Tuesday, August 31, 2021

'मुलायम ने मिलाया BJP से हाथ'


उत्तर प्रदेश में साल 2022 यानि कुछ ही महीनों बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। देश के सबसे बड़े राज्य में सत्ता पर काबिज होने के लिए सभी पार्टियों ने अभी से जोर लगाना शुरू कर दिया है। इसी बीच एक नई तस्वीर सामने आई है, जहां यूपी बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने समाजवादी पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव से मुलाकत की।

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लखनऊ, उत्तर प्रदेश में साल 2022 यानि कुछ ही महीनों बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। देश के सबसे बड़े राज्य में सत्ता पर काबिज होने के लिए सभी पार्टियों ने अभी से जोर लगाना शुरू कर दिया है। इसी बीच एक नई तस्वीर सामने आई है, जहां यूपी बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने समाजवादी पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव से मुलाकत की। प्रदेश की सियसत में इस मुलाकात को लेकर कई मायने निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में दोनों के एक साथ आने के कई कयास लगने लगे हैं।

खुद बीजपी अध्यक्ष से शेयर की नेताजी के साथ की तस्वीर
दरअसल, बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने सोमवार को मुलायम सिंह यादव के लखनऊ वाले आवास पर जाकर मुलाकात की। इस दौरान दोनों के बीच करीब डेढ़ घंटे तक बातचीत भी हुई। इस दौरान बीजेपी अध्यक्ष ने नेताजी से  स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। साथ ही बताया जाता है कि  जन्माष्टमी के मौके पर मुलायम सिंह को भगवान श्रीकृष्ण का पट भी भेंट किया। मुलाकात की तस्वीर खुद स्वतंत्र देव सिंह ने ही ट्वीट की है। साथ ही उन्होंने लिखा कि मैं ईश्वर से मुलायम सिंह जी के उत्तम स्वास्थ्य एवं दीर्घायु की कामना करता हूं।

सपा ने बीजेपी अध्यक्ष को दिया अपना ऑफर
बता दें कि दोनों नेता की यह तस्वीर सामने आते ही राजीतिक गलियारों में चर्चा होने लगी कि मुलायम सिंह बीजपी अध्यक्ष को सपा में शामिल कराना चाहते हैं। जैसे ही इस फोटो को अखिलेश यादव ने एक रीट्वीट किया तो सियासी पारा और चढ़ गया। वहीं कई सपा नेता सोशल मीडिया पर स्वतंत्र देव सिंह को अपनी पार्टी में आने का ऑफर देने लगे। इतना ही नहीं अखिलेश यादव के डिजिटल मीडिया हेड मनीष जगन अग्रवाल के एक ट्वीट को रीट्वीट किया जिसके मुताबिक स्वतंत्र देव को सपा ज्वाइन करने का ऑफर दिया गया है।


बीजेपी को देने पड़ी मुलाकात पर सफाई
मुलायम सिंह और स्वतंत्र देव सिंह की इस दिलचस्प मुलाकात के बाद बीजेपी नेताओं ने सफाई देते हुए कहा कि मंगलवार को लखनऊ में कल्याण सिंह के लिए होने वाली श्रद्धांजलि सभा में आमंत्रित मुलायम सिंह को निमंत्रण देने के लिए स्वतंत्र देव सिंह गए  हुए थे। क्योंकि नेताजी उन्हें श्रद्धांजलि देने नहीं गए थे। 


तालिबान के कब्जे में अफगानिस्तान :प्रताप मिश्रा



तालिबान की जीत से पाकिस्तान और चीन उत्साहित हैं, लेकिन शायद वे इतिहास से कोई सबक लेना नहीं चाहते हैं. अफगानिस्तान वह देश है, जहां बड़ी-बड़ी ताकतों को मुंह की खानी पड़ी है

खबरों के अनुसार, अमेरिका ने अफगानिस्तान के सैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगभग 88 अरब डॉलर खर्च किये थे. अफगान सरकार के तीन लाख सैनिकों की तुलना में तालिबान के पास 80 हजार सैनिक थे, लेकिन फिर भी लड़ाई कुछ ही हफ्ते चल सकी. अफगानिस्तान प्रकरण पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि तालिबान का विरोध किये बिना काबुल का पतन होना अमेरिकी इतिहास की सबसे बड़ी हार के रूप में दर्ज होगा.

अमेरिका ने यह जंग 11 सितंबर, 2001 को आतंकवादी हमलों के बाद शुरू की थी. ओसामा बिन लादेन ने अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता के साये में बैठ कर उन हमलों की साजिश रची थी, लेकिन हमले के बाद अमेरिकी नेतृत्व ने तालिबान को सत्ता से उखाड़ फेंका था, मगर अमेरिकी सेना की अफगानिस्तान से असमय वापसी ने तालिबान को वापस ला दिया है.

इसके पीछे की कहानी यह है कि पाकिस्तान ने वर्षों तक तालिबान को पाल-पोस कर रखा और वह इंतजार कर रहा था कि कब अमेरिका हटे और वह फिर तालिबान को जंग में उतार दे. इस दौरान वह अमेरिका और तालिबान के बीच मध्यस्थ की भूमिका में नजर आता रहा, लेकिन आप यदि तालिबान के चेहरे से नकाब उतारेंगे, तो उसके पीछे आपको पाकिस्तानी सेना का घिनौना चेहरा नजर आयेगा.

अमेरिका और पश्चिमी देश वर्षों से इनके गहरे नाते के बारे में जानते हैं, लेकिन वे फिर भी आंख मूंदे रहे. तालिबान के सारे नेता सपरिवार पाकिस्तान में ठाठ की जिंदगी जी रहे थे. जो अमेरिकी सहायता पाकिस्तानियों को मिल रही थी, उसका एक बड़ा हिस्सा तालिबान और अन्य कई आतंकवादी संगठनों को तैयार करने में इस्तेमाल किया जा रहा था.

