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Friday, December 30, 2022

पाकिस्‍तान हमें खुद को सौंप दे तो भी नहीं लेंगे उसका लोन कौन चुकाएगा? तालिबान ने उड़ाया पाकिस्तान का मजाक


पाकिस्‍तान की अर्थव्‍यवस्‍था बदहाली के दौर से गुजर रही है और देश के डिफाल्‍ट होने का खतरा बढ़ता जा रहा है। हालत यह है कि पाकिस्‍तान की सरकार को अमेरिका स्थित अपने दूतावास की इमारतों को बेचना पड़ रहा है। पाकिस्‍तान लगातार चीन सऊदी अरब और अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष से कर्ज ले रहा है लेकिन सेना पर बहुत ज्‍यादा खर्च करने के कारण उसे बजट घाटा झेलना पड़ रहा है। अब पाकिस्‍तान की इस बदहाली का उसके दोस्‍त से दुश्‍मन बने तालिबान ने भी बड़ा मजाक उड़ाया है।

सोशल मीडिया में वायरल हो रहे एक वीडियो में तालिबानी सेना के अधिकारी जनरल मोब‍िन खान से सवाल किया जाता है कि क्‍या आप पाकिस्‍तान की सीमा को पार कर रहे हैं। इस पर जनरल मोबिन ने जवाब दिया पाकिस्‍तान को अगर उन्‍होंने हमें खुद ही दे भी दिया तो हम नहीं लेंगे। उनका कर्जा कौन चुकाएगा। तालिबानी कमांडर ने कंगाल पाकिस्‍तान का यह मजाक ऐसे समय पर उड़ाया है जब दोनों के बीच सीमा पर कई बार भीषण संघर्ष हो चुका है जिसमें दोनों ही पक्षों के कई लोग मारे गए हैं।

पिछले दिनों पाकिस्‍तानी सेना ने अफगानिस्‍तान के अंदर हवाई हमला कर दिया था। तालिबान और पाकिस्‍तान के बीच सीमा विवाद चल रहा है। पाकिस्‍तान की सेना सीमा पर बाड़ लगाना चाहती है लेकिन तालिबानी इसका विरोध कर रहे हैं। तालिबान डूरंड लाइन को भी नहीं मान रहे हैं और पाकिस्‍तान के पेशावर शहर तक अपना दावा ठोक रहे हैं। यही नहीं तालिबान के राज में टीटीपी आतंकी भी अफगानिस्‍तान से पाकिस्‍तानी सेना पर भीषण हमले कर रहे हैं। टीटीपी के खिलाफ अब पाकिस्‍तानी सेना सैन्‍य कार्रवाई करने जा रही है।

पाकिस्‍तान इस समय डिफाल्‍ट होने की कगार पर पहुंच गया है। पाकिस्‍तान के पूर्व वित्‍त मंत्री मिफ्ताह इस्‍माइल ने जोर देकर कहा है कि देश के डिफाल्‍ट होने का खतरा बहुत बढ़ गया है। उन्‍होंने शहबाज सरकार से अपील की है कि वह अर्थव्‍यवस्‍था को बचाने के लिए कदम उठाएं। उन्‍होंने सलाह दी कि शहबाज सरकार आईएमएफ और विश्‍वबैंक से तत्‍काल संपर्क करे। पाकिस्‍तान को 31 अरब डॉलर का कर्ज लौटाना है।

पीएम मोदी की मां का निधन, प्रधानमंत्री ने कहा- शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम...


पीएम मोदी की मां का निधन, प्रधानमंत्री ने कहा- शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम...प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मां हीराबेन का निधन हो गया है. ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दे.जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार तड़के 3.30 बजे हीराबेन मोदी ने आखिरी सांस ली. तबीयत खराब होने के बाद बुधवार की सुबह उन्हें अहमदाबाद के ‘यू एन मेहता इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी एंड रिसर्च सेंटर’ में भर्ती कराया गया था. पीएम मोदी ने मां के निधन पर ट्वीट कर लिखा, 'शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम... मां में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की है, जिसमें एक तपस्वी की यात्रा, निष्काम कर्मयोगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहा है. मैं जब उनसे 100वें जन्मदिन पर मिला तो उन्होंने एक बात कही थी, जो हमेशा याद रहती है कि 'बुद्धि से काम लो, पवित्रता से जियो' यानि काम करो बुद्धि से और जीवन जियो शुद्धि से.'

गांधीनगर शहर के पास रायसन गांव में हीराबेन पीएम मोदी के छोटे भाई पंकज मोदी के साथ रहती थीं. प्रधानमंत्री नियमित रूप से वहां जाते थे और अपनी यात्राओं के बीच अपनी मां से मिलते थे. गुरुवार को अस्पताल ने एक बयान जारी कर कहा था कि हीराबा मोदी की तबीयत ठीक हो रही हैं. सोमाभाई मोदी ने कहा था, 'उनकी स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है. वह आज काफी बेहतर हैं, उन्होंने अपने हाथ-पैर चलाए हैं.' वहीं, अस्पताल पहुंचे बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने उनके एक से दो दिन में डिस्चार्ज होने की बात कही थी.

Thursday, December 29, 2022

किसानों को सीएम योगी का बड़ा तोहफा, लखनऊ में खुलेगा हाईटेक एग्री मॉल


किसानों को सीएम योगी का बड़ा तोहफा, लखनऊ में खुलेगा हाईटेक एग्री मॉल, मिलेंगी ये खास सुविधायें

 किसानों के लिए योगी सरकार कई कदम उठाने जा रही है. बुधवार को सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में  राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के संचालक मंडल की बैठक हुई. जिसमें मुख्यमंत्री ने किसानों का हित संरक्षण के लिए जरूरी दिशा-निर्देश दिए गए.

राजधानी में बनेगा एग्री मॉल
किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिले, उत्पाद की ब्रांडिंग हो, सही बाजार मिले, इसके लिए राजधानी लखनऊ में 'एग्री मॉल' स्थापित किया जाना आवश्यक है. यहां किसान सीधे अपने फल, सब्जियों की बिक्री कर सकेंगे. उपभोक्ताओं के लिए अच्छी गुणवत्ता के फल, सब्जियां और खाद्यान्न उपलब्ध होगा. मॉल में किसानों के विश्राम के लिए आवश्यक सुविधाएं हों. गोमतीनगर के विकल्प खंड में लगभग 8000 वर्गमीटर भूमि सात मंजिला आधुनिक एग्रो मॉल की स्थापना के लिए उचित होगा. 

अयोध्या में बनेगी टिशू कल्चर लैब
कृषि कार्य मे टिशू कल्चर तकनीक के प्रयोग के अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं. प्रदेश में इस तकनीक को प्रोत्साहित करने के लिए अयोध्या में केले की खेती को बढ़ावा देने के लिए टिशू कल्चर प्रयोगशाला की स्थापना की जानी चहिए. इस संबंध में विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत किया जाए. कृषि उपजों की ई-नीलामी या डिजिटल प्लेटफार्म सर्विस प्रोवाइडर हेतु लाइसेंस बनवाने के लिए मंडी नियमावली में यथा आवश्यक संशोधन किया जाए. निजी क्षेत्र की सहभगिता किसानों को एक नया विकल्प देगी, साथ ही मंडी परिषद की आय में भी बढ़ोतरी होगी.

मंडल मुख्यालयों पर टेस्टिंग लैब स्थापित कराई जाएं - सीएम योगी
राज्य सरकार प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए नियोजित प्रयास कर रही है. अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप जैविक और प्राकृतिक उत्पादों के सत्यापन के लिए सभी मंडल मुख्यालयों पर टेस्टिंग लैब स्थापित कराए जाएं. चरणबद्ध रूप से कृषि विज्ञान केंद्रों पर टेस्टिंग लैब स्थापित किए जाएं। इस कार्य को शीर्ष प्राथमिकता के साथ पूरा किया जाए. मंडी परिषद की सहायता से प्रदेश के बांदा, कानपुर और कुमारगंज (अयोध्या) कृषि विश्वविद्यालयों में छात्रावासों का निर्माण कराया गया है.

मंडी परिषद को हुई 972 करोड़ से ज्यादा की आय
राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद द्वारा किसानों के हित का ध्यान रखते हुए किये जा रहे प्रयास सराहनीय हैं। मंडी शुल्क को न्यूनतम करने के बाद भी राजस्व संग्रह में मंडियों का अच्छा योगदान है. चालू वित्तीय वर्ष में अप्रैल से नवम्बर तक 972 करोड़ से अधिक की आय मंडी परिषद को हुई है, जो कि पिछले वित्तीय वर्षों के सापेक्ष अच्छी प्रगति दर्शाता है. सीएम ने कहा इस वित्तीय वर्ष ₹1500 करोड़ के राजस्व संग्रह के लक्ष्य के साथ काम करना चाहिए.

नए साल पर NATO और रूस में हो सकती है सीधी टक्कर, कोसोवो-सर्बिया के बीच कभी भी छिड़ सकता है युद्ध


सर्बिया ने कोसोवो के साथ अपनी सीमा के पास सेना को हाई अलर्ट पर रखा है. (फोटो AP)

नए साल पर जहां एक ओर लोग शांति की ओर बढ़ने की बात करते हैं. वहीं रूस (Russia) एक और फ्रंट पर युद्ध (war) छेड़ सकता है. सर्बिया (Serbia) और कोसोवो (Kosovo) के बीच महीनों से चल रहा टकराव युद्ध में बदलने की आशंका है. अगर ऐसा होता है तो इस फ्रंट पर रूस और नाटो (NATO) आमने सामने आ जाएंगे. हालात कितने बिगड़े हुए हैं इसका अंदाजा इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सर्बिया के रक्षा मंत्री मिलोस वूसेविक ने सोमवार (26 दिसंबर) को अपनी सेना को युद्ध के लिए तैयार रहने के लिए कहा है.

वेटिकन न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार सर्बिया ने कोसोवो के साथ लगी सीमा पर अपनी सेना को हाई अलर्ट पर रखा है. दोनों देशों के बीच गतिरोध तब और बढ़ जाता है, जब सर्बिया और कोसोवो एक दूसरे पर सशस्त्र टकराव की तैयारी करने का आरोप लगाते हैं. बता दें कि साल 2008 में कोसोवो, सर्बिया से आजाद हुआ था. फिलहाल कोसोवो ने भी अपने इरादे दिखा दिए हैं, वह भी पीछे हटने को तैयार नहीं है.

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार कोसोवो ने सर्बिया पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह ऐसा रूस के प्रभाव में कर रहा है. कोसोवो के आंतरिक मंत्री जेलाल स्वेक्ला (Xhelal Svecla) ने मंगलवार को कहा कि सर्बिया रूस के प्रभाव में कोसोवो को अस्थिर करना चाह रहा है. उत्तरी कोसोवो में जातीय रूप से विभाजित शहर मित्रोविका में सर्बों (Serbs) ने मंगलवार को नए बैरिकेड्स लगाए. इससे तनाव और बढ़ गया है.

आग क्यों सुलगी?
मालूम हो कि सर्बिया से कोसोवो के आजाद होने के बाद से ही दोनों देशों के बीच गतिरोध चलता आ रहा है. बीते 25 दिसंबर को दोनों देशें ने एक दूसरे पर फायरिंग का आरोप लगाया. कोसोवो का आरोप था कि फायरिंग सर्बिया की तरफ से की गई. वहीं सर्बिया ने आरोप लगाया कि फायरिंग कोसोवो में तैनात KFOR (कोसोवो में नाटो के नेतृत्व वाली अंतरराष्ट्रीय शांति सेना) की तरफ से की गई थी. इसके बाद दोनों देशों के बीच पिछले 10 महीने से जारी तनाव और भड़क गया. KFOR ने इस फायरिंग की घटना को लेकर कहा  कि वह जांच कर रहा है. इस बीच सर्बिया के प्रधानमंत्री एना ब्रनाबिक ने भी बयान दिया. उन्होंने कहा कि यह दोनों देशों के बीच युद्ध भड़काने की एक साजिश है.

