Tuesday, March 29, 2022

कश्मीर में अलर्ट जारी, आतंकियों के खिलाफ कानून हाथ में ले सकते हैं लोग


कश्मीर के बहुत से छात्र पंजाब के विभिन्न शहरों में पढ़ाई कर रहे हैं। इन लोगों की जब पंजाब में लोगों से कश्मीर के हालात पर बातचीत होती है तो अक्सर पंजाब के लोग आतंकियों के खिलाफ आम लोगों की भूमिका का जिक्र करते हैं।

कश्मीर में अलर्ट जारी, आतंकियों के खिलाफ कानून हाथ में ले सकते हैं लोग, कई जगह बनाए जत्थेकश्मीर में आए दिन आतंकियों द्वारा निर्दाेष लोगों की हत्याएं करने से स्थानीय लोगों में खासा गुस्सा है। आतंकियों से निपटने के लिए कई जगह लोगों ने खुद ही अपने जत्थे बनाना शुरू कर दिए हैं। ये जत्थे अपने इलाके में सक्रिय आतंकियों और उनके ओवरग्राउंड वर्करों को न सिर्फ चिन्हित करेंगे बल्कि खुद ही उन्हें घेरकर हिसाब भी चुकता करेंगे।

खुफिया एजेंसियों ने इस संदर्भ में सभी सुरक्षा एजेंसियों और नागरिक प्रशासन को एक अलर्ट जारी किया है। इस अलर्ट में कहा गया है कि कश्मीरी अब आतंकियों के खिलाफ कानून को अपने हाथ में भी ले सकते हैं। वह किसी क्षेत्र विशेष में आतंकियों के खिलाफ अभियान शुरू करने के लिए सुरक्षा बलों का इंतजार नहीं करेंगे। इसलिए प्रशासन सतर्क रहे।

खुफिया एजेंसियों की ओर से जारी अलर्ट में कहा गया है कि कश्मीर के लोगों ने पंजाब की आतंकी हिंसा से सबक लेते हुए यह कदम उठाया है। 1980 और उसके बाद के कुछ वर्षों के दौरान पंजाब में कई जगह ग्रामीणों ने आतंकियों से निपटने के लिए अपने गुट बना रखे थे। ये गुट न सिर्फ गांव में पहरा देते थे बल्कि आतंकियों को देखते ही अन्य ग्रामीणों को सचेत करते हुए उन पर टूट पड़ते थे।

कश्मीर में बीते एक वर्ष के दौरान जिस तरह से पाकिस्तान के इशारे पर आतंकियों ने निर्दाेष नागरिकों को निशाना बनाना शुरू किया है, उससे कश्मीर में लोग पूरी तरह आतंकियों के खिलाफ हो गए हैं। खुफिया एजेंसियों ने बताया कि वादी के बहुत से लोग अक्सर सर्दियों में पंजाब जाते हैं। इसके अलावा कश्मीर के बहुत से छात्र पंजाब के विभिन्न शहरों में पढ़ाई कर रहे हैं। इन लोगों की जब पंजाब में लोगों से कश्मीर के हालात पर बातचीत होती है तो अक्सर पंजाब के लोग आतंकियों के खिलाफ आम लोगों की भूमिका का जिक्र करते हैं। इससे कश्मीरियों में खुद आतंकियों से लड़ने की भावना प्रबल हुई है।

एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने अपना नाम न छापने पर बताया कि खुफिया एजेंसियों का अलर्ट एकदम सही है। उन्होंने कहा कि शनिवार को बड़गाम में एक एसपीओ (स्पेशल पुलिस आफिसर) और उसका भाई आतंकी हमले में बलिदान हुआ है। अगले दिन रविवार को पूरे इलाके में लोगों में जो गुस्सा था, उसे ठंडा करने में प्रशासन को पसीने आ गए। रेल सेवा को एहतियात के तौर पर बंद करना पड़ा। कई इलाकों में निषेधाज्ञा लगानी पड़ी, क्योंकि डर था कि गुस्साए ग्रामीण उन लोगों पर हमला न कर दें जो आतंकी हिंसा के समर्थक रहे हैं या अभी भी समर्थक हैं।

गुस्साए लोगों ने आतंकियों को दे रखी है चेतावनी : वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि श्रीनगर, बड़गाम, कुलगाम और अनंतनाग में कुछ जगहों पर ग्रामीणों ने आतंकियों के खिलाफ अपने गुट बनाए हैं। इन गुटों में नौजवानों से लेकर बुजर्ग तक शामिल हैं। ये लोग उलेमाओं और मौलवियों से भी संपर्क में हैं। हमें जानकारी मिली है कि कुछ जगहों पर इन लोगों ने आतंकियों व उनके समर्थकों के लिए खुली चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अगर उनके इलाके में किसी को तंग किया या मारा तो उन्हें संगसार (पत्थरों से मारना) किया जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो कानून व्यवस्था का संकट पैदा हो सकता है।

हत्यारों को मारना गुनाह नहीं : कुलगाम के एक युवक ने अपना नाम न छापने पर कहा कि निर्दाेष लोगों की हत्या करने वाले को मारना कोई गुनाह नहीं है। यहां पाकिस्तान के इशारे पर इस्लाम और आजादी के नाम पर आए दिन निर्दाेष नागरिकों का कत्ल हो रहा है, यह तभी रुकेगा जब ऐसे लोगों को उनकी ही जुबान में जवाब दिया जाएगा।

कहा, कब तक पुलिस और सेना से मदद लेते रहेंगे : अख्तर हुसैन नामक एक बुजुर्ग ने कहा कि मैंने भी ऐसे गुटों के बारे में सुना है। मैं नहीं जानता कि कौन लोग ऐसा करने जा रहे हैं, लेकिन जो करने जा रहे हैं, वह सही कर रहे हैं। कब तक हम पुलिस और सेना से मदद लेते रहेंगे।

आतंकियों को पकड़कर मारने की योजना, पुलिस की स्थिति पर नजर : जम्मू कश्मीर पुलिस से जुड़े सूत्रों ने बताया कि हमें पिछले दो तीन माह से सूचना मिल रही है कि कुछ जगहों पर कश्मीरी नौजवानों ने अपने गुट बनाए हैं। ये लोग उनके क्षेत्र में गड़बड़ी फैलाने वाले आतंकियों को पकड़कर मारने की भी योजना बना रहे हैं। हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं। 

Monday, March 28, 2022

रूस के साथ समझौते के लिए तैयार यूक्रेन, जेलेंस्की बोले- अब नहीं चाहिए NATO की दोस्ती


राष्ट्रपति जेलेंस्की से साफ शब्दों में कहा है कि वो पुतिन की गैरवाजिब मांगों के आगे नहीं झुकने वाले है.

कीव. यूक्रेन रूस के बीच युद्ध (Russia-Ukraine War)शुरू हुए 32 दिन बीत चुके हैं. सोमवार को जंग का 33वां दिन है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की (Volodymyr Zelensky)का कहना है कि वह रूस को सुरक्षा की गारंटी देने, तटस्थ रहने और खुद को न्यूक्लियर फ्री स्टेट घोषित करने करने के लिए तैयार हैं. दोनों देशों के बीच चल रहे युद्ध के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण बिंदु है।

तुर्की के इस्तांबुल में दोनों देशों के प्रतिनिधि आज एक बार फिर से आमने-सामने बैठकर बातचीत करेंगे. लेकिन इस वार्ता से पहले राष्ट्रपति जेलेंस्की से साफ शब्दों में कहा है कि वो पुतिन की गैरवाजिब मांगों के आगे नहीं झुकने वाले है. इस वार्ता से पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि अगर रूस डिनैजिफिकेशन और असैन्यीकरण की बातें करेंगे तो हम बातचीत की मेज पर भी नहीं बैठेंगे. ये चीजें हमारी समझ के परे हैं।

रूस-यूक्रेन के बीच अब तक 28 फरवरी, 1 मार्च और 7 मार्च को शांति वार्ता हो चुकी है, लेकिन सुलह की राह नहीं निकल सकी है. सोमवार की मीटिंग से पहले तुर्की के राष्ट्रपति तैयपे अर्दोगन ने कहा है कि 6 प्वाइंट में से 4 पर दोनों देशों के बीच सहमति बन गई है, जिसमें यूक्रेन के NATO में शामिल नहीं होने की शर्त भी शामिल है.

जैविक हथियारों के दावों को किया खारिज
रूस ने यूक्रेन पर परमाणु और जैविक हथियार हासिल करने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया है. जेलेंस्की ने इसे खारिज कर दिया. उन्होंने कहा- ‘ये एक मजाक है, हमारे पास परमाणु हथियार नहीं हैं. हमारे पास जैविक प्रयोगशालाएं और रासायनिक हथियार नहीं हैं. ये चीजें यूक्रेन के पास नहीं हैं.’

जेलेंस्की के बयानों से अब ये भी लगने लगा कि रूसी हमलों से यूक्रेनी सेना के हौसले अब पस्त होने लगे हैं, हथियारों की कमी हो रही है और बिना हथियार के कोई भी सेना दुश्मन का मुकाबला नहीं कर सकती है. हाल ही में राष्ट्रपति ने कहा था कि यूक्रेन रूस की मिसाइलों का मुकाबला शॉटगन और मशीनगन से नहीं कर सकता. बिना टैंक, बख्तरबंद गाड़ियों और खासतौर पर जेट्स के बिना अब मारियूपोल को बचाना संभव नहीं है।

छह वार्ता बिंदुओं में 4 पर सहमति बनने का दावा
व्लादिमीर मेडिंस्की (Vladimir Medinsky) ने कहा कि शांति वार्ता मंगलवार (29 मार्च) से शुरू होगी और बुधवार (30 मार्च) को समाप्त होगी. तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयब एर्दोगन (Recep Tayyip Erdoğan) ने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच छह वार्ता बिंदुओं में से चार पर सहमति बन गई है. इसमें यूक्रेन का NATO में शामिल नहीं होना, यूक्रेन में रूसी भाषा का इस्तेमाल, निरस्त्रीकरण और सुरक्षा गारंटी शामिल है. हालांकि, यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा (Dmytro Kuleba) ने कहा कि रूस के साथ प्रमुख बिंदुओं पर ‘कोई सहमति नहीं’ बनी है. दोनों मुल्कों के बीच कई दौर की वार्ता में इन मुद्दों पर चर्चा हुई है।

योगी की पुलिस ने किया कुछ ऐसा कि डॉन मुख्तार अंसारी के कुनबे में मची खलबली


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 यूपी की बांदा जेल में बंद डॉन और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी के कुनबे में रविवार रात खलबली मच गई। दरअसल, खबर ये उड़ी कि मुख्तार अंसारी को यूपी पुलिस बगैर मेडिकल जांच कराए लखनऊ ले जा रही है और वहां कोर्ट में पेश करेगी। मुख्तार की तबीयत काफी दिनों से खराब है। ऐसे में उसके परिवार के लोग ट्विटर पर आए और आशंका जताने लगे कि बांदा से लखनऊ तक के सफर में मुख्तार के साथ कुछ अनहोनी हो सकती है। मुख्तार के विधायक बेटे अब्बास अंसारी के अलावा परिवार के कई लोगों ने इस आशंका को जाहिर करते हुए ट्वीट किए। इस पर लोगों ने डॉन के खानदानियों को जमकर ट्रोल किया और नसीहत दी।

दरअसल, मुख्तार पर यूपी में एक दर्जन से ज्यादा केस दर्ज हैं। कल ही बाराबंकी में भी एंबुलेंस मामले में मुख्तार समेत 12 लोगों पर केस दर्ज हुआ था। ये मामला तब का है, जब मुख्तार को पंजाब की जेल से यूपी लाया जा रहा था। वहां एक एंबुलेंस पहुंची थी। बाद में पता चला कि इस एंबुलेंस को मुख्तार का गुर्गा चला रहा था। एंबुलेंस का रजिस्ट्रेशन भी गलत दिखाया गया था। उसी मामले में बाराबंकी पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है और मुख्तार इसमें भी फंस गया है। बहरहाल, जिस मामले में मुख्तार को बांदा से लखनऊ लाने की बात है, वो शत्रु संपत्ति के मामले में फर्जी दस्तावेज पेश करने का है। इस मामले में मुख्तार की लखनऊ में पेशी लगी है। मुख्तार के बेटे अब्बास का कहना था कि बिना नंबर प्लेट की गाड़ी से बांदा के एसपी और डीएम जेल पहुंचे और जेल प्रशासन कोई जवाब भी नहीं दे रहा है।

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मुख्तार के विधायक बेटे के इस ट्वीट पर कई लोगों ने अपनी राय जताई। उन्होंने डॉन के बेटे को नसीहत भी दी। दरअसल, यूपी की योगी सरकार के दौरान कई बड़े गुंडों को पुलिस ने एनकाउंटर में निपटाया है। इन्हीं में विकास दुबे भी था। पुलिस उसे लखनऊ ला रही थी और भागने की कोशिश के दौरान विकास दुबे पुलिस की गोली से ढेर हो गया था। ऐसे में डॉन मुख्तार के बेटे को भी पिता के साथ ऐसा ही कुछ होने की आशंका हो गई थी।

देश के 10 राज्यों में अल्पसंख्यक घोषित होने जा रहे हिंदू? केंद्र ने SC में बताया अपना स्टैंड


  • 10 राज्यों में हिंदू हुए अल्पसंख्यक
  • 'अल्पसंख्यक मंत्रालय ने दिया अपना जवाब'
  • 'राज्य सरकार अपनी सीमा में कर सकती हैं फैसला'
देश के 10 राज्यों में अल्पसंख्यक घोषित होने जा रहे हिंदू? केंद्र ने SC में बताया अपना स्टैंड

नई दिल्ली: देश के विभिन्न राज्यों में हिंदुओं (Hindu) को अल्पसंख्यक घोषित करने पर चल रही बहस के बीच केंद्र सरकार ने अपना स्टैंड क्लियर किया है. केंद्र सरकार का कहना है कि राज्य सरकारें अगर चाहें तो अपनी सीमा में हिंदू समेत किसी भी समुदाय को आंकड़ों के आधार पर अल्पसंख्यक घोषित कर सकती हैं.

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में यह दलील एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) की ओर से दाखिल याचिका के जवाब में दी. अश्विनी कुमार उपाध्याय ने अपनी याचिका में अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के लिए राष्ट्रीय आयोग अधिनियम-2004 की धारा-2 (एफ) की वैधता को चुनौती दी है.

10 राज्यों में हिंदू हुए अल्पसंख्यक

उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) ने अपनी अर्जी में कहा कि यह धारा केंद्र को अकूत शक्ति देती है, जो साफ तौर पर मनमाना, अतार्किक और आहत करने वाला है. उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों में अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए गाइडलाइन तय करने का निर्देश देने की मांग की है. उन्होंने कहा कि देश के कम से कम 10 राज्यों में हिन्दू भी अल्पसंख्यक हैं, लेकिन उन्हें अल्पसंख्यकों की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है.