आइएसआइ के पूर्व प्रमुख हामिद गुल जिहादी मानसिकता के थे. उन्होंने हमेशा तालिबान का समर्थन किया. वे लादेन के समर्थक भी थे और 9/11 के अमेरिकी हमलों को भी अमेरिकी साजिश ही मानते थे. उन्हें भारत का कट्टर दुश्मन माना जाता था. रिटायर होने के बाद एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि जब इतिहास लिखा जायेगा, तो उसमें जिक्र होगा कि पाकिस्तान ने अमेरिका को अमेरिका की ही मदद से अफगानिस्तान में हरा दिया.

हामिद गुल का यह वीडियो एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन अमेरिका इतने सबूतों के बावजूद अब तक पाकिस्तान के दुष्चक्र से अपने को अलग नहीं कर पाया है. जैसे ही मौका आया, पाकिस्तान ने तालिबान को अफगानिस्तान के मैदान में उतार दिया. पहले भी पाकिस्तान ऐसा कर चुका है, लेकिन अंतर यह है कि तब अमेरिका के कहने पर सोवियत संघ के खिलाफ उन्हें उतारा था.

जब सोवियत संघ ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था, उस दौरान अमेरिका चाहता था कि किसी भी तरह सोवियत संघ को मुंह की खानी पड़े. इसके लिए उसने तालिबान को तैयार करने की जिम्मा पाकिस्तान को सौंपा था. भारी संख्या में हथियार और बेहिसाब पैसा पाकिस्तान को उपलब्ध कराया गया.

इसका नुकसान भारत को भी उठाना पड़ा. पाकिस्तान ने इसका इस्तेमाल भारत में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ाने में किया, लेकिन इस दौरान अमेरिका आंखें बंद किये रहा. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने मजहबी नेताओं को प्रशिक्षण और हथियार देकर अफगानिस्तान में भेजना शुरू कर दिया. इन्हीं में पश्तून समुदाय का एक अनजान-सा नेता मुल्ला उमर भी था, जिसने सोवियत संघ की हार के बाद तालिबान की स्थापना की और अमेरिका के गले की फांस बन गया.

तालिबान की जीत से पाकिस्तान और चीन उत्साहित हैं, लेकिन शायद वे इतिहास से कोई सबक लेना नहीं चाहते हैं. अफगानिस्तान वह देश है, जहां बड़ी-बड़ी ताकतों को मुंह की खानी पड़ी है. अफगानिस्तान पर रूस का प्रभाव धीरे-धीरे बढ़ रहा था. इसे रोकने के लिए और अफगानिस्तान को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाने के लिए अंग्रेजों ने 1839 से 1919 के बीच तीन बार अफगानिस्तान पर नियंत्रण की कोशिश की.

यह वह दौर था, जब कहा जाता था कि ब्रिटिश साम्राज्य का सूरज अस्त नहीं होता था, लेकिन हर बार उसे मुंह की खानी पड़ी. अंतिम युद्ध रावलपिंडी की संधि के साथ समाप्त हुआ, जिसके बाद अफगानिस्तान पूर्ण रूप से स्वतंत्र हो गया था. कई वर्षों की शांति के बाद 1978 से अफगानिस्तान में युद्ध का नया दौर शुरू हुआ. सोवियत संघ ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण की कोशिश की और भारी नुकसान के बाद उसे पीछे हटना पड़ा. उसके बाद से अफगानिस्तान लगातार संघर्ष के दौर से गुजर रहा है. इस सबका खामियाजा आम अफगानिस्तानी को उठाना पड़ रहा है. इस सब में पाकिस्तान की भूमिका हमेशा शर्मनाक रही है.

भारत ने अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में अहम भूमिका निभायी है. अफगानिस्तान के संसद भवन का निर्माण भी भारत ने किया, ताकि लोकतांत्रिक व्यवस्था सुचारू रूप से चले. मैं अफगानिस्तान के कई पत्रकारों को जानता हूं और मैंने बातचीत में पाया है कि आम अफगानी के दिल में भारतीयों के प्रति बहुत प्रेम है, लेकिन पाकिस्तान के हमसाया तालिबान के दिल में भारतीयों के प्रति उतनी ही नफरत है. अफगानिस्तान के बिगड़ते हालात ने भारत में चिंता जतायी है.

आपके पड़ोस में आतंकवादी अड्डा बने, यह किसी भी देश के लिए चिंता की बात है. पिछली तालिबानी सत्ता के दौरान एक भारतीय विमान का अपहरण कर कंधार ले जाया गया था और यात्रियों की जान बचाने के बदले कई आतंकवादियों को छोड़ना पड़ा था. हाल में अफगानिस्तान को लेकर दिल्ली में सर्वदलीय बैठक हुई, जिसमें सभी दलों ने चिंता जाहिर की. सब जानते हैं कि पाकिस्तान आतंकवाद का सबसे बड़ा अड्डा है.

आइएसआइ की मदद से जैशे मोहम्मद ने बहावलपुर में मुख्यालय बना रखा है और इसका मुखिया मसूद अजहर यहीं से आतंकी गतिविधियां संचालित करता है. सब जानते हैं कि 26 नवंबर, 2008 को लश्कर के आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला किया था. भारत द्वारा पुख्ता सबूत देने के बावजूद पाकिस्तान हमेशा इस हमले में अपनी भूमिका को खारिज करता आया है. हमें इन बातों को विस्मृत नहीं करना चाहिए.

