Monday, January 31, 2022

चीन-पाकिस्तान की खैर नहीं! सबक सिखाने के लिए बलूचों ने बनाई नई सेना BNA, सिंध और बलूचिस्तान को आजाद कराना मकसद

बलूचिस्तान के विद्रोहियों ने पाकिस्तान और चीन (China Pakistan Relation) को मुहंतोड़ जवाब देने के लिए एक नई सेना ‘बलोच नेशनलिस्ट आर्मी’ (बीएनए) बनाई है. इस सेना ने शहरों से लेकर कबायली इलाकों तक पाकिस्तान को खून के आंसू रुलाना शुरू कर दिया है. बलूचों ने ईरान से लगने वाली सीमा के पास 10 पाकिस्तानी सैनिकों को भी मार गिराया है. कुछ दिन पहले इसी ने पंजाब प्रांत (Punjab Province) के लाहौर शहर में भीषण बम विस्फोट किया था. जिससे पता चलता है कि बलूचों की सेना कितनी ताकतवर होती जा रही है. लाहौर में धमाका कर बलोच नेशनलिस्ट पार्टी (Baloch Nationalist Party) ने ये साफ कर दिया है कि उसकी लड़ाई बलूचिस्तान कर सीमित नहीं रहेगी.

पंजाब के कई शहरी इलाके इसके निशाने पर हैं. ये वही प्रांत है, जहां से पाकिस्तानी सेना (Pakistan Army) के अधिकतर सैनिक और अफसर आते हैं. 20 जनवरी वाले दिन लाहौर में हुए विस्फोट के कारण तीन लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 20 अन्य लोग घायल हुए थे. बलूचों ने इन हमलों को ऐसे समय में तेज किया है, जब इसी महीने यूनाइटेड बलूच आर्मी और बलूच रिपब्लिकन आर्मी का विलय हुआ है. यानी अब पाकिस्तान और चीन को सबक सिखाने के लिए ये दो दुश्मन भी एक साथ आ गए हैं. इस विलय के बाद बलूच नेशनलिस्ट पार्टी का गठन हुआ, जिसने लाहौर पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली है.

चीन के हित भी बनेंगे निशाना

एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इन पार्टियों का विलय ना केवल बलूचिस्तान की आजादी के लिए इतना जरूरी है बल्कि ये देश में चीन के हितों को भी निशाना बनाएगी. जिसमें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का ड्रीम प्रोजेक्ट सीपीईसी (चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) शामिल है, जो बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट (Belt and Road Project) का हिस्सा है. बलूच नेशनलिस्ट पार्टी इस बात का भी प्रतीक है कि बलूचिस्तान के दो मुख्य आदिवासी गुट मारिस और बुगती चीन और पाकिस्तान का मुकाबला करने के लिए एक साथ आगे आ सकते हैं. ये दोनों समुदाय कभी एक दूसरे की तरफ देखना तक पसंद नहीं करते थे. एक और गुट बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी बलूचिस्तान में पहले से ही सक्रिय है.

सिंध के ग्रुप्स का साथ मिला

बलूच विद्रोहियों को पड़ोसी प्रांत सिंध के असंतुष्ट समूहों से समर्थन मिल रहा है, जो इमरान खान की सरकार से खुश नहीं हैं. बलूच और सिंधुदेश क्रांतिकारी सेना के बीच जून 2020 में एक गठबंधन पर हस्ताक्षर किए गए थे. इस गठबंधन ने सिंध और बलूचिस्तान को आजाद कराने और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (China Pakistan Economic Corridor) को निशाना बनाने की कसम खाई थी. बलूच नेशनलिस्ट आर्मी ने एक बयान में कहा कि उनका गठन पाकिस्तानी सेना के फासीवाद के खिलाफ बलूचों के प्रतिरोध को आगे बढ़ाने के लिए किया गया है. अब सरकार और उसके सहयोगियों (चीन) पर हमले तेज किए जाएंगे. विशेषज्ञों का कहना है कि अफगानिस्तान में तालिबान के लौटने से बलूचों को एक नई ताकत मिली है. इसलिए इन्होंने अपने हमले भी बढ़ा दिए हैं.

इस्लाम के खिलाफ कथित फेसबुक पोस्ट के कारण दिल्ली के मौलवी ने गुजरात के युवक की करवाई थी हत्या! ATC ने किया गिरफ्तार


इस्लाम के खिलाफ कथित फेसबुक पोस्ट के कारण दिल्ली के मौलवी ने गुजरात के युवक की करवाई थी हत्या! ATC ने किया गिरफ्तार

नई दिल्ली. गुजरात आतंकरोधी दस्ता यानी एटीएस ने राज्य के धंधुका शहर में एक व्यक्ति की हत्या के मामले में दिल्ली से एक मौलवी को गिरफ्तार किया है. पुलिस के मुताबिक फेसबुक पर कथित आपत्तिजनक पोस्ट के कारण गुजरात के धंधुका शहर में किसन भरवाड नाम के एक व्यक्ति की हत्या हुई थी. किशन भरवाड की 25 जनवरी को धंधुका के मोधवाडा इलाके में बाइक सवार दो हमलावारों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. उस वक्त बोलिया अपने भाई के दो पहिया वाहन पर पीछे बैठा था. भरवाड ने छह जनवरी को सोशल मीडिया मंच पर एक पोस्ट साझा किया था, जिसके बाद मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने उसके खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगाते हुए एक शिकायत दर्ज कराई थी.

एटीएस के अधिकारियों ने बताया कि मौलवी कमर गनी उस्मानी को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है. इससे पहले इसी मामले में शुक्रवार को अहमदाबाद से मोहम्मद अयुब जावरावाला को गिरफ्तार किया गया था. इस मामले में धंधुका निवासी शब्बीर चोपडा (25) और इम्तियाज पठान (27) की भी गिरफ्तारी हो चुकी है.

मौलवी ने हत्या के लिए उकसाया
एटीएस के एसपी इम्तियाज शेख ने बताया कि शब्बीर चोपड़ा ने भरवाड को गोली मारी थी. शब्बीर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम के जरिए उस्मानी से संपर्क में थे. उन्होंने बताया कि मौलवी उस्मानी समाजिक संस्था चलाता है. उसने समुदाय के युवाओं को भड़काया और उन लोगों को इस बात के लिए उकसाया कि जिसने पैगम्बर मोहम्मद का अपमान किया है, उनसे बदला लिया जाए. अहमदाबाद के पुलिस अधीक्षक (एसपी) वीरेंद्र सिंह यादव ने बताया कि शुरुआती जांच में पता चला है कि शब्बीर, पठान की बाइक पर पीछे बैठा था और उसने बोलिया पर गोलीबारी की, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई.

इंस्टाग्राम के जरिए संपर्क में थे आरोपी
एटीएस के अधिकारियों ने कहा कि मौलवी कमरगनी उस्मानी को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है और वह इस मामले में गिरफ्तार होने वाले दूसरे मौलाना हैं. एटीएस के पुलिस अधीक्षक इम्तियाज शेख ने शब्बीर चोपड़ा सोशल मीडिया मंच ‘इंस्टाग्राम’ के जरिए उस्मानी के संपर्क में था. उस्मानी ने कहा चौपड़ा को जावरावाला से संपर्क रहने के लिए कहा था. उसने भरवाड के खिलाफ एक्शन लेने का निर्देश दिया था. दोनों मौलवी इस मामले को लेकर एक-दूसरे के संपर्क में थे. गुजरात एटीएस ने मामले की तफ्तीश शनिवार से शुरू की है.

सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर हुई कोरोना संक्रमिक, बयान में कहा था- गोमूत्र पीने से कोई संक्रमण नहीं होता


सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर हुई कोरोना संक्रमिक, बयान में कहा था- गोमूत्र पीने से कोई संक्रमण नहीं होता

भाजपा नेता और भोपाल से सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की कोरोना वायरस रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है। इस बात की जानकारी उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से दी है। उन्होंने ट्वीट किया आज, मेरी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। मैं डॉक्टरों की देखरेख में हूं।

भाजपा नेता और भोपाल से सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की कोरोना वायरस रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है। इस बात की जानकारी उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से दी है।  उन्होंने ट्वीट किया आज, मेरी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। मैं डॉक्टरों की देखरेख में हूं। पिछले 2 दिनों में मेरे संपर्क में आने वाले सभी लोगों से आग्रह किया जाता है कि वे सतर्क रहें और यदि आवश्यक हो तो परीक्षण भी करवाएं। भगवान से प्रार्थना करती हूं कि आप सभी स्वास्थ्य रहे।

 

पिछले साल, प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा था कि गोमूत्र का अर्क फेफड़ों के संक्रमण और कोरोनावायरस से सुरक्षा प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि "देसी गाय का 'गौ-मूत्र अर्क' (गोमूत्र का अर्क) हमें फेफड़ों के संक्रमण से दूर रखता है। मैं बहुत परेशानी (स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं) में हूं, लेकिन मैं हर दिन 'गौमूत्र सन्दूक' लेती हूं। यह, मुझे कोरोनावायरस के लिए कोई अन्य दवा नहीं लेनी चाहिए। मैं कोरोनावायरस संक्रमण से प्रभावित नहीं हूँ।

प्रज्ञा सिंह ठाकुर लंबे समय से 'गोमूत्र के स्वास्थ्य लाभ' की हिमायती रही हैं। 2019 में इंडिया टुडे टीवी के साथ एक साक्षात्कार में, उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा स्वास्थ्य लाभ यह था कि गोमूत्र के सेवन से उनके कैंसर को ठीक करने में मदद मिली। भोपाल के भाजपा नेता, जो 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी हैं, स्तन कैंसर से बचे हैं। "मैं कैंसर की मरीज थी और मैंने गौमूत्र (गोमूत्र) और पंचगव्य-मिश्रित आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का सेवन करके खुद को ठीक किया।

Friday, January 28, 2022

एक और विधायक ने छोड़ा सपा का साथ, अखिलेश पर लगाया पार्टी की हिंदू छवि बनाने का आरोप


एक और विधायक ने छोड़ा सपा का साथ, अखिलेश पर लगाया पार्टी की हिंदू छवि बनाने का आरोप

इकराम कुरैशी ने कहा कि जब मुलायम सिंह यादव का पार्टी में दबदबा था तो वफादार नेताओं की कद्र हुआ करती थी। लेकिन अब उनकी पार्टी में नहीं चल रही है। परिस्थितियां पहले से ज्यादा बदल चुकी हैं। वहां चापलूस हावी हो गए हैं।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर नेताओं का पाला बदलना लगातार जारी है। इन सब के बीच समाजवादी पार्टी से मुरादाबाद देहात के विधायक हाजी इकराम कुरैशी ने इस्तीफा दे दिया है। वह अब कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। इकराम कुरैशी ने अखिलेश यादव पर समाजवादी पार्टी की छवि को हिंदूवादी बनाने का आरोप लगाया और दावा किया कि मुसलमान नेताओं को अब किनारे लगाया जा रहा है। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर मुरादाबाद देहात से विधानसभा चुनाव लड़ने का भी ऐलान कर दिया है। इससे पहले कुंदरकी से विधायक हाजी रिजवान भी टिकट कटने के बाद बसपा में शामिल हो गए थे।

