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Tuesday, November 29, 2022

ब्रिटेन-चीन के संबंधों का स्‍वर्ण काल खत्‍म, ऋषि सुनक का बड़ा ऐलान, भारत से करेंगे एफटीए


लंदन: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने चीनी ड्रैगन पर बड़ा प्रहार किया है। सुनक ने कहा कि ब्रिटेन और चीन के बीच रिश्‍तों का स्‍वर्ण काल अब खत्‍म हो गया है। उन्‍होंने कहा कि चीन ने ब्रिटेन के मूल्‍यों और हितों के लिए ‘व्‍यवस्थित’ चुनौती पेश कर दी है। सुनक सरकार ने शंघाई में विरोध प्रदर्शन कर रहे बीबीसी पत्रकार को पीटे जाने की निंदा की। ब्रिटेन के पीएम ने कहा कि हम हिंद- प्रशांत क्षेत्र के साथ अपने रिश्‍तों को मजबूत करेंगे और भारत के साथ मुक्‍त व्‍यापार समझौते को अंजाम देंगे।

सुनक ने कहा कि ब्रिटेन और चीन के बीच रिश्‍तों का स्‍वर्णिम काल खत्‍म हो गया है और इसके साथ यह विचार भी खत्‍म हो गया है कि व्‍यापार से अपने आप ही सामाजिक और राजनीतिक सुधार होंगे। उन्‍होंने कहा कि ब्रिटेन को चीन के प्रति अपने दृष्टिकोण विकसित करना होगा। सुनक ने बताया कि चीन अपने सभी सरकारी ताकत का इस्‍तेमाल दुनिया में प्रभाव बढ़ाने के लिए कर रहा है। सुनक ने कहा कि उनकी सरकार हिंद-प्रशांत क्षेत्र के सहयोगियों के साथ अपने व्‍यापार और सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने पर प्राथमिकता देगी।

सुनक अपनी ही पार्टी के निशाने पर
ब्रिटिश पीएम ने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अर्थव्‍यवस्‍था और सुरक्षा को अलग-अलग नहीं किया जा सकता है। इससे पहले सुनक अपनी ही पार्टी के विरोधियों के निशाने पर आ गए थे जो आरोप लगा रहे थे कि सुनक अपनी पूर्ववर्ती लिज ट्रस के मुकाबले कम कठोर रवैया रख रही हैं। इससे पहले लिज ट्रस के खिलाफ अपनी दावेदारी के दौरान ने ऋषि सुनक ने वादा किया था कि अगर वह जीतते हैं तो चीन के खिलाफ सख्‍त रवैया अपनाएंगे। उन्‍होंने चीन को घरेलू और वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा नंबर 1 बताया था।

इससे पहले जी-20 शिखर सम्‍मेलन के दौरान सुनक और चीनी राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बैठक होनी थी लेकिन वह हो नहीं पाई थी। ब्रिटेन ने चीन में बने सुरक्षा कैमरों को संवेदनशील सरकारी इमारतों में लगाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। इस बीच सुनक ने भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते को लेकर ब्रिटेन की प्रतिबद्धता को दोहराया है। भारतीय मूल के नेता ऋषि सुनक ने प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभालने के बाद पहली बार विदेश नीति के संबंध में पहली बार भाषण दिया है।

Monday, November 28, 2022

जिनपिंग के खिलाफ सडक़ों पर लोग; चीन में कोरोना पाबंदियों से भडक़े लोगों ने लगाए जमकर नारे


चीन में शी जिनपिंग की सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। एक तरफ कोरोना के बढ़ते मामले तो दूसरी ओर जीरो कोविड पॉलिसी की वजह से जबरदस्ती घरों में कैद करके रखे जाने से लोग परेशान हैं। इस बीच चीन के पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र में भीषण आग लगने की घटना से लोगों का गुस्सा और ज्यादा भडक़ गया और अब वह कई शहरों में कोविड-19 संबंधित लॉकडाउन के खिलाफ सडक़ों पर उतर आए हैं। चीन के शंघाई में सख्त कोविड पॉलिसी के खिलाफ शनिवार रात विरोध प्रदर्शन देखा गया। सोशल मीडिया पर कई वीडियो सामने आए हैं, जिनमें लोग कोरोना प्रतिबंधों के खिलाफ नारे लगाते नजर आ रहे हैं। कोरोना को लेकर बरती जा रही सख्ती में ढील देने की मांग लेकर बड़ी संख्या में लोग सडक़ों पर उतर आए। रिपोर्ट के मुताबिक, उरुमकी रोड पर लोगों ने शी जिनपिंग की अगवाई वाली चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।

इन लोगों ने ‘कम्युनिस्ट पार्टी को हटाओ, कम्युनिस्ट पार्टी, पद छोड़ो’ और ‘शी जिनपिंग, सत्ता छोड़ो’ के नारे लगाए। इस नारेबाजी का वीडियो ट्विटर पर सामने आया है। विरोध-प्रदर्शन में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। शंघाई में विरोध प्रदर्शन को लेकर कई सारे ट्वीट्स किए गए हैं, जिनमें बताया गया है कि उरुमकी रोड पर जुटे लोगों ने जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने ‘मैं पीसीआर टेस्ट नहीं कराना चाहता, हमें आजादी चाहिए’ और ‘लॉकडाउन खत्म करो’ के नारे लगाए। देर रात तक प्रदर्शनकारियों के इन नारों की गूंज दूर-दूर सुनाई दी। इनका कहना है कि ये लोग ‘जीरो कोविड पॉलिसी’ से तंग आ गए हैं।

पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हाथापाई भी

खबर है कि शंघाई में विरोध प्रदर्शन स्थल पर लोगों और पुलिस के बीच हाथापाई भी हुई। बताया जा रहा है कि पुलिस ने शंघाई में घटनास्थल पर प्रदर्शनकारियों को घेर लिया और कुछ महिलाओं को हिरासत में ले लिया। शंघाई से विरोध-प्रदर्शन की जो तस्वीरों सामने आ रही हैं उन्हें अविश्वसनीय बताया जा रहा है। ट्विटर यूजर्स का कहना है कि उरुमकी रोड पर लोग कम्युनिस्ट पार्टी को सत्ता से बेदखल करने के नारे लगा रहे हैं। चीन जैसे साम्यवादी देश में इस तरह के नारों की गूंज कम ही सुनाई देती है।

Sunday, November 27, 2022

खुदाई के दौरान चर्च के नीचे से निकला भव्य मंदिर, विशालकाए दीवारें देख पुरातत्वविद हैरान


क्रोएशिया में चर्च के नीचे से निकला मंदिर

क्रोएशिया में चर्च के नीचे से निकला मंदिर

रिपोर्ट के मुताबिक, क्रोएशिया के सिबेनिक के पास दनिलो में ये चर्च स्थित है, जिसका नाम सेंट डेनियल चर्च है और इसी चर्च के नीचे मंदिर के नींव की खोज की गई है। क्रोएशियाई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस शहर का प्राचीन नाम रिडिट हुआ करता था और बाद में नाम बदलकर सिबेनिक कर दिया गया था, लेकिन चर्च के अंदर एक मंदिर है, इसकी जानकारी किसी को नहीं थी। हालांकि, बाद में धीरे धीरे इस शहर में जमीन के नीचे से प्राचीन रोमन सामानों का निकलना शुरू हुआ था, जिसने पुरातत्वविदों की कौतूहल बढ़ा दी थी और फिर शहर के नीचे क्या है, उसकी तलाश के लिए अलग अलग वैज्ञानिक पद्धति का इस्तेमाल किया गया।

वैज्ञानिक पद्धति से मंदिर की खोज

रिपोर्ट के मुताबिक, पोलैंड और क्रोएशिया के पुरातत्वविदों की टीम ने संयुक्त अभियान चलाकर चर्च के नीचे छिपे इस मंदिर की खोज की है, जिसमें मंदिर के अलावा भी कई और चीजें बरामद की गई हैं। पुरातत्वविदों की संयुक्त टीम ने LIDAR एरियल स्कैनिंग टेक्नोलॉजी की मदद से खोज अभियान चलाया था और कई सौ साल पहले जमीन के नीचे दफ्न कर दिए गये इस मंदिर की तलाश कर ली है। रिपोर्ट के मुताबिक, चर्च के नीचे जो मंदिर मिला है, उसकी दीवारे काफी बड़ी बड़ी थी। वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि, इसकी दीवारें 66 फीट लंबी से लेकर 33 फीट तक लंबी थी। वॉरसॉ में कार्डिनल स्टीफन विस्ज़िंस्की विश्वविद्यालय के पुरातत्व संस्थान के प्रोफेसर, फैबियन वेल्क ने बताया कि, मंदिर का जो हिस्सा खोजा गया है, वो मंदिर के अंदर जाने का द्वार है और इससे पता चलता है, कि मंदिर काफी विशाल रहा होगा।

शहर रहा होगा महत्वपूर्ण

शहर रहा होगा महत्वपूर्ण

प्रोफेसर फैबियन वेल्क के मुताबिक, जिस जगह पर ये मंदिर मिला है, वो शहर का केन्द्र रहा होगा और मंदिर के चारों तरफ शहर के आधिकारिक केन्द्र, जैसे कोर्ट और प्रशासनिक कार्यालय रहे होंगे। उन्होंने कहा कि, अभी तक ऐसे अनुमान मिल रहे हैं, कि ये मंदिर शहर में काफी खास महत्व रखता होगा। लेकिन, धीरे धीरे मंदिर को लोगों ने भुलाना शुरू कर दिया और फिर लोग इसे पूरी तरह से भूल गये। LIDAR एरियल स्कैनिंग की मदद से पुरातत्वविदों ने पता लगाया है कि, इस मंदिर के साथ स्थापत्य कला के भी नमूने मिले हैं और पता चला है, कि मंदिर के ऊपर बाद में एक कब्रिस्तान का निर्माण कर दिया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, 1वीं और 15वीं शताब्दी के बीच मंदिर के ऊपर कब्रिस्तान और चर्च का निर्माण किया गया। पुरातत्वविदों ने कुछ मध्ययुगीन कब्रों को सीधे रोमन स्नानागार के अवशेषों में खोदा गया है। पुरातत्वविदों ने बताया कि, जो कब्रिस्तान मिला है, उसका ताल्लुक ईसाई धर्म से संबंधित है।

भारत की नाक के नीचे हिंद महासागर में साजिश रच रहा चीन, 19 देशों के साथ कर रहा ‘सीक्रेट’ मीटिंग


21 नवंबर को चीन ने हिंद महासागर क्षेत्र में आने वाले 19 देशों के साथ एक मीटिंग की। चाइना इंटरनेशनल डेवलपमेंट को-ऑपरेशन एजेंसी (CIDCA) की इस मीटिंग को विदेश मंत्रालय की तरफ से आयोजित किया गया था। चीन-हिंद महासागर रीजन फोरम की तरफ से हुई मीटिंग में 19 देशों ने हिस्‍सा लिया था। लेकिन भारत इकलौता देश था जिसे इस मीटिंग से बाहर रखा गया था। इस सम्‍मेलन के बारे में विदेश मंत्रालय के बारे में प्रेस रिलीज जारी कर जानकारी दी गई थी। विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि इस मीटिंग को हाइब्रिड तौर पर ‘साझा विकास’ थीम के तहत आयोजित किया गया था। युन्‍नान प्रांत के कुमिंग में हुई मीटिंग ब्‍लू इकोनॉमी पर चर्चा हुई थी।

चीन की बड़ी रणनीति चीन इस कार्यक्रम को एक रणनीतिक पहलू के तौर पर देखता है। पाकिस्‍तान, इंडोनेशिया, म्‍यांमार, श्रीलंका, बांग्‍लादेश, मालदीव, नेपाल, अफगानिस्‍तान, ईरान, ओमान, दक्षिण अफ्रीका, केन्‍या, मोंजाबिक, तंजानिया, सेशेल्‍स, मैडागास्‍कर, मॉरिशस, जिबूती और ऑस्‍ट्रेलिया ने इसमें हिस्‍सा लिया था। भारत को CIDCA एजेंसी की तरफ से आमंत्रण नहीं भेजा गया था। यह चीन की नई डेवलवमेंट एजेंसी है और पूर्व उप-विदेश मंत्री ल्‍यू झाहोहूई इसके मुखिया हैं। झाहोहूई भारत और पाकिस्‍तान में राजदूत भी रहे हैं और पाकिस्‍तान के लिए उनका रुख हमेशा नरम रहा हैं।

दुनिया को बड़ा संदेश
विशेषज्ञों के मुताबिक इस फोरम के जरिए चीन का मकसद कूटनीतिक तरक्‍की को दुनिया को बताना है। इस साल की शुरुआत में चीन के विदेश मंत्री वांग यी श्रीलंका की यात्रा पर गए थे। इस दौरान ही उन्‍होंने सहमति और तालमेल बनाने और आम विकास को बढ़ावा देने के मकसद से हिंद महासागर द्वीप के देशों के विकास के लिए एक नया मंच बनाने का प्रस्‍ताव दिया था। इसी दौरान श्रीलंका से पहल में बड़ी भूमिका निभाने की अपील की थी।

क्‍या था मकसद
इस मीटिंग में भाग लेने वाले देशों ने हिंद महासागर में मौजूद संसाधनों को मजबूत करने से लेकर पर्यटन और शिपिंग एक स्थायी तरीके से आगे बढ़ाने पर चर्चा की। चीन, जिसने चीन-अफ्रीका सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर की स्थापना की है, ने देशों से “गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों को संयुक्त रूप से संबोधित करने और वैश्विक विकास सहयोग में भाग लेने के लिए भी कहा है, ताकि एक संयुक्त, समान, संतुलित और समावेशी वैश्विक विकास किया जा सके। चीन का कहना कि वह हिंद महासागर में मौजूद देशों को वित्‍तीय, मैटेरियल और तकनीक समर्थन देने के लिए तैयार है।

देशों को फंसाने की नीति
चीन, हिंद महासागर क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिशों में लगा हुआ है। वह यहां मौजूद बंदरगाहों पर भारी निवेश कर रह है और पाकिस्‍तान, श्रीलंका जैसे देशों को इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर के लिए संसाधन मुहैया कराने में भी लगा है। चीन ने जहां जिबूती में तो अपना नेवी बेस तैयार कर ही लिया है तो वहीं श्रीलंका के हंबनटोटा को भी 99 साल के लिए लीज पर लिया है। दूसरी ओर भारत के ठीक सामने अरब सागर तक मजबूत पकड़ बनाने के लिए पाकिस्‍तान के ग्‍वादर में बंदरगाह तैयार कर रहा है। भारत के पश्चिम में स्थित पड़ोसी देश मालदीव में भी जमकर इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर निवेश कर रहा है।