लखनऊ में बनेगा सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल उत्पादन केंद्र

उत्तर पदेश की राजधानी लखनऊ सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल उत्‍पादन का केंद्र बनने जा रहा है। रक्षा मंत्रालय के महत्‍वपूर्ण कदम से यूपी की आर्थिक एवं देश की सामरिक ताकत बढ़ेगी। अतीत के अनुभवों से सबक लेते हुए केद्र सरकार रक्षा आयुध के क्षेत्र में आत्‍मनिर्भर बनने की दिशा में प्रयत्‍नशील है। बजट की दिक्‍कतों के बावजूद भारत निर्यातक देश बनने की योजना पर काम कर रहा है। वर्तमान स्थिति का आकलन करें तो पांचवां सबसे बड़े रक्षा बजट वाला भारत अपनी रक्षा जरूरतों के उपकरणों एवं कलपुर्जों का 60 फीसदी हिस्‍सा दूसरे देशों से आयात करता है। भारत सैन्‍य जरूरतों की खरीद करने वाला सऊदी अरब के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश है। रक्षा आयुध के लिए अन्‍य देशों पर निर्भरता सामरिक एवं सैन्‍य दृष्टि के लिहाज से आदर्श स्थिति नहीं है। केंद्र सरकार आयात पर निर्भरता कम करने और स्‍वदेशी तकनीक को मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। पिछली सरकारों ने रक्षा आयुध एवं हथियारों के क्षेत्र में फोकस्‍ड रणनीति के साथ काम करने की बजाय यथास्थितिवाद को बनाये रखने पर जोर दिया। दुष्‍परिणाम रहा कि भारत रक्षा अनुसंधान ईकाइयां उन्‍नत तकनीक के स्‍वदेशी आयुध के उत्‍पादन की बजाय दूसरे देशों से आयातित कलपुर्जों को जोड़ने में ही अपनी उपयोगिता सिद्ध करती रहीं। देश में स्‍वदेशी तकनीक वाले उन्‍नत एवं मारक हथियारों को विकसित करने को लेकर दीर्घकालीन योजनाएं तैयार नहीं की गईं। भारत रक्षा आयुध क्षेत्र में अभी भी अमेरिका, फ्रांस, रुस जैसे बड़े हथियार निर्यातक देशों पर निर्भर है। यह स्थिति देश की सामरिक और अग्रिम सुरक्षा मोर्चे के लिए उपयुक्‍त नहीं है।

भारत सरकार रक्षा मामले में विदेशी निर्भरता को न्‍यूनतम करने तथा हथियार निर्यातक देश बनने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) को अग्रणी भूमिका निभाने की जिम्‍मेदारी दी है। संयुक्‍त एवं स्‍वदेशी उन्‍नत युद्ध हथियारों को विकसित एवं उत्‍पादित करने पर जोर दिया जा रहा है। इस क्रम में डीआरडीओ की ब्रहमोस एरोस्‍पेस उत्‍तर प्रदेश में अपनी नई निर्माण ईकाई के साथ कदम रखने जा रही है। भारत एवं रुस की संयुक्‍त परियोजना ब्रह्मोस का व्‍यवसायिक उत्‍पादन भी होगा। रक्षा के क्षेत्र में यह उत्‍तर प्रदेश के साथ देश के लिए भी बड़ी एवं गौरवांवित करने वाली उपलब्धि है। राज्‍य में डिफेंस कॉरिडोर के लखनऊ नोड में ब्रह्मोस एरोस्‍पेस ने नेक्‍स्‍ट जनरेशन ब्रह्मोस मिसाइल बनाने के लिए योगी सरकार से समझौता किया है। यूपीडा एवं ब्रह्मोस एरोस्‍पेस के बीच हुए समझौते के तहत ब्रह्मोस मिसाइल मैन्‍युफैक्‍चरिंग यूनिट 200 एकड़ में विकसित की जायेगी। यह परियोजना देश की सैन्‍य मजबूती के साथ यूपी की आर्थिक एवं सामरिक ताकत में इजाफा करेगी। ब्रह्मोस एरोस्‍पेस नेक्‍स्‍ट जनरेशन की ब्रह्मोस मिसाइल के उत्‍पादन के लिए 300 करोड़ रुपये का निवेश लखनऊ रीजन में करेगी। परियोजना के सब सिस्‍टम में निर्माण से जुड़ी 200 से अधिक औदयोगिक इकाइयां भी अपने मैन्‍यूफैक्‍चरिंग यूनिट की स्‍थापना करेंगी। उत्‍तर प्रदेश सरकार सितंबर महीने में इस परियोजना का शिलान्‍यास कराने की तैयारी कर रही है। लखनऊ में डीआरडीओ की इस ईकाई की स्‍थापना के साथ ही उत्‍तर प्रदेश डिफेंस हब बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर होगा। इस परियोजना ने राज्‍य की आर्थिक स्थि‍ति मजबूत होने के साथ 15000 लोगों प्रत्‍यक्ष एवं परोक्ष रूप से रोजगार भी पैदा होगा। यूपीडा जल्‍द ही अपेक्षित जमीन डीआरडीओ को उपलब्‍ध कराने जा रही है।