Wednesday, December 28, 2022

राहुल गांधी की Bharat Jodo Yatra से अखिलेश-जयंत का किनारा! गड़बड़ा सकता है विपक्षी एकजुटता का गणित


bharat jodo yatra akhilesh jayant sidelined from rahul gandhiBharat Jodo Yatra: कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) का 3 जनवरी को यूपी में आगमन हो रहा है। इसको लेकर कांग्रेस ने राज्य में तैयारियां तेज कर दी है। यूपी में कांग्रेस की ये यात्रा सफल रहे, इसलिए पार्टी द्वारा विपक्ष के बड़े नेताओं को इसमें शामिल होने का न्योता दिया गया है। लिस्ट में सपा प्रमुख अखिलेश यादव, बसपा प्रमुख मायावती और आरएलडी नेता जयंत चौधरी का नाम शामिल है। अब जयंत ने तो इस यात्रा में शामिल होने से मना कर दिया है, अखिलेश को लेकर भी कहा जा रहा है कि वे इस यात्रा का हिस्सा नहीं बन पाएंगे। इसी तरह मायावती के जाने पर भी सस्पेंस बना हुआ है। बता दें कि यात्रा गाजियाबाद के लोनी से शुरू होगी और अलग-अलग शहरों से होते हुए आगे बढ़ जाएगी।
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Bharat Jodo Yatra में अखिलेश का शामिल होना मुश्किल
समाजवादी पार्टी के एक प्रवक्ता ने बताया है कि अखिलेश यादव पहले से ही कुछ दूसरे कार्यक्रमों में व्यस्त हैं, ऐसे में भारत जोड़ो यात्रा में उनका शामिल होना मुश्किल है। वहीं अगर सपा की तरफ से कोई दूसरा नेता इस यात्रा में शामिल होगा, इसे लेकर पार्टी द्वारा कोई फैसला नहीं हुआ है। ऐसे में अगर यूपी में कांग्रेस को सपा का साथ नहीं मिलेगा, इसे बड़े सियासी झटके के रूप में देखा जाएगा। अब जो कारण अखिलेश का बताया जा रहा है, सोमवार को आरएलडी ने भी उसी कड़ी में भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने से इनकार कर दिया था। जोर देकर कहा गया था कि जयंत पहले से ही दूसरे कार्यक्रमों में व्यस्त रहने वाले हैं। बसपा को लेकर कहा जा रहा है कि उन्हें अभी तक कांग्रेस की तरफ से कोई न्योता नहीं मिला है, वहीं जाना या ना जाने का फैसला मायावती लेने वाली हैं। नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारुख अब्दुल्ला 3 तारीख को भारत जोड़ो यात्रा में जुड़ सकते हैं।

तो ये है सियासी गुणाभाग लगा रही कांग्रेस...
जानकारी के लिए बता दें कि राहुल गांधी ने कन्याकुमारी से इस भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत की थी। फिर कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान होते हुए ये यात्रा उत्तर प्रदेश में दस्तक देने जा रही है। इसके बाद यात्रा हरियाणा जाएगी और फिर जम्मू-कश्मीर में इसका समापन होगा। वैसे भारत जोड़ो यात्रा के लिए बड़े दलों के अलावा कांग्रेस द्वारा छोटे दलों को भी साधने का काम किया जा रहा है।

जानने योग्य है कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले साल 2023 में कई विधानसभा चुनाव है। साल 2023 में 10 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इन राज्यों में कर्नाटक, नगालैंड, त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर और तेलंगाना शामिल हैं। इन राज्यों के सियासी गुणाभाग के अलावा वर्ष 2024 को लेकर भी अभी से सियासी समीकरण बनाने की पर्दे के पीछे कोशिश चल रही है। 

अब न मिलेगा रूसी तेल, यूरोप को भारी पड़ा ‘कैपिंग


राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने अब वह फैसला लिया है जिसकी ठंड से ठिठुरते यूरोपवासियों को आशंका थी। तेल और गैस सहित खाद्यान्न के सबसे बड़े निर्यातक रूस के राष्ट्रपति ने यूक्रेन के पाले में खड़े यूरोपीय संघ और उन देशों के प्रति एक कड़ा कदम उठाते हुए उन्हें रूसी तेल और तेल से बने उत्पाद भेजने से इंकार कर दिया है। कल इस निर्णय पर पुतिन के हस्ताक्षर होने के बाद आगामी पहली फरवरी से यह प्रतिबंध लागू हो जाएगा। इसका सीधा असर जाड़ा से बेहाल यूरोप पर पड़ने की आशंका है।

रूस—यूक्रेन युद्ध को शुरू हुए करीब 10 माह हो चुके हैं, लेकिन दोनों ही तरफ से अपनी अपनी जीत के दावे और दोनों पक्षों के पीछे खड़े देशों के उकसावे के चलते युद्ध का फिलहाल कोई ओर—छोर नहीं दिखा है। आधी दुनिया के लिए खाद्यान्न निर्यात करने वाले उक्त दोनों देशों से युद्ध की वजह से निर्यात ठप हो गया था। इसके बाद खाड़ी और अफ्रीकी देशों में खाद्यान्न संकट पैदा हुआ था, जो एक समझौते के तहत कुछ दिनों के लिए दूर किया गया।

क्रेमलिन से जारी किए गए बयान में लिखा है कि रूस की सरकार का प्रतिबंध 1 फरवरी, 2023 को लागू होगा, जो 1 जुलाई, 2023 तक प्रभावी रहेगा।लेकिन मसौदे में एक महत्वपूर्ण बिंदु यह जोड़ा गया है कि विशेष मामलों में राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन प्रतिबंध को खत्म करने की अनुमति दे सकते हैं।

अब तेल को लेकर पुतिन द्वारा लिया कड़ा फैसला यूरोप में संकट खड़ा कर सकता है। रूस द्वारा यूरोपीय देशों को होने वाले तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के दूरगामी परिणाम होने की आशंका विशेषज्ञों और कूटनीतिकों दोनों के लिए चिंता का विषय बन गई है।

पुतिन ने साफ कहा है कि यूरोपीय संघ के उन देशों को रूस अपने यहां से तेल निर्यात नहीं करेगा जिन्होंने तेल के मूल्य की कैपिंग की है। यूक्रेन से टकराव के बाद, रूस के राष्ट्रपति पुतिन का यह कदम बहुत सख्त माना जा रहा है। इस संबंध में प्रतिबंध के मसौदे पर पुतिन ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। इसके अनुसार, यह प्रतिबंध 1 फरवरी 2023 से लागू हो जाएगा।

इस संबंध में क्रेमलिन से जारी किए गए बयान में लिखा है कि रूस की सरकार का प्रतिबंध 1 फरवरी, 2023 को लागू होगा, जो 1 जुलाई, 2023 तक प्रभावी रहेगा।लेकिन मसौदे में एक महत्वपूर्ण बिंदु यह जोड़ा गया है कि विशेष मामलों में राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन प्रतिबंध को खत्म करने की अनुमति दे सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि इस बाबत पुतिन ने कुछ दिन पहले ही संकेत देते हुए कहा था कि रूस अपने तेल उत्पादन में कमी ला सकता है। उन्होंने कहा था कि दुनिया का जो भी देश पश्चिमी देशों की कीमतों की कैपिंग को मान्य करेगा उसे रूस का तेल नहीं मिलेगा। पुतिन ने यह वक्तव्य जी-7 देशों की बैठक के बाद दिया था। ध्यान देने की बात है कि फरवरी 2022 में यूरोपीय संघ तथा ऑस्ट्रेलिया ने समुद्र के रास्‍ते रूस से आने वाले कच्चे तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल की कीमत पर कैपिंग की घोषणा की थी।

कोरोना के सामने ध्वस्त हुई चीन की सारी तैयारी, शी जिनपिंग के खिलाफ बढ़ता जनता का गुस्सा, इस साल 28 बार सड़कों पर उतर चुकी है जनता


कोरोना के सामने ध्वस्त हुई चीन की सारी तैयारी, शी जिनपिंग के खिलाफ बढ़ता जनता का गुस्सा, इस साल 28 बार सड़कों पर उतर चुकी है जनता

चीन में फैले कोरोना की लहर और उससे होने वाली मौतों से चीन की सरकार परेशान है. चीन में कोरोना से हाहाकार मचा हुआ है और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोरोना की वजह से चीन में हजारों लोगों की मौत अब तक हो चुकी है, अस्पताल मरीजों से भरे हुए हैं और लोगों को इलाज के लिए अस्पताल और बेड कम पड़ रहे हैं. चीनी सरकार जीरो कोविड पॉलिसी (Zero Covid-19 Policy) के तहत पिछले दिनों कई शहरों में लॉकडाउन लगा कर हालात को काबू में करने की कोशिश कर रही है लेकिन लेकिन वह पूरी तरह से नाकामयाब है.

जानकारों के मुताबिक चीन ने दुनिया से कोरोना के बढ़ते मामलों को दबाने के लिए जीरो कोविड पॉलिसी लागू की थी जिसके खिलाफ चीन के लोग सड़कों पर आ गए. लोगों की बढ़ती नाराजगी को देखते हुए चीन ने जीरो कोविड पॉलिसी में कुछ राहत देने का फैसला किया जिसके बाद हालात और बेकाबू हो गए.

अब जबकि चीन में कोरोना से हालात बेकाबू हो गये है ऐसे में कई यूरोपीय कंपनियां चीन से अपने कारोबार को समेट रही हैं. चीन में इस वक्त बेरोजगारी आसमान छू रही है और यही वजह है कि चीन के लोगों में शी जिनपिंग सरकार के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है. चीन में पिछले दिनों हुए लोगों के प्रदर्शन इसी कहानी को बयां कर रहे हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल 30 सितंबर से 14 दिसबंर के बीच चीनी सरकार के खिलाफ 28 प्रदर्शन हो चुके हैं और इसके पीछे सबसे बड़ी वजह चाइना नेशनल डे, 20th Congress of Chinese Communist Party, ईस्ट तुर्किस्तान की आजादी समेत चीन सरकार की जीरो कोविड पॉलिसी रही है.

चीन के कोरोना के बढ़ते मामलों पर नज़र रखने वाले जानकारों के मुताबिक जहां दुनिया ने अपने देशों में कोरोना पर रोकथाम के लिए कोरोना वायरस पर रिसर्च कर वैक्सीन का सहारा लिया वहीं चीन ने जीरो कोविड पॉलिसी के जरिये लॉकडाउन और आइसोलेट कर घरों में नजरबंद कर दिया. दरअसल चीन इसके जरिये दुनिया से अपने देशों में बढ़ते कोरोना के मामलों को छुपाना चाहता था.

जानकारों के मुताबिक चीन की सरकार को कोरोना से ज्यादा अपने अर्थव्यवस्था की चिंता थी. चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने कहा कि वो अब कोरोना वायरस को डेली डेटा जारी नहीं करेगा. हम आपको बता दे कि चीन पिछले तीन सालों से हर रोज अपने देश में कोरोना के डेटा जारी कर रहा था.

चीनी सरकार के खिलाफ हो रहे इन प्रदर्शनों में चीन में रह रहे लोगों के साथ-साथ दुनिया के दूसरे देशों में रह रहे चीनी लोग भी शामिल हो रहे हैं जिसको रोक पाने में शी जिनपिंग सरकार नाकाम हो रही है. सोशल मीडिया पर चीन से कई ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं जिसमें परिवार के लोग कब्रिस्तान के बाहर अपने करीबियों के शवों के साथ लंबी कतार में खड़े हैं.

भारत में फिर बुलेट स्पीड से बढ़ सकते हैं कोरोना के मामले, अगले 40 दिन बेहद महत्वपूर्ण


Corona Cases in India: भारत में फिर बुलेट स्पीड से बढ़ेंगे कोरोना के मामले, अगले इतने दिन बजेगी खतरे की घंटी!

BF.7 Vairant: भारत पर कोरोना का खतरा बढ़ता जा रहा है. अगले 40 दिन देश के लिए बेहद जरूरी होने जा रहे हैं. आधिकारिक सूत्रों ने महामारी के फैलने की पिछली मेथेडोलॉजी का हवाला देते हुए कहा कि जनवरी में कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ सकते हैं. 

एक अधिकारी ने कहा, 'अतीत में, यह पाया गया था कि पूर्वी एशिया के कोविड-19 की चपेट में आने के 30-35 दिन बाद भारत में महामारी की एक नई लहर आई थी. यह एक नेचर रहा है.' स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने हालांकि कहा कि संक्रमण की गंभीरता कम है. अगर कोविड की लहर आती भी है तो इससे होने वाली मौतें और संक्रमितों के अस्पताल में भर्ती होने की दर बहुत कम रहेगी.

चीन और दक्षिण कोरिया समेत कुछ देशों में कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ने के बीच सरकार ने अलर्ट किया है और राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों से किसी भी इमरजेंसी स्थिति से निपटने के लिए तैयारी करने को कहा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कोविड के मामलों में तेजी की स्थिति से निपटने की तैयारियों का जायजा लेने के लिए बैठकें की हैं. कोरोना वायरस के ओमिक्रोन वेरिएंट के सब-वेरिएंट बीएफ.7 से मामलों में हाल ही में इजाफा हुआ है. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि बीएफ.7 के फैलने की दर बहुत अधिक है और एक संक्रमित शख्स 16 लोगों को संक्रमित कर सकता है.


पीएम मोदी की मां हीराबेन की तबीयत को लेकर भावुक हुए राहुल गांधी, कहा- ‘मां का प्यार अनमोल, कठिन समय में प्रधानमंत्री के साथ हूं

पीएम मोदी की मां हीराबेन की तबीयत बिगड़ चुकी है। वहीं सांसद राहुल गांधी ने पीएम मोदी की मां के लिए ट्वीट किया है। उन्होंने पीएम मोदी की मां के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की कामना की है। उन्होंने ट्वीट में लिखा है कि एक मां और बेटे के बीच का प्यार अनन्त और अनमोल होता है. मोदी जी, इस कठिन समय में मेरा प्यार और समर्थन आपके साथ है। मैं आशा करता हूं आपकी माताजी जल्द से जल्द स्वस्थ हो जाएं।

 प्रियंका गांधी ने भी पीएम मोदी की मां के लिए ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी की माता जी के अस्वस्थ होने का समाचार प्राप्त हुआ। इस घड़ी में हम सब उनके साथ हैं। मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि उन्हें जल्द स्वास्थ्य लाभ मिले।

वहीं दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री सीएम भूपेश बघेल ने भी पीएम मोदी को पत्र लिखा है। प्रधानमंत्री जी की पूज्य माता जी के अस्वस्थ होने का समाचार प्राप्त हुआ। हम सब उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं।

यूएन मेहता अस्पताल प्रबंधन ने ताजा रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन मोदी को अहमदाबाद में यूएन मेहता इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी एंड रिसर्च सेंटर में भर्ती कराया गया है और उनकी स्वास्थ्य स्थिति फिलहाल स्थिर है। आपको बता दें कि पीएम मोदी की मां हीराबेन जून में अपना 100 वां जन्मदिन मनाया।

बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी की मां हीराबेन मोदी को बुधवार को तबीयत खराब होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया. अहमदाबाद के ‘यू एन मेहता इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी एंड रिसर्च सेंटर’ में उन्हें भर्ती कराया गया है

एलएसी पर तैनात चीन के सैनिकों में भी तेजी से फैला कोरोना, हेलीकॉप्टर तैनात


– संक्रमित चीनी सैनिकों को उठाने के लिए एक सप्ताह में 156 हेलीकॉप्टर उड़ानें भरी गईं

– चीनी सेना ने एलएसी से अपने करीब 10 हजार सैनिकों को हटाकर दूसरों को तैनात किया

नई दिल्ली (हि.स.)। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के सामने अरुणाचल प्रदेश से सिक्किम तक तैनात चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों में भी तेजी से कोरोना संक्रमण फ़ैल रहा है। बर्फीली पहाड़ियों पर तैनात चीनी सैनिकों में कोरोना का प्रसार रोकने के लिए ऐहतिहाती कदम उठाये जा रहे हैं। संक्रमित चीनी सैनिकों को अस्पतालों में लाने के लिए पिछले एक सप्ताह में 156 हेलीकॉप्टर उड़ानें भरी गईं हैं।