प्रभाव कमजोर करने की कोशिश
चीन के इस मंच का मकसद हिंद महासागर में भारत के प्रभाव को कमजोर करना है। भारत की तरफ से हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) को संचालित किया जा रहा है। इस संगठन में 23 देश सदस्‍य हैं। चीन साल 1997 में शुरू हुए IORA में डायलॉग पार्टनर है। यह संगठन साल 2015 में अफ्रीकी यूनियन और संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा में पर्यवेक्षक बना था। साल 2020 में भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में टकराव शुरू हुआ। इसके बाद से गलवान घाटी हिंसा ने दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्‍तों को बड़े स्‍तर पर प्रभावित किया है।

POK के मसले पर आने वाले समय में हो सकता है भारत-पाक युद्ध


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भारत और पाकिस्तान सीमा पर आने वाले समय में तनाव बढ़ने के आसार हैं। दरअसल, उत्तरी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी के बयान कि सेना पीओके लेने को तैयार है। सिर्फ आदेश का इंतजार है। जवाब में पाकिस्तान ने चिढ़ते हुए टिप्पणी की है कि भारतीय सेना अपने राजनीतिक आकाओं का चुनावी समर्थन बढ़ाने के लिए गैर जिम्मेदाराना बयान देने से दूर रहे तो क्षेत्रीय शांति के हित में बेहतर होगा। 

इससे पहले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा था कि अभी हमने उत्तर की ओर चलना शुरू किया है। ये यात्रा तब पूरी होगी जब 22 फरवरी 1994 में भारतीय संसद में लाए गए प्रस्ताव को अमल में लाएंगे और उसके तहत हम बाकी बचे हिस्से गिलगित-बाल्टिस्तान तक पहुंचेंगे।

हिमाचल में चुनाव प्रचार के दौरान भी राजनाथ के समक्ष लोगों ने कई बार पीओके का मुद्दे उठाया था। लोगों ने कहा था कि पीओके चाहिए, जवाब में राजनाथ को कहना पड़ा था कि धैर्य रखिए। चिनार कॉर्प्स के लेफ्टिनेंट जनरल अमरदीप सिंह औजला का बयान भी लगभग उपेन्द्र द्विवेदी जैसा ही था। ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं कि पीओके के मुद्दे पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हो जाएं।  

इस बीच, पाकिस्तान में नए सेना प्रमुख असीम मुनीर की नियुक्ति के चलते भी दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने की आशंका व्यक्त की जा रही है। मुनीर आईएसआई के चीफ रह चुके हैं और उन पर आरोप है कि 2019 में पुलवामा हमले के दौरान उन्होंने जैश ए मोहम्मद के आतंकवादियों की मदद की थी। इस हमले में भारत के 45 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे। मुनीर को आईएसआई का बदनाम चेहरा भी कहा जाता है।

सेना और सरकार में बढ़ सकता है टकराव : विदाई ले रहे पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का यह कहना कि 1971 में भारत के खिलाफ पाकिस्तान को जो करारी शिकस्त मिली थी, उसकी वजह सेना नहीं बल्कि सियासत थी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना बहुत ही जांबाजी से लड़ी थी।

ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं कि आने वाले समय में सेना और सरकार में टकराव दिखाई पड़े। हालांकि असीम मुनीर को सेना प्रमुख बनाकर शहबाज शरीफ ने एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश की है। एक तरफ अपनी गठबंधन वाली सरकार पर पकड़ बनाए रखेंगे, वहीं पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर भी दबाव बना पाएंगे। दरअसल, जिस समय मुनीर आईएसआई के प्रमुख थे, उस समय इमरान के सत्ता में आने पर उन्हें यह पद छोड़ना पड़ा था। ऐसे में मुनीर कभी नहीं चाहेंगे कि इमरान की सत्ता में वापसी हो।

पाकिस्तान में जब भी सेना 'ताकतवर' स्थिति में होती है तो भारत से तनाव बढ़ता ही है क्योंकि वहां के सैन्य अधिकारी 1965 और 1971 में भारत से मिली करारी हार का 'जख्म' कभी भूल ही नहीं पाते। यही कारण है कि वे पर्दे के पीछे से आतंकवाद को मदद कर भारत के खिलाफ जंग जारी रखते हैं। 

दूसरी ओर, शहबाज शरीफ ने भारत से संबंध सुधारने के लिए कोई अतिरिक्त प्रयास नहीं किए हैं। इसलिए तनाव घटने के बजाय यथास्थिति बनी हुई है। शहबाज उन्हीं नवाज शरीफ के भाई हैं, जिनके कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अचानक पाकिस्तान पहुंच गए थे। नवाज शरीफ के घर जाकर उनके परिजनों से भी मिले थे।   

भारत में भी हुआ विवाद : इतना ही नहीं लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी के बयान के बयान के बाद भारत में भी विवा‍द खड़ा हो गया है। दरअसल, फिल्म अभिनेत्री ऋचा चड्‍ढा ने द्विवेदी की टिप्पणी पर कुछ इस तरह प्रतिक्रिया दी- गलवान हाय (नमस्ते) कह रहा है। इसके बाद फिल्मी हस्तियों ने ही ऋचा की जमकर लू उतारी।

फिल्मकार अशोक पंडित, अभिनेता अनुपम खेर, अक्षय कुमार समेत कई अन्य अभिनेताओं और नेताओं ने ऋचा के बयान की तीखी आलोचना करते हुए इसे शर्मनाक बताया। अनुपम खेर ने ट्‍वीट कर कहा था- देश की बुराई करके कुछ लोगों के बीच लोकप्रिय होने की कोशिश करना कायर और छोटे लोगों का काम है। और सेना के सम्मान को दांव पर लगाना…. इससे ज़्यादा शर्मनाक और क्या हो सकता है। हालांकि बाद में इस मामले में ऋचा ने माफी मांग ली।

Saturday, November 26, 2022

मुस्लिम बेटी ने अपने निकाह में CM योगी को किया इनवाइट, कहा- आप आएं लेकिन उससे पहले जरूर करवा दें ये काम


संगम नगरी प्रयागराज की बेटी ने अपनी शादी पर सीएम योगी को एक भावुक करने वाला पत्र लिखा है। मुस्लिम बेटी ने सीएम को शादी का न्यौता देकर गिफ्ट के तौर पर अपने घर के पास खराब सड़क को बनवाए जाने और गंदगी को साफ करवाने की मांग की है।

Prayagraj Muslim daughter invited CM Yogi in her marriage said you come but before that you must get this work done

उत्तर प्रदेश की संगम नगरी प्रयागराज से अनोखा मामला सामने आया है। अगले हफ्त दुल्हन बनने जा रही बेटी ने सीएम योगी आदित्यनाथ को एक भावुक पत्र लिखा है। इस पत्र में उसने सीएम को अपनी शादी में आने के लिए आमंत्रित किया है। साथ ही युवती ने शादी में गिफ्ट के तौर पर अपने घर के पास लगभग 200 मीटर की खराब सड़क को बनवाने और आसपास फैली गंदगी को साफ करवाए जाने की मांग की है। जिससे कि सीएम और शादी में आने वाले मेहमानों को शादी में आने पर दिक्कतों का सामना ना करना पड़े। बता दें कि प्रयागराज कि बेटी नुकुश फातिमा ने इस पत्र को सीएम योगी को ट्वीट किया है। वहीं इस पत्र के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर मामले की काफी चर्चा भी हो रही है।

सीएम योगी द्वारा चलाया जा रहा गढ्ढा मुक्त अभियान
धूमनगंज थाना क्षेत्र के अबू बकरपुर निवासी नुकुश फातिमा की 7 दिसंबर को शादी है। शादी की तैयारियां के बीच नुकुश फातिमा ने सीएम योगी को पत्र लिखा है। बताया जा रहा है कि मुख्य सड़क से घर तक की 200 मीटर की सड़क काफी खस्ताहाल है। मिट्टी उखड़ी हुई है। जिससे आने-जाने वाले लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं नुकुश के पिता मो. अता अफजल ने बताया कि सीएम योगी द्वारा सड़कों को गढ्ढा मुक्त करने का अभियान चलाया जा रहा है। वहीं उनके घर के पास की सड़क काफी ज्यादा खराब है। जिससे बेटी की शादी में आने वाले मेहमानों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि नुकुश के भाई ने डीएम, नगर आयुक्त और स्थानीय विधायक को कई बार पत्र लिखकर सड़क बनवाए जाने की मांग भी की। 

सीएम योगी को भेजा जाएगा शादी का कार्ड
इसके अलावा आईजीआरएस पोर्टल पर भी दो बार सड़क बनवाए जाने की मांग की गई। लेकिन मामले पर कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद नुकुश फातिमा ने खुद सीएम योगी को शादी का न्यौता देकर सड़क बनवाए जाने की मांग की है। नुकुश के घरवालों ने बताया कि उनके इलाके में पिछले 15 सालों से कोई विकास कार्य नहीं हुआ है। नुकुश के परिजनों को उम्मीद है कि सीएम योगी उनके न्यौते को स्वीकार कर बेटी को आशीर्वाद देने जरूर आएंगे। साथ ही सड़क संबंधित समस्या को भी दूर करेंगे। बता दें कि परिवार की तरफ से सीएम योगी आदित्यानाथ को शादी का कार्ड भी भेजा जा रहा है।

पीएसएलवी रॉकेट इंडो फ्रेंच सेटेलाइट ईओएस 6 और 8 नैनो सेटेलाइट्स के साथ लॉन्च

PSLV rocket launched with Indo-French satellite EOS 6 and 8 nano satellites - Delhi News in Hindi

श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) । भारत के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान-सी54 (पीएसएलवी-सी54) ने शनिवार सुबह आंध्र प्रदेश में रॉकेट बंदरगाह से इंडो फ्रेंच अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट (ईओएस 6) और आठ नैनो उपग्रहों के साथ उड़ान भरी।

पीएसएलवी रॉकेट का एक्सएल वेरिएंट अपने प्राथमिक यात्री के रूप में 1,117 किलोग्राम ईओएस-6 और पिगीबैक के रूप में आठ अन्य को ले जा रहा है, यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) के पहले लॉन्च पैड से सुबह 11.56 बजे प्रक्षेपित किया गया।

पिग्गीबैक्स में दो भारतीय स्टार्टअप्स के उपग्रह शामिल हैं, जिसमें सिजी स्पेस टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, जिसे आमतौर पर पिक्ससेल (आनंद-16.51 किलोग्राम) के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा, ध्रुवस्पेस के दो थायबोल्ट उपग्रह (1.45 किलोग्राम), स्पेसफ्लाइट यूएसए का एस्ट्रोसैट (चार नंबर 17.92 किग्रा) और इसरो का आईएनएस-2बी ( 18.28 किलोग्राम) हैं।

321 टन वजनी पीएसएलवी रॉकेट का 44.4 मीटर लंबा एक्सएल वेरिएंट धीरे-धीरे आसमान की ओर बढ़ा।

रोलिंग थंडर ध्वनि का उत्सर्जन करते हुए रॉकेट ने गति प्राप्त की और ऊपर की ओर उड़ान भरी। पीएसएलवी रॉकेट वैकल्पिक रूप से ठोस (पहले और तीसरे चरण) और तरल (दूसरे और चौथे चरण) ईंधन द्वारा संचालित होता है।

शनिवार को उड़ान भरने वाला रॉकेट पीएसएलवी का 56वां मिशन है और छह टन ईंधन के साथ छह स्ट्रैप-ऑन बूस्टर मोटर्स वाले पीएसएलवी-एक्सएल वेरिएंट का उपयोग 24वां मिशन था।

इसरो के अनुसार, इंडो फ्रेंच सहयोगी ईओएस-6/ओशनसैट उन्नत पेलोड क्षमताओं और अनुप्रयोग क्षेत्रों के साथ ओशनसैट-2 अंतरिक्ष यान की निरंतरता सेवाएं प्रदान करेगा।

ईओएस-6 पेलोड में ओशन कलर मॉनिटर (ओसीएम-3), सी सरफेस टेम्परेचर मॉनिटर (एसएसटीएम), कू-बैंड स्कैटरोमीटर (एससीएटी-3) और एआरजीओएस- एक फ्रेंच पेलोड शामिल हैं।

फ्रांस के अनुसार, एआरजीओएस मौसम की निगरानी पर काम कर रहे भारत-फ्रांसीसी उपग्रहों के मौजूदा बेड़े (मेघा-ट्रॉपिक्स और सरल-अल्टिका) को सु²ढ़ करेगा, इस प्रकार पेरिस समझौते के उद्देश्यों से संबंधित योगदान को बढ़ाएगा।

इसरो ने कहा कि उपग्रह परिचालन अनुप्रयोगों को बनाए रखने के लिए समुद्र के रंग और हवा वेक्टर डेटा की निरंतरता सुनिश्चित करेगा।

उपग्रह अच्छी तरह से स्थापित अनुप्रयोग क्षेत्रों में सेवा देने और मिशन उपयोगिता को बढ़ाने के लिए संबंधित एल्गोरिदम और डेटा उत्पादों का सुधार भी करेगा।

आईएनएस-2बी भूटान के लिए इसरो का दूसरा नैनो उपग्रह है, जिसमें दो पेलोड हैं, नैनोएमएक्स और एपीआरएस-डिजिपीटर।

इसरो के अनुसार, नैनो एमएक्स इसके स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (एसएसी) द्वारा विकसित एक मल्टीस्पेक्ट्रल ऑप्टिकल इमेजिंग पेलोड है। एपीआरएस-डिजिपीटर पेलोड डीआईटीटी भूटान और इसरो के यूआर राव सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।

ध्रुवस्पेस के थाइबोल्ट उपग्रहों में एक संचार पेलोड है, जो कई उपयोगकर्ताओं के लिए तेजी से प्रौद्योगिकी प्रदर्शन और नक्षत्र विकास को सक्षम बनाता है। यह शौकिया फ्रीक्वेंसी बैंड में अधिकृत उपयोगकर्ताओं के लिए स्टोर-एंड-फॉरवर्ड कार्यक्षमता भी प्रदर्शित करता है।

एक साल के न्यूनतम जीवनकाल के लिए विशिष्ट मिशन संचालन करने के लिए ध्रुव स्पेस ऑर्बिटल डिप्लॉयर का उपयोग करके थाइबोल्ट उपग्रहों को तैनात किया जाएगा।

एस्ट्रोकास्ट, एक 3यू अंतरिक्ष यान, पेलोड के रूप में इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) के लिए एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक उपग्रह है।

रॉकेट ईओएस-6 और आठ छोटे उपग्रहों को दो अलग-अलग सूर्य समकालिक ध्रुवीय कक्षाओं (एसएसपीओ) में परिक्रमा करेगा।

उड़ान के लगभग 17 मिनट बाद रॉकेट सबसे पहले ईओएस-6 को बाहर निकालेगा। फिर दो ऑर्बिट चेंज थ्रस्टर्स का उपयोग करके कक्षा को बदल देगा। पिग्गीबैक यात्रियों को ऑर्बिट-2 में अलग किया जाएगा।

