सरकार पिछले कुछ दिनों से वाहन कबाड़ नीति पर काम कर रही थी। कुछ दिनों पहले ही सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने नई वाहन कबाड़ नीति को मंजूरी दी है। साथ ही पुराने वाहनों को कबाड़ में देने के बदले नए वाहन खरीदने के लिए सरकार प्रोत्साहन राशि भी देगी।
01 अप्रैल 2022 से लागू होगी नई नीति
यह नीति न सिर्फ निजी वाहनों पर लागू होगी बल्कि सरकारी और पीएयूवी विभागों की गाड़ियां भी शामिल होंगी। हाल में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सरकारी वाहनों के लिए 15 साल पुराने वाहनों को स्क्रैप करने की नीति को मंजूरी दे दी है। मंत्रालय के इस फैसले के बाद केंद्र, राज्य सरकारों और सार्वजनिक उपक्रमों की कंपनियों में इस्तेमाल होने वाले 15 साल पुराने वाहनों को हटाया जाएगा। अनुमान है कि इस नीति को लेकर अधिसूचना इसके 01 अप्रैल 2022 से लागू होने से पहले ही जारी की जाएगी।
जुलाई 2019 में वाहन कबाड़ नीति को शामिल करने को लेकर मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन किया गया था। इसके तहत पुराने वाहनों को सड़क से हटाने और नए सुरक्षित और कम प्रदूषण पैदा करने वाले वाहनों के साथ इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की नीति बनाई गई थी।
क्या होंगे वाहन कबाड़ नीति के फायदे
1.नई वाहन कबाड़ नीति के आने से भारत में वायु प्रदूषण के स्तर में काफी हद तक कमी आएगी।
2.साथ ही इसे देश के ऑटोमोबाइल सेक्टर को भील फायदा होगा, क्योंकि नए वाहनों की मांग बढ़ेगी।
3.सरकार लगातार वाहनों में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नए सुरक्षा मानक लागू कर रही है, इस नीति से पुराने असुरक्षित वाहन सड़कों से हटेंगे।
4.नए सुरक्षा मानक वाले वाहनों से सड़क पर आने से यात्रा सुरक्षित बनेगी।
5.इसके अलावा सरकार तेल आयात पर अपनी निर्भरता कम करना चाहती है, इलेक्ट्रिक वाहनों के आने से सरकार का यह उद्देश्य पूरा हो सकता है।
ठीक रखरखाव के बावजूद प्रदूषण
पिछले कुछ सालों में भारत के वाहन बाजार में काफी गति आई है। अगर पुराने प्रदूषण उत्सर्जन मानकों से तुलना करें, तो साल 2005 से पुराने वाहन नए मानकों से 10 से 25 फीसदी तक ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं। यहां तक कि अगर इन वाहनों का रखरखाव सावधानी से भी किया जाए, तो भी वे उत्सर्जन मानकों से ज्यादा प्रदूषण करेंगे। साथ ही सड़क सुरक्षा के लिए भी हानिकारक हैं।
वाहनों का डाटाबेस भी बनेगा
साथ ही इस नीति में गाड़ी में लगे एयरबैग्स को वैज्ञानिक तरीकों से डिस्पोजल के साथ साइलेंसर में मिलने वाली धातुओं और रबर का इको-फ्रेंडली तरीके से निपटान किया जाएगा। वहीं गाड़ी से निकलने वाले इंजन ऑयल को जमीन पर नहीं फैंका जाएगा, बल्कि वैज्ञानिक तरीकों से निपटा जाएगा। स्टील मंत्रालय ऐसे स्क्रैपिंग सेंटर्स पर काम कर रहा है और सड़ मंत्रालय इन्हें मान्यता देगा। साथ ही, किसी भी तरह की धोखाधड़ी से बचने के लिए ऐसे वाहनों का डाटाबेस भी बनाया जा रहा है।
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