इस योजना के लखनऊ में स्‍थापित होने में मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की महत्‍वपूर्ण भूमिका है। उत्‍तर प्रदेश अगले कुछ वर्षों में रक्षा उत्‍पादन हब के रूप में विकसित होने जा रहा है, जिसकी शुरुआत ब्रह्मोस के जरिये हो रही है। अब तक उत्‍तर प्रदेश में रक्षा उत्‍पादन का प्रमुख केंद्र कानपुर था। अब जल्‍द ही इस लिस्‍ट में लखनऊ भी शामिल हो जायेगा, जिसे एचएएल के बाद ब्रह्मोस एरोस्‍पेस का तोहफा मिलने जा रहा है। डिफेंस कॉरिडोर में आने वाले अन्‍य जिलों में भी निजी एवं सरकारी रक्षा ईकाइयां अपना मैन्‍युफैक्‍चरिंग और रिसर्च विंग खोलने की तैयारी कर रही हैं। यूपी का मजबूत होता आधारभूत ढांचा एवं कॉरिडोर रक्षा क्षेत्र के निवेशकों को आकर्षित कर रहा है। ब्रह्मोस का उत्‍पादन शुरू होते ही लखनऊ मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर में वैश्विक पटल पर स्‍थपित होगा। डीआरडीओ, डीपीएसयू, ओएफबी, एचएल, बीईएल और शिपयार्ड जैसी रक्षा अनुसंधान इकाइयां नये आयुध रिसर्च में जुटी हुई हैं। भारत ब्रह्मोस का उत्‍पादन रुस के सहयोग से कर रहा है। मैक 3 की स्‍पीड से 290 किमी तक मार करने वाली तथा 300 किलोग्राम वजन ले जा सकने में सक्षम ब्रह्मोस को जमीन, हवा, समुद्र तथा पानी के भीतर से भी छोड़ा जा सकता है। इस सुपरसोनिक मिसाइल का 65 फीसदी मशीनरी फिलहाल रूस से आयात हो रहा है। इसे हल्‍के, भारी वाहन के साथ सुखोई जैसे फाइटर जेट से लक्ष्‍य पर निशाना साधा जा सकता है। यह स्‍थान बदलने वाले लक्ष्‍य को भी भेदने तथा रडार को धोखा देने में सक्षम है। आने वाले एक दशक में भारत 2000 ब्रह्मोस मिसाइल के उत्‍पादन का लक्ष्‍य रखा है। इस मिसाइल के अपग्रेड ब्रह्मोस 2 की तैयारियां भी जारी हैं, जो 8 मैक स्‍पीड तथा 1000 किमी रेंज के साथ पहले से भी ज्‍यादा मारक और अचूक होगा।

लखनऊ में उत्‍पादन शुरू होने के बाद ब्रह्मोस एरोस्‍पेस कार्प जल्‍द ही दूसरे देशों को ब्रह्मोस मिसाइल निर्यात करेगा। इस लिस्‍ट में फिलिपींस, वियतनाम और इंडोनेशिया प्रमुख रूप से शामिल हैं। खाड़ी देशों समेत दक्षिण अफ्रीका भी ब्रह्मोस की आकांक्षा वाला देश है। रुस ने फीलिपींस को ब्रह्मोस बेचने पर अपनी सैद्धांतिक सहमति प्रदान कर दी है। भारतीय कैबिनेट की सुरक्षा कमेटी के मुहर का इंतजार है। सरकार की मंशा आयात कम कर निर्यात बढ़ाने एवं रक्षा तकनीक के अग्रणी देशों की तरह आत्‍मनिर्भर होने की है। रक्षा इकाइयों के साथ देश के निजी रक्षा कंपनियां भी भारत की निर्यात दायरा बढ़ाने में जुटी हुई हैं। वित्‍तीय वर्ष 2014-15 में 994.04 करोड़ रुपये के सापेक्ष भारत ने 2015-16 में 1379.42 करोड़ का रक्षा उपकरण निर्यात किया। 2017-18 में निर्यात का दायरा बढ़कर 4682 करोड़ हो गया, जिसे वर्ष 2025 तक बढ़ाकर 5 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्‍य रखा गया है। भारत अभी अल्‍जीरिया, इक्‍वाडोर, इंडोनेशिया, नेपाल, ओमान, रोमानिया, बेल्जियम, वियतनाम, म्‍यामांर, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका और सूडान जैसे अपेक्षाकृत छोटे देशों को रडार, तटीय गश्‍ती जलयान, चीतल हेलीकॉप्‍टर, इलेक्‍टॉनिक प्रणालियां और कुछ कलपुर्जे का निर्यात कर रहा है। इनमें कई देशों की रक्षा जरूरतें अत्‍यंत न्‍यूनतम हैं। भारत अभी मिसाइल, टैंक, तोप और मारक हथियार की तकनीक में इस स्‍तर पर तरक्‍की नहीं कर सका है कि वह उसका बड़े स्‍तर पर उत्‍पादन करके दूसरे देशों को निर्यात कर सके। कई रक्षा उपकरणों बनाने के लिए भारत दूसरे देशों से आयातित होने वाले कलपुर्जों पर निर्भर है। वह अभी अपनी जरूरत के अनुसार उत्‍पादन कर रहा है। सरकारी एवं निजी रक्षा उपकरण उत्‍पादन ईकाइयों का पूरा जोर अगले पांच वर्षों में बड़े रक्षा उपकरणों का उत्‍पादन कर निर्यात को बढ़ाना है। ब्रह्मोस के साथ भारत कम दूरी वाले मारक मिसाइल आकाश के निर्यात की भी तैयारी कर रहा है। सेना पर खर्च होने वाले बजट की लिस्‍ट में भारत पांचवें स्‍थान पर है। पड़ोसी देश चीन का बजट भारत से लगभग ढाई गुना है। 2020 में भारत का रक्षा बजट 4710 अरब रुपये था, जिसे 2021 में मामूली बढ़ाकर 4780 अरब किया गया है, जिसमें 1350 अरब रुपये सैन्‍य सामान खरीद एवं रख-रखाव के लिए है। दूसरी तरफ चीन का रक्षा बजट 12500 अरब रुपये से ज्‍यादा है। रक्षा आयात और दूसरे देशों पर निर्भरता घटाए बिना भारत कभी भी चीन और अमेरिका जैसे देशों की श्रेणी में खड़ा नहीं हो सकता।

कोरोना से मिली थोड़ी राहत, 5 दिनों में सबसे बड़ी गिरावट, 24 घंटे में सामने आए 30,941 नए मामले


 देश में पिछले 5 दिनों से लगातार 40 हजार से अधिक नए मामले सामने आ रहे थे. वहीं आज कोरोना वायरस संक्रमण के मामले में एक बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटों के दौरान देश में 30,941 नए मामले सामने आई. इस दौरान 350 लोगों की कोरोना की चपेट में आकर मौत हो गई.

