Friday, September 18, 2020

China on Galwan Clash: आखिरकार 94 दिन बाद गलवान का सच मानने को मजबूर हुआ चीन


नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच पिछले कई महीनों से तनाव चल रहा है। जून मध्य के दौरान गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे जबकि चीन को भी काफी नुकसान उठान पड़ा था और कहा जाता है कि उसके 35 से अधिक सैनिक इस दौरान मारे गए। भारत ने जहां अपने शहीद सैनिकों का अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया गया वहीं चीन ने तो पूरी दुनिया से ही नहीं बल्कि अपने मारे गए सैनिकों के परिजनों तक को जानकारी नहीं दी और गुप्त तरीके से मारे गए सैनिकों का अंतिम संस्कार कर दिया। लेकिन झूठ ज्यादा दिन तक नहीं चलता है और अब चीन ने स्वीकार किया है कि उसके भी सैनिक इस हिंसा में मारे गए थे लेकिन उनकी संख्या भारत से कम थी।

Chinese govt mouthpiece global times admits damage in Galwan valley clash
आखिरकार 94 दिन बाद गलवान का सच मानने को मजबूर हुआ चीन

राजनाथ के बयान का किया जिक्र
चीन सरकार के मुखपत्र माने जाने वाले ग्लोबल टाइम्स के मुख्य संपादक ने माना है कि इस हिंसा में चीन को भी नुकसान पहुंचा था और उसके सैनिकों की भी जान गई थी। हालांकि उन्होंने इसे बड़ी सफाई से माना और कहा कि 15 जून को गलवान में मारे गए चीनी सैनिकों की संख्या भारत से कम थी और किसी भी चीनी सैनिक को भारत ने बंधक नहीं बनाया था जबकि पीएलए के सैनिकों ने कई भारतीय सैनिकों को बंदी बना लिया था। ग्लोबल टाइम्स के संपादक ने राजनाथ के उस बयान को ट्वीट किया जिसमें उन्होंने संसद में बयान दिया था कि चीन को भी गलवान में भारी नुकसान हुआ था। हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि कितने चीनी सैनिक मारे गए थे। ग्लोबल टाइम्स चीन का सरकारी अखबार है।

क्या कहा था राजनाथ सिंह ने 

गुरुवार को राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में बयान देते हुए कहा था, 'एलएसी के ऊपर टकराव बढ़ता हुआ देख कर दोनों तरफ के सैन्य कमांडरों ने 6 जून 2020 को बैठक की, तथा इस बात पर सहमति बनी कि पारस्परिक तौर तरीकों के द्वारा फौजों की वापसीकी जाए। दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए कि वास्तविक नियंत्रण रेखाको माना जाएगा तथा कोई ऐसी कार्रवाई नहीं की जाएगी जिससे यथास्थिति में परिवर्तन हो । किन्तु इस सहमति के उल्लंघन में चीन द्वारा एक हिंसक टकराव की स्थिति 15 जून को गलवान में की गई। हमारे बहादुर सैनिकों ने अपनी जान का बलिदान दिया पर साथ ही चीनी पक्ष को भी भारी क्षति पहुँचाई और अपनी सीमा की सुरक्षा में सफल रहे।'

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