'अल्पसंख्यक मंत्रालय ने दिया अपना जवाब'

अश्विनी उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) की याचिका पर जवाब देते हुए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने कहा कि हिंदू, यहूदी, बहाई धर्म के अनुयायी उक्त राज्यों में अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना कर सकते हैं और उन्हें चला सकते हैं. मंत्रालय ने कहा कि राज्य के भीतर अल्पसंख्यक के रूप में उनकी पहचान से संबंधित मामलों पर राज्य स्तर पर विचार किया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट में सौंपे अपने जवाब में मंत्रालय ने कहा, ‘यह (कानून) कहता है कि राज्य सरकार भी राज्य की सीमा में धार्मिक और भाषायी समुदायों को अल्पसंख्यक समुदाय घोषित कर सकती हैं.’

'राज्य सरकार अपनी सीमा में कर सकती हैं फैसला'

मंत्रालय ने कहा, ‘उदाहरण के लिए महाराष्ट्र सरकार ने राज्य की सीमा में ‘यहूदियों’ को अल्पसंख्यक घोषित किया है जबकि कर्नाटक सरकार ने उर्दू, तेलुगु, तमिल, मलयालम, मराठी, तुलु, लमणी, हिंदी, कोंकणी और गुजराती भाषाओं को अपनी सीमा में अल्पसंख्यक भाषा अधिसूचित किया है.’

केंद्र ने कहा, ‘इसलिए राज्य भी अल्पसंख्यक समुदाय अधिसूचित कर सकती हैं. याचिकाकर्ता का आरोप है कि यहूदी, बहाई और हिंदू (Hindu) धर्म के अनुयायी जो लद्दाख, मिजोरम, लद्वाद्वीप, कश्मीर, नगालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब और मणिपुर में वास्तविक अल्पसंख्यक हैं, वे अपनी पसंद से शैक्षणिक संस्थान की स्थापना और संचालन नहीं कर सकते. यह पूरी तरह गलत है और हिंदुओं के साथ अन्याय है.’

'संसद की शक्तियों पर अंकुश उचित नहीं'

मंत्रालय ने कहा, ‘यदि यह विचार स्वीकार किया जाता है कि अल्पसंख्यकों के मामलों पर कानून बनाने का अधिकार केवल राज्यों को है तो ऐसी स्थिति में संसद इस विषय पर कानून बनाने की उसकी शक्ति से वंचित कर दी जाएगी, जो संविधान के विरोधाभासी होगा।

बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इससे पहले केंद्र सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी धर्म के लोगों को अल्पसंख्यक घोषित किया था. यह घोषणा राष्ट्रीय स्तर पर की गई थी. इसके खिलाफ विभिन्न हाई कोर्ट में याचिका पैंडिंग है. सुप्रीम कोर्ट ने इन सब अर्जियों को अपने यहां ट्रांसफर करने की मंजूरी दे दी. जिस पर अब कोर्ट में सुनवाई चल रही है।

POK: पाक के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर भारतीय एयरस्ट्राइक की चर्चा, इंटरनेट बंद; बिजली भी काटी गई


pok air strike

मुजफ्फराबाद। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर POK की नीलम और झेलम घाटी इलाके में बीती रात से भारतीय वायुसेना की एयरस्ट्राइक की खबर चर्चा में है। यहां कई इलाकों में बिजली देर रात काट दी गई थी। साथ ही इंटरनेट भी बंद करने की खबरें हैं। हालांकि, पाकिस्तानी सेना की तरफ से इस बारे में चुप्पी साध ली गई है। बता दें कि बीते दिनों एक भारतीय मिसाइल भी गलती से पाकिस्तान के मियां चन्नू इलाके में गिरी थी। तब पाकिस्तान ने इस पर रोष जताया था। ताजा खबरों के मुताबिक बीती रात करीब 1 बजे मुजफ्फराबाद के आसपास के इलाकों में लड़ाकू विमानों की आवाजें सुनाई दीं। इसके अलावा विमानों के साउंड बैरियर क्रॉस करने से होने वाले सोनिक बूम से घरों की खिड़कियों पर लगे शीशे भी चटक गए।

Galwan airforce

पूरे मामले की जानकारी तमाम ट्विटर हैंडल्स पर साझा की गई हैं। इन हैंडल्स में पाकिस्तानी भी हैं। रात का एक वीडियो भी सामने आया है। इस वीडियो में एंटी एयरक्राफ्ट गन से दागे गए गोले भी उड़ते दिख रहे हैं। अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है कि वीडियो मुजफ्फराबाद में बीती रात हुई कथित भारतीय एयरस्ट्राइक से जुड़ा है। बता दें कि भारत पहले भी पाकिस्तान पर सर्जिकल और एयरस्ट्राइक कर चुका है। उरी में आतंकी हमले के बाद भारत के जवानों ने पीओके में घुसकर आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। वहीं, साल 2019 में पुलवामा में आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों की शहादत के बाद वायुसेना ने एयरस्ट्राइक कर पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया था। दोनों मामलों में सैकड़ों आतंकवादी मारे गए थे।


Sunday, March 27, 2022

हिमाचल प्रदेश में आम आदमी पार्टी की सक्रियता, रणनीति बदलने को मजबूर भाजपा-कांग्रेस


हिमाचल प्रदेश में आम आदमी पार्टी की सक्रियता ने भाजपा और कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है। दोनों दल पहले आपस में मुकाबला मान रहे थे लेकिन आप की दस्‍तक ने दोनों दलों को रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया है।

हिमाचल प्रदेश में आम आदमी पार्टी की सक्रियता, रणनीति बदलने को मजबूर भाजपा-कांग्रेस, पढ़ें खबर

हिमाचल प्रदेश में आम आदमी पार्टी की दस्‍तक के बाद उथल पुथल मच गई है। शिमला शहर में आम आदमी पार्टी (आप) की दस्तक के बाद अब नगर निगम चुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों को अपनी रणनीति बदलनी पड़ेगी। भाजपा जहां लंबे समय से शहर में लोगों को बिजली व पानी से लेकर अन्य सुविधाओं में राहत देने का प्रयास कर रही है, वहीं कांग्रेस को भी ये सोचने के लिए मजबूर किया है कि उन्हें भी आम लोगों से जुड़ी घोषणाएं करनी पड़ सकती हैं। इसके लिए कांग्रेस की शिमला से लेकर दिल्ली तक चर्चा हुई है।

हाल ही में चंडीगढ़ में हुए नगर निगम चुनाव का हवाला भी दोनों ही दलों की राजनीतिक बैठकों में दिया जा रहा है। इस दौरान चंडीगढ़ में भी भाजपा व कांग्रेस के बीच में जंग मानी जा रही थी, लेकिन परिणाम ने सभी को चौंका दिया था। यहां पर कांग्रेस को जहां जीत की उम्मीद थी, वहीं उन्हें नुकसान उठाना पड़ा। इसी तरह से आम आदमी ने परिणाम में सभी को हैरान कर दिया। चंडीगढ़ की तरह शिमला में भी आम आदमी पार्टी ने अपने कुनबे को बढ़ाने के लिए काम शुरू कर दिया है। इससे दोनों ही राजनीतिक दलों ने अपनी गतिविधियां भी तेज कर दी हैं।

भाजपा फैसले लेकर दे रही है राहत

भाजपा शहर में बिजली के मीटर बिना कनेक्शन के देकर या बिजली सस्ती देकर राहत देने के प्रयास में लगी है। इसी तरह से शहर में लोगों को राहत देने के लिए आगे क्या काम किया जा सकता है, इस पर भी रणनीति बन रही है। अब आने वाले दिनों में शहर के लोगों को पानी के मसले पर भाजपा से उम्मीद है।

कांग्रेस चुनावी घोषणापत्र की तैयारी में

कांग्रेस भी लगातार अपने घोषणापत्र में कैसे बेहतर सुविधाएं शहर के लोगों को दे सकती है, इस पर काम कर रही है। इसके लिए दूसरे राज्यों के बड़े शहरों के नगर निगम के घोषणापत्रों को खंगाला जा रहा है। इनमें से अहम बिंदुओं को लेकर पूरे शहर के लिए एक आकर्षक घोषणा पत्र तैयार किया जा सकता है।

योगी सरकार 2.0 के मंत्रियों की बैचेनी बढ़ी, आज होगा विभागों का बंटवारा!


योगी सरकार 2.0 के मंत्रियों की बैचेनी बढ़ी, आज होगा विभागों का बंटवारा!

लखनऊ: योगी सरकार 2.0 के मंत्रियों में बेचैनी बढ़ गई है. नई सरकार के गठन के बाद अब सबकी नजरें विभागों पर टिकी हैं. आज (रविवार को) विभागों का बंटवारा हो सकता है. आज साफ हो जाएगा कि दोबारा मंत्रिमंडल में शामिल हुए मंत्रियों के विभाग बदलेंगे या नए चेहरों को मौका दिया जाएगा.

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की दूसरी सरकार के मंत्रिमंडल में 31 नए चेहरों को शामिल किया गया है, जबकि पिछली सरकार की टीम में से 21 को दोबारा जगह दी गई है. साल 2024 के आम चुनाव के मद्देनजर नए मंत्रिमंडल में अनुभवी और युवा नेताओं के बीच संतुलन साधा गया है. सीएम योगी की दूसरी सरकार में राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश पर अपनी पकड़ को और मजबूत करने के लिए जातिगत समीकरण और क्षेत्रों के बीच एक अच्छा संतुलन है.

यूपी में लोक सभा की 80 सीट हैं. योगी सरकार के 52 सदस्यीय मंत्रिपरिषद में से 36 मंत्रियों की उम्र 40-60 के बीच है, जबकि दो की उम्र 40 से कम है और 12 की उम्र 60 साल से अधिक है. राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अरुण कुमार सक्सेना, बरेली से तीसरी बार विधायक हैं, 73 साल के सबसे बड़े हैं, जबकि उसी रैंक के उनके सहयोगी संदीप सिंह, अनुभवी बीजेपी नेता कल्याण सिंह के पोते 31 साल के सबसे छोटे हैं.

उत्तर प्रदेश के नए मंत्रिमंडल में कई मंत्री ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट हैं, जबकि कुछ ऐसे हैं जिन्होंने केवल क्लास 8 तक पढ़ाई की है. नई टीम में चुनावी रूप से प्रभावशाली अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के 19 मंत्री, ठाकुर और ब्राह्मण सात-सात, दलित 8, वैश्य 4 के अलावा एक मुस्लिम और एक सिख भी हैं. शुक्रवार को शपथ लेने वाले मंत्रियों की सूची से पता चलता है कि भौगोलिक प्रतिनिधित्व के लिए, इस बार पश्चिमी यूपी से 23 मंत्री हैं, जो पिछले मंत्रिमंडल से 12 अधिक हैं. इस बार पूर्वी यूपी से 14 मंत्री हैं जो पिछली सरकार से तीन कम है. राज्य के मध्य हिस्से से 12 मंत्री बनाए गए हैं जो कि पिछली बार से एक कम है.

उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा इस बार मंत्रिमंडल में जगह न पाने वाले सरकार के नौ कैबिनेट मंत्रियों में शामिल हैं. अन्य जिन्हें नए मंत्रालय में जगह नहीं मिली, वे हैं- सतीश महाना, रमापति शास्त्री, जय प्रताप शाही, सिद्धार्थ नाथ सिंह और श्रीकांत शर्मा. कैबिनेट मंत्री के रूप में बेबी रानी मौर्य, जयवीर सिंह, आईएएस से नेता बने एके शर्मा, राकेश सचान के अलावा सहयोगी दलों के दो- अपना दल (सोनेलाल) के आशीष पटेल और निषाद पार्टी के संजय निषाद शामिल किए गए हैं.

राज्य मंत्रियों (स्वतंत्र प्रभार) में नए चेहरों में असीम अरुण शामिल हैं, जिन्होंने राजनीति में शामिल होने के लिए आईपीएस अधिकारी का पद छोड़ दिया था. इसके अलावा अपनी पत्नी स्वाति सिंह के साथ विवाद के कारण सुर्खियों में रहे दया शंकर सिंह भी शामिल हैं.


Saturday, March 26, 2022

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बेटे का हुआ भीषण एक्सीडेंट


उत्तर प्रदेश से एक बड़ी खबर सामने आई है। यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बेटे का एक बड़ा रोड एक्सीडेंट हुआ है। खबरों के अनुसार एक्सीडेंट जालौन में हुआ है। बताया जा रहा है कि तेज रफ्तार ये जा रही फॉर्च्युनर कार एक ट्रैक्टर से टकरा गई। एक्सीडेंट इतना जोरदार हुआ है कि दोनों गाड़ियों के परखच्चे उड़ गए। हादसे के दौरान फॉर्च्युनर में डिप्टी सीएम केशव मौर्य के बेटे योगेश मौर्य भी मौजूद थे।

बाल-बाल बचे योगेश मौर्य
हादसे में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बेटे योगेश कुमार मौर्य बाल-बाल बच गए हैं। घटना की जानकारी लगते ही पुलिस आलमपुर बाईपास घटना स्थल पर पहुंची। बता दें कि बीते शुक्रवार को केशव प्रसाद मौर्य ने दूसरी बार डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी। केशव प्रसाद मौर्य ने सिराथू सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन वह चुनाव हार गए थे। उन्हें सपा प्रत्याशी पल्लवी पटेल ने चुनाव हराया था।

Friday, March 25, 2022

बीरभूम हिंसा मामले में आज हाईकोर्ट जारी करेगा आदेश, मानवाधिकार आयोग ने भी मांगा जवाब


Birbhum Violence: बीरभूम हिंसा मामले में आज हाईकोर्ट जारी करेगा आदेश, मानवाधिकार आयोग ने भी मांगा जवाब

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में 8 लोगों को जिंदा जलाए के मामले पर ममता सरकार की जमकर किरकिरी हो रही है. कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) शुक्रवार को रामपुरहाट (Rampurhat, Birbhum incident), बीरभूम की घटना पर आदेश सुनाएगा. कोर्ट में इस मामले की जांच केंद्रीय एजेंसियों से कराने को लेकर जनहित याचिका दायर की गई है. बता दें कि वर्तमान में इस मामले की जांच SIT द्वारा कराई जा रही है. बता दें कि रामपुरहाट में टीएमसी नेता भादू खान की हत्या के बाद इलाके में हिंसा भड़क उठी और इस घटना में 2 बच्चों समेत 8 लोगों की जान चली गई. फॉरेंसिक रिपोर्ट में बताया गया कि लोगों की मौत जिंदा जलाए जाने व बुरी तरह पीटने के कारण हुई है।