इस समय लद्दाख में तापमान माइनस 12 पहुंच गया है। उच्च ऊंचाइयों वाली पहाड़ियों पर तापमान गिरकर शून्य से 30 डिग्री नीचे चला गया है। इस दौरान तेज हवा और अत्यधिक ठंड की स्थिति और खराब होती जा रही है। मौसम में तेजी से बदलाव आने की वजह से चीनी सैनिक ऑक्सीजन की कमी से बेहोश होने लगे हैं। लद्दाख में शून्य से नीचे गिरते तापमान के चलते चीनी सेना ने अपने करीब 10 हजार सैनिकों को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से हटा लिया है। चीन ने पूर्वी लद्दाख में पड़ रही भीषण ठंड की वजह से भारतीय सीमा के पास 200 किलोमीटर के दायरे से अपने सैनिक हटाए हैं।

पूर्वी लद्दाख में भारतीय सीमा के पास जिस इलाके में चीनी सैनिक पारंपरिक रूप से प्रशिक्षण लिया करते थे, अब वो जगह खाली दिख रही है। लगातार बीमार होने पर बेहद ठंड और कठिन हालात की वजह से चीनी सैनिकों को लद्दाख की बर्फीली पहाड़ियां छोड़कर भागना पड़ा है। इस बीच चीन में कोरोना संक्रमण से खराब हो रहे हालात का असर पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के सामने अरुणाचल प्रदेश से सिक्किम तक तैनात चीनी सैनिकों पर भी दिख रहा है। दरअसल, ठंड की वजह से सीमा पर तैनाती में बदलाव किये जाने और हटाये गए 10 हजार सैनिकों की जगह नए तैनात किये गए चीनी जवानों के कारण कोरोना संक्रमण तेजी से फैला है।

पीएलए के सैनिकों में तेजी से कोरोना संक्रमण फ़ैलने पर बर्फीली पहाड़ियों पर तैनात चीनी सैनिकों को हटाया जा रहा है। मामूली लक्षणों वाले सैनिकों में कोरोना का प्रसार रोकने के लिए ऐहतिहाती कदम उठाये जा रहे हैं। गंभीर रूप से संक्रमित चीनी सैनिकों को तैनाती से हटाने के लिए हेलीकॉप्टरों को लगाया गया है। कोरोना संक्रमितों को चीन के अस्पतालों में लाने के लिए पिछले 1 सप्ताह में 156 हेलीकॉप्टर उड़ानें भरी गईं हैं। पीएलए की डेली कमेंट्री में सैनिकों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए विशेष उपाय करने का आह्वान किया है, क्योंकि देशभर में कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है।

चीनी सेना के एक बयान में कहा गया है कि हमें अधिकारियों और सैनिकों के स्वास्थ्य की रक्षा सबसे बड़ी सीमा तक करनी है। युद्ध की तैयारी और प्रशिक्षण के लिए तैयार किये गए सैनिकों पर महामारी के प्रभाव को कम करना है, ताकि वे हर समय युद्ध के लिए तैयार रह सकें। पूरी सेना को सैन्य प्रशिक्षण और लड़ाई की तैयारी पर केंद्रित विभिन्न कार्यों में अपनी जिम्मेदारी और तात्कालिकता की भावना को और बढ़ाना चाहिए। नई स्थिति का सामना करते हुए महामारी नियंत्रण और युद्ध की तैयारी का समन्वय कैसे किया जाए, इस पर विचार किया जा रहा है। कोरोना संक्रमण ने चीन की जहाज निर्माण योजनाओं को भी प्रभावित किया है।

वुहान पार्ट 2: आखिर क्या चाहता है चीन, कोरोना से बचाव या फैलाव?


खबर है कि 4 दिन बाद चीन में कोरोना का पीक आने वाला है। बीते 24 घंटे में 10 लाख मामले सामने आ चुके हैं। ऐसे में चीन की सरकार ने कोरोना नियमों में छूट दे दी है।

दुनिया में एक बार फिर चीन ने कोरोना के नए वेरिएंट से आतंक मचा रखा है। हर दिन चौंकाने वाले मामले सामने आ रहे हैं। खबर है कि 4 दिन बाद चीन में कोरोना का पीक आने वाला है। बीते 24 घंटे में 10 लाख मामले सामने आ चुके हैं और वहीं आशंका जताई है कि 10 लाख लोगों की मौत भी हो चुकी है। लेकिन इन सभी के बीच चीन की सरकार कोरोना का डेटा रिलीज नहीं कर रही है। बल्कि उसने कोरोना नियमों में छूट दे दी है और कई जगहों से बैन भी हटाने का फैसला लिया है।

चीन की सरकार के 5 बड़े फैसले

मीडिया रिपोर्ट के मुताबितक, पहला- 8 जनवरी से विदेश से आने वाले यात्रियों के लिए क्वारंटीन में छूट दी जाएगी। चीन आने से पहले यात्रियों को कोरोना टेस्ट कराना होगा। लेकिन जांच रिपोर्ट चीनी दूतावास को नहीं देनी होगी। बल्कि फ्लाइट में चढ़ने से पहले सिर्फ टेस्ट रिपोर्ट दिखानी होगी।

वहीं दूसरी तरफ अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं को खोला जाएगा। चीन में फिर से लोगों को वीजा दिया जाएगा। काम, व्यवसाय, पढ़ाई या परिवार में वापसी के लिए व्यवस्था को ठीक किया जाएगा। देश में यात्रियों की आवाजाही धीरे-धीरे फिर से शुरू की जाएगी। तीसरे फैसले में कहा गया है कि चीन में अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए फाइव वन नीति लागू थी। अब चीन ने इस नीति को भी खत्म करने का ऐलान किया है। सभी यात्रियों को कोरोना नियमों का पालन करना होगा।

चौथे फैसले में चीन की सरकार ने कहा है कि वह अब कोविड के आंकड़े जारी नहीं करेगी। बल्कि इसके लिए चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन संस्था के द्वारा आकड़ों को जारी किया जाएगा। अंतिम और सबसे बड़ा पांचवां फैसला है कि अब कोरोना चीन में गंभीर बीमारी नहीं होगी। बल्कि ये ए कैटेगरी से बी कैटेगरी में आ गई है, तो इसके लिए अब सिर्फ जरूरी इलाज और संक्रमण से बचाव पर ही ध्यान दिया जाएगा।

Tuesday, December 27, 2022

कोरोना से चीन को हो रहा चौतरफा नुकसान, भारत ड्रैगन से छीन सकता है फैक्ट्री ऑफ वर्ल्ड का ताज : प्रताप मिश्रा



कोरोना महामारी की मार झेल रहा चीन हर तरफ से नुकसान झेलता नजर आ रहा है. चीन के कारखानों में मजदूरों की भारी कमी की कई रिपोर्ट सामने आ चुकी हैं.

कोरोना महामारी की मार झेल रहा चीन हर तरफ से नुकसान झेलता नजर आ रहा है. चीन के कारखानों में मजदूरों की भारी कमी की कई रिपोर्ट सामने आ चुकी हैं. चीन में कम सैलरी में जोखिम भरा काम करने से मजदूर कतरा रहे हैं. इसका सीधा असर चीन की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है. यहां बात हो रही है चीन के 'फैक्ट्री ऑफ वर्ल्ड' के ताज के बारे में. यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब चीन अपने इस ताज को खो दे.

कोरोना की बार-बार मार झेल रहे चीन के कारखानों में मजदूरों की कमी के कारण प्रोडक्शन का ग्राफ बेहद नीचे आ चुका है. चीन में मजदूर कोरोना से खौफ में तो हैं ही.. साथ ही वहां सैलरी का भी मसला बड़ा है. हमेशा शिकायत आती रही है कि चीन की फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूरों को कम सैलरी दी जाती है. यह भी एक बड़ी वजह है जो चीन में मजदूरों की संख्या को कम कर रही है.

चीन के मौजूदा हालात को देखते हुए भारत को बड़ा मौका मिलने के अवसर साफ दिखाई दे रहे हैं. समय आ गया है जब भारत वर्ल्ड फैक्ट्री बनने के बारे में सोच सकता है. भारत अगर अच्छी सैलरी वाली नौकरियों का अवसर बढ़ाए तो देश को बड़ा फायदा हो सकता है, खासकर मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में.

ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन में इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क की बैठक के दौरान भी यह चर्चा हुई थी. इसमें जोर देकर कहा गया था कि मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में दुनिया के तमाम देशों को चीन से इतर विकल्प तलाशना चाहिए. इसमें अमेरिका ने खास दिलचस्पी भी दिखाई दी है. अमेरिका ने चीन को छोड़कर दूसरे देशों में निवेश करने की बात भी कही है.

ऐसे में भारत के पास चीन से फैक्ट्री ऑफ वर्ल्ड का ताज छीनने का बड़ा मौका है. आंकड़ों पर गौर करें तो भारत में कम दर पर बड़ी लेबरफोर्स पहले ही मौजूद है. भारत अगर मैन्युफैक्चिरिंग हब के तौर पर अपनी पहचान बनाता है तो यहां दुनिया के कई देशों की कंपनियां फैक्ट्रियां स्थापित कर सकती हैं. इस स्थिति में देश की अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार भी आएगा.


Monday, December 26, 2022

“मेरा इमरान ऐसा नही” कहने वाली पढ़ी-लिखी हिंदू लड़की लव जिहाद का शिकार... IT सेक्टर में कार्यरत थी


लव जिहादी वायरस अब घातक रूप ले चुका है. शायद ही कोई दिन ऐसा गुजरता हो, जब लव जिहाद की खबर नहीं आती हो. भारत का हर क्षेत्र और हिंदुओं का हर वर्ग लव जिहाद के वायरस का शिकार हो रहा है. वहीं, एक घटना राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सामने आया है जहां IT सेक्टर में कार्य करने वाली हाई क्वालिफाइड हिंदू लड़की लव जिहाद का शिकार बनी है.

 जहां जिहादी हर मौके पर हिंदू लड़कियों को लव जिहाद का शिकार बनाना चाह रहे है वहां हमारी हिंदू लड़कियों को सचेत और सावधानी बरतनी चाहिए. लेकिन यह शातिर जिहादी लड़कियों को फांस कर उन्हें बहला फुसलाकर लव जिहाद का शिकार बनाकर उनपर धर्मांतरण का दबाव बनाते है.

 वहीं राजधानी की पढ़ी लिखी लड़कियां भी लव जिहाद का शिकार हो रही है. पहले महरौली की निवासी श्रद्धा बनी लव जिहाद का शिकार और फिर आफताब ने किए उसके 35 टुकड़े, अब आईटी सेक्टर में काम करने वाली खुशबू भी इमरान के लव जिहाद के खेल का शिकार बन गई.

 बता दें कि पहले पीड़िता का मानना था कि उसका इमरान ऐसा नहीं है लेकिन लोगों का कहना कि हर इमरान के अंदर श्रद्धा के हत्यारे आफताब का रूप छिपा हुआ है.

 बता दें कि मोहम्मद ने पीड़िता को लव जिहाद का शिकार बनाया और उसके जीवन को तबाह कर दिया. पीड़िता पहले से शादीशुदा है. पीड़िता का कहना है कि मोहम्मद इमरान उसको ब्लेकमेल कर रहा था और उसका तलाक कराने के लिए दवाब डालता था. पीड़िता ने ये भी बताया है कि इमरान उसे जबरन बेंगलुरु ले जाना चाहता था और उससे बुर्के में सेल्फी मांगता था.

दरअसल, पीड़िता राजधानी दिल्ली के मैदानगढ़ी की रहने वाली है. मैदान गढ़ी वही क्षेत्र है, जिसके बगल महरौली में ही श्रद्धा को 35 टुकड़ों में काटा गया था. इस मामले में FIR दर्ज हो गई है लेकिन 20 दिन बाद भी इमरान को गिरफ्तार नहीं किया गया है. सवाल ये है कि आखिर हिंदू बेटियां कब तक लव जिहाद का शिकार होती रहेंगी? आखिर लव जिहाद जैसे घातक और बर्बर वायरस का संपूर्ण इलाज कब सुनिश्चित किया जा सकेगा? ये वो सवाल हैं जिनका जवाब हर हिंदू बेटी, हर हिंदुस्तानी बेटी जानना चाहती है.


Sunday, December 25, 2022

राहुल गांधी को ढाका, इस्लामाबाद से यात्रा शुरू करनी चाहिए थी: UP BJP अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी


Bharat Jodo Yatra: राहुल गांधी को ढाका, इस्लामाबाद से यात्रा शुरू करनी चाहिए थी: UP BJP अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरीउत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा पर तंज कसते हुए रविवार को आरोप लगाया कि भारत ‘तोड़ने’ का काम राहुल गांधी के पड़दादा (जवाहर लाल नेहरू) के समय में हुआ था. 

सिंह ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर वह ‘अखंड भारत’ की बात करते हैं तो उन्हें अपनी यात्रा बांग्लादेश और पाकिस्तान से करनी चाहिये थी. चौधरी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर आयोजित ‘सुशासन दिवस’ कार्यक्रम में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा पर सवाल उठाये. उन्होंने कहा, ‘‘राहुल गांधी जिस भारत जोड़ने या तोड़ने की यात्रा कर रहे हैं, उस भारत का विभाजन 1947 के बाद तो कभी हुआ ही नहीं. भारत टूटने का काम उनके पड़दादा के समय हुआ था, जब पाकिस्तान बना और उसके बाद बांग्लादेश बना.’’

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, ‘‘राहुल गांधी अगर अखंड भारत की बात करते हैं तो उन्हें अपनी यात्रा ढाका से, इस्लामाबाद से, पेशावर से, रावलपिंडी से और कराची से शुरू करनी चाहिए थी.’’

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर समाज में नफरत फैलाने के राहुल गांधी के आरोप के बारे में पूछे जाने पर चौधरी ने दावा किया, ‘‘इस देश में राहुल गांधी को कोई भी गंभीरता से नहीं लेता है.’’

