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Monday, October 31, 2022

आर-पार की लड़ाईं के मूड में रूस और यूक्रेन: प्रताप मिश्रा


पिछले आठ महीने से चल रहा रूस-यूक्रेन युद्ध पिछले दो दिनों से इतना भयंकर हो गया है कि लगता है दोनों आर-पार की मुद्रा में आ गए हैं। रूस यूक्रेन को सबक सिखाने के लिए युद्धक विमानों, मिसाइलों और टैंकों से प्राचंड हमले कर रहा है तो यूक्रेन अमेरिका की जासूसी सैटेलाइट की मदद से रूसी सैनिकों के ठिकानों पर बमबारी करके न सिर्प उन्हें मार ही रहा है साथ ही समुद्र में रूसी युद्ध पोतों को भी निशाना बना रहा है। रूस जल्दी से जल्दी कीव पर कब्जे की रणनीति बना रहा है तो यूक्रेन रूसी सैनिकों को इतनी क्षति पहुंचा रहा है कि रूस की चिन्ता इस बात को लेकर बढ़ गईं है कि जमीन पर लड़ने के लिए सैनिक कहां से लाए!

दरअसल यूक्रेन रूस के थल सैनिकों को मारकर ही कीव को बचा पाया है। यूक्रेन के सैनिकों ने रूस के वरिष्ठ जनरलों तक को मार डाला है। जबकि असंख्य सैनिकों को भी निशाना बनाया है। रूस ने तीन लाख सैनिकों को तीन महीने के अंदर ही भता किया, उन्हें ट्रेनिंग दिया और लड़ने के लिए यूक्रेन रवाना भी कर दिया। इसी से यह बात आसानी से समझी जा सकती है कि यह सैनिक यूक्रेन के प्राशिक्षित सैनिकों से लड़ने में कितने सक्षम होंगे!

असल में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की कोशिश थी कि रूसी सैनिकों के बजाय चेचन्या के कादिरफ की क्रूर सेना यक्रेन की सेना को तबाह कर देगी किन्तु चेचन लड़ाकों को यूक्रेन की टेरीटोरियल सेना ही ऐसा सबक सिखा रही है कि वह अपनी जान बचाएं या फिर रूस के सैनिकों की!

सच तो यह है कि रूस को लग रहा है कि युद्ध इसलिए लंबा खिच रहा है क्योंकि यूक्रेन के सैनिकों की मारक क्षमता अमेरिका व नाटो देशों की रणनीतिक एवं लाजिस्टिक सहायता के कारण न सिर्प तीव्र प्रातिरोधी हो गईं है बल्कि प्राचंड हमलावर भी हो गईं है। इसीलिए बीच-बीच में रूस परमाणु हमले की धमकी देता है किन्तु नाटो देशों के सुरक्षा विशेषज्ञ इस वास्तविकता को महसूस करते हैं कि पुतिन को इस बात का अनुमान जरूर होगा कि परमाणु युद्ध की नौबत आते ही नाटो देश एकजुट होकर मोर्चा संभाल लेंगे और युद्ध भी समाप्त हो जाएगा किन्तु रूस पूरी तरह नेस्तनाबूद हो जाएगा।

पुतिन ने नाटो की इस मौन चेतावनी की भयानक स्थिति की कल्पना करके ही अब कहना शुरू कर दिए हैं कि वह परमाणु युद्ध के पक्ष में नहीं हैं।

पुतिन को यह बात अच्छी तरह समझ में आ गईं है कि नाटो अपनी रणनीति के मुताबिक रूस के लिए युद्ध बहुत महंगा बना देना चाहता है, इतना महंगा कि रूस को इसकी कीमत चुकाने में दशकों का समय लगे।

रूस युद्धक क्षमता में पहले ही महाशक्ति था किन्तु आर्थिक क्षेत्र में वह कमजोर रहा है। किन्तु आर्थिक प्रातिबंधों के कारण रूस की आर्थिक स्थिति और भी कमजोर हो गईं है जबकि युद्धक क्षमता का भी ह्रास ही हो रहा है। ऊर्जा विकल्प खोजने में लगे पािमी यूरोपीय देशों को सफलता मिलते ही नाटो के तेवर रूस के खिलाफ और कड़े होने वाले हैं।

अब सवाल है कि जब यूक्रेन को नाटो हारने नहीं देगा और रूस परमाणु हमला करके आत्मघाती पैसला कर नहीं सकता, तो युद्ध समाप्त वैसे होगा? इसका जवाब भी पुतिन को ही देना होगा जो यूक्रेन की धरती पर युद्ध लड़ने के बावजूद अपने सैनिक, टैंक और जहाज खो रहे हैं।

पुतिन के बारूदी विचारों के खिलाफ रूसी जनता में भी आक्रोश है। देखना यह है कि युद्ध की शुरुआत करने वाले पुतिन युद्ध को खत्म करने का तरीका खोजते हैं या फिर नाटो के देश ही यह काम करेंगे। 

नक्‍शे से मिट जाएगा अमेरिका, रूसी कर्नल के दावे से मची खलबली


पिछले 8 माह से रूस और युक्रेन के बीच सैन्य संघर्ष जारी है। इस सैन्य संघर्ष पर पूरी दिनया नजरे गड़ाए बैठी है। इस संघर्ष को लेकर रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने ऐलान किया है कि वह परमाणु बम का इस्‍तेमाल नहीं करेंगे लेकिन इसके बाद भी लोगों को उनकी बातों पर भरोसा नहीं हो रहा है।

रूस के एक शीर्ष सैन्य विशेषज्ञ ने दावा किया है कि पुतिन ने परमाणु अभ्यास के दौरान ब्रिटेन और अमेरिका को डुबोने का अभ्यास किया है। इस जोरदार न्यूक्लियर टेस्ट में कई मिशाइलें दागी गईं और पश्चिमी देशों पर हमले का अभ्यास किया गया।

रूस के नैशनल डिफेंस मैगजीन के एडिटर कर्नल इगोर कोरोटचेंको ने कहा कि इस दौरान यह अभ्‍यास किया गया कि अगर मास्‍को पर परमाणु हमला होता है तो ब्रिटेन और अमेरिका को कैसे तबाह कर दिया जाएगा। उन्‍होंने कहा कि रूसी हमले में ब्रिटेन अटलांटिक समुद्र में डूब जाएगा। वहीं अमेरिका में रूसी हमले के बाद एक नौसेनिक जलडमरूमध्‍य बनेगा जिसका नाम कामरेड स्‍टालिन के नाम पर रखा जाएगा।

‘द सन’ वेबसाइट के अनुसार, उन्होंने आगे कहा, “मैं जज नहीं कर रहा हूं, लेकिन यह स्पष्ट है कि यह (रूसी अभ्यास) एक जवाबी कार्रवाई के लिए किया जा रहा था।” उन्होंने आगे कहा, “इस संबंध में यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हमने दिखाया कि हमारे मुख्य दुश्मन कौन हैं और कोई समझौता नहीं किया जा रहा है। संकेत (अमेरिका और ब्रिटेन को) भेज दिए गए हैं।”टीवी एंकर ओल्गा स्केबेयेवा ने कोरोटचेंको से पूछा, ”तो हमने आज अमेरिका और ब्रिटेन को नष्ट करने का अभ्यास किया है, है न?” तो इस पर उन्होंने जवाब दिया, “बिल्कुल सही और … यह सब हुआ।”

Sunday, October 30, 2022

जिनपिंग संभल जाओ, यह मोदी का भारत है: प्रताप मिश्रा

हाल ही में बांग्लादेश में चीन के शीर्ष राजनयिक ली जिमिंग ने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से भारत के बहुत बड़े प्रशंसक हैं। उन्हें लगता है कि भारत और चीन आर्थिक और भू-राजनीतिक मुद्दों को हल करने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं। चीनी राजदूत ने ढाका में कहा कि चीन की भारत के साथ कोई रणनीतिक प्रतिद्वंद्विता नहीं है। वह बंगाल की खाड़ी को भारी हथियारों से लैस नहीं देखना चाहता है।
वाह भई, अप्रतिम विचार, क्या बात है, पर यह यूं ही नहीं हुआ, मजबूरी थी बंधुवर! जिनके राष्ट्राध्यक्ष को कोई टके का भाव न दे, तो ऐसे ही मनाना पड़ता है न। जी20 या संयुक्त राष्ट्र तो छोडि़ए, जिनपिंग महोदय को भारत ने स्ष्टह्र समिट तक में पानी भी नहीं पूछा। अधिक रोचक बात तो यह है कि यह टिप्पणी तब आई जब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत में चीनी राजदूत सुन वेइदॉन्ग के समक्ष भारत-चीन संबंधों पर कड़ी टिप्पणी की।
अपनी विदाई भाषण में सुन वेइदॉन्ग ने कहा कि भारत और चीन के बीच मतभेद होना स्वाभाविक है। उन्हें सामान्य आधार की तलाश करनी चाहिए और अपने संबंधों को असहमति से परिभाषित नहीं होने देना चाहिए। चीन और भारत के एक साथ विकसित होने के लिए दुनिया में पर्याप्त जगह है। उन्होंने कहा, “दोनों पक्षों को मतभेदों को खत्म करने और इसका समाधान ढूंढने का प्रयास करना चाहिए। भारत-चीन को बातचीत और परामर्श के माध्यम से एक उचित समाधान की तलाश करनी चाहिए। भारत-चीन संबंधों का सामान्य होना दोनों देशों के हित में है।”
अब यह बात उन्होंने यूं ही नहीं कही। चीन के दोहरे मापदंडों से कोई भी अनभिज्ञ नहीं है लेकिन इसके वर्तमान हरकतों को देखकर एक बार पाकिस्तान भी अपने आप को कहेगा – ‘भाईजान, अपने भी कुछ स्टैंडर्ड होते हैं। चाहे जितना भी निकृष्ट हो पाकिस्तान, उसका एक स्पष्ट ध्येय है- आतंकवाद, जिसके लिए वह सब कुछ भी करने को तैयार रहता है। परंतु चीन का क्या ध्येय है, क्या उद्देश्य है, इसे समझना तो अनंत को समझने से भी अधिक कठिन है। उदाहरण के लिए जो चीन भारत से शांतिवार्ता की बात करता है, वही पुन: सीमा पर घुसपैठ की तैयारियां प्रारंभ कर रहा है। विश्वास नहीं होता तो आपको बता दें कि पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग लेक के नजदीक चीनी सेना शेल्टर बनाने में जुटी है और यह वही इलाका है जहां विवाद हुआ था और इसके बाद समझौते के तहत दोनों देशों की सेनाएं पीछे की ओर जाने को राजी हुई थीं।हालांकि, हमने पहले ही बताया था कि दोनो देशों द्वारा उठाया गया यह कदम ज़्यादा दिनों तक शांति स्थापित नहीं करेगा और इस शांति को भंग करने का कारण भी स्वयं चीन ही होगा क्योंकि वस्तुत: खुद को कॉम्युनिस्ट कहने वाले चीन के मूल स्वभाव में ही विस्तारवाद है। और अब जब चीनी सैनिक पैंगोंग लेकर के नजदीक शेल्टर बना रहे हैं तो हमारी यह बातें सही साबित होती दिख रही हैं।
चीन अपने छल, कपट एवं दोगलेपन के लिए मशहूर है। दुनिया पर राज करने की महत्वाकांक्षा रखने वाले चीन की नजऱ लद्दाख पर बहुत पहले से ही है। मूलत: भारत के आसपास के क्षेत्र को चीन वन पॉम एंड फाइव फि़ंगर के अंतर्गत देखता है। वस्तुत: तिब्बत की पांच उंगलियां एक चीनी विदेश नीति है, जिसका श्रेय माओत्से तुंग को दिया जाता है, जो तिब्बत को चीन की दाहिनी हथेली मानता है, जिसकी परिधि पर पांच उंगलियां हैं: लद्दाख, नेपाल, सिक्किम, भूटान, और नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी!
अब इस बात को सत्य में परिवर्तित करने के लिए चीनी प्रशासन जी जान से जुट गया है। एक सप्ताह पहले ही चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग तीसरी बार देश के सर्वोच्च नेता चुने गए हैं. उन्होंने सीपीसी बैठक के दौरान गलवान वैली हिंसा का वीडियो चलवाया और इसके बाद यह बताने की कोशिश की गई कि चीनी सेना से भारतीय सेना का बड़ा नुकसान किया, जबकि हकीकत से ये कोसों दूर है। चीन, भारत को अपना सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी मान रहा है इसीलिए वो बार-बार ऐसी हरकतें कर रहा है जिससे भारत किसी तरह की गलती करे और फिर चीन इसका फायदा उठा सके।