Friday, November 25, 2022

बिहार में चोरों ने चुरा लिया ट्रेन का इंजन, इस तरह दिया वारदात को अंजाम, पुलिस भी रह गई हैरान

 

आपने चोरी के कई किस्से सुने होंगे। चोर अक्सर घरों और दुकानों में सेंधमारी कर नगदी,जेवर और कीमती सामान चुरा लेते हैं। लेकिन बिहार की एक गैंग ने तो हद कर रखी है। यह गैंग रेल के इंजन और पुल चुरा रही है। रेल का इंजन चोरों ने जिस तरह से चुराया, उसको देखकर पुलिस भी हैरान रह गई। दरअसल, चोरों ने रेल का इंजन चुराने के लिए बरौनी से मुजफ्फरपुर तक सुरंग ही खोद डाली। पुलिस ने गुरुवार को कहा कि लुटेरों के गिरोह बिहार में डीजल और पुराने ट्रेन के इंजनों को उड़ाने और स्टील के पुलों को चुरा रहे हैं। इन चोरों की वजह से पुलिस की रातों की नींद उड़ी हुई है। दरअसल, पिछले हफ्ते बरौनी के गरहारा यार्ड में मरम्मत के लिए लाए गए ट्रेन के पूरे डीजल इंजन को चोरों ने चुरा लिया।

सुरंग बनाकर रेल इंजन ले उड़े चोर
चोर रेल के इंजन के कल पुर्जों को बेच देते हैं। पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया। पूछताछ के बाद पुलिस ने मुजफ्फरपुर की प्रभात कॉलोनी स्थित एक कबाड़ के गोदाम से इंजन के पुर्जों की 13 बोरियां बरामद कीं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा 'अधिक हैरान करने वाली बात यह थी कि हमने यार्ड के पास एक सुरंग का पता लगाया, जिसके माध्यम से चोर आते थे और इंजन के पुर्जों को चुरा लेते थे और उन्हें बोरियों में भरकर ले जाते थे, रेलवे अधिकारी इसके बारे में जानते भी नहीं थे।'

पूर्णिया में भी हुई थी रेल इंजन की चोरी
बता दें कि इससे पहले पुर्णिया में भी ठगो ने एक भाप वाले एक पूरे विंटेज इंजन को बेच दिया था। वह विंटेज इंजन सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए स्थानीय रेलवे स्टेशन पर रखा गया था। जब इस चोरी की वारदात की जांच की गई तो पता चला कि इस चोरी की घटना में एक इंजीनियर भी शामिल था। ऐसा ही एक और मामला बिहार के अररिया जिले में सामने आया था। यहां चोरों के गिरोह ने सीताधार नदी पर एक लोहे के पुल का ताला खोल दिया। इसके बाद तो पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने और उसकी सुरक्षा के लिए एक कांस्टेबल तैनात करना पड़ा था।

पुल के पुर्जे भी चुराए
फोर्ब्सगंज को अररिया से जोड़ने वाले पुल के कुछ अहम हिस्से और लोहे एंगल तक इस गिरोह के गुर्गों ने चोरी कर लिए। खुलासा तब हुआ जब पुल का एक बड़ा हिसास गायब हो गया। इसी साल अप्रैल में इस गैंग ने 500 टन के 45 साल पुराने स्टील पुल को तोड़ बेच दिया था। इस मामले में जल संसाधन विभाग के एक सहायक अभियंता समेत आठ लोगों को गिरफ्तार किया है। जिनसे पूछताछ के बाद पुलिस ने कबाड़ सामग्री बरामद की थी।

गेहूं की कीमतों में आएगी तेजी, जा सकता है 3000 के पार: प्रताप मिश्रा


हमारा देश गेंहू की खेती के मामले में हमेशा से नम्बर वन रहा है। क्योंकि राज्य के हर क्षेत्र में बड़ी ही तेजी से पैदा होने वाली फसलों में गेंहू की खेती ज्यादा की जाती है। लेकिन इसके बाद भी इसकी कीमतो में लगातार बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। गेंहू के भाव दिन व दिन बढ़ते जा रहे है। जिसका नतीजा यह भी आ रहा कि राशन में दिए जाने वाला ये अनाज लोगों तक नही पहुंच पा रहा है। पिछले 2-3 महीने से गेहूं की कीमतों में लगातार तेजी का माहौल बना हुआ है। बढ़ती हुई कीमतो के साथ अब गेहूं के भाव 300 से 400 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ चुके हैं।

दिल्ली लारेंस रोड पर गेहूं की कीमत 2885 रुपए तक आंकी जा चुकी है।  जिसके आगे अब सरकार भी कुछ नही कर पा रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार अब गेहूं के भाव की और अधिक बढ़ने की संभावनाओं हो रही हैं।

कहा जा रहा है कि गेहूं के बढ़ती कीमतों को देखते हुए पिछले दिनों आटा मिलों की एसोसिएशन ने केंद्र सरकार के सामने मांग की थी कि कम से कम 40 लाख टन गेहूं सरकारी भंडार से खुले बाजार में बिक्री किया जाए। ताकि गेहूं के साथ साथ आटा आदि की कीमतों पर अंकुश लगाया जा सके, लेकिन अभी तक सरकार ने इस मामले पर कोई निर्णय नहीं लिया है।

हालांकि इस बात पर बार-बार दावा किया जा रहा है कि सरकारी गोदामों में गेहूं का भंडार पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। लेकिन खुले बाजार में सरकारी गेहूं की बिक्री पर सरकार ने कोई फैसला नही लिया है जिसके चलते गेंहूं की बढ़ती कीमते रूकने का नाम नही ले रही हैं।

देशभर की मंडियों में गेहूं का भाव लगभग रोजाना बढ़ रहे हैं। अब तक देखा जाए तो इन दस दिनों के अंदर 100 रुपए प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। यदि बाजार इसी तेजी के साथ बढ़ता रहा तो जल्द ही दिल्ली लारेंस रोड पर गेहूं का भाव 3 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक छू सकता है।

गौरतलब है कि यदि गेहूं का भाव यदि 3 हजार के पार चला जाता है भंडार ग्रह से स्टॉकिस्ट अपना स्टॉक खाली करने की कोशिश जरूर करेंगे, जिससे भाव पर हल्का दबाव भी आ सकता है। ऐसे में जिन किसान के पास गेहूं का भंडार रखा हुआ है वे मौजूदा अच्छे भाव पर यहां स्टॉक खाली कर सकते हैं।

अंजलि ने शादीशुदा अब्दुल से निकाह किया, शौहर के परिवार वालों ने ही पीठ में मार दी गोली

महिला के पति अब्दुल लतीफ ने पुलिस को बताया कि पिछले साल उसने अंजलि से प्रेम विवाह किया था। उसके परिवार के सदस्य इस विवाह से खुश नहीं थे। परिवार के लोग अब्दुल पर अंजलि को छोड़ने का दबाव बना रहे थे।

अंजलि जयपुर फाइल फोटो

राजस्थान के जयपुर में अंजलि नाम की एक महिला को दिन-दहाड़े गोली मार दी गई है। मामला मुरलीपुरा इलाके का है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाइक सवार दो लोगों ने अंजलि नाम की महिला को गोली मार दी। गोली अंजलि के पीठ में लगी, जिसके बाद वह सड़क पर गिर गई। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस की टीम घटनास्थल पर पहुँची। घायल अवस्था में अंजलि को अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहाँ उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।

अंजलि से खुश नहीं थे लतीफ के परिवार वाले, अब्दुल ने की थी दूसरी शादी

महिला के पति अब्दुल लतीफ ने पुलिस को बताया कि पिछले साल उसने अंजलि से प्रेम विवाह किया था। उसके परिवार के सदस्य इस विवाह से खुश नहीं थे। परिवार के लोग अब्दुल पर अंजलि को छोड़ने का दबाव बना रहे थे। अब्दुल के परिवार के लोग दोनों को परेशान कर रहे थे। इसे लेकर सदर थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई गई, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। अब्दुल ने अंजलि पर गोली चलाने के पीछे उसके बड़े भाई अजीज और उसके दोस्तों का हाथ बताया है।

दरअसल, अब्दुल लतीफ ने इससे पहले एक मुस्लिम महिला से शादी की थी। विवाद के बाद उसकी पहली शादी टूट गई थी। इसके बाद लतीफ ने अंजलि से शादी की, जिससे उसके परिवार के लोग नाराज़ थे। इसलिए वे मुरलीपुरा इलाके में किराए का मकान लेकर अलग रहने लगे। अब्दुल ने बताया कि शादी के बाद से ही अंजलि को अपनी हत्या का डर था।

जानकारी मिली है कि अंजलि पास के ही एक आर्युवेदिक दुकान पर काम करती है। बुधवार (23 नवंबर, 2022) की सुबह लगभग 10 बजे वह काम पर जाने के लिए घर से निकली थी। घर से डेढ़ किलोमीटर दूर सुबह करीब 10.29 बजे उस पर हमला किया गया।

पुलिस ने 2 संदिग्धों को पकड़ा

पुलिस को शक है कि अंजलि पर देसी कट्टे से हमला किया गया है। मौके से पुलिस को देसी कट्टे का एक खोल मिला है। पुलिस ने आसपास लगे हुए सीसीटीवी कैमरे खंगालने शुरू कर दिए हैं। पीड़ित और उसके पति के बयानों के आधार पर पुलिस ने कुछ संदिग्धों को पकड़ा है, जिनसे पूछताछ की जा रही है।

Thursday, November 24, 2022

यूक्रेन के बाद अब तुर्की की बारी! रूस ने दी चेतावनी


vladimir putin

रूस और यूक्रेन के बीच अभी युद्ध थमा ही नहीं है कि इस बीच तुर्की (तुर्किये) और सीरिया में भी तनातनी देखने को मिल रहा है. पिछले दिनों तुर्की ने एक के बाद एक सीरिया पर कई हमले किए थे, जोकि रूस को नहीं पसंद आ रहा है. सीरिया पर हमले को लेकर रूस ने सीरिया को चेतावनी दे डाली है. अब बड़ा सवाल उठता है कि यूक्रेन के बाद अब क्या तुर्की की बारी है? 

रूस का बेहद करीबी देश सीरिया है. ये भी बताया जा रहा है कि सीरिया के रास्ते से  यूक्रेन वॉर के दौरान रूस तक हथियार पहुंचाए जा रहे हैं. रूस ने कि तुर्की, सीरिया में जमीनी हमले न करे. उन्होंने कहा कि तुर्की को ऐसी हरकत से बचना चाहिए. रूस के वरिष्ठ वार्ताकार अलेक्जेंडर लावेरेंटयेव ने बुधवार को चेतावनी देते हुए कहा कि तुर्की की ऐसी कार्रवाई से हिंसा बढ़ सकती है.

अलेक्जेंडर लावेरेंटयेव ने कजाकिस्तान में ईरानी और तुर्की प्रतिनिधिमंडलों से सीरिया वार्ता के नए दौर के बाद कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि हमारी दलीलें तुर्की की राजधानी अंकारा में सुनी जाएंगी और अन्य तरीके से समस्या के समाधान खोजे जाएंगे. रूस का धमकी भरा बयान ऐसा समय में आया है जब हाल ही में तुर्की राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने सीरिया पर और हमले करने की धमकी दी थी.  

तुर्की के राष्ट्रपति ने संकेत दिया था कि सीरिया में सीमा पार स्थित कुर्द नेतृत्व वाली वाईपीजी बलों पर हमला करने को उनका देश जमीनी बलों को तैनात करने का प्लान बना रहा है.

Monday, November 21, 2022

वैश्विक मंच पर भारत का दबदबा: प्रताप मिश्रा

इस साल फरवरी के आखिरी हफ्ते में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से हाल ही खत्म हुई जी-20 बैठक के बीच भारत की वैश्विक मंच पर हैसियत बढ़ी है। इसकी बड़ी वजह यूक्रेन युद्ध में तटस्थ रुख और वैश्विक मंचों पर भारत का विकासशील-गरीब देशों की आवाज बनना है। देश की बढ़ती आर्थिक हैसियत का भी इसमें अहम रोल है। इसी साल भारत दुनिया की पांचवीं बड़ी इकॉनमी बना है और इस दशक के खत्म होने से पहले वह अमेरिका और चीन के बाद तीसरी आर्थिक ताकत बन सकता है। हाल ही में खत्म हुई जी-20 बैठक के साझे बयान (कम्यूनीक) से भी भारत के बड़ते कद की बात साबित होती है।

सबको साथ लेकर चला भारत

  • भारत ने जी-20 मीटिंग में सदस्य देशों के बीच आम सहमति बनाने में अहम रोल अदा किया।
  • मीटिंग में भारत विकासशील देशों और उभरते हुए देशों (इमर्जिंग मार्केट्स) के साथ मिलकर जी-20 के साझे बयान का मसौदा तैयार किया। इसकी प्रस्तावना और साझे बयान को अंतिम रूप देने में भी उसकी भूमिका रही।
  • साझे बयान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीन अहम बातों को सदस्य देश जगह देने पर राजी हुए। इनमें यूक्रेन युद्ध में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की चेतावनी को खारिज करना, कूटनीति और बातचीत से शांति कायम करना शामिल हैं।
  • कुछ महीने पहले हुए शंघाई को-ऑपरेशन समिट (एससीओ) में पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन से कहा था, ‘यह युद्ध का युग नहीं है।’ इसे भी जी-20 में माना गया।
  • पश्चिमी देश चाहते थे कि जी-20 यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस की आलोचना करें, लेकिन भारत ने ब्राजील, मेक्सिको, सऊदी अरब और सिंगापुर जैसे देशों के साथ मिलकर पक्का किया कि बयान में राजनीतिक के बजाय आर्थिक मुद्दों को प्रमुखता दी जाए। इतना ही नहीं, उसने बयान पर रूस की भी सहमति हासिल की।

स्वतंत्र विदेश नीति

भारत इसलिए ऐसा कर पाया क्योंकि यूक्रेन युद्ध के दौरान उसने स्वतंत्र विदेश नीति अपनाए रखी है। पश्चिमी देशों के रुख में भारत के नजरिये को स्वीकार्यता खासतौर पर एससीओ समिट के बाद मिली। इस सम्मेलन में पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति पूतिन से कहा था, ‘यह युद्ध का युग नहीं है।’ इसे लेकर जानकारों की ओर से कहा गया कि जो बात पूतिन से कही जानी चाहिए थी, वह मोदी ने आखिरकार कह ही दी। लेकिन क्या यह मत सही है? सच पूछिए तो मोदी ने जो बात कही, इस नजरिये में उसका पूरा सच शामिल नहीं है।

