अफगानिस्तान महिलाओं के लिए बेहद मुश्किल समय है
काबुल. अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) के नियंत्रण के बाद जिस बात का डर था, वो सच साबित होने वाला है. तालिबान अपना सदाचार मंत्रालय (Ministry of virtue and vice) फिर से शुरू करने जा रहा है. यही वह मंत्रालय है, जिस पर देश में शरिया कानून (Sharia law) को लागू करने का जिम्मा है. इसे अफगानिस्तान पर अमेरिका के हमले के बाद बंद कर दिया था. लेकिन अब तालिबान इसे वापस शुरू करने जा रहा है. मोहम्मद खलील इस मंत्रालय का मुखिया होगा.
न्यूयॉर्क पोस्ट की खबर के मुताबिक, ये बदनाम मंत्रालय बनने के बाद अफगानिस्तान के हालात बद से बदतर होने वाले हैं. इसके जरिए तालिबान सख्त शरिया कानून लागू करने जा रहा है. इसमें महिलाओं को बिना पुरुष साथी के घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं होगी. इसके अलावा म्यूजिक और मनोरंजन के सभी माध्यमों पर पाबंदी होगी. अफगानिस्तान के सेंट्रल जोन के मुखिया मोहम्मद युसूफ ने बताया कि इस कानून को लागू करके इस्लाम की खिदमत की जाएगी.
तालिबानी ने बताया कैसा होगा शरिया कानून
अफगानिस्तान में जुर्म की इंतेहा कैसी होने वाली है, इसके बारे में मोहम्मद युसूफ बड़े फख्र से बताता है. उसने बताया, ‘हम इस्लामी नियमों के हिसाब से सजा देंगे. उदाहरण के लिए हत्या करने पर अलग-अलग तरीके से सजा मिलेगी. कोई जानबूझकर किसी को हत्या करेगा तो उसे सरेआम मार दिया जाएगा. अगर उसने गलती से किसी की हत्या की है तो उससे उसकी कीमत का जुर्माना वसूला जाएगा. कोई चोरी करता है तो हाथ काटे जाएंगे, कोई अवैध संबंध रखेगा तो पत्थर से मारा जाएगा.’ तालिबान के पुराने शासन (1996 से 2001) में महिलाओं को बुर्का में ढंक दिया गया था और बिना मर्द रिश्तेदार के बाहर जाने पर पाबंदी थी. प्रार्थना के समय को सख्ती से लागू किया था और मर्दों को दाढ़ी बढ़ाने के लिए कहा गया था.
‘मोरल पुलिस’ होगी तैनात
न्यूयॉर्क पोस्ट के मुताबिक, मोरल पुलिस अब हर सड़क और चौराहे पर तैनात किया जाएगी. उन्हें कानून को तोड़ने वालों को कोड़े, बेंत, अंगों को काटने या सजा-ए-मौत देने का अधिकार होगा. इन सबके उदाहरण इन दिनों काबुल की सड़कों पर देखने को मिल रहे हैं.
शांति के लिए जरूरी है ‘शरिया’
मोहम्मद यूसुफ ने बताया वो 9वीं क्लास तक आम स्कूल में पढ़ा है. इसके बाद उसने 13 सालों तक इस्लाम की पढ़ाई की. अब वह इस्लामी ज्ञान का प्रचार करता है. यूसुफ ने दावा किया कि उसने कभी मिलिट्री ट्रेनिंग नहीं ली है और ना ही आज तक बंदूक चलाई है. उसने कहा कि हम देश में शांति चाहते हैं, जिसके लिए इस्लामी नियम-कायदे बेहद जरूरी हैं. शांति और इस्लामी शासन ही हमारा एकमात्र उद्देश्य है.
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