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Saturday, June 13, 2020

कोरोना कहर: दुनियां में फैल सकती है गरीबी की मार एक अरब से ज्यादा लोग हो सकते है गरीब

किंग्स कॉलेज लंदन और ऑस्ट्रेलियन नेशनल युनिवर्सिटी के शोधार्थियों ने एक अध्ययन में कहा है कि कोरोना संकट के कारण दुनियाभर में गरीबों की संख्या बढ़कर एक अरब से अधिक हो सकती है. अध्ययन के अनुसार यदि 1.90 डॉलर प्रति दिन की आय को गरीबी का पैमाना माना जाए और महामारी से इसमें 20 प्रतिशत का संकुचन हो तो 39.5 करोड़ लोग अत्यंत गरीबों की श्रेणी में आ जाएंगे. इनमें करीब आधे से अधिक लोग दक्षिण एशियाई देशों के होंगे.

न्यूयॉर्क : कोविड-19 संकट के चलते दुनिया में गरीबों की संख्या बढ़कर एक अरब से अधिक हो सकती है और अत्यंत गरीब लोगों की संख्या में जुड़े 39.5 करोड़ लोगों में से आधे से अधिक लोग दक्षिण एशिया के होंगे. एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशिया का इलाका गरीबी की मार झेलने वाला दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्र होगा.

अध्ययन के अनुसार यदि 1.90 डॉलर प्रति दिन की आय को गरीबी का पैमाना माना जाए और महामारी से इसमें 20 प्रतिशत का संकुचन हो तो अतिरिक्त 39.5 करोड़ अत्यंत गरीबों की श्रेणी में आ जाएंगे. इनमें करीब आधे से अधिक लोग दक्षिण एशियाई देशों के होंगे. इसका प्रमुख कारण भारत की बड़ी आबादी का गरीब होना है. गरीबी के दलदल में फंसने वाले नए लोगों में 30 प्रतिशत यानी 11.9 करोड़ अफ्रीका के सहारा मरुस्थलीय देशों में होंगे.

ऐसे में दक्षिण एशिया और पूर्वी एशिया के विकासशील देशों में फिर से गरीबों की संख्या बढ़ सकती है.

इस अध्ययन के मुताबिक महामारी से उपजे संकट के चलते दुनियाभर में गरीबों की संख्या एक अरब से ऊपर पहुंच सकती है,

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