इकराम कुरैशी ने कहा कि जब मुलायम सिंह यादव का पार्टी में दबदबा था तो वफादार नेताओं की कद्र हुआ करती थी। लेकिन अब उनकी पार्टी में नहीं चल रही है। परिस्थितियां पहले से ज्यादा बदल चुकी हैं। वहां चापलूस हावी हो गए हैं। उन्होंने दावा किया कि सपा के लिए उन्होंने 28 सालों तक खून पसीना बहाया है। पार्टी जिला अध्यक्ष रखकर भी सपा के जनाधार को बढ़ाने के लिए उन्होंने काफी मेहनत की है। समाजवादी पार्टी ने टिकट काटकर मेरे साथ अच्छा नहीं किया। उन्होंने कहा कि क्षेत्र की जनता के बीच रहकर मैंने उन में विश्वास पैदा किया है जिसे बर्बाद नहीं होने दूंगा।

इतना ही नहीं, उन्होंने अखिलेश यादव पर आरोप लगाते हुए यह भी कह दिया कि आजम खान को पार्टी की छवि हिंदूवादी बनाने के लिए ही जेल में डलवाया गया है। उन्होंने दावा किया कि इस बार के चुनाव में हम जनता को सच बताएंगे और समाजवादी पार्टी का जनाजा निकालेंगे। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी में अब मुसलमानों का सम्मान नहीं है। मुस्लिम नेताओं का लगातार अपमान किया जा रहा है। समाजवादी पार्टी में मुस्लिम नेताओं का भविष्य सुरक्षित नहीं है।

Thursday, January 27, 2022

पुराणों में भारतवर्ष की महिमा - प्रताप मिश्रा



ये पृथ्वी सप्तद्वीपा है । इनके नाम हैं - जम्बूद्वीप, प्लक्षद्वीप, शाल्मलिद्वीप, कुशद्वीप, क्रौंचद्वीप, शाकद्वीप, तथा पुष्करद्वीप । सातों द्वीपों के मध्य जम्बूद्वीप है । जम्बूद्वीप के अधिपति महाराज आग्नीध्र के नौ पुत्र हुए - जिनके नाम थे - नाभि, किम्पुरूष, हरिवर्ष, इलावृत, रम्यक, हिरण्मय, कुरू, भद्राश्व और केतुमाल । राजा आग्नीध्र ने जम्बूद्वीप के नौ खंड कर अपने प्रत्येक नौ पुत्रों को वहाँ का राजा  बनाया । इन खंड़ो का विस्तार नौ नौ हजार योजन बताया गया है । इन्हीं पुत्रों के नाम से नौ वर्ष (अर्थात् खंड ) प्रसिद्ध हुये ।

    राजा नाभि के नाम से ही एक वर्ष अर्थात् एक खंड का नाम अजनाभ वर्ष हुआ । राजा नाभि एवं उनकी पत्नी मेरूदेवी के एक पुत्र थे जिनका नाम था ऋषभदेव । ऋषभेदव जी के सबसे बड़े पुत्र का नाम था भरत ।

राजा भरत
वे अत्यंत प्रतापी तथा धर्मात्मा थे, अतः अजनाभ वर्ष का नाम हो गया  भारतवर्ष ।

‘‘अजनाभं नामऐतद्भारात्वर्षं भारतमिति ।’’

क्या पृथ्वी का यही खंड जहाँ हम लोग रहते हैं , भारतवर्ष है ? इसका प्रमाण क्या है ?

शास्त्रों में बताया गया है की भारतवर्ष में नर-नारायण हैं | इसी भारतवर्ष में भगवान श्रीहरि नर-नारायण रूप में है । केदारनाथ, बद्रीनाथ के रास्ते में दो पर्वत नर और नारायण हैं ऐसा माना जाता है कि देवर्षि नारद जी भगवान की आराधना नर-नारायण के रूप में करते हैं ।
नर और नारायण पर्वत

विष्णु पुराण में भी भारतवर्ष की स्थिति के बारे में बताया गया है - 
उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रेष्चैव दक्षिणम् ।
वर्शं तद् भारतं नाम भारती यत्र संततिः ।।
    ऐसा भूखण्ड जो समुद्र के उत्तर तथा हिमालय से दक्षिण में स्थित है वही भारतवर्ष है और वहीं पर चक्रवर्ती भरत जी की संतति निवास करती है ।पुराणों के आधार पर इस  भारतवर्ष का विस्तार 9000 योजन माना जाता है । एक योजन में 9 मील माना जाता है । अतः भारतवर्ष का विस्तार 81000 मील माना जा सकता है ।
भारतवर्ष अन्य वर्षों से श्रेष्ठ है क्यों कि यह कर्म भूमि है तथा अन्य वर्ष भोग भूमियाँ हैं -

‘यतो हि कर्मभूरेशा ह्यतो न्या भोगभूमयः’ (विष्णुपुराण) ।

ऐसा कहा जाता है कि मानव भगवान की सुन्दरतम रचना है और मानव को स्वतंत्रता है कर्मों को करने की । अच्छे कर्मों के द्वारा मानव अपना उद्धार कर सकता है । ऐसी स्वतंत्रता देवताओं को भी प्राप्त नहीं है क्योंकि वह भोगयोनि है । परंतु मनुष्यों में भी भारतवर्ष में जन्म लेने वाले को ही ऐसी स्वतंत्रता प्राप्त है क्योंकि भारतवर्ष कर्मभूमि है तथा अन्य वर्ष भोगभूमि है । यही कारण है कि पृथ्वी पर भारतवर्ष के अतिरिक्त कहीं भी कर्म विधि नहीं है । उसका विधान हमारे वर्णाश्रम व्यवस्था में है । वर्णाश्रम व्यवस्था सनातन धर्म का मूल है । सभी वर्णांे तथा आश्रमों में पूर्णतया प्रतिष्ठित मनुष्य जीवन के सर्वोत्तम लक्ष्य मोक्ष को प्राप्त करने का अधिकारी होता है । यहाँ पर पैदा होने वाले मनुष्य अपने-अपने कर्मों के आधार पर स्वर्ग तथा अपवर्ग प्राप्त कर सकते हैं । इसलिए संसार के किसी अन्य धर्मों में वर्णाश्रम व्यवस्था का विधान नहीं है । अन्य धर्म भोग को बढ़ावा देता है परंतु सनातन धर्म योग को बढावा देता है । अतः भारतवर्ष में पैदा होने वाले प्राणी अन्य जगहों पर पैदा होने वालों से अधिक प्रबुद्ध होता है । भारतवर्ष का कण-कण ऊर्जा से भरा हुआ तीर्थ है जिसने भी भारतवर्ष की पदयात्रा की है उन्हें नई ऊर्जा तथा दिषा मिली है । पाण्डवों ने भारतवर्ष की पदयात्रा की थी वनवास काल में तभी उन्हें नई ऊर्जा मिली और धर्मराज्य की स्थापना हुई । भगवान राम ने भी वनवास काल में भारतवर्ष की पदयात्रा की तभी वह रामराज्य स्थापित करने में सफल रहें । आदिशंकराचार्य ने भारतवर्ष की पदयात्रा कर दिग्विजय किया और भारतवर्ष के एकता के सूत्र को और भी मजबूत किया । वर्तमान काल में भी महात्मा गांधी ने पूरे भारतवर्ष की पदयात्रा की तभी वे ब्रिटिश साम्राज्य का नाश कर पाये ।

 भारतवर्ष अपने आप में तीर्थ है जिस तरह तीर्थस्थानों की परिक्रमा से नई ऊर्जा मिलती है उसी तरह भारतवर्ष की परिक्रमा से भी नई ऊर्जा मिलती है । ये स्वयं प्रमाणित है ।  आप यहाँ पर किसी से भी भाग्य, भगवान, आत्मा, परमात्मा के बारे में बातें करके देख सकते हैं सभी के पास कुछ-न-कुछ अपने विचार होते हैं और वे विचार हमारे किसी-न-किसी शास्त्र में वर्णित होते हैं । हलाँकि वे उन शास्त्रों से हो सकता है अवगत नही हों । इसलिये यहाँ पर मनुष्य ही नहीं देवता भी जन्म लेकर यज्ञ यागादि अच्छे कर्मों के द्वारा पुण्य अर्जित कर अच्छे लोकों में जाना चाहते हैं । हमारे सनातन धर्म में ही भगवान के अवतार लेने की बात है । अन्य धर्मों मे नहीं क्योंकि सनातन धर्म भारतवर्ष में ही प्रचलित है और यह भारतवर्ष योगभूमि है । अतः यहाँ पर नये  कर्म किये जा सकते है और अन्य खण्डों में नये कर्म नहीं हो सकते है - केवल पुरातन कर्मों का भोग ही हो सकता है । अतः देवगण भी यही गान करते हैं -
गायन्ति देवाः किल गीतकानि
धन्यास्ते तु भारतभूमि भागे।
स्वर्गापवर्गास्पदमार्गभूते
भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वात् ।।
  (श्रीविष्णुपुराण 2/3/24)
     
    अर्थात् जिन्होंने स्वर्ग और अपवर्ग के मार्गभूत भारतवर्ष में जन्म लिया है, वे पुरुष हम देवताओं की अपेक्षा भी अधिक धन्य हैं ।

हिंदू संसार में सबसे अधिक राष्ट्र प्रेमी  और राष्ट्रभक्त लोग हैं।ऐसी उत्कृष्ट और गहरी और व्यापक राष्ट्रभक्ति संसार में लगभग कहीं भी नहीं है क्योंकि इतना प्राचीन और स्वाभाविक राष्ट्र विश्व में और कोई नहीं हैं ।
परंतु अंग्रेजो के द्वारा भारतीय शिक्षा का सर्वनाश करके फिर अपने चेलों को सत्ता सौंपने के बाद उन लोगों ने जो भारतीय ज्ञान परंपरा का सर्वनाश किया है ,उसके बाद से हिन्दू  लोगों के पास राजनीतिक चेतना बहुत अल्प है और वे तोतों की तरह से वे ही बातें करते रहते हैं जो हिंदू द्रोही  सत्ताधीशो ने शोर मचाया है और जो  उनके द्वारा प्रायोजित विद्यालय विद्या संस्थानों में पढ़ाया जाता है जो कि  झूठ है, भयंकर झूठ। पर हिन्दू अब वही दुहराते रहते हैं।
भारत को एक राष्ट्र मानकर अन्य लघु राष्ट्रों जैसा एक मानना घोर अज्ञान है।
यह यूरोप के 37 राष्ट्रों के बराबर आज है।पहले यह समस्त यूरोप से बड़ा था।
50 से अधिक मुस्लिम देशों के बराबर है अकेले भारत।


