किसान हमारा अन्नदाता है . उसी की मेहनत का परिणाम होता है कि हमारे घरों से कोई भूखा नहीं जाता .उसी की मेहनत की वजह से देश की अर्थव्यवस्था टिकी हुई है ..और ऐसे किसानों को तो हमें सरआखों पर बैठाना चाहिए .लेकिन आज आलम ये है कि किसान खेतों में कम और सड़को पर ज्यादा दिख रहे हैं. बीते एक साल से किसान आंदोलन उग्र दिखाई दिया क्योंकि उनको नए कृषि कानून रद्द करवाने थे . आखिरकार पीएम मोदी को किसान संगठनों के आगे झुकना पड़ा और नए कानूनों को वापस लेना पड़ा .लेकिन अब किसान एमएसपी के कानून को लेकर अड़ गए है ..लेकिन ये मांग जितनी आसान दिखती है उतनी है नहीं..सोचिए अगर सभी युवा सरकारी नौकरी की मांग लेकर सड़क पर बैठ जाएं तो क्या होगा? सभी लोग एक तय उम्र तक सैलरी और फिर उसके बाद पेंशन की गारंटी देने की मांग करें तो क्या होगा? हर तरह के सामान का उत्पादन करने वाले अपना उत्पाद न बिकने पर सरकार से उसे खरीदने की गारंटी मांगे तो क्या होगा? मोदी सरकार ने किसान आंदोलन की वजह से तीन कृषि कानूनों को वापस ले लिया है. इसे आंदोलकारी किसानों की जीत बताई जा रही है. और अब वे न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी कि एम.एस.पी पर कानून बनाने के मुद्दे को जोर-शोर उठा रहे हैं. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि मौजूदा समय में एमएसपी कानून लाना संभव भी है या नहीं? क्या सरकार की जेब इतनी बड़ी है कि वो इतना बड़ा फैसला ले सके? क्या एमएसपी कानून लाने से सच में किसानों का भला होगा और उनकी स्थिति सुधरेगी? अगर नहीं तो ऐसा क्या किया जाना चाहिए जिससे किसानों की स्थिति में बड़ा बदलाव आए.. ये समझना जरूरी है कि अगर एमएसपी का कानून बन जाए तो सरकार किसानों की फसल खरीदने के लिए मजबूर हो जाएंगी. अभी तक वो इस दबाव से मुक्त है क्योंकि एमएसपी सिर्फ एक नीति है कानून नहीं. अगर कानून आने के बाद भी किसानों को उनकी फसलों की कीमत नहीं मिलती है तो वो कोर्ट जा सकते हैं. ऐसे में एमएसपी उनका हक होगा और सरकार को उसे मानना ही होगा. एक्सपर्ट्स की मानें तो अगर ये कानून बन गया तो सरकारें दिवालिया हो जाएंगी ..तो ये भी समझना जरूरी है कि आखिर किसानों की स्थिति में सुधार के लिए क्या करना चाहिए? एक्सपर्ट्स ऐसा मानते है कि सरकार की पाबंदियों की वजह से किसानों को नुकसान हो रहा है. सरकार मनचाहे ढंग से स्टॉक लिमिट लगा देती है, एक्सपोर्ट बैन कर देती है,. काफी तरह की पाबंदियां है. किसानों के ऊपर एक सरकारी तलवार लटकती रहती है,.. एक्सपोर्ट में अनिश्चिताओं के कारण कृषि क्षेत्र में सुधार संभव नहीं है. सरकार को एक रुपया भी खर्च करने की जरूरत नहीं है. बस किसानों को तकनीक की आजादी और मार्केट की आजादी देने की जरूरत है. जिस दिन प्रधानमंत्री ये ऐलान कर देंगे कि कम से कम अगले 25 साल तक कोई पाबंदियां नहीं लगाएंगे. तो शेयर बाजार में जबरदस्त उछाल आएगा. बड़ी-बड़ी कंपनियां इस क्षेत्र में निवेश के लिए आ जाएगी.लेकिन अगर यही स्थिति रही जो मौजूदा समय में है तो बस बैठकें होती रहेगीं मगर कोई हल नहीं निकलेगा।
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