एक दिन पहले की बात करें तो सोमवार को देश में कोरोना वायरस के 42,909 नए मामले सामने आए थे, जबकि रविवार को यह संख्या 45,083 थी. सोमवार को कोरोना से देश में 380 मरीजों की मौत हुई थी. अगर पिछले 24 घंटों की बात करें तो इस दौरान 36,275 लोग कोरोना से ठीक होकर अपने घर वापस लौट चुके हैं.

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पिछले 24 घंटों में आए नए आंकड़ों के बाद देश में 3,70,640 एक्टिव केस हैं. वहीं 3 करोड़ 19 लाख 59 हजार 680 लोग ठीक होकर अपने घर वापस लौट चुके हैं. जबकि अब तक देशभर में 4 लाख 38 हजार 560 लोगों की कोरोना से मौत हो गई है. अगर टीकाकरण की बात करें तो अब तक देशभर में कोविड-19 के 64 करोड़ से अधिक टीके लगाए जा चुके हैं.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी कि सोमवार को देशभर में कोविड-19 की 59,62,286 खुराक लगाई गई. इसके बाद देशभर में अब तक 64,05,28,644 टीके की खुराक लगाई जा चुकी है. पिछले कुछ दिनों से केरल में सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं. केरल में सोमवार को कोविड-19 के 19,622 नये मामले सामने आए.

केरल में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या अब बढ़कर 40,27,030 हो गई है. वहीं पिछले 24 घंटों के दौरान 132 मरीजों की मौत हो गई. इसके बाद केरल में कोरोना से मृतकों की तादाद राज्य में 20,673 पर पहुंच गई है. केरल में पिछले 24 घंटे के दौरान 1,17,216 लोगों का कोरोना टेस्ट किया गया. राज्य में अब तक कुल 3 करोड़ 13 लाख 92 हजार 529 नमूनों की कोरोना जांच हो चुकी है.

Monday, August 30, 2021

अमेरिका-ब्रिटेन ने अफगानिस्तान में छोड़े 8500 करोड़ डॉलर के हथियार, अब तालिबान को हराना नहीं होगा आसान


काबुल, अगस्त 30: 15 साल पहले जब ब्रिटिश सैनिकों को अफगानिस्तान के हेलमंद में तैनात किया गया था, तो उस वक्त तालिबानी लड़ाकों के पास पहनने को कुछ फटे कपड़े और हथियार के नाम पर दशकों पुरानी रूसी राइफलों और ग्रेनेड लांचर होते थे, जबकि ब्रिटिश सैनिक अत्याधुनिक मशीन गन, नाइट विजन गॉगल्स समेत तमाम अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस थे। तालिबान के पास विदेशी सेना से लड़के का बस एक ही ऑप्शन था, गोरिल्ला वार, लेकिन आप ये जानकर हैरान हो जाएंगे...कि नये तालिबान के पास दुनिया के 85 प्रतिशत देशों से ज्यादा ब्लैकहॉक हेलीकॉप्टर हैं।

  • अब तालिबान हो गया अपराजेय!

    अब तालिबान हो गया अपराजेय!

    जंगल और पहाड़ों की कंदराएं तालिबान के लिए कवच का काम करती थी। तालिबान के लिए जंगल का हर एक इंच 'ग्रीन जोन' की तरफ था और तालिबान के लड़ाकों को ना तो खाने के लिए अच्छा खाना मिलता था और ना ही लड़ाई की कोई ट्रेनिंग मिली थी। लिहाजा, चंद सालों में ही नाटो की सेना ने अफगानिस्तान के हर प्रमुख इलाकों से तालिबान को भगा दिया। हजारों तालिबानी लड़ाके मारे गये....लेकिन, 21 साल के बाद खेल बदल चुका है और अब तालिबान इतना ताकतवर हो चुका है, कि उसे हराना किसी के लिए भी नामुमकिन है।

  • 6 खरब 25 करोड़ के हथियार हाथ लगे

    6 खरब 25 करोड़ के हथियार हाथ लगे

    अमेरिकी सेना अब अफगानिस्तान से जा चुकी है। ब्रिटिश अभियान अब अफगानिस्तान में बंद हो चुका है और अब जब आप अफगानिस्तान की वस्तुस्थिति को समझने की कोशिश करते हैं, तो पता चलता है कि तालिबान को अमेरिका और ब्रिटेन से करीब 62 अरब पाउंड यानि 85 अरब डॉलर के हथियार मिले हैं। यानि, नया तालिबान काफी ज्यादा अत्याधुनिक हथियारों से लैस है....उसके पास इतने हथियार हैं, जितने शायद पाकिस्तान के पास ना हो, अब तालिबानी लड़ाकों को पुराने कपड़े पहनने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

  • 21 साल बाद बदल गया तालिबान

    21 साल बाद बदल गया तालिबान

    तालिबानी लड़ाकों को अब पुराने रूसी हथियारों और ग्रेनेड के भरोसे नहीं रहना होगा। कुल मिलाकर कहें, तो नये तालिबान को हराना इस दुनिया के लिए नामुमकिन हो गया है। तालिबान के लड़ाकों के हाथ में अब पुराने एक-47 नहीं दिख रहे हैं और अब तालिबान के लड़ाके टेलिस्कोपिंग स्टॉक के साथ यूएस ग्रीन बेरेट-इश्यू M4 कार्बाइन के साथ देखे जा रहे हैं। 15 साल पहले के तालिबान शायद ही कभी हेलमेट पहने देखे जाते थे। लेकिन आज उनके हेडवियर आम तौर पर ब्रिटिश सैनिकों द्वारा पहने जाने वाले हेडवियर की तुलना में ज्यादा महंगे और ज्यादा उन्नत हैं।