23 लोगों की हो चुकी है गिरफ्तारी
इस मामले पर विपक्षी पार्टियां व देश की तमाम हस्तियों द्वारा ममता सरकार की आलोचना की जा रही है. इस बाबत अबतक कुल 23 लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है. राज्य सरकार ने कथित रूप से लापरवाही बरतने के आरोप में कई प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है. वहीं गुरुवार के दिन रामपुरहाट के थाना प्रभारी त्रिदिप प्रमाणिक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. वहीं एसडीपीओ श्रीशायन अहमद का भी ट्रांसफर कर उन्हें विभाग से अटैच कर दिया गया है।

मानवाधिकार आयोग ने जारी किया नोटिस
इस घटना पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पश्चिम बंगाल की ममता सरकार, राज्य पुलिस प्रमुख को बीरभूम जिले में हुई हिंसा और 8 लोगों की मौत के मद्देनजर नोटिस जारी किया है. आयोग ने लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए पुलिस द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से जानकारी साझा करने वाली रिपोर्ट को 4 सप्ताह के भीतर ही पेश करने का निर्देश दिया है।

इस बाबत बात करते हुए ममता बनर्जी ने कहा है कि प्रशासन की तरफ से बड़ी लापरवाही हुई है. पार्टी के नेता की हत्या के बाद प्रशासन को अलर्ट रहना चाहिए था. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इसके पीछे जो लोग भी हैं उन्हें सख्त सजा दी जाएगी. वहीं ममता बनर्जी ने मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये व जिनके घर जले हैं उन्हें 1 लाख रुपये और घर चलाने के लिए 10 लोगों को नौकरी देने की घोषणा की है।

हिजाब विवाद खड़ा करने वाली छात्राओं को SC का जोरदार झटका, परीक्षा से जुड़ा मसला मानने से इनकार किया


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नई दिल्ली। हिजाब विवाद खड़ा करने वालों को सुप्रीम कोर्ट ने जोर का झटका दिया है। कोर्ट ने आज इस मामले की जल्द सुनवाई करने की अर्जी को खारिज कर दिया। कोर्ट में अर्जी दाखिल करने वाली छात्राओं के वकील देवदत्त कामत ने कहा था कि हाईकोर्ट के फैसले की वजह से छात्राओं को परीक्षा देने में दिक्कत आ रही ही। इस पर चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि इस मामले का परीक्षा से लेना-देना नहीं है और जल्द सुनवाई नहीं की जाएगी। इससे पहले कर्नाटक हाईकोर्ट के हिजाब मामले में छात्राओं की याचिका खारिज किए जाने के बाद मुस्लिम छात्राओं ने परीक्षा में शामिल होने से इनकार कर दिया था।

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कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद राज्य के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने साफ कर दिया था कि जो छात्राएं इम्तिहान में शामिल नहीं होंगी, उनके लिए दोबारा ये आयोजित नहीं कराई जाएंगी। नागेश ने कहा था कि अदालत ने जो भी कहा है, हम उसका पालन करेंगे। परीक्षा में गैरहाजिर रहना अहम फैक्टर होगा, कारण नहीं। चाहे वो हिजाब विवाद, तबीयत खराब, उपस्थित रहने में असमर्थता हो या परीक्षा की तैयारी नहीं होने की वजह से हो। नागेश ने कहा था कि अंतिम परीक्षा में गैरहाजिर रहने पर दोबारा परीक्षा नहीं कराई जाएगी।

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इससे पहले कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि हिजाब इस्लाम का जरूरी धार्मिक हिस्सा नहीं है। कोर्ट ने इसके साथ ही क्लास में हिजाब पहनने की मंजूरी देने की मुस्लिम छात्राओं की अर्जी खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि स्कूल की यूनिफॉर्म का नियम एक तर्कसंगत पाबंदी है और संवैधानिक है। इसे चुनौती नहीं दी जा सकती।

‘मस्जिद के पास भीड़ मत लगाओ’: मथुरा में मुस्लिमों ने हिन्दू महिलाओं को शीतला माता की पूजा से रोका, सालों से होती रही है ‘बसौड़ा पूजा’

पुलिस ने मुस्लिमों को इस पूजा के बारे में बताया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। मुस्लिम मानने को तैयार ही नहीं थे। हालात बिगड़ते देख पुलिस ने प्रांतीय सशस्त्र बल को इसकी जानकारी दी।
मथुरा में मुस्लिमों ने हिंदू महिलाओं को बसौड़ा पूजा करने से रोका

भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में बुधवार (23 मार्च, 2022) को मुस्लिमों ने हिंदू महिलाओं को ‘बासौड़ा पूजा’ करने से रोक दिया। करीब 20-25 हिंदू महिलाएँ रीति-रिवाज के साथ शीतला माता की पूजा करने के लिए ईदगाह मस्जिद के पास कुएँ के के पास आई थीं, लेकिन हिंदू महिलाओं को वहाँ देख मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मस्जिद के पास भीड़ लगाने के आरोप लगाकर बवाल खड़ा कर दिया। इसके बाद हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच झड़पें भी हुईं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, बुधवार को सुबह के करीब पाँच बजे थे और हिंदू महिलाएँ ईदगाह मस्जिद के ही पास स्थित कुएँ पर बसौड़ा पूजा करने के लिए गईं। लेकिन जैसे ही वहाँ पर महिलाएँ पहुँचीं तो कट्टरपंथी मुस्लिमों ने उन्हें वहाँ पर पूजा करने देने से मना कर दिया। विवाद बढ़ने पर मौके पर गोविंदनगर पुलिस पहुँची और मामले को शांत कराने की कोशिश की।

पुलिस ने मुस्लिमों को इस पूजा के बारे में बताया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। मुस्लिम मानने को तैयार ही नहीं थे। हालात बिगड़ते देख पुलिस ने प्रांतीय सशस्त्र बल को इसकी जानकारी दी। भारी संख्या में फोर्स की तैनाती के बीच महिलाओं ने शीतला माता की पूजा-अर्चना की। महिलाएँ बीते कई सालों से इसी कुएँ में बसौड़ा पूजा करती थी और दूसरे अनुष्ठान भी यहाँ किए जाते रहे हैं।

जबकि मुस्लिमों का कहना है कि इससे पहले वहाँ पर ऐसी कोई भी पूजा नहीं होती थी। सीओ अभिषेक मिश्रा अभिषेक तिवारी के मुताबिक, ये पूजा यहाँ की स्थानीय परंपरा है और इसे होने देना चाहिए। ‘अमर उजाला’ के मुताबिक, स्थानीय लोग इलाके में अपने बच्चों के लिए ‘मुंडन’ भी करते हैं।

बसौड़ा पूजा में शीतला माता को कराते हैं बासी भोजन

बसौड़ा पूजन हिंदू परंपरा का हिस्सा है, जिसे ‘मौसम के बदलाव’ के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है। हिंदू समुदाय बड़ी संख्या में शीतला माता की पूजा करके अपने बच्चों की सलामती के लिए प्रार्थनाएँ करते हैं। शीतला माता को चिकनपॉक्स और त्वचा रोगों से राहत देने वाली देवी माना जाता है। इसमें महिलाएँ पूजा से एक दिन पहले देवी के लिए स्वादिष्ट भोजन का प्रसाद बनाती हैं और इसे बासी बनाने के लिए अलग रख देती हैं।

ये पूजा देश के कई हिस्सों में होती है। बसौड़ा पूजा के दिन भक्तों को गर्मी और गर्म पदार्थों से दूर रहना चाहिए। इसमें बासी ठंडे भोजन, ठंडे पेय जैसे दही दूध, या ‘राब’ (दही, बाजरा के आटे और जीरा का उपयोग करके बनाया गया पारंपरिक पेय) का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा घरेलू काम में ठंडे पानी का इस्तेमाल करना चाहिए। 24 घंटे के बाद फिर से गर्म चीजों का सेवन किया जा सकता है।

बसौदा पूजन को ‘शीतला सप्तमी’ या ‘शीतला अष्टमी’ भी कहा जाता है और यह हर साल हिंदू कैलेंडर के चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के आसपास मनाया जाता है।


Thursday, March 24, 2022

एक करोड़ टन से अधिक गेहूं निर्यात करने की तैयारी में भारत, किसानों को होगा अत्यधिक लाभ: प्रताप मिश्रा

कुछ समय से अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं और अन्य खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ रही हैं. यूरोप में भू-राजनीतिक संकट गहराने के बाद दाम तेजी से बढ़े हैं. साथ ही, आयातक देश विकल्पों की तलाश में हैं क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध की समाप्ति के बाद भी बाजार में लंबे समय तक अनिश्चितता रह सकती है. रूस पर लगाये गये प्रतिबंधों के कारण उसकी आपूर्ति बाधित रहेगी.

भारत के पास घरेलू उपभोग के बाद बड़ी मात्रा में गेहूं का अधिशेष है. इसके निर्यात में बढ़ोतरी से अधिक दामों का लाभ होने के साथ व्यापार संतुलन की खाई को पाटने में भी मदद मिलेगी. कोरोना महामारी के दौरान जब वैश्विक आपूर्ति शृंखला में अवरोध आया था, तब भारत से गेहूं समेत विभिन्न कृषि उत्पादों के निर्यात में वृद्धि हुई थी. यह सिलसिला अब भी जारी है.

सरकार की ओर से आगामी सप्ताहों में इस संबंध में अनेक उपाय किये जा रहे हैं. सरकार द्वारा स्वीकृत 213 प्रयोगशालाओं में गेहूं की गुणवत्ता का परीक्षण किया जायेगा ताकि अच्छे दाम भी मिलें और आयातक देशों में भारतीय गेहूं के प्रति भरोसा भी बढ़े. इसकी निगरानी का जिम्मा भारतीय मानक ब्यूरो को दिया गया है. उत्पादकों और वितरकों से बंदरगाहों तक गेहूं की त्वरित ढुलाई सुनिश्चित करना भी सरकार के ध्यान में है.

इसके लिए अतिरिक्त रेल डिब्बों को उपलब्ध कराया जायेगा. बंदरगाहों को भी निर्देश जारी कर दिया गया है कि वे गेहूं निर्यात को प्राथमिकता दें. बंदरगाहों के आसपास गोदामों की संख्या भी बढ़ायी जा रही है. अब तक मुख्य रूप से पश्चिमी भारत के दो बंदरगाहों से गेहूं बाहर भेजा जाता था, पर अब अन्य बंदरगाहों, विशेष रूप से पूर्वी हिस्से में स्थित बंदरगाहों, का भी इस्तेमाल होगा.

इन उपायों की आवश्यकता इसलिए भी है कि धीमी ढुलाई और कमतर गुणवत्ता के कारण निर्यात बढ़ाने की पहले की कोशिशों के अपेक्षित परिणाम नहीं मिले थे. पर कुछ समय से स्थिति में सुधार है और विभिन्न देश भारत से खरीद भी करना चाहते हैं.

पिछले साल भारत ने 61.2 लाख टन गेहूं का निर्यात किया था, जबकि उसके पहले के साल में यह आंकड़ा केवल 11.2 लाख टन रहा था. इस महीने से गेहूं की ताजा उपज बाजार में आ जायेगी. माना जा रहा है कि सरकारी प्रयासों की वजह से निर्यात को एक करोड़ टन तक पहुंचाया जा सकता है. निर्यात बढ़ने से किसानों की आमदनी बढ़ेगी।

सरहद पर तैनात है इस शहीद की आत्मा, मौत के बावजूद जारी है पगार और प्रमोशन

सिक्किम से सटी भारत-चीन सीमा पर एक ऐसे शहीद वीर जवान की दास्तान जिसने अपने जीवन में पूरी निष्ठा और कर्तव्य के साथ देश की सुरक्षा की लेकिन मौत के बाद, आज भी उसकी आत्मा सरहद की सुरक्षा बड़े ही मुस्तैदी से कर रही है।हैरत करने वाली बात तो यह है कि इसके लिए उसे सैलरी भी मिलती है और उसका प्रमोशन भी होता है और तो और इस शहीद सैनिक की याद में एक मंदिर भी बनाया गया है जो कि लाखों लोगों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है।

इसकी पुष्टि बात की भारतीय सेना के कई जवान और चीन के सेना ने की है।

भारतीय पुलिस या फिर सेना जैसे सतर्क और बेहद संजीदा विभागों में अंधविश्वास नाम की कोई जगह नहीं होती, लेकिन यह वाकई हैरत में डालने वाली कहानी है। भारतीय सेना के फौजी बाबा हरभजन सिंह की कहानी। जिसमें भारतीय सेना का विश्वास भी टिका हुआ है, और यह कहानी वास्तविक होकर भी अविश्वनीय है।

इस रहस्यमयी फौजी बाबा हरभजन सिंह का जन्म 30 अगस्त 1946 में पंजाब के सदराना गांव में हुआ था जो कि अब पाकिस्तान में है। हरभजन सिंह 24 पंजाब रेजीमेंच में जवान थे। 1968 में ड्यूटी पर रहते हुए एक हादसे में वो शहीद हो गए। हादसे के बाद कई दिनों तक उनका शव भी नहीं ढूँढा जा सका। कहा जाता है कि एक दिन हरभजन सिंह एक जवान के सपने में आए और अपनी लाश की जगह बताई। अगले दिन सर्च ऑपरेशन शुरू हुआ और ठीक उसी जगह बॉडी मिल गई। उनके अंतिम संस्कार के बाद उसी स्थान हरभजन का बंकर बना दिया गया और वहाँ पूजा पाठ होने लगी।

हम आपको बता दें कि बाबा हरभजन सिंह की आत्मा फिर से उसी सैनिक के सपने में आई और उन्होनें सपने में आकर यह बोला कि आज भी वह अपने कार्य में कार्यरत हैं और आज भी वे अपनी ड्यूटी पूरी निष्ठा और ईमानदारी से निभा रहे हैं। इसके साथ ही बाबा हरभजन सिंह ने उनकी समाधि बनाए जाने की भी इच्छा प्रकट की।

बाबा हरभजन सिंह की इच्छा का मान रखते हुए एक समाधि बनवाई गई। भारतीय सेना ने साल 1982 में उनकी समाधि को सिक्किम की राजधानी गंगटोक में जेलेप्ला दर्रे और नाथुला दर्रे के बीच में बनवाया।लगभग 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित बाबा हरभजन सिंह के मंदिर से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। दूर-दूर से लोग इस मंदिर में अपना मत्था टेकने आते हैं। इस मंदिर में बाबा हरभजन सिंह की एक फोटो और उनके जूते और बाकी सामान रखा हुआ है।