चीन वापस से विवादित इलाके में अपने टेंट बना रहा है। चीनी सैनिक जब एलएसी और पैंगोंग लेक से दूर हटे तो रुटोग काउंटी में मौजूद अपने मिलिट्री गैरिसन यानी छावनी में गए। अब चीनी सेना इसी छावनी में सैनिकों के लिए लॉजिस्टिक सपोर्ट बेस बढ़ा रही है। खबरों के अनुसार, चीनी सेना ने रुटोग काउंटी छावनी में 20 दिन के भीतर ही 85 से ज्यादा नए शेल्टर तैयार कर लिए हैं। यह चीनी सेना के लिए सबसे बड़े लॉजिस्टिक सपोर्ट बेस के तौर पर देखा जा रहा है, यहां पर 250 से ज्यादा अस्थाई शेल्टर भी हैं। ऐसे में यदि चीन ये सोच रहा है कि वह भारत की ओर मित्रता का हाथ बढ़ाकर पीछे से पूर्वी लद्दाख में घुसपैठ भी कर लेगा और कोई कुछ नहीं कर पाएगा, तो उससे बड़ा मूर्ख इस संसार में कोई नहीं। कम से कम अपने पालतू पाकिस्तान के अनुभव से ही कुछ सीख लेता, पर छोडि़ए, जो गलतियों से सीखे, वो चीन कहां।

Saturday, October 29, 2022

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में तेज गिरावट, करीब $4 अरब लुढ़कर 2 साल से भी अधिक के न्यूनतम स्तर पर पहुंचा


भारत का फॉरेक्स का रिजर्व गिरकर 524 अरब डॉलर पर पहुंचा.

भारत का फॉरेक्स का रिजर्व गिरकर 524 अरब डॉलर पर पहुंचा.

नई दिल्ली. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (फॉरेक्स रिजर्व) 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 3.847 अरब डॉलर घटकर 524.52 अरब डॉलर रह गया. विदेशी मुद्रा भंडार इस गिरावट के साथ जुलाई 2020 के बाद अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है. इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 4.50 अरब डॉलर घटकर 528.37 अरब डॉलर रह गया था. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली.

पिछले कई महीनों से विदेशी मुद्रा भंडार में कमी होती देखी जा रही है. जबकि एक साल पहले अक्टूबर 2021 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 624 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था. देश के फॉरेक्स रिजर्व में गिरावट आने का मुख्य कारण यह है कि रुपये की गिरावट को रोकने के लिए केन्द्रीय बैंक मुद्रा भंडार से डॉलर बेच रहा है.

अन्य एसेट्स में भी गिरावट
रिजर्व बैंक द्वारा शुक्रवार को जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में मुद्राभंडार का महत्वपूर्ण घटक मानी जाने वाली, फॉरेन करेंसी एसेट्स (एफसीए) 3.593 अरब डॉलर घटकर 465.075 अरब डॉलर रह गयीं. आंकड़ों के अनुसार, देश का गोल्ड रिजर्व (मूल्य में) 24.7 करोड़ डॉलर घटकर 37,206 अरब डॉलर रह गया.

रुपये में गिरावट को रोकने का प्रयास
इसी हफ्ते भारतीय ने अपना अब तक का सबसे निचला स्तर देखा और डॉलर के मुकाबले ये 83.29 के स्तर पर पहुंच गया. आरबीआई को इस गिरावट को रोकने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा जिसके बाद 27 अक्टूबर को इसमें थोड़ी बढ़त देखने को मिली. हालांकि, शुक्रवार को एक बार फिर रुपया लुढ़का और पिछले बंद के मुकाबले 14 पैसे गिरकर 82.47 के स्तर पर बंद हुआ. 27 अक्टूबर को रुपया 48 पैसे उछलकर 82.33 के स्तर पर बंद हुआ था.

अन्य अर्थव्यवस्थाओं की स्थिति भी खराब
वैश्विक परिस्थितियों के कारण लगभग हर देश के केंद्रीय ने ब्याज दरों में वृद्धि की है ताकि महंगाई रोकी जा सके. आयात महंगा होने के कारण विभिन्न देशों का फॉरेक्स घट रहा है. सर्वाधिक नुकसान चीन को हुआ है. इस सा 1 अप्रैल से लेकर 30 सितंबर तक चीन का फॉरेक्स रिजर्व 159 अरब डॉलर घटा है. इसके बाद भारत और रूस का स्थान है. इस समयावधि में भारत का फॉरेक्स रिजर्व 85 अरब डॉलर और रूस का विदेशी मुद्रा भंडार 64 अरब डॉलर घटा है. आईएमएफ ने कहा है कि वैश्विक मुद्रा भंडारों में कुल 884 अरब डॉलर की गिरावट आई है. बकौल आईएमएफ, पहले सात महीनों में उभरती अर्थव्यवस्थाओं का विदेशी मुद्रा भंडार 6 फीसदी से अधिक गिरा है.

100 से ज्यादा हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन कराया, सैकड़ों पर दबाव, नौ पर एफआईआर


मेरठ। ब्रह्मपुरी की मंगतपुरम बस्ती में 100 से ज्यादा लोगों का धर्म परिवर्तन करा दिया गया है। सैकड़ों अन्य लोगों पर भी धर्म परिवर्तन करने का दबाव बनाया जा रहा है। पीड़ितों ने एसएसपी कार्यालय पर भाजपा नेताओं के साथ विरोध प्रदर्शन किया। आरोप लगाया कि कोरोना काल में आर्थिक मदद की गई और इसके बदले धर्म बदलवाया गया। एसएसपी के आदेश पर 9 लोगों को नामजद करते हुए ब्रह्मपुरी थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है।

मंगतपुरम के दर्जनों लोग भाजपा नेता दीपक शर्मा शुक्रवार दोपहर एसएसपी कार्यालय पहुंचे। एसएसपी रोहित सिंह सजवाण को बताया कि दिल्ली रोड पर होटल मुकुट महल के पीछे मंगतपुरम बस्ती में रहने वाले 100 से ज्यादा लोगों का दिल्ली के कुछ लोगों ने धर्म परिवर्तन करा दिया है। यह काम पिछले तीन साल से चल रहा है।

कोरोना काल में बस्ती के लोगों को राशन और पैसा देकर धर्म परिवर्तन के लिए तैयार किया गया था। अब बाकी लोगों पर भी दबाव बनाया जा रहा है और धमकी दी जा रही है। मंगतपुरम में एक अस्थाई धर्मस्थल का निर्माण भी कराने की बात बताई। एसएसपी ने सीओ ब्रह्मपुरी को जांच दी और रिपोर्ट के आधार पर 9 लोगों को नामजद करते हुए मुकदमा दर्ज कराया गया।

इंटेलीजेंस और एलआईयू अलर्ट

बड़ी संख्या में लोगों पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाने की सूचना पर इंटेलीजेंस और एलआईयू अलर्ट हो गए हैं। इस पूरे मामले की रिपोर्ट मुख्यालय भेजी गई है। इसके साथ वहां रहने वाले लोगों से भी बातचीत की जा रही है। एसएसपी रोहित सिंह सजवाण के अनुसार धर्म परिवर्तन के मामले में शिकायत मिली थी। सीओ की जांच रिपोर्ट के आधार पर मुकदमा दर्ज कराया गया है। जांच की जा रही है।

दिल्ली से आता था राशन और कपड़े

पीड़ितों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि दिल्ली से पैसा, राशन और कपड़े आते थे। धर्म परिवर्तन कराने वाले लोगों ने शुरूआत में बस इतना कहा कि आप लोगों को यहां प्रार्थना में आना है। इसके बाद वहीं पर राशन दिया जाता था। चूंकि कोरोना का समय था और बस्ती से कोई बाहर नहीं जा रहा था, इसलिए मदद ले ली जाती थी। इसके बाद कई लोगों को बरगलाकर उनका धर्म परिवर्तन करा दिया गया। यही लोग बाकी बस्ती में लोगों पर धर्म परिवर्तन के लिए दबाव बना रहे थे।

भ्रष्टाचार को लेकर PM मोदी की कड़ी चेतावनी, बोले- किसी को भी नहीं बख्शेंगे


webduniaप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि भ्रष्टाचार में लिप्त किसी भी व्यक्ति या संस्था को बख्शा नहीं जाएगा। प्रधानमंत्री ने 31 अक्टूबर से शुरू होने वाले 'सतर्कता जागरूकता सप्ताह' पर अपने संदेश में यह भी कहा कि भ्रष्टाचार न केवल आम नागरिक को अधिकारों से वंचित करता है, बल्कि देश की प्रगति को बाधित करने के अलावा उसकी सामूहिक शक्ति को भी क्षीण करता है।

केंद्रीय सतर्कता आयोग छह नवंबर तक जागरूकता सप्ताह मना रहा है और इसकी थीम ‘एक विकसित राष्ट्र के लिए भ्रष्टाचार मुक्त भारत है। प्रधानमंत्री ने संस्कृत में एक कहावत का हवाला देते हुए कहा कि जिन परिस्थितियों से भ्रष्टाचार पनपता है, उन पर हमला करना जरूरी है।

मोदी ने अपने संदेश में कहा कि इन आठ वर्षों में भ्रष्टाचार के खिलाफ कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति अपनाकर देश आगे बढ़ रहा है, जहां यह संदेश स्पष्ट है कि भ्रष्टाचार में लिप्त किसी भी व्यक्ति या संस्था को बख्शा नहीं जाएगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तरह देश में विश्वास का माहौल बना है, जिसमें आज हर ईमानदार व्यक्ति अपने आप को गौरवान्वित महसूस करता है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए पूरी प्रक्रिया और पूरी व्यवस्था को पारदर्शी बनाया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि तकनीक और सुधारों के माध्यम से व्यवस्था को मजबूत किया जा रहा है ताकि न केवल आज बल्कि भविष्य में भी किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार की गुंजाइश न रहे और नागरिकों के हितों की रक्षा हो सके। मोदी ने कहा कि देश की आजादी के अगले 25 वर्षों की यात्रा में एक भव्य और विकसित भारत का निर्माण करना सभी का कर्तव्य है।

उन्होंने कहा कि यह एक मजबूत और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के प्रयासों में तेजी लाने का अवसर है।प्रधानमंत्री ने कहा, मुझे विश्वास है कि सतर्कता जागरूकता सप्ताह जीवन में ईमानदारी, अखंडता और पारदर्शिता को बढ़ावा देकर राष्ट्र निर्माण के हमारे संकल्प को मजबूत करेगा।

जागरूकता सप्ताह पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी अपना संदेश साझा किया है। मुर्मू ने कहा, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई इस महान राष्ट्र के सभी नागरिकों का सामूहिक कर्तव्य और जिम्मेदारी है। पारदर्शिता और अखंडता के आदर्श हमारी परंपरा और संस्कृति का अभिन्न अंग हैं।

राष्ट्रपति ने कहा, हमें ईमानदारी और जवाबदेही के आदर्शों को दोहराने की जरूरत है तथा उन मूल्यों को अपनाने की दिशा में प्रयास करना चाहिए, जिन्होंने हमारा अब तक की यात्रा में मार्गदर्शन किया है।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि लोक प्रशासन के कुशल संचालन के लिए पारदर्शिता, निष्पक्षता और जवाबदेही आवश्यक मूल्य हैं। उन्होंने कहा कि शासन में निष्ठा सुनिश्चित करने के प्रयासों में एक साथ आना देश के सभी नागरिकों की जिम्मेदारी है।

धनखड़ ने कहा, इस वर्ष, केंद्रीय सतर्कता आयोग ने भी निवारक सतर्कता उपायों पर तीन महीने का अभियान चलाया है। मुझे आशा है कि सभी नागरिक और हितधारक सामूहिक रूप से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में बड़ी संख्या में भाग लेंगे।

Friday, October 28, 2022

सावधान! गंगा में मिला बेहद खतरनाक बैक्‍टीरिया, एंटीबायोटिक दवाएं भी उसपर बेअसर, शोध में सामने आई परेशान करने वाली बात