स्वाभाविक राष्ट्र है भारत

यह आज हमें पता है कि भारत का वर्तमान स्वरूप 15 अगस्त 1947 की देन है। आज अखंड भारत की कल्पना में हम केवल पाकिस्तान और बांग्लादेश को जोड़ते हैं। परंतु हमें यह स्मरण रखना चाहिए कि बर्मा, श्रीलंका, अफगानिस्तान आदि भी भारत के ही भाग रहे हैं। यदि हम केवल 15 अगस्त 1947 के बाद के भारत को ही लें तो भी इस समय विश्व में केवल छह नेशन स्टेट या राष्ट्र ऐसे हैं जो आकार में भारत से बड़े हैं और ये छहों अस्वाभाविक राष्ट्र हैं। एक एक कर सभी पर विचार करते हैं।
पहला राष्ट्र है आस्ट्रेलिया। आस्ट्रेलिया क्या है? उसके केवल तटीय इलाकों में लोग बसे हैं। दिल्ली के बराबर आबादी है। इस नाम का भी कोई इतिहास नहीं है। यह बीसवीं शताब्दी में बना एक अस्वाभाविक राष्ट्र है। दूसरा बड़ा राष्ट्र है यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका। अमेरिका तो इस इलाके का नाम भी नहीं है। आज भी यूनाइटेड स्टेट्स किसी अमेरिगो नामक आदमी के नाम से जाना जाता है। इसे वेस्ट इंडिया ही कह दिया होता या वेस्ट इंडियन सबकोंटिनेंट ही कह दिया होता। यदि आपको किसी स्थान को उनके मूल नाम से नहीं बुलाना है तो कुछ पहचाना सा नाम तो रखना चाहिए था। किसी को पता ही नहीं है कि अमेरिगो कौन था। अमेरिका का मूल नाम तो टर्टल कोंटीनेंट यानी कि कच्छप महाद्वीप है। संयुक्त राष्ट्र अमेरिका तो उन्नीसवीं-बीसवीं शताब्दी में अस्तित्व में आया है। इसके टूटने का रुदन सैमुएल हंटिंगटन अपनी पुस्तक क्लैश ऑफ सिविलाइजेशन में कर रहे हैं। भारत में इस पर काफी बहस चल रही है, परंतु बहस करने वालों ने ठीक से उसकी प्रस्तावना तक नहीं पढ़ी है। प्रस्तावना में ही वह कह रहा है कि संयुक्त राष्ट्र अमेरिका टूट रहा है। क्यों? क्योंकि उसके नीचे मैक्सिको उसे धक्का दे रहा है। मैक्सिको वहाँ का मूल है। वे वहाँ के मूलनिवासी हैं। उनका अपना क्षेत्र है। दीवाल बनाने से क्या होगा? दीवाल तो चीन ने भी बनाई थी। फिर भी उसे मंगोल, हूण, शक, मांचू सभी पराजित करते रहे।
तीसरा राष्ट्र है कैनेडा। संयुक्त राष्ट्र के ऊपर कैनेडा है। यहाँ कुछ फ्रांसीसी लोग हैं, कुछ अंग्रेज हैं और इन्होंने एक राष्ट्र बना लिया। यहां का पूरा इतिहास खंगाल डालिये, कैनेडा नाम नहीं मिलेगा। अस्वाभाविक राष्ट्र है। चौथा राष्ट्र है ब्राजील। यह नाम भी आपको इतिहास में नहीं मिलेगा। उन्नीसवीं शताब्दी तक ब्राजील का कोई अस्तित्व नहीं है। यह संयुक्त राष्ट्र अमेरिका से भगाए गए कुछेक फ्रांसीसी, अंग्रेज और जर्मन लोगों की रचना है। ये कृत्रिम सीमाएं हैं।
पाँचवां बड़ा राष्ट्र है जिसे हम पहले यूएसएसआर के नाम से जानते रहे हैं सोवियत संघ। उससे टूट कर सोलह राष्ट्र अलग हो गए, अब बचा है रूस। रूस के तीन चौथाई हिस्से के बारे में उसे स्वयं ही उन्नीसवीं शताब्दी तक पता नहीं था। यह हिस्सा था रूस का एशियायी हिस्सा। यह तो प्राचीन काल से भारत का हिस्सा रहा है। साइबेरिया का उच्चारण बदलें तो सिबिरिया होता है यानी शिविर का स्थान। इतालवी लोग स्थानों को स्त्रीलिंग से बुलाते हैं। इसलिए शिविर शिविरिया बन गया जिसे हम आज साईबेरिया कहते हैं। यह रूस का हिस्सा नहीं था। यह हिस्सा रहा है भरतवंशी शकों का, भरतवंशी मंगोलों का। इसे आप नक्शों में आसानी से देख सकते हैं। कब तक रहा है? उन्नीसवीं शताब्दी तक। यह कोई प्राचीन इतिहास नहीं है, जिसे ढूंढना पड़े। यह आधुनिक इतिहास है। फ्रांसीसी क्रांति या पुनर्जागरण के काल के बाद के इतिहास को आधुनिक काल माना जाता है। परंतु यह तो उससे भी कहीं नई घटना है। उन्नीसवीं शताब्दी तक रूस इस इलाके को जानता भी नहीं है। वह स्वयं उसे क्या बतलाता है, इसे देख लीजिए। अ_ारहवीं शताब्दी तक रूस अपनी सीमाएं क्या बता रहा है, देख लीजिए। जैसे हम कहते हैं न कि हमारी सीमाएं गांधार तक रही हैं, रूस अपनी सीमाओं के बारे में क्या कहता है? इसलिए यह भी स्वाभाविक राष्ट्र नहीं है। कृत्रिम देश है। शीघ्र ही अपनी स्वाभाविक सीमाओं में आ जाएगा। इसकी स्वाभाविक सीमाएं क्या हैं? आज के यूक्रेन में एक स्थान है कीव। कीव के उत्तर में एक नदी चलती है। उस नदी के आस-पास का इलाका ही वास्तविक रूस है। और कीव सहित यूक्रेन आज रूस से बाहर है।
पाँच विशाल देशों के बाद अगला देश है चीन। चीन का वर्तमान आकार तो पंडित नेहरू का दिया हुआ है। तिब्बत तो कभी उसका था ही नहीं। जिसे भारत के यूरोपीय चश्मेवाले बुद्धिजीवी पूर्वी तूर्कीस्तान या फिर चीनी तूर्कीस्तान कहते हैं, वह भी उसका नहीं रहा है। इसे भी वर्ष 1949 में जवाहरलाल नेहरू ने चीन के लिए छोड़ दिया। यह तो महाकाल के उपासकों का स्थान रहा है। महाकाल के उपासक रहे महान मंगोल सम्राट कुबलाई खाँ ने चीन को पराजित किया था। चीन में मंगोलिया और मंचूरिया का हिस्सा मिला हुआ है। ये दोनों इलाके साम्यवादी चीन का हिस्सा 1949 के बाद रूस और चीन की सहमति से बने। रूस में लेनिन, स्टालिन जैसे कुछ तानाशाह लोग सत्ता में आ गए थे। उन्हें दुनिया भर में मित्र चाहिए था। कहा जाता है दुनिया भर में परंतु उसका वास्तविक अर्थ होता है यूरेशिया में। शेष चारों महादेश तो गिनती में होते ही नहीं हैं। तो साम्यवादी रूस को केवल एक सहयोगी मिला माओ के नेतृत्व वाला साम्यवादी चीन। साम्यवादी रूस ने मंगोलिया और मंचुरिया को चीन का हिस्सा मान लिया।
दूसरा विश्वयुद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र की रचना हुई जिसमें यूएसएसआर स्थायी सदस्य था। दूसरा स्थायी सदस्य बनने का प्रस्ताव भारत को मिला था, परंतु जवाहरलाल नेहरू ने कूटनीतिक मूर्खता में वह प्रस्ताव चीन को दिलवा दिया। इन दोनों साम्यवादी देशों ने मिल कर बंदरबाँट की। परंतु आज चीन टूट रहा है। तीन हिस्सों में। यह अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट है। मंचुरिया और मंगोलिया, दोनों ही चीन को अपने कब्जे में रखने वाले देश हैं। वर्ष 1914 तक मंचुरिया का गुलाम रहा है। यह तो हमें कहीं पढ़ाया नहीं जाता कि तेरहवीं शताब्दी से लेकर वर्ष 1914 तक चीन भरतवंशी मंगोलों तथा मंचुओं का गुलाम रहा है।
हमने देखा कि 15 अगस्त 1947 के भारत से दुनिया के छह नेशन-स्टेटों का क्षेत्रफल अधिक है और वे छहों अस्वाभाविक राष्ट्र हैं और ये छहों अतिशीघ्र टूट जाएंगे। आज के दिन भी भारत क्षेत्रफल की दृष्टि से दुनिया का सबसे बड़ा स्वाभाविक राष्ट्र है। हम जानते हैं कि पाकिस्तान और बांग्लादेश का जन्म कैसे हुआ है। अक्सर यह कहा जाता है कि हम पड़ोसी रोज नहीं बदल सकते। परंतु हमने हर रोज पड़ोसी ही तो बदला है। पाकिस्तान हमारा पड़ोसी कब था, वह तो हमारा घर था। हमारा पड़ोसी अफगानिस्तान भी कब था, वह भी हमारा घर ही था। चीन भी आपका पड़ोसी कब था, नेपाल कब था हमारा पड़ोसी? हमने तो घरवालों को ही पड़ोसी बना दिया है।
याद करें कि युद्ध अपराध के कारण संयुक्त राष्ट्र ने ट्रीटी ऑफ वर्साई के कारण जर्मनी के दो हिस्से कर दिए, वह जर्मनी एक हो गया। अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत एक हो गया। ऐसे में पाकिस्तान और भारत क्यों एक नहीं हो सकते? भारत का नक्शा देखिए, नीचे पेनिनसुलर भारत है, परंतु ऊपर विराट हिमालय है। अफगानिस्तान तो दुर्योधन का ननिहाल गाँधार ही तो था। शकुनि यहीं का था। और निकट इतिहास में महाराजा रणजीत सिंह का राज्य गाँधार तक था। वर्ष 1905-10 में पंडित दीनदयालू शर्मा काबुल और कांधार में संस्कृत पर भाषण देने जाते हैं, सनातनधर्मरक्षिणी और गौरक्षिणी सभाएं करते हैं। गाँधी जी के जाने पर वायसराय खड़ा नहीं होता, पंरतु पंडित दीनदयालू शर्मा से मिलने के लिए इंग्लैंड का राजा भी खड़ा होता है। वर्ष 1910 में अफगानिस्तान नाम का कोई देश था ही नहीं। वर्ष 1922 में अंग्रेजों ने इसे बनाया रूस और उनके ब्रिटिश इंडिया के बीच बफर स्टेट के रूप में।
महाभारत में राजा युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में ढेर सारे राजा आते हैं। वे राजा जो युधिष्ठिर को कर देते हैं, वे सभी आते हैं। जो प्रदेश भारत के चक्रवर्ती सम्राट को कर देते हैं, वे भारत ही कहलाएंगे न? यह भारत कहाँ से कहाँ तक है? यवन प्रांत जिसे आज ग्रीक कहते हैं। परंतु ग्रीक स्वयं को ग्रीक नहीं कहते। वे स्वयं को एलवंशीय कहते हैं। उनके देश का नाम आज भी ग्रीस नहीं एलेनिक रिपब्लिक है। एलवंश मतलब बुद्ध और इला की संतान। यह भारतीय ग्रंथों में मिल जाएंगे। राजसूय यज्ञ के बाद युद्ध के वर्णन में स्पष्ट वर्णन है कि कौन-कौन सी सेनाएं पांडवों के साथ हैं और कौन-कौन कौरवों के साथ। वहाँ 250 जनपदों का उल्लेख है जिसमें दरद, काम्बोज, गाँधार, यवन, बाह्लीक, शक सभी नाम आते हैं। जिसे आज हम इस्लामिक देश के रूप में जानते हैं, यह पूरा इलाका शिव. ब्रह्मा, दूर्गा का पूजक सनातन धर्मावलम्बी चक्रवर्तीं भारतीय सम्राट के जनपद रहे हैं।
यह एक रोचक सत्य है कि अंग्रेजों को वर्ष 1910 तक पता नहीं था कि अशोक, देवानां पियदासी कौन है? वे महाभारत को नकार देते हैं। यदि हम महाभारत को गलत भी मान लें तो वायुपुराण, विष्णुपुराण, रामायण, कालीदास का रघुवंश, पाणिनी के अष्टाध्यायी आदि में किए गए भारतसंबंधी वर्णनों को देखें। यदि इन भारतीय संदर्भों से हमारी तुष्टि न हो तो फिर एक मुस्लिम लेखक का संदर्भ देखिए। अल बिरुनी का भारत पुस्तक को पढि़ए। अल बिरुनी की पुस्तक में भारत की सीमाओं और लोगों का वर्णन है। इसमें एक वर्णन है कि भारत के लोगों ने चारों दिशाओं में चार नगरों से आकाशीय गणना की है। उसकी आज तो जाँच की जा सकती है। वह कह रहा है कि इन चारों स्थानों पर भारत के लोग रहते हैं। ये चारों स्थान हैं – उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव, और पूरब तथा पश्चिम के शहरों का अक्षांश और देशांतर गणना दी हुई है। अल बिरुनी का कहना है कि ये गणनाएं तभी सही हो सकती हैं, जब आप वहाँ लगातार जा रहे हों।
पिरी राइस का नक्शा दुनिया का एक नक्शा है। यह फटी-पुरानी अवस्था में किसी विद्वान को मिला। उसने उसे देखा। उस नक्शे की विशेषता है कि उसमें दक्षिणी ध्रुव दिखाया गया है। दक्षिणी ध्रुव पर दो किलोमीटर मोटी बर्फ की परत जमी हुई है। वर्ष 1966 में इंग्लैंड और स्वीडेन ने एक सिस्मोलोजिकल सर्वेक्षण किया और उसके आधार पर दक्षिणी ध्रुव का नक्शा बनाया। यह नक्शा पिरी राइस के नक्शे के एकदम समान है। तो प्रश्न उठा कि पिरी राइस का नक्शा इतना पहले कैसे बना? उस विद्वान ने उस नक्शे को अमेरिका के एयर फोर्स के टेक्नीकल डिविजन के स्क्वैड्रन लीडर को भेजा। स्क्वैड्रन लीडर ने उत्तर लिखा कि नक्शा तो सही है, परंतु उस समय जब बर्फ नहीं थी, जब जानने के लिए जो यंत्र और तकनीकी ज्ञान चाहिए, वह नहीं रहा होगा। वह कहता है कि इस दो किलोमीटर की बर्फ की तह जमने में कई दशक लाख वर्ष लगे। यह नक्शा लगभग तबका बना हुआ है। यह उद्धरण मैप्स ऑफ एनशिएंट सी किंग्स के हैं। पिरी राइस तूर्क का डकैत था। तूर्कों को आमतौर पर हम मुसलमान मान लेते हैं। परंतु ध्यान दें कि ग्यारहवीं-बारहवीं शताब्दी तक इसे यूरोप अनातोलिया बोलते थे। तूर्क लोग जब वर्तमान तूर्किस्तान पहुँचे, तब उसका नाम तूर्किस्तान रखा। वे वास्तव में दूर्गा और शिव के उपासक रहे हैं।
पिरी राइस लिख रहा है कि उसने यह नक्शा पुराने नक्शों के आधार पर बनाया है। अमेरिकन नक्शा बनाने वाले विद्वान लिखते हैं कि इस रास्ते पर लगातार समुद्री यात्राएं होती रही हैं। दक्षिणी ध्रुव पर यात्राएं हो रही हैं व्यापारिक और सैन्य कारणों से। अलग-अलग हिमयुगों में नक्शे बनाए गए हैं। इसे बनाने वाले और यात्रा करने वाले वे लोग हैं, जिनके नाम से एक महासागर का नाम ही रख दिया गया है। हिंद महासागर। दूसरे किसी भी देश के नाम पर महासागर का नाम नहीं रखा गया है, क्यों? इस हिंद महासागर में हिंद का तटीय प्रदेश छोटा सा ही है। फिर भी इसका नाम हिंद महासागर इसलिए है कि इसमें भारतीय ऐसे चलते हैं जैसे कनॉट प्लेस में दिल्ली पुलिस और जनता चलती है। इसी प्रकार हिंद महासागर में भारतीय व्यापारी और उनकी रक्षा के लिए चतुर्गिंणी सेना चलती है। चतुर्गिंणी में चौथा अंग कौन है? चार प्रकार की सेना है नौसेना। इसका प्रमाण है अजंता में बड़े-बड़े जहाजों का चित्रण है जिसमें हाथी-घोड़े और हथियार लदे होते हैं। ऐसे ही भित्तिचित्र भारत के उत्तर में स्थित पाँच स्थानों में भी मिले हैं।
इस प्रकार हम पाते हैं कि भारत एक स्वाभाविक राष्ट्र है और अत्यंत विशाल राष्ट्र रहा है। इसके ढेरों प्रमाण मिलते हैं।