सरहद पर बाबा हरभजन सिंह की मौजदगी पर अपने देश के सैनिकों को तो भरोसा है ही, इसके साथ ही चीन के सैनिक भी इस बात को मानते हैं और खौफ खाते हैं कि बाबा बॉर्डर की रखवाली पर मुस्तैद हैं।कहा जाता हैं कि मौत के बाद बाबा हरभजन सिंह नाथुला के आस-पास चीन सेना की गतिविधियों की जानकारी अपने साथियों को सपने में देते रहते हैं, जो कि हमेशा की तरह सही साबित होती है।

Wednesday, March 23, 2022

चीन का कर्ज जाल और सोने की लंका कंगाल

चीन का कर्ज जाल और सोने की लंका कंगाल, एक भूल ने दिवालिया होने की कगार पर ला खड़ा कर दिया

चीन ऐसा देश है जो किसी पर अपना हाथ रख दे तो उसे कंगाल बना देता है। क्योंकि चीन का कर्ज और उस देश की कंगाली दिन-दूनी रात चौगुनी बढ़ती है। यकीन ना हो तो पाकिस्तान की हालत देख लीजिए। लेकिन एक और देश अब इस कड़ी में जुड़ गया है।

अक्सर ये कहा जाता है कि अगर हमारे पड़ोसी अच्छे हैं तो हमारी रोजमर्रा की कई छोटी-बड़ी बातों की फिक्र यूं ही खत्म हो जाती है। यही फॉर्मूला देशों पर भी लागू होता है। अगर हमारे पड़ोसी देश में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है और उथल पुथल मची है तो हमें इससे क्या कहकर हम पीछा नहीं छुड़ा सकते। ये तो वही बात हो गई कि अगर आपके पड़ोसी के घर में आग लगी हो और आप अपना दरवाजा बंद कर लें, तो आप सुरक्षित नहीं रहेंगे। इसका असर हम पर भी पड़ना लाजिमी है। और ये पड़ने भी लगा है। भारत में शरणार्थी संकट का अंदेशा जताया जाने भी लगा है। आखिर कौन है वो पड़ोसी देश भारत को हर वक्त सताने वाला पाकिस्तान, जवाब है नहीं, छोटा सा देश नेपाल जो हालिया दिनों में चीन की गोद में जा बैठा है। ये भी गलत उत्तर है। अब केबीसी जैसा क्विज कांटेस्ट के सवालों को परे रखकर आपको बता देते हैं कि ये भारत के पास होकर भी बहुत दूर श्रीलंका देश है। श्रीलंका भारत के पास होकर भी बहुत दूर है। तमिलनाडु से जाफरा मोटरबोट से चंद घंटों में पहुंचा जा सकता है। लेकिन श्रीलंका भारत की बजाय चीन की गोद में जा बैठा और इसका अब उसे खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। चीन के चक्कर में श्रीलंका दिवालिया घोषित हो सकता है। 

ऐसा कोई सगा नहीं जिसे चीन ने ठगा नहीं

चीन की पुरानी नीति है कि जिससे भी वो व्यापारिक दृष्टिकोण के लिहाज से नजदीकियां बढ़ाता है उसे चूना जरूर लगा देता है। चाहे वो पाकिस्तान को बिना गारंटी वाले घटिया किस्म के ड्रोन देने की बात हो या फिर बांग्लादेश द्वारा चीन से खरीदे गए युद्धपोतों और विमान में आई खराबी। ऐसा कोई सगा नहीं है जिसे ड्रैगन ने ठगा नहीं है। जिसकी सबसे बड़ी मिसाल बनकर इन दिनों श्रीलंका की बदहाली और कंगाली की दांस्ता सामने आई है। जिसके पीछे भी चीन का ही बहुत बड़ा हाथ है। चीन ने श्रीलंका में काफी निवेश किया। यही निवेश श्रीलंका के लिए गले की फांस बन गया। एक खुशहाल देश सालभर के अंदर ही बदहाली के कगार पर इस कदर पहुंच गया कि उसके लोग देश छोड़कर भारत के कई हिस्सों में पलायन तक करने लग गए। सालभर पहले श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार 5 अरब डॉलर से ज्यादा हुआ करता था और यह वह 1 अरब डॉलर तक आ चुका है। डॉलर का भाव 200 श्रीलंकाई रुपए से भी ज्यादा हो गया है। 

श्रीलंका के लिए भस्मासुर बना चीन

चीन ऐसा देश है जो किसी पर अपना हाथ रख दे तो उसे कंगाल बना देता है। क्योंकि चीन का कर्ज और उस देश की कंगाली दिन-दूनी रात चौगुनी बढ़ती है। यकीन ना हो तो पाकिस्तान की हालत देख लीजिए। लेकिन एक और देश अब इस कड़ी में जुड़ गया है। भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका कंगाली की राह में चल पड़ा रहा है। श्रीलंका में खाद्य से लेक मानव कल्याण पर संकट खड़ा हो गया है। श्रीलंका आज कंगाली की कगार पर खड़ा है और आर्थिक व मानवीय संकट गहरा गया है। खाने-पीने की कीमत आसमान छू रही है और रिकॉर्ड स्तर पर महंगाई है। विश्व बैंक का अनुमान है कि श्रीलंका में महामारी की शुरुआत के बाद से पांच लाख लोग गरीबी रेखा से नीचे आ गए हैं। श्रीलंका पर चीन का 5 बिलियन डॉलर का कर्ज है। इसके अलावा चीन से श्रीलंका ने 1 बिलियन डॉलर का क़र्ज़ और लिया है, जिसको वो किश्तों में चुकाने की कोशिश कर रहा है। जानकारों के मुताबिक़ अगले 12 महीने में श्रीलंका को विदेशी सरकारों और राष्ट्रीय बैंकों के 7.3 बिलियन डॉलर का क़र्ज़ चुकाना होगा। इसके साथ साथ 500 मिलियन डॉलर के सोवरेन बांड्स भी श्रीलंका पर बकाया हैं। लेकिन श्रीलंका के पास इस वक्त अपने बैंक में महज 1.6 बिलियन डॉलर हैं। 

शाहरुख खान की लाडली सुहाना खान मिस्ट्री बॉय के साथ हुई स्पॉट

शाहरुख खान और गौरी खान की लाडली बेटी सुहाना खान अपनी ग्लैमरस अदाओं से लाइमलाइट में बनी रहती हैं. स्टारकिड की सोशल मीडिया पर जबरदस्त फैन फॉलोइंग है. उनकी हर फोटो पर फैंस जमकर प्यार लुटाते हैं. फैंस उनकी पर्सनल लाइफ की अपडेट्स जानने के लिए बेताब रहते है. यही वजह है कि उनकी सभी तसवीरें इंटरनेट पर आते ही वायरल हो जाती है.

सुहाना खान

अब हाल ही में सुहाना खान को उनके घर मन्नत के बाहर मिस्ट्री फ्रेंड के साथ स्पॉट किया गया. घर के बाहर पैपराजी को देख शाहरुख खान की लाडली अपना चेहरा छुपाती नजर आई. सुहाना खान ने चेकर्ड शर्ट पहनी थी और बालों को बांधा हुआ था. ऐसा लगता है कि स्टार किड और उनके दोस्त उस समय फोटो क्लिक नहीं करना चाहते थे.

बीएसपी सुप्रीमो मायावती का मुलायम सिंह पर निशाना, अखिलेश और अपर्णा यादव का उदाहरण देकर बोलीं- बीजेपी से इनकी...है सांठगांठ।


Mayawati and Mulayam Singh

लखनऊ। साल 2017 में बीजेपी सरकार के शपथग्रहण में समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश भी गए थे। दोनों ने मंच पर पीएम नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ को बधाई भी दी थी। इस बार चुनाव से पहले बीजेपी ने मुलायम के परिवार में सेंध लगाते हुए उनकी छोटी बहू अपर्णा यादव को अपने साथ ले लिया। इन्हीं दोनों उदाहरण को सामने रखकर बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने मुलायम सिंह पर तीखा निशाना लगाया है। मायावती ने आरोप लगाया है कि मुलायम सिंह और बीजेपी के बीच साठगांठ है। मायावती के इस आरोप से यूपी की सियासत गर्माने के आसार हैं।

मायावती की पार्टी को इस बार चुनाव में बड़ी दुर्दशा झेलनी पड़ी है। उनकी पार्टी से सिर्फ 1 विधायक चुनकर यूपी विधानसभा में पहुंचा है। वहीं, सपा के गठबंधन को 125 सीटें मिली हैं। जाहिर तौर पर मायावती इससे भड़की हुई हैं। उन्होंने आज ट्वीट्स की झड़ी लगाते हुए सपा, मुलायम और अखिलेश यादव पर करारे वार किए हैं। मायावती ने लिखा है कि बीएसपी नहीं, बल्कि सपा संरक्षक श्री मुलायम सिंह खुलकर मिले हैं। जिन्होंने बीजेपी के पिछले हुए शपथ में, अखिलेश को बीजेपी से आशीर्वाद भी दिलाया है और अब अपने काम के लिए एक सदस्य को बीजेपी में भेज दिया है। यह जग-जाहिर है।

Yogi Adityanath & Mulayam Singh Yadav

एक और ट्वीट में मायावती ने लिखा है कि यूपी में अंबेडकरवादी लोग कभी भी सपा मुखिया अखिलेश यादव को माफ नहीं करेंगे, जिसने, अपनी सरकार में इनके नाम से बनी योजनाओं व संस्थानों आदि के नाम अधिकांश बदल दिए हैं। जो अति निंदनीय व शर्मनाक भी है। खास बात ये है कि चुनाव के दौरान जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक इंटरव्यू में कहा था कि मायावती की बीएसपी को काफी वोट मिल रहे हैं और मुस्लिम समुदाय भी बीएसपी को वोट दे रहा है, तो मायावती ने बाकायदा ट्वीट कर अमित शाह को धन्यवाद भी दिया था। चुनाव हारने के बाद वो अब फिर बीजेपी और सपा पर हमलावर हैं।

पाक से 1 लाख करोड़ रुपये का कर्ज वसूलना केंद्र सरकार की जिम्मेदारीः दिल्ली हाई कोर्ट

पाक से 1 लाख करोड़ रुपये का कर्ज वसूलना केंद्र सरकार की जिम्मेदारीः दिल्ली हाई कोर्ट

भारत-पाक विभाजन के समय भारत की ओर से पाकिस्तान को दिए गए कर्ज की अदायगी को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में दायर याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और जस्टिस नवीन चावला की खण्डपीठ ने इसे केंद्र सरकार का नीतिगत मामला बताते हुए कहा कि पाकिस्तान से कर्ज वसूल करना सरकार का काम है और हम इस मामले में कोई निर्देश नहीं दे सकते हैं. 

हाई कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार इस मामले में कदम उठा सकती है, लेकिन वे किसी तरह का निर्देश नहीं दे सकते हैं.

हाई कोर्ट में दायर की गई थी याचिका
इसके साथ ही हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता ओम सहगल की ओर से दायर याचिका को खारिज करने के आदेश दिए हैं. याचिका में अदालत से कहा गया कि विभाजन के समय भारत सरकार ने पाकिस्तान को कर्ज दिया था, लेकिन पाकिस्तान बार-बार भारत सरकार के पैसे का इस्तेमाल कश्मीर और भारत में अन्य जगहों पर हमला करने के लिए करता रहा है और उसके द्वारा शुरू किए गए युद्धों में देश के अनगिनत सैनिक अपनी जान गंवा चुके हैं.

ब्याज के साथ कर्ज की रकम 1 लाख करोड़ होने का दावा
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका के समर्थन में कई दस्तावेज पेश कर दावा किया गया कि पाकिस्तान ने आजादी से पहले और बाद में भारत से 300 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था और अब यह राशि ब्याज के साथ करीब 1 लाख करोड़ रुपये हो गई है.

याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दावा किया कि भारत के एक लाख करोड़ रुपये के कर्ज के दस्तावेज करीब 100 पन्नों में हैं. और वित्त मंत्रालय से विभाजन से पहले की फाइलें गायब हो चुकी हैं.  

केंद्र की ओर से याचिका का किया गया विरोध
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से एएसजी चेतन शर्मा ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि ये मामला सरकार की नीतियों से जुड़ा हुआ है, जिसमें अदालत को दखल नहीं देना चाहिए. इसके साथ ही एएसजी ने कहा कि याचिका में याचिकाकर्ता की भावना भले ही उचित हो, लेकनि यह नीतियों का मामला है और इसे सरकार पर छोड़ देना चाहिए.

Tuesday, March 22, 2022

पीएम इमरान खान ने पाकिस्तान में एक जनसभा में कहा- भारतीय सेना 'भ्रष्ट नहीं', वो सरकार में कभी हस्तक्षेप भी नहीं करती


इमरान खान ने सार्वजनिक तौर पर भारतीय सेना की तारीफ की है. और अपने देश की सेना की आलोचना की है.

पीएम इमरान खान ने पाकिस्तान में एक जनसभा में कहा- भारतीय सेना 'भ्रष्ट नहीं', वो सरकार में कभी हस्तक्षेप भी नहीं करती

नई दिल्ली: पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान से नाराज और निराश हैं, क्योंकि इसने उन्हें ऐसे समय में जमानत देने से इनकार कर दिया है, जब वह अपनी सरकार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर रहे हैं. यह प्रस्ताव 2018 में सत्ता में आने के बाद से उनका सबसे मुश्किल इम्तिहान बन रहा है. सैन्य प्रतिष्ठान ने खान को ‘इस्तीफा’ देने के लिए भी कहा है, क्योंकि वह संसद में बहुमत खो चुके हैं. इमरान खान ने रविवार को एक जनसभा में पाकिस्तानी सेना का नाम लिए बिना कहा, “मैं भारत को सलाम करता हूं. भारत की विदेश नीति पाकिस्तान से बेहतर है, वे अपने लोगों के लिए काम करते हैं. भारतीय सेना भ्रष्ट नहीं है और वे कभी भी नागरिक सरकार में हस्तक्षेप नहीं करती है.”

पाकिस्तानी पर्यवेक्षक खान के बयान को पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान पर कटाक्ष के रूप में देखते हैं, जो देश की विदेश नीति और नागरिक सरकार को नियंत्रित करता है. तीन साल पहले ‘हाइब्रिड’ शासन का नेतृत्व करने के लिए इमरान खान के पक्ष में चुनावों में धांधली करने वाली पाकिस्तानी सेना उनके लिए सही थी. लेकिन अब सेना के जनरलों ने महसूस किया है कि उनका ‘प्रोजेक्ट इमरान’ बुरी तरह विफल हो गया है और उन्होंने इसे ‘डंप’ करने का फैसला किया है.