  • पहली बात तो यह है कि यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से ही मोदी हिंसा रोकने की अपील कर रहे हैं।
  • दूसरी बात यह है कि प्रधानमंत्री और भारत के दूसरे उच्चाधिकारी लगातार यह कहते आए हैं कि इस भू-राजनीतिक संकट में हम वही करेंगे, जो राष्ट्रहित में होगा।
  • यही वजह है कि भारत पश्चिमी देशों के रूस पर लगाए आर्थिक प्रतिबंधों से दूर रहा। यह सही फैसला था क्योंकि यूरोप ने भी रूस से तेल और गैस खरीदना बंद नहीं किया और इसे आर्थिक प्रतिबंधों से अलग रखा।

पूतिन ने की मोदी की तारीफ

‘यह युद्ध का युग नहीं है’ वाले बयान के बाद पश्चिमी देशों के मीडिया ने इसे इस तरह से पेश किया, जैसे भारत ने रूस को लेकर रुख बदल दिया है। लेकिन यह गलत सोच थी। मोदी ने पूतिन से यह बात इसलिए कही क्योंकि युद्ध की बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है। वह यूक्रेन युद्ध के कारण खड़े हुए खाद्य और तेल-गैस संकट की ओर ध्यान दिलाना चाहते थे, जिससे श्रीलंका दिवालिया हो गया और बांग्लादेश-नेपाल-पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के साथ बड़ी संख्या में विकासशील और गरीब देश जबरदस्त संकट का सामना कर रहे हैं। पूतिन को भी पता है कि मोदी के कहने का मतलब वह नहीं, जो पश्चिमी देश और उनका मीडिया निकाल रहा है।

  • इसलिए एससीओ समिट में पूतिन ने पीएम मोदी की इस राय को तवज्जो दी। उन्होंने दुनिया को यकीन दिलाया कि भारत के साथ उनके संबंध पहले की तरह ही हैं।
  • हाल ही में रूस की सबसे बड़ी पॉलिटिकल कॉन्फ्रेंस वल्दाई फोरम में भी पूतिन ने भारत का ज़िक्र किया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को एक बड़ा देशभक्त बताया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने बड़ी तरक्की की है और भारत के साथ रूस के गहरे संबंध हैं, जिसे आगे बढ़ाने की कोशिश होनी चाहिए।
  • पूतिन ने यह भी कहा कि पीएम मोदी ऐसे व्यक्ति हैं, जो स्वतंत्र विदेश नीति को आगे बढ़ा रहे हैं। यानी पूतिन को भारत के निष्पक्ष और तटस्थ रुख पर भरोसा है।

वैश्विक मंचों पर और बढ़ेगा कद

इधर, अमेरिका कोशिश कर रहा है कि यूक्रेन अपनी ओर से रूस को सिग्नल दे कि वह बातचीत करना चाहता है। यूक्रेन ने कहा भी कि रूस ने उसके जिन हिस्सों पर कब्जा किया है, वह अगर वापस लौटा दे तो सुलह हो सकती है। पूतिन शायद ही इन शर्तों पर युद्धविराम करने को तैयार हों। लेकिन युद्ध जितना लंबा खिंच गया है, रूसी राष्ट्रपति ने कल्पना नहीं की थी। हाल में यूक्रेन में कई मोर्चों से रूसी सेना को पीछे हटना पड़ा है। इसलिए पूतिन भी अपनी शर्तों पर शांति चाहते होंगे। क्या इसमें भारत की कोई भूमिका हो सकती है? अगर ऐसा हुआ तो उसका कद कहीं बढ़ जाएगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो भी आने वाले वर्षों में बड़ी आर्थिक ताकत होने के नाते जी-20 जैसे वैश्विक मंचों पर भारत की आवाज और बुलंद होगी, जिसे दुनिया ध्यान से सुनेगी।

Sunday, November 20, 2022

विस्फोट से दहला यूक्रेन का जोपोरिज्जिया इलाका, यूरोप के सबसे बड़े परमाणु संयंत्र पर मंडराया खतरा


World News: यूक्रेन के जोपोरिज्जिया क्षेत्र में शक्तिशाली विस्फोट हुए. इससे यूरोप के सबसे बड़े परमाणु संयंत्र को खतरा हो गया है. (सांकेतिक तस्वीर)

यूक्रेन के जोपोरिज्जिया क्षेत्र में रविवार की सुबह शक्तिशाली विस्फोट हुए. इस क्षेत्र में यूरोप का सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थित है. वैश्विक परमाणु निगरानी संस्था ने एक बयान में बताया कि जोपोरिज्जिया में सुबह जबरदस्त विस्फोट हुए. संस्था ने रूसी कब्जे वाले संयंत्र में ‘‘परमाणु हादसे को रोकने में मदद करने के वास्ते तत्काल उपाय’’ किए जाने का आह्वान किया.

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के महानिदेशक राफेल मारियानो ग्रॉसी ने बताया कि दो विस्फोट हुए, जिनमें से एक शनिवार की शाम को जबकि दूसरा रविवार की सुबह जापोरिज्जिया संयंत्र के पास हुआ. यूक्रेन पर रूस द्वारा 24 फरवरी को शुरू किए गए हमले के शुरुआती दिनों में रूसी सैनिकों द्वारा संयंत्र पर कब्जा करने के बाद से परमाणु तबाही की आशंका सबसे ज्यादा है. बयान में कहा गया है कि जापोरिज्जिया केंद्र के आईएईए विशेषज्ञों ने रविवार की सुबह 12 से अधिक विस्फोट होने की सूचना दी.

कई इमारतें तहस-नहस
आईएईए के बयान में कहा गया है कि बिजली संयंत्र में कई इमारतें, प्रणालियां और उपकरण गोलाबारी में क्षतिग्रस्त हो गए. इसमें कहा गया है कि हालांकि इसमें किसी के हताहत होने की कोई सूचना नहीं है. ग्रॉसी ने कहा कि गोलाबारी की खबरें ‘‘बेहद परेशान करने वाली’’ हैं. उन्होंने कहा, ‘‘जो भी इसके पीछे है, उसे इन हमलों को तुरंत रोकना चाहिए.’’

फारूक अब्दुल्ला का बड़ा बयान, कहा- सिर्फ हिंदुओं के नहीं भगवान राम सबके


फारूक अब्दुल्ला कहते है कि, अगर हम धर्म से पीछे हट गए तो हमारी बर्बादी होगी। बच्चों को सही धर्म सिखाए। कोई धर्म नहीं कहता है कि चोरी, बेईमानी और बलात्कार करो। कोई धर्म नहीं कहता है। वो सिर्फ कहते है सही चलो। कोई भी धर्म खराब नहीं है इंसान खराब है। इसीलिए जब तक हम धर्म को जोड़ते रहेंगे। जब मैं अपना धर्म सीख जाऊंगा और समझ जाऊंगा।

Farooq

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस (NC) के नेता फारूक अब्दुल्ला ने बड़ा बयान दिया है। जिसको लेकर वो सुर्खियों  में आ गए है। उन्होंने इस बार भगवान राम को लेकर अहम टिप्पणी की है। इसके अलावा उन्होंने पाकिस्तान को भी आड़े हाथों लिया है। दरअसल, अखनूर में एक रैली को संबोधित करते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि, मैं आप सब मां और बहनों से दरखास्त करूंगा। आज मंदिर और मस्जिद की लड़ाई नहीं है। जो भगवान राम को समझते है कि भगवान राम उनके है उनसे मैं कहना चाहता हूं भगवान राम विश्व के भगवान है वो किसी हिंदू के भगवान नहीं है वो सबके भगवान है। वो उनके भी भगवान है जो उन्हें मानते नहीं है। मगर जो ये बैठे हुए है कहते है कि राम हमारा है। मैं उनसे कहना चाहता हूं। राम तुम्हारा ही नहीं है। राम सबका है, इसलिए जब राम सबका है। तो सबको समझना चाहिए कि हमें इकट्ठा चलना चाहिए और अपने आपको ही नहीं, अपने धर्म को भी मजबूत करना है।

भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि, चुनाव में इसका बहुत इस्तेमाल करेंगे। हिंदू खतरे में है। 70 से 80 फीसदी हिंदू भारत में है तो खतरा कौन है वो जो खतरा पैदा करने की कोशिश करते है उनसे डरिए और सही रास्ता देख लीजिए। प्रभु से कहिए कि हमें सही रास्ता दिखाए। बता दें कि हाल ही में फारूक अब्दुल्ला नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके हैं। इसके साथ ही उन्होंने अगला विधानसभा चुनाव लड़ने के संकेत दिए थे।

सीरिया: इस्तांबुल बम ब्लास्ट के बाद कई कुर्द शहरों पर तुर्की के ताबड़तोड़ हवाई हमले


उत्तरी सीरिया के कई कुर्द शहरों पर तुर्की ने जबरदस्त हवाई हमले किए.  (reuters)

 इस्तांबुल में बम धमाके की घटना के बाद तुर्की ने उत्तरी सीरिया के कई कुर्द कस्बों पर बमबारी की है. खबरों में कहा गया है कि कुर्दिश मिलिशिया के कब्जे वाले कोबाने सहित कई शहरों पर तुर्की के हवाई हमले की सूचना मिली है. कुर्द नेतृत्व वाली सेना और ब्रिटेन स्थित एक निगरानी समूह ने कहा है कि तुर्की ने शनिवार देर रात कोबाने शहर सहित उत्तरी सीरिया के कई कुर्द शहरों पर के हवाई हमला किया.

न्यूज एजेंसी एएफपी की एक खबर के मुताबिक इस्तांबुल में पिछले रविवार को हुए घातक बम विस्फोट के लिए कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) को दोषी ठहराए जाने के कुछ दिनों बाद तुर्की ने ये हमले किए हैं. कुर्द नेतृत्व वाली सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेस (एसडीएफ) के प्रवक्ता फरहाद शमी ने ट्वीट किया कि जिस कोबाने शहर ने आईएसआईएस को हराया था, तुर्की के विमानउस पर अंधाधुंध बमबारी कर रहे हैं. तुर्की एसडीएफ के मुख्य घटक कुर्द पीपुल्स प्रोटेक्शन यूनिट्स (वाईपीजी) को प्रतिबंधित पीकेके का ही एक विस्तार मानता है.

शमी ने कहा कि उत्तरी प्रांत अलेप्पो और उत्तर-पूर्वी प्रांत हसाकेह में दो घनी आबादी वाले गांवों पर भी तुर्की के हवाई हमले किए गए थे. जबकि ब्रिटन स्थित सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने बताया कि तुर्की सेना ने दोनों प्रांतों में 20 से अधिक हवाई हमले किए. इस समूह के पास सीरिया भर में संपर्कों का एक बड़ा नेटवर्क है.

गौरतलब है कि तुर्की सीमा के पास उत्तरी सीरिया में एक कुर्द-बहुल शहर कोबाने पर 2014 के अंत में इस्लामिक स्टेट समूह ने कब्जा कर लिया गया था. हालांकि कुर्द लड़ाकों ने अगले वर्ष की शुरुआत में उन्हें खदेड़ दिया. पीकेके और वाईपीजी- दोनों ने इस्तांबुल हमले में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है, जिसमें छह लोग मारे गए थे. लेकिन तुर्की के आंतरिक मंत्री सुलेमान सोयलू ने कहा है कि अंकारा का मानना है कि इस हमले का आदेश कोबाने से ही दिया गया था.

Saturday, November 19, 2022

UNSC: फ्रांस ने उठाया सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सीट का मामला, कहा- शक्तिशाली दुनिया में संतुलन जरूरी


ब्रिटेन के बाद फ्रांस ने भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता का मामला उठाया है। संयुक्त राष्ट्र में फ्रांस की उप स्थायी प्रतिनिधि नथाली ब्रॉडहर्स्ट ने कहा है कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य के रूप में भारत, जर्मनी, ब्राजील और जापान का समर्थन करती हैं। उन्होंने कहा, नई शक्तियों के उद्भव को ध्यान में रखने की आवश्यकता है। इसलिए, उन देशों को ध्यान में रखना चाहिए जो शक्तिशाली दुनिया में स्थायी सदस्यता की जिम्मेदारी लेने में सक्षम हैं। 


फ्रांस ने कहा, सुरक्षा परिषद में हमारी स्थिति स्थिर और सर्वविदित है। हालांकि, हम चाहते हैं कि सुरक्षा परिषद में दुनिया के और अधिक प्रतिनिधि हों, जिससे उसके अधिकार और प्रभावशीलता को मजबूत किया जा सके। 

ब्रिटेन ने भी भारत का किया समर्थन 

इससे पहले ब्रिटेन ने भी भारत की स्थाई सदस्यता का समर्थन किया था। यूएन में ब्रिटेन की स्थायी प्रतिनिधि बारबरा वुडवर्ड ने भारत, जर्मनी, जापान और ब्राजील के लिए नई स्थाई सीटों की मांग की है। बारबरा वुडवर्ड ने कहा कि ब्रिटेन लंबे समय से सुरक्षा परिषद के विस्तार की मांग कर रहा है। हम भारत, जर्मनी, जापान और ब्राजील के लिए नई स्थायी सीटों की व्यवस्था के साथ-साथ स्थायी अफ्रीका के स्थाई प्रतिनिधित्व का भी समर्थन करते हैं। 

बता दें, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के वर्तमान में पांच स्थाई सदस्य हैं। इनमें अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस व ब्रिटेन शामिल हैं। वैश्विक आबादी व अर्थव्यवस्था व नई भू राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए स्थाई सदस्य देशों की संख्या बढ़ाने की मांग लंबे समय से हो रही है। 

Wednesday, November 16, 2022

पंजाब में बढ़ रही पगड़ी वाले ईसाइयों की संख्या, धर्मांतरण के लिए 65000 पादरियों की फ़ौज: 65 एकड़ में फैला है अकेले नरूला का साम्राज्य, मरे हुए को ज़िंदा करने तक के दावे


धर्मांतरण की अगली कड़ी की हालत जानने के लिए जालंधर छोड़ अगर अमृतसर की ओर बढ़ें तो यहाँ भी ईसाई मिशनरियों ने सिखों को 'पगड़ी वाला ईसाई' बना दिया है। अमृतसर सिखों का पवित्र शहर है इसी शहर में सिखों का पवित्र स्वर्ण मंदिर भी है। लेकिन, यहाँ के सेहंसरा कलां गाँव की संकरी गलियों के बीच बना चर्च तथाकथित तौर पर धर्मांतरण का केंद्र है।

पंजाब, ईसाई धर्मांतरण, नरूला

जिस धर्म की स्थापना ही धर्म की रक्षा के लिए की गई हो, जिस धर्म के गुरुओं और उनके बेटों ने धर्मांतरण की जगह मृत्यु को स्वीकार करते हुए बलिदान दिया हो – उस धर्म के लोगों को धर्मांतरण के जाल में उलझ कर किसी और धर्म का गुणगान करते देखना किसी के लिए भी दुःखद हो सकता है। हालाँकि, पंजाब में ईसाई मिशनरियों के इशारे पर नाचते पादरियों के ‘फरेब जाल’ में फँस कर लाखों सिख अब येशु-येशु करते दिख रहे हैं।