गंगा में मिला बैक्‍टीरिया

सरकार के सफाई के तमाम दावों व वादों के बाद भी धार्मिक आस्‍था का केंद्र रही गंगा नालों के चलते लगातार प्रदूषित होती ही जा रही है। एक ऐसी खबर सामने आयी है, जिसने शोधकर्ताओं के भी होश उड़ा दिए हैं। दरअसल एक रिसर्च के दौरान गंगा के पानी में ऐसे बैक्‍टीरिया के होने की पुष्टि हुई है, जिसपर एंटीबायोटिक दवाओं का भी असर नहीं हो रहा है। ऐसे में अगर गंगा स्‍थान या फिर गंगजल ग्रहण करने के दौरान इंसानी बदन में यह बैक्‍टीरिया प्रवेश कर गए तो जान तक खतर में पड़ जाएगी, क्‍योंकि जीवररक्षक के तौर पर पहचानी जाने वाली एंटीबायोटिक दवाएं इनके इसर को खत्‍म करने या फिर कम करने में  नाकाम हैं।

एंटीबायोटिक को मात देने वाले इन बैक्‍टीरिया के मिलने की जानकारी इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान केंद्र की तरफ से पिछले दिनों किए गए शोध में सामने आई है। शोध के दौरान ऐसे स्थानों से पानी के सैंपल लिए गए, जहां नाले या सीवेज का पानी गंगा में मिलता है। इनमें एक स्थान प्रयागराज का रसूलाबाद घाट भी है। नाले या सीवेज से गिरने वाली गंदगी के साथ आसपास गंगा जल के नमूने लेकर जांच की गयी थी।

दोनों ही जगह के पानी में ऐसा बैक्टीरिया मिला, जिनमें एंटीबायोटिक से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता थी। यह देख शोधकर्ता भी परेशान हैं। इसकी रिपोर्ट एल्सवियर नीदरलैंड के अंतरराष्ट्रीय जर्नल जीन रिपोर्ट्स के हालिया अंक में प्रकाशित हो चुका है।

वहीं इस बारे में इविवि के पर्यावरण विज्ञान केंद्र के डॉ. सुरनजीत प्रसाद ने मीडिया को बताया कि सीवेज के जरिए नदियों में पहुंच रही मानव व मवेशियों में पाई जानी वाली एंटीबायोटिक के कारण रोगजनित बैक्टीरिया में भी एंटीबायोटिक से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गई है। बैक्टीरिया के डीएनए में एंटीबायोटिक को तोड़ने वाले जींस पाए गए हैं। यह संकेत खतरनाक है, क्योंकि दुनिया में हर साल तकरीबन 12 लाख मौतें एंटीबायोटिक रजिस्टेंट बैक्टीरियल इंफेक्शन से होती हैं।

डॉ. सुरजीत प्रसाद का यह भी कहना है कि एक्सपायरी डेट पूरी कर चुकीं एंटीबायोटिक दवाओं को निस्तारित करना इसका एक कारण हो सकता है। मवेशियों के उपचार में प्रयोग होने वाली दवाएं भी सीवेज में जाती हैं, जिसके चलते बैक्टीरिया में एंटीबायोटिक से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो सकती है।

दूसरे प्रकार का बैक्‍टीरिया होता है खतरनाक

जानकारों के अनुसार बैक्टीरिया दो प्रकार के होते हैं। पैथोजेनिक और नॉन पैथोजेनिक। नॉन पैथोजेनिक बैक्टीरिया से बीमारी नहीं होती, जबकि पैथोजेनिक बैक्टीरिया बीमारी देते हैं। कई बैक्टीरिया तो मानव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता से हार जाते हैं और एंटीबायोटिक की जरूरत नहीं पड़ती। कई बैक्टीरिया मजबूत होते हें और बीमारी का कारण बनते हैं। पैथोजेनिक बैक्टीरिया में एंटीबायोटिक से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न होने के बाद अगर कोई व्यक्ति इनके संपर्क में आता है तो वह बहुत जल्द बीमार होता है और उस पर एंटीबायोटिक असर नहीं करती, ऐसे में बेहद गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

'दुनिया में बढ़ रहा भारत का रुतबा', पुतिन बोले- पीएम मोदी अपने देश के लिए कुछ भी कर सकते हैं...


International News: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि भारत के पीएम मोदी गजब की शख्सियत हैं. (फोटो News18)
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफों के पुल बांधे हैं. उन्होंने कहा है कि पीएम मोदी देशभक्त हैं. वे वह शख्सियत हैं, जो अपने लोगों के हित के लिए खुद की स्वतंत्र विदेश नीतियां बना सकते हैं. भारत पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाए जाने की कोशिशों के बावजूद, एक आइस-ब्रेकर की तरह उन्होंने भारत के हित के लिए उसी दिशा में सफर जारी रखा.

रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि भारत ने विकास के मामले में जबरदस्त सफलता हासिल की है. उसका भविष्य स्वर्णिम है. भारत और रूस ने परस्पर सहयोग की नींव पर अपने विशेष संबंध स्थापित किए हैं. गौरतलब है इससे पहले पुतिन ने पश्चिमी देशों को अप्रत्यक्ष रूप से चेतावनी भी दी थी. उन्होंने पश्चिमी देशों पर बड़ा आरोप लगाया कि वे यूक्रेन में संघर्ष को बढ़ावा देकर वैश्विक प्रभुत्व हासिल करना चाहते हैं. पुतिन ने यह बात अंतरराष्ट्रीय नीति विशेषज्ञों के एक सम्मेलन में कही.

उन्होंने अमेरिका और उसके सहयोगियों पर यूक्रेन के खिलाफ “खतरनाक और खूनी” वर्चस्व के खेल में अन्य देशों को अपनी शर्तों को निर्धारित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया. इस साल 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन में अपने सैनिकों को हमले के मकसद से भेजा था. रूसी नेता ने चेतावनी दी कि “जो इस संघर्ष को बढ़ावा देगा वह मुसीबत को निमंत्रण देगा.” पुतिन ने दावा किया कि “मानव जाति को अब चुनाव करना है. या तो समस्याओं का बोझ बढ़ाते रहें जो हर हाल में हम सभी को कुचल देंगी या ऐसे समाधान खोजने की कोशिश करें जो संभव है कि आदर्श नहीं हों, लेकिन फिर भी काम करेंगे और दुनिया को अधिक स्थिर और सुरक्षित बना सकते हैं.”

रूस पश्चिम का दुश्मन नहीं- पुतिन
पुतिन ने कहा कि रूस पश्चिम का दुश्मन नहीं है, लेकिन पश्चिमी नव-उदारवादी अभिजात वर्ग के फरमान का विरोध करना जारी रखेगा. पुतिन ने कहा हमारा स्लोगन ‘हम अपने आदमी का त्याग नहीं करते,’ हर रूसी नागरिक के अंतर्मन में है. अपने नागरिकों के लिए लड़ने का जज्बा सामाजिक एकजुटता का तानाबाना बुनता है. अगर यूक्रेन के खिलाफ विशेष ऑपरेशन न चलाया होता तो रूस की स्थित बद्तर हो जाती.  यह ऐतिहासिक तथ्य है कि रूस और यूक्रेन के लोग एक हैं. पुतिन ने रूस-यूक्रेन युद्ध को सिविल वॉर बताया. परमाणु हथियारों को लेकर पुतिन ने कहा कि जब तक इन शस्त्रों का अस्तित्व है, तब तक इनके इस्तेमाल का खतरा बना रहेगा.


Thursday, October 27, 2022

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा देश के लिए निरर्थक: प्रताप मिश्रा

गांधीवादी रास्ते आदर्श ही हैं | लेकिन हर कोई महात्मा गाँधी नहीं हो सकता | विनोबा भावे और जयप्रकाश नारायण ने गांधीवादी रास्ते अपनाकर भूदान के लिए पदयात्राएं की | लाखों एकड़ जमीन संपन्न किसानों से लेकर गरीब किसानों को दिलवाई | यह सामाजिक क्रांति जैसा प्रयास था | भूदान के लिए देश भर में हजारों किलोमीटर की पद यात्रा में किसी सरकार को हटाना या कोई नई सरकार बनाना लक्ष्य नहीं था | राहुल गाँधी दावा तो यह कर रहे हैं कि उनकी पद यात्रा राजनीतिक और चुनावी लाभ के लिए नहीं है | लेकिन जगह जगह उनके भाषण भाजपा और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को हटाने और दो बड़े पूंजीपतियों की प्रगति पर रोक लगाने को लेकर चल रहे हैं | इससे उनके पार्टी के लोग अथवा वर्तमान सत्ता व्यवस्था से नाराज समूह उत्साहित – प्रसन्न हो सकते हैं | लेकिन सामान्य नागरिक सवाल उठा रहे हैं कि आर्थिक समस्याओं के घावों से राहत देने के लिए वह या उनकी पार्टी कहाँ कुछ कर रही है ? वह तो केवल घावों पर नमक मिर्च डालकर जनता का दर्द बढ़ा रहे हैं ? जबकि देश के 17 राज्यों में गैर भाजपा सरकारें भी हैं , दो तीन प्रदेशों में स्वयं कांग्रेस और सहयोगी दलों का राज है |

इस पद यात्रा के लिए  करोड़ों के खर्च से तैयार 60 ट्रक कंटेनर , उनमें आधुनिक सुख सुविधा , राहुल के लिए एयरकंडीशनर – फ्रिज का इंतजाम है | क्या गाँधी , विनोबा , जे पी की यात्रा में इसकी दस प्रतिशत सुविधा भी किसीने देखी या कल्पना की होगी ? जानकर 3750 किलोमीटर की राहुल यात्रा पर औसतन प्रतिदिन दो करोड़ रुपए  का  कुल खर्च होने का अनुमान लगा रहे हैं | इसमें ट्रक कंटेनर , उसका ईंधन , खाना पीना तथा अन्य व्यवस्था शामिल है | लेकिन यदि गांधीवादी रास्ता होता , तो इस ताम झाम के बजाय रास्ते के किसी गाँव कस्बे में सादगी से विश्राम आदि करके ग्रामीणों के लिए कुछ आवश्यक सुविधाएं देकर क्या जनता को राहत के साथ थोड़ा समर्थन नहीं मिलता |इसमें कोई शक नहीं कि यात्रा के दौरान राहुल गाँधी को लोगों से मिलकर बात करने के अवसर मिल रहे हैं | सुबह दो तीन घंटे  चलकर पांच छह घंटे विश्राम और चर्चा और फिर चार घंटे यात्रा सुखद अनुभव कहा जा सकता है | लेकिन कांग्रेस पार्टी इतनी पुरानी है और जन  समस्याओं की जानकारी तो क्षेत्र के कार्यकर्ता भी दे सकते हैं | देसी टूरिज्म की तरह लोगों से मिलना , फोटो खिंचवाना और पार्टी के अपने लोगों को सक्रिय करने से तात्कालिक लाभ भले ही हो , दूरगामी लाभ कितना होगा ?