एक पाकिस्तानी विशेषज्ञ का कहना है, “सेना तटस्थ नहीं है.. यह कभी रही भी नहीं. हालांकि वह तटस्थ होने का दावा करती है. यह सेना ही है जो अब इमरान खान के खिलाफ विपक्ष की मदद कर रही है और इमरान इस तथ्य को पचा नहीं पा रहे हैं कि उनके समर्थकों ने उन्हें धोखा दिया है.” ऐसी खबरें हैं कि इमरान खान को पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम ने मामले को आगे बढ़ाए बिना ओआईसी की बैठक के बाद पद छोड़ने की ‘सलाह’ दी थी. एक अंदरूनी सूत्र ने शुक्रवार को हुई बैठक का हवाला देते हुए कहा, “खान ने बाजवा से उनकी ‘तटस्थता’ के बारे में शिकायत की, जबकि सेना प्रमुख ने उन्हें संविधान का पालन करने और जिम्मेदारी से कार्य करने की सलाह दी.

लेकिन इमरान खान कुछ भी सुनने के मूड में नहीं हैं. उन्होंने इस लड़ाई को सड़कों पर उतारने का फैसला किया है. उन्होंने विधानसभा में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने से एक दिन पहले 27 मार्च को अपने समर्थकों को पाकिस्तान नेशनल असेंबली में पहुंचने के लिए कहा है. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, “मैं चाहता हूं कि पाकिस्तान की आत्मा खातिर लड़ने के लिए सार्वजनिक उपस्थिति के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए जाएं. हम उसके साथ खड़े हैं, जो सही है और राजनीतिक माफियाओं द्वारा उनकी लूटी गई संपत्ति की रक्षा के लिए राजनेताओं की आत्मा की इस तरह की बेशर्म खरीद की निंदा करते हैं.”

इमरान खान ने साथ छोड़ने वाले अपने सांसदों को भी गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है. खान ने जोर देकर कहा, “आप सार्वजनिक समारोहों में शामिल नहीं हो पाएंगे और कोई भी आपके बच्चों के बड़े होने पर उनके साथ शादी नहीं करेगा. मैं आप सभी के लिए एक पिता तुल्य हूं. लेकिन अल्लाह के लिए भ्रष्ट विपक्ष से हाथ मिलाकर इतनी बड़ी गलती न करें. अपने बच्चों के भविष्य के बारे में सोचें.” खान अभी भी उम्मीद कर रहे हैं कि अल्लाह की ‘दिव्य शक्ति’ उन्हें बचाने के लिए आएगी. उन्होंने ट्वीट किया, “अल्लाह यह देख रहा है और बुरे लोग सजा से नहीं बचेंगे.”

Monday, March 21, 2022

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने हारे प्रत्याशियों को भेजा पत्र, लिखा-यह क्षणिक विराम है, विश्राम नहीं


उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2022 में प्रचार के दौरान बेहद सक्रिय रहे भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह अब अगले अभियान में लग गए हैं। उनको अब 2024 का लोकसभा चुनाव दिखने लगा है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने हारे प्रत्याशियों को भेजा पत्र, लिखा-यह क्षणिक विराम है, विश्राम नहीं

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में प्रचंड जीत दर्ज करने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी बड़े लक्ष्य की ओर बढ़ रही है। लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी में लगी भारतीय जनता पार्टी के नेता तथा कार्यकर्ताओं को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने टानिक देने का काम किया है।

भारतीय जनता पार्टी, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने हाल में विधानसभा चुनाव भाजपा के हारे प्रत्याशियों का हौसला बढ़ाने के लिए पत्र भेजा है। इस पत्र के माध्यम से उन्होंने बड़ा संदेश दिया है। उन्होंने लिखा है कि हार तो क्षणिक विराम है, विश्राम नहीं है। आप कुछ मतों से पीछे रह गए, पार्टी को संपूर्णता में जीत ही देखती है।

भाजपा ने विधानसभा चुनाव में 255 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत की सरकार बना ली, लेकिन उसके 115 प्रत्याशी हार गए। अब पार्टी दोबारा सरकार बनने की खुशी में डूबी है, ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह  की नजर उन प्रत्याशियों पर भी गई है, जो चुनाव नहीं जीत सके। प्रदेश अध्यक्ष ने ऐसे विधानसभा क्षेत्रों के प्रत्याशियों के साथ ही पदाधिकारियों-कार्यकर्ताओं को पत्र भेजकर प्रोत्साहित किया है। कहा है कि यह श्रणिक विराम हो सकता है, लेकिन विराम नहीं।

भाजपा ने इस चुनाव में कुल 33 सीटें अपने गठबंधन सहयोगी अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के लिए छोड़ी थीं, जबकि 370 पर पार्टी ने अपने प्रत्याशी लड़ाए। उनमें से 255 जीते और 115 हार गए। इधर, भाजपा दोबारा प्रदेश में सरकार बनने को लेकर उत्साहित है। जगह-जगह खुशियां मनाई जा रही हैं। इस बीच स्वतंत्र देव सिंह ने हारी हुई सीटों के प्रत्याशियों, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को रविवार को पत्र भेजा।

उन्होंने लिखा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के मार्गदर्शन एवं प्रेरणा से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ऊर्जावान नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार को प्रदेश की जनता ने पुन: सेवा का अवसर दिया है। इस असाधारण उपलब्धि का श्रेय आपके तप, त्याग और परिश्रम को भी जाता है। आप लोग कुछ मतों से पीछे जरूर रह गए, लेकिन भारतीय जनता पार्टी अपनी जीत संपूर्णता में देखती है। यह हमारे संगठन का संस्कार है।

उन्होंने प्रोत्साहित करते हुए लिखा कि जन सेवा के पावन कार्य में 'वो भी सही, ये भी सही'। जो संकल्प आपने अपने जीवन के लिए लिया है, उस कर्तव्यपथ पर यह केवल क्षणिक विराम हो सकता है, विश्राम नहीं। प्रदेश अध्यक्ष ने विश्वास जताया कि पूर्व की भांति आप पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ जनता-जनार्दन की सेवा में तथा देश-प्रदेश की गौरव यात्रा में योगदान के लिए अग्रसर रहेंगे। हारे प्रत्याशियों को उन्होंने भविष्य की कीर्ति एवं यश की शुभकामनाएं भी दीं।  

अपने ही मिसाइल से पाकिस्तान ने उड़ा लिया मिलिट्री बेस, दहला सियालकोट

अपने ही मिसाइल से पाकिस्तान ने उड़ा लिया मिलिट्री बेस, दहला सियालकोट


पाकिस्तान सिआलकोट ब्लास्ट

पाकिस्तान का सियालकोट में रविवार (20 मार्च, 2022) दोपहर में सिलसिलेवार धमाकों से दहल उठी। मीडियो रिपोर्ट के अनुसार बताया जा रहा है कि पाकिस्‍तान के पंजाब प्रांत के सियालकोट शहर में पाकिस्‍तानी सेना के हथियारों के गोदाम में भीषण धमाके हुए हैं। इन धमाकों के बाद सैन्‍य अड्डे के अंदर आग लग गई है। हालाँकि, धमाकों के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है। लेकिन, कहा जा रहा है कि इलाके में हर तरफ गोले गिर रहे थे जिससे पाकिस्तानी बहुत दहशत में है।

पाकिस्‍तानी अखबार घटना की पुष्टि करते हुए द डेली मिलाप (The Daily Milap) के एडिटर ऋषि सूरी ने एक ट्वीट में लिखा, ”उत्तरी पाकिस्तान में सियालकोट मिलिट्री बेस पर कई विस्फोट हुए हैं। प्रारंभिक संकेत ये मिल रहे हैं कि यह एक गोला बारूद स्टोरेज एरिया है। धमाके के बाद एक बड़ी आग जलती हुई देखी जा रही है। अभी तक विस्फोट के पीछे की असल वजह का पता नहीं चल पाया है।”

बता दें कि सोशल मीडिया पर इस घटना के वायरल हो रहे वीडिया में भी नजर आ रहा है कि ब्लास्ट कितना बड़ा है। कई गोले आसपास के इलाके में भी जाते दिख रहे हैं। पाकिस्तानी नागरिकों की ओर से पोस्ट किए गए हैं।

वहीं सोशल मीडिया में शेयर किए जा रहे वीडियो में दावा किया जा रहा है कि पाकिस्‍तानी सेना के सियालकोट आयुध डिपो पर पहले कोई बाहरी चीज आकर गिरी, इसके बाद वहाँ विस्फोट से आग लग गई।

कुछ अन्य लोकल पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट्स की मानें तो पाकिस्तानी सेना द्वारा एयर-टू-एयर मिसाइल PL-15 का टेस्ट किया जा रहा था, जो पूरी तरह नाकाम रहा। J10-C फाइटर जेट से छोड़े जाने के बाद यह मिसाइल बेकाबू हो गई और सियालकोट में जा गिरी।

गौरतलब है कि पाकिस्तान की सियालकोट छावनी, सबसे पुराने और सबसे महत्वपूर्ण पाकिस्तानी सेना के ठिकानों में से एक, शहर से सटा हुआ इलाका है। इसकी स्थापना 1852 में ब्रिटिश भारतीय सेना द्वारा की गई थी।

Sunday, March 20, 2022

गुलाम नबी आजाद बोले-जम्मू-कश्मीर में जो हुआ उसके लिए पाकिस्तान जिम्मेदार


gulam nabi azad

नई दिल्ली: फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' के चलते जम्मू-कश्मीर से कश्मीरी पंडितों के पलायन का मुद्दा इन दिनों काफी गरमाया हुआ है. फिल्म पर एक के बाद एक बाद राजनीतिक बयान सामने आ रहे हैं. ताजा बयान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद का आया है. उन्होंने कहा कि कश्मीर में जो कुछ हुआ उसके लिए पाकिस्तान और आतंकवाद जिम्मेदार है. कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति करना ठीक नहीं है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने महात्मा गांधी को सबसे बड़ा हिंदू और धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति बताया. आजाद ने कहा, "मेरा मानना ​​है कि महात्मा गांधी सबसे बड़े हिंदू और धर्मनिरपेक्ष थे. जम्मू-कश्मीर में जो हुआ उसके लिए पाकिस्तान और आतंकवाद जिम्मेदार हैं. इसने सभी हिंदुओं, कश्मीरी पंडितों, कश्मीरी मुसलमानों, डोगराओं को प्रभावित किया है."

गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राजनीतिक दल धर्म, जाति और अन्य चीजों के आधार पर चौबीसों घंटे विभाजन पैदा कर सकते हैं. मैं किसी भी पार्टी को माफ नहीं कर रहा हूं. लोगों को समाज में साथ रहना चाहिए. जाति, धर्म के बिना सभी को न्याय मिलना चाहिए.

जम्मू में एक कार्यक्रम में गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राजनीतिक दल धर्म, जाति और अन्य चीजों के आधार पर चौबीसों घंटे विभाजन पैदा करते रहते हैं; मैं किसी भी पार्टी को माफ नहीं कर रहा हूं, मेरी...नागरिक समाज को साथ रहना चाहिए. जाति, धर्म के बावजूद सभी को न्याय दिया जाना चाहिए.


दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता बने PM मोदी, 13 वैश्विक नेताओं के अप्रूवल रेटिंग चार्ट में किया टॉप


अमेरिका (America) में मौजूद ग्लोबल लीडर अप्रूवल ट्रैकर मॉर्निंग कंसल्ट (Morning Consult) ने वैश्विक नेताओं की अप्रूवल रेटिंग जारी कर दी है. इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की रेटिंग सबसे अधिक है और वह 77 फीसदी अप्रूवल रेटिंग (Narendra Modi Approval Rating) के साथ दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता बने हुए हैं. 18 मार्च को मॉर्निंग कंसल्टेंट पॉलिटिकल इंटेलिजेंस (Morning Consult Political Intelligence) ने अपना लेटेस्ट डेटा जारी किया. इसमें कहा गया कि पीएम मोदी की अप्रूवल रेटिंग 13 देशों के नेताओं में सबसे अधिक है. ये दिखाता है कि प्रधानमंत्री की लोकप्रियता कितनी अधिक है.

रिसर्च कंपनी द्वारा किए गए सर्वे में दुनिया के 13 नेताओं में पीएम मोदी 77 फीसदी अप्रूवल रेटिंग के साथ लिस्ट में सबसे ऊपर हैं. इसके बाद मेक्सिको के एंड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर का नंबर आता है, जिनकी अप्रूवल रेटिंग 63 फीसदी है. इटली के मारिया द्राघी की अप्रूवल रेटिंग 54 फीसदी है. वहीं, जापान के फुमियो किशिदा को 45 फीसदी की अप्रूवल रेटिंग मिली है. पीएम मोदी की डिसअप्रूवल रेटिंग भी सबसे कम 17 फीसदी है. डेटा से पता चलता है कि भारतीय प्रधानमंत्री जनवरी 2020 से मार्च 2022 तक अधिकांश महीनों के लिए सबसे लोकप्रिय वैश्विक नेता बने रहे. लेटेस्ट अप्रूवल रेटिंग 9 से 15 मार्च 2022 तक इकट्ठा किए गए आंकड़ों पर आधारित हैं।

Saturday, March 19, 2022

भारत-जापान के बीच 6 समझौतों पर हस्ताक्षर, PM मोदी ने कहा- हमने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपना समन्वय बढ़ाने का निर्णय लिया


भारत-जापान के बीच 6 समझौतों पर हस्ताक्षर, PM मोदी ने कहा- हमने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपना समन्वय बढ़ाने का निर्णय लिया

पीएम मोदी ने कहा कि हमने विपक्षीय मुद्दों के अलावा कई क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी विचारों का आदान प्रदान किया। हमने यूनाइटेड नेशन और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपना समन्वय बढ़ाने का निर्णय लिया।

जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14वें भारत-जापान शिखर सम्मेलन में शामिल हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान के अपने समकक्ष फुमियो किशिदा के साथ हुई बैठक के बाद भारत और जापान के बीच छह समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत-जापान आर्थिक साझेदारी के बीच आर्थिक साझेदारी में प्रगति हुई है। जापान भारत में सबसे बड़े निवेशकों में से एक है। भारत-जापान मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर पर 'वन टीम-वन प्रोजेक्ट' के रूप में काम कर रहे हैं। 

पीएम मोदी ने कहा कि आज की हमारी चर्चा ने हमारे आपसी सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का मार्ग प्रशस्त किया। हमने विपक्षीय मुद्दों के अलावा कई क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी विचारों का आदान प्रदान किया। हमने यूनाइटेड नेशन और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपना समन्वय बढ़ाने का निर्णय लिया।जापान के पीएम किशिदा ने कहा कि आज पूरी दुनिया कई घटनाओं के कारण हिल गई है, भारत और जापान के बीच घनिष्ठ साझेदारी होना बहुत जरूरी है। हमने अपने विचार व्यक्त किए, यूक्रेन में रूस के गंभीर आक्रमण के बारे में बात की। हमें अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर शांतिपूर्ण समाधान की जरूरत है।   