‘इंडिया टुडे’ की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में पटियाला से लेकर पठानकोट तक और फाजिल्का से लेकर रूपनगर तक सभी 23 जिले ईसाई मिशनरियों द्वारा फैलाए गए धर्मांतरण जाल में उलझे हुए हैं। यदि यह कहा जाए कि पंजाब में धर्मांतरण का बाजार और इसमें संलिप्त पादरियों का साम्राज्य फल-फूल रहा है तो बिल्कुल गलत नहीं होगा। आज पंजाब में ऐसे हजारों पादरी हैं, जिनकी तथाकथित ‘धर्म सभाओं’ में पगड़ी वाले ईसाइयों की भीड़ दिखाई देती है। पगड़ी वाले ईसाई का मतलब उन लोगों से है जो सिख से ईसाई बन गए।

पंजाब में धर्मांतरण के आँकड़े चौंकाने वाले हैं। इन आँकड़ों को एक वाक्य में समझना हो तो ऐसे समझिए कि साल 2008 में शुरू हुई ‘अंकुर नरूला मिनिस्ट्री’ महज 3 अनुयायियों के साथ शुरू हुई थी। लेकिन महज 14 सालों में इस मिनिस्ट्री से जुड़े लोगों की संख्या 3 लाख से अधिक हो गई है। ये आँकड़े सिर्फ एक पादरी के हैं। अनुमान के मुताबिक, पूरे पंजाब में ईसाइयत का आडंबर रचने के लिए 65000 पादरियों की फौज काम कर रही है।

पंजाब में ऐसे कई पादरी हैं जिनकी प्रत्येक रविवार की प्रार्थना सभा में हजारों लोग पहुँचते हैं। पादरियों के कार्यक्रम को बाकायदा वीडियो बना कर प्रसारित किया जाता है। इनके सोशल मीडिया से लेकर यूट्यूब तक लाखों फॉलोवर्स हैं। यहाँ सबसे अधिक चर्चित पादरी बजिंदर सिंह प्रोफेट बजिंदर सिंह है, जो खुद को ईसा मसीह का पैगंबर बताता है। इसके यूट्यूब पर 18 लाख से अधिक फॉलोवर्स हैं और वीडियो पर लाखों में व्यूज भी आते हैं। वहीं, फेसबुक में 7 लाख से अधिक फ़ॉलोअर्स हैं।

बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार हो चुके ढोंगी पादरी बजिंदर सिंह ‘बिग हीलिंग क्रुसेड’ नामक कार्यक्रम आयोजित कराता है। इन कार्यक्रमों में वह भूत-प्रेत भगाने, बीमारी ठीक करने यहाँ तक कि मरे लोगों को जिंदा करने का दावा करता है। इसके जरिए वह लोगों को येशु के प्रति आस्थावान होने को कहता है और यहीं से शुरू हो जाता है धर्मांतरण का खेल।

दूसरे चर्चित पादरी का नाम अंकुर यूसुफ नरूला है, जिसे लोग अंकुर नरूला के नाम से जानते हैं। वहीं, धर्मांतरण का शिकार हुए लोग इसे ‘पापा’ कहते हैं। जालंधर के हिंदू खत्री परिवार में जन्मा नरूला कहता है कि वह अफ्रीका के ईसाई पादरियों का वीडियो देखता था, फिर उसने दावा किया कि सपने में येशु ने उसे पादरी बनने के लिए कहा है। उसने ‘अंकुर नरूला मिनिस्ट्री’ की स्थापना की है। नरूला ने जालंधर के खाँबड़ा गाँव 65 एकड़ से अधिक क्षेत्र में धर्मांतरण का साम्राज्य स्थापित किया हुआ है।

इसके अलावा पंजाब के 9 जिलों व बिहार और बंगाल के साथ ही अमेरिका, कनाडा, जर्मनी और ग्रेटर लंदन के हैरो में भी उसके ठिकाने हैं।

सोशल मीडिया में अंकुर नरूला लंबे समय से एक्टिव है। अकेले फेसबुक में ही उसके 5.5 लाख फॉलोवर्स हैं। वहीं, यूट्यूब में 12.6 लाख सब्सक्राइबर हैं। इसके फ़ॉलोअर्स की फौज बड़ी है। रविवार को इसकी सभा में 10-15 हजार लोग इकट्ठे होते हैं। वहाँ, यह सुरक्षा कर्मियों के घेरे में खड़े होकर हालालुइया और येशु-येशु के नारे लगवाकर चमत्कार करने के दावे करता है।

नरूला की मिनिस्ट्री के चर्च में सभी प्रकार के लोग आते हैं। चर्च के लोग कहते हैं नरूला के चमत्कार से सब ठीक हो जाता है। इस चर्च में आए हुए लोग आँख बंदकर गुलाबी रंग के ‘पवित्र जल’ से भरी हुई प्लास्टिक की शीशियों को माथे पर लगाते हैं और फिर दूसरे हाथ को आगे बढ़ाते हैं जैसे कोई ‘कृपा’ मिलने वाली हो।

इस चर्च में धर्मांतरण के ‘व्यापार’ को आगे बढ़ाने के लिए रविवार शाम को ‘इंस्टैंट हीलिंग टेस्टिमनी संडे डिलिवरेंस’ शो आयोजित किया जाता है। इसके लिए, बड़े-बड़े कैमरे, स्क्रीन्स और मंच हुआ है। इस मंच पर लोग आकर बताते हैं कि नरूला के हाथों से वो ठीक हो गए हैं। फिर सभी जोर से चिल्लाते हैं ‘हालेलुया’… फिर अगला व्यक्ति आता है और वह भी ऐसे ही दावे करता है और यह क्रम चलता रहता है। इसी मंच पर महाराष्ट्र से आई हुई एक लड़की कहती है “अंधे देखते हैं, बहरे सुनते हैं, लंगड़े चलते हैं, मेरा भी लकवा ठीक हो जाएगा।”

धर्मांतरण की अगली कड़ी की हालत जानने के लिए जालंधर छोड़ अगर अमृतसर की ओर बढ़ें तो यहाँ भी ईसाई मिशनरियों ने सिखों को ‘पगड़ी वाला ईसाई’ बना दिया है। अमृतसर सिखों का पवित्र शहर है इसी शहर में सिखों का पवित्र स्वर्ण मंदिर भी है। लेकिन, यहाँ के सेहंसरा कलां गाँव की संकरी गलियों के बीच बना चर्च तथाकथित तौर पर धर्मांतरण का केंद्र है। इस चर्च का पादरी गुरुनाम सिंह है जो कि एक पुलिसकर्मी भी है। इस चर्च में रविवार को ‘प्रार्थना’ होती है।

इस ‘प्रार्थना सभा’ में महिलाएँ और पुरुष दोनों ही इकट्ठा होते हैं। पादरी और पुलिसकर्मी गुरुनाम सिंह का दावा है कि वह सिर्फ प्रार्थना कराता है। लेकिन, सवाल यह है कि यदि वह सिर्फ प्रार्थना कराता है तो लोग ईसाई कैसे बन रहे हैं?

गुरुदासपुर के पादरी और गुरनाम सिंह मिनिस्ट्री के संचालक गुरनाम सिंह खेड़ा को इलाके में मशहूर डॉक्टर और खालिस्तानी कमांडो फोर्स के सदस्य जसवंत सिंह खेड़ा के छोटे भाई रूप में जाना जाता था। हालाँकि, जब जसवंत धर्मांतरण कर ईसाई बन गया तो गुरनाम उसके ही रास्ते चलते हुए ईसाई मजहब अपना लिया। अब वह पादरी गुरनाम सिंह खेड़ा के नाम से जाता है। यूट्यूब से लेकर फेसबुक तक उसके हजारों फ़ॉलोअर्स हैं। इसकी सभा में आने वाले लोगों में भी पगड़ी वाले ईसाइयों की संख्या सबसे अधिक होती है।

वास्तव में किसी के भी चमत्कारिक दावे और उसके फ़ॉलोअर्स की संख्या इस बात पर निर्भर करती है कि वह कितना नाटकीय है। यानी, वह किस हद ढोंग कर सकता है। पादरी हरप्रीत देओल भी इनमें से एक है। सोशल मीडिया में बड़ी फैन फॉलोइंग तो इसकी पहचान है ही, लेकिन लग्जरी कारों से लेकर ऑफिस में बाउंसर्स और हाई क्लास सिक्योरिटी सिस्टम यह दिखाता है कि धर्मांतरण के व्यापार ने इसे बड़ा बना दिया है।

महिला पादरी कंचन मित्तल और उसकी कंचन मित्तल मिनिस्ट्री भी किसी मामले में पीछे नहीं है। फेसबुक, यूट्यूब से लेकर प्लेस्टोर में एप तक हर माध्यम से यह ईसाइयत को बढ़ाने की कोशिश में जुटी है। इसके अलावा भी ऐसे हजारों पादरी हैं जो इसी तरह के काम में जुटे हुए हैं। इन पादरियों के पास आलीशान बंगले, महंगी गाड़ियाँ, पर्सनल सिक्योरिटी गार्ड से लेकर हट्टे-कट्टे बाउंसर्स तक होते हैं।

ये सभी ईसाई पादरी धर्मांतरण के जाल में फसाने के लिए बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित करते हैं। इन कार्यक्रमों में बैनर, पम्पलेट, सोशल मीडिया कैंपेन समेत अनेक तरीकों से हजारों की भीड़ जुटाई जाती है, बैंड और गायक बुलाए जाते हैं। गानों की लय में नाचते-थिरकते लोग होते हैं और फिर शुरू होता है ‘चमत्कारिक इलाज’ का दावा। पादरी दावा करता है कि वह हर बीमारी को ठीक कर सकता है, भूतों को भगा सकता है और मरे हुए को भी जीवित कर सकता है।

पादरी के दावे और लुभावने वादों की फेहरिस्त से प्रभावित लोग कुछ कार्यक्रमों में जाने के बाद या तो धर्मांतरित हो जाते हैं या दबाव डालकर धर्मांतरित कर दिए जाते हैं।

पंजाब में धर्मांतरण के व्यापार में शामिल ईसाई पादरियों में अधिकांश धर्मांतरण के बाद ईसाई बने पादरी हैं। हालाँकि, न तो इन लोगों ने नाम बदला है और न पहचान। सिख पादरी आज भी पगड़ी लगाते हैं और हाथ में बाइबिल लेकर ईसाइयत का ढिंढोरा पीटते फिरते हैं। हालाँकि, इन लोगों ने अपने नाम के साथ ईसाइयत की पहचान जोड़ रखी है। इसमें, नामक के आगे पास्टर और बाद में मिनिस्ट्री जोड़ना शामिल है। जैसे पास्टर कंचन मित्तल मिनिस्ट्री, पास्टर रमन हंस मिनिस्ट्री पास्टर अंकुर यूसुफ नरूला मिनिस्ट्री।

आज पंजाब के गरीब तबके से लेकर समृद्ध वर्ग को भी ईसाइयत के ढोंग ने ‘पागल’ कर दिया है। जहाँ, कभी वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह के मूल मंत्र का जाप होता था और ‘जो बोले से निहाल सत श्री अकाल’ के नारों की गूँज होती थी। वहाँ, अब छोटे-छोटे कस्बों में रहने वाले लोगों को ईसाई बना दिया है और उनके घर ‘चर्च’ में तब्दील हो गए हैं। अब तो यही कहना होगा कि पंजाब गुरु नानक देव से लेकर गुरु गोविंद सिंह तक की विरासत और गुरु तेग बहादुर जैसे शूरवीर गुरुओं के बलिदान को संभाल नहीं पाया।

धर्मांतरण के विरुद्ध युद्ध लड़ने वालों की संतानें आज धर्म से पलायन कर विधर्म की ओर भाग रहीं हैं।

Tuesday, November 15, 2022

प्रधानमंत्री मोदी से पहली बार मिले ब्रिटिश पीएम सुनक, कहा - विश्व के विकास के लिए भारत जरुरी

प्रधानमंत्री मोदी से पहली बार मिले ब्रिटिश पीएम सुनक, कहा - विश्व के विकास के लिए भारत जरुरी

इंडोनेशिया के बाली में जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन में भाग लेने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पहुंचे हैं। इस दौरान ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से उनकी पहली मुलाकात हुई। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन खुद चलकर भारतीय प्रधानमंत्री से मिलने उनके पास पहुंचे।दो दिवसीय जी-20 शिखर सम्मेलन मंगलवार को शुरू हो गया। इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और भारत के प्रधानमंत्री मोदी समेत दुनिया की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के नेता शामिल हो रहे हैं। इस दौरान मोदी और सुनक के बीच पहली मुलाकात हुई। भारत के प्रधानमंत्री और भारतीय मूल के ब्रिटिश प्रधानमंत्री के बीच इस मुलाकात को लेकर दोनों देशों में खासी उत्कंठा थी। भारतीय प्रौद्योगिकी उद्यमी नारायणमूर्ति के दामाद ऋषि सुनक हाल ही में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने हैं। मोदी और सुनक के बीच काफी देर तक बातचीत हुई। इस दौरान सुनक ने कहा कि दुनिया के विकास के लिए भारत जरूरी है। वहीं मोदी ने कहा कि भारत अपनी सकारात्मक भूमिका का निर्वहन करता रहेगा।

जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी का जलवा साफ दिख रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन खुद चल कर मोदी से मिलने उनके पास पहुंचे। दोनों नेताओं ने एक दूसरे को गर्मजोशी से गले लगाया। मोदी व बाइडन को काफी देर तक एक दूसरे से बात करते देखा गया। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने मोदी के होटल जाकर उनका स्वागत किया। इंडोनेशिया इस समय जी-20 समूह का अध्यक्ष है और अब भारत के हाथ में अध्यक्षता की कमान आने वाली है। सम्मेलन के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री मोदी और नीदरलैंड के प्रधानमंत्री मार्क रूट के साथ भी बातचीत हुई। इस दौरान दोनों नेताओं ने इस बहुपक्षीय शिखर सम्मेलन को वैश्विक नेताओं के लिए विविध मुद्दों पर विचारों के आदान-प्रदान करने का अद्भुत अवसर करार दिया। भारतीय प्रधानमंत्री ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों से भी बातचीत की। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया। मैक्रों अगले वर्ष की शुरुआत में भारत यात्रा पर आ रहे हैं।

मिलकर निकालें युद्ध रोकने का रास्ता

प्रधानमंत्री मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान खाद्य ऊर्जा सुरक्षा सत्र में भाग लिया। इस सत्र में उन्होंने कहा कि कोरोना और यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया की सप्लाई चेन प्रभावित हुई है। इसके परिणाम स्वरूप पूरी दुनिया परेशान है। संयुक्त राष्ट्र संघ जैसी संस्थाएं भी इन मसलों का समाधान करने में सफल नहीं हो पा रही हैं। ऐसे में हम सभी को मिलकर यूक्रेन युद्ध रोकने का रास्ता निकालना होगा। उन्होंने कहा कि यूक्रेन में युद्धविराम और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का रास्ता खोजना जरूरी है। पिछली शताब्दी में विश्व युद्ध के कहर के दौरान तत्कालीन नेताओं ने शांति का रास्ता अंगीकार करने का गंभीर प्रयास किया था। अब आज के नेताओं की बारी है।

भारत की ऊर्जा सुरक्षा महत्वपूर्ण -

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वैश्विक विकास के लिए भारत की ऊर्जा सुरक्षा महत्वपूर्ण है। भारत दुनिया की सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था है। ऊर्जा की आपूर्ति पर किसी भी प्रतिबंध को बढ़ावा नहीं देना चाहिए और ऊर्जा बाजार में स्थिरता सुनिश्चित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि 2030 तक हमारी आधी बिजली अक्षय स्रोतों से पैदा होगी। भारत में स्थायी खाद्य सुरक्षा के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। बाजरा जैसे पौष्टिक और पारंपरिक खाद्यान्नों को फिर से लोकप्रिय बनाने की शुरुआत हुई है। बाजरा वैश्विक कुपोषण और भूख को भी दूर कर सकता है।

डिंपल यादव के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी अपर्णा? यूपी BJP अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने साफ किया रुख


Mainpuri By Election: डिंपल यादव के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी अपर्णा? यूपी BJP अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने साफ किया रुख

Dimple Yadav vs Aparna Yadav: उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट पर होने वाले चुनाव (Mainpuri Lok Sabha Seat Bypoll) के लिए समाजवादी पार्टी (SP) की ओर से अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की पत्नी डिंपल यादव (Dimple Yadav) ने नामांकन दाखिल कर दिया है. हालांकि, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अभी तक उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की है, लेकिन अटकलें लगाई जा रही हैं कि पार्टी मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की छोटी बहू अपर्णा यादव (Aparna Yadav) को मैदान में उतार सकती है.