भव्यता से एक हद तक गरीब लोग  चकाचौंध हो सकते हैं | लेकिन एक अन्य गैर भाजपा नेता मुख्यमंत्री के  गांधीवादी सादगी का उदाहरण शायद राहुल ही नहीं देश के बहुत कम लोग जानते होंगे | वह हैं ओडिसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक , जो लगातार पांच चुनाव जीतकर लगभग 23 वर्षों से सत्ता में हैं | वह ओडिसा के ही लोकप्रिय नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक के पुत्र हैं | संपन्न परिवार का पैतृक निवास है , नवीन पटनायक सरकारी मकान के बजाय अपने घर में ही रहते हैं | हमेशा सादा कुर्ता पाजामा पहनते हैं | यह देखकर आश्चर्य होता है कि दफ्तर में उनकी पुरानी लकड़ी की कुर्सी पर लेदर का कवर भी थोड़ा फटा पुराना है |   वह   वर्षों तक सरकारी मारुति स्टीम कार का इस्तेमाल करते रहे , जबकि पुरानी होने पर उसकी हालत ख़राब थी | यहाँ तक कि ऊँचा कद होने से बैठने में थोड़ी असुविधा लोग देख सकते थे | आख़िरकार एक बार वर्षा के दौरान कार रुक गई , तब बदलने के लिए अधिकारियों ने एस यू वी गाडी लेने का प्रस्ताव रखा , लेकिन नवीन पटनायक ने सामान्य मारुति एस एक्स 4  लेने की ही स्वीकृति दी | निजी कार के नाम पर उनके पास अब भी 1980 के मॉडल की अम्बेसैडर गाडी है , जिसकी बाजार में कीमत दस हजार रुपए से कम की लगाई जाती है | पटनायक अपनी मारुति गाडी से प्रदेश के विभिन्न इलाकों – गांवों में घूमते हैं , सीधे जनता से संवाद करते हैं और निरंतर विकास के जरिये अपनी और बीजू जनता दल की ताकत बनाए रखे हैं | यही नहीं भाजपा की केंद्र सरकार , प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और प्रतिपक्ष के नेताओं से संवाद कामकाजी सम्बन्ध बनाए रखते हैं | वह प्रधान मंत्री बनने की किसी होड़ में शामिल होने के उत्सुक भी नहीं हैं | इसलिए उन्हें असली गांधीवादी रास्ते से जनता की सेवा करने वाले नेता कहा जा सकता   है |

जहाँ तक राजनीतिक दलों  और पूंजीपतियों के बीच संबंधों की बात है , राहुल गाँधी सत्तर के दशक का फार्मूला अपना रहे हैं | सत्ता में हों या प्रतिपक्ष में इस तरह की आरोपबाजी जनता भी समझती है | जय प्रकाश नारायण के बिहार से शुरु किए गए आंदोलन पर स्वयं प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी ने एक सभा में कह दिया था कि ‘ धनाढ्य लोगों से पैसे लेने वालों को भ्रष्टाचार के विषय में बात करने का कोई अधिकार नहीं है |’ अप्रत्यक्ष रुप से यह जे पी और रामनाथ गोयनका के संबंधों और उनके सहयोग पर हमला था | तब जे पी ने बाकायदा एवेरीमेंस अख़बार में लेख लिखकर कह दिया था कि सामाजिक कार्यकर्ता के रुप में उनके पास आय का कोई स्रोत नहीं है और साधन संपन्न मित्रों के सहयोग के बिना कैसे काम कर सकते हैं | आज लोग यह बात उठा रहे हैं कि राहुल गाँधी की पद यात्रा या पार्टी के खर्चों में अधिक हिस्सा तो पूंजीपतियों का ही होगा | इसी तरह राहुल दिन रात अम्बानी अडानी को मोदी सरकार द्वारा ठेके , जमीन और लाभ देने के आरोप लगाते रहते हैं , लेकिन कांग्रेस की सरकारें राजस्थान और छत्तीसगढ़ में इन पूंजीपतियों की कंपनियों से पूंजी निवेश करने के लिए ठेके , रियायती जमीन सुविधाएं दे रही हैं | सच तो यह है कि राजीव गाँधी , नरसिंह राव और मनमोहन सिंह के कांग्रेस राज में ही इस तरह के पूंजीपतियों और  कंपनियों का साम्राज्य बढ़ता गया | इससे पहले बिड़ला टाटा की तरक्की और उन्हें सरकारी सहयोग पर कम्युनिस्ट तथा मजदुर संगठन नारेबाजी करते थे | पूंजी और उधोग व्यापार , सड़क बिजली , हवाई अड्डों , संचार – टेक्नोलॉजी के बिना आखिर समाज और देश की प्रगति कैसे हो सकती है | सरकार से अधिक रोजगार तो निजी क्षेत्र से ही मिलेगा | दुनिया का कौन सा देश सरकारी नौकरियों  से चल रहा है ? राजनीति , सत्ता और विरोध की कोई सीमा स्वयं राजनेताओं को तय करना चाहिए | जहरीले वातावरण से समाज में जागरुकता के बजाय नफ़रत और अराजकता पैदा होगी , जिसके दूरगामी परिणाम सबके लिए घातक सिद्ध हो सकते हैं |

Wednesday, October 26, 2022

'हकीकत में होते हैं एलियन, हमें कीटाणु समझकर करते हैं शोध!' रूसी स्पेस एजेंसी के पूर्व मुखिया का दावा


वैज्ञानिक ने दावा किया है कि अब नासा और रूसी स्पेस एजेंसी यूएफओ दिखने के तमाम मामलों पर शोध करने की तैयारी कर रहे हैं. (प्रतीकात्मक फोटो: Canva, twitter/Rogozin)

एलियन्स को लेकर दुनिया में विचित्र दावे सालों से किए जा रहे हैं. कुछ पक्षों का कहना है कि ऐसे जीव मौजूद ही नहीं हैं और वो सिर्फ हमारी कल्पना है वहीं कुछ का कहना है कि धरती की ही तरह ऐसे कई ग्रह होंगे जहां जीवन होगा. इस बीच वैज्ञानिकों द्वारा किए गए दावे सबसे अहम माने जाते हैं, जो खुलकर ये बोल चुके हैं कि एलियन्स (Do aliens exist) वाकई होते हैं. हाल ही में एक रूसी वैज्ञानिक (Russian scientist claim about alien) ने भी इस बात का दावा कर सभी को चौंका दिया.

आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक रूसी वैज्ञानिक द्वारा किए गए विचित्र दावे के बारे में. डेली स्टार न्यूज वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार रूसी स्पेस एजेंसी (Roscosmos Space Agency) के पूर्व चीफ डिमिट्री रोगोजिन (Dmitry Rogozin) ने दावा किया है कि एलियन होते हैं और वो धरतीवासियों को कीटाणु (Aliens study us as bacteria) समझकर उनपर शोध करते हैं.

दुनिया के दूसरे हिस्से में भी मौजूद होंगे जीव
उन्होंने कहा कि एलियन्स मौजूद होंगे और वो धरती पर शोध कर उसके बारे में जानकारी बटोरते होंगे. इसी साल जून में डिमिट्री ने रशिया24 नाम के न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कई खुलासे किए जो लोगों को हैरान कर रहे हैं. उन्होंने कहा था कि वो हमें देख रहे होंगे पर हमें उनकी जरा भी जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि दुनिया के दूसरे ग्रहों पर जीवन की उत्पत्ति के लिए कई कारण मौजूद हो सकते हैं जैसे धरती पर रहे होंगे. डिमिट्री ने कहा- हमें बिग बैंग के बारे में पता है पर ये भी मुमकिन है कि बिग बैंग दुनिया के सिर्फ एक हिस्से में हुआ हो जबकि दूसरा हिस्सा किसी अन्य तरीके से विकसित हो रहा हो.

इंसान भी हो सकते हैं बैक्टीरिया
डिमिट्री के अनुसार उन्होंने नासा के वैज्ञानिकों से भी इस बात पर चर्चा की और कहा कि वो भी ये मानते हैं कि हम किसी बाहरी अवलोकन का हिस्सा हैं. डिमिट्री ने कहा- “हम बेहद छोटे जीवों, जैसे बैक्टीरिया पर शोध करते हैं मगर ये भी मुमकिन है कि कोई हमें बैक्टीरिया समझकर शोध कर रहा हो.”

Tuesday, October 25, 2022

ऋषि सुनक ने जब कहा- ‘गर्व से कहता हूं मैं हिंदू हूं और हिंदू होना ही मेरी पहचान है’

28 अक्टूबर को शपथ ग्रहण करते ही वह आधिकारिक रूप से ब्रिटेन के पहले हिंदू प्रधानमंत्री हो जाएंगे

वर्ष 2021 में दीपावली पर अपने घर के बाहर दीपक जलाते ऋषि सुनक
ब्रिटेन में प्रधानमंत्री आवास का पता 10, डाउनिंग स्ट्रीट है। कभी भारत पर राज करने वाले ब्रिटेन का अब एक भारतवंशी नेतृत्व करेगा। ऋषि सुनक का पता अब 10, डाउनिंग स्ट्रीट होगा।

पिछले वर्ष दीपावली पर ऋषि की एक फोटो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई थी। वह फोटो आपने भी देखी होगी। वह दीवाली पर अपने घर के बाहर दीपक जला रहे थे। संयोग ही है कि इस बार दीपावली पर ब्रिटेन में इतिहास रच गया। इस बार की दीवाली पर उनके प्रधानमंत्री पद के नाम का एलान हुआ। उनकी एक फोटो और वायरल हो रही है, जिसमें वह राम नाम का पटका धारण किए हुए हैं। उनके साथ उनकी पत्नी अक्षता भी हैं। यह फोटो इस साल जन्माष्टमी की है। वह पत्नी के साथ भक्तिवेदांत मंदिर गए थे। गाय के साथ भी उनकी एक फोटो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई थी।

सनातन संस्कृति में रचे-बसे सुनक के लिए जब प्रधानमंत्री पद का एलान हुआ तो अंग्रेजी अखबार द गार्जियन ने शीर्षक दिया- 10 डाउनिंग स्ट्रीट में पहला हिंदू प्रधानमंत्री। सुनक को अपने हिंदू होने पर गर्व है। उन्होंने स्वयं यह बात कही है।

वर्ष 2020 की बात है। सुनक ने हाथ में भगवद्गीता लेकर वित्त मंत्री पद की शपथ ली थी। इस पर एक ब्रिटिश अखबार के पत्रकार ने जब उनसे पूछा तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में उत्तर दिया था। उन्होंने कहा था कि वे अब ब्रिटिश नागरिक हैं, लेकिन उनका धर्म हिंदू है। भारत उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत है। सुनक ने कहा, ‘मैं गर्व से कह सकता हूं कि मैं एक हिंदू हूं और हिंदू होना ही मेरी पहचान है।’

यहां भारत रत्न अटल जी की वह कविता याद आती है, जिसमें वह कहते हैं- हिंदू तन मन हिंदू जीवन रग रग मेरा हिंदू परिचय। अटल जी इसी कविता में आगे कहते हैं-

होकर स्वतंत्र मैंने कब चाहा है कर लूं जग को गुलाम?
मैंने तो सदा सिखाया करना अपने मन को गुलाम।
गोपाल-राम के नामों पर कब मैंने अत्याचार किए?
कब दुनिया को हिन्दू करने घर-घर में नरसंहार किए?

कब बतलाए काबुल में जा कर कितनी मस्जिद तोड़ीं?
भूभाग नहीं, शत-शत मानव के हृदय जीतने का निश्चय।
हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!
मैं एक बिंदु, परिपूर्ण सिन्धु है यह मेरा हिन्दू समाज।
मेरा-इसका संबंध अमर, मैं व्यक्ति और यह है समाज।
इससे मैंने पाया तन-मन, इससे मैंने पाया जीवन।
मेरा तो बस कर्तव्य यही, कर दूं सब कुछ इसके अर्पण।

भगवान गणेश की मूर्ति रखते हैं सुनक

ऋषि सुनक अपने कार्यालय की मेज पर भगवान गणेश की मूर्ति रखते हैं। वह गोमांस का सेवन नहीं करते हैं। उन्होंने लोगों से गोमांस त्यागने की अपील भी की है।

पीछे हट गए थे बोरिस जॉनसन

ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस के इस्तीफे के बाद नये प्रधानमंत्री की रेस में भारतवंशी ऋषि सुनक और पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना जतायी जा रही थी, लेकिन बोरिस जॉनसन के पीछे हटने के बाद ऋषि सुनक का रास्ता साफ हो गया था। वह 28 अक्टूबर को शपथ लेंगे।

पाकिस्तानी सेनाओं पर लगा आतंकवाद फैलाने का आरोप, वकीलों और नेताओं ने कहा- 'खून बहाने लिए लेते हैं अरबों डॉलर'


रविवार को लाहौर में अस्मा जहांगीर सम्मेलन में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के संबोधन के दौरान, पीटीएम सदस्यों ने नारेबाजी शुरू कर दी, सांसद अली वज़ीर की रिहाई की मांग की. (फोटो: न्यूज18)

अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने हाल ही में पाकिस्तान को दुनिया का खतरनाक देश बताया था और अब पाकिस्तान में वकीलों ने सेना की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि जनरलों ने दुनियाभर में आतंकवाद फैलाने के लिए अरबों डॉलर लिए थे. वार्षिक अस्मा जहांगीर सम्मेलन, जो 22-23 अक्टूबर तक लाहौर में आयोजित रहा. सम्मलेन के समापन के दिन कुछ राजनेताओं और वकीलों ने सेना पर आतंकवाद फैलाने के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया है. सम्मेलन में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के संबोधन के दौरान, पश्तून तहफुज मूवमेंट (पीटीएम) के सदस्यों ने नारेबाजी शुरू कर दी. सांसद अली वज़ीर की रिहाई की मांग की.