Wednesday, January 26, 2022

Republic day 2022 - राजपथ पर नजर आई देश की शक्ति - शौर्य  संस्कृति - संस्कार और सशक्त भारत की तस्वीर

देश आज अपना 73वां गणतंत्र दिवस (73 Republic Day) मना रहा है । दिल्ली के राजपथ से लेकर लाल किले तक अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजामों के बीच गणतंत्र दिवस समारोह की शुरआत हुई । देश इस बार गणतंत्र के जश्न को आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा है । इस बार की परेड को कोरोना गाइडलाइन के तहत की ओयोजित किया गया है , जिसके तरह इस बार 25 हजार के बजाए मात्र 5 हजार लोगों को ही इस परेड को देखने का मौका मिला । इतना ही नहीं इस बार परेड की दूरी को भी कम कर दिया गया । इतना ही नहीं पहली बार पुराने दशकों की हमारी सेना की वर्दी और उनके हथियारों के साथ जवान राजपथ पर नजर आए । इस बार की परेड पिछले सालों से काफी अलग थी , जिसमें देश की शक्ति - शौर्य , नारी सशक्तिकरण , संस्कृति और संस्कार का प्रदर्शन किया गया ।

सबसे पहले बात रते हैं जम्मू कश्मीर पुलिस के एसआई बाबू राम की , जिन्हें इस बार मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया । श्रीनगर में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में बाबू राम शहीद हो गए थे । हालांकि, सर्वोच्च बलिदान से पहले उन्होंने न सिर्फ अपने साथियों को बचाया, बल्कि तीन आतंकियों को भी ढेर कर दिया । उनकी पत्नी रीता रानी शांति काल में वीरता का सबसे बड़ा पदक ग्रहण किया ।

- इस बार राजपथ पर परेड में सबसे पहले पीटी-76 और सेंचुरियन टैंक नजर आया , जिन्होनें 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना की धज्जियां उड़ा दी थी । ये विंटेज टैंक अब सेना के जंगी बेड़ा का हिस्सा नहीं है और खासतौर से म्यूजयिम से परेड के लिए बुलाया गया है । हाल ही में देश में '71 के युद्ध की स्वर्णिम विजय वर्ष मनाया गया था । इसके अलावा 75/24 विंटेज तोप और टोपैक आर्मर्ड पर्सनैल कैरियर व्हीकल भी परेड का हिस्सा बनीं। 75/24 तोप भारत की पहली स्वदेशी तोप थी और 1965 और 1971 के युद्ध में हिस्सा लिया था ।

बीजेपी के लिए सिरदर्द बनी लखनऊ कैंट सीट

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए लखनऊ कैंट सीट सिरदर्द बन चुकी है। एक ओर सांसद रीता बहुगुणा जोशी अपने बेटे के लिए इस सीट से टिकट मांग रही हैं, तो हाल ही में पार्टी में आईं समाजवादी पार्टी (सपा) के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव के भी इस सीट पर दावेदारी की चर्चा चल रही है।

वहीं, भाजपा के मौजूदा MLA सुरेश चंद्र तिवारी ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वह एक बार फिर इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि अपर्णा यादव और रीता बहुगुणा जोशी के बेटे को टिकट नहीं दिया जाएगा। सुरेश चंद्र तिवारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि पार्टी नेतृत्व ने पहले ही सपष्ट कर दिया है कि किसी मौजूदा MLA या सांसद के बेटे-बेटी को टिकट नहीं मिलेगा। इसलिए जोशी के बेटे को टिकट मिलने का सवाल ही नहीं है।

अपर्णा यादव की दावेदारी पर उनका कहना है कि मुलायम की बहू को किसी सीट से टिकट नहीं मिलेगा और पार्टी उनका उपयोग पूरे राज्य में प्रचार के लिए करेगी। उन्होंने कहा कि, ‘मैंने एक बार फिर इस सीट से भाजपा के टिकट पर लड़ने की इच्छा जताई है। मुझे लगता है कि टिकट मुझे ही मिलेगा।’ बता दें कि सुरेश चंद्र इस सीट से चार बार MLA रह चुके हैं और भाजपा से दशकों से जुड़े हुए हैं।

कल से शुरू होगा BJP का असली 'खेला', अमित शाह-योगी का प्लान फाइनल


अमित शाह और सीएम योगी की फाइल फोटो

 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) में फिर से जीत का परचम लहराने के उद्देश्य से भारतीय जनता पार्टी (BJP) कल से चुनावी अभियान में जुटने वाली है. भाजपा (BJP News) का कल से चुनावी जनसंपर्क अभियान का आगाज होगा. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit shah), पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ताबड़तोड़ चुनाव प्रचार करेंगे और भाजपा के पक्ष में हवा बनाएंगे. बताया जा रहा है कि भाजपा के चुनावी कार्यक्रम की कमान खुद अमित शाह संभालेंगे और जगह-जगह जाकर चुनाव प्रचार करेंगे. तो चलिए जानते हैं भाजपा के जनसंपर्क अभियान का पूरा कार्यक्रम.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) में फिर से जीत का परचम लहराने के उद्देश्य से भारतीय जनता पार्टी (BJP) कल से चुनावी अभियान में जुटने वाली है. भाजपा (BJP News) का कल से चुनावी जनसंपर्क अभियान का आगाज होगा. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit shah), पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ताबड़तोड़ चुनाव प्रचार करेंगे और भाजपा के पक्ष में हवा बनाएंगे. बताया जा रहा है कि भाजपा के चुनावी कार्यक्रम की कमान खुद अमित शाह संभालेंगे और जगह-जगह जाकर चुनाव प्रचार करेंगे. तो चलिए जानते हैं भाजपा के जनसंपर्क अभियान का पूरा कार्यक्रम.