यूपी BJP अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने साफ किया रुख

उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी (Bhupendra Singh Chaudhary) ने मैनपुरी लोकसभा सीट पर जीत का दावा करते हुए अपर्णा यादव (Aparna Yadav) को उम्मीदवार बनाने पर रुख साफ किया है. उन्होंने कहा कि पार्टी जल्द ही उप चुनावों के प्रत्याशियों की घोषणा करेगी और अपर्णा यादव समेत सभी कार्यकर्ता को उसकी क्षमता के हिसाब से जिम्मेदारी सौंपेगी. बता दें कि हाल ही में मुलायम सिंह की छोटी बहू अपर्णा यादव ने भूपेंद्र चौधरी से मुलाकात की थी, जिसके बाद उन्हें उम्मीदवार बनाए जाने पर चर्चा तेज हो गई थी.

उपचुनाव में खिलेगा कमल: भूपेंद्र सिंह चौधरी

यूपी बीजेपी के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी (Bhupendra Singh Chaudhary) ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) मैनपुरी लोकसभा सीट के साथ ही खतौली और रामपुर विधानसभा सीट पर भी जीत दर्ज करेगी और उपचुनाव में तीनों सीटों पर कमल खिलेगा. इसके साथ ही उन्होंने साफ किया कि इस बार निकाय चुनाव में भाजपा अपने सिंबल पर ही लड़ेगी और अल्पसंख्यक कार्यकताओं को भी टिकट दिया जाएगा.

मैनपुरी सीट पर 5 दिसंबर को डाले जाएंगे वोट

मैनपुरी लोकसभा सीट (Mainpuri Lok Sabha Seat) समाजवादी पार्टी के संस्थापक और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई थी. मैनपुरी सीट पर होने वाले उपचुनाव (Mainpuri Lok Sabha Seat Bypoll) के लिए 5 दिसंबर को मतदान होगा और 8 दिसंबर को मतगणना होगी.

भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी लोगों की खैर नहीं: प्रताप मिश्रा

भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी लोगों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार सख्त हो चुकी है. इस बाबत केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से एक रिपोर्ट जारी की गयी है जिसमें कहा गया है कि भारत-बांग्लादेश सीमा पर अवैध आव्रजन और सीमा पार गतिविधियां प्रमुख चुनौतियां हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत-बांग्लादेश सीमा की कुल लंबाई 4,096.7 किलोमीटर है, जिसमें से 3,145 किलोमीटर पर बाड़ लगाने का काम किया जा चुका है. वहीं बाकी हिस्से पर भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष अवरोधक स्थापित करने की तैयारी चल रही है.

वर्ष 2021-22 के लिए गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट की मानें तो, भारत-बांग्लादेश सीमा घुसपैठ के लिहाज से बेहद संवेदनशील है और बांग्लादेश से भारत में अवैध आव्रजन और गैरकानूनी सीमा पार गतिविधियों पर लगाम लगाने में चुनौती पेश आ रही है.

गलत तरीके से आधार कार्ड हासिल किये

यहां चर्चा कर दें कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने 26 जुलाई 2022 को कहा था कि पिछले पांच वर्षों में 2,399 बांग्लादेशी नागरिकों को धोखाधड़ी से हासिल भारतीय दस्तावेजों का इस्तेमाल करते हुए पाया गया है. उन्होंने बताया था कि केंद्र ने राज्य सरकारों से भारत में रह रहे अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान करने के लिए त्वरित कदम उठाने को कहा है. राय ने कहा था कि राज्यों को उन अवैध प्रवासियों का विवरण साझा करने की भी सलाह दी गयी है, जिन्होंने गलत तरीके से आधार कार्ड हासिल किये हैं, ताकि उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जा सके. पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रीजीजू ने 16 नवंबर 2016 को संसद को सूचित किया था कि उपलब्ध इनपुट के अनुसार, “भारत में लगभग दो करोड़ अवैध बांग्लादेशी प्रवासी रह रहे हैं.”

बाड़ लगाने की मंजूरी

गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, भारत-बांग्लादेश सीमा पर घुसपैठ, तस्करी और अन्य राष्ट्र विरोधी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने वहां बाड़ लगाने का काम शुरू कराया है. रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत सरकार ने सीमा पार से अवैध आव्रजन और गैरकानूनी एवं राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की रोकथाम के लिए भारत-बांग्लादेश सीमा पर दो चरणों में फ्लड-लाइट के साथ बाड़ लगाने की मंजूरी दी थी.” रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि बाड़ लगाने से संबंधित सभी कार्य मार्च 2024 तक पूरे किये जाने हैं.

अप्रत्यक्ष अवरोधक में तकनीकी उपाय

गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, अप्रत्यक्ष अवरोधक में तकनीकी उपाय शामिल होंगे, जबकि पुरानी प्रत्यक्ष बाड़ों को नयी डिजाइन वाली बेहतर बाड़ से बदलने की मंजूरी भी प्रदान कर दी गयी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि नदियों और निचले इलाकों, सीमा के 150 गज के दायरे में बसावट, भूमि अधिग्रहण के लंबित मामलों और सीमावर्ती आबादी के विरोध के कारण भारत-बांग्लादेश सीमा के कुछ हिस्सों में बाड़ लगाने के काम में कुछ समस्याएं आयी हैं और इस परियोजना में देरी हुई है.

अब तक बनाई जा चुकी है 3,750.87 किलोमीटर सड़क

गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, सीमावर्ती इलाकों में बेहतर संपर्क और परिचालन गतिशीलता के लिए सड़कों का निर्माण किया गया है. इसमें बताया गया है कि कुल स्वीकृत 4,223.04 किलोमीटर सीमा सड़क में से अब तक 3,750.87 किलोमीटर सड़क बनाई जा चुकी है और यह काम मार्च 2024 तक पूरा किया जाना है. रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल, मेघालय, असम, मिजोरम और त्रिपुरा में भारत-बांग्लादेश सीमा पर फ्लड-लाइट लगाने का फैसला किया है. इसमें बताया गया है कि कुल 3,077.549 किलोमीटर लंबी सीमा पर फ्लड-लाइट लगाने का निर्णय लिया गया है, जिसमें से 2,681.99 किलोमीटर हिस्से पर काम पूरा हो चुका है, जबकि बाकी क्षेत्र में मार्च 2023 तक फ्लड-लाइट लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को निर्वासित कर दिया जाएगा

2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने कहा था कि अगर वह सत्ता में आए तो भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को निर्वासित कर दिया जाएगा. बांग्लादेश से सटे पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर में आयोजित एक चुनावी रैली में मोदी ने कहा था, “नेताओं ने सिर्फ वोटों के लिए रेड कार्पेट बिछाकर उनका (अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों) स्वागत किया है. आप इसे लिख सकते हैं। 16 मई के बाद, इन बांग्लादेशियों को अपने बैग पैक करके तैयार रहना होगा.” असम और पश्चिम बंगाल को बांग्लादेश से कथित अवैध घुसपैठ से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य माना जाता है.

Monday, November 14, 2022

अब भारत की सेना अमेरिका और चीन को देगी टक्कर, पीएम मोदी के इस प्लान से नहीं बच पाएंगे दुश्मन


दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका, चीन और रूस के पास थिएटर कमान है। यानि तीनों सेनाओं को मिलाकर एक कमान। जो कि पलक झपते फैसले लेकर दुश्मन देश को तबाह कर सकती है। अभी भारत के पास तीनों सेनाओं की अपनी अलग-अलग और कई कमान है। ऐसे में युद्ध के समय निर्णय लेने में मुश्किल होती है। समय भी अधिक लगता है। मगर थिएटर कमान होने से तीनों सेनाओं की ताकत संयुक्त हो जाती है। किसी भी देश पर युद्ध की पूरी रणनीति बनाना तब थिएटर कमान के हाथ में आ जाती है। दुश्मन की ताकत और परिस्थितियों को देखते हुए थिएटर कमान युद्धक रणनीति बनाकर हमले का आदेश देती है। थिएटर कमान ही यह निर्देश देती है कि कब और कहां थल सेना आक्रमण करेगी और कब वायुसेना या नौसेना को आक्रमण करना है या किस प्रकार उन्हें दुश्मन को घेरना है। अब अमेरिका और चीन की तर्ज पर भारत भी थिएटर कमान बनाने जा रहा है। इसमें जल, थल और वायु सेनाएं मिलकर दुश्मन से लोहा लेंगी। अभी थलसेना और वायु सेना की सात-सात और जल सेना की तीन कमान है। यानि भारत के पास तीनों सेनाओं की कुल 17 कमानें हैं। अब इन्हें एकीकृत किया जाएगा। इससे सेना की ताकत बढ़ेगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने सीडीएस के गठन के बाद से ही थिएटर कमान बनाने की अवधारणा पर काम शुरू कर दिया था। इसे लेकर उनकी पूर्व सीडीएस जनरल बिपिन रावत से कई दौर की बातचीत भी हो चुकी थी। वर्ष 2021 में ही नेवल डिफेंस और एयर डिफेंस कमान को क्रियाशील कर दिया जाना था। मगर हेलीकॉप्टर दुर्घटना में जनरल रावत का निधन हो जाने से यह काम रोक दिया गया था। मगर अब सेना ने इस पर फिर तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। अब थिएटर कमान को मार्च 2023 तक एक्टिव कर दिए जाने पर काम हो रहा है। इसमें अब एयर और नेवल डिफेंस के साथ आर्मी डिफेंस यानि थल सेना कमान भी एक साथ जोड़ी जाएगी।

आर्मी सूत्रों के अनुसार थिएटर कमान में सबसे पहले एयर डिफेंस कमान को एक्टिव किया जाएगा। इसके बाद नेवल डिफेंस और आर्मी डिफेंस कमान को एक्टिव किया जाएगा। ये तीनों थिएटर कमान सीडीएस को रिपोर्ट करेंगी। अब हर सेना में कई कमानों को मिलाकर सिर्फ एक कमान में बदल दिया जाएगा। तीनों सेना की कमानें थिएटर कमान कह लाएंगी। इससे सेना को फैसले लेना और त्वरित मोड में दुश्मन देश पर अटैक करना आसान हो जाएगा। इसके बाद सेना अमेरिका और चीन की तरह पलक झपकते दुश्मन देश पर चौतरफा हमले कर सकेगी।

थिएटर कमान गठित होने के बाद लॉजिस्टिक और अंतरिक्ष कमान का भी गठन किया जाएगा। इन कमानों को भेद पाना फिर दुश्मन देश के लिए मुश्किल होगा। ये कमानें सभी अत्याधुनिक तकनीकियों से लैस होंगी। जो किसी भी दुश्मन देश की तैयारियों पर नजर रखने के साथ उनपर हमले की कार्ययोजना भी बना सकेंगी। लॉजिस्टिक और अंतरिक्ष कमान सेना की सर्वाधिक अत्याधुनिक कमान होगी। यह दुश्मन को मिनटों और सेकेंडों में ढूंढ़-ढूंढ़ कर उनके ठिकानों को तबाह कर सकती है। दुश्मन कहीं भी छुपा हो, उसका बच पाना फिर बेहद मुश्किल होगा।

Sunday, November 13, 2022

908 दिन बिताकर धरती पर लौटा US का मानवरहित अंतरिक्ष विमान


US का मानवरहित अंतरिक्ष विमान धरती पर लौटा (फोटो एएनआइ)

अमेरिका का एक मानवरहित सैन्य अंतरिक्ष विमान शनिवार को धरती पर लौट आया है। इस विमान ने अंतरिक्ष में 908 दिन बिताए हैं। बोइंग ने बताया कि अमेरिका के एक मानवरहित अंतरिक्ष विमान ने शनिवार को धरती पर उतरने से पहले 2.5 साल अंतरिक्ष में अपनी कक्षा में बिताए हैं। जो एक नया रिकॉर्ड है।

908 दिन बिताने के साथ ही नया रिकॉर्ड किया स्थापित

कंपनी ने एक बयान में कहा कि बोइंग-निर्मित X-37B ऑर्बिटल टेस्ट व्हीकल (OTV) ने 12 नवंबर, 2022 को सुबह 5:22 बजे फ्लोरिडा में NASA के कैनेडी स्पेस सेंटर में उतरने से पहले कक्षा में 908 दिन बिताने के साथ ही एक नया रिकॉर्ड बनाया है। इसका पिछला मिशन 780 दिनों तक चला था।

पिछले पांच मिशन 224 से 780 दिनों तक चले

सौर-संचालित अंतरिक्ष यान सेवानिवृत्त अंतरिक्ष शटल जैसा दिखता है, जो लगभग 9 मीटर (29 फीट) कई गुना छोटा है। कक्षा में इसके पिछले पांच मिशन 224 से 780 दिनों तक चले थे। कंपनी ने कहा नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर में उतरने से पहले मानवरहित अंतरिक्ष विमान ने कक्षा में 908 दिन बिताए।