किशिदा अपराह्न तीन बजकर 40 मिनट पर एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ यहां पहुंचे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 14वीं भारत-जापान वार्षिक शिखर वार्ता के लिए अपने समकक्ष किशिदा की आगवानी की। (बातचीत के) एजेंडे में हमारे बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों के अलावा पारस्परिक हितों के द्विपक्षीय संबंध शामिल हैं।’’ विदेश मंत्रालय की ओर से जारी मीडिया परामर्श के अनुसार जापानी प्रधानमंत्री रविवार सुबह आठ बजे यहां से रवाना हो जाएंगे। भारत के दौरे की समाप्ति के बाद किशिदा कम्बोडिया की यात्रा करेंगे। 


Wednesday, March 16, 2022

'बंगाल होगा अगला कश्मीर' : केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने ममता पर साधा निशाना


केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और बंगाल सीएम ममता बनर्जी

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने द कश्मीर फाइल्स देखने के बाद भावुक मन से कहा कि इस फिल्म को गाँवों की चौपाल तक दिखाया जाना चाहिए। उन्होंने इस फिल्म को लेकर कहा कि अगर ये फिल्म नहीं बनती तो कोई सच नहीं जान पाता। देश के हालात कश्मीर से कम नहीं है। बंगाल में इस समय ममता बनर्जी का रोल वही है जो उस समय कश्मीर के राजनेताओं का था।

थिएटर से बाहर निकलते समय केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह काफी भावुक थे। उन्होंने भारी आवाज में मीडिया से बात की और कहा, “यह फिल्म नहीं होती तो देश सच को नहीं जान पाता। अखबारों में पढ़ा था। ऐसा भी नहीं कि हम 90 के दशक में बच्चे थे। कश्मीर में जो हुआ है। जिन्होंने यह फ़िल्म बनाई है, उसे गाँव-गाँव में दिखाया जाना चाहिए।”

इसके बाद आज भी उनका उन लोगों के लिए बयान आया जो इस फिल्म के खिलाफ माहौल बना रहे हैं। उन्होंने कहा, “जो लोग आज ‘द कश्मीर फाइल्स’ को बैन करने की बात कर रहे हैं वे देश को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। इसे गाँव की चौपाल तक दिखाना चाहिए। मैं आज कह रहा हूँ कि आज ममता बनर्जी का वही रोल है जो कभी कश्मीर में राजनेताओं का था।

उन्होंने कहा, “बंगाल अगला कश्मीर होगा, अगर बंगाल के हिन्दू अपने वजूद की लड़ाई नहीं लड़े तो एक ज़िला नहीं दर्जनों ज़िले हैं। देश के अंदर कट्टरवादिता से ख़तरा है। हमें मुसलमानों से खतरा कम है मुस्लिम कट्टरपंथियों से ज्यादा खतरा है”

गौरतलब है कि इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये फिल्म देखने के बाद उस इकोसिस्टम को लताड़ा जो इसका विरोध कर रहे थे। उन्होंने कहा था कि जो लोग हमेशा ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ के झंडे लेकर घूमते थे, वो पूरी तरह बौखला बौखला गए हैं। उन्होंने कहा कि फिल्म का तथ्यों के आधार पर, कला के आधार पर, उसकी विवेचन करने की बजाए उसकी बदनामी के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा था कि ये पूरा का पूरा इकोसिस्टम कोई सत्य उजागर करने का साहस करे तो उसके साथ ऐसा ही करता है।

केंद्र सरकार का बड़ा ऐलान-अब राशन कार्ड के बिना भी ले सकते हैं योजना का लाभ


Ration Card: केंद्र सरकार का बड़ा ऐलान-अब राशन कार्ड के बिना भी ले सकते हैं योजना का लाभ, जानिए कैसे

केंद्र सरकार ने एक बड़ी बात कही है, अब आपको राशन कार्ड योजना का लाभ उठाने के लिए आपके पास राशन कार्ड होना जरूरी नहीं है. उपभोक्ता, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को लोकसभा में स्पष्ट किया कि एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना का लाभ उठाने के लिये लाभार्थियों को वास्तविक रूप में अपने साथ राशन कार्ड रखने की जरूरत नहीं है. गोयल ने कहा कि लाभार्थी देश में कहीं भी अपनी पसंद की उचित दर की दुकान पर अपने राशन कार्ड का नंबर अथवा आधार संख्या दर्ज करा सकते हैं.

गोयल ने बताया कि तकनीक और प्रौद्योगिकी का उपयोग करके व्यवस्था में सुधार किया जा रहा है और इसी के तहत एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना शुरू की गई है. उन्होंने कहा, ‘‘ वर्तमान में एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना देश के लगभग 77 करोड़ लाभार्थियों (लगभग 96.8 प्रतिशत) को कवर करते हुए देश के 35 राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों में लागू की गई है. ’’

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश में कहीं भी अपनी पसंद की उचित दर की दुकान पर अपने राशन कार्ड का नंबर अथवा आधार संख्या दर्ज करायें और अपना राशन उठायें. उन्होंने कहा कि अगर कोई पूरा राशन एक साथ नहीं उठाना चाहता है तब वह बारी बारी से राशन उठा सकता है. उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था से प्रौद्योगिकी के जुड़ने के बाद कोई नये कार्ड की जरूरत नहीं है.

एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभार्थियों को नया राशन कार्ड जारी करने के संबंध में राज्य या संघ राज्य प्रशासनों को कोई निर्देश नहीं दिये गए हैं. उन्होंने कहा कि फिर भी लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सुधारों के रूप में अगर समग्र भारत में एकरूपता लाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभार्थियों को जब भी नया राशन कार्ड जारी करने के संबंध में राज्य/संघ राज्य क्षेत्र कोई निर्णय करते हैं तब उन्हें राशन कार्डो का मानक प्रारूप अपनाने का सुझाव दिया गया है.

मंत्री ने कहा कि राशन कार्ड योजना की राष्ट्रव्यापी सुगम उपयोगिता के लिये तकनीक आधारित ‘‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना’’ देश के सभी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभार्थियों को सशक्त बनाती है ताकि वे देश में किसी भी स्थान पर पसंद की किसी उचित दर की दुकान पर अपनी पात्रता के अनुसार खाद्यान्न उठा सकें.

गोयल ने कहा, ‘‘ एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना का लाभ उठाने के लिये लाभार्थियों को वास्तविक रूप में अपने साथ राशन कार्ड रखने की जरूरत नहीं है और उन्हें देश में कहीं भी अपनी पसंद की उचित दर की दुकान पर अपने राशन कार्ड का नंबर अथवा आधार संख्या दर्ज कराना होता है. ’’

अमेरिका का दोमुंहा रवैया, रूस से तेल खरीदने पर भारत को 'धमकी', जर्मनी पर साधी चुप्‍पी



यूक्रेन जंग के बीच रूस से सस्‍ता तेल खरीदने पर अमेरिका और भारत के संबंधों में तनाव बढ़ता दिख रहा है। अमेरिका ने कहा है कि रूस से सस्‍ता तेल खरीदकर भारत अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्‍लंघन नहीं करेगा। साथ ही अमेरिका ने चेतावनी भी दी कि भारत का यह कदम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को ‘इतिहास के गलत पक्ष की ओर डाल देगा।’ अमेरिका का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब दुनिया में तेल के दाम आसमान छू रहे हैं और जर्मनी समेत कई यूरोपीय देश अभी भी रूस से तेल और गैस खरीद रहे हैं।

इससे पहले ऐसी खबरें आई थीं कि भारत रूस से सस्‍ता तेल और अन्‍य सामान डिस्‍काउंट पर खरीदने पर विचार कर रहा है। वह भी तब जब अमेरिका ने रूस से सारे ऊर्जा आयात रोक दिए हैं। अमेरिकी राष्‍ट्रपति कार्यालय वाइट हाउस की प्रवक्‍ता जेन पसाकी ने कहा कि जो बाइडन प्रशासन का दुनिया के देशों को संदेश है कि वे अमेरिकी प्रतिबंधों का पालन करें। यह पूछे जाने पर कि क्‍या भारत का तेल खरीदना प्रतिबंधों का उल्‍लंघन होगा, इस पर पास्‍की ने कहा, ‘मैं नहीं मानती हूं कि यह उसका उल्‍लंघन होगा लेकिन आपको यह सोचना होगा कि आपके किसके साथ खड़े हो रहे हैं।’


भारत ने अभी तक यूक्रेन पर हमले की निंदा नहीं की
पसाकी ने कहा, ‘जब इतिहास की किताबें इस समय लिखी जा रही हैं, रूस का समर्थन (रूसी नेतृत्‍व) करना हमले का समर्थन जैसा है और इसका विनाशकारी असर पड़ेगा।’ भारत ने अभी तक यूक्रेन पर हमले की निंदा नहीं की है। यही नहीं भारत रूस के खिलाफ संयुक्‍त राष्‍ट्र में वोटिंग के दौरान अनुपस्थित रहा था। हाल के दिनों में अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि वे चाहेंगे कि भारत रूस से जितना संभव हो सके दूरी बना ले। हालांकि उन्‍होंने यह भी माना कि भारत रूस पर हथियारों से लेकर गोला-बारूद तक के लिए निर्भर है।

इससे पहले पिछले सप्‍ताह रूस के डेप्‍युटी पीएम अलेक्‍जेंडर नोवाक ने भारतीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी से कहा था कि उनका देश भारत को तेल का निर्यात बढ़ाना चाहता है। यही नहीं रूस चाहता है कि भारत उनके देश के तेल क्षेत्र में निवेश करे। रूस सरकार के मुताबिक भारत को तेल और पेट्रोलियम निर्यात एक अरब डॉलर तक पहुंचने जा रहा है। रूसी नेता ने यह भी कहा कि उनका देश कुडनकुलम परमाणु बिजली केंद्र के विकास में सहयोग जारी रखना चाहता है।

यूक्रेन हमले के बाद भारत ने रूस से पहली बार लिया तेल
मीडिया में आई ख‍बरों के मुताबिक भारत की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी कंपनी इंडियन ऑयल ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमले के बाद पहली बार 30 लाख बैरल तेल रूस से खरीदा है। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी तेल आयात करता है। इसमें से केवल 2 से 3 प्रतिशत तेल ही रूस से आता है। उधर, यूरोपीय देश अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भी रूस से तेल और गैस मंगा रहे हैं।

Russia का भारत को बिग ऑफर, डीजल-पेट्रोल के साथ अब यूरिया भी ले लो सस्ते में


यूक्रेन पर हमला करने के बाद रूस चौतरफा घिर चुका है और कई देश उसके खिलाफ कड़े आर्थिक प्रतिबंध (Sanctions on Russia) लगा चुके हैं. अमेरिका ने तो रूस के तेल एवं गैस (US Ban on Russian Oil&Gas) को भी प्रतिबंधित कर दिया है, जबकि कई यूरोपीय देश ऐसा करने की तैयारी में हैं. बदले हालात में रूस अपने तेल व गैस समेत अन्य कमॉडिटीज के लिए नए बाजार तलाश रहा है. इसका सीधा फायदा भारत को भी मिलता दिख रहा है. रूस से मिले भारी डिस्काउंट ऑफर (Russian Discount Offer) के बाद अब भारत उससे सस्ते में क्रूड ऑयल व अन्य कमॉडिटीज खरीदने की तैयारी में है.

सस्ता रूसी तेल खरीदने की ये है तैयारी

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में दो भारतीय अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि रूस के डिस्काउंट ऑफर पर विचार किया जा रहा है. रूस से क्रूड ऑयल और कुछ अन्य कमॉडिटीज को डिस्काउंट पर खरीदने का ऑफर मिला है. इसका पेमेंट भी रुपया-रूबल ट्रांजेक्शन होगा. एक अधिकारी ने कहा, ‘रूस तेल और अन्य कमॉडिटीज पर भारी ऑफर दे रहा है. हमें उन्हें खरीदने में खुशी होगी. अभी हमारे साथ टैंकर, इंश्योरेंस कवर और ऑयल ब्लेंड को लेकर कुछ इश्यूज हैं. इन्हें सोल्व करते ही हम डिस्काउंट ऑफर एक्सेप्ट करने लगेंगे.’

प्रतिबंध से बचने के लिए कई ट्रेडर कर रहे परहेज

रूस के ऊपर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद कई सारे इंटरनेशनल ट्रेडर रूस से तेल या गैस खरीदने से परहेज कर रहे हैं. हालांकि भारतीय अधिकारियों का कहना है कि ये प्रतिबंध भारत को रूस से ईंधन खरीदने से नहीं रोकते हैं. अधिकारी का कहना है कि रुपया-रूबल में व्यापार करने की व्यवस्था तैयार करने पर काम चल रहा है. इस व्यवस्था का इस्तेमाल तेल और अन्य चीजों को खरीदने में किया जाएगा. दोनों अधिकारियों ने यह नहीं बताया कि रूस कितना डिस्काउंट दे रहा है या डिस्काउंट पर कितना तेल ऑफर किया गया है.