अमित शाह का चुनावी कार्यक्रम
-अमित शाह 27 जनवरी को मथुरा और गौतमबुद्धनगर में जनसंपर्क करेंगे
-अमित शाह 29 जनवरी को मुजफ्फरनगर और सहारनपुर रहेंगे
-अमित शाह 31 जनवरी को रामपुर और संभल में प्रचार करेंगे
-अमित शाह 2 फरवरी को कन्नौज और कानपुर नगर जाएंगे

सीएम योगी का कार्यक्रम
-योगी आदित्यनाथ 27 जनवरी को बिजनौर और मुजफ्फरनगर में सभाएं करेंगे
-सीएम योगी 28 जनवरी को बदायूं और कासगंज में रहेंगे
-सीएम योगी 29 जनवरी को जालौन और कानपुर देहात में चुनावी प्रचार करेंगे
-सीएम योगी 30 जनवरी को आगरा और मैनपुरी में प्रचार करेंगे
-सीएम योगी 31 जनवरी को मेरठ और हापुड़ में घर-घर चुनाव प्रचार करेंगे

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का चुनावी कार्यक्रम
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा 28 जनवरी को शाहजहांपुर और आंवला में चुनाव प्रचार करेंगे
-जेपी नड्डा 29 जनवरी को इटावा और औरैया
-जेपी नड्डा 30 जनवरी को फिरोजाबाद और हाथरस में रहेंगे
-जेपी नड्डा 1 फरवरी को हमीरपुर और महोबा जाएंगे

राजनाथ का चुनावी कार्यक्रम
-रक्षामंत्री राजनाथ सिंह 27 जनवरी को बागपत और गाजियाबाद में चुनाव प्रचार करेंगे
– राजनाथ 2 फरवरी को पीलीभीत और लखीमपुर खीरी में चुनावी प्रचार करेंगे

यूपी में कब-कब वोटिंग
बता दें कि उत्तर प्रदेश में सात चरणों में मतदान होना है. इसकी शुरुआत 10 फरवरी को राज्य के पश्चिमी हिस्से के 11 जिलों की 58 सीटों पर मतदान के साथ होगी. दूसरे चरण में 14 फरवरी को राज्य की 55 सीटों पर मतदान होगा. उत्तर प्रदेश में तीसरे चरण में 59 सीटों पर, 23 फरवरी को चौथे चरण में 60 सीटों पर, 27 फरवरी को पांचवें चरण में 60 सीटों पर, तीन मार्च को छठे चरण में 57 सीटों पर और सात मार्च को सातवें चरण में 54 सीटों पर मतदान होगा. वहीं यूपी चुनाव के नतीजे 10 मार्च को आएंगे.

पाकिस्तान असली दुश्मन नहीं’ बोलकर अखिलेश ने अपने पैर पर मारी कुल्हाड़ी? सर्वे में मिला जवाब


समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक इंटरव्यू में यह कहकर नया विवाद खड़ा कर दिया कि पाकिस्तान भारत का असली दुश्मन नहीं है। बीजेपी ने इस मुद्दे पर अखिलेश यादव और सपा की घेराबंदी शुरू कर दी है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अखिलेश की ओर से पहले जिन्ना और फिर पाकिस्तान को लेकर कही गई बात से बीजेपी को फायदा हो सकता है। सीवोटर ने इस मुद्दे पर सर्वे भी किया है, जिसके नतीजे भी इस बात की तस्दीक कर रहे हैं। 

सीवोटर की ओर से किए गए त्वरित सर्वे में लोगों से पूछा गया कि क्या पाकिस्तान का मुद्दा उछालकर अखिलेश ने सेल्फ गोल किया है? जवाब में 46 फीसदी लोगों ने कहा कि ‘हां’ अखिलेश को इसका नुकसान हो सकता है। वहीं 32 फीसदी लोगों ने कहा कि अखिलेश को इससे नुकसान नहीं होगा। वहीं, 22 फीसदी लोगों ने ‘पता नहीं’ विकल्प चुना। 

मुसलमानों का बड़ा नेता कौन?
सी वोटर के ओपिनियन पोल में दूसरा सवाल पूछा गया कि अब तक के टिकट बंटवारे के हिसाब से मुसलमानों का बड़ा नेता कौन है? इसके जवाब में 65 फीसदी लोगों ने अखिलेश यादव का नाम लिया तो 12 फीसदी ने कहा कि वह मायावती को आगे मानते हैं। 6 फीसदी ने प्रियंका गांधी का नाम लिया तो 16 फीसदी ओवैसी को मुसलमानों का बड़ा नेता मानते हैं। ओपिनियन पोल के आंकड़े बेहद दिलचस्प है। अखिलेश के बाद सबसे अधिक लोगों ने ओवैसी को मुसलमानों का सबसे बड़ा नेता बताया है।   

मुसलमानों को टिकट नहीं देने से बीजेपी को फायदा?
बीजेपी ने अभी तक एक भी मुस्लिम प्रत्याशी को यूपी में नहीं उतारा है। हालांकि, एनडीए में शामिल अपना दल ने स्वार सीट से मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया है। सर्वे में लोगों से पूछा गया कि मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट नहीं देने से बीजेपी को फायदा होगा या नुकसान? इसके जवाब में 53 फीसदी लोगों ने माना कि बीजेपी को फायदा होगा। वहीं 31 फीसदी ने कहा कि बीजेपी को नुकसान हो सकता है। वहीं 14 फीसदी लोगों ने पता नहीं में जवाब दिया।

Tuesday, January 25, 2022

प्रधानमंत्री मोदी से सम्पर्क करने हेतु उपाय: प्रताप मिश्रा


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi)
 से मिलने के लिए बहुत से लोगों के मन में इच्छा होती है और वे उस इच्छा को पूरा भी करना चाहते हैं. चूंकि उनके पास इस इच्छा को पूरा करने का कोई आसान तरीका या यूं कहें कि कोई जरिया नहीं होता है और ऐसे में उनकी यह इच्छा अधूरी रह जाती है. जैसा कि आप जानते हैं कि कुछ समय पहले तक आम नागरिकों के लिए प्रधानमंत्री ((PM Modi)) से मिलना या उनसे संपर्क करना बिल्कुल भी आसान काम नहीं था. हालांकि मौजूदा समय में सोशल मीडिया और संचार माध्यमों में आए नए बदलाव की वजह से अब प्रधानमंत्री से संपर्क करना काफी आसान हो गया है. 

ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से कर सकते हैं संपर्क

जनता से संपर्क स्थापित करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने कई ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम शुरू किए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से संपर्क करने के लिए इन तरीकों को उपयोग किया जा सकता है. आम नागरिक प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की वेबसाइट पर जाकर या पत्राचार के माध्यम से नरेंद्र मोदी से संपर्क कर सकते हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (http://pmindia.gov.in/en/interact-with-honble-pm/) पर जाकर प्रधानमंत्री से संपर्क किया जा सकता है. आप अपने प्रश्नों के जवाब के लिए RTI भी फाइल कर सकते हैं. आम नागरिक पत्र लिखकर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संपर्क कर सकते हैं. पत्राचार का पता है- वेब सूचना प्रबंधक: संयुक्त सचिव, प्रधानमंत्री कार्यालय, साउथ ब्लॉक, नई दिल्ली- 110011, दूरभाष संख्या- 011-23014547

आम नागरिक 'Narendra Modi/NaMo' और 'PMO' मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ संपर्क को आसान बनाने के लिए प्रधानमंत्री की तकनीकी टीम द्वारा एंड्रॉइड, विंडोज और आईओएस तीनों माध्यमों में मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किया गया है. आप अपने मोबाइल फोन पर इन ऐप को डाउनलोड कर सकते हैं.

twitter, फेसबुक पेज के माध्यम से भी कर सकते हैं संपर्क

ट्वीटर (twitter) के माध्यम से भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संपर्क किया जा सकता है. नरेंद्र मोदी के ट्वीटर हैंडल @PMOIndia(https://twitter.com/pmoindia) या @Narendramodi http://narendramodi./) पर भी संपर्क कर सकते हैं. नरेंद्र मोदी के फेसबुक पेज या fb.com/pmoindia पर जाकर भी सवाल पूछा जा सकता है.

  • https://instagram.com/narendramodi
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  • https://play.google.com/store/apps/details?id=com.narendramodiapp&hl=en
  • flickr.com/photos/92359345@N07
  • narendra-modi.tumblr.com

फैक्स (Fax), ईमेल के माध्यम से भी कर सकते हैं संपर्क

आम नागरिक 0091-11-23019545 या 0091-11-23016857 नंबर पर फैक्स करके संपर्क कर सकते हैं. फैक्स के जरिए समस्या या सुझाव प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचा सकते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की ईमेल आईडी narendramodi1234@gmail.com पर मेल भी भेज सकते हैं. यह जानकारी DIGIlOCKER की वेबसाइट पर दी गई है.

