Wednesday, February 10, 2021

व्यंग्य: 'मोदी है तो मौका है', योगी आ गए तो भगवान ही मालिक: प्रताप मिश्रा


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने विरोधियों पर निशाना साधते हुए जब ये लाइन कही क‍ि- 'मोदी है तो मौका है, जितनी मर्जी आए आलोचना कीजिए'. अब इस जुमले के बीच में एक सस्पेंस इस बात का भी है क‍ि आखिर मोदी के बाद जो सत्ता आएगी, तब ये मौका छिन जाएगा।

सच कहूं, तो कभी-कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बहुत जलन होती है. 'सेंस ऑफ ह्यूमर' में पीएम मोदी का कोई जोड़ नहीं है. हां, ये जरूर कहा जा सकता है कि पीएम मोदी के इस मजाकिया लहजे के निशाने पर हमेशा विपक्षी दलों के नेता रहते हैं. लेकिन, ऐसे 'सेंस ऑफ ह्यूमर' का होना ही अपने आप में एक बड़ी चीज है. प्रधानमंत्री के पद पर बैठा कोई शख्स हल्के-फुल्के अंदाज में अपनी बात लोगों तक पहुंचा देता है, ये क्या कम है. पीएम मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा का जवाब देते हुए अपने 'शब्द तरकश' से आंदोलनजीवी और नया FDI जैसे तंज बाण तो निकाले ही. साथ ही भाषण खत्म होते-होते उन्होंने 'मोदी है तो मौका लीजिए' कहकर सदन को ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया. मोदी के ये छोटे-छोटे वाक्य (वन लाइनर) बड़े खतरनाक होते हैं. इन सबके बीच इंडिया टुडे और कार्वी इनसाइट्स का 'मूड ऑफ द नेशन' सर्वे मुझे याद आ गया. इस सर्वे में पीएम मोदी की लोकप्रियता देश भर के नेताओं से ज्यादा थी. लेकिन, दूसरे नंबर पर थे योगी आदित्यनाथ. इसी वजह से 'मोदी है तो मौका लीजिए' में मुझे 2024 के लोकसभा चुनाव का कनेक्शन नजर आ रहा है।

योगी आदित्यनाथ को नाम बदलने की पुरानी आदत है.
योगी आदित्यनाथ को नाम बदलने की पुरानी आदत है.

उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अगर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर पहुंच गए, तो बहुत सी चीजें बदलना शुरू हो जाएंगी. सबसे पहले तो जगहों के नाम ही बदलने शुरू हो जाएंगे. 2024 के आम चुनाव के बाद दिल्ली का नाम हस्तिनापुर रखा जा सकता है. यहां की वो तमाम सड़कें, जो बीते कुछ सालों में अपने नाम की वजह से विवादित रही हैं, उनका भी नंबर आ सकता है. 1975 में गुजरे जमाने के मशहूर अभिनेता ओमप्रकाश और धर्मेंद्र की एक जबरदस्त हिट फिल्म 'चुपके-चुपके' आई थी. इस फिल्म में शुद्ध और क्लिष्ट हिंदी शब्दों के इस्तेमाल के साथ अंग्रेजी का जमकर मजाक उड़ाया गया था. इसे ही आधार मान लिया जाए, तो रेल मंत्रालय आने वाले समय में 'बहुचक्रधारी लौहपथगामिनी' मंत्रालय कहा जा सकता है. योगी आदित्यनाथ को नाम बदलने की पुरानी आदत है. उन्होंने गोरखपुर का सांसद रहते कई नाम बदले और यूपी का सीएम बनकर भी नाम बदल रहे हैं. 2024 में एक नये 'नाम बदल डालो' मंत्रालय की घोषणा हो जाए, तो शायद ही कोई चौंकेगा।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर भी जुबानी हमला किए हैं. लेकिन, योगी आदित्यनाथ से पंगा लेने की हिम्मत उनमें भी नहीं दिखती है. यूपी में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोंक चुके अरविंद केजरीवाल ने अभी तक यूपी में कोई रैली वगैरह नहीं की है. पीएम मोदी के लिए कटु शब्दों तक का इस्तेमाल करने में परहेज ना करने वाले केजरीवाल, योगी आदित्यनाथ के लिए अपनी भाषा को 'संसदीय' बनाए रखते हैं. यूपी दौरे पर आए दिल्ली सरकार के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को यूपी पुलिस ने एक इंच भी हिलने नहीं दिया था. वहीं, केजरीवाल के विधायक सोमनाथ भारती को यूपी में 'टहल' लगाने की वजह से जेल तक जाना पड़ गया था. यूपी में अखिलेश यादव हों, मायावती हों या प्रियंका गांधी ये सभी योगी पर सीधा हमला करने से बचते हैं. पीएम मोदी विपक्षी नेताओं पर तंज कसते हैं. लेकिन, योगी आदित्यनाथ तंज के भरोसे नहीं बैठते हैं. ऐसे में योगी आदित्यनाथ के प्रधानमंत्री बन जाने पर उनसे भिड़ने की हिम्मत शायद ही कोई नेता करेगा।

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