बता दें कि इस ट्रैक्टर लॉन्चिंग के दौरान केंद्रीय सड़क, परिवहन राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी मौजूद रहेंगे।

CNG tractor
भारत का पहला CNG ट्रैक्टर, अब खेती होगी और आसान, कल होगा लॉन्च photos (social media)

नई दिल्ली : देश में दिन पर दिन पेट्रोल डीजल के दाम आसमान को छू रहे हैं। जिसकी वजह से किसानों का खेती करना काफी महंगा पड़ रहा है। वहीं इस समस्या से निजात पाने के लिए देश में पहला सीएनजी ट्रैक्टर लॉन्च किया जा रहा है जिससे किसानों को काफी राहत मिलने वाली है। इस ट्रैक्टर को खेती के लिए खेतों में उतारा जाएगा। इस सीएनजी फिटेड ट्रैक्टर को 12 फरवरी को शाम 5 बजे लॉन्च किया जाएगा।

कल होगी सीएनजी फिटेड ट्रैक्टर की लॉन्चिंग

सीएनजी फिटेड ट्रैक्टर को देश का पहला ऐसा ट्रैक्टर बताया जा रहा है जो बिना पेट्रोल और डीजल की मदद से चलेगा। इस ट्रैक्टर को कल लॉन्च किया जाएगा। आपको बता दें कि इस ट्रैक्टर लॉन्चिंग के दौरान केंद्रीय सड़क, परिवहन राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी मौजूद रहेंगे। इसके साथ इस मौके पर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और राज्यमंत्री पुरूषोत्तम रुपाला जैसे कई मंत्री मौजूद रहेंगे।

इससे किसानों की आय में होगी बढ़ोतरी

सीएनजी फिटेड ट्रैक्टर से किसानों को काफी फायदा मिलने की उम्मीद बताई जा रही है। कहा जा रहा है कि इस सीएनजी ट्रैक्टर के आने से किसानों की आय में काफी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। देश में पेट्रोल और डीजल के दाम काफी बढ़ते नजर आ रहे हैं। जिसके चलते कई परिवहन कंपनियों ने सीएनजी कार, स्कूटर और बस के बाद अब इस सीएनजी फिटेड ट्रैक्टर को भी सड़क पर उतार दिया है।

tractor

सीएनजी गैस के फायदे

पेट्रोल और डीजल के दामों की तुलना में सीएनजी गैस काफी सस्ती मानी जाती है और इसके प्रयोग से विस्फोट होने का खतरा भी काफी कम होता है। यह माना जाता है कि पेट्रोल और डीजल की एवज में सीएनजी ट्रैक्टरों को अधिक पावर मिलती है। किसान द्वारा इन ट्रैक्टरों को इस्तेमाल करने पर 50 फीसदी कम लागत लगती है। इससे प्रदूषण को रोकने में भी मदद मिलेगी।

एक ऐसा गाँव जहाँ रहते हैं सिर्फ बलात्कारी, गाँव में नहीं रखता कोई भी कदम


गाँव एक ऐसा शब्द जिसको सुनकर बहुत अच्छा ख्याल आता है। जैसे शांत वातावरण, चारो ओर हरियाली, गाँवों के लोगों का आपसी सहज प्यार से रहना। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गाँव के बारे में बताने जा रहे हैं, जहाँ दूर-दूर तक सहजता, सरलता का कोई नाता नहीं, एक ऐसा गाँव जहाँ कोई कदम भी नहीं रखना चाहता। एक ऐसा गाँव जिसके बार में कोई भी सुनता है तो सन्न रह जाता है। ये गाँव अमेरिका के फ्लोरिडा में है, और इस गाँव में सिर्फ बलात्कारी ही रहते हैं।

जी हाँ इस गाँव में सिर्फ बलात्कारी रहते हैं। चलिए आपको बताते हैं कि आखिर इस गाँव का हर शख्स आखिर बलात्कारी क्यों है।

गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के फ्लोरिडा से 2 मील दूर ये गाँव है, जहाँ सिर्फ बलात्कारी रहते हैं। गाँव का नाम मिरेकल है। इस गाँव में 200 लोग रहते हैं और ये सभी रेपिस्ट हैं। आपको ये सब सुनकर थोड़ा अजीब तो लग रहा होगा कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता हैं। लेकिन इस गाँव का ये ही कड़वा सच है।

