
एक शोध बताता है कि लगातार अभ्यास के जरिए फाेकस काे बेहतर कर सकते हैं। हालांकि इसके लिए दिमाग की भी राेज कसरत करनी होगी। यूनिवर्सिटी ऑफ मियामी के काॅग्निटिव और बिहेवियरल साइंस की प्राेफेसर अमीषी झा ने चार हफ्ते के प्रशिक्षण कार्यक्रम के बाद पाया कि साधारण से माइंडफुलनेस व्यायाम से फाेकस बढ़ाया जा सकता है।
साथ ही भावनात्मक स्वास्थ्य के कई पहलुओं में सुधार किया जा सकता है। इस अध्ययन में सैनिक, एथलीट और इमरजेंसी में तैनात होने वाले डाॅक्टर-स्वास्थ्यकर्मी शामिल हुए। उन्हाेंने अपनी किताब, ‘पीक माइंड: फाइंड याेर फाेकस, ऑन याेर अटेंशन, इन्वेंस 12 मिनट्स अ डे’ में इस पर विस्तार से बात की है।
इस पूरी प्रकिया में तनाव सबसे बड़ी बाधा
एकाग्रता में सबसे बड़ी बाधा तनाव है। बहुत सजग अवस्था में भी हम चिंतन करने लगते हैं। कल्पनाएं करने हैं। यह दिमाग के उस हिस्से को प्रभावित करता है, जिसे वर्किंग मेमाेरी कहते हैं। मेमाेरी व्हाइटबाेर्ड की तरह है। जब दिमाग का व्हाइट बाेर्ड तनाव संबंधी विचाराें, भावनाओं और चित्राें से भर जाता है ताे नई सूचना के लिए जगह नहीं बचती। दिमाग में शून्य सा आ जाता है। हम आसपास के लोगों पर चिढ़ने लगते हैं। फिर खुद काे दाेषी मानने लगते हैं और यही एकाग्रता को मुश्किल बनाता है।
ऐसे करें दिमागी कसरत, ध्यान सिर्फ सांसों पर होना चाहिए
अमीषी ने दिमाग के लिए आसान कसरत तैयार कीं। इसे रोज 12 मिनट तक करना होता है। शुरुआत में 3 मिनट भी कर सकते हैं। इसका मकसद उस वक्त को जीना है, जिनमें आप अभी माैजूद हैं।
सांसों पर ध्यान से दिमाग को आराम दें:
- सांसों पर या सांसाें को शरीर में जहां सबसे ज्यादा महसूस करते हैं, वहां ध्यान फाेकस करें। एक हफ्ते तक राेज तीन मिनट के लिए इसे करें। उसके बाद समय बढ़ाते जाएं।
- इसे राेजमर्रा की जिंदगी से जाेड़ें। जैसे, ब्रश करते हुए, नहाते हुए सांसों पर ध्यान लगाएं।
- यदि ऐसा करते हुए आप आज के कामाें की सूची के बारे में साेच रहे हैं ताे खुद काे वापस लाएं और सांसों के सेंसेशन पर ध्यान लगाएं। ध्यान सिर्फ सांसों पर ही लगाना है।
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