उत्तर कोरिया ने दावा करते हुए कहा है कि उसने हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण कर लिया है। उत्तर कोरिया के इस दावे के साथ ही पूरी दुनिया के पसीने निकल आए हैं, खासकर अमेरिका भी डरा हुआ नजर आ रहा है। अगर उत्तर कोरिया के दावे में दम है और अगर वास्तव में उत्तर कोरिया ने हाइपरसोनिक मिसाइल का कामयाब परीक्षण कर लिया है, तो फिर सिर्फ अमेरिका ही नहीं, बल्कि क्षेत्रीय शांति की स्थिति भी काफी बदल चुकी है।
हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण
उत्तर कोरिया ने इस सप्ताह की शुरुआत में एक नई विकसित हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण करने का दावा किया है। उत्तर कोरिया की समाचार एजेंसी केसीएनए ने बुधवार को दावा करते हुए बताया है कि, उत्तर कोरिया ने उन्नत हथियार प्रणाली की दौड़ में शामिल विश्व की प्रमुख ताकतों के साथ शामिल हो गया है। उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन, जिन्हें सनकी तानाशाह भी कहा जाता है, उन्होंने ने ह्वासोंग-8 के प्रक्षेपण का निरीक्षण नहीं किया है। हर्मिट साम्राज्य की एक रिपोर्ट में ऐसा दावा किया गया है। आधिकारिक रोडोंग सिनमुन अखबार ने हथियार की एक तस्वीर भी ली है, जिसे आकाश में जाते हुए देखा जा रहा है। उत्तर कोरिया के रक्षा वैज्ञानिकों ने पहले परीक्षण के बाद कहा है कि मिसाइल का नेविगेशन और उसकी स्टेबिलिटी पूरी तरह से सही है। (परीक्षण की तस्वीर)
हाइपरसोनिक मिसाइल क्या हैं?
हाइपरसोनिक हथियारों को, अगली पीढ़ी का हथियार माना जाता है जिसका उद्देश्य प्रतिक्रिया समय और पारंपरिक हथियार तंत्र इस्तेमाल करने वाले दुश्मनों को खत्म करना होता है। बैलिस्टिक मिसाइल जहां वायुमंडल के ऊपरी सतह में उड़ते हुए दुश्मनों के टार्गेट को हिट करती है, वहीं हाइपरसोनिक हथियार कम ऊंचाई पर उड़ान भरते हैं। लेकिन, इसकी स्पीड साउंड की स्पीड से पांच गुना ज्यादा होती है। अमेरिका ने भी पिछले हफ्ते हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है, जिसकी स्पीड 6200 किलोमीटर प्रति घंटा है। वहीं, उत्तर कोरिया की न्यूज एजेंसी केसीएनए ने हाइपरसोनिक मिसाइल को 'रणनीतिक हथियार' बताते हुए कहा है कि हथियार प्रणाली के विकास से उत्तर कोरिया की रक्षा क्षमताओं में वृद्धि होती है। ( बैलिस्टिक मिसाइल)
उत्तर कोरिया की मिसाइल कितनी उन्नत है?
दक्षिण कोरिया के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ ने बुधवार को कहा है कि, उत्तर कोरिया की हाइपरसोनिक मिसाइल, विकास के शुरुआती चरण में है, जिसे पता लगाए गए वेग और अन्य डेटा से आंका जाता है, और उत्तर कोरिया को अभी इसे पूरी तरह से विकसित करने में काफी समय लगेगा। जब तक कि इसे युद्ध में तैनात नहीं किया जा सकता। आधिकारिक कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी ने कहा कि, मिसाइल ने लॉन्च स्थिरता और 'अलग हाइपरसोनिक ग्लाइडिंग वारहेड' की गतिशीलता और उड़ान विशेषताओं सहित प्रमुख तकनीकी आवश्यकताओं को पूरा कर लिया है। भले ही दक्षिण कोरिया कह रहा हो कि मिसाइल टेक्नोलॉजी अभी शुरूआती चरण में है, लेकिन अगर पहला चरण पार कर लिया गया है, तो फिर आखिरी चरण पर भी पहुंचा जा सकता है।
इस मिसाइल लॉन्च के क्या मायने हैं?
परीक्षण का मतलब यह हो सकता है कि उत्तर कोरिया अब संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के ग्रुप में शामिल होते हुए हथियारों की तैनाती की दिशा में काफी तेजी से प्रवेश कर रहा है। केसीएनए ने नई मिसाइल को देश के 'रणनीतिक' हथियार के लिए एक महत्वपूर्ण वृद्धि के रूप में वर्णित किया है, जिसका अर्थ है कि उत्तर कोरिया उस सिस्टम का भी निर्माण कर रहा है, जिससे परमाणु हथियार को दागा जा सके। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि मिसाइल परीक्षण के विफल होने की संभावना है। कोरिया एयरोस्पेस यूनिवर्सिटी के मिसाइल विशेषज्ञ चांग यंग-क्यून ने कहा है कि, 'उत्तर कोरिया की एचजीवी टेक्नोलॉजी की अमेरिका, रूस या चीन से तुलना नहीं की जा सकती है। हां, अभी के लिए उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया या जापान तक मार करने वाली टेक्नोलॉजी को जरूर हासिल कर लिया है''।
मिसाइल टेस्ट का क्षेत्रीय प्रभाव
उत्तर कोरिया हो या दक्षिण कोरिया, दोनों अपनी हथियार क्षमताओं में लगातार वृद्धि कर रहे हैं। और अब इस बात की पूरी संभावना है कि इन दोनों देशों के साथ कई और देश काफी तेजी से नये नये हथियार बनाने की दिशा में काफी तेजी से आगे बढ़ सकते हैं। जिसका असर पड़ोसी देश जापान, चीन के साथ कई और देशों पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। पाकिस्तान की मदद से परमाणु हथियार पहले ही बना चुके उत्तर कोरिया ने 1950 में दक्षिण कोरिया पर हमला कर दिया था और उसके ऊपर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई तरह के प्रतिबंध लगे हुए हैं। इस महीने की शुरूआत में ही नॉर्थ कोरिया ने लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल का परीक्षण भी किया था। वहीं, केसीएनए ने कहा कि हाइपरसोनिक मिसाइल विकसित करना रणनीतिक हथियारों के लिए पंचवर्षीय योजना में पांच 'सर्वोच्च प्राथमिकता' कार्यों में से एक है, ऐसे में अब पूरी संभावना है, कि पूरी दुनिया नये सिरे से विध्वंसक हथियारों की दौड़ में शामिल हो जाएगा।
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