दरअसल फ्लोरिडा के इस गाँव को 1960 में बसाया गया था। इस गाँव में उन अपराधियों को सजा के तौर पर रखा जाता है, जिसने रेप किया होता है। इस जगह सिर्फ वो ही अपराधी रहते हैं, जिसने नाबालिग बच्चों के साथ, गर्लफ्रेंड के साथ या किसी और के साथ दुष्कर्म किया हो। 2009 में यहाँ के पादरी ने इसे यौन अपराधियों के गाँव के रूप में तब्दील कर दिया। पादरी डिक व्रीथो के प्रयास से ही वीरान पड़े इस गाँव में यौन अपराध की सजा काटने वाले अपराधियों को रहने की जगह मिली।

आपको बता दें फ्लोरिडा में दुष्कर्म करने वालों के लिए बहुत कड़े नियम हैं। ऐसे लोगों को समाज में रहने की इजाज़त नहीं मिलती है। इन्हें सबसे दूर रहना होता है। सरकार ने इस गाँव में सिर्फ ऐसे दुष्कर्मियों को रहने का मौका दिया है, जो हिंसक यौन अपराधी नहीं हैं और सुधरना चाहते हैं।

इस गांव में रहने वाला ये समुदाय आत्मनिर्भर है। यहां गुस्से को काबू करने से लेकर बाइबिल पढ़ने तक तमाम तरह की क्लासेस चलती हैं। इसके अलावा यहां रहने वाले बहुत से अपराधी पृष्ठभूमि के लोग मनोवैज्ञानिक उपचार के कार्यक्रमों में भी शामिल होते हैं और नियमित रूप से चर्च जाते हैं। वहीं, कुछ स्थानीय स्तर पर ही छोटी-मोटी नौकरियां भी करते हैं। यहां रहने वाले लोग अपना पालन-पोषण खुद ही करते हैं।


​राफेल को टक्कर देगा स्वदेशी एलसीए तेजस एमके-2


नई दिल्ली। तेजस मार्क-1ए फाइटर जेट के सौदे पर हस्ताक्षर होने के बाद अब हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने इसके उन्नत संस्करण मार्क-2 पर अपना फोकस कर रखा है। अगले साल तक स्वदेशी बहुद्देशीय लड़ाकू विमान तेजस मार्क-2 का प्रोटोटाइप आने की संभावना है। एचएएल ने एयरो इंडिया में भी तेजस मार्क-2 का माडल और डिजाइन पेश किया है और इस युद्धक विमान के तेज रफ्तार संबंधी ट्रायल साल 2023 में शुरू होंगे।

एचएएल ने ही स्वदेशी बहुद्देशीय लड़ाकू विमान तेजस के बाद इसके एमके-1 और एमके-1ए संस्करण तैयार किये हैं, इसलिए तेजस एमके-2 के लिए कोई नई तकनीक विकसित नहीं की जा रही है। तेजस मार्क-2 पहले के सभी संस्करणों का आधुनिक रूप होगा, जिसमें ज्यादा शक्तिशाली इंजन, ज्यादा फ्यूल क्षमता, नेक्स्ट जेनरेशन की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली और कई खास एविएशन सिस्टम होंगे। एयरो इंडिया में 83 तेजस मार्क-1ए फाइटर जेट के सौदे पर हस्ताक्षर होने के बाद एचएएल ने तेजस एमके-2 पर अपना ध्यान केन्द्रित कर दिया है। इसके पहले प्रोटोटाइप को जुलाई, 2022 तक उतारे जाने की योजना है। इसके बाद इस युद्धक विमान के तेज रफ्तार संबंधी ट्रायल 2023 में शुरू होंगे। इसका उत्पादन 2025 के आसपास तक शुरू हो जाने की संभावना है। 