इम्पोर्ट बिल के साथ ही सब्सिडी के मोर्चे पर राहत

भारत अपनी जरूरतों का 80 फीसदी ऑयल इम्पोर्ट करता है. रूस से भारत करीब 2-3 फीसदी तेल खरीदता है. चूंकि अभी कच्चा तेल की कीमतें 40 फीसदी ऊपर जा चुकी हैं, भारत सरकार इम्पोर्ट बिल कम करने के लिए विकल्पों की तलाश कर रही है. क्रूड की कीमतें बढ़ने से अगले फाइनेंशियल ईयर में भारत का इम्पोर्ट बिल 50 बिलियन डॉलर तक बढ़ सकता है. इस कारण सरकार सस्ते तेल के साथ ही रूस और बेलारूस से यूरिया जैसे फर्टिलाइजर्स का सस्ता कच्चा माल भी खरीदने पर गौर कर रही है. इससे सरकार को खाद सब्सिडी के मोर्चे पर बड़ी राहत मिल सकती है।

संसद में गूंजा कश्मीरों पंडितों का मुद्दा वित्त मंत्री सीतारमण ने कांग्रेस से पूछे कई सवाल


जम्मू-कश्मीर में पंडितों के पलायन का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन को दर्शाने वाली फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' का जिक्र करते हुए सोमवार को लोकसभा में कांग्रेस पर निशाना साधा। सीतारमण ने कहा कि वायु सेना के एक अधिकारी की हत्या में कथित रूप से शामिल एक व्यक्ति की एक पूर्व प्रधानमंत्री से मुलाकात की तस्वीर भी सामने आई थी। कांग्रेस को इसका जवाब देना चाहिए। केंद्रीय वित्त मंत्री ने संसद में कहा 'कांग्रेस पार्टी को जवाब देना चाहिए कि एक अलगाववादी, जिसने स्वीकार किया था कि उसने भारतीय वायु सेना के एक अधिकारी को मार डाला था, को भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री की ओर से आमंत्रित किया गया था और उन्होंने उसके साथ हाथ मिलाया था। लोकसभा में केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के लिए वित्त वर्ष 2022-23 के बजट और वित्त वर्ष 2021-22 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि 'कश्मीर फाइल्स' के बारे में बात करते समय उस समय की सच्चाई को याद करना चाहिए कि जब हिन्दुओं पर इतना कुछ घट रहा था तो वे इससे कैसे निकले। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद भी जो बातें आ रही है, वे स्थिति से इनकार को प्रदर्शित करती हैं।

Monday, March 14, 2022

मोदी योगी की लोकप्रियता और दो दो बार का राशन आया काम, फिर से बनेगी बुलडोजर सरकार : प्रताप मिश्रा

चुनाव परिणाम एक्जिट पोल के अनुरूप ही रहे हैं. एक्जिट पोल से स्पष्ट हो गया था कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार बना रही है. पिछली बार भाजपा गठबंधन को 325 सीटें मिली थीं. इस बार भी भाजपा गठबंधन ने पूर्ण बहुमत के साथ वापसी की है. उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणामों को दो-तीन दृष्टिकोण से देखने की जरूरत है. प्रदेश में बहुत पहले कांग्रेस लगातार कई टर्म तक जीतती रही. लेकिन, 1989 के बाद कांग्रेस कभी उत्तर प्रदेश में वापसी नहीं कर पायी.

इस अवधि में कभी भाजपा, तो कभी जनता दल, कभी सपा या बसपा सत्ता में आते रहे हैं. लेकिन, यह पहला मौका है जब एक ही पार्टी के नेतृत्व पर उत्तर प्रदेश के लोगों ने विश्वास प्रकट किया है. वर्ष 1977 के विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी भारी बहुमत से जीती थी, फिर 1979 में जनता पार्टी की सरकार गिर गयी और 1980 के चुनाव में कांग्रेस सरकार में पुन: वापस आ गयी. वर्ष 1985 में भी कांग्रेस सत्ता में वापसी करने में सफल रही.

इस तरह कांग्रेस लगातार दो टर्म जीतने में सफल रही. वर्ष 1990 के बाद से इन तीन दशकों में पहली बार कोई पार्टी सत्ता बरकरार रखने में सफल हुई है. यह राजनीतिक आश्चर्य है, क्योंकि इससे कई तरह के सवाल उभरते हैं- क्या उत्तर प्रदेश का स्वभाव बदल गया है? या योगी के नेतृत्व में भाजपा ने उन लोगों के बीच में स्थायी जगह बना ली है, जो पार्टियों के भाग्य का निर्णय करते रहे हैं.

उत्तर प्रदेश में भाजपा सवर्णों, सेठों की पार्टी मानी जाती थी, लेकिन 2017 के चुनाव में भाजपा प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पिछड़ों, दलितों और सवर्ण समाज सबका विश्वास जीतने में सफल रही है. वह विश्वास अभी भी कायम है. विश्वास कायम रहना भाजपा के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है.

यह उपलब्धि राज्य के नेतृत्व की कम है और प्रधानमंत्री की ज्यादा है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि जब चुनाव की घोषणा हुई तो राजनीतिक गलियारे में चर्चा थी कि दिल्ली नहीं चाहती कि योगी जीतें. कहा जा रहा था कि शीर्ष नेतृत्व की पसंद में योगी नहीं हैं. राष्ट्रीय नेतृत्व में मुख्य रूप से नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा हैं.

प्रधानमंत्री मोदी हर घटनाक्रम पर बारीक नजर रखते हैं. राजनीतिक गलियारे की चर्चा भी उन तक पहुंची होगी. चर्चा जोर पकड़े, उससे पहले ही यानी चुनाव की घोषणा से थोड़ा पहले प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश का धुंआधार दौरा किया. योगी के कंधे पर हाथ रखकर उन्होंने एक राजनीतिक संदेश दे दिया कि प्रधानमंत्री का मुख्यमंत्री योगी में विश्वास है और योगी को उनका आशीर्वाद प्राप्त है. उसके बाद ये चर्चा बंद हो गयी. जहां-जहां कमजोर क्षेत्र थे, वहां प्रधानमंत्री ने स्वयं मोर्चा संभाला. उन्होंने वाराणसी का तीन दिनों का दौरा किया. पार्टी के दूसरे नेताओं ने भी सभाएं कीं.

अखिलेश और जयंत की जोड़ी पिछड़ गयी है. पिछड़ी है अपने कारणों से. एक तो, दोनों की छवि वैसी नहीं है, जैसी उनके पूर्ववर्ती की रही है या जिनके उत्तराधिकार में वे हैं. उनके मुकाबले ये न तो उतने सक्रिय हैं और न प्रभावशाली हैं, न रणनीति में कुशल हैं.

यह चुनाव परिणाम भाजपा के समर्थन से अधिक अखिलेश और जयंत को नकारने का है. अखिलेश की छवि विकास-विरोधी की बन गयी हैं. ये सिर्फ यादव और मुस्लिमों के बल पर उत्तर प्रदेश में राज करना चाहते हैं. अखिलेश की जहां-जहां रैलियां हुई हैं, वहां खूब भीड़ उमड़ी, लेकिन वह वोट में तब्दील नहीं हो पायी. ऐसा इसलिए नहीं हो पाया, क्योंकि अखिलेश के शासन में दूसरे समुदाय के लोग पीड़ित थे.

राम मंदिर और काशी विश्वनाथ धाम का निर्माण अब मुद्दा नहीं है. लोगों ने स्वीकार कर लिया है कि यह होना ही चाहिए. लोगों ने इसका श्रेय भाजपा को दिया है. नवंबर 1993 में बाबरी ध्वंस के बाद चुनाव हुए थे, लेकिन भाजपा सरकार नहीं बना पायी. उससे साबित होता है कि राम मंदिर या काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण को समाज की स्वीकृति है, लेकिन उतना ही काफी नहीं है, उसके कारण ही यह परिणाम नहीं आया है.

उत्तर प्रदेश ने यह महसूस कर लिया है कि अब उसको शिक्षा, आर्थिक विकास और सांस्कृतिक क्षेत्र में भारत का नेतृत्व करना है. यह तभी संभव है, जब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व के अनुरूप वहां सरकार चले. इसलिए, डबल इंजन की सरकार का नारा दिया गया था, यह उसकी सफलता है. उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा में कोई दूसरा नेता सामने नहीं आता है. लेकिन, कांग्रेस या भाजपा जैसी जो लोकतांत्रिक पार्टियां हैं, उसमें कुछ दिनों बाद ही नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट शुरू हो जाती है.

योगी की बहुत आलोचना हुई, उनके खिलाफ लोग दिल्ली जाते रहे. लेकिन, प्रधानमंत्री ने योगी को संरक्षण दिया. पांच साल उनका नेतृत्व बना रहा. इससे स्पष्ट है कि जिनको नेतृत्व का जिम्मा दिया गया है, उनको गलती भी करने का अधिकार है. गलतियों से वे सीखेंगे. उत्तर प्रदेश में गरीब का विश्वास जो कभी कांग्रेस के साथ होता था, वह अब भाजपा के पक्ष में है. जाति, वर्ग और मजहब तीनों की दीवारें इस चुनाव में टूट गयी हैं. महिलाओं का वोट प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले इस बार बेहतर रहा है.

महिलाओं का औसतन वोट प्रतिशत बढ़ना भाजपा की उपलब्धि है. इस बार जाति और मजहब से हटकर लोगों ने भाजपा को वोट दिया है. यह असाधारण बात है, यानी उत्तर प्रदेश का स्वभाव पहले से बदला है. नकारात्मकता की जगह अब सकारात्मक और रचनात्मक राजनीति, समाज को जोड़ने की राजनीति वहां शुरू हुई है. जो लोग भाजपा पर ध्रुवीकरण का आरोप लगा रहे थे, वे जब चुनाव परिणाम का विश्लेषण देखेंगे तो मालूम पड़ेगा कि भाजपा ने ध्रुवीकरण का सहारा नहीं लिया है. प्रधानमंत्री के नारे में सबका विश्वास का तत्व दोहराया गया है. यह परिणाम प्रधानमंत्री के नेतृत्व को पुन: स्वीकार करता है।

Saturday, March 12, 2022

खुशखबरी! कच्चे तेल के दामों में भारी गिरावट, पेट्रोल-डीजल सस्ता होने का रास्ता साफ

दुनिया में क्रूड ऑयल के दाम जिस तेजी से बढ़ रहे थे, उसके बाद तेल उत्पादक देशों के सामने दबाव की स्थिति बन गई थी। अभी तक ओपेक देश कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने को तैयार नहीं हो रहे थे। लेकिन अब वैश्विक दबाव के बाद यूएई कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने का तैयार हो गया है। जैसे ही यह बात सामने आई है ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स का रेट करीब 16.84 डॉलर (13.2 फीसदी) की गिरावट दर्ज हुई है।

इस गिरावट के बाद ब्रेंट क्रूड का दाम 111.14 डॉलर प्रति बैरल पर आकर बंद हुआ है। आज कच्चे तेल में जो गिरावट आई है वह 21 अप्रैल, 2020 के बाद की एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है। इसके अलावा यूएस क्रूड फ्यूचर्स भी 15.44 डॉलर (12.5 फीसदी) गिरावट के बाद 108.70 डॉलर के स्तर पर बंद हुआ है। यह नवंबर 2021 के बाद से सबसे बड़ी दैनिक गिरावट है।

ओपेक संगठन का प्रमुख सदस्य संयुक्त अरब अमीरात के बयान के बाद वैश्विक तेल की कीमतों में लगभग दो वर्षों में सबसे अधिक गिरावट आई है। यूक्रेन और रूस विवाद के बाद यह दुनिया के लिए सबसे बड़ी राहत की खबर है।

अमीरात ने कहा है कि हम कच्चे तेल के उत्पादन में वृद्धि के पक्ष में हैं। इसके अलावा अमीरात ओपेक को कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने के लिए अन्य देशों से भी कहेंगे। अमीरात की तरफ से यह बयान अमेरिका में अमीरात के राजदूत यूसुफ अल ओतैबा ने दूतावास की तरफ से ट्वीट कर जारी किया है।

Friday, March 11, 2022

खूब खिला कमल बुलडोजर बाबा हुए सफल: प्रताप मिश्रा


निश्चित रूप से पांच राज्यों में से चार में अपनी सरकारों की पुनरावृत्ति करके भाजपा ने यह सिद्ध कर दिया है कि चुनाव में विजय के लिए सत्ता समर्थक भावनाओं को सतह पर लाकर भी मतदाताओं का समर्थन प्राप्त किया जा सकता है। वास्तव में भाजपा की विजय का सेहरा सकारात्मक वोट के सिर बांधा जा सकता है परन्तु पंजाब में जिस तरह आम आदमी पार्टी ने इस राज्य की प्रतिष्ठित पार्टियों के पांव उखाड़े हैं उसका आशय यही निकलता है कि सत्ता के विरुद्ध गुस्से को ढाल बना कर जनाक्रोश के तूफान में तब्दील किया जा सकता है। दरअसल पंजाब में आम आदमी पार्टी की विजय में सत्तारूढ़ कांग्रेस के ही एक नेता नवजोत सिंह सिद्धू का योगदान भी कम नहीं है जिन्होंने अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ कदम-कदम पर लोगों के गुस्से को उपजाया और अपनी छवि को मुख्यमन्त्री चरणजीत सिंह चन्नी से भी चमकदार बनाने के उद्देश्य से सरकारी नीतियों व कार्यों को ही जम कर कोसा। मगर यह पुरानी बात हो गई है और आम आदमी पार्टी के नेता भगवन्त सिंह मान को पंजाबियों से चुनावों में किये गये वादों को पूरा करना होगा परन्तु सबसे महत्वपूर्ण चुनाव उत्तर प्रदेश के ही थे जहां से भाजपा ने अपनी शानदार जीत दर्ज करके मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ के शासन को लोकतन्त्र का पर्याय बना दिया है।

दरअसल प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जिस तरह उत्तर प्रदेश के चुनाव को अपनी पार्टी की प्रतिष्ठा का सवाल बना कर यहां चुनाव प्रचार किया उसने योगी आदित्यनाथ को सबल सम्बल दिया और उनकी प्रशासन क्षमता पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगा दी। दूसरी ओर श्री योगी ने जिस तरह पांच वर्ष तक राज्य का शासन चलाया उससे राज्य की जनता में वह आशा की किरण उगी जो पिछले लगभग 35 वर्षों के दौरान सपा-बसपा की सरकारों के दौरान केवल जात-पात और सम्प्रदायवाद के घने जंगल में गुम हो गई थी। योगी ने सुशासन को मन्त्र बना कर जनता के बीच यह सन्देश पहुंचाने में सफलता प्राप्त की सरकार का मतलब केवल जन कल्याण ही होता है विशेष रूप से गरीब वर्ग के लोगों को ही सरकार की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। अतः केन्द्र व प्रदेश की जितनी भी कल्याणकारी परियोजनाएं इन पांच वर्षों में शुरू की गईं उन्हें योगी प्रशासन ने सुपात्र लोगों तक पहुंचाने में पूरी पारदर्शिता के साथ ईमानदारी से लागू करने में सरकारी मशीनरी को दोनों टांगों पर खड़ा कर दिया और उद्घोष किया कि ‘सबके साथ न्याय मगर तुष्टीकरण किसी का नहीं’। सामाजिक सन्दर्भों में इस सन्देश के बहुत महत्वपूर्ण मायने थे क्योंकि उत्तर प्रदेश एक जमाने में साम्प्रदायिक दंगों का गढ़ समझा जाता था और कानून-व्यवस्था को सत्ताधारी पार्टियों के नेता अपनी जेब में रख कर चलने की हेकड़ी दिखाते थे। जिसकी वजह से राज्य में ‘गुंडाराज’ जैसी शब्दावली का प्रयोग भी आम हो गया था। इसकी तफसील में जाने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि राज्य का पिछले 30 वर्षों का प्रशासनिक इतिहास इसकी बखूबी तसदीक करता है। क्योंकि पूर्व सरकारों के दौरान जिस तरह राज्य पुलिस का प्रयोग राजनीतिक हित साधने के लिये किया जाता था उसकी वजह से सूबे के पुलिस थानों में थानेदार की जगह सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं का हुक्म चलता था। अतः श्री योगी ने जिस तरह सुशासन की स्थापना की उसके मूल में इसी व्यवस्था को जड़-मूल से उखाड़ने की मंशा थी जिसे लोगों ने ‘बाबा का बुलडोजर’ कहा लेकिन भाजपा को शानदार सफलता मिलने के बावजूद विपक्षी अखिलेश यादव के गठबन्धन की ताकत में भी खासा इजाफा हुआ है।