  • अत्याधुनिक हथियारों से लैस लड़ाके

    अत्याधुनिक हथियारों से लैस लड़ाके

    डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक अब ऐसा लह रहा है कि तालिबान ने अमेरिकी ग्रीन बेरेट्स द्वारा समर्थित अत्याधुनिक MBITR-2 (मल्टी-बैंड इंट्राटेम रेडियो) का इस्तेमाल करने के लिए खुद को ढाल लिया है। डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबानी लड़ाकों के हाथ में जो हथियार अब देखे जा रहे हैं, वो पूरी तरह से साफ होते हैं और ऐसा लगता है कि जैसे उस हथियार से काफी प्रैक्टिस की गई है। तालिबानी लड़ाकों की वर्दी अब किसी प्रोफेशनल आर्मी की वर्दी की तरफ धुली होती है और उसपर आयरन किया गया होता है। और सबसे खास बात ये...कि तालिबान के लड़ाके अब जिस तरह से हथियार ले जाते हुए दिखाई देते हैं, ऐसा लगता है कि जैसे ब्रिटिश आर्मी हथियार ले जा रही हो।

  • तालिबान ने कैसे हासिल की जीत?

    तालिबान ने कैसे हासिल की जीत?

    ब्रिटिश सेना के एक अधिकारी ने कहा कि 'मैं उनके नये रूप से काफी प्रभावित हूं और ऐसा लग रहा है कि ये नया लुक सिर्फ दिखावे के लिए नहीं है, बल्कि उन हथियारों को चलाने का काफी अंदाजा भी उन्हें हो गया है'। ब्रिटिश सैन्य अधिकारी ने कहा कि पहले की स्थिति के विपरीत अब तालिबान के लड़ाकों के पास लड़ाई लड़ने की प्लानिंग होती है, उनका मनोबल अब काफी ऊंचा हो गया है, अब उनके पास काफी खतरनाक और अत्याधुनिक हथियार आ गये हैं और इसीलिए वो जीत रह हैं। लेकिन, सवाल ये उठता है कि अमेरिका और ब्रिटेन ने तालिबान को इतना मजबूत क्यों बना दिया?

  • तालिबान को मजबूत करने गया था अमेरिका?

    तालिबान को मजबूत करने गया था अमेरिका?

    अमेरिका और ब्रिटेन ने अपने देश के टैक्सपेयर्स के पैसों से अफगानिस्तान में पहले से काफी ज्यादा खतरनाक, उग्र, शातिर और अत्याधुनिक हथियारों से सुसज्जित तालिबान का निर्माण कर दिया है। इसके साथ ही तालिबान ने अपने लड़ाकों को अब रैंक देना भी शुरू कर दिया है। विडंबना ये है कि तालिबान के हाथ जो हथियार लगे हैं, वो हथियार अफगानिस्तान की सेना के लिए दिए गये थे और उन हथियारों की मदद से अफगान सेना को तालिबान रोकना था। कुछ विशेषज्ञ अमेरिका के इस दावे पर सवाल उठाते हैं और पूछते हैं, कि क्या बस यही मकसद है?

  • 85% देशों से ज्यादा ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर

    85% देशों से ज्यादा ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर

    अमेरिकी रिपब्लिकन कांग्रेसी जिम बैंक्स, जिन्होंने तालिबान को लेकर इतनी जानकारियां जुटाई हैं, उन्होंने खुलासा किया है कि तालिबान के पास अब 'दुनिया के 85 प्रतिशत देशों से ज्यादा ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर' हैं। इसके अलावा तालिबान ने अफगानिस्तान की सुरक्षा का सबसे बड़ा बायोमेट्रिक कलेक्शन और उसकी पहचान करने वाले तमाम उपकरण भी प्राप्त कर लिए हैंस जो उन्हें गठबंधन बलों के लिए काम करने वाले अफगानों की पहचान करने में मदद कर सकते हैं, जिनमें से कई देश में फंसे हुए हैं और तालिबान द्वारा बंधक बनाए जा सकते हैं। अफगानिस्तान में हथियारों की आपूर्ति के प्रभारी अधिकारी के रूप में सेवा करने वाले बैंक्स ने कहा कि, 'जो बाइडेन प्रशासन की लापरवाही के कारण तालिबान के पास अब 85 अरब डॉलर, यानि 62 अरब पाउंड यानि 6 खरब 25 करोड़ रुपये के अत्याधुनिक हथियार हैं। उन्होंने कहा कि 'विडंबना ये है कि अमेरिका की कोई योजना नहीं है कि वो तालिबान ये ये हथियार वापस लें या फिर बायोमेट्रिक मशीन ही हासिल करे'।

  • अमेरिका की गलती भुगतेगी दुनिया

    अमेरिका की गलती भुगतेगी दुनिया

    अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने स्वीकार किया कि उनके पास इस बात की 'पूरी तस्वीर' नहीं है कि अब दुश्मन के हाथों में गायब सैनिक लिस्ट का कितना हिस्सा हो सकता है।'' ब्रिटेन के रक्षा सचिव बेन वालेस ने माना है कि सैनिकों के घर लौटने के बाद कुछ ब्रिटिश सैन्य उपकरण अफगानिस्तान में छूट गये हैं। लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि इसमें से कोई भी 'घातक' या 'संवेदनशील' नहीं होगा। लेकिन उनका ये दावा पूरी तरह से झूठा है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इनमें से छोटी-छोटी सैन्य गाड़ियां काफी आसानी से वापस ब्रिटेन भेजी जा सकती थी। लेकिन, ब्रिटेन ने ना तो बेबस मददगार अफगानों को काबुल से बाहर निकालने में दिलचस्पी दिखाई और ना ही घातक हथियार तालिबान के हाथ में ना जाए, इसकी कोई कोशिश की।