23 अक्टूबर को पश्तून तहफुज मूवमेंट (पीटीएम) के अध्यक्ष मंजूर पश्तीन ने लोकतंत्र की हत्या के लिए पाकिस्तानी सेना को जिम्मेदार ठहराया, और आरोप लगाया कि सेना प्रमुख “राजा” हैं और वही देश में सभी आदेश जारी करते हैं. “ये अदालतें सेना के जनरल के इशारे पर फैसला देती हैं. उन्होंने पश्तूनों का खून बहाकर डॉलर लिए हैं. पश्तीन ने आगे कहा कि पूर्व पुलिस अधिकारी एसएसपी राव अनवर 440 हत्याओं को अंजाम देते हुए अभी भी मुक्त है, और विधायक अली वज़ीर अपने परिवार के 18 सदस्यों को आतंकवादियों द्वारा मारे जाने के बाद जेल में है. “क्या यही पाकिस्तान का न्याय है?”

पाकिस्तान के अशांत कबायली इलाके के एक विधायक अली वज़ीर को पिछले दिसंबर में एक रैली के दौरान देश की सेना की आलोचना करने वाले भाषण देने के बाद देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. एंटी-आर्मी स्लोगन – ये जो दहशत गर्दी है इसके पीछे वर्दी है. यह पश्तून के भाषणों के दौरान पश्तूनों द्वारा नारा लगाया गया था.

विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के संबोधन के दौरान पीटीएम सदस्यों ने सांसद अली वजीर को रिहा करने के लिए नारेबाजी शुरू कर दी. इसके बाद उन्होंने पश्तून समर्थकों को जेल जाने और पाकिस्तानी सेना के जनरल मुख्यालय पर विरोध करने की सलाह दी ताकि अली को रिहा किया जा सके. भुट्टो ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान को हटाए जाने को लोकतंत्र की प्रगति करार दिया था. इस बीच, पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जज जस्टिस काजी फैज ने भी स्वीकार किया कि सिस्टम की विफलता जजों और जनरलों के कारण है.

जस्टिस फैज ने कहा, “न्यायाधीशों और जनरलों की नाम से आलोचना की जानी चाहिए, लेकिन न्यायपालिका और सेना को संस्थानों के रूप में बदनाम नहीं किया जाना चाहिए. दुर्भाग्य से, हमारे व्यक्तिगत कृत्यों के कारण हमें भुगतना पड़ता है.” जानकारी के लिए बता दें कि अस्मा सम्मेलन का आयोजन एजीएचएस लीगल एड सेल द्वारा अस्मा जहांगीर फाउंडेशन, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और पाकिस्तान बार काउंसिल के सहयोग से किया जाता है. यहां हर साल सम्मेलन में कई बुद्धिजीवियों, शीर्ष वकीलों, न्यायाधीशों, राजनेताओं और पत्रकारों को आमंत्रित किया जाता है.

Sunday, October 23, 2022

NATO देशों ने यूक्रेन को हथियार देने किए बंद, सताने लगा पुतिन के हमले का डर


मॉस्को (उत्तम हिन्दू न्यूज): जहां एक तरफ रूसी सैनिक यूक्रेन के अलग-अलग शहरों में बमबारी और एयर स्ट्राइक से घाव दे रही है, वहीं दूसरी ओर नाटो देशों ने यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई बंद कर दी है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई करते-करते नाटो देश खुद कंगाल हो गए हैं और अब उन्हें रूस के संभावित हमले से खुद की सुरक्षा की चिंता सता रही है। हालांकि यूक्रेन के लिए राहत यह है कि अमेरिका ने यूक्रेन को आर्थिक और हथियारों की मदद नहीं रोकी है।

इस मामले के जानकारों का कहना है कि अधिकतर नाटो देशों का यूक्रेन को मदद देने से अपने हाथ खींचना रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बड़ी जीत के रूप में देखी जा सकती है। इस बात में कोई संदेह नहीं कि रूस दुनिया की महाशक्ति है और परमाणु हथियारों से लेकर कई घातक हथियारों का जखीरा रखे हुए है। पिछले एक साल में हालांकि रूस का हथियार भंडार भी प्रभावित हुआ है लेकिन, खत्म नहीं हुआ। हाल ही में रूसी सैनिकों ने यूक्रेन की राजधानी कीव समेत कई शहरों पर ईरानी ड्रोन से तबाही मचाई थी। अब रूसी सैनिक खेरसॉन शहर में यूक्रेनी सैनिकों को खदेड़ने में जुटे हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कई यूरोपीय देश यूक्रेन को मदद करके खुद कंगाल हो गए हैं। कई नाटो देश इस वक्त हथियारों की कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे में अब उन्हें खुद की सुरक्षा का खतरा सता रहा है। पिछले कुछ महीनों में संयुक्त राज्य अमेरिका और कई नाटो देशों ने रूस के खिलाफ लड़ाई में यूक्रेन को अरबों डॉलर के हथियार और उपकरण सप्लाई किए हैं। लेकिन अब कई छोटे नाटो देशों और यहां तक ​​​​कि कुछ बड़े देशों के पास हथियारों का जखीरा खत्म होने लगा है।

रिपोर्ट कहती है कि हथियारों का तुरंत निर्माण कई नाटो देशों के लिए मुश्किल है। दुनिया इस वक्त आर्थिक मंदी झेल रही है। ऐसे में कई छोटे नाटो देशों के पास तुरंत घातक हथियार आयात करना या तैयार करना लगभग असंभव है। कई बड़े देश भी इससे अछूते नहीं है। इसके पीछे बड़ी वजह मजबूत रक्षा क्षेत्र का न होना भी है।

अब ये नाटो देश इस धर्मसंकट में हैं कि क्या वे अपने हथियारों की सप्लाई यूक्रेन को मदद के लिए आगे भी जारी रखेंगे या फिर रूस के संभावित हमले से खुद को बचाएंगे?

Friday, October 21, 2022

रूस के मुकाबले अकेला पड़ा अमेरिका: प्रताप मिश्रा


क्या रूस के मुकाबले अमेरिका अकेला पड़ रहा है? हाल ही में ओपेक प्लस के 24 देशों की ओर से तेल उत्पादन में कटौती को लेकर जो फैसला लिया गया है, उससे यही सवाल उठता है। अमेरिका की ओर से तेल उत्पादन कम न करने की तमाम अपीलों को दरकिनार करते हुए सऊदी अरब के नेतृत्व वाले ओपेक देशों ने रूस के स्टैंड का ही साथ दिया है।

इन देशों ने प्रति दिन 2 मिलियन बैरल तेल उत्पादन कम करने का फैसला लिया है। यही नहीं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सऊदी अरब को चेतावनी देते हुए उसके साथ रिश्तों की समीक्षा करने की बात कही है। लेकिन सऊदी अरब ने पीछे न हटने का ही संकेत दिया है।

इसके अलावा पाकिस्तान जैसे देश भी अब इस मसले पर सऊदी अरब का ही समर्थन कर रहे हैं। इस तरह रूस की लॉबी मजबूत होती दिख रही है और पावर गेम में अमेरिकी बैकफुट पर है। बुधवार को अमेरिकी प्रेस सचिव ने कहा कि जो बाइडेन सऊदी अरब के साथ रिश्तों की समीक्षा करने वाले हैं।

यही नहीं उन्होंने कहा कि ओपेक और उसके सहयोगी देशों की ओर से तेल उत्पादन में कटौती का फैसला लेने एक गलती होगा और यह दूरगामी फैसला नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे रूसियों को ही फायदा होगा।

दुनिया भर में कच्चे तेल के दामों में कटौती के बीच इसी महीने ओपेक में शामिल 13 देशों और रूस के नेतृत्व वाले 11 देशों ने मिलकर कटौती का फैसला लिया है। कुल मिलाकर 24 देशों ने प्रति दिन 2 मिलियन बैरल उत्पादन कम करने का फैसला लिया है।

कोरोना काल के बाद से तेल उत्पादन में यह अब तक की सबसे बड़ी कटौती होगी। अमेरिकी प्रेस सचिव कैरीन जीन ने कहा, ‘ओपेक प्लस देशों ने बीते सप्ताह जो फैसला लिया है, वह रूसियों की मदद करेगा और अमेरिकी लोगों के हित प्रभावित होंगे। दुनिया पर इसका असर होगा।’

उन्होंने कहा कि अमेरिका के अलावा यह कमजोर अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित करने वाला फैसला है। यह एक गलती है। बता दें कि तेल और गैस के दामों में लगातार गिरावट का हवाला देते हुए ओपेक प्लस देशों ने 5 अक्टूबर को यह फैसला लिया था। इस फैसले ने अमेरिका और सऊदी अरब के रिश्ते भी बिगाड़ दिए हैं

जो लंबे समय से एक-दूसरे को दोस्त करार देते रहे हैं। गौरतलब है कि ओपेक प्लस का गठन 2016 में हुआ था। इसमें ओपेक के 13 देश शामिल हैं और उससे बाहर के 11 देशों को भी जगह दी गई है, जिनका नेतृत्व रूस करता है।

तेल के बाजार को समझने वालों का कहना है कि ओपेक प्लस देशों का फैसला दूरगामी असर डालेगा। दरअसल दुनिया भऱ में प्रति दिन 100 मिलियन बैरल तेल की खपत होती है। ऐसे में यदि इसका उत्पादन प्रति दिन 2 मिलियन कम हो जाए तो उसका असर तो दिखेगा।

इसके अलावा अमेरिका की चिंता यह है कि इस फैसले से रूस को सीधा फायदा होगा। उसकी इकॉनमी तेल, गैस की सप्लाई से मिले रेवेन्यू पर ही आधारित है। अमेरिका और पश्चिमी देशों के तमाम प्रतिबंधों के बाद भी वह तेल बेच पा रहा है और इस फैसले से उसे अच्छी कीमत भी मिल पाएगी।

भारत से गद्दारी और पाकिस्तान से वफादारी करके अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहा अमेरिका: प्रताप मिश्रा

लगता है कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन अचानक ही डर गए हैं. अब उन्हें शायद यह दिव्य ज्ञान हुआ है कि पाकिस्तान दुनिया का सबसे खतरनाक देश है. उसके पास बिना किसी सामंजस्य के परमाणु हथियार हैं और वह उसकी संख्या लगातार बढ़ा रहा है. 

आश्चर्यजनक यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति अपनी समझ तब बता रहे हैं, जब उनके प्रशासन ने आतंकवाद से मुकाबले के लिए पाकिस्तान को एफ-16 के रख-रखाव का पैकेज मंजूर किया है, जिस पर भारत ने अनेक सवाल उठाए और यहां तक कहा कि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच एक ऐसा रिश्ता है, जिसका दोनों को कभी लाभ नहीं हुआ. 

सवाल यह है कि दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी सरगना ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए अमेरिका को पाकिस्तान में जाना पड़ता है, इसी प्रकार दुनिया की अनेक आतंकवादी वारदातों के तार पाकिस्तान से ही जुड़े मिलते हैं, ऐसे में पाकिस्तान को सामरिक दृष्टि से मजबूत बनाने की अमेरिकी कोशिशों को क्या कहा जा सकता है? 

भारत लंबे समय से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को अनेक अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता रहा है, बावजूद इसके अमेरिका ने अपनी हर तरह की सहायता में कभी कोई कमी नहीं की. यहां तक कि हथियार और रक्षा सामग्री को नियमित रूप से दिया. सब जानते हैं कि पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आईएसआई और सेना आतंकवादियों को खुली सहायता पहुंचाते हैं, जिससे यह सिद्ध होता है कि पाकिस्तान की सहायता अप्रत्यक्ष रूप से आतंकवादियों की सहायता ही है. फिर भी अमेरिकी प्रशासन अपने हाथ पीछे नहीं खींचता है. 

चूंकि हाल के दिनों में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अनेक अंतर्राष्ट्रीय मंचों से अमेरिका की दोहरी भूमिका पर सवाल उठाए और कड़े शब्दों में आलोचना की. इससे अमेरिका को कहीं न कहीं यह अहसास हो चला है कि भारत को उसकी हरकतें रास नहीं आ रही हैं. वह दबाव से नहीं, बल्कि अपने दम से दुनिया में अपनी ताकत और क्षमता को स्थापित करने में जुटा है. 