Sunday, January 23, 2022

हिंदू युवा वाहिनी और हिंदू फ्रंट फ़ॉर जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट को दी मुस्लिम नेताओं के भड़काऊ भाषणों की लिस्ट


पिछले दिनों मुस्लिम नेताओं द्वारा कथित तौर पर हिंदुओं के खिलाफ दिए गए भड़काऊ और अपमानजनक भाषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। समान और सुरक्षा की मांग करते हुए एक हिंदू संगठन ने देश के सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में हस्तक्षेप की मांग की गई है। आपको बता दें कि अदालत ने हाल ही में हरिद्वार और दिल्ली में एक धार्मिक सभा में हिंदू धार्मिक नेताओं द्वारा अभद्र भाषा के खिलाफ उत्तराखंड, केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है।

हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने घृणास्पद भाषणों की एक सूची तैयार की है। ये वैसे भाषण हैं, जिनमें मुस्लिम नेताओं और मौलवियों द्वारा कथित तौर पर हिंदुओं के खिलाफ नरसंहार का आह्वान किया गया है। याचिका में यह भी दावा किया गया है कि इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन द्वारा दायर आवेदन में कहा गया है, “भारत का प्रत्येक नागरिक समान रूप से कानूनों के समान संरक्षण का हकदार है। अभद्र भाषा की घटनाओं का विश्लेषण करते समय बहुमत या अल्पसंख्यक की अवधारणा को पेश नहीं किया जाना चाहिए।”

सुप्रीम कोर्ट से लंबित मामलों में हस्तक्षेप की अपील
अपमानजनक या भड़काऊ भाषण की परिभाषआ तय करने के लिए न्यायिक समीक्षा की भी मांग की गई है। संगठन और उसके दो सदस्यों द्वारा आवेदन में कहा गया है, “अभद्र भाषा व्यक्तियों द्वारा समाज में अशांति पैदा करने, हिंसा और सांप्रदायिक तनाव को भड़काने के इरादे से दी जाती है। आत्मरक्षा के विषय के साथ एक विशेष समुदाय के सदस्यों की रक्षा करने के इरादे से एक भाषण अभद्र भाषा के दायरे में नहीं आ सकता है।” आवेदकों ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित कार्यवाही में हस्तक्षेप की मांग की है।

आपको बता दें कि 12 जनवरी को भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश और पत्रकार कुर्बान अली द्वारा दायर एक याचिका पर नोटिस जारी किया था। इसमें हरिद्वार में दिसंबर में आयोजित एक धार्म सभा में कथित तौर पर मुसलमानों के खिलाफ हिंसा की बात कही गई थी।

हिंदू युवा वाहिनी ने सुप्रीम कोर्ट को दी लिस्ट
याचिका में हिंदू युवा वाहिनी द्वारा दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में किए गए एक और अभद्र भाषा की सामग्री भी पेश की गई। अदालत को सूचित किया है कि आने वाले महीनों में भी इसी तरह के आयोजनों की योजना बनाई गई थी। उसके बाद से मामला सुनवाई के लिए नहीं आया है।

ओवैसी के भाषण का भी जिक्र
एक जवाबी हमले के रूप में हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस के आवेदन में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तिहादुल मुस्लिमीन के नेताओं अकबरुद्दीन ओवैसी और वारिस पठान द्वारा दिए गए भाषणों का जिक्र किया गया है। उन्होंने कथित तौर पर 2013 में हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करते हुए भाषण दिए थे। उन्होंने कथित तौर पर कहा था, “हम (मुसलमान) ) 25 करोड़ हैं और आप (हिन्दू) 100 करोड़ हैं। पुलिस को 15 मिनट के लिए हटा दें और परिणाम देखें।”

मुस्लिम मौलवी का भाषण भी कोर्ट में पेश
याचिका में मुस्लिम मौलवियों द्वारा अभद्र भाषा के उदाहरण दिखाते हुए वीडियो लिंक और समाचार क्लिपिंग पेश किया गया है। पश्चिम बंगाल के एक मौलवी का भी वीडियो कोर्ट के समक्ष रखा गया है। वीडियो में मौलवी को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि ”अगर रोहिंग्याओं को निर्वासित किया गया तो वे लाखों लोगों को जान से मार देंगे।” आवेदकों ने कहा कि इस तरह के भड़काऊ अभद्र भाषा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

‘उनके भाषणों से आती है मुस्लिम लीग की याद’
याचिका में कहा गया है, “मुस्लिम नेताओं द्वारा दिए गए भड़काऊ भाषणों ने हिंदू समुदाय में भय और अशांति का माहौल पैदा कर दिया है। इस तरह के बयान हमें मुस्लिम लीग के कामकाज की याद दिलाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप देश का विभाजन हुआ।” आवेदन में मुस्लिम नेताओं को हिंदुओं के खिलाफ नफरत और हिंसा फैलाने से रोकने के लिए अदालत के हस्तक्षेप की मांग की गई है।


Friday, January 21, 2022

भाजपा में शामिल होने के बाद अपर्णा ने मुलायम सिंह का लिया आशीर्वाद, लखनऊ में हुआ भव्य स्वागत


भाजपा में शामिल होने के बाद अपर्णा ने मुलायम सिंह का लिया आशीर्वाद, लखनऊ में हुआ भव्य स्वागत

भाजपा में शामिल होने के बाद अपर्णा यादव ने सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव का आशीर्वाद लिया। इस मुलाकात की उन्होंने तस्वीर साझा करते हुए कहा कि भाजपा की सदस्यता लेने के बाद लखनऊ आने पर पिताजी/नेताजी से आशीर्वाद लिया। इससे पहले दिल्ली से लखनऊ लौटने पर हुए भव्य स्वागत के लिए वहां की जनता का आभार जताया।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी (सपा) छोड़कर अपर्णा यादव ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्यता ग्रहण कर ली। इसके बाद उन्होंने अपने ससुर और सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव से आशीर्वाद लिया। अपर्णा यादव ने इस मुलाकात की तस्वीर भी साझा की। अपर्णा यादव ने ट्वीट में लिखा कि भाजपा की सदस्यता लेने के बाद लखनऊ आने पर पिताजी/नेताजी से आशीर्वाद लिया। 

लखनऊवासियों का जताया आभार

इस ट्वीट से पहले अपर्णा यादव ने भाजपा को टैग करते हुए एक ट्वीट किया। जिसमें उन्होंने लिखा कि भाजपा की सदस्यता ग्रहण करके दिल्ली से लखनऊ अमौसी एयरपोर्ट पहुँचने पर समर्थकों और कार्यकर्ताओं द्वारा भव्य स्वागत किया गया, मैं आप सब का धन्यवाद ज्ञापित करती हूं कि इतनी बड़ी संख्या में पधारकर आप सब ने मेरा सम्मान बढ़ाया और उत्साहवर्धन किया। मैं माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के दिशा-निर्देशों का अनुपालन करते हुए भारत राष्ट्र को प्रगति के एक नए आयाम में ले जाने के संकल्प के साथ कार्य करती रहूंगी।

PM मोदी को कहा था शुक्रिया

भाजपा में शामिल होने के बाद अपर्णा यादव ने प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी का आभार जताया था। उन्होंने कहा था कि वह प्रधानमंत्री मोदी और उनकी नीतियों से हमेशा से प्रभावित रही हैं और अब वह भाजपा की सदस्यता लेकर राष्ट्र की आराधना करने निकल पड़ी हैं। 

माना जा रहा है कि अपर्णा यादव लखनऊ कैंट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहती हैं। लेकिन इस सीट से भाजपा के कई दावेदार हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में अपर्णा यादव ने इसी सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली थी। इसके बावजूद वो लगातार लखनऊ कैंट इलाके में सक्रिय रहीं और उनकी पहचान एक समाजिक कार्यकर्ता के रूप में होने लगी। पिछला विधानसभा चुनाव हारने के बाद अर्पणा यादव के कई बार भाजपा में जाने की अटकलें लगाई गईं और उन्होंने इसका खंडन भी किया था लेकिन पिता के भाजपा में शामिल होने के बाद उन्होंने भी सदस्यता ग्रहण कर ली।

पीएम मोदी बने एक बार फिर से दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता,


नई दिल्ली, 21 जनवरी। दुनियाभर में सबसे लोकप्रिय नेताओं की लिस्ट में प्रधानमंत्री पहले पायदान पर पहुंच गए हैं। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मॉर्निंग कंसल्ट पॉलिटिकल इंटेलिजेंस के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रेटिंग 71 फीसदी है। जबकि मेक्सिको के राष्ट्रपति आंद्रेज लोपेज ओब्राडोर दूसरे पायदान पर हैं। दुनिया के शीर्ष नेताओं की बात करें तो इस लिस्ट में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन की रेटिंग 43 फीसदी है, जबकि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की रेटिंग 26 फीसदी है। तीसरे पायदान पर इटली के प्रधानमंत्री मारियो द्राघी हैं जिन्हें 60 फीसदी अप्रूवल रेटिंग मिली है। चौथे नंबर पर जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा, पांचवे नंबर जर्मनी के ऑल्फ स्कॉल्ज, छठे पर कनाडा के जस्टिन ट्रूडो हैं।

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मॉर्निंग कंसल्ट की वेबसाइट के अनुसार ताजा अप्रूवल रेटिंग 13 जनवरी से 22 जनवरी के बीच लिए गए आंकड़ों पर आधारित है। इसमे हर देश के वयस्क नागरिक से सवाल पूछे गए हैं, हर देश का सैंपल साइज अलग-अलग था। इससे पहले मई 2020 में पीएम मोदी की अप्रूवल रेटिंग 84 फीसदी थी। लेकिन मई 2021 में यह घटकर 63 फीसदी पर आ गई थी। लेकिन एक बार फिर से प्रधानमंत्री मोदी की अप्रूवल रेटिंग में बढ़कर 71 फीसदी तक पहुंच गई है। यह पहली बार नहीं है जबक प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक अप्रूवल रेटिंग में पहले स्थान पर कब्जा किया है। इससे पहले नवंबर 2021 में भी पीएम मोदी की अप्रूवल रेटिंग सर्वाधिक थी।

एजेंसी ने एक और आधार पर लोगों की राय मांगी थी, लोगों से पूछा गया था कि क्या उनका देश सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। इसमें हिस्सा लेने वाले 71 फीसदी लोगों का मानना है कि भारत सही दिशा में आगे बढ़ रहा है, जबकि 30 फीसदी लोगों का कहना है कि देश सही दिशा में आगे नहीं बढ़ रहा है। बता दें कि मॉर्निंग कंसल्ट पॉलिटिकल इंटेलिजेंस वैश्विक स्तर पर नेताओं की अप्रूवल रेटिंग और उनसे जुड़े विवादों को ट्रैक करता है। यह फिलहाल 13 देशों में काम कर रहा है। जिसमे भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका, ब्राजील, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, मैक्सिको, दक्षिण कोरिया,स्पेन, ब्रिटेन शामिल हैं।

Thursday, January 20, 2022

भारतीय सेना की तत्काल कार्रवाई, चीनी सेना ने सकुशल लौटाया अगवा भारतीय युवक तिरोम



अरुणाचल प्रदेश से चीन की पीपुल्‍स लिब्रेशन आर्मी द्वारा अगवा किया गया 17 वर्षीय किशोर मिराम टैरोन सकुशल भारत लौट आया है। रक्षा सूत्रों के मुताबिक इस घटना की जानकारी होने के तुरंत बाद भारतीय सेना की तरफ से पीएलए से संपर्क किया गया था। भारतीय सेना ने चीनी सेना के इस कदम पर सख्त आपत्ति जताई थी। हालांकि पुष्टि होने के बाद युवक को सकुशल वापस भारतीय सीमा में भेज दिया गया है।

अरुणाचल प्रदेश के सांसद तापिर गाव ने दावा किया था कि अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले के एक 17 वर्षीय किशोर का पीएलएल ने अपहरण कर लिया है। सांसद ने बुधवार कहा कि चीनी सेना पीएलए ने मंगलवार को सेउंगला इलाके के लुंगटा जोर इलाके से बच्चे का अपहरण किया है। इस बच्चे की पहचानन मिराम टैरॉन के रूप में की थी। गाओ ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि टैरॉन के दोस्त जॉनी येइंग ने PLA द्वारा अपहरण के बारे में अधिकारियों को जानकारी दी है।