धारा 370 हटने का परिणाम: कश्मीर में धूमधाम से मनाई जा रही जन्माष्टमी, लाल चौक पर निकली शोभायात्रा


देश-दुनिया में आज धूमधाम से कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है, भक्त कृष्ण जन्माष्टमी को हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मना रहे हैं। इस बार भारत के उस हिस्से में भी धूमधाम से जन्माष्टमी मनाई जा रही है, जहाँ कभी पाकिस्तानी झंडा लहराता था, जी हाँ! हम बात कर रहे हैं कश्मीर घाटी की, 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाए जानें के बाद अब जम्मू कश्मीर में काफी कुछ बदल गया है..धारा 370 हटने का ही नतीजा है कि आज जम्मू कश्मीर के अलग-अलग हिस्सों में जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जा रही है, मुरलीधर की शोभायात्रा निकाली जा रही है..

पहली बार श्रीनगर, हंदवाड़ा, सोपोर और कुलगाम की सड़कों पर मुरलीधर की भव्य शोभायात्रा निकाली गई और बड़े धूमधाम से वहां कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है, सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें देखा जा सकता है कि श्रीनगर के लाल चौक पर शोभायात्रा निकल रही है, ये वो लाल चौक है जहाँ धारा 370 हटने से पहले तिरंगा फहराना भी अपराध था, लेकिन समय का चक्र ऐसा बदला कि अब तिरंगा भी फहराया जाता है और हिन्दू त्योहारों पर शोभायात्रा भी निकाली जा रही है..

उत्तर प्रदेश के वर्तमान मथुरा में रानी देवकी और राजा वासुदेव के यहाँ एक कालकोठरी में जन्मे भगवान् कृष्ण को हिंदू महाकाव्यों में प्रेम, कोमलता और करुणा के देवता के रूप में वर्णित किया गया है। भगवान् श्रीकृष्ण ने अक्सर अपनी सर्वोच्च शक्तियों का इस्तेमाल दूसरों की मदद करने के लिए किया।

हर साल, यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार, श्रवण या भाद्रपद में कृष्ण पक्ष के आठवें दिन (अष्टमी) को पड़ता है। इस साल जन्माष्टमी 30 अगस्त 2021 को पड़ रही है। जन्माष्टमी के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तक ने बधाई दी.

अमेरिका में कोरोना के डेल्टा वेरिएंट का तांडव, अस्पतालों में ऑक्सीजन और बेड की भारी कमी

अमेरिका में एक बार फिर से कोरोना संक्रमण की भंयकर चपेट में हैं। अमेरिका के कई राज्यों के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। डेल्टा वेरिएंट के चलते पिछले हफ्ते 42 अमेरिकी राज्यों में संक्रमण से मौतों की दर में काफी इजाफा देखने को मिला है। वहीं 14 राज्यों में पिछले एक हफ्ते में कोरोना से होने वाले मौतों की संख्या 50 फीसदी बढ़ गई है। कई राज्यों में ये हालात हैं कि, लोगों को बेड और ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है।

shortages of hospital beds and staff in US hospital coronavirus

अमेरिका के दक्षिण के कुछ हिस्सों में अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी देखने को मिल रही है। क्योंकि लगातार कोविड -19 मामले सामने आ रहे हैं और लोगों का अस्पताल में भर्ती होना जारी है। बताया जा रहा है कि, वे लोगों कोरोना का चपेट में अधिक आ रहे हैं जिन्हें कोरोना की वैक्सीन नहीं ली है। वे खतरनाक वैरिएंट के चपेट में हैं। डेल्टा वेरिएंट ने लाखों अमेरिकियों को अपनी चपेट में ले लिया है।

सीएनएन की रिपोर्ट्स के मुताबिक, फ्लोरिडा, साउथ कैरोलिना, टेक्सास और लुइसियाना के कई अस्पताल ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं। राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों और अस्पताल सलाहकारों के अनुसार, कुछ को अपनी आरक्षित ऑक्सीजन आपूर्ति का उपयोग करना पड़ रहा है। वह भी खत्म होने की कगार पर है। एक हेल्थकेयर से जुड़ी कंपनी के सीनियर डायरेक्टर डोना क्रॉस ने बताया कि, कोविड -19 मामलों में निरंतर वृद्धि के साथ, ऑक्सीजन की अधिक मांग सामने आ रही है। अस्पताल जरूरत के मुताबिक लोगों को ऑक्सजीन नहीं दे पा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि, आम तौर पर, एक ऑक्सीजन टैंक लगभग 90% भरा होता है, और अस्पताल अपने टैंक को 30-40% के रिफिल स्तर तक नीचे जाने देते हैं, जिससे उन्हें आपूर्ति का तीन से पांच दिन का कॉशन(समय) मिलता है। लेकिन कोरोना के बढ़े मामलों के चलते अस्पताल लगभग 10-20% कॉशन पर चल रहे हैं, जो कि एक से दो दिन की आपूर्ति है, इससे पहले कि वे बैकफिल हो जाएं।