कोई भी देश भारत के प्रयासों को नजरअंदाज नहीं कर पा रहा है. लिहाजा भारत की नाखुशी देख पाकिस्तान की आलोचना कर उसे खुश किया जा सकता है, जिसे राष्ट्रपति बाइडेन ने कर दिखाया है. मगर उसका असर पाकिस्तान में भी दिख रहा है. इसलिए अमेरिका को चाहिए कि वह दुनिया के देशों की सही पहचान अपने पास रखे और उसी के अनुसार बर्ताव करे. वर्ना कुछ कहने के बाद काफी कुछ सुनने को मिल सकता है. 

Monday, October 17, 2022

क्या रूस के खिलाफ जंग में उतरेगा नाटो? किया सबसे बड़ा युद्धाभ्यास, B-52 बॉम्बर भी शामिल

हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमले के लिए भी इसी सीरीज के बॉम्बर B-29 को इस्तेमाल किया गया था

हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमले के लिए भी इसी सीरीज के बॉम्बर B-29 को इस्तेमाल किया गया था.(Image: U.S. Air Force/Tech. Sgt. Richard P. Ebensberger)

ब्रसेल्स. यूक्रेन-रूस युद्ध और पुतिन की परमाणु धमकियों के बीच नाटो अपने सबसे बड़े युद्धाभ्यास में जुटा हुआ है. ‘स्टेड फास्ट नून’ (Stead fast noon) के नाम से शुरू हुए इस वार्षिक परमाणु अभ्यास में चौदह सदस्य राज्य और 60 विमान हिस्सा ले रहे हैं, जो तेरह दिनों तक बेल्जियम, उत्तरी सागर और ब्रिटेन के हवाई क्षेत्र को दहलाते रहेंगे. यह परमाणु ड्रिल रूस के वार्षिक ग्रोम अभ्यास से ठीक पहल की जा रही है, जहां मास्को अपने परमाणु-सक्षम बमवर्षकों, पनडुब्बियों और मिसाइलों का परीक्षण कर नाटो को अपना दमखम दिखाने का प्रयास करेगा.

B-52 बॉम्बर भी है ड्रिल का हिस्सा
दुनिया का काल समझे जाने वाले B-52 बॉम्बर को भी इस ड्रिल का हिस्सा बनाया गया है. NATO के अनुसार स्टीडफास्ट नून में US एयर फ़ोर्स (USAF) के B-52 स्ट्रैटोफ़ोर्ट्रेस रणनीतिक बमवर्षक नॉर्थ डकोटा के मिनोट एयर बेस से दुश्मनों के दिलों को दहलाने के लिए लम्बी उड़ान भरेंगे. वहीं बेल्जियम के क्लेन ब्रोगेल एयर बेस से एडवांस F-16 विनाशकारी मिसाइल से लेस होकर ड्रिल का हिस्सा बना है. हिरोशिमा और नागासाकी (Hiroshima and Nagasaki Nuclear Attacks) पर परमाणु हमले के लिए भी इसी सीरीज के बॉम्बर B-29 को इस्तेमाल किया गया था. इन परमाणु हमलों में करीब 3 लाख 50 हजार लोग मारे गए थे.

नाटो के पास कितने एटम बम
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट की मानें तो दुनिया के सात देशों के पास कुल 12700 नुक्लियर वारहेड्स (Nuclear Warheads) मौजूद हैं. इनमें से दो देशों अमेरिका और रूस 90 प्रतिशत से अधिक परमाणु बम अपने पास रखते हैं. अगर अमेरिका के साथ नाटो के सभी देशों को मिला लें तो यह संख्या 5943 बनती है जो पूरी दुनिया को कई बार तबाह करने के लिए पर्याप्त है.

विश्लेषकों का कहना है कि नाटो न्यूक्लियर युद्ध की स्थिति में संभावित रूप से एक या अधिक टैक्टिकल या युद्धक्षेत्र परमाणु बम तैनात कर सकता है. टैक्टिकल परमाणु छोटे हथियार होते हैं, जिनमें 0.3 किलोटन से लेकर 100 किलोटन तक की विस्फोटक शक्ति होती है. तुलना के लिए, 1945 में अमेरिका द्वारा जापान के हिरोशिमा पर जो परमाणु बम गिराया गया था वो महज 15 किलोटन का था. इस हमले में एक लाख 35 हजार लोग मारे गए थे वहीं आज भी कई तरह की गंभीर बीमारियों की चपेट में लोग आ रहे हैं.

ऐसे में अगर NATO हिरोशिमा परमाणु हमले के मुकाबले 6 गुना अधिक ताकतवर परमाणु हमला करेगा तो एक झटके में रूस की एक बड़ी आबादी तबाह हो सकती है. टैक्टिकल वेपन की जगह स्ट्रेटेजिक नुक्लियर वेपन अधिक विनाशकारी साबित हो सकता है जिसका प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ना तय है. हालांकि यूक्रेन युद्ध में NATO के स्ट्रेटेजिक परमाणु हमला करने की संभावना न के बराबर ही है.

रूस के पास परमाणु शक्ति
अगर नाटो के सभी देशों के परमाणु हथियारों को मिला लिया जाये तो भी वह रूस की बराबरी नहीं कर सकते हैं. ऐसे में रूस अपने शक्तिशाली टुपोलेव टीयू-160 का इस्तेमाल कर नाटो के सभी देशों का वजूद मिटा सकता है. UN रिपोर्ट के अनुसार, विश्व भर में रूस के पास सबसे अधिक 5977 परमाणु बम उसके सैन्य ठिकानों में मौजूद हैं. इतने परमाणु बमों की मदद से पुतिन सैकड़ों बार पृथ्वी को तबाह कर सकते हैं.

फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स के अनुसार इन वारहेड में से अकेले 1100 से अधिक इंटर कॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल हैं जो रूस से बैठे ही दुनिया के हर कोने तक भेजी जा सकती हैं. साथ ही यूक्रेन को समुद्र से भी एक के बाद एक परमाणु हमले देखने को मिल सकते हैं. रूस की नौसेना ने सबमरीन से परमाणु हमले करने के लिए अपने बेड़े में 800 बैलिस्टिक मिसाइल को सजा रखा है.

ऐसे में अगर नाटो और रूस में परमाणु बम होता है ये तो न केवल यूरोप बल्कि पूरी दुनिया के लिए विनाशकारी साबित होगा और तीसरे विश्व युद्ध की ओर दुनिया को धकेल देगा.

Friday, October 14, 2022

क्या नाटो देशों को निपटाने के मूड में आ गया है रूस? बॉर्डर पर तैनात किए 11 न्यूक्लियर बॉम्बर जेट, दुनिया में बढ़ा डर

 

Russia Ukraine War: क्या नाटो देशों को निपटाने के मूड में आ गया है रूस? बॉर्डर पर तैनात किए 11 न्यूक्लियर बॉम्बर जेट, दुनिया में बढ़ा डरक्या रूस (Russia) अब पिछले 7 महीने से चली आ रही जंग को खत्म करने के मूड में आ गया है. क्या उसने यूक्रेन (Ukraine) का समर्थन कर रहे नाटो देशों का नामोंनिशान दुनिया के नक्शे से खत्म करने का मन बना लिया है. दुनिया में यह डर इसलिए बढ़ गया है क्योंकि रूस ने नाटो की सीमा के पास परमाणु बम गिराने में सक्षम 11 न्यूक्लियर बॉम्बर जेट (Russia Nuclear Attack Plane) की तैनाती कर दी है. सैटेलाइट तस्वीर में नाटो देश नार्वे की सीमा के करीब रूस के कई न्यूक्लियर बॉम्बर जेट रेडी हालत में तैनात दिखे हैं. जबकि पहले इनकी तैनाती रूस के अंदरुनी इलाकों में रहती थी.

नाटो देशों के पास तैनात किए न्यूक्लियर बॉम्बर

अमेरिकी सैटेलाइट ऑपरेटर प्लैनेट लैब्स के मुताबिक नार्वे की सीमा के पास कोल्स्की प्रायद्वीप पर बने रूस (Russia) के एयरबेस ओलेन्या पर TU-160 श्रेणी के 7 और TU-135 श्रेणी के 4 विमान खड़े दिखे हैं. ये दोनों रूस के खास रणनीतिक विमान (Russia Nuclear Attack Plane) हैं. जिनसे दुश्मन के इलाके में जाकर परमाणु बम गिराया जा सकता है.  इनमें TU-160 विमान एक बार फ्यूल भरकर 2 मैक की सुपर स्पीड से 7500 मील की नॉन स्टॉप उड़ान भर सकता है. यह आकार में रूस का सबसे बड़ा बमवर्षक विमान है और एक बार में छोटी दूरी की 12 परमाणु मिसाइलों को ले जा सकता है. वहीं TU-135 का आकार थोड़ा छोटा है लेकिन वह भी दुश्मन के इलाके में घुसकर परमाणु बम गिराकर तेज स्पीड से वापस लौटने में सक्षम है.

सैटेलाइट तस्वीरों में दिखी विमानों की तैनाती

अमेरिकी लैब ने सैटेलाइट के जरिए 7 अक्टूबर को ये तस्वीरें ली थी, जिसमें ये परमाणु बमवर्षक विमान रनवे पर उड़ान भरने के लिए तैयार दिख रहे हैं. इससे पहले इजराइल की एक खुफिया फर्म ने भी फिनलैंड की सीमा के पास बने रूस (Russia) के एक एयरबेस पर न्यूक्लियर बॉम्बर्स की तैनाती का पता लगाया था. फर्म ने सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर दावा किया था कि उसने एयरबेस पर TU-160 और TU-135 विमानों (Russia Nuclear Attack Plane) की तैनाती देखी है. वहीं यूक्रेन (Ukraine) के बॉर्डर के पास एंगेल्स एयरबेस पर भी रूसी वायुसेना की गतिविधियां बढ़ी हैं. वहीं पर रूसी एयरफोर्स के न्यूक्लियर बॉम्बर्स का एकमात्र ठिकाना हुआ करता है, जिसे अब नाटो देशों से सटे एयरबेस पर तैनात किया जा रहा है. इस एयरबेस को रूसी वायुसेना की 21वीं हेवी बॉम्बर एविएशन रेजिमेंट संचालित करती है. 

पश्चिमी देशों को बार-बार चेता रहा रूस

रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक नाटो देशों से सटे रूस (Russia) के एयरबेसों पर परमाणु बमवर्षकों (Russia Nuclear Attack Plane) की तैनाती पश्चिमी देशों के लिए रूस की सीधी चेतावनी है. इसके जरिए रूस अपने विरोधी अमेरिका समेत बाकी पश्चिमी देशों को स्पष्ट रूप से चेता रहा है कि अगर वे किसी भी तरह यूक्रेन (Ukraine) के फेवर में युद्ध में उतरे तो रूस अपने अस्तित्व के लिए किसी भी हद तक जा सकता है और नाटो देशों का नामोंनिशान मिटा सकता है. 

'नाटो में शामिल हुआ यूक्रेन तो तीसरा वर्ल्ड वार'

हाल में रूसी (Russia) सुरक्षा परिषद के डिप्टी सेक्रेटरी अलेक्जेंडर वेनेडिक्टोव ने दुनिया को चेतावनी दी की कि अगर पश्चिमी देशों ने यूक्रेन (Ukraine) को नाटो में शामिल किया और वे उसकी रक्षा के लिए युद्ध में उतरे तो यह स्पष्ट तौर पर तीसरे वर्ल्ड वार का आगाज होगा. उन्होंने कहा था कि नाटो देश इस कदम के रिएक्शन के बारे में अच्छी तरह समझते हैं और उम्मीद है कि वे ऐसी गलती नहीं करेंगे. वहीं मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि अगर यूक्रेन ने क्रीमिया को वापस लेने की कोशिश की तो वह उसके खिलाफ परमाणु बमों का इस्तेमाल करने से परहेज नहीं करेगा. 

