अमेरिका
वहीं बात अगर अमेरिका की करें तो कोरोना काल की शुरूआत से ही अमेरिका चीन के खिलाफ भड़का हुआ है और लगातार उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात कह रहा है। अब भारत चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर अमेरिका भारत का सबसे बड़ा सहयोगी बनकर उभर रहा है। चीन के खिलाफ भारत के साथ अमेरिका ने भी मोर्चा खोल दिया है। बता दें कि संयुक्त राज्य अमेरिका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है। अमेरिका यूएन में एक शक्तिशाली देश माना
रूस
भारत और रूस के रिश्ते बेहद पुराने हैं और रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है। हाल ही में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एक परेड कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए चार दिवसीय रूस दौरे पर गए थे। जहां पर उन्होंने रूस के उप प्रधानमंत्री से बात की और रूस ने भारत को भरोसा दिलाया है कि वह बहुत जल्द ही भारत को
फ्रांस
फ्रांस भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य देश है। वहीं इस संवेदनशील समय में रूस के भारत के समर्थन में आ जाने से चीन अब यकीनन अकेला पड़ चुका है। फ्रांस के रिश्ते भारत के साथ कुछ इस तरह के हैं, जहां पहले कभी रूस के भारत के साथ थे। हालांकि रूस की मित्रता चीन के साथ भी है, लेकिन कई अहम मौकों पर उसने
ब्रिटेन
ऐसी स्थिति में जब भारत और चीन के बीच विवाद अपने चरम पर है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के इतने शक्तिशाली देश इस मसले को लेकर भारत का साथ दे रहे हैं, तो यकीनन ब्रिटेन ने भी इस मसले की गंभीरता को भांपते हुए भारत का
निष्कर्ष: वहीं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इतने सारे शक्तिशाली देशों के भारत के समर्थन में आने से भारत का पलड़ा यूएन में भारी पड़ रहा है। जिससे चीन अब वैश्विक मंच पर अलग थलग पड़ चुका है।
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