नगर निकायों के आगामी चुनावों के बारे में पूछे जाने पर चौधरी ने विश्वास जताया कि भाजपा इन चुनावों में कामयाबी हासिल करेगी. उन्होंने इस मौके पर दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी को याद करते हुए कहा कि वाजपेयी भाजपा नीत सरकार के प्रेरणास्रोत हैं और उनके बताये रास्ते पर चलकर पार्टी अंत्योदय के लक्ष्य को हासिल कर रही है.

PM मोदी ने नेपाल के नए प्रधानमंत्री 'प्रचंड' को दी बधाई, बोले- 'आशा करता हूं दोस्ती और मजबूत होगी'


pm modi congratulated the new prime minister of nepal prachanda

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड' को रविवार को बधाई दी। मोदी ने कहा कि वह दोनों देशों के बीच दोस्ती को और मजबूत करने के लिए प्रचंड के साथ काम करने को लेकर उत्सुक हैं। 

पूर्व गुरिल्ला नेता ने नाटकीय रूप से पांच दलों के सत्ताधारी गठबंधन से खुद को अलग कर लिया था। इसके बाद सीपीएन-माओवादी सेंटर के प्रमुख प्रचंड को नेपाल का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। इसी के साथ नेपाल में जारी राजनीतिक अनिश्चितता का अंत हो गया है। पिछले महीने हुए आप चुनाव में किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। 

मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘प्रचंड के नेपाल का प्रधानमंत्री निर्वाचित होने पर उन्हें हार्दिक बधाई। भारत और नेपाल के अद्वितीय संबंध गहरे सांस्कृतिक जुड़ाव और जनता से जनता के बीच गर्मजोशी भरे संबंधों पर आधारित हैं। मैं इस दोस्ती को और आगे बढ़ाने के लिए आप के साथ काम करने को लेकर उत्सुक हूं।''

भारत-अफगानिस्तान के लिए खतरा न बन जाए बाइडेन का पाकिस्तान प्रेम, फिर होने लगी फंडिंग


अमेरिका ने पाकिस्तान को एक बार फिर फंडिंग देने का ऐलान किया है। इस बार पाकिस्तान को अफगान सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने को लेकर करोड़ों अमेरिकी डॉलर दिए जाएंगे। अमेरिका ने कहा है कि वह अफगानिस्तान सीमा से पाकिस्तान में बढ़ रहे आतंकवादी हमलों को लेकर गंभीर है। इसे रोकने के लिए वह पाकिस्तान के साथ साझेदारी को बढ़ाने को तैयार है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि अमेरिका ने नए बजट में पाकिस्तानी सीमा की सुरक्षा के लिए आर्थिक मदद के विशेष प्रबंध किए हैं। इसके बाद से अंदाजा लगाया जा रहा है कि जो बाइडेन प्रशासन पाकिस्तान को दशकों से बंद फंडिंग को फिर से शुरू करने जा रहा है। इससे कुछ महीने पहले ही अमेरिका ने पाकिस्तानी एफ-16 लड़ाकू विमानों के अपग्रेडेशन के लिए करोड़ों डॉलर का स्पेशल पैकेज दिया था।

अमेरिकी सांसदों ने बिलावल को दी जानकारी
पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा कि उन्हें अमेरिका की यात्रा के दौरान दो वरिष्ठ सीनेटरों ने पाकिस्तान को दी जाने वाली फंडिंग के बारे में जानकारी दी थी। न्यू जर्सी के बॉब मेनेंडेज और साउथ कैरोलिना के लिंडसे ग्राहम ने उन्हें बताया कि 2023 के बजट में पाकिस्तानी सीमा सुरक्षा को लेकर फंडिग उपलब्ध करवाई गई है। सीनेटर बॉब मेनेंडेज विदेश संबंधों पर सीनेट समिति की अध्यक्षता करते हैं, वहीं सीनेटर ग्राहम एक वरिष्ठ रिपब्लिकन होने के साथ-साथ न्यायपालिका पर सीनेट समिति के प्रमुख हैं।

पाकिस्तानी सेना की मदद कर रहा अमेरिका
अमेरिका की नई आर्थिक मदद परोक्ष तौर पर पाकिस्तानी सेना के लिए है। इसे अफगान सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने के नाम पर दिया जा रहा है। ऐसे में इस पैसे का इस्तेमाल पाकिस्तानी सेना की ताकत बढ़ाने के लिए किया जाएगा। कुछ महीने पहले पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा अमेरिका दौरे पर गए थे। इस दौरान उन्होंने पेंटागन का भी दौरा किया था। पेंटागन में बाजवा को रिसीव करने के लिए अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन खुद दरवाजे तक पहुंचे थे। आमतौर पर ऐसी अगवानी किसी देश के रक्षा मंत्री की होती है। इस मुलाकात के दो दिन बाद ही अमेरिका ने अफगानिस्तान में ड्रोन हमला कर अल कायदा सरगना अयमान अल जवाहिरी को मार गिराया था। तभी यह संभावना जताई गई थी कि आने वाले दिनों में पाकिस्तान और अमेरिका के बीच रक्षा संबंध मजबूत हो सकते हैं।

अमेरिकी मदद से भारत के लिए बढ़ा खतरा
पूरी दुनिया को पता कि पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद भारत के खिलाफ इस्तेमाल होने वाली है। पाकिस्तान अफगान सीमा पर दिखावे के लिए कुछ जरूर कर सकता है, लेकिन उसका असली मकसद भारत से लगी सीमा पर सुरक्षा तैयारियां बढ़ाने की होगी। पाकिस्तानी सेना यह जानती है कि तालिबान का उनसे कोई मुकाबला नहीं है। ऐसे में इन पैसों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ आतंकवाद फैलाने, सीमा पर पाकिस्तानी सेना को मजबूत करने और विदेशों से हथियार खरीदने में किया जा सकता है। पाकिस्तान के नए सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर पहले से ही आतंकवादियों से अपनी नजदीकियों को लेकर कुख्यात हैं। उन्हें पाकिस्तान में मुल्ला जनरल के नाम से जाना जाता है। ऐसे में अमेरिक की यह आर्थिक सहायता भारत की चिंता बढ़ाने वाली हो सकती है।

तालिबान के लिए मुसीबत, बढ़ सकती है हिंसा
अमेरिका कोई भी मदद मुफ्त में नहीं करता है। वह इसके बदले पाकिस्तान से जरूर कुछ न कुछ कीमत वसूल करेगा। अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद मध्य एशिया में अमेरिकी मौजूदगी खत्म हो चुकी है। अमेरिका नहीं चाहता है कि अफगानिस्तान में तालिबान, इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकवादी संगठनों को फलने-फूलने का मौका मिले जो उसके के लिए खतरा बन सकते हैं। ऐसे में अमेरिका ने दिखावे के लिए तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को एक मोहरा चुना है। इस आतंकवादी संगठन के नाम पर अमेरिका ने पाकिस्तान को फंडिग देने का ऐलान किया है। इसके बदले में वह पाकिस्तानी जमीन का इस्तेमाल अफगानिस्तान में सर्विलांस और हमले के लिए कर सकता है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई अफगान तालिबान को लेकर उसे गुप्त सूचना भी उपलब्ध करवा सकती है। ऐसे में अमेरिका जब चाहे तब अफगान जमीन पर हमले कर सकता है।

‘अपनी मर्जी से कर रही हूँ शादी’: मुस्लिम लड़की ने हिन्दू लड़के से की शादी तो SDM कोर्ट के बाहर मुस्लिम भीड़ ने किया हंगामा, लात-घूँसे भी चले


उत्तराखंड देहरादून हिन्दू मुस्लिम शादी

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एक हिन्दू लड़के से मुस्लिम लड़की की शादी के दौरान हंगामा खड़ा हो गया। लड़की के घर वालों ने युवक पर अपहरण का आरोप लगाया। वहीं लड़की ने SDM कोर्ट में खुद को बालिग बताते हुए अपनी मर्जी से शादी करने का बयान दिया। इस मामले में हिन्दू और मुस्लिम पक्ष आमने-सामने हो गए। मौके पर पहुँची पुलिस ने तनावपूर्ण माहौल को शांत करवाया। घटना शुक्रवार (23 दिसंबर, 2022) की है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लड़का देहरादून के चंद्रबनी इलाके का और लड़की माज़रा क्षेत्र की रहने वाली है। कुछ दिन पूर्व 18 नवम्बर 2022 को लड़की अपने प्रेमी के साथ उसके घर चली गई थी। इस मामले में लड़की पक्ष में पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। जाँच के दौरान पुलिस ने लड़की को लड़के के घर से खोज निकाला था। हालाँकि तब लड़की ने खुद को बालिग बताते हुए अपनी मर्जी से अपने प्रेमी के साथ रहने का बयान दिया था।

इस बीच मिली जानकारी के मुताबिक, लड़की और लड़के ने एक मंदिर में शादी भी कर ली थी। अपनी इसी शादी को कानूनी वैधता देने के लिए दोनों ने उप जिला मजिस्ट्रेट की कोर्ट में अर्जी दी थी। इस मामले में बयान दर्ज करवाने के लिए कोर्ट ने दोनों को शुक्रवार को बुलवाया था। इस दिन होने वाली सुनवाई की जानकारी लड़की के घर वालों को हो गई और अपने कुछ साथियों के साथ SDM कोर्ट के बाहर खड़े हो गए।

लड़की के परिजनों की तरफ से कोर्ट में मुस्लिम संगठन के लोग जमा होने लगे। मुस्लिम पक्ष की तरफ से महिला वकील रज़िया बेग मौजूद थीं। इस बात की जानकारी हिन्दू संगठनों को हुई तो उन्होंने भी SDM कोर्ट का रुख किया। बताया जा रहा है कि दोनों पक्षों ने अपने-अपने दावे करते हुए नारेबाजी की। इस दौरान लात-घूँसे चलने की भी खबर है। इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी पुलिस को हुई तो उसने मौके पर पहुँच कर लोगों को अलग किया। इस बीच बार एसोसिएशन के सदस्य भी SDM कोर्ट के बाहर पहुँच गए।

मुस्लिम पक्ष की वकील ने लड़की के धर्म परिवर्तन करवा कर हिन्दू बनाने का आरोप लगाया है। लड़की के परिजनों की आपत्ति को देखते हुए SDM ने इस मामले की अगली सुनवाई 30 दिसंबर को तय की। उन्होंने पुलिस को लड़का और लड़की की सुरक्षा का भी आदेश दिया। पुलिस ने कड़ी सुरक्षा के बीच युवक और युवती को उनके घर छोड़ा। इसके बाद दोनों तरफ से जमा हुए लोग वापस लौट आए।

नेपाल में नई सरकार का रास्ता साफ, तीसरी बार प्रचंड बनेगे प्रधानमंत्री, कल लेंगे शपथ


नेपाल में नई सरकार बनने जा रही है। सरकार बनाने के लिए नेपाल की 6 पार्टियों का गठबंधन बन रहा है। गठबंधन में शामिल दलों ने कहा है कि प्रचंड ढाई साल तक प्रधानमंत्री रहेंगे।

नेपाल में नई सरकार बनने जा रही है। कुछ ही दिन पहले देश में आम चुनाव हुए थे। लेकिन किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। जिसके बाद कई बड़े राजनीतिक दल राष्ट्रपति के आह्वान पर गठबंधन पर विचार कर रहे थे। इन सबके बीच नई सरकार (Nepal Government) बनाने का आज आखिरी दिन था।

इसलिए कई दिनों की खींचतान के बाद पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड (Prime Minister Pushpa Kamal Dahal) के नेतृत्व में पार्टियों की बैठक हुई, जिसमें शाम 4 बजे बताया गया कि प्रचंड नेपाल के अगले प्रधानमंत्री होंगे। हिंदू बहुल देश में सरकार (Nepal Government) बनाने के लिए नेपाल की 6 पार्टियों का गठबंधन बन रहा है। गठबंधन में शामिल दलों ने कहा है कि प्रचंड ढाई साल तक प्रधानमंत्री रहेंगे।

इसके बाद सीपीएन-यूएमएल सत्ता संभालेगी। इन दलों के बीच गठबंधन का सार यह है कि पूर्व पीएम ओली (Former PM Oli) एक बार फिर प्रधानमंत्री बनेंगे। वह प्रचंड के बाद ढाई साल तक इस पद पर बने रहेंगे। नेपाल में चुनाव के नतीजे में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने के बाद नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने रविवार तक नई सरकार बनाने पर फैसला लेने के लिए सभी पार्टियों से कहा था।

इसके बाद शेर बहादुर देउबा के नेतृत्व वाली नेपाली कांग्रेस और प्रचंड की माकपा माओवादी मिलकर सरकार बनाने की तैयारी कर रहे थे। दोनों तरफ से कोई ठोस बात सामने नहीं आई है। लेकिन रविवार को सब कुछ साफ हो गया और एक बैठक में तय हुआ कि प्रचंड ढाई साल तक नेपाल के प्रधानमंत्री बने रहेंगे। बता दें कि प्रचंड की माओवादी केंद्र पार्टी ने 5 अन्य पार्टियों से गठबंधन का ऐलान किया है।

संयुक्त राष्ट्र में जमकर हुई भारत की तारीफ, UNSC अध्यक्षता को लेकर कही बड़ी बात


nations praise india as its un security council term

संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने सुरक्षा परिषद में निर्वाचित गैर-स्थायी सदस्य के रूप में भारत के सफल कार्यकाल और इस महीने इसकी उत्पादक अध्यक्षता की सराहना करते हुए कहा कि इसने बहुपक्षीय कूटनीति के उच्चतम मानकों का प्रदर्शन किया। भारत ने 2021-22 में परिषद के निर्वाचित सदस्य के रूप में अपने दो साल के कार्यकाल में दूसरी बार एक दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की मासिक अध्यक्षता ग्रहण की थी।