एचएएल के चेयरमैन आर माधवन का कहना है कि तेजस का नया संस्करण तेजस मार्क-1 से ज्यादा शक्तिशाली होगा। 4.5 जनरेशन का मार्क-2 फ्रांस के राफेल को टक्कर देने लायक होगा। यह ज्यादा हथियार और गोला-बारूद ले जाने में सक्षम होने के साथ ही मजबूत इंजन क्षमता और आधुनिक युद्ध प्रणालियों से लैस होगा। एचएएल प्रमुख के मुताबिक एलसीए मार्क-II में हवा से सतह पर मारक भूमिकाओं के लिए उत्कृष्ट हथियारों की एक विस्तृत श्रृंखला होगी, जिसमें सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस-एनजी, रुद्रम I, II, III, स्वदेशी एंटी-एयरफील्ड हथियार, निर्भय ए, स्कल्प मिसाइल, पॉप आई और इजराइली स्पाइस-2000 बमों को भी एकीकृत किया जाएगा।

वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने पिछले साल मई में कहा था कि वायुसेना में तेजस लड़ाकू विमानों के विभिन्न संस्करणों को मिलाकर लगभग छह स्क्वाड्रन होंगी। भारतीय वायुसेना की एक स्क्वाड्रन 16 युद्धक विमानों और पायलट ट्रेनिंग के दो विमानों से मिलकर बनती है। मौजूदा समय में भारतीय वायुसेना के पास लड़ाकू विमानों की 30 स्क्वाड्रन हैं जबकि 'टू फ्रंट वार' की तैयारियों के लिहाज से कम से कम 38 स्क्वाड्रन होनी चाहिए। इसलिए वायुसेना ने 2030 तक 8 और स्क्वाड्रन बढ़ाने का फैसला लिया है। नई बनने वाली 8 स्क्वाड्रन का 75 प्रतिशत हिस्सा स्वदेशी एलसीए से पूरा किया जाना है।

वैमानिकी विकास एजेंसी के निदेशक डॉ. गिरीश एस देवधर का कहना है कि तेजस मार्क-2 विमान 4.5 पीढ़ी का होगा। 17.5 टन पर यह मार्क-1 की तुलना में तीन टन अधिक भारी है। यह 900 किलोग्राम अधिक ईंधन की खपत करता है, जिससे यह ज्यादा उड़ान भरने में सक्षम है। यह साढ़े छह टन हथियार और भंडार ले जा सकता है, जो मार्क-1 की क्षमता से लगभग दोगुना है। देवधर का कहना है कि यह राफेल की श्रेणी का विमान है। एचएएल ने एयरो इंडिया-2021 में तेजस मार्क-2 का माडल और डिजाइन पेश किया है लेकिन इसके तेज रफ्तार संबंधी ट्रायल एयरो इंडिया-2023 में देखने को मिलेंगे। तेजस एमके-1 और एमके-1ए के परीक्षण उड़ानों से मिले सबक मार्क-2 के निर्माण में मदद करेंगे।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर चीन ने दिया यह समाधान…


बीजिंग: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने की भारत की कोशिशों में अड़ंगा डालते आ रहे चीन (China) ने बुधवार को फिर से अपना पुराना राग अलापा और वैश्विक संस्था की शक्तिशाली परिषद को विस्तारित करने के लिए सर्व-स्वीकार्य ‘पैकेज समाधान’ (Package Solution) तलाशने की अपील की. संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष संस्था (सुरक्षा परिषद) से जुड़े मुद्दों पर भारत और चीन के व्यापक चर्चा करने के एक दिन बाद एक सवाल के जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबीन ने यह टिप्पणी की. गौरतलब है कि चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का एक स्थायी सदस्य देश है, जबकि एक जनवरी से दो साल के कार्यकाल के लिए भारत इसका अस्थायी सदस्य है.

अगस्त में भारत परिषद की अध्यक्षता संभालने वाला है. बैठक के नतीजों के बारे में और यूएनएससी की स्थायीय सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी पर कोई चर्चा होने के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मंगलवार की डिजिटल बैठक के दौरान, दोनों पक्षों ने सुरक्षा परिषद से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श किया. उन्होंने बताया कि दोनों देशों ने बहुपक्षवाद, शांति समर्थक अभियान और आतंकवाद की रोकथाम पर विचारों का आदान-प्रदान किया.