1.3 अरब मील से अधिक की उड़ान भरी

कंपनी ने कहा कि इस बार, अंतरिक्ष यान ने एक सेवा मॉड्यूल की मेजबानी की। जिसने अमेरिकी नौसेना अनुसंधान प्रयोगशाला, अमेरिकी वायु सेना अकादमी और अन्य के लिए परीक्षण किए। अपने छठे मिशन के सफल समापन के साथ X-37बी अब तक 1.3 अरब मील से अधिक की उड़ान भर चुका है। इसके साथ ही उसने अंतरिक्ष में कुल 3,774 दिन बिताए हैं, जहां एक अन्य प्रयोग ने बीजों पर लंबी अवधि के अंतरिक्ष जोखिम के प्रभावों का मूल्यांकन किया है।

डलास एयर शो के दौरान आपस में टकराए दो युद्धक विमान (फोटो एपी)

क्या बोले अंतरिक्ष संचालन के प्रमुख जनरल चांस

अंतरिक्ष संचालन के प्रमुख जनरल चांस साल्ट्जमैन ने कहा कि यह मिशन अंतरिक्ष अन्वेषण में सहयोग पर अंतरिक्ष बल के फोकस पर प्रकाश डालता है और वायु सेना विभाग (डीएएफ) के भीतर और बाहर हमारे भागीदारों के लिए अंतरिक्ष तक कम लागत वाली पहुंच का विस्तार करता है। बता दें कि छठा मिशन मई 2020 में केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से लॉन्च किया गया था।

Saturday, November 12, 2022

आतंकवाद की टूटेगी कमर! अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्रालय करेगा ऐसा काम


आतंकवाद के वित्तपोषण पर अंकुश लगाने के उपायों पर चर्चा के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालयआगामी शुक्रवार को यहां दो दिन के मंत्री स्तरीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। गृह मंत्रालय के अनुसार इस सम्मेलन का विषय ‘आतंकवाद के लिए धन नहीं’ रखा गया है और इसमें पेरिस तथा मेलबर्न में हो चुके सम्मेलनों में आतंकवाद के वित्तपोषण पर अंकुश लगाने के बारे में हुई बातचीत को आगे बढ़ाया जाएगा।

सम्मेलन में 75 देशों तथा अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों के हिस्सा लेने की संभावना है। केंद्रीय गृह मंत्र अमित शाह इस सम्मेलन में भाग लेंगे और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के दृढ़ संकल्प के साथ साथ सरकार की नीतियों की जानकारी देंगे । इस सम्मेलन का आयोजन सरकार द्वारा अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के मुद्दे को महत्व देने के साथ-साथ इस खतरे के खिलाफ उसकी जीरो टॉलरेंस की नीति और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करने की इच्छा को दर्शाता है।

सम्मेलन का उद्देश्य पेर में 2018 और मेलबर्न में 2019 में अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा आयोजित पिछले दो सम्मेलनों में आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने से संबंधित चर्चाओं को आगे बढ़ाना हैइसके अलावा आतंकवाद के वित्तपोषण के सभी आयामों के तकनीकी, कानूनी, विनियामक और सहयोग के पहलुओं पर चर्चा को भी इसमें शामिल किया गया है। यह सम्मेलन आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने पर केंद्रित अन्य उच्चस्तरीय आधिकारिक और राजनीतिक विचार-विमर्श की गति को भी निर्धारित करेगा। वैश्विक स्तर पर, विभिन्न देश कई वर्षों से आतंकवाद और उग्रवाद से प्रभावित हैं।

अधिकांश मामलों में हिंसा के तौर तरीके भिन्न होते हैं लेकिन यह बड़े पैमाने पर लंबे समय तक सशस्त्र सांप्रदायिक संघर्षों के साथ-साथ एक अशांत भू-राजनीतिक वातावर के कारण पनपता है। इस तरह के संघर्षों का नतीजा अक्सर कुशासन, राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक अभाव और बड़े अनियंत्रित क्षेत्र के रूप में सामने आता है। भारत ने तीन दशकों से अधिक अवधि में कई प्रकार के आतंकवाद और इसके वित्तपोषण का सामना किया है, इसलिए वह इससे प्रभावित राष्ट्रों के दर्द और आघात को समझता है।

शांतिप्रिय राष्ट्रों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने और आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने के मामले में निरंतर सहयोग के लि संपर्क बनाने में मदद करने हेतु, भारत ने अक्टूबर में दो वैश्विक कार्यक्रमों – दिल्ली में इंटरपोल की वार्षिक आम सभा और मुंबई एवं दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद विरोधी कमेटी के एक विशेष सत्र – की मेजबानी की। यह सम्मेलन विभिन्न राष्ट्रों के बीच समझ और सहयोग विकसित करने के हमारे प्रयासों को आगे बढ़ाएगा।

सम्मेलन में होने वाली चर्चा आतंकवाद और आतंकवाद के वित्तपोषण के वैश्विक रुझानों, आतंकवाद के लिए धन के औपचारिक और अनौपचारिक चैनलों के इस्तेमाल, उभरती प्रौद्योगिकियों और आतंकवाद के वित्तपोषण और संबंधित चुनौतियों का सामना करने के लिए अपेक्षित अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर केंद्रित होगी।

Thursday, November 10, 2022

ईसाई और इस्लाम में परिवर्तित दलितों को एससी का दर्जा नहीं दिया जा सकता : केंद्र सरकार


 केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि ईसाई और इस्लाम धर्म अपनाने वाले दलितों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने की मांग वाली याचिका की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि वे छुआछूत से पीड़ित नहीं थे। शीर्ष अदालत ने 30 अगस्त को केंद्र से इस मामले में दलित ईसाइयों और अन्य की राष्ट्रीय परिषद द्वारा दायर याचिकाओं पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा था। केंद्र सरकार ने एक लिखित जवाब में कहा, “संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 ऐतिहासिक आंकड़ों पर आधारित था, जिसने स्पष्ट रूप से स्थापित किया कि ईसाई या इस्लामी समाज के सदस्यों को कभी भी इस तरह के पिछड़ेपन या उत्पीड़न का सामना नहीं करना पड़ा।”

इसमें कहा गया है कि जिन कारणों से अनुसूचित जाति के लोग इस्लाम या ईसाई धर्म में धर्मातरण कर रहे हैं, उनमें से एक अस्पृश्यता की दमनकारी व्यवस्था से बाहर आना है, एक सामाजिक कलंक, जो इनमें से किसी भी धर्म में प्रचलित नहीं है। ईसाई या इस्लाम धर्म अपनाने वाले दलितों को आरक्षण का लाभ देने का निर्देश देने की मांग वाली याचिकाओं के एक समूह पर केंद्र की प्रतिक्रिया आई। केंद्र सरकार ने कहा कि अनुसूचित जाति की स्थिति की पहचान एक विशिष्ट सामाजिक कलंक और जुड़े पिछड़ेपन के आसपास केंद्रित है जो संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 के तहत मान्यता प्राप्त समुदायों तक सीमित है।

इसने तर्क दिया कि गंभीर अन्याय होगा और कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा, जिसके परिणामस्वरूप अनुसूचित जाति समूहों के अधिकार प्रभावित होंगे, यदि सभी धर्मान्तरित लोगों को सामाजिक विकलांगता के पहलू की जांच किए बिना मनमाने ढंग से आरक्षण का लाभ दिया जाता है।
केंद्र सरकार ने अक्टूबर में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश के.जी. बालकृष्णन ने अन्य धर्मो में परिवर्तित होने वाले दलितों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने के दावों की जांच करने के लिए कहा। सरकार ने बताया कि अनुसूचित जातियों ने कुछ जन्मजात सामाजिक-राजनीतिक अनिवार्यताओं के कारण 1956 में डॉ. बी.आर. अंबेडकर के आह्वान पर स्वत: बौद्ध धर्म अपना लिया था। “इस तरह के धर्मातरित लोगों की मूल जाति/समुदाय स्पष्ट रूप से निर्धारित किया जा सकता है। यह ईसाइयों और मुसलमानों के संबंध में नहीं कहा जा सकता है, जो अन्य कारकों के कारण धर्मातरित हो सकते हैं, क्योंकि इस तरह के धर्मातरण की प्रक्रिया सदियों से चली आ रही है।”

केंद्र ने सभी धर्मो में दलितों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने के पक्ष में जस्टिस रंगनाथ मिश्रा आयोग की 2007 की रिपोर्ट को भी त्रुटिपूर्ण करार दिया और बताया कि इसे बिना किसी क्षेत्र अध्ययन के तैयार किया गया था।

अनुसूचित जाति समुदाय के सदस्य के रूप में नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का संवैधानिक अधिकार 1950 के आदेश के अनुसार केवल हिंदू, सिख या बौद्ध धर्म के लोगों को दिया गया है।

चीन के बदले तेवर , बोला पश्चिमी देशों से आगे निकल जाएगा भारत


चीन ने एस जयशंकर के बयान का हवाला देते हुए भारत की तारीफ की है। चीन के सरकारी अखबार ने भारत को स्वतंत्र कूटनीति वाला देश बताया और कहा कि आने वाले समय में यह पश्चिमी देशों से आगे निकल जाएगा।

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को मॉस्को में कहा कि रूस से तेल खरीदना भारत के लिए फायदेमंद है और भारत ऐसा करना जारी रखेगा। मॉस्को में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात के दौरान जयशंकर ने यह बयान दिया जिसे अमेरिकी जैसे पश्चिमी देशों के लिए एक जवाब के तौर पर देखा जा रहा है।

रूस से तेल खरीदने को लेकर पश्चिमी देश लगातार भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। पहले भी कई बार जयशंकर वैश्विक मंचों से भारत-रूस संबंधों पर सवाल उठाने वालों को जवाब दे चुके हैं। अमेरिका के साथ तनावपूर्ण संबंध रखने वाले चीन को भारतीय विदेश मंत्री का बयान खासा पसंद आया है।

जयशंकर के बयान की तारीफ करते हुए ग्लोबल टाइम्स के पत्रकार हू शिजिन ने एक ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, ‘भारत एक स्वतंत्र कूटनीति वाला देश है, जो दुनियाभर में अपना प्रभाव बढ़ाने की खातिर इसके लिए दरवाजे खोलता है।

यह उम्मीद की जा सकती है कि भारत का व्यापक अंतरराष्ट्रीय प्रभाव अमेरिका को छोड़कर कई पश्चिमी देशों से आगे निकल जाएगा।’ फरवरी 2022 में रूस और यूक्रेन का युद्ध शुरू हुआ था। इसके बाद एक-एक कर रूस पर कई प्रतिबंध लगने लगे। लेकिन भारत ने तटस्थ नीति का पालन करते हुए रूस से तेल खरीदना जारी रखा।

संयुक्त राष्ट्र से लेकर एससीओ जैसे मंचों से भारत युद्ध और हिंसा की खुलकर निंदा कर चुका है। रूस से व्यापारिक संबंधों की वजह से पश्चिमी देश भारत से नाराज हैं। इस बीच जयशंकर दो दिवसीय दौरे पर मंगलवार को मॉस्को पहुंचे।

भारत-रूस संबंधों पर बोलते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच बेहद मजबूत और समय की कसौटी पर परखे हुए संबंध हैं। अपने भाषण में जयशंकर ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी, वित्तीय दबाव और व्यापारिक कठिनाइयों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर डाला है। अब इसके ऊपर हम यूक्रेन युद्ध के नतीजे देख रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन बारहमासी मुद्दे हैं। दोनों का विकास पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जयशंकर ने बताया कि हमारी बातचीत समग्र वैश्विक स्थिति के साथ-साथ कुछ खास क्षेत्रीय चिंताओं को दूर करेगी।

सितंबर में चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने जयशंकर के एक बयान का हवाला देते हुए कहा था कि अमेरिका और पश्चिम की तुलना में हम भारत की स्वतंत्र विदेश नीति का सम्मान करते हैं और नई दिल्ली के रणनीतिक संयम को देखकर खुश हैं जिसे आसानी से मूर्ख नहीं बनाया जा सकता।

Tuesday, November 8, 2022

‘राजधानी कीव छोड़ने की करें तैयारी’, रूसी हमले तेज होने पर यूक्रेन के राष्ट्रपति ने किया आगाह

रूसी न्यूज एजेंसियों ने खबर दी है कि यूक्रेन ने खेरसॉन की निप्रो नदी पर बने नोवा काखोव्का बांध पर जमकर गोलाबारी की। इससे बांध को काफी नुकसान पहुंचा है। अमेरिका में बने हिमार्स मिसाइल सिस्टम से ये हमला किया गया। बांध से काफी मात्रा में पानी लगातार बह रहा है। हमले के बाद रूस ने अपने एयर डिफेंस चौकस कर दिया है।

volodymyr zelensky

कीव। रूस और यूक्रेन की जंग गंभीर रुख अपनाती दिख रही है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलिंस्की ने राजधानी कीव के नागरिकों को घर छोड़कर जाने के लिए तैयार रहने को कहा है। इससे पहले रूस ने खेरसॉन के नागरिकों से शहर छोड़कर चले जाने को कहा था। जेलिंस्की की ताजा चेतावनी से साफ है कि रूस अब 8 महीने पुरानी जंग में अपने हमले तेज करने जा रहा है। रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन के खिलाफ सैन्य अभियान शुरू किया था। पिछले महीने से उसने यूक्रेन की राजधानी कीव समेत अन्य शहरों पर मिसाइलों की बारिश शुरू कर दी है। ईरान से मिले ड्रोन से भी रूस लगातार यूक्रेन की फौज को निशाना बना रहा है।

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जेलिंस्की ने कहा है कि रूस अब यूक्रेन के ऊर्जा क्षेत्र को खत्म करने में जुट गया है। बिजली और पानी की सप्लाई से 40 लाख लोग महरूम हो गए हैं। रूस के हमलों में और तेजी आ सकती है। ऐसे में राजधानी कीव के लोग घर छोड़ने के लिए तैयारी रखें। जेलिंस्की ने कहा कि रूस का अब निशाना ऊर्जा के ढांचे पर है। सर्दियां शुरू हो गई हैं और बिजली के बगैर लोगों का रहना मुश्किल होगा। जेलिंस्की ने कहा है कि यूक्रेन इन सबके बावजूद मैदान में डटा रहेगा। उन्होंने कहा कि किसी सूरत में हम रूस को अपने देश पर काबिज होने नहीं देंगे।

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वहीं, रूसी न्यूज एजेंसियों ने खबर दी है कि यूक्रेन ने खेरसॉन की निप्रो नदी पर बने नोवा काखोव्का बांध पर जमकर गोलाबारी की। इससे बांध को काफी नुकसान पहुंचा है। अमेरिका में बने हिमार्स मिसाइल सिस्टम से ये हमला किया गया। बांध से काफी मात्रा में पानी लगातार बह रहा है। इस हमले के बाद रूस ने अपने एयर डिफेंस को और चौकस कर दिया है। रूस ने आरोप लगाया है कि यूक्रेन अब बांध तोड़कर मानवीय तबाही लाना चाहता है। रूस ने इसके साथ ही चेतावनी दी है कि ऐसी किसी भी कोशिश पर यूक्रेन को बड़े पैमाने पर जवाब मिलेगा।