भारत ने इससे पहले अगस्त 2021 में UNSC की अध्यक्षता संभाली थी। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत रुचिरा कंबोज ने अवकाश सप्ताह से पहले दिसंबर के महीने के लिए लिए भारत की अध्यक्षता के तहत बृहस्पतिवार को यहां एक ब्रीफिंग में सुरक्षा परिषद के एजेंडे पर प्रकाश डाला। सुरक्षा परिषद के आने वाले सदस्यों सहित संयुक्त राष्ट्र के कई सदस्य देशों ने दिसंबर में अध्यक्ष के रूप में परिषद के भारत के नेतृत्व की सराहना की।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र संघ के 6 प्रमुख हिस्सों में से एक है। इसका मुख्य कार्य दुनियाभर में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करना होता है इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र संघ में नए सदस्यों को जोड़ना और इसके चार्टर में बदलाव से जुड़ा काम भी सुरक्षा परिषद के काम का हिस्सा है। यह परिषद दुनियाभर के देशो में शांति मिशन भी भेजता है और अगर दुनिया के किसी हिस्से में मिलिट्री ऐक्शन की जरूरत होती है तो सुरक्षा परिषद रेजोल्यूशन के जरिए उसे लागू भी करता है।

संयुक्त राष्ट्र संघ की तरह इसका स्थापना भी द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हुई। सुरक्षा परिषद की पहली बैठक 17 जनवरी 1946 को हुई थी। कोल्ड वार के कारण काफी समय तक सुरक्षा परिषद कमजोर रहा था। लेकिन कांगो वार और कोरियाई युद्ध के समय इसने अहम भूमिका निभाई थी। इसके अलावा कई देशों में जरूरत के मुताबिक शांति मिशन भी भेजे गए थे। सुरक्षा परिषद में 5 स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य होते हैं। अस्थायी सदस्यों का चुनाव हर दो वर्ष के बाद होता है।

Friday, December 23, 2022

PAK ने दोस्ती के नाम पर घोंपा रूस की पीठ में छुरा, यूक्रेन को सप्लाई किए हथियार, युद्ध से कमा रहा पैसा


PAK  ने दोस्ती के नाम पर घोंपा रूस की पीठ में छुरा, यूक्रेन को सप्लाई किए हथियार, युद्ध से कमा रहा पैसा

पाकिस्तान और रूस के बीच संबंध  अच्छे माने जाते हैं लेकिन इस्लामाबाद ने अपने ही दोस्त की पीठ में छुरा घोंपा है. ऐसी सूचना है कि  पाकिस्तान ने यूक्रेन को हथियारों और गोला-बारूद की सप्लाई की है. जियो-पॉलिटिक ने वेब पोर्टल रियाफान में प्रकाशित रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह जानकारी दी गई है.

ऐसा लगता है कि इस्लामाबाद यूक्रेन को बहुत जरूरी गोला-बारूद की आपूर्ति करके रूस-यूक्रेन युद्ध से पैसा कमा रहा है. पाकिस्तानी कंपनियां अपने लाभ को अधिकतम करने और यूक्रेन की सीमा से लगे देशों में अपने संचालन का विस्तार करने के लिए चल रहे संघर्ष का भी फायदा उठा रही हैं. विशेष रूप से, केस्ट्राल के सीईओ लियाकत अली बेग ने मई और जून 2022 में पोलैंड, रोमानिया और स्लोवाकिया की यात्रा की.

इस्लामाबाद एक एयर ब्रिज का हिस्सा
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस्लामाबाद यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति के लिए एक एयर ब्रिज का हिस्सा माना जाता है. यह स्पष्ट रूप से इन शिपमेंट को यूक्रेन में भेजने के लिए विदेशों में काम कर रहे रक्षा आपूर्तिकर्ताओं और ठेकेदारों का उपयोग कर रहा है. रिपोर्ट में आगे खुलासा हुआ कि ब्रिटेन रावलपिंडी में पाकिस्तान के नूर खान एयरबेस का उपयोग यूक्रेनी सेना के लिए सैन्य उपकरणों के परिवहन के लिए एक प्रमुख आधार के रूप में कर रहा है.

यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब पाकिस्तान-रूस संबंधों में तेजी आ रही है. जियो-पॉलिटिक की रिपोर्ट के मुताबिक, एक तरफ रूस पाकिस्तान को कम से कम 100,000 बैरल प्रति दिन कच्चा तेल रियायती दरों पर उपलब्ध कराने पर सहमत हो गया है, वहीं दूसरी तरफ इस्लामाबाद यूक्रेन को हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति कर रहा है.

इस्लामाबाद स्थित हथियार आपूर्तिकर्ता M/s डीएमआई एसोसिएट्स यूक्रेन सरकार को रक्षा स्टोरों की आपूर्ति की सुविधा के लिए बुल्गारिया स्थित फर्म M/s डिफेंस इंडस्ट्री ग्रुप के संपर्क में था. इस बीच, स्लो रिपोर्ट में विश्वसनीय सूत्रों का हवाला दिया गया है कि स्लोवाकिया स्थित रक्षा फर्म मेसर्स चेमिका ने यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय की ओर से पाक ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज के गोला-बारूद आपूर्तिकर्ता मेसर्स केस्ट्राल से कथित तौर पर संपर्क किया था.

जियो-पॉलिटिक की रिपोर्ट के मुताबिक, हैरानी की बात यह है कि यूक्रेन के बिजनेस मेसर्स FORMAG ने अपनी सेना के लिए ग्लव्स भेजने के लिए पाकिस्तान में M/s ब्लू लाइन्स कार्गो प्राइवेट लिमिटेड से संपर्क किया था. पाकिस्तान की शिपिंग और ब्रोकरिंग फर्म 'प्रोजेक्ट शिपिंग' के कराची से पोलैंड तक मोर्टार, रॉकेट लॉन्चर और आर्टिलरी राउंड सहित हथियारों और गोला-बारूद की खेप भेजने की भी उम्मीद है.

पाकिस्तान ने यूक्रेन से मांगी ये मदद
हालांकि यह यूक्रेन को हथियारों के सप्लिमेंट के बदले में एकतरफा लेनदेन नहीं है. पाकिस्तान ने यूक्रेनी संयुक्त स्टॉक कंपनी (जेएससी) 'मोटर सिच' से (जिसका मुख्यालय ज़ापोरिज़्ज़िया में है) से एमआई -17 हेलीकॉप्टरों में इस्तेमाल होने वाले ‘टीवी3-117वीएम इंजन’ की सेवा और मरम्मत के लिए यूक्रेन की मदद मांगी है.

जैसा कि यह यूक्रेनी सरकार का एक उद्यम रहा है, जिसे उसने "सैन्य आवश्यकता" के रूप में नियंत्रित किया. जियो-पॉलिटिक के अनुसार, यह कंपनी विमान के इंजनों के साथ-साथ औद्योगिक समुद्री गैस टर्बाइनों के उत्पादन में शामिल रही है.

पाकिस्तान और यूक्रेन के सैन्य संबंध लगभग तीन दशक पुराने हैं. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के आंकड़ों के अनुसार, यूक्रेन ने 2020 तक पाकिस्तान को लगभग 1.6 बिलियन अमरीकी डालर के हथियारों की आपूर्ति की है. 1990 के दशक में, यूक्रेन ने 600 मिलियन अमरीकी डालर के सौदे के लिए पाकिस्तान को 320 T-84UD टैंकों की आपूर्ति की थी.

रूसी राष्ट्रपति पुतिन बोले- हम चाहते हैं यूक्रेन में युद्ध का अंत हो, कूटनीतिक समाधान निकले


Ukraine Russia War: रूसी राष्ट्रपति पुतिन बोले- हम चाहते हैं यूक्रेन में युद्ध का अंत हो, कूटनीतिक समाधान निकले

यूक्रेन और रूस के बीच गत 10 महीनों से युद्ध चल रहा है जो रूकने का नाम नहीं ले रहा है। पूरी दुनिया भर की निगाहें इस ओर हैं कि कब आखिर यह थमेगा। इस बीच आज रूस के राष्‍ट्रपति पुतिन ने एक अहम बयान देकर इसके रूकने के संकेत दिए हैं। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को कहा कि रूस यूक्रेन में संघर्ष को जल्द खत्म करने का लक्ष्य बना रहा है और लड़ाई जल्द से जल्द खत्म होनी चाहिए. "हमारा लक्ष्य है ... इस संघर्ष को समाप्त करना। हम इसके लिए प्रयास कर रहे हैं और प्रयास करना जारी रखेंगे... इसलिए हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि यह सब खत्म हो, और जितनी जल्दी हो, उतना अच्छा होगा।

यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की की व्हाइट हाउस यात्रा के एक दिन बाद बोलते हुए, पुतिन ने संवाददाताओं से कहा, "मैंने कई बार कहा है कि शत्रुता से अनुचित नुकसान होता है। रूस ने लगातार कहा है कि वह बातचीत के लिए खुला है - यूक्रेन और उसके सहयोगी संयुक्त राज्य अमेरिका से गहन संदेह पैदा कर रहे हैं, जो संदेह करते हैं कि वह 10 महीने के युद्ध में हार और वापसी की एक श्रृंखला के बाद समय खरीदना चाहता है।

रूस का कहना है कि यह यूक्रेन है जो बात करने से इनकार कर रहा है। कीव का कहना है कि रूस को अपने हमले बंद करने चाहिए और अपने कब्जे वाले इलाके को छोड़ देना चाहिए। पुतिन ने कहा, "सभी सशस्त्र संघर्ष कूटनीतिक ट्रैक पर किसी न किसी तरह की बातचीत के साथ किसी न किसी तरह खत्म हो जाते हैं। जल्द या बाद में, संघर्ष की स्थिति में कोई भी पक्ष बैठ जाता है और एक समझौता करता है। हमारा विरोध करने वालों को यह बात जितनी जल्दी समझ में आ जाए, उतना ही अच्छा है। हमने इस पर कभी हार नहीं मानी है।

Thursday, December 22, 2022

यूक्रेन में अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाएगा रूस, सशस्त्र बलों की संख्या में भी बढ़ोतरी तथा परमाणु शस्त्रागार की लड़ाकू तैयारी पर जोर


यूक्रेन में अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाएगा रूस, सशस्त्र बलों की संख्या में बढ़ोतरी पर जोर

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को कहा कि रूस पश्चिम समर्थित यूक्रेन में अपनी सैन्य क्षमता को और अधिक विकसित करेगा। उन्होंने कहा कि वह अपने परमाणु शस्त्रागार की लड़ाकू तैयारी को बढ़ाएगा।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को कहा कि पश्चिम समर्थित यूक्रेन में हम अपनी सैन्य क्षमता को और अधिक विकसित करेंगे। उन्होंने कहा कि वह अपने परमाणु शस्त्रागार की लड़ाकू तैयारी को बढ़ाएगा। पुतिन ने अपने देश के उच्च पदस्थ अधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक के दौरान कहा, 'सशस्त्र बल और हमारे सशस्त्र बलों की युद्धक क्षमता लगातार और हर दिन बढ़ रही है। और निश्चित रूप से हम इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे।'

जनवरी में रूस को मिलेगा नया मिसाइल

रूसी रक्षा मंत्रालय बोर्ड की विस्तारित बैठक में पुतिन ने कहा, 'आज हमारा लक्ष्य सशस्त्र बलों के गुणात्मक नवीनीकरण और सुधार को प्राप्त करने के लिए आवश्यक उपायों के पूरे दायरे को लागू करना है।' उन्होंने सेना को परमाणु युद्ध की तैयारी को बनाए रखने और इसे विकसित करने का आदेश दिया। रूसी राष्ट्रपति ने नई जिरकॉन हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल का भी उल्लेख किया, जिसका रूसी सैनिक जनवरी से उपयोग करने में सक्षम होंगे।

रूस के आर्कटिक से यूक्रेन के माध्यम से यूरोप तक जाने वाली उरेंगोई-पोमरी-उझोरोड पाइपलाइन में धमाका हुआ।

नवीनतम हथियार प्रणाली पर पुतिन का जोर

पुतिन ने कहा, 'जनवरी की शुरुआत में, एडमिरल गोर्शकोव फ्रिगेट को नई जिरकॉन हाइपरसोनिक मिसाइल से लैस किया जाएगा, जिसका दुनिया में कोई समकक्ष नहीं है।' उन्होंने कहा कि रूस के सामरिक परमाणु बलों में आधुनिक हथियारों का स्तर 91 प्रतिशत से अधिक हो गया है और हम सामरिक बलों को नवीनतम हथियार प्रणालियों से लैस करने के लिए अपनी सभी योजनाओं को पूरा करेंगे।

सशस्त्र बलों की संख्या में बढ़ोतरी का प्रस्ताव

रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने 6,95,000 संविदा सैनिकों सहित रूसी सशस्त्र बलों की संख्या बढ़ाकर 1.5 मिलियन सैनिक करने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि इस संख्या को बढ़ाना जरूरी है। रक्षा मंत्री ने पुतिन के सामने यह प्रस्ताव रखा, जिसपर पुतिन ने अपनी हामी भर दी है। यानी कि आने वाले दिनों में रूसी सैनिकों की संख्या में बढ़ोतरी होगी।

Wednesday, December 21, 2022

अमेरिकी डॉलर को टक्कर देने के लिए मोदी सरकार का मास्टर प्लान, बाइडेन भी भारत के इस फैसले से हैरान!


Currency: अमेरिकी डॉलर को टक्कर देने के लिए मोदी सरकार का मास्टर प्लान, बाइडेन भी भारत के इस फैसले से हैरान!

वर्तमान में अमेरिकी डॉलर (Dollar) की कीमत काफी महंगी है तो वहीं भारतीय रुपये की कीमत काफी सस्ती है. लेकिन अब भारतीय रुपया डॉलर से टक्कर लेने के लिए तैयार है. दरअसल, मोदी सरकार की ओर से हाल ही में कुछ ऐसे फैसले लिए गए हैं, जो कि रुपये को आने वाले सालों में डॉलर की तुलना में मजबूत भी कर सकते हैं. वहीं पिछले दिनों डॉलर के मुकाबले रुपये में काफी गिरावट देखने को मिली है. जिसके बाद रुपये को मजबूत करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. इन्हीं कदमों में से एक मोदी सरकार की ओर से इंटरनेशनल ट्रेड (International Trade) का फैसला भी लिया गया है.