उन्होंने कहा, ‘‘यूएनएससी की स्थायी सदस्यता के लिए जहां तक भारत की उम्मीदवारी की बात है, मैं इस मुद्दे पर चीन के रुख को दोहरा सकता हूं. चीन यूएनएससी में इस तरीके से विस्तार चाहता है कि परिषद के प्राधिकार एवं दक्षता में वृद्धि हो, विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व बढ़े और आवाज उठाने के लिए यह महत्वपूर्ण मंच मिले, ताकि छोटे और मध्यम आकार के देशों को भी परिषद के नीति निर्माण के फैसले में भागीदारी के लिए कहीं अधिक अवसर मिले.”

उन्होंने कहा, ‘‘इसे व्यापक संभावित लोकतांत्रिक परामर्श के जरिए किया जाना चाहिए और एक ‘पैकेज समाधान’ तलाशना चाहिए, जो सभी पक्षों के हितों एवं चिंताओं पर गौर कर सके.” सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य देशों में चीन के अलावा, अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस हैं. इन पांचों देशों के पास यूएनएससी में ‘वीटो’ शक्ति है. चीन को छोड़ कर यूएनएससी के शेष चार सदस्य देश भारत की उम्मीदवारी का समर्थन कर रहे हैं. चीन का मित्र देश पाकिस्तान यूएनएससी में भारत के स्थायी सदस्य बनने का विरोध करता रहा है।

भारत ने चीन को पीछे धकेला, अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति होगी कायम-राजनाथ सिंह



चीन लद्दाख के पैंगोंग लेक में इलाके में पीछे हटने को तैयार हो गया है और ये भारत की एक बड़ी कूटनीति विजय है. ये बात भारत चीन सीमा विवाद पर जानकारी देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राजयसभा में कही. रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत और चीन के बीच समझौता हो गया है. पैंगोंग लेक इलाके से दोनों देश अपनी अपनी सेनाओं को पीछे हटाएंगे. राजनाथ ने संसद में दिए बयान में साफ किया कि हम अपनी एक इंच जमीन किसी को भी नहीं लेने देंगे.

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में भारत-चीन विवाद को लेकर बयान देते हुए सदन को बताया कि भारत-चीन के बीच पैंगोंग लेक के पास जो विवाद था उस पर समझौता हो गया है और दोनों ही देश की सेनाएं अपने सैनिकों को वहां पीछे हटाएंगी. भारत-चीन दोनों ने तय किया है कि अप्रैल 2020 से पहले ही स्थिति को बहाल किया जाएगा, जो निर्माण अभी तक किया गया उसे हटा दिया जाएगा.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने चीन से साफ कर दिया है कि LAC में कोई बदलाव नहीं होना चाहिए और दोनों देशों की सेनाएं अपनी-अपनी पहली की जगह पर वापस पहुंच जाएं. इसके साथ ही राजनाथ सिंह ने कहा कि हम अपनी एक इंच जमीन भी किसी को नहीं लेने देंगे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस चीन के साथ हुए इस समझौते में हमने कुछ भी नहीं खोया है. पेंगोंग के नॉर्थ और साउथ बैंक को लेकर दोनों देशों में समझौता हुआ है और दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटेंगी.

राजनाथ सिंह ने राज्यसभा को बताया कि भारत ने चीन से हमेशा कहा है कि द्विपक्षीय संबंध दोनों तरफ से कोशिश करने पर ही विकसित हो सकते हैं, साथ ही सीमा विवाद भी बातचीत से ही सुलझाया जा सकता है. पिछले एक साल के दौरान सीमा पर चीन ने जो कदम उठाए थे, उससे भारत-चीन के संबंधों पर भी असर पड़ा है. राजनाथ ने कहा कि सामरिक दृष्टि से महत्‍वपूर्ण कई क्षेत्रों में हमारी सेनाएं मौजूद हैं. पूर्वी लद्दाख में चीन के ऊपर भारत ने बढ़त बनाई हुई है.

राजनाथ सिंह ने कहा कि मिलिट्री और डिप्‍लोमेटिक लेवल पर हमारी बातचीत हुई है. हमने तीन सिद्धांतों पर जोर दिया है इसके तहत पहला LAC को माना जाए और उसका आदर किया जाये दूसरा किसी स्थिति को बदलने का एकतरफा प्रयास न किया जाए और तीसरा सभी समझौतों का दोनों पक्षों द्वारा पालन किया जाए.