त्सांगपो नदी के तट पर हुआ अपहरण
सांसद ने कहा कि घटना उस स्थान पर हुई, जिस स्थान पर त्सांगपो नदी अरुणाचल प्रदेश में भारत में प्रवेश करती है। आपको बता दें कि त्सांगपो नदी को ही अरुणाचल प्रदेश में शियांग और असम में ब्रह्मपुत्र कहा जाता है। इससे पहले सांसद गाओ ने ट्वीट कर कहा था, चीनी पीएलए ने जिदो गांव की 17 वर्षीय मिराम तारोन का अपहरण कर लिया।

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘बच्चे की जल्द रिहाई के लिए सभी भारतीय सरकारी एजेंसियों से अनुरोध किया गया है। गाओ ने यह भी कहा कि उन्होंने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री निसिथ प्रमाणिक को घटना के बारे में जानकारी दे दी है। साथ ही सांसद ने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भारतीय सेना को टैग किया।

चीनी सेना पहले भी कर चुकी ऐसी हरकत
चीनी सेना ने ऐसी करतूत पहली बार नहीं की है। चीन की पीएलए ने इस तरह की शर्मनाक हरकत पहले सितंबर 2020 में भी की थी। तब पीएलए ने अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी जिले से 5 युवकों का अपहरण कर लिया और लगभग एक सप्ताह के बाद उन्हें रिहा कर दिया। ताजा घटना ऐसे समय में आई है, जब भारतीय सेना का अप्रैल 2020 से पूर्वी लद्दाख में पीएलए के साथ गतिरोध चल रहा है।

भारत चीन में सीमा विवाद जारी
भारत लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक चीन के साथ 3,400 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) साझा करता है। यह सीमा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है। इसे तीन सेक्टरों में बांटा गया है- पश्चिमी सेक्टर यानी जम्मू और कश्मीर, मध्य सेक्टर यानी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड और पूर्वी सेक्टर यानी सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश। हालांकि, दोनों देशों के बीच कोई पूर्ण सीमांकन नहीं है क्योंकि दोनों के बीच कई इलाकों को लेकर सीमा विवाद है।

Wednesday, January 19, 2022

BJP में शामिल होने के दावे पर सामने आया शिवपाल का बयान


लखनऊ, 19 जनवरी: प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने यूपी बीजेपी ज्वाइनिंग कमिटी के चेयरमैन डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेई के उस दावे को खारिज किया है जिसमें उन्होंने शिवपाल के बीजेपी में शामिल होने की बात कही है। शिवपाल ने कहा, 'श्री लक्ष्मीकांत बाजपेई जी के इस दावे में कोई सच्चाई नहीं है कि मैं भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकता हूं, यह दावा पूर्णतया निराधार और तथ्यहीन है।'
shivpal yadav says Laxmikant Bajpai claim that I can join BJP is baseless

बता दें, लक्ष्मीकांत बाजपेई ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा था कि शिवपाल सिंह भाजपा के संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि अखिलेश से अपना परिवार नहीं संभल रहा है। अखिलेश यादव से अपने परिवार की टूटन नहीं संभल रही। अपर्णा यादव के भाजपा में शामिल होने पर लक्ष्मीकांत बाजपेई ने कहा कि इससे दोनों को फायदा होगा। शिवपाल ने कहा, 'श्री लक्ष्मीकांत बाजपेई जी के इस दावे में कोई सच्चाई नहीं है कि मैं भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकता हूं, यह दावा पूर्णतया निराधार और तथ्यहीन है।'

Aparna Yadav के बाद अब Shivpal Singh Yadav भी देंगे Akhilesh Yadav को झटका? BJP ने किया यह बड़ा दावा


भाजपा ने शिवपाल यादव को लेकर बड़ा दावा कर यूपी का सियासी तापमान बढ़ा दिया है

Uttar Pradesh Chunav News: भाजपा ने शिवपाल यादव को लेकर बड़ा दावा कर यूपी का सियासी तापमान बढ़ा दिया.

UP Chunav 2022: उत्तर प्रदेश (UP Chunav 2022) में होने वाले विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP News) ने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) से बदला लेना शुरू कर दिया है. मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव (Aparna Yadav) को अपने खेमे में शामिल कर भाजपा ने अखिलेश यादव को बड़ा झटका दिया है. अपर्णा यादव (Aparna Yadav Joins BJP) के बाद अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को एक और झटका लग सकता है, इसका दावा भाजपा ने किया है. यूपी बीजेपी ज्वाइनिंग कमिटी के चेयरमैन डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेई ने यह बयान देकर उत्तर प्रदेश का सियासी पारा और बढ़ा दिया है कि अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) भी भाजपा के संपर्क में हैं.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश (UP Chunav 2022) में होने वाले विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP News) ने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) से बदला लेना शुरू कर दिया है. मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव (Aparna Yadav) को अपने खेमे में शामिल कर भाजपा ने अखिलेश यादव को बड़ा झटका दिया है. अपर्णा यादव (Aparna Yadav Joins BJP) के बाद अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को एक और झटका लग सकता है, इसका दावा भाजपा ने किया है. यूपी बीजेपी ज्वाइनिंग कमिटी के चेयरमैन डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेई ने यह बयान देकर उत्तर प्रदेश का सियासी पारा और बढ़ा दिया है कि अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) भी भाजपा के संपर्क में हैं.

यूपी बीजेपी ज्वाइनिंग कमिटी के चेयरमैन डॉ लक्ष्मीकांत बाजपेई ने न्यूज18 से खास बातचीत में कहा कि शिवपाल सिंह भाजपा के संपर्क में हैं. शिवपाल यादव को सपा प्रमुख अखिलेश ने झटका दिया और अब शिवपाल बीजेपी के संपर्क में हैं. उन्होंने कहा कि अखिलेश से अपना परिवार नहीं संभल रहा है. अखिलेश यादव से अपने परिवार की टूटन नहीं संभल रही. अपर्णा यादव के भाजपा में शामिल होने पर लक्ष्मीकांत बाजपेई ने कहा कि इससे दोनों को फायदा होगा.

शिवपाल को लेकर भाजपा के दावे से उत्तर प्रदेश की सियासत में सनसनी फैल गई है. मुलायम सिंह की छोटी बहू अपर्णा यादव ने जिस तरह से भाजपा का दामन थामकर अखिलेश को झटका दिया है, ऐसे में राजनीति में कुछ भी संभव है. माना जा रहा है कि लखनऊ कैंट विधानसभा सीट को लेकर अपर्णा यादव और अखिलेश यादव के बीच बात बिगड़ गई थी, जिसकी वजह से उन्होंने भाजपा के साथ जाने का फैसला किया. सूत्रों की मानें तो भाजपा अपर्णा को इस सीट से चुनावी मैदान में उतार सकती है.

गौरतलब है कि सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से मतभेदों के बाद शिवपाल सिंह यादव ने अपनी अलग पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन किया था. समाजवादी पार्टी में वर्चस्व को लेकर दोनों के बीच लड़ाई थी. हालांकि, अब शिवपाल यादव की पार्टी का अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन हो गया है. इससे पहले शिवपाल ने कहा था कि अखिलेश यादव से कोई मतभेद नहीं है. उनको अपना नेता मान लिया है. उन्होंने कहा था कि मैं अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाऊंगा.

साइकिल सिंबल पर चुनाव लड़ने का ऐलान
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने इससे पहले बड़ा बयान देते हुए कहा था कि चुनाव में हम अपने सिंबल पर नहीं, बल्कि समाजवादी पार्टी के साइकिल सिंबल पर कैंडिडेट उतारेंगे. इसके साथ शिवपाल ने कहा कि टिकटों का फैसला अखिलेश यादव पर छोड़ दिया है. शिवपाल यादव ने कहा था कि उन्‍होंने अखिलेश को अपना नेता मान लिया है.

‘पाकिस्तान में 5-स्टार सुविधाओं का लाभ उठा रहे अपराधी’ UN में भारत का D-कंपनी और दाऊद की तरफ इशारा


संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में भारत के राजदूत ने कहा कि 1993 में मुंबई में हुए सीरियल बम धमाकों (Mumbai Bomb Blasts) के लिए जिम्मेदार अपराधी पाकिस्तान में पांच-सितारा सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं और उन्हें सरकारी संरक्षण मिला हुआ है. उनका परोक्ष इशारा अंतरराष्ट्रीय अपराधी दाऊद इब्राहीम की तरफ था. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टी एस तिरुमूर्ति (TS Tirumurti) ने मंगलवार को ‘ग्लोबल काउंटर-टेररिज्म काउंसिल’ द्वारा आयोजित ‘अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक कार्रवाई सम्मेलन 2022’ में ये बातें कहीं.

उन्होंने कहा कि आतंकवाद और देशों के बीच संगठित अपराध के संपर्कों को पूरी तरह पहचाना जाना चाहिए और उन पर पुरजोर तरीके से ध्यान देना चाहिए (India on D-Company in UN). उन्होंने कहा, ‘हमने देखा है कि 1993 के मुंबई बम विस्फोटों के लिए जिम्मेदार अपराधियों के सिंडीकेट को ना केवल सरकारी सुरक्षा दी गई है बल्कि वह पांच-सितारा सुविधाओं का लुत्फ उठा रहा है.’ तिरुमूर्ति के बयानों को डी-कंपनी और उसके सरगना दाऊद इब्राहीम से जोड़कर देखा जा रहा है जिसके पाकिस्तान में छिपे होने की बात मानी जाती है।

दाऊद की मौजूदगी को कबूल किया

पाकिस्तान ने अगस्त 2020 में पहली बार अपने यहां दाऊद की मौजूदगी को कबूल किया था. इससे पहले, वहां की सरकार ने 88 प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों और उनके नेताओं पर पाबंदियां लगाई थीं, जिनमें भारत द्वारा वांछित अंतरराष्ट्रीय अपराधी दाऊद का भी नाम था (Pakistan Terrorism). संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की 2022 के लिए आतंकवाद निरोधक कार्रवाई समिति के अध्यक्ष तिरुमूर्ति ने कहा कि ‘1267 अल-कायदा प्रतिबंध समिति’ समेत संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध प्रणलियां आतंकवाद के वित्तपोषण, आतंकवादियों की यात्राओं को रोकने और आतंकवादियों तक हथियारों की पहुंच पर लगाम लगाने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं.

उपायों का क्रियान्वयन चुनौतीपूर्ण

उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि इन उपायों का क्रियान्वयन चुनौतीपूर्ण बना हुआ है. भारतीय राजदूत ने कहा, ‘यह महत्वपूर्ण है कि परिषद द्वारा स्थापित सभी प्रतिबंध व्यवस्थाएं अपनी कार्य प्रणाली और निर्णय लेने में उचित प्रक्रिया का पालन करें. निर्णय लेने की प्रक्रिया और आतंकवादी संगठनों (Terrorist Organisation) को सूचीबद्ध करने या सूची से हटाने के कदम उद्देश्यपरक, त्वरित, प्रामाणिक, साक्ष्य आधारित और पारदर्शी होने चाहिए और राजनीतिक एवं धार्मिक विचार-विमर्श के लिए नहीं होने चाहिए.’

