भारतीय वायुसेना (IAF) को शॉर्ट नोटिस पर किसी भी युद्ध के लिए तैयार करने की जरूरत है. ये कहना है भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी का. उन्होंने कहा कि वायुसेना को छोटे युद्धों और पूर्वी लद्दाख में जारी लंबे संघर्षों दोनों तरह की स्थितियों के लिए तैयार रहना होगा. वीआर चौधरी गुरुवार 28 अप्रैल को वायुसेना में लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट को लेकर एक कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे.
IAF चीफ ने क्यों कहा ऐसा?
एयर चीफ मार्शल ने कार्यक्रम में कहा कि वायुसेना के हालिया अनुभवों और मौजूदा जियोपॉलिटिकल स्थिति को देखते हुए हमें रणनीतिक बदलाव करने की जरूरत है. साथ ही हर समय तैयार रहना होगा. उन्होंने कहा,
“इसके अलावा कम से कम समय में बड़े ऑपरेशन के नए तरीकों को देखते हुए लॉजिस्टिक्स में भी बड़े बदलाव की जरूरत है. ऐसी स्थिति में लॉजिस्टिक्स सपोर्ट काफी चुनौतीपूर्ण होगा. क्योंकि एयर फोर्स के पास काफी बड़ा और अलग-अलग तरीके का भंडार है.”
वायुसेना प्रमुख की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब यूक्रेन में जारी युद्ध के कारण हथियारों की उपलब्धता और उसे पूरा करने की रूस की क्षमता को लेकर बहस चली. वीआर चौधरी ने उत्तरी सीमाओं पर भारत की सुरक्षा चुनौती को लेकर भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि वायुसेना को हर संभावित चुनौतियों के लिए तैयार रहने की जरूरत है,
उनका इशारा पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी विवाद को लेकर था. पूर्वी लद्दाख के कई इलाकों में पिछले करीब 2 सालों से संघर्ष जारी है. इस दौरान कई बार दोनों देशों के बीच सैन्य और राजनयिक स्तर की बातचीत हुई. कुछ जगहों पर टकराव जरूर खत्म हुआ और दोनों देश के सैनिक पीछे हटे. हालांकि कई प्वाइंट्स पर गतिरोध की स्थिति अब भी बनी हुई है.
‘IAF नई तकनीकों को अपनाए’
इसके अलावा वायुसेना प्रमुख ने आत्मनिर्भरता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण लॉजिस्टिक्स के स्वदेशीकरण के लिए ‘फोकस्ड एक्शन प्लान’ विकसित करने की जरूरत है. चौधरी ने कहा,
“हमें समय के साथ आ रही नई तकनीकों से खुद को लैस करना होगा. जैसे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, ब्लॉकचेन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स को हमारी सप्लाई चेन की जरूरतों के लिए इस्तेमाल करना होगा.”
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को लेकर पिछले कुछ सालों से सरकार लगातार बात कर रही है. फरवरी महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि इस साल के रक्षा बजट में 70 फीसदी हिस्सा सिर्फ घरेलू उद्योग के लिए रखा गया है. प्रधानमंत्री ने भी कहा था कि रक्षा क्षेत्र में हम सूचना प्रौद्योगिकी का जितना इस्तेमाल करेंगे, अपनी सुरक्षा को लेकर हम ज्यादा भरोसेमंद होंगे. उन्होंने कहा था कि साइबर सुरक्षा अब सिर्फ डिजिटल दुनिया तक सीमित नहीं है बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बन चुका है.
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