राजनाथ सिंह ने कहा कि सैनिक वापसी की प्रक्रिया के बाद बाकी मुद्दों के समाधान के लिए बातचीत चल रही है. समझौते के 48 घंटे के भीतर दोनों देश के कमांडर मिलेंगे. राजनाथ सिंह ने कहा कि जिन जवानों ने इस दौरान अपनी जान इस गंवाई है उन्हें देश हमेशा सलाम करेगा. साथ ही पूरा सदन देश की संप्रभुता और अखंडता के मुद्दे पर एक साथ खड़ा है।

किसानों ने पोस्टर पर लिखवाया BJP No Entry, भाजपा नेताओं की उड़ी नींद


किसानों ने पोस्टर पर लिखवाया BJP No Entry, भाजपा नेताओं की उड़ी नींद   

काशीपुर: उत्तराखंड के तराई इलाकों में अब किसान आंदोलन ने नई शक्ल अख्तियार करनी शुरू कर दी है। यहां गांव में किसान विरोधी कानून का समर्थन करने वाले नेताओं का गांव में घुसने पर कानून का विरोध करने वाले किसानों ने बाकायदा बैनर और पोस्टर लगा कर कड़ा विरोध दर्ज करा दिया है।

फ्लैक्सो पर साफ-साफ लिखवा दिया है कि किसान विरोधी नेताओं का गांव में आना सख्त मना है।  उधम सिंह नगर के कुछ गांव में ऐसे पोस्टर और बैनर दिखाई दे रहे है, जिससे भाजपा नेताओं की नींद उड़ी हुई है। वो समझ नहीं पा रहे है कि कृषि कानून बिल पर किसानों का समर्थन करे या सरकार का।

काशीपुर क्षेत्र के बघेला वाला गांव ओर बाजपुर तहसील के दो गांव शिवपुरी ओर बांसखेड़ा में किसानों ने किसान विरोधी कानूनों का समर्थन करने वाले नेताओं की गांव में एंट्री को पूरी तरह बैन कर दिया है। 5 जनवरी को ही ग्राम बांसखेड़ा के विजय नगलियां में उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे को किसानों ने जबरदस्त विरोध किया था।

ग्रामीणों का आरोप था कि 'शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे लगातार किसान विरोधी कानूनों का समर्थन कर किसानों का विरोध कर रहे है। जहां पर किसान विरोधी भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं को चेतावनी देते हुए पोस्टर बैनर और होर्डिंग ग्रामीणों ने लगा दिए है।'

इसी के साथ ग्रामीणों का साफ तौर पर कहना है कि 'हमारे बघेलाबाला गांव में भाजपा नेता या कार्यकर्ता को गांव में घुसने नहीं दिया जायेगा। अगर पार्टी का कोई नुमाइंदा गांव में प्रवेश करता है, तो उसकी जिम्मेदारी स्वयं की होगी कृषि कानून का विरोध करने वाले नेताओ ने चेतावनी दी है।'

उन्होंने कहा कि 'यदि केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती है तो आने वाले 2022 के चुनाव में भाजपा सरकार को इसका खामियाज़ा भुगतना पड़ेगा।' भाजपा प्रदेश मंत्री का कहना है कि 'किसानों को कृषि कानूनों का विरोध करने के लिये भड़काया जा रहा है। कुछ राजनीतिक पार्टिया किसानों में भ्रम की स्थिति पैदा कर भाजपा नेताओ का कई गांवो में प्रवेश बंद करा दिया है, जो अलोकतांत्रिक है। किसानों की आवाज़ सरकार सुन रही है, जल्द ही इसका हल निकल जायेगा।'

बहरहाल जो भी हो, कृषि बाहुल्य तराई के किसानों में कृषि कानूनों को लेकर जबरदस्त आक्रोश है, धीरे धीरे अगर यह विरोध बड़ा हुआ तो भाजपा को आगामी विधानसभा चुनावों में मुश्किलें पैदा कर सकता है।