जताई सहमति
दरअसल, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए अमेरिकी डॉलर को ज्यादा प्राथमिकता दी जाती रही है. हालांकि अब मोदी सरकार ने इसी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर फैसला लिया है और भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भारतीय रुपये में करने की संभावना तलाश रहा है. इसके लिए भारत कुछ देशों से लगातार बातचीत भी कर रहा है. इस बीच कुछ देशों ने रुपये में व्यापार करने में सहमति भी जता दी है.

श्रीलंका सहमत
वहीं भारत उन देशों को तलाश रहा है, जिनके पास डॉलर की कमी है. इस क्रम में श्रीलंका अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए भारतीय रुपये का इस्तेमाल करने पर सहमत हो गया है. सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका (CBSL) ने कहा कि वह भारतीय रुपये को श्रीलंका की विदेशी मुद्रा के रूप में नामित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मंजूरी का इंतजार कर रहा है.

भारतीय रुपये का इस्तेमाल
श्रीलंकाई बैंकों ने भारतीय रुपये में ट्रेडिंग के लिए कथित रूप से स्पेशल वोस्ट्रो रुपी अकाउंट्स या SVRA नामक स्पेशल रुपी ट्रेडिंग अकाउंट खोला है. इसके साथ ही श्रीलंका और भारत के नागरिक एक दूसरे के बीच अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन के लिए अमेरिकी डॉलर की बजाय भारतीय रुपये का इस्तेमाल कर सकते हैं. वहीं भारत के इस कदम से अमेरिका भी हैरान है और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन जरूर भारत के इस फैसले पर नजर बनाकर रख सकते हैं.

अवसर तलाश रहा भारत
वहीं रूस भी उन देशों की लिस्ट में शामिल हो सकता है जो कि आने वाले दिनों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए भारतीय रुपये का इस्तेमाल करे. इसके अलावा भारत ताजिकिस्तान, क्यूबा, लक्समबर्ग और सूडान समेत कई दूसरों देशों में भी रुपये में कारोबार करने के अवसर तलाश रहा है. वहीं रुपये के अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बनने से उम्मीद है कि भारत का व्यापार घाटा कम होगा और वैश्विक बाजार में इसे मजबूत करने में मदद मिलेगी.

श्रीलंका से भी बुरे आर्थिक संकट में फंसा पाकिस्तान: प्रताप मिश्रा





श्रीलंका जैसा आर्थिक संकट अब पाकिस्तान को अपने शिकंजे में ले चुका है। पाकिस्तान के पास नकदी की भारी कमी है, तेल खरीदने का पैसा नहीं है, विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो चला है। ऊपर से विदेश से कामगारों द्वारा भेजे जाने वाले धन में कमी आ गई है, धान, गेहूँ, कपास जैसी महत्वपूर्ण फसलें काफी प्रभावित हुईं हैं। आलम ये है कि पाकिस्तान पर 78,319 मिलियन डॉलर का विदेशी कर्जा है और वर्तमान स्थिति उसे और भी कर्जा लेने की ओर धकेल रही है।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पटरी पर आने के लिए कर रही संघर्ष

एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने हाल ही में जारी अपनी रिपोर्ट 'एशियन डेवलपमेंट आउटलुक 2022 सप्लीमेंट' में भविष्यवाणी की है कि जून 2023 में समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए पाकिस्तान का आर्थिक भविष्य भारी बाढ़ के कारण बहुत खराब हो गया है जबकि अर्थव्यवस्था पटरी पर आने के लिए संघर्ष कर रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल की अभूतपूर्व बाढ़ का पाकिस्तान के स्थानीय उद्योगों - विशेष रूप से कपड़ा और फ़ूड प्रोसेसिंग पर पड़ा है। यही नहीं, थोक व्यापार, परिवहन और सर्विस सेक्टर भी प्रभावित है।

पाकिस्तान के राजनयिक मिशन कर रहा गंभीर वित्तीय संकट का सामना

स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) द्वारा रखा गया विदेशी मुद्रा भंडार 2 दिसंबर को 1 अरब अमेरिकी डॉलर के सुकुक बांड के भुगतान के बाद 784 मिलियन अमेरिकी डॉलर गिरकर 6.715 अरब अमेरिकी डॉलर के स्तर पर आ गया। यह जनवरी 2019 के बाद से सबसे निचला स्तर है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, एसबीपी और वित्त मंत्रालय द्वारा साख पत्र सहित सभी भुगतान रोक दिए जाने के बाद कई देशों में पाकिस्तान के राजनयिक मिशन गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं। यूरोपीय संघ और दुनिया भर में पाकिस्तान के मिशनों ने इस्लामाबाद में विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि वे जल्द से जल्द वेतन और भत्ते जारी करें।

नवंबर में विदेश से भेजे जाने वाले धन में 14 फीसदी की आई गिरावट

दूसरी ओर, इस साल नवंबर में विदेश से भेजे जाने वाले धन में 14 फीसदी की गिरावट आई है। चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों के दौरान पैसे के फ्लो में 9.6 प्रतिशत की गिरावट आई है। एसबीपी ने एक नया डेटा जारी किया है जो बताता है कि विदेश से भेजा जाने वाली रकम नवंबर में गिरकर 2.1 अरब डॉलर हो गई जो पिछले साल इसी महीने के दौरान 2.5 अरब डॉलर थी। पाकिस्तान में डॉलर की कीमत 224.71 पाकिस्तानी रुपया हो गई है।

पाकिस्तान के डिफ़ॉल्ट की ओर बढ़ने की संभावना बढ़ गई: पूर्व वित्त मंत्री

पूर्व वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने चेतावनी दी है कि पाकिस्तान के डिफ़ॉल्ट की ओर बढ़ने की संभावना बढ़ गई है। जाहिर है, पाकिस्तान की समस्याओं का कोई तत्काल समाधान नहीं है। इसके अतिरिक्त, वर्तमान ऊर्जा संकट और आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों का पाकिस्तान में स्थानीय आबादी, विशेष रूप से छोटे व्यवसायों पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। पाकिस्तान पर आने वाले महीनों में आम चुनाव कराने का वित्तीय बोझ पड़ने वाला है। देश की आर्थिक स्थिति के लिए जहां इमरान खान वर्तमान सरकार को कोस रहे हैं वहीं शाहबाज़ शरीफ सरकार और उनकी पार्टी इमरान खान के शासन को जिम्मेदार ठहरा रही है। इसके अलावा सरकार यूक्रेन युद्ध और बाढ़ को भी दोष दे रही है।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की कहानी उसके कर्ज के चरित्र के बिना अधूरी

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की कहानी उसके कर्ज के चरित्र के बिना अधूरी है। पाकिस्तान की आर्थिक चुनौती अगस्त 1947 में आजादी के बाद ही शुरू हो गई थी। लेकिन 1958 में पहले अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष कार्यक्रम में प्रवेश करने के बाद से पाकिस्तान कर्ज के जाल से बाहर नहीं आ सका। कुल 22 आईएमएफ कार्यक्रमों के साथ, पाकिस्तान बहुपक्षीय ऋणदाता के तले रहा है। इसके विपरीत, भारत और बांग्लादेश क्रमशः सात और 10 अवसरों पर ही आईएमएफ तक पहुंचे हैं। पाकिस्तान अभी भी अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए बाहरी ऋण पर निर्भर करता है। पिछले 75 वर्षों में, पाकिस्तान ने अक्सर संकट देखे हैं जहाँ उसे राजकोषीय असंतुलन और अपने भुगतान संतुलन पर भारी दबाव का सामना करना पड़ा है। बार-बार, आईएमएफ ने उसे सहायता प्रदान की है, जिसका इस्तेमाल पाकिस्तान ने अर्थव्यवस्था में अल्पकालिक स्थिरता लाने के लिए किया है। आज पाकिस्तान गहरे आर्थिक संकट और कर्जे में डूबा हुआ है और इससे उबरने के कोई संकेत फिलहाल तो दिखाई नहीं पड़ रहे है।

Tuesday, December 20, 2022

चीन में कोरोना की बेकाबू रफ्तार, श्मशान घाटों पर लाशों के अंबार, लाखों लोगों की हो सकती है मौत

चीन में कोरोना के मामलों में आई तोजी

China Coronavirus स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने दावा किया है कि चीन में संक्रमितों की संख्या एक दिन से भी कम समय में दोगुनी हो सकती है। अधिकारियों ने 19 और 23 नवंबर के बीच चार मौतों की घोषणा के बाद से बीजिंग में कोई कोविड-19 मौत की सूचना नहीं दी है।

कोविड-19 प्रतिबंधों में ढील के बाद चीन (China) में कोरोनो वायरस (Corona Virus) के मामलों में तेजी आई है। एपिडेमोलॉजिस्ट एरिक फीगल-डिंग ( Eric Feigl-Ding) ने बताया कि चीन में अस्पताल पूरी तरह से चरमरा गए हैं। महामारी विशेषज्ञ का अनुमान है कि अगले 90 दिनों में चीन के 60 प्रतिशत से अधिक और पृथ्वी की 10 प्रतिशत आबादी के संक्रमित होने की संभावना है और लाखों लोगों की मौत भी हो सकती है।

तेजी से फैल रहा है वायरस

वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, श्मशान में आने वाले कोविड संक्रमित शवों की संख्या में अचानक वृद्धि हुई है क्योंकि चीन की राजधानी में वायरस तेजी से फैल रहा है। महामारी प्रतिबंधों में अचानक ढील देने के बाद इस तरह के हालात बने हैं। फीगल-डिंग ने तो यहां तक कहा कि, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने बढ़ते मरीजों की वजह से यहां तक कह दिया है कि, "जिसे भी संक्रमित होना है, संक्रमित होने दें, जिसे मरने की जरूरत है, उसे मरने दें।'' स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने ये भी दावा किया है कि अब चीन में संक्रमितों की संख्या एक दिन से भी कम समय में दोगुनी हो सकती है। जानकारी के मुताबिक अधिकारियों ने 19 और 23 नवंबर के बीच चार मौतों की घोषणा के बाद से चीन ने बीजिंग में कोई कोविड-19 मौत की सूचना नहीं दी है।

नागरिक और विश्लेषक उठा रहे सरकारी आंकड़ों पर सवाल- विशेषज्ञ ने कहा, 2019 में भी चीन ने जानकारी छिपाई थी

श्मशान घाट में बढ़ी शवों की संख्या

चीन की राजधानी बीजिंग डोंगजियाओ श्मशान घाट में काम करने वाले लोगों के हवाले से दावा किया है देश में पिछले कुछ दिनों में दाह संस्कार और अन्य अंत्येष्टि सेवाओं के अनुरोधों में उछाल आया है। शुक्रवार को श्मशान घाट पर फोन पर बात करने वाली एक महिला ने कहा, "कोविड के फिर से आने के बाद से काम का बोझ बढ़ गया है।" महिला ने कहा कि डोंगजियाओ शवदाह गृह पर इतने शव आ रहे हैं कि, तड़के सुबह से लेकर आधी रात तक दाह संस्कार करना पड़ रहा है। श्मशान में हर दिन लगभग 200 शव आते हैं। महिला ने ये भी बताया कि बढ़ते मामलों की वजह से कई अन्य लोग भी संक्रमित हो गए हैं।

चीन में कोरोना की लहर

इस बीच बता दें कि, चीन के एक शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा है कि इस सर्दी में चीन कोविड-19 की तीन संभावित लहरों में से पहली लहर का सामना कर रहा है। महामारी विज्ञानी ने कहा कि उनका मानना है कि संक्रमण दर में मौजूदा इजाफा जनवरी के मध्य तक चलेगा, जबकि दूसरी लहर के जनवरी के अंत तक तेज हो जाने की संभाना है। जुन्यो ने आगे कहा कि कोरोना वायरस के केसों में तीसरा उछाल फरवरी के अंत से मार्च के मध्य तक चलेगा, क्योंकि लोग छुट्टी बिताने के बाद काम पर लौटेंगे।

Sunday, December 18, 2022

हम ताकतवर होंगे तो चीन, अमेरिका और रूस भी डंडा नहीं चला पाएंगे- मोहन भागवत


हम ताकतवर होंगे तो चीन, अमेरिका और रूस भी डंडा नहीं चला पाएंगे- मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने मुंबई के एक कार्यक्रम में कहा कि भारत विकसित होगा तो दुनिया का विकास होगा. दुनिया के देश लड़ेंगे नहीं. उन्होंने कहा कि भारत अगर अमेरिका या चीन जैसा बनने की दौड़ में शामिल होगा तो उसका विकास नहीं हो पाएगा. आरएसएस प्रमुख ने कहा कि हमारा विकास हमारी परंपरा और संस्कृति, लोगों की स्थिति और उनकी आकांक्षाओं के साथ-साथ दुनिया के प्रति लोगों को विचारों के आधार पर होगा.

मोहन भागवत ने कहा कि एक के विकास से दूसरे का अवकाश नहीं होगा. व्यापार और कृषि दोनों साथ चलेंगे. उन्होंने केंद्र सरकार के स्लोगन को दोहराते हुए कहा कि 'सबका साथ, सबका विकास' का नारा ऐसे ही नहीं दिया गया है. नारा देने वाला भी स्वयं सेवक है. यह विचार उनके मूल मस्तिष्क में भी होगा.

'डंडा चलाने वालों के डंडे भी हो जाएंगे बंद'

मोहन भागवत ने कहा, 'हम विकसित होंगे तो दुनिया का भी विकास होगा. ऐसे में दुनिया के देशों में लड़ाई नहीं होगी. हम बलशाली बनेंगे तो चीन, अमेरिका और रशिया जैसा डंडा नहीं चलाएंगे. हमारे कारण डंडा चलाने वालों के डंडे भी बंद हो जाएंगे. लेकिन यह सब करना है तो हम सबको सक्रिय होकर काम करना होगा.'

RSS प्रमुख ने धर्म की बात करते हुए कहा कि मनुष्य को सुविधा संपन्न और सुखासीन बनाने वाला धर्म अगर प्रकृति को नुकसान पहुंचाता है तो वो धर्म नहीं है. अगर भारत अमेरिका और चीन को देखते हुए इसका अनुकरण करता है तो इससे भारत का विकास नहीं होगा.