 लोकतन्त्र में इसका भी स्वागत किया जाना चाहिए क्योंकि मजबूत विपक्ष ही सुशासन की गारंटी भी होता है। इसके साथ अगर हमें गोवा व मणिपुर जैसे छोटे राज्यों को देखें तो यहां भी भाजपा को अच्छी सफलता मिली है और मतदाताओं ने कमोबेश स्पष्ट बहुमत देने का प्रयास किया है। मगर ऐसे ही एक पहाड़ी राज्य उत्तराखंड राज्य में तो कमाल ही हो गया जहां की 70 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को पूर्ण बहुमत प्राप्त हो गया मगर इसके मुख्यमन्त्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं अपना चुनाव हार गये। ठीक ऐसा ही नजारा हमने प. बंगाल में भी पिछले वर्ष देखा था जब ममता दीदी की पार्टी तो प्रचंड बहुमत से जीत गई थी मगर वह स्वयं अपना चुनाव हार गई थीं। लोकतन्त्र में ऐसे कमाल होते रहते हैं। मगर भाजपा की शानदार जीत से एक तथ्य स्पष्ट है कि अब राजनीति में जाति-बिरादरीवाद के दिन लदने वाले हैं और लोक कल्याण मूलक नीतियों के दिन आने वाले हैं।

 बाजार मूलक अर्थ व्यवस्था के दौरान गरीब कल्याण हेतु सरकारी योजनाओं का लागू करना राजनीति की प्रमुख शर्त बन सकती है। लोकतन्त्र में लोक कल्याण का लक्ष्य ही जनता की सरकार का ध्येय होता है। इसके साथ ही सांस्कृतिक मूल्यों की वीरता के साथ रक्षा करना भी जनहित की नीति ही होती है। योगी आदित्यनाथ ने विभिन्न विसंगतियों के बावजूद भारतीय संस्कृति के मूल दरिद्र नारायण की सेवा  और सर्वजन सुखिनाः के सिद्धान्त को संविधान के दायरे में जिस तरह लागू किया है उसी का परिणाम है कि उन्हें उत्तर प्रदेश की जनता ने अपना प्यार दिया है। बेशक अखिलेश यादव ने भी अपने राजनीतिक विमर्श के तहत कड़ा मुकाबला किया है और अपनी पार्टी की ताकत को जातिगत व सम्प्रदायगत आधार पर बढ़ाया है परन्तु ऐसी राजनीति के दिन अब लदते हुए नजर आ रहे हैं।

Wednesday, March 9, 2022

परमाणु शस्त्र सम्पन्न भारत: प्रताप मिश्रा



भारत को अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा हेतु चीन की आक्रामक नीतियों को देखते हुए जल्द ही परमाणु ट्रायड की पूरी व्यवस्था विकसित करने का प्रयास करना चाहिए। भारतीय नौसेना के पास कम से कम चार एस.एस.बी.एन., छः एस.एस.एन. तथा एक परमाणु वायुयानवाहक युद्धपोत होने चाहिए। इस लक्ष्य को प्राप्त करना भारत के लिए असंभव नहीं है।

बींसवी शताब्दी मानव इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण शताब्दी थी। इस शताब्दी में अस्सी प्रतिशत विज्ञान का विकास हुआ। अमेरिकन वैज्ञानिकों ने 16 जुलाई 1945 में न्यू मैक्सिको के रेगिस्तान में विश्व का पहला परमाणु विस्फोट (कोड नाम ट्रिनिटी) कर एक नये परमाणु युग का प्रारंभ किया। अमेरिकी सरकार ने द्वितीय विश्वयुद्ध के अंतिम समय में जापान को पराजित करने हेतु 6 और 9 अगस्त 1945 को हिरोशिमा और नागासाकी पर एक-एक परमाणु बम गिराया था। भयंकर तबाही के कारण जापान ने 2 सितम्बर 1945 को आत्मसमर्पण कर दिया था। इसके पश्चात विश्व की सभी बड़ी शक्तियों में परमाणु शक्ति विकास की होड़ लग गई। फलस्वरूप सोवियत संघ 1949, ब्रिटेन 1952, फ्रांस 1960 और चीन 1964 में परमाणु शक्ति सम्पन्न देश बने। इस तरह से विश्व में पांच परमाणु शक्ति सम्पन्न देश हो गए।

भारतीय नीति निर्धारकों ने भी सुरक्षा और विकास के लिए परमाणु विज्ञान और तकनीक के महत्व को समझते हुए  1954 में भाभा परमाणु विकास केंद्र की स्थापना की। भारत ने अपना प्रथम परमाणु परीक्षण विस्फोट शांतिपूर्ण विकास कार्यों के उद्देश्य से 18 मई 1974 में किया था। इस प्रकार भारत विश्व का छठा परमाणु तकनीक वाला देश बन गया। भारतीय परमाणु विद्युत ऊर्जा उत्पादन कार्यक्रम की शुरुआत हुई। विश्व रणनीतिक परिदृश्य और क्षेत्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं को देखते हुए भारतीय नीति निर्धारकों ने मई 1998 में पुनः पांच न्यूक्लियर विस्फोट (फिजन और फ्यूज़न) कर यह कहा कि भारत परमाणु शस्त्र के संदर्भ में नो फर्स्ट यूज की नीति का पालन करेगा। परमाणु क्षमता के सफल क्रियान्वयन से संबंधित सुविधाओं का भी विकास किया गया। भारत सरकार ने कभी भी परमाणु बमों की संख्या को नहीं बताया, लेकिन अन्य दूसरे स्रोत इसे 50 से 100 के बीच बताते है। यद्यपि भारत ने पिछले दो दशकों में वायु और थल से इन बमों को लक्ष्य तक सफलतापूर्वक लांच करने में काफी सफलता और क्षमता हासिल कर ली है। लेकिन अभी पानी के अंदर से पनडुब्बियों और अंतरिक्ष से इन बमों को लक्ष्य तक पहुंचाने की तकनीक व क्षमता का विकास कार्यक्रम चल रहा है। इसके पश्चात ही भारत के पास परमाणु ट्रायड की क्षमता हासिल हो सकेगी। अभी अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन ही परमाणु ट्रायड शक्ति सम्पन्न देश है। इन शस्त्रों के सफल उपयोग के लिए जी.पी.एस. (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अमेरिका, रूस और चीन के पास तो अपने जी.पी.एस. सिस्टम है; लेकिन ब्रिटेन, फ्रांस और भारत अमेरिकन जी.पी.एस. सिस्टम का ही उपयोग करते है। जी.पी. एस. सिस्टम और परमाणु पनडुब्बी निर्माण की तकनीक अत्यंत जटिल और खर्चीली है।

किसी भी देश के परमाणु शस्त्र क्षमता के चार प्रमुख आधार होते हैं- परमाणु बम/शस्त्र, सुरक्षित रखने की व्यवस्था, प्रक्षेपण साधन और दिशा एवं लक्ष्य मार्ग निर्देशन क्षमता। भारत के पास इनमें से परमाणु शस्त्र और इनके प्रक्षेपण की पूरी क्षमता है। लेकिन अभी इनको पूरी तरह से सुरक्षित रखने एवं जी.पी.एस. सिस्टम की कमी है। परमाणु बमों के प्रक्षेपण के लिए भारत के पास अग्नि श्रृंखला के मध्यम तथा लम्बी दूरी के विभिन्न प्रकार के प्रक्षेपास्त्र मौजूद है। भारत में अभी हाइपरसोनिक प्रक्षेपास्त्र का विकास नहीं हो सका है। इनके विकास के पश्चात भारत भी अंतरिक्ष से परमाणु प्रक्षेपण की क्षमता हासिल कर लेगा। इन विध्वंसक शस्त्रों को रखने का सबसे अधिक सुरक्षित प्लेटफार्म परमाणु पनडुब्बी होता है। क्योंकि परमाणु पनडुब्बी परमाणु ऊर्जा से चलित होने के कारण लम्बे समय तक काफी नीचे लगभग 600 से 700 मीटर की गहराई तक चलने में सक्षम होती है। लगातार चलते रहने के कारण इनको आसानी से निशाना बनाना कठिन होता है। केवल कुछ ही देशों के पास परमाणु पनडुब्बियों का पता लगाकर कर निशाना लगाने की क्षमता है। ब्रिटेन और फ्रांस ने तो अपने पूरे परमाणु शस्त्रों को अपने परमाणु पनडुब्बियों में लगा रखा है। भारत में भी एडवांस टेक्नोलॉजी वेसिल प्रोजेक्ट के तहत परमाणु पनडुब्बियों (एस.एस.बी.एन.-सबमर्सिबिल शिप बैलिस्टिक न्यूक्लियर) का निर्माण कार्य विशाखापट्टनम यार्ड पर चल रहा है। पहली स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी आई.एन.एस. अरिहंत को 2018 में नौसेना में शामिल किया जा चुका है। दूसरी परमाणु पनडुब्बी ’अरिधाट’ का निर्माण कार्य प्रगति पर है। विशाखापट्टनम से लगभग 50 किलोमीटर दूर रामाबिल्ली नामक स्थान पर निर्माणाधीन ’आईएनएस वर्षा’ बेस पर इन पनडुब्बियों को सुरक्षित रखने और रखरखाव से संबंधित आधारभूत सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। भारत ने अपने सामुद्रिक सुरक्षा और दिकचालन के लिए सात उपग्रहों (चार पोलर ऑरबिटिंग और तीन भूस्थैतिक उपग्रह) पर आधारित आई.आर.एन.एस.एस.- नाविक नैविगेशन सिस्टम का विकास किया है। लेकिन इस व्यवस्था का उपयोग केवल मात्र 1500 किलोमीटर तक ही सीमित है। भविष्य की दिकचालन आवश्यकताओं और रणनीतिक चुनौतियों को देखते हुए भारत को भी अपना जी.पी.एस. सिस्टम विकसित करना होगा। इन सब कार्यों को पूरा करने के पश्चात ही भारत ’परमाणु ट्रायड’ क्षमता सम्पन्न देश बन सकेगा। भारत के पास कितने परमाणु शस्त्र हैं तथा इन्हें कहां-कहां पर सुरक्षित रखा गया है इस बात की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है।

1945 में जब परमाणु बम को अमेरिका ने जापान पर गिराया, तो पूरे विश्व ने इसकी विध्वंसक क्षमता को देखा। लेखकों और रक्षा विशेषज्ञों ने भविष्यवाणी की थी कि अब पूरी मानव सभ्यता का संपूर्ण विनाश निश्चित है। लेकिन विश्व में पहली बार ऐसा देखा गया कि महाशक्तियों ने पराजित होकर वापस हटना स्वीकार किया लेकिन परमाणु शस्त्रों का उपयोग जीत हासिल करने के लिए करना उचित नहीं समझा। अमेरिका वियतनाम और अफगानिस्तान से बिना किसी जीत के ही वापस लौट गया जब कि इन दोनों देशों को वह बहुत आसानी से परमाणु बमों से समूल नष्ट कर विजय हासिल कर सकता था। उसे किसी भी प्रकार के परमाणु काउंटर आक्रमण का भी खतरा नहीं था। लेकिन अमेरिकी शासन ने अपमानजनक वापसी स्वीकार की और परमाणु बमों का सहारा विजय हासिल करने के लिए नहीं किया। इसी तरह से सोवियत संघ ने भी अफगानिस्तान से पराजित अवस्था में वापस लौटना स्वीकार किया लेकिन परमाणु शस्त्रों का उपयोग नहीं किया। द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात परमाणु शस्त्रों ने युद्धों को सीमित रखने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस दौरान परमाणु शक्ति का भरपूर उपयोग विकास के लिए किया गया। परमाणु शस्त्रों ने विश्व में शांति और स्थिरता बनाए रखने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारत के दो पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन परमाणु शस्त्र सम्पन्न देश हैं। इन दोनों देशों के साथ भारत का सीमा एवं भू-क्षेत्र विवाद है। दोनों देशों ने भारत पर पूर्व में सैनिक आक्रमण भी किया है। वर्तमान में भारत पाकिस्तान के आतंकवाद और चीन के सीमा संबंधी आक्रामक रुख और दबाव का सामना कर रहा है, लेकिन परमाणु शस्त्रों की वजह से चीन भारत के विरुद्ध कोई बड़ी सैन्य कार्यवाही नहीं कर रहा है। यही बात भारत और पाकिस्तान के बीच भी है। जनवरी 2022 में विश्व के पांच परमाणु शक्ति सम्पन्न देश वर्चुअल मीटिंग कर इस बात पर सहमत हुए कि वे किसी भी परिस्थिति में परमाणु हथियार का उपयोग नहीं करेंगे। उनका तर्क था कि जब परमाणु युद्ध जीता ही नहीं जा सकता है, तो इन विध्वंसक शस्त्रों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।

इस शताब्दी के दो दशकों के दौरान हिंद-प्रशांत क्षेत्र विश्व का रणनीतिक एवं आर्थिक रूप से सबसे अधिक महत्वपूर्ण क्षेत्र बन गया है। इस क्षेत्र में चीन के बढते राजनीतिक, सैनिक-नौसैनिक और आर्थिक प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए अमेरिका और उसके प्रजातांत्रिक मित्र देश प्रयत्नशील हैं। चीन के आक्रामक रुख को देखते हुए अपनी सुरक्षा के लिए दक्षिण कोरिया, जापान और आस्ट्रेलिया भी परमाणु पनडुब्बियों को रखना चाहते है। भारत को भी अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा हेतु चीन की आक्रामक नीतियों को देखते हुए जल्द ही परमाणु ट्रायड की पूरी व्यवस्था विकसित करने का प्रयास करना चाहिए। भारतीय नौसेना के पास कम से कम चार एस.एस.बी.एन., छः एस.एस.एन. तथा एक परमाणु वायुयानवाहक युद्धपोत होने चाहिए। इस लक्ष्य को प्राप्त करना भारत के लिए असंभव नहीं है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामक नीतियों की वजह से लगातार परमाणु पनडुब्बियों और वायुयानवाहक युद्धपोतों का आवागमन हो रहा है। हिंद महासागर जलक्षेत्र का भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जिसके पास ऑपरेशनल परमाणु पनडुब्बी है तथा वह परमाणु ट्रायड क्षमता विकास की दिशा में गंभीरतापूर्वक आगे बढ़ रहा है।

परम तत्व दर्शन