Thursday, October 13, 2022

रूस जब परमाणु हमला करेगा, तब पश्चिमी देशों को भनक भी नहीं लगेगी: ब्रिटिश खुफिया एजेंसी के चीफ

रूस जब परमाणु हमला करेगा, तब पश्चिमी देशों को भनक भी नहीं लगेगी: ब्रिटिश खुफिया एजेंसी के चीफ

पश्चिमी देश शायद समय रहते इसका अंदाजा नहीं लगा पाएंगे कि रूस कब परमाणु हमला करने वाला है। ये बातें ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी GCHQ के चीफ जर्मी फ्लेमिंग ने कही है। फ्लेमिंग ने कहा, "रूस इकलौता ऐसा देश है जो परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की बात कर रहा है और मुझे कहना होगा कि ऐसा करना बेहद खतरनाक है।"

एक सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए फ्लेमिंह ने कहा, "मैं अपने सहयोगी देशों के साथ यह सोचना चाहूंगा कि हमारे पास परमाणु हमले का समय से पहले पता लगाने का अच्छा मौका है, लेकिन यह सबको पता है कि इस क्षेत्र में इसकी कोई गारंटी नहीं है।"

इस कॉन्फ्रेंस में नाटो के सेक्रेटरी जनरल जेन्स स्टॉल्टेनबर्ग ने कहा कि सहयोगी देशों की सेना रूस के न्यूक्लियर फोर्सेज की "बारीकी से निगरानी" कर रहा है।

उन्होंने कहा कि व्लादिमीर पुतिन की 'अप्रत्यक्ष परमाणु धमकी' काफी खतरनाक और गैर-जिम्मेदाराना है और रूस यह बात जानता है कि एक परमाणु युद्ध को "कभी जीता नहीं जा सकता" है।

वहीं, यूक्रेन पर परमाणु हमले को लेकर रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि मॉस्को तब ही परमाणु हथियारों का सहारा लेगा जब रूस को तबाही का सामना करना पड़ेगा। सरकारी टीवी से बातचीत करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि पश्चिमी देश रूस की मंशा को लेकर झूठी अटकलों को बढ़ावा दे रहे हैं।

रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने कहा कि रूस की मंशा अमेरिका या नाटो के साथ सीधे टकराव की नहीं है। उन्होंने कहा कि उनका देश आशा करता हैं कि अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश तनाव के बढ़ने के खतरों से वाकिफ होंगे।

Wednesday, October 12, 2022

हर किसी को नहीं करें प्रणाम या नमस्कार, शास्त्रों में इन लोगों का वर्जित है अभिवादन


संसार में सभी प्राणियों को वंदनीय और अभिवादन योग्य माना गया है.

हिंदू धर्म शास्त्रों में ‘सब जग ईश्वर रूप’ के सिद्धांत में पूरे संसार को भगवान का ही रूप माना गया है, इसलिए संसार के सभी प्राणियों व प्रकृति को भी वंदनीय और अभिवादन योग्य माना गया है. पंडित इंद्रमणि घनस्याल के अनुसार, धर्म शास्त्रों में सदाचार की भी मर्यादा तय की गई है, जिसका व्याघ्रपाद स्मृति में विशेष रूप से उल्लेख किया गया है. इसके अनुसार, केवल पवित्र व सद्गुणी स्त्री व पुरुष ही प्रणाम योग्य है. दुराचारी व दुष्ट लोगों का अभिवादन कभी नहीं करना चाहिए. आज हम आपको उन्हीं लोगों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनसे व्याघ्रपाद स्मृति के अनुसार कभी भी नमस्कार या प्रणाम नहीं करना चाहिए.

इन स्त्री-पुरुषों को नहीं करना चाहिए प्रणाम
व्याघ्रपाद स्मृति के अनुसार, पति प्राण घाती, सूतीका तथा गर्भपात करने वाली स्त्री का अभिवादन नहीं करना चाहिए. इसी तरह पाखंडी, पापी, यज्ञोपवीत के नियत काल का उल्लंघन करने वाला, महापापी, दुष्ट स्वभाव वाला, जूता पहने हुए, उपकार के बदले अपकार करने वाले, मंत्रोच्चारण करते हुए द्विज, शत्रु, भोजन करते हुए या भोजन करने वाले, दौड़ते हुए तथा नास्तिक व्यक्ति को नमस्कार नहीं करना चाहिए. वमन यानी उल्टी करते, जम्हाई लेते व मंजन करते समय भी प्रणाम निषिद्ध है. स्मृति के अनुसार, जो व्यक्ति इन नियमों का पालन नहीं करता है, वह खुद अशुद्ध हो जाता है, जो अहोरात्र उपवास से ही शुद्ध हो सकता है.

इन्हें प्रणाम करना जरूरी
व्याघ्रपाद स्मृति के अनुसार देवालय या देव प्रतिमा, सन्यासी तथा त्रिदंडी स्वामी को देखकर, उन्हें प्रणाम जरूर करना चाहिए. ऐसा नहीं करने वाला व्यक्ति प्रायश्चित का भागी होता है. इस संबंध में उन्होंने लिखा है कि- ‘देवप्रतिमां दृष्ट्रा यतिं दृष्ट्रा त्रिदण्डिनम। नमस्कारं न कुर्वीत प्रायश्चित्ती भवेन्नर:।।’

एक हाथ से ना करें नमस्कार
महर्षि व्याघ्रपाद के अनुसार, अभिवादन कभी एक हाथ से भी नहीं करना चाहिए. वे लिखते हैं कि-
जन्मप्रभृति यत्किंचितïï् सुकृतं समुपार्जितम।
तत्सर्वं निष्फलं याति एकहस्ताभिवादनात।।
यानी जो व्यक्ति एक हाथ से अभिवादन करता है, वह आजीवन कमाए हुए पुण्य को खत्म कर देता है.

Tuesday, October 11, 2022

यूक्रेन पर एयर अटैक को रूस ने बताया 'फर्स्ट एपिसोड', आखिर क्या करने वाले हैं पुतिन?


Russia Ukraine War: यूक्रेन पर एयर अटैक को रूस ने बताया 'फर्स्ट एपिसोड', क्या करने वाले हैं पुतिन?

Vladimir Putin Plan: रूस ने यूक्रेन पर हमले तेज कर दिए हैं. राजधानी कीव समेत कई शहरों पर सोमवार को ताबड़तोड़ मिसाइल हमले किए गए. हमले में कई लोगों के मारे जाने की खबर है. रूस को क्रीमिया से जोड़ने वाले पुल पर किये गए हमले के बाद से मॉस्को के तेवर और सख्त हो गए हैं. पुतिन ने इस हमले को आतंकी गतिविधि बताया था. इस बीच रूस के पूर्व  राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने यूक्रेन पर हवाई हमलों को फर्स्ट एपिसोड बताया है. उन्होंने दावा किया कि यूक्रेन को सबक सिखाना अब जरूरी हो गया है. 

उन्होंने कहा, 'पहला एपिसोड पूरा हो गया है. आगे और भी होंगे.' रूस की सिक्योरिटी काउंसिल के डिप्टी हेड मेदवेदेव ने कहा, 'यूक्रेन हमेशा मॉस्को के लिए स्थायी, प्रत्यक्ष और तत्काल खतरा पैदा करेगा. इसलिए, हमारे लोगों की रक्षा करने, सीमा को सुरक्षित करने के लिए यूक्रेनी राजनीतिक शासन को पूरी तरह से खत्म करना ही मकसद होना चाहिए.'

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, पिछले दिनों पुतिन ने पश्चिमी देशों को चेतावनी दी थी और कहा था कि रूस अपनी रक्षा के लिए एटमी हथियारों का भी इस्तेमाल करने को तैयार है. यह सिर्फ झांसा नहीं है. पुतिन ने यूक्रेन पर कब्जा करने की योजना का भी समर्थन किया था. 

अब दुश्मन को नहीं छोड़ेंगे, बाइडेन से भी की बात; रूस के मिसाइल अटैक के बाद गरजा यूक्रेन


यूक्रेन के खिलाफ युद्ध की शुरुआत के बाद से रूस ने सोमवार की सुबह कई शहरों पर करीब 84 मिसाइलें दागकर दुनिया को चौंका दिया। जिस वक्त यूक्रेन के शहरों पर मिसाइलें गिरनी शुरू हुई, उस वक्त लोग अपने घरों में या तो आराम कर रहे थे या मॉर्निंग वॉक पर थे। इन धमाकों में 14 लोगों के मारे जाने की सूचना भी है।

रूसी हमले के जवाब में यूक्रेन ने अपने सशस्त्र बलों को और मजबूत करने की कसम खाई है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि हम अपने बलों को मजबूत करने के लिए कुछ भी करेंगे और अपने दुश्मन के लिए युद्ध का मैदान और भी दर्दनाक बना देंगे।

रूस द्वारा अपने शहरों पर अब तक के सबसे बड़े हवाई हमलों के बाद यूक्रेन ने अपने सशस्त्र बलों को मजबूत करने की कसम खाई। सोमवार सुबह अचानक शहरों पर मिसाइलें गिरने से हजारों लोगों को एक बार फिर बम आश्रयों में भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। रूसी मिसाइलों के हमले में अब तक 14 लोगों के मारे जाने की सूचना है। कई लोग घायल भी हैं। जिस वक्त मिसाइलें गिर रही थीं, उस वक्त ज्यादातर लोग चौराहों, पार्कों और पर्यटन स्थलों में मौजूद थे।

अपने बलों को मजबूत करेंगे, जेलेंस्की ने बाइडेन से भी की बात

यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से बात की और बाद में टेलीग्राम पर लिखा कि हवाई रक्षा “हमारे रक्षा सहयोग में नंबर 1 प्राथमिकता” है। उन्होंने सोमवार रात को अपने संबोधन में कहा, “हम अपने सशस्त्र बलों को मजबूत करने के लिए सब कुछ करेंगे।” “हम दुश्मन के लिए युद्ध के मैदान को और अधिक दर्दनाक बना देंगे

बाइडेन ने जेलेंस्की को बताया कि संयुक्त राज्य अमेरिका उन्नत वायु रक्षा प्रणाली प्रदान करेगा। इससे पहले पेंटागन ने 27 सितंबर को कहा था कि वह अगले दो महीनों में राष्ट्रीय उन्नत सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली देना शुरू कर देगा।

इन शहरों पर गिराई गई मिसाइलें

यूक्रेन के अधिकारियों ने बताया कि पश्चिमी यूक्रेन में कीव, ल्वीव, टेरनोपिल और ज़ाइटॉमिर, केंद्र में निप्रो और क्रेमेनचुक, दक्षिण में ज़ापोरिज़्झिया और पूर्व में खार्किव में विस्फोट हुए। पिछले साल 24 फरवरी को यूक्रेन पर हुए हमले के बाद से रूस की ओर से यह सबसे बड़ा हवाई हमला माना जा रहा है।

Monday, October 10, 2022

‘काफिर की रूह को नहीं मिलती शांति, जहन्नुम में जाएगा’: जिनके लिए रामभक्तों पर गोली चलवा कर ‘मुल्ला’ बने मुलायम, वही मुस्लिम मना रहे निधन का जश्न


2 नवंबर, 1990 को अयोध्या में रामधुन में राम भक्तों पर फायरिंग हुई थी। अयोध्या की गलियों में रामभक्तों को दौड़ा-दौड़ा कर निशाना बनाया गया।

मुलायम सिंह यादव
मुलायम सिंह यादव के निधन पर खुश हुए कट्टरपंथी मुस्लिम (फोटो साभार: आज तक/ अली सोहराब फेसबुक)

अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलवाने वाले उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) अब इस दुनिया में नहीं रहे। मुलायम के निधन की खबर सुनकर उनके विरोधी नेता भी शोक जता रहे हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम उनके जाने का जश्न मना रहे हैं। फेसबुक पर अली सोहराब नाम के शख्स ने लिखा, “मुलायम सिंह यादव अब इस दुनिया में नहीं रहे।” इसके साथ उसने #FNJ भी लिखा है।

अली सोहराब का फेसबुक पोस्ट

इस पोस्ट को देखते ही फेसबुक पर कट्टरपंथी मुस्लिमों की मानो खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। ज्यादातर ने इस पोस्ट पर लॉफिंग इमोजी बनाया है। मोहम्मद शाहिद नाम का एक यूजर पूछता है कि ये FNJ क्या है। इस पर सलाफी नाम का यूजर कहता है कि ‘फी नारे जहन्नम’।

फोटो साभार: अली सोहराब का फेसबुक पोस्ट

इसके अलावा ये लोग उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री को ‘काफिर’ बताकर उनके निधन की खबर वाली फेसबुक पोस्ट पर हाहा रिएक्शन दे रहे हैं।