Monday, January 3, 2022

पाक: 1971 के आत्मसमर्पण से भी ज्यादा शर्मनाक है पाकिस्तान सरकार का ये बिल

इस्लामाबाद. आतंकवाद (terrorism) का गढ़ बन चुका पाकिस्तान (pakistan) देश चलाने के लिए दूसरे देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं (international institutions) के कर्ज (debt) पर बुरी तरह निर्भर है। इसी कर्ज की मजबूरी में पाकिस्तान की सरकार (government of pakistan) को कुछ ऐसे कदम उठाने पड़ रहे हैं जिसकी दुनिया भर में बदनामी हो रही है। पाक के वित्त मंत्री शौकत तरीन ने 30 दिसंबर को फाइनेंस (सप्लीमेंट्री) बिल 2021(Finance Bill 2021) , जिसे विपक्ष मिनी बजट (Mini Budget) कह रहा है, पेश किया। इस बिल को लेकर विपक्षी पार्टियों (Opposition Parties) ने इमरान खान सरकार (imran khan government) को घेरा है और सत्ताधारी पार्टी पर पाकिस्तान को आईएमएफ (IMF) के हाथों बेचने का आरोप लगाया है। यहां तक कि पाकिस्तान के विपक्षी दल के सांसद ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि सरकार का ये कदम 1971 की जंग (war) में किए गए आत्मसमर्पण से भी ज्यादा शर्मनाक है।

पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' के मुताबिक  फाइनेंस (Supplementary) विधेयक के तहत 144  सामानों पर 17% जीएसटी (GST) लगाया जाएगा।  इनमें मोबाइल फोन, इलेक्ट्रिक वाहन, इंपोर्ट खाद्य तेल, चिकन, दवायों के लिए कच्चा सामान, कृषि के लिए बीज, बैटरी, आटा, पैक्ड डेयरी प्रोडक्टस, गन्ने आदि पर टैक्स लगाना शामिल है। ये टैक्स पाकिस्तान सरकार के राजस्व को बढ़ाने के मकसद से लगाए गए हैं। इस मिनी बजट से महंगाई से जूझ रही पाकिस्तानी जनता पर टैक्स (tax) का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

इमरान सरकार इस बिल को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की समीक्षा बैठक को देखते हुए लाई है। आईएमएफ ने पाकिस्तान को 6 अरब डॉलर का फंड देने की घोषणा की थी लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें भी रखी थीं। जैसे- पाकिस्तान सरकार अपना बजट घाटा कम करे और राजस्व बढ़ाएं। 12 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) पाकिस्तान की सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की समीक्षा करने वाला है। आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड द्वारा मंजूरी मिलने के बाद ही लगभग 1 अरब डॉलर की किस्त पाकिस्तान को मिल सकेगी।

इमरान सरकार के इस बिल पर विपक्षी दलों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार के पास अब अपने आर्थिक नीतियों पर फैसले लेने की ताकत नहीं रह गई है। सरकार आईएमएफ के दबाव में आकर हर कदम उठा रही है।

पाकिस्तान की प्रमुख विपक्षी पार्टी 'पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज' (PML-N) के नेता ख्वाजा आसिफ ने सदन में पूर्वी पाकिस्तान यानी बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में पाकिस्तान की हार का जिक्र करते हुए कहा, पाकिस्तान की आर्थिक संप्रभुता का समर्पण, 1971 में आत्मसमर्पण से ज्यादा खतरनाक है।  ख्वाजा आसिफ ने कहा कि सरकार इस बिल के तहत स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान का नियंत्रण IMF को दे रही है। उन्होंने आगे कहा कि आप स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान का नियंत्रण IMF के हाथों में दे रहे हैं। कृपया पाकिस्तान के लोगों पर रहम करें। पाकिस्तान को मत बेचें। आपने लोगों को इजाजत दी और पाकिस्तान तीन सालों तक लुटता रहा।

विपक्षी के आरोपों का जवाब देते हुए पाकिस्तान के योजना और विकास मंत्री असद उमर ने कहा कि विपक्ष SBP संशोधन विधेयक पर शोर मचाकर 'देश को डराने' की कोशिश कर रहा है। मंत्री ने कहा कि उनमें और हमारे बीच अंतर ये है कि जब वे डेंगू को रोकने के लिए भी काम करते हैं, तो उन्हें खुद इसके बारे में विज्ञापन देना पड़ता है। लेकिन जब हम कोविड-19 को रोकने के लिए काम करते हैं, तो अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं भी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेतृत्व वाली सरकार की प्रशंसा करती हैं।

बिल को लेकर पाकिस्तान की संसद में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी उछाला गया। मंत्री असद उमर ने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर सरकार की आलोचना करने के लिए विपक्ष को आड़े हाथों लिया। उन्होंने PML-N सुप्रीमो नवाज शरीफ पर निशाना साधते हुए कहा, नवाज शरीफ ने मोदी को अपने घर आमंत्रित किया था।'

एक वकील जो बन गया 'रावण', पश्चिमी यूपी को बनाया गढ़, जानें विधानसभा चुनाव में कितनी है चंद्रशेखर की ताकत

साल 2017 में सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में दलितों और सवर्णों के बीच हिंसा की एक घटना हुई। इस हिंसा के दौरान एक संगठन उभरकर सामने आया, जिसका नाम था भीम आर्मी। भीम आर्मी का पूरा नाम 'भारत एकता मिशन भीम आर्मी' है। इसका गठन करीब 6 साल पहले किया गया था। इस संगठन के संस्थापक और अध्यक्ष हैं चंद्रशेखर। उन्होंने अपना उपनाम 'रावण' रखा हुआ है। रावण पेशे से वकील हैं।
क्यों कहते हैं खुद को रावण:
देहरादून से लॉ की पढ़ाई करने वाले चंद्रशेखर खुद को 'रावण' कहलाना पसंद करते हैं। इसके पीछे चंद्रशेखर का तर्क था कि 'भले ही रावण का नकारात्मक चित्रण किया जाता रहा हो लेकिन जो व्यक्ति अपनी बहन के सम्मान के लिए लड़ सकता हो और अपना सब कुछ दांव पर लगा सकता हो वो ग़लत कैसे हो सकता है।'
गांव के कुछ युवाओं ने मिलकर बनाई भीम आर्मी:
शब्बीरपुर में हुई हिंसा के बाद 'रावण' ने 9 मई 2017 को सहारनपुर के रामनगर में महापंचायत बुलाई। इस महापंचायत के लिए पुलिस ने अनुमति नहीं दी, लेकिन सोशल मीडिया के जरिए महापंचायत की सूचना भेजी गई। सैंकड़ों की संख्या में लोग इसमें शामिल होने के लिए पहुंचे, जिन्हें रोकने के दौरान पुलिस और भीम आर्मी के समर्थकों के बीच संघर्ष हुआ और इसके बाद चंद्रशेखर के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। करीब छह साल पहले 2011 में गांव के कुछ युवाओं के साथ मिलकर चंद्रशेखर ने 'भारत एकता मिशन भीम आर्मी' का गठन किया था। भीम आर्मी आज दलित युवाओं का एक पसंदीदा संगठन बन गया है।
किस उद्देश्य से हुई संगठन की स्थापना:
भीम आर्मी की स्थापना दलित समुदाय में शिक्षा के प्रसार को लेकर अक्टूबर 2015 में हुई थी, इसके बाद सितंबर 2016 में सहारनपुर के छुटमलपुर में स्थित एएचपी इंटर कॉलेज में दलित छात्रों की कथित पिटाई के विरोध में हुए प्रदर्शन से ये संगठन चर्चा में आया। चंद्रशेखर का दावा है कि भीम आर्मी के सदस्य दलित समुदाय के बच्चों के साथ हो रहे कथित भेदभाव का मुखर विरोध करते हैं और इसी के कारण इस संगठन की पहुंच दूर दराज़ के गांवों तक हुई है।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का 'ब्राह्मण कार्ड', विजय रथ यात्रा से पहुंचकर परशुराम मंदिर का करेंगे उद्घाटन

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भगवान परशुराम का मंदिर आज आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा। समाजवादी पार्टी (SP) के नेता संतोष पांडे ने भगवान परशुराम का ये मंदिर लखनऊ में पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के किनारे बनवाया है। 

SP President Akhilesh Yadav played Brahmin card will inaugurate Parashuram temple after reaching Vijay Rath Yatra

लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में विधानसभा चुनाव (UP Vidhansabha chunav 2022) से पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh yadav) ने एक बार फिर प्रदेश के ब्राह्मण वोटरों को साधने के लिए ब्राह्मण कार्ड खेला है। समाजवादी पार्टी (Samajwadi party) की विजय रथ यात्रा (Vijay rath yatra) के 10 वें चरण की रविवार को शुरूआत हो गई। लखनऊ के गोसाईगंज से शुरू हुई अखिलेश की विजय रथ यात्रा तकरीबन 15 किलोमीटर के बाद महुराकला में समाप्त होगी। वहां पहुंचकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव परशुराम मंदिर का उद्घाटन भी करेंगे। 

यूपी में विकास हो गया है ठप- अखिलेश यादव
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा कि लगभग साढ़े 4 साल से ज्यादा के समय में उत्तर प्रदेश की जनता को दुख, तकलीफ और परेशानी मिली है, जहां विकास होना चाहिए था। आज विकास पूरी तरह से ठप दिखाई दे रहा है। विकास आगे नहीं बढ़ पा रहा है। 

बीजेपी की सरकार में बढ़ी महंगाई- अखिलेश यादव
उन्होंने आगे कहा कि बिजनेस को बढ़ावा मिलना चाहिए था। बिजनेस भी आज उस गति से नहीं बढ़ पा रहा है जिसके कारण आज महंगाई भी बढ़ी है। बेरोजगारी भी बढ़ी है। अगर किसी भी आंकड़े को उठाकर देख लें आज UP हर आंकड़े में पीछे दिखाई दे रहा है। चाहे स्वास्थ्य के आंकड़े हों देश में आपका उत्तर प्रदेश बहुत पीछे दिखाई दे रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में भी जहां आगे बढ़ना चाहिए था UP आगे नहीं बढ़ रहा है बल्कि पीछे बढ़ रहा है।

विजय रथ यात्रा के दौरान अखिलेश यादव ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि जिस चकगजरिया स्थान से हम लोग अपनी विजय रथ यात्रा शुरू करने जा रहे हैं। यह स्थान वो है, जहां एक समय पर जंगल था, डेयरी का थोड़ा बहुत काम होता था। सपा सरकार में बना चकगजरिया ना केवल लखनऊ के लिए बल्कि देश के लिए उदाहरण है।

परम तत्व दर्शन