उन्होंने कहा कि भारत का विकास यहां के लोगों, उनकी परिस्थिति, संस्कृति, संस्कार के साथ-साथ दुनिया के बारे विचार के आधार पर होगा. आरएसएस प्रमुख ने कहा कि अगर दुनिया से कुछ अच्छा मिलेगा तो उसे हम अपनी शर्तों के मुताबिक लेंगे.

पीएम मोदी का चीन को कड़ा संदेश, कहा- डंके की चोट पर करेंगे सीमाओं का विकास


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को पूर्वोत्तर के राज्य मेघालय पहुंचे. जहां पीएम मोदी शिलांग में उत्तर पूर्व परिषद की स्वर्ण जयंती समारोह में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने 50 सालों के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास में एनईसी के योगदान को उल्लेखित करने वाला स्मारक ग्रंथ ‘गोल्डन फुटप्रिंट्स’ भी जारी किया. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य में 2,450 करोड़ रुपये से अधिक की कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया. इस दौरान पीएम मोदी ने बिना नाम लिए चीन को कड़ा संदेश दिया.

चीन से लगने वाली भारतीय सीमाओं पर चल रहे विकास कार्यों का ड्रैगन बॉर्डर हमेशा विरोध करता रहा है. साथ ही कई बार उसकी बौखलाहट भी सामने आ जाती है. इसी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत अपनी सीमाओं का विकास डंके की चोट पर करेगा और उसे इससे कोई ताकत नहीं रोक सकती. पीएम मोदी ने कहा कि, ‘लंबे समय तक देश में यह सोच रही है कि बॉर्डर एरिया में विकास हुआ, कनेक्टिविटी बढ़ी तो दुश्मन को फायदा होगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, मैं तो कल्पना भी नहीं कर सकता हूं कि क्या ऐसा भी कभी सोचा जा सकता है. पहले की सरकार की इस सोच के कारण नार्थ-ईस्ट समेत देश के सभी सीमावर्ती क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बेहतर नहीं हो पाई. लेकिन आज डंके की चोट पर बॉर्डर पर नई सड़कें, नई टनल, नए पुल, नई रेल लाइन, नए एयर स्ट्रिप, जो भी आश्वयक है, एक के बाद एक…उसके निर्माण का काम तेज गति से चल रहा है. जो समीवर्ती गांव कभी वीरान हुआ करते थे, हम उन्हें वाइव्रेंट बनाने में जुटे हैं. पीएम ने कहा कि जो गति हमारे शहरों के लिए महत्वपूर्ण है, हमारे बॉर्डर पर भी वही गति होनी आवश्यक है. इससे यहां टूरिज्म भी बढ़ेगा और जो लोग गांव छोड़कर गए हैं, वे वापस लौट के आएंगे.’

AFSPA को लेकर कही ये बात

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, "बीते आठ सालों में कई संगठनों ने हिस्सा का रास्ता छोड़ा. AFSPA की जरूरत न पड़े, इसलिए राज्य सरकार के साथ मिलकर स्थितियों को सुधारा जा रहा है. हमारे लिए नॉर्थ ईस्ट बॉर्डर एरिया आखिर छोर नहीं है. दूसरे देशों से व्यापार और कारोबार भी यहीं से होता है."

पूरे विश्व में जमी है भारतीय मूलके लोगों की धाक: प्रताप मिश्रा




भारतीय मूल के लगभग 2 करोड़ लोग इस समय विदेशों में फैले हुए हैं। लगभग दर्जन भर देश ऐसे हैं, जिनके राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री वगैरह भारतीय मूल के हैं।

भारतीय मूल के लगभग 2 करोड़ लोग इस समय विदेशों में फैले हुए हैं। लगभग दर्जन भर देश ऐसे हैं, जिनके राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री वगैरह भारतीय मूल के हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक तो इसके नवीनतम उदाहरण हैं। भारतीय लोग जिस देश में भी जाकर बसे हैं, वे उस देश के हर क्षेत्र में सर्वोच्च स्थानों तक पहुंच गए हैं। इस समय दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति और महासंपन्न देश अमरीका है। अमरीका में इस समय 50 लाख लोग भारतीय मूल के हैं। दुनिया के किसी देश में इतनी बड़ी संख्या में भारतीय लोग नहीं बसे हैं।

इसके कारण भारत से प्रतिभा-पलायन जरूर हुआ है लेकिन अमरीका के ये भारतीय मूल के नागरिक सबसे अधिक संपन्न, सुशिक्षित और सुखी लोग हैं, ऐसा कई सर्वेक्षणों ने सिद्ध किया है। यदि अमरीका में 200 साल पहले से भारतीय बसना  शुरू हो जाते तो शायद अमरीका भी मॉरीशस, सूरिनाम वगैरह की तरह भारत-जैसा देश बन जाता। लेकिन भारतीयों का आव्रजन 1965 में शुरू हुआ, लेकिन इस समय मैक्सिको के बाद वह दूसरा देश है जिसके सबसे ज्यादा लोग अमरीका में जाकर बसते हैं। मैक्सिको तो अमरीका का पड़ोसी देश है, लेकिन भारत उससे हजारों कि.मी. दूर है। भारत के आप्रवासी प्राय: उत्साही नौजवान ही होते हैं।

जो वहां पढऩे जाते हैं, वे या तो वहीं रह जाते हैं या फिर भारत से अनेक सुशिक्षित लोग बढिय़ा नौकरियों की तलाश में अमरीका जा बसते हैं। उनके साथ उनके माता-पिता भी वहीं बसने की कोशिश करते हैं। इसके बावजूद भारतीय आप्रवासियों की औसत आयु 41 वर्ष है, जबकि अन्य देशों के आप्रवासियों की 47 वर्ष है। भारत के कुल आप्रवासियों में से 80 प्रतिशत लोग कार्यरत रहते हैं। अन्य विदेशी आप्रवासियों में से 15 प्रतिशत ही सुशिक्षित होते हैं, जबकि भारत के 50 प्रतिशत से अधिक लोग स्नातक स्तर तक पढ़े हुए होते हैं। भारतीय मूल के लोगों की औसत प्रति व्यक्ति आय डेढ़ लाख डॉलर प्रति वर्ष होती है, औसत अमरीकियों और अन्य आप्रवासियों की वह आधी से भी कम यानी सिर्फ 70 हजार डॉलर होती है।

भारतीय लोगों को आप आज के दिन अमरीका के हर प्रांत और शहर में दनदनाते हुए देख सकते हैं। अब से लगभग 50-55 साल पहले जब मैं न्यूयॉर्क की सड़कों पर घूमता था तो कभी-कभार कोई भारतीय ‘टाइम्स स्कवायर’ पर दिख जाता था, लेकिन अब हर बड़े शहर और प्रांत में भारतीय भोजनालयों में भीड़ लगी रहती है। विश्वविद्यालयों में भारतीय छात्रों और अध्यापकों की भरमार है। अमरीका की कई कंपनियों और सरकारी विभागों के सिरमौर भारतीय मूल के लोग हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि आज से 24 साल पहले मैंने जो लिखा था, वह भी शीघ्र हो ही जाए। ब्रिटेन की तरह अमरीका का शासन भी किसी भारतीय मूल के व्यक्ति के हाथ में ही हो।

Saturday, December 17, 2022

ड्रैगन पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की तैयारी, भारत देगा अब चीन को मुंहतोड़ जवाब


'Surgical Strike' on Dragon

दुनियाभर को परेशान करने वाले China ने India को छेड़कर बड़ी मुसीबत मोल ले ली है। उसे शायद यह नहीं पता नहीं चल रहा है कि भारत सरकार (Indian government) अब इतनी ज्यादा मजबूत स्थिति में है कि दुनियाभर के देश उसकी ओर आस लगाकर देख रहे हैं।

चीन की विस्तारवादी नीति इतनी ज्यादा चरम पर पहुंच चुकी है कि उसके ज्यादातर पड़ोसी देश चीन की हरकतों से परेशान हैं। हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर (Tawang Sector) में चीनी सैनिकों ने भारत के हिस्से में घुसने की कोशिश की। हालांकि, भारतीय सैनिकों ने उन्हें खदेड़ दिया।

आर्थिक फैसले लेने की तैयारी में भारत सरकार

केंद्र सरकार अब ड्रैगन (Dragon) के खिलाफ बड़े आर्थिक फैसले लेने का मन बना चुकी है। इसका असर साल 2023-24 के लिए संसद में पेश किए जाने वाले बजट पर भी देखने को मिल सकता है।

इस बजट में चीन से भारत की आयात निर्भरता को कम करने के उपायों की घोषणा की जा सकती है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ के अपने अभियान के आगे बढ़ाते हुए मोदी सरकार कड़े फैसले ले सकती है। इस मामले से अवगत दो अधिकारियों ने यह जानकारी दी है।

चीन के सामान के प्रवेश पर लग सकती है रोक

केंद्र सरकार के इस फैसले से भारत में सीधे आयात किए गए चीन में तैयार सामानों के प्रवेश पर प्रतिबंध लग सकता है। चीन के लिए यह किसी सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) से कम नहीं होगा, क्योंकि भारत चीनी सामानों का एक बड़ा बाजार है।

हालांकि, भारत अपने पड़ोसी देशों से कच्चे माल का आयात करना जारी रखेगा। एक अधिकारी ने कहा कि चीन में तैयार उत्पादों की आमद की जांच करने का एक तरीका सीमा शुल्क को फिर से जांचना है।

कई मदों पर सीमा शुल्क के पुनर्गठित होने की उम्मीद है। इसे बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है।

इतने उत्पादों को अब किया गया है बैन

भारतीय कंपनियों और सरकारी विभागों ने 100 से अधिक चीनी उत्पादों को अब तक बैन किया है। इनमें पॉलिएस्टर यार्न, ऑप्टिकल फाइबर, सौर सेल, विनाइल टाइलें, सैकरिन, नेत्र लेंस, विभिन्न स्टील आइटम, रसायन, चीनी मिट्टी की चीज़ें, टेबलवेयर, रसोई के बर्तन, कांच के बने सामान, एल्युमिनियम फॉयल और एमोक्सिसिलिन और ओफ़्लॉक्सासिन जैसे फार्मास्युटिकल फॉर्मूलेशन (Pharmaceutical Formulations) शामिल हैं।

दूसरे अधिकारी ने कहा कि चीन के खिलाफ उचित कार्रवाई के लिए गंभीरता से विचार किया जा रहा है। उम्मीद है कि इस बजट में इस मुद्दे का समाधान निकलेगा।

आपको बता दें कि वाणिज्य मंत्रालय (Ministry of Commerce) के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2022 में चीन से भारत का माल आयात 9.73% घटकर 7.85 अरब डॉलर हो गया। एक साल पहले इसी महीने में यह 8.7 अरब डॉलर था।

Friday, December 16, 2022

भारतीय सेना ने पकड़ लिए थे PLA के 63 जवान, लाये थे छड़ी की तरह दिखने वाले घातक हथियार: प्रताप मिश्रा




अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास बीते 9 दिसंबर को हुए झड़प को लेकर एक नई जानकारी सामने आई है. बताया जा रहा है कि भारतीय सेना ने उस दिन करीब पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के 63 जवानों को बंदी बना लिया था, जिसके बाद चीनी पक्ष को युद्धविराम के लिए मजबूर होना पड़ा. इसी तरह से सेना ने चीनी फौज के छड़ी की तरह दिखने वाले घातक हथियारों को भी जब्त कर लिया, जिससे उन्होंने हमला किया था. ये चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवानों के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए छड़ी हैं, जिनका इस्तेमाल 2020 में गलवान संघर्ष के दौरान भी किया गया था.

अप्रशिक्षित लोग उन्हें चीनी निर्मित चलने की छड़ी समझ सकते हैं, जिसका इस्तेमाल पर्वतारोही ऊंचाई वाले इलाकों में करते हैं. लेकिन भारतीय सेना के जवान बेहतर जानते हैं, ट्रेकर्स के लिए चलने वाली छड़ियों में मजबूत पकड़ होती है और ढलान पर ऊपर या नीचे जाते समय बेहतर पकड़ के लिए एक नुकीला सिरा होता है, लेकिन उनमें घातक कीलें बाहर नहीं लगी होती हैं. उनमें से सौ से अधिक 8 से 9 दिसंबर के बीच पीएलए सैनिकों से जब्त किया गया था, जिन्हें अब अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में एक कमरे में रखे गए हैं. इन छड़ियों को रात में झड़प के दौरान प्रतिद्वंद्वी को अस्थायी रूप से भटका देने के लिए उज्‍जवल चमक का उत्सर्जन करने के हिसाब से डिजाइन किया गया.

‘पीएलए के सैनिक अब युद्ध की पोशाक में नहीं आते’
यांग्स्ते क्षेत्र को भारतीय सैनिक बेहतर जानते थे. उन्होंने झड़प को अधिक समय तक चलने नहीं दिया और अंधेरे से पहले विरोधी को हरा दिया. एक सूत्र ने कहा, ‘पीएलए के सैनिक अब वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का उल्लंघन करने का प्रयास करने पर युद्ध की पोशाक में नहीं आते हैं. वह शरीर के कवच, ढाल और ऐसी छड़ियों के साथ आते हैं. हमने सबसे पहले हांगकांग में विद्रोह के दौरान इस तरह के क्लबों (छड़ियों) का इस्तेमाल देखा. 8 दिसंबर को, पीएलए द्वारा यांग्स्ते में एलएसी में घुसने का पहला प्रयास किया गया था, जो चुमी ग्यात्से के नाम से जाने जाने वाले पवित्र वॉटरफॉल के बहुत करीब है. भारतीय सेना इस स्थान की पवित्रता का सम्मान करती है, लेकिन ऐसा लगता है कि पीएलए को कोई फर्क नहीं पड़ता, हालांकि उनकी तरफ से हजारों तीर्थयात्री साल भर बिना किसी बाधा के पवित्र वॉटरफॉल के दर्शन करते हैं.’