फोटो साभार: अली सोहराब का फेसबुक पोस्ट
फोटो साभार: अली सोहराब का फेसबुक पोस्ट

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का 82 साल की उम्र में सोमवार (10 अक्टूबर, 2022) को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। समाजवादी पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से अखिलेश यादव का बयान ट्वीट करके कहा गया- “मेरे आदरणीय पिता जी और सबके नेता जी नहीं रहे।”

बता दें कि 2 नवंबर, 1990 को अयोध्या में रामधुन में राम भक्तों पर फायरिंग हुई थी। अयोध्या की गलियों में रामभक्तों को दौड़ा-दौड़ा कर निशाना बनाया गया। 3 नवंबर 1990 को जनसत्ता में छपी एक रिपोर्ट में लिखा गया, “राजस्थान के श्रीगंगानगर का एक कारसेवक, जिसका नाम पता नहीं चल पाया है, गोली लगते ही गिर पड़ा और उसने अपने खून से सड़क पर लिखा सीताराम। पता नहीं यह उसका नाम था या भगवान का स्मरण। मगर सड़क पर गिरने के बाद भी सीआरपीएफ की टुकड़ी ने उसकी खोपड़ी पर सात गोलियाँ मारी।”

कारसेवकों द्वारा जारी की गई सूची में 40 कारसेवकों के मारे जाने की बात कही गई थी। जबकि विश्व हिन्दू परिषद ने 59 लोगों के मारे जाने की बात कही थी। राम भक्तों के इस नरसंहार के बाद मुलायम को ‘मौलाना मुलायम’ का तमगा हासिल हुआ है।ह

यूक्रेन को बर्बाद करके ही दम लेंगे पुतिन? रूस ने उतारे आत्मघाती ईरानी ड्रोन


यूक्रेन की बर्बादी के लिए रूस ने जंग में आत्मघाती ईरानी ड्रोन उतार दिए हैं। देश में हाल में हुए हमले के आधार पर मीडिया रिपोर्ट में ऐसा दावा किया जा रहा है। रूस ने यूक्रेन में 12 से ज्यादा ड्रोन भेजे हैं। हाल में यूक्रेन बिला त्सेरकवा शहर में ईरानी ड्रोन के हमले में एक व्यक्ति घायल हो गया। क्षेत्र के गवर्नर ने भी इसकी पुष्टि की है।

यूक्रेन के अनुसार रूस ने इस सप्ताह पहली बार राजधानी कीव पर हमला करने के लिए ईरानी आत्मघाती ड्रोन का इस्तेमाल किया। क्षेत्र के गवर्नर ओलेक्सी कुलेबा ने टेलीग्राम पर यह दावा किया है। उन्होंने बताया कि मंगलवार देर रात ड्रोन के जरिये छह विस्फोट किए गए।

उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे को नष्ट करने के मकसद से कुल 12 ड्रोन भेजे गए हैं। वहीं, वेबसाइट मिलिट्री फैक्टरी के अनुसार आत्मघाती ड्रोन और मानव रहित लड़ाकू हवाई वाहन (यूसीएवी) विस्फोटकों से भरे होते हैं। इससे भारी तबाही होने की आशंका बढ़ जाती है।

उधर, यूक्रेनी सेना का दावा है कि उसने सितंबर के मध्य में इस तरह के पहले ईरानी यूसीएवी को मार गिराया था। सैन्य प्रवक्ता नतालिया हुमेनियुक ने बताया दक्षिणी यूक्रेन में तब से लेकर अब तक लगभग दो दर्जन ईरानी यूसीएवी देखे गए हैं। उनमें से आधे को मार गिराया गया। उन्होंने कहा कि अधिकांश आत्मघाती ड्रोन हमले ओडेसा के समुद्री बंदरगाह को लक्षित करके किया गया था। जहां कई लोगों की मौत हो गई।

ईरान का इनकार

यूक्रेन के खिलाफ रूस ने ड्रोन का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। ड्रोन 200 किलोमीटर प्रति घंटे (125 मील प्रति घंटे) की गति से उड़ भर सकते हैं। उड़ान भरते समय इससे इतना शोर होता है कि लोग दूर से ही इनको पहचान सकते हैं। बताया जा रहा है कि ये ड्रोन रूस को ईरान से मिले रहे हैं, लेकिन ईरान इससे इनकार करता है।

40 किलोग्राम भार ले जाने में सक्षम

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रूस ने ईरान से मोहजर-6 ड्रोन हासिल कर लिया है। यह मानव रहित लड़ाकू ड्रोन 200 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से 40 किलोग्राम तक का पेलोड ले जा सकता है। इसके अलावा, 2,500 किलोमीटर तक की रेंज वाले छोटे एचईएसए 136 आत्मघाती ड्रोन भी खरीदे हैं। हालांकि ईरान ने आधिकारिक तौर पर इसकी डिलीवरी से इनकार किया है।

नहीं रहे मुलायम सिंह यादव, 82 साल की उम्र में गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में ली अंतिम सांस


मुलायम सिंह यादव का सोमवार को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन

सपा सरंक्षक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का सोमवार को निधन हो गया. वे 82 साल के थे. मुलायम सिंह यादव को यूरिन संक्रमण, ब्लड प्रेशर की समस्या और सांस लेने में तकलीफ के चलते 2 अक्टूबर को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनकी तबीयत लगातार नाजुक बनी हुई थी. 

मुलायम सिंह यादव के भर्ती होने के बाद से अस्पताल में नेताओं का मिलने सिलसिला लगातार जारी था. रविवार को नेताजी का हाल जानने के लिए रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया मेदांता अस्पताल पहुंचे. वहीं इससे पहले आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह और उत्तर प्रदेश श्रम कल्याण परिषद के अध्यक्ष और दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री पंडित सुनील भराला ने भी अस्पताल पहुंचकर अखिलेश यादव से की मुलाकात थी. 

पीएम मोदी ने जाना था हाल 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव से बातचीत कर मुलायम सिंह यादव के स्वास्थ्य की जानकारी ली. पीएम मोदी ने अखिलेश यादव को आश्वासन दिया था कि वे हर संभव मदद और सहायता देने के लिए मौजूद हैं. वहीं, राजनाथ सिंह मुलायम सिंह यादव का हालचाल जानने के लिए अस्पताल भी पहुंचे थे. 

मुलायम सिंह यादव 3 बार उत्तर प्रदेश के सीएम रहे.

किसान परिवार में हुआ जन्म

मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को इटावा जिले के सैफई गांव में हुआ था. उनके पिता सुघर सिंह यादव एक किसान थे.  मुलायम सिंह यादव मौजूदा वक्त में मुलायम सिंह मैनपुरी सीट से लोकसभा सांसद हैं. उत्तर प्रदेश की राजनीति हो देश की राजनीति, मुलायम सिंह यादव को प्रमुख नेताओं में गिना जाता हैं. वे तीन बार UP के सीएम रहे और वो केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री भी रह चुके हैं. इसके अलावा मुलायम सिंह 8 बार विधायक और 7 बार लोकसभा सांसद भी चुने जा चुके हैं.

मुलायम सिंह यादव ने दो शादियां की थीं. उनकी पहली पत्नी, मालती देवी की मृत्यु मई 2003 में हुई, वह अखिलेश यादव की मां थी. मुलायम ने दूसरी शादी साधना गुप्ता से की. मुलायम सिंह और साधना के बेटे का नाम प्रतीक यादव है. हाल ही में साधना का निधन हो गया था. 
 

मुलायम सिंह यादव ने 1992 में सपा का गठन किया था.


5 दशक का राजनीतिक करियर

- 1967, 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996- 8 बार विधायक रहे. 
- 1977 उत्तर प्रदेश सरकार में सहकारी और पशुपालन मंत्री रहे. लोकदल उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष भी रहे. 
- 1980 में जनता दल प्रदेश अध्यक्ष रहे. 
- 1982-85- विधानपरिषद के सदस्य रहे. 
- 1985-87- उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे. 
- 1989-91 में उत्तर प्रदेश के सीएम रहे. 
- 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन किया.
- 1993-95- उत्तर प्रदेश के सीएम रहे. 
- 1996- सांसद बने
- 1996-98-  रक्षा मंत्री रहे. 
- 1998-99 में दोबारा सांसद चुने गए. 
- 1999 में तीसरी बार सांसद बन कर लोकसभा पहुंचे और सदन में सपा के नेता बने. 
- अगस्त 2003 से मई 2007 में उत्तर प्रदेश के सीएम बने. 
- 2004 में चौथी बार लोकसभा सांसद बने 
- 2007-2009 तक यूपी में विपक्ष के नेता रहे.
- मई 2009 में 5वीं बार सांसद बने. 
- 2014 में 6वीं बार सांसद बने
- 2019 से 7वीं बार सांसद थे।

Sunday, October 9, 2022

भारत मिलावट की दुनियां में अग्रणी होना है बेहद खतरनाक: प्रताप मिश्रा

पश्चिम अफ्रीकी देश गांबिया में 66 बच्चों की मौत के बाद वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्लूएचओ) ने एक भारतीय कंपनी के बनाए चार कफ सीरप को लेकर ग्लोबल अलर्ट जारी किया है। शुरुआती खबरों से ऐसा लग रहा है कि इन कफ सीरप में डाईथिलीन ग्लाइकोल मिलाया गया था जिसकी ज्यादा मात्रा जानलेवा होती है। हालांकि डब्लूएचओ से गांबिया में हुई बच्चों की मौतों और कफ सीरप के बीच संबंध की पुष्टि करने वाले और साक्ष्य मांगे गए हैं, लेकिन शुरुआती संकेत भी कम गंभीर नहीं हैं। इस संबंध में पहली बात यह है कि भले ही विवादों में आई हरियाणा की इस कंपनी को केवल निर्यात के लिए उत्पादन करने का लाइसेंस मिला हुआ था, लेकिन दवाओं में गड़बड़ियों की समस्या देश के अंदर भी उठती रही है।

पिछले महीने ही चंडीगढ़ स्थित पोस्ट ग्रैजुएशन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च में एनेस्थेटिक इंजेक्शन से पांच मरीजों की मौत हो गई थी। फरवरी 2020 में हिमाचल प्रदेश की एक कंपनी में बना कफ सीरप पीने से जम्मू-कश्मीर में 11 बच्चों की मौत की खबर आई थी। जाहिर है, ताजा मामले से जुड़े सारे तथ्य सामने आने ही चाहिए, वे लाए भी जा रहे हैं, लेकिन उस आड़ में समस्या और उसकी गंभीरता से इनकार नहीं किया जा सकता।

दूसरी बात यह है कि कफ सीरप में मिलावट कोई नई बात नहीं, न ही इसे गलत या आपत्तिजनक माना जाता है। सवाल उसकी मात्रा का है। उसका अनुपात निश्चित है, लेकिन प्रोडक्शन कॉस्ट कम करने और मुनाफा बढ़ाने के फेर में अक्सर उसकी मात्रा तय सीमा से ज्यादा कर दी जाती है। इस पर अंकुश रखने के लिए नियम कानून ही नहीं, नियामक तंत्र भी बने हुए हैं। लेकिन देश में करीब 3000 कंपनियां और 10,500 से ज्यादा मैन्युफैक्चरिंग यूनिट हैं। जाहिर है, इन पर लगातार नजर रखने के लिए जितना बड़ा नेटवर्क और जिस स्तर की फंडिंग चाहिए, वह नहीं है।


तीसरी और सबसे बड़ी बात यह है कि फार्मास्युटिकल सेक्टर भारत के सबसे संभावनाशील सेक्टरों में है। दुनिया की फार्मेसी कहे जाने वाले भारत की दवाओं के वैश्विक कारोबार में (मात्रा के हिसाब से) एक तिहाई हिस्सेदारी है। इस तरह की घटनाओं से किसी एक कंपनी की नहीं पूरे भारत की मेडिकल इंडस्ट्री की बदनामी होती है। तो मामला देश के अंदर का हो या बाहर का, ऐसी घटनाएं किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जा सकतीं। नियामक एजेंसियों की अपर्याप्त संसाधनों की शिकायत भी एक हद तक वाजिब हो सकती है। अगर ऐसा है तो सरकार को यह शिकायत दूर करनी चाहिए। लेकिन इसके साथ यह भी मानना पड़ेगा कि इन एजेंसियों में इच्छा शक्ति का भी अभाव है, नहीं तो ऐसी घटनाएं बार-बार सामने नहीं आतीं। सवाल इंसानी जिंदगी का है, इसलिए ऐसे मामलों में कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए।