Monday, January 3, 2022

पाक: 1971 के आत्मसमर्पण से भी ज्यादा शर्मनाक है पाकिस्तान सरकार का ये बिल

इस्लामाबाद. आतंकवाद (terrorism) का गढ़ बन चुका पाकिस्तान (pakistan) देश चलाने के लिए दूसरे देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं (international institutions) के कर्ज (debt) पर बुरी तरह निर्भर है। इसी कर्ज की मजबूरी में पाकिस्तान की सरकार (government of pakistan) को कुछ ऐसे कदम उठाने पड़ रहे हैं जिसकी दुनिया भर में बदनामी हो रही है। पाक के वित्त मंत्री शौकत तरीन ने 30 दिसंबर को फाइनेंस (सप्लीमेंट्री) बिल 2021(Finance Bill 2021) , जिसे विपक्ष मिनी बजट (Mini Budget) कह रहा है, पेश किया। इस बिल को लेकर विपक्षी पार्टियों (Opposition Parties) ने इमरान खान सरकार (imran khan government) को घेरा है और सत्ताधारी पार्टी पर पाकिस्तान को आईएमएफ (IMF) के हाथों बेचने का आरोप लगाया है। यहां तक कि पाकिस्तान के विपक्षी दल के सांसद ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि सरकार का ये कदम 1971 की जंग (war) में किए गए आत्मसमर्पण से भी ज्यादा शर्मनाक है।

पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' के मुताबिक  फाइनेंस (Supplementary) विधेयक के तहत 144  सामानों पर 17% जीएसटी (GST) लगाया जाएगा।  इनमें मोबाइल फोन, इलेक्ट्रिक वाहन, इंपोर्ट खाद्य तेल, चिकन, दवायों के लिए कच्चा सामान, कृषि के लिए बीज, बैटरी, आटा, पैक्ड डेयरी प्रोडक्टस, गन्ने आदि पर टैक्स लगाना शामिल है। ये टैक्स पाकिस्तान सरकार के राजस्व को बढ़ाने के मकसद से लगाए गए हैं। इस मिनी बजट से महंगाई से जूझ रही पाकिस्तानी जनता पर टैक्स (tax) का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

इमरान सरकार इस बिल को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की समीक्षा बैठक को देखते हुए लाई है। आईएमएफ ने पाकिस्तान को 6 अरब डॉलर का फंड देने की घोषणा की थी लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें भी रखी थीं। जैसे- पाकिस्तान सरकार अपना बजट घाटा कम करे और राजस्व बढ़ाएं। 12 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) पाकिस्तान की सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की समीक्षा करने वाला है। आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड द्वारा मंजूरी मिलने के बाद ही लगभग 1 अरब डॉलर की किस्त पाकिस्तान को मिल सकेगी।

इमरान सरकार के इस बिल पर विपक्षी दलों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार के पास अब अपने आर्थिक नीतियों पर फैसले लेने की ताकत नहीं रह गई है। सरकार आईएमएफ के दबाव में आकर हर कदम उठा रही है।

पाकिस्तान की प्रमुख विपक्षी पार्टी 'पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज' (PML-N) के नेता ख्वाजा आसिफ ने सदन में पूर्वी पाकिस्तान यानी बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में पाकिस्तान की हार का जिक्र करते हुए कहा, पाकिस्तान की आर्थिक संप्रभुता का समर्पण, 1971 में आत्मसमर्पण से ज्यादा खतरनाक है।  ख्वाजा आसिफ ने कहा कि सरकार इस बिल के तहत स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान का नियंत्रण IMF को दे रही है। उन्होंने आगे कहा कि आप स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान का नियंत्रण IMF के हाथों में दे रहे हैं। कृपया पाकिस्तान के लोगों पर रहम करें। पाकिस्तान को मत बेचें। आपने लोगों को इजाजत दी और पाकिस्तान तीन सालों तक लुटता रहा।

विपक्षी के आरोपों का जवाब देते हुए पाकिस्तान के योजना और विकास मंत्री असद उमर ने कहा कि विपक्ष SBP संशोधन विधेयक पर शोर मचाकर 'देश को डराने' की कोशिश कर रहा है। मंत्री ने कहा कि उनमें और हमारे बीच अंतर ये है कि जब वे डेंगू को रोकने के लिए भी काम करते हैं, तो उन्हें खुद इसके बारे में विज्ञापन देना पड़ता है। लेकिन जब हम कोविड-19 को रोकने के लिए काम करते हैं, तो अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं भी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेतृत्व वाली सरकार की प्रशंसा करती हैं।

बिल को लेकर पाकिस्तान की संसद में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी उछाला गया। मंत्री असद उमर ने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर सरकार की आलोचना करने के लिए विपक्ष को आड़े हाथों लिया। उन्होंने PML-N सुप्रीमो नवाज शरीफ पर निशाना साधते हुए कहा, नवाज शरीफ ने मोदी को अपने घर आमंत्रित किया था।'

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