‘8 दिसंबर को भी पीएलए के एक दल ने एलएसी को पार किया था’
8 दिसंबर को, भारतीय सेना ने एक पीएलए गश्ती दल को रोका, जो एलएसी पार कर गया था. टीम के अन्य सदस्य वापस चले गए, जबकि पीएलए के तीन सैनिकों को पकड़ लिया गया. उनकी हिरासत यह साबित करने के लिए महत्वपूर्ण थी कि पीएलए ने एलएसी पार कर भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया था. मामला शांति से सुलझाया जा सकता था, लेकिन पीएलए ने तीन चीनी सैनिकों को छुड़ाने के लिए जवाबी हमला करने का फैसला किया. 9 दिसंबर को भारतीय सेना को पता चल गया था कि क्या होना है और वह तैयार थी.

‘भारतीय सैनिकों की पिटाई से भागने पर मजबूर हुए चीनी जवान’
सूत्र ने कहा, “यह भारत में नजर रखने के लिए वहां एक ऑब्जर्वेशन पोस्ट (ओपी) स्थापित करने की योजना का हिस्सा था. यह प्रतिबंधित है. 9 दिसंबर को, पीएलए का ‘दंगा दस्ता’ 300 से अधिक कर्मियों के साथ पहुंचा. भारतीय सेना के जवानों ने न केवल उनकी पिटाई की उन्हें वापस भगा दिया, साथ ही उनके नुकीले छड़ियों के साथ पीएलए के 60 सैनिकों को पकड़ लिया. भारतीय सैनिकों की पिटाई से पीछे भागने वाले कई सैनिकों ने अपनी छड़ियों को वहीं छोड़ दिया. भारतीय हिरासत में अपने खुद के 63 लोगों के होने की स्थिति का सामना करते हुए, पीएलए ने तुरंत युद्धविराम का आह्वान किया. एक फ्लैग-मीटिंग बुलाई गई और चीनी सैनिकों को सौंप दिया गया. उनके छड़ियों और झड़प के दौरान एकत्र किए गए अन्य समानों को भारतीय सेना ने जमा कर लिया और एक कमरे में रख दिया.”

9 दिसंबर को हुई थी LAC पर झड़प
चीन यह कभी नहीं बताएगा कि उसके कितने सैनिक घायल हुए हैं, लेकिन गुवाहाटी के सैन्य अस्पताल में इलाज करा रहे भारतीय सेना के नौ जवान अब ठीक हैं. यह चीन को भेजा गया एक कड़ा संदेश था कि अब गलवान की पुनरावृत्ति नहीं होगी. एक अन्य सूत्र ने कहा कि मुक्केबाजी और पथराव बर्दाश्त किया जा सकता है, लेकिन नुकीले डंडे अब भारतीय सैनिकों को आश्चर्यचकित नहीं करेंगे. भारतीय सेना ने 12 दिसंबर को बताया था कि भारतीय और चीनी सैनिकों की तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के निकट एक स्थान पर नौ दिसंबर को झड़प हुई, जिसमें ‘दोनों पक्षों के कुछ जवान मामूली रूप से घायल हो गए.’

Thursday, December 15, 2022

गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा पाकिस्तानी बॉर्डर, भीषण हमले के बाद युद्ध जैसे हालात, PAK के कई गांव हुए खाली


गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा पाकिस्तानी बॉर्डर, भीषण हमले के बाद युद्ध जैसे हालात, PAK के कई गांव हुए खाली

पाकिस्तानी सीमा पर एक बार फिर जमकर गोलीबारी शुरू हो गई है. दहशत ऐसी है कि पाकिस्तान ने अपने कई गांव खाली करवा लिए हैं. बॉर्डर पर फायरिंग का इलाका चमन-स्पिन बोल्डाक बताया गया है. जानकारी के मुताबिक तालिबानी सैनिकों ने पाकिस्तान पर हमला बोल दिया है. इस हमले में तोप, मशीन गन और मोर्टार का इस्तेमाल किया गया है. डूंरड लाइन पर चल रही इस गोलीबारी की वजह से पाकिस्तानी सीमा के करीब रहने वाले लोगों में दहशत का माहौल है.

सोशल मीडिया पर तालिबानी सेना के हमले के वीडियो वायरल हो रहे हैं. इन वीडियो में गोलियों की तड़तड़ाहट सुनी जा सकती है. इस गोलीबारी में दोनों तरफ के लोग घायल हुए हैं. करीब 11 आम लोगों के घायल होने की खबर है. तालिबानी हुकूमत इस हमले को लेकर काफी आक्रमक नजर आ रही है. तालिबान लगातार सीमा पर अपने सैनिकों की संख्या को बढ़ाने में लगा है. खतरे को देखते हुए चमन शहर को पूरी तरह खाली करवा लिया गया है.

दोनों देशों के अपने-अपने तर्क
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो तालिबान की तरफ से पहले हमला किया गया जिसके बाद पाकिस्तानी सेना ने जवाबी कार्रवाई के रूप में गोलीबारी की. जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हुए इस हमले में बच्चे और महिलाएं भी घायल हुई हैं.

चमन के अस्पतालों में इमरजेंसी का ऐलान कर दिया गया है. तालिबान तोप के गोले और मोर्टार दाग रहा है. तालिबानी सेना की तरफ से बरसाए जा रहे गोलाबारूद की वजह से पाकिस्तान ने चमन के आसपास के इलाकों को भी खाली करने के निर्देश जारी कर दिए हैं.

इधर, अफगानिस्तान का तर्क है कि डूरंड लाइन पर पाकिस्तानी सैनिक अफगानिस्तान की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे थे, इसी वजह से तालिबानी सेना ने उन पर हमला किया. इसी के साथ दोनों तरफ से फायरिंग शुरू हो गई और देखते ही देखते ये फायरिंग तोप के गोले और मोर्टार के हमले तक पहुंच गई है. 

तालिबान का आरोप ये भी है कि पाकिस्तानी सेना के जवान अफगानिस्तान की महिलाओं के साथ बदतमीजी करते हैं, उन्हें परेशान करते हैं. बीते रविवार को भी इस इलाके में पाकिस्तानी सेना और तालिबानी सेना के बीच गोलीबारी हुई थी. इस दौरान करीबी 6 लोगों की मौत हो गई है. वहीं, कुछ लोग घायल हो गए थे.

चीनी सीमा पर फायटर जेट, हेलीकॉप्टर, ड्रोन एकत्र कर रहा भारत, आगामी 48 घंटे में बड़े युद्धाभ्यास की तैयारी


अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में चीन के सैनिकों के साथ झड़प के बाद अब थल सेना से लेकर वायुसेना तक अलर्ट पर है। भारतीय वायुसेना अगले 48 घटों में चीनी सीमा से सटे 4 एयरबेस पर बड़ा सैन्याभ्यास करने जा रही है। इस युद्धाभ्यास में वायुसेना के लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर और ड्रोन शामिल होंगे। यह युद्धाभ्यास वायुसेना की पूर्वी कमाण्ड करेगी। जानकारी के अनुसार 15 और 16 दिसम्बर को चीनी सीमा के पास यह युद्धाभ्यास होगा। वायुसेना का यह युद्धाभ्यास जिन 4 एयरबेस पर होगा, तेजपुर चाबुआ, जोरहट और हाशिमारा शामिल है।
अरूणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में यांगत्से के पास 9 दिसम्बर को भारतीय और चीनी सैनिकों में झड़प हुई थी। ऐसे समय में भारतीय वायुसेना के इस युद्धाभ्यास को तवांग में हुई झड़प से भी जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि वायुसेना का कहना है कि यह रूटीन एक्सनरसाइज है और पहले से ही इसकी तारीख थी और इसका झड़प से कोई लेना-देना नहीं हैं। इस युद्धाभ्यास का मकसद पूर्वी सेक्टर में अपने ऑपरेशन और क्षमताओं का परीक्षण करना है। पूर्वोत्तर से सटे चीन, बंगलादेश और म्यांमार की सीमाओं की निगरानी पूर्वी कमाण्ड ही करती है।
क्या हुआ था तवांग में?
भारतीय सेना ने सोमवार को बयान जारी कर बताया था कि 9 दिसमबर को तवांग सेक्टर में यांगत्से के पास भारत और चीन के सैनिकों में झड़प हुई थी। इस झड़प में दोनों और के कुछ सैनिकों को चोट आयी थी। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को लोकसभा में बताया था कि भारतीय सेना ने बहादुरी से पीएलए (पीएलए) को हमारे क्षेत्र में अतिक्रमण करने से रोका और उन्हें उनकी पोस्ट पर वापिस जाने के लिये मजबूर किया। राजनाथ सिंह ने यह भी बताया कि इस झड़प में भारतीय सेना का न तो कोई जवान शहीद हुआ है और न ही किसी को गंभीर चोट आयी है। वहीं, इस झड़प के बाद चीन ने भी कहा कि सीमा पर स्थिति स्थिर बनी हुई है। इससे पहले 15-16 जून 2020 को लद्दाख में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों में हिंसक झड़प हुई थी। इस झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शही हो गये थे। वहीं, चीन ने 6 माह बाद इस झड़प में 4 जवानोें के मारे जाने की बात मानी थी। हालांकि ऑस्ट्रेलिया ने एक अखबार ने अपनी रिपोर्ट में गलवान घाटी में झड़प में चीनी सेना के कम से कम 38 जवानों के मारे जाने का दावा किया था।

वर्ष 2022 में भारत के सबसे शक्तिशाली नेताओं का विवरण


Most Powerful Leaders of 2022

वर्ष 2022 बीत रहा है। इस साल देश-विदेश में कई हस्तियों, खासकर राजनेताओं ने सुर्खियाँ बटोरीं । लेकिन कुछ राजनेता ऐसे रहे जो इस साल बहुत शक्तिशाली बने रहे। जानते हैं कि भारत में इस वर्ष सबसे पावरफुल राजनेता कौन कौन रहे।

नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत के सबसे शक्तिशाली और सबसे लोकप्रिय नेता इस वर्ष भी बने रहे। उन्होंने अपने दम पर लगातार न सिर्फ दो लोकसभा चुनावों में जीत का रास्ता तय किया । बल्कि इस साल हुए विभिन्न विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत का मार्ग प्रशस्त किया। 2022 भी ब्रांड मोदी के लिए याद किया जाएगा। नरेन्द्र मोदी ने न सिर्फ भारत बल्कि ग्लोबल फलक पर अपनी बुलंदियों को और ऊंचा किया।

अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह देश के सबसे शक्तिशाली नेताओं में शामिल हैं और 20 22 में भी मजबूती से बने रहे। उनकी कड़ी मेहनत और राजनीतिक सूझबूझ से भाजपा बहुत मजबूत स्थिति में है। पार्टी संगठन पर मजबूत पकड़ के कारण उन्हें मोदी का उतराधिकारी समझा जाता है।

योगी आदित्य नाथ

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ देश के सबसे शक्तिशाली नेताओं में गिने जाते हैं। उनकी लोकप्रियता इसी बात से आंकी जा सकती है कि विभिन्न राज्यों के चुनावों में वे भाजपा के सुपर स्टार प्रचारक रहते हैं। अपनी फायरब्रांड और ईमानदार इमेज के चलते वे प्रदेश और देश के अद्वितीय नेताओं में शामिल हैं। यूपी में लगातार दूसरी बार चुनाव जीत कर सत्ता में आने के बाद उनकी स्थिति और भी मजबूत हुई है।

मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत किसी शासक पोजीशन पर न होते हुए भी सबसे शक्तिशाली नेताओं में से हैं। चूँकि आरएसएस ही भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं को विचारधारा का आधार देता है । इसलिए मोहन भागवत की अपनी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका है। उनकी एक एक बात को बहुत गंभीरता से लिया जाता है।

राजनाथ सिंह

केंद्रीय रक्षा मंत्री और लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह तीन बार के लोकसभा के सदस्य रहे हैं। भाजपा के अध्यक्ष रह चुके हैं। टीम मोदी के वे सबसे मजबूत स्तंभों में से एक हैं। वर्ष 2022 में महसूस की गईं रक्षा चुनौतियों के चलते राजनाथ सिंह और भी मजबूत हुए हैं।

नितिन गडकरी

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग, एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी केंद्र सरकार के सबसे असरदार मंत्रियों में से हैं। आरएसएस के शीर्ष नेतृत्व में उनकी गहरी पैठ है तथा संघ में उनका रसूख है। अपने कामकाज और कार्यशैली के चलते विपक्षी भी उनकी तारीफ करते हैं। नितिन गडकरी टीम मोदी के सबसे मजबूत सदस्यों में शामिल हैं।

राहुल गाँधी

कांग्रेस नेता राहुल गाँधी देश के सबसे मजबूत नेताओं में से हैं और वर्ष 2022 में पार्टी के सामने तमाम चुनौतियों के बावजूद वे और भी मजबूत हुए हैं। पार्टी की विपरीत परिस्थियों में राहुल गाँधी भारत की पदयात्रा कर रहे हैं। जिस तरह से राहुल गाँधी ने 2022 में काम करने की स्टाइल को बदला है । वह उनकी मजबूती और मैच्योरिटी को दर्शाता है। राहुल गाँधी कांग्रेस की राजनीति के प्रमुख आधार बने हुए हैं।

सोनिया गाँधी

भले ही कांग्रेस पार्टी लगातार चुनावों में खराब प्रदर्शन कर रही है फिर भी सोनिया गाँधी देश की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी को नियंत्रित करती हैं। कांग्रेस पार्टी आज भी सोनिया गाँधी पर बहुत कुछ निर्भर है। 76 वर्षीय सोनिया गाँधी कांग्रेस पार्टी की सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली अध्यक्ष रही हैं। सोनिया गाँधी आज भी दुनिया के सबसे शक्तिशाली नेताओं में शामिल हैं।

अरविन्द केजरीवाल

आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल देश के सबसे शक्तिशाली नेताओं में से एक बन कर उभरे हैं। 20 22 में केजरीवाल ने चुनावी सफलताएँ अर्जित करके अपनी स्थिति बेहद मजबूत बना ली है और अब वे राष्ट्रीय लेवल के राजनेताओं में शुमार हो गए हैं।