Thursday, November 3, 2022

मुस्लिम पर्सनल लॉ को तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाय: प्रताप मिश्रा

भारतीय अदालतें मुस्लिम पर्सनल लॉ सहित दशकों पुराने कानूनों की व्याख्या करने में खुद को असमर्थ पाती हैं। 15 साल से अधिक उम्र की मुस्लिम लड़कियां शादी कर सकती हैं; पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने शरिया कानून का हवाला देते हुए कहा कि यह बाल विवाह निषेध अधिनियम का उल्लंघन नहीं करेगा।

हालांकि, केरल उच्च न्यायालय ने कहा कि अदालतें मुस्लिम मौलवियों पर भरोसा नहीं कर सकती हैं, जिनके पास मामलों का फैसला करने के लिए कोई कानूनी प्रशिक्षण नहीं है। अदालतें मुस्लिम विद्वान द्वारा दी गई राय का पालन करने के लिए बाध्य नहीं हैं। और उससे पहले भी, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि पॉस्को मुस्लिम पर्सनल लॉ से आगे निकल जाता है।

मुस्लिम पर्सनल लॉ खत्म करो

मुस्लिम पर्सनल लॉ और शरिया की व्याख्या में कानूनी विद्वानों के बीच मतभेद समाज में बहुत अधिक घर्षण पैदा कर रहे हैं जिससे विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं। सरकार पहले से ही महिलाओं की शादी की उम्र को पुरुषों के बराबर करने के लिए 21 साल करने पर विचार कर रही है।

यदि सरकार इसे लागू करती है, तो यह मुस्लिम लड़कियों और हिंदू लड़कियों की विवाह योग्य उम्र के बीच उम्र के अंतर को और बढ़ा देगी (संविधान के अनुसार, हिंदू में सिख, जैन और बौद्ध शामिल हैं – भारतीय धर्म)।

सबसे अच्छा आह्वान यह होगा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के साथ-साथ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को भी खत्म कर दिया जाए और नागरिकों की कानूनी स्थिति में समानता ला दी जाए। न्याय की देवी ने अपनी आँखें बंद कर ली हैं ताकि वह अपने धर्म के आधार पर लोगों के बीच अंतर न कर सकें, लेकिन भारतीय न्याय प्रणाली सात दशकों से अधिक समय से ऐसा ही कर रही है।

तीन तलाक के सफल कानून ने प्रतिगामी प्रथाओं और पूरी तरह से धार्मिक प्रतिबंधों पर आधारित असमान कानूनों के खिलाफ सरकारी कार्रवाई का मार्ग प्रशस्त किया है। मुस्लिम पर्सनल लॉ की अवधारणा एक असमान कानून का एक ऐसा उदाहरण है जो भारतीय संविधान की कानून के तहत समानता की धारणा की भावना के विपरीत है। ऐसे कई मुद्दे हैं जहां तथाकथित अल्पसंख्यक समुदाय के लिए कानून अलग है लेकिन “मुस्लिम पर्सनल लॉ” के नाम पर संरक्षित है।

मुस्लिम महिलाओं के लिए विरासत कानून एक और क्षेत्र है जहां इस्लाम में पुरुषों के संबंध में महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता है। पूर्वज की मृत्यु की स्थिति में, मुस्लिम महिलाएं अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में विरासत के केवल आधे हिस्से की हकदार हैं, जो न केवल लिंग के आधार पर भेदभावपूर्ण है, बल्कि मुस्लिम महिलाओं की तुलना में नुकसान में भी है। उनके पुरुष भाई-बहन।

मृत पति या पत्नी से विरासत में मिली संपत्ति के मामलों में भी महिलाओं को नुकसान होता है। उदाहरण के लिए, एक पत्नी उस मामले में हिस्सेदारी का 1/4 हिस्सा लेती है जहां दंपति बिना वंशज वंशज हैं और एक-आठवां हिस्सा अन्यथा। एक पति (पत्नी की संपत्ति के उत्तराधिकार के मामले में) उस मामले में 12 हिस्सा लेता है जहां युगल वंश के बिना है और 14 हिस्सा अन्यथा। मूल रूप से, यहां भी, एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना की स्थिति में एक व्यक्ति विरासत के अधिक हिस्से का हकदार है।

मुस्लिम महिलाएं केवल इद्दत (नौ महीने) की अवधि के दौरान गुजारा भत्ता की हकदार हैं, जिसके दौरान तलाक को अंतिम रूप दिया जाता है, लेकिन ऐसा कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है जो इस इद्दत की अवधि के समाप्त होने के बाद उसके लिए सुरक्षा जाल प्रदान करता हो। फिर भी, सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न अवसरों पर यह माना है कि मुस्लिम महिलाओं को इद्दत अवधि के बाद गुजारा भत्ता प्राप्त करने का अधिकार है।

निकाह हलाला जैसी कई प्रथाएं भी आज तक मुस्लिम महिलाओं की गरिमा को बनाए रखती हैं और उन्हें अपमानित करती हैं और तत्काल ट्रिपल तालक की प्रथा के समान, इसे त्यागने की आवश्यकता है। मुस्लिम कानून में प्रथा के अनुसार, एक मुस्लिम पुरुष को एक ही महिला को दो बार तलाक देने और दोबारा शादी करने की स्वतंत्रता है। हालाँकि, यदि पुरुष तीसरी बार उसे तलाक देना चाहता है और पुनर्विवाह करना चाहता है, तो महिला उससे केवल तभी पुनर्विवाह कर सकती है जब वह किसी अन्य पुरुष से विवाह करती है, विवाह को समाप्त कर देती है, और वह पुरुष मर जाता है या स्वेच्छा से तलाक मांगता है; तभी उसकी शादी उसके पहले पति से होगी। निकाह हलाला की आड़ में मुस्लिम महिलाओं का यौन शोषण किए जाने की कई खबरें भी सामने आई हैं।

जैसे-जैसे भारत आगे बढ़ता है और छद्म-धर्मनिरपेक्ष पूर्वाग्रह से मुक्त महिलाओं के लिए समान अधिकारों के लिए रास्ता बनाता है, ये पुरातन प्रथाएं बड़े सुधारों का आह्वान करती हैं और अंततः समान नागरिक संहिता को लागू करने का मार्ग प्रशस्त करती हैं ताकि सभी समुदायों की महिलाएं इसका आनंद उठा सकें। समान अधिकार जो संविधान ने उन्हें गारंटी दी है। तीन तलाक कानून के सफल पारित होने ने सही तरह की प्रेरणा दी है और ऐसे सुधारों के लिए टोन सेट किया है।

भारत को थर्मोन्‍यूक्लियर बम के परीक्षण की जरूरत, अमेरिकी विशेषज्ञों ने दी सलाह


Thermonuclear Weapon India: भारत को थर्मोन्‍यूक्लियर बम के परीक्षण की जरूरत, अमेरिकी विशेषज्ञों ने दी सलाह

रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन-ताइवान टेंशन के बीच दुनियाभर में परमाणु जंग का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. खबरों में हम आए दिन देखते हैं कि रूस यूक्रेन को लगातार धमकी देते रहता है कि उसके सब्र का इम्तिहान न लिया जाए. दूसरी ओर ताइवान-चीन के बीच अमेरिका की दखल से मामला सातवें आसमान पर है. मौजूदा दौर में अमेरिका चीन को अपने प्रतिद्वंदी के तौर पर देखता है. इसे लेकर अमेरिका ने अपने नौसैनिक अड्डे गुआम से लेकर ऑस्‍ट्रेलिया तक हथियारों को तैनात करना शुरू कर दिया है. दुनिया का माहौल जंग की ओर झुकता जा रहा है. इस बीच कुछ अमेरिकी एक्सपर्ट्स ने कहा है कि भारत को थर्मोन्‍यूक्लियर बम का परीक्षण एकबार फिर से शुरू करना चाहिए. बता दें अब से 24 साल पहले भी भारत ने थर्मोन्‍यूक्लियर बम का परीक्षण किया था हालांकि 1998 के उस थर्मोन्‍यूक्लियर बम के परीक्षण के लिए ऐसा कहा जाता है कि वह सफल नहीं हो पाया था।

एश्‍ले जे टेलिस ने भारत को दी सलाह

अमेरिका के फेमस थिंक टैंक कार्नेगी इंडोमेंट फॉर इंटरनैशनल पीस के सीनियर फेलो एश्‍ले जे टेलिस का कहना है कि भारत को अपने 1998 के थर्मोन्‍यूक्लियर बम का परीक्षण फिर से शुरू करना चाहिए और भारत को हथियारों के मामले में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि हथियारों की वजह से दो शत्रु देशों में बैलेंस बना रहता है. उन्होंने कहा कि इसके लिए अगर भारत को किसी तरह की मदद की जरूरत होती है तो अमेरिका को उसके लिए आगे आना चाहिए. एश्‍ले जे टेलिस ने कहा कि भारत को इस दिशा में विचार करना चाहिए. एश्‍ले जे ने ये भी कहा कि अगर चीन अपने परमाणु हथियारों में इजाफा करता है तो यह भारत के लिए चिंता का विषय हो सकता है।

पिछले दिनों चीन को लेकर ये थी बड़ी खबर

आपको बता दें कि पिछले दिनों चीन को लेकर एक बड़ी बात सामने आई थी जिसमें कहा गया था कि चीन साल 2030 तक 1000 बम बनाने की तैयारी में है. खबर ये भी थी कि चीन सैकड़ों मिसाइलों के लिए रेगिस्‍तानी इलाकों में साइलो का निर्माण भी कर रहा है।

अमेरिका की युद्ध मे एंट्री, बेलारूस खौफ से दहला, रूस का NATO पर सीधा हमला


Belarus

यूक्रेन की रणभूमि में अमेरिका केउतरने का सीधा सीधा मतलब है आने वाले वक्त में दो सुपर पावर मुल्कों के बीच में महायुद्ध की शुरुआत। इन दोनों देशों के बीच जंग होती है तो यह केवल दोनों देशों के बीच सीमित नहीं रहेगी बल्कि विश्व युद्ध का आगाज हो सकता है।

क्या तीसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत हो चुकी है? पिछले 9 महीने से यूक्रेन की जंग अमेरिकी हथियारों के दम पर लड़ी जा रही है। लेकिन अब अमेरिकी सेना की वार जोन में डायरेक्ट एंट्री हो चुकी है। दुनिया के लिहाज से यह कतई अच्छी खबर नहीं है। बीते 9 महीने से इसी जंग को टालने की कोशिश की जा रही थी। लेकिन अमेरिका ने यूक्रेन में अमेरिकी ट्रूप उतार दिया है। यूक्रेन की रणभूमि में अमेरिका केउतरने का सीधा सीधा मतलब है आने वाले वक्त में दो सुपर पावर मुल्कों के बीच में महायुद्ध की शुरुआत। इन दोनों देशों के बीच जंग होती है तो यह केवल दोनों देशों के बीच सीमित नहीं रहेगी बल्कि विश्व युद्ध का आगाज हो सकता है।

क्या बीते 8 महीने से बाइडेन रूस के हथियारों को देखना, तोलना और कम करना चाहते थे? क्या यूक्रेन की बर्बादी पेंटागन की सोची-समझी रणनीति थी। यह सारे सवाल ताजा हालातों में जायज नजर आ रहा है। जब रूस और यूक्रेन का युद्ध शुरू हुआ था तो जो बाइडेन ने कहा था कि वह यूक्रेन की मदद करेंगे, हथियार देंगे लेकिन सीधे यूएस आर्मी इस जंग में नहीं एंट्री लेगी क्योंकि ऐसा होने का मतलब था कि रूस और अमेरिका आमने सामने आ जाते तो विश्वयुद्ध की शुरुआत मुमकिन थी। लेकिन 9 महीने में बैगन का सब्र जवाब दे गया है और इसलिए यूक्रेन में अमेरिकी सेना उत्तर गई है।

यूक्रेन की जमीन पर अमेरिकी सैनिक

रूसी मीडिया rt.com ने यूक्रेन में उतरे अमेरिकी ट्रिप को लेकर एक डिटेल रिपोर्ट पब्लिश की है। अमेरिकी सैनिक यूक्रेन की जमीन पर है। वह यहां नाटो हथियारों की डिलीवरी की निगरानी कर रहे हैं। पेंटागन के एक अधिकारी ने इसका खुलासा किया है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है की वहां अमेरिका के कितने सैनिक है। अमेरिकी सैनिकों की टुकड़ी का नेतृत्व ब्रिगेडियर जनरल गैरिक हार्मोन कर रहे हैं।

बेलारूस बना हुआ का नया सेंटर

पेंटागन में रूस के दोस्त बेलारूस पर हमले का पेपर वर्क हो चुका है पद्मनाभ यहां तक कि बेलारूस के पास रोमानिया और पोलैंड में अमेरिकी आर्मी ने अपने सबसे घातक टुकड़ी को भेज दिया है। जिससे बेलारूस टेंशन में है। इस बाबत सेंट पीटर्सबर्ग में रूस और बेलारूस के रक्षा मंत्रालय के बीच अहम बैठक हुई। बेलारूस पर हमले के लिए अमेरिका ने 2 बार प्लान तैयार किए हैं पहला लिट्रल स्ट्राइक और दूसरा न्यूक्लियर हमला। भाई जान यह विस्फोटक कदम इसलिए उठा नहीं जा रहे हैं ताकि उस सयम जाए और पुतिन परमाणु प्रहार ना कर पाएं। बेलारूस की स्टेट सिक्योरिटी कमेटी यानी केजीबी के डिप्टी हेड एवं टर्टल ने कहा कि अमेरिका बेलारूस पर बहुत बड़ा हमला करने वाला है। यह पोलैंड की तरफ से हो सकता है।

 नाटो के रूसी सीमा के पास लामबंद होने से  भड़के पुतिन

पुतिन के शीर्ष मंत्री सर्गेई शोइगु का कहना है कि रूस की पश्चिमी सीमाओं के पास तैनात नाटो बलों की संख्या 30,000 से अधिक हो गई है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य ब्लॉक ने मध्य और पूर्वी यूरोप के साथ-साथ बाल्कन और बाल्टिक राज्यों में इकाइयों को बढ़ाया है। शोइगु ने कहा कि पश्चिमी ताकतों की एकाग्रता न केवल मास्को के लिए बल्कि रूस के सहयोगी बेलारूस के लिए भी एक सीधा खतरा है। जिसके बाद रूस ने भी इस तरह के उकसावे वाले प्रयास को विश्व शांति के लिए बड़ा खतरा बताया है। इसके साथ ही उन्होंने अमेरिका को सीधी चेतावनी भी दी है कि इससे विनाश होगा।