संघीय स्वास्थ्य अधिकारियों और जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के आंकड़ों के अनुसार, शनिवार को फ्लोरिडा में देश में सबसे अधिक कोविड -19 मरीज सामने आए। जिसमें प्रति 100,000 निवासियों पर 75 लोग कोरोना के शिकार हुए हैं। राज्य के आंकड़ों से पता चलता है कि यह शुक्रवार को कोविड -19 मामलों में एक और महामारी के उच्च स्तर पर पहुंच गया। फ्लोरिडा के जूपिटर मेडिकल सेंटर के डायरेक्टर डॉ. अहमद एल्हाददाद ने सीएनएन को बताया, 'हम लोगों को मरता देख थक गए हैं, क्योंकि उन्होंने अभी तक वैक्सीन नहीं लगी थी।' उन्होंने कहा कि डेल्टा वेरिएंट मरीजों के फेफड़ों को 'खा' रहा है, जिससे लोग मर जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित मरीजों की मौत जल्दी हो रही है।

उन्होंने कहा कि, उनके आईसीयू में जितने भी कोरोना मरीज भर्ती हैं, उनमें से एक भी ऐसा नहीं है जिसने वैक्सीन ली हो। उनका कहना है कि वैक्सीन कोई 'जादुई दवा' नहीं है, लेकिन इससे मौतें रुक रहीं हैं। सरकार के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ, डॉ एंथनी फौसी ने सीएनएन के जेक टॉपर को बताया कि अमेरिका दिसंबर तक कोविड -19 से अतिरिक्त 100,000 मौतों को देख सकता है, जैसा कि वाशिंगटन विश्वविद्यालय के मॉडल द्वारा भविष्यवाणी की गई थी। अब जो हो रहा है वह पूरी तरह से अनुमानित है, लेकिन पूरी तरह से रोका जा सकता है। और आप जानते हैं कि हम जानते हैं कि हमारे पास इसे बदलने के लिए टीकों के साथ साधन हैं।

तालिबानी "विदेश मंत्री" का लश्‍कर-जैश को झटका, PAK को दी चेतावनी, कहा- भारत के साथ चाहते हैं अच्छे संबंध


taliban foreign minister warns india pakistan setback to lashkar jaish

इंटरनेशनल डेस्कः अफगानिस्‍तान के विदेश मंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे चल रहे भारतीय सैन्‍य अकादमी (IMA) में पढ़े शेर मोहम्‍मद अब्‍बास स्‍टानीकजई ने आंतकी समूहों लश्‍कर और जैश को  बड़ा झटका दिया है।  शेरू के नाम से चर्चित शेर मोहम्‍मद ने कहा कि तालिबान भारत और पाकिस्‍तान में से किसी का पक्ष नहीं लेगा। उन्‍होंने कहा कि तालिबान भारत के साथ अच्‍छे रिश्‍ते बनाना चाहता है। शेर मोहम्‍मद ने कहा कि तालिबान लश्‍कर या जैश आतंकियों को अफगान जमीन का इस्‍तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होने देंगे। 

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दरअल अफगानिस्तान में तालिबान सरकार बनाने की तैयारी में है। इसका शीर्ष नेतृत्व कौन है, सरकार में कौन शामिल होगा, इस बात को लेकर दुनिया भर में खूब चर्चा हो रही है। तालिबान की कमान हिबतुल्लाह अखुंदजादा के हाथों में है। मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के राष्ट्रपति बनने की चर्चा के बीच मुल्ला मोहम्मद याकूब, सिराजुद्दीन हक्कानी, और शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई के भी सरकार में शामिल होने की संभावना है। आपको जानकार हैरानी होगी कि तालिबान के शीर्ष नेतृत्व में शामिल बेहद कट्टर नेता स्टानिकजई का भारत से भी संबंध रहा है। 

कहा-दुनिया के साथ अच्‍छे रिश्‍ते बनाना चाहते हैं
एक साक्षात्‍कार में शेर मोहम्‍मद ने भारत के साथ संबंधों पर कहा, 'हमारी विदेश नीति सभी पड़ोसी देशों और दुनिया के साथ अच्‍छे रिश्‍ते बनाना है। हम अमेरिका और नाटो के साथ भी बढ़‍िया संबंध बनाना चाहते हैं। हम भारत के साथ सांस्‍कृतिक और आर्थिक रिश्‍ते बरकरार रखना चाहते हैं।' यह पूछे जाने पर कि तालिबान पाकिस्‍तान के साथ मिलकर भारत के खिलाफ शत्रुतापूर्ण व्‍यवहार करेगा, ऐसी लोगों में आशंका है, इस पर शेर मोहम्‍मद ने कहा, 'जो मीडिया में आता है, वह अक्‍सर गलत होता है। हमारी तरफ से ऐसा कोई बयान या संकेत नहीं आया है।

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भारत-पाक को दी चेतावनी
अफगानिस्‍तान के लश्‍कर और जैश-ए-मोहम्‍मद जैसे आतंकियों का गढ़ बनने के सवाल पर शेर मोहम्‍मद ने दावा किया, 'हमारे पूरे इतिहास में अफगानिस्‍तान से भारत समेत किसी भी पड़ोसी देश को कोई खतरा नहीं रहा है। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि भारत और पाकिस्‍तान के बीच लंबे समय से राजनीतिक और भौगोलिक विवाद रहा है। हमें आशा है कि भारत और पाकिस्‍तान अपनी आपसी लड़ाई में अफगानिस्‍तान का इस्‍तेमाल नहीं करेंगे। भारत-पाकिस्‍तान की आपस में लगती सीमा है, दोनों देश अपनी लड़ाई वहां लड़ सकते हैं। उन्‍हें अफगानिस्‍तान की जमीन का इस्‍तेमाल नहीं करना चाहिए और हम किसी देश को ऐसा करने की अनुमति नहीं देंगे।'

 भारत में जुड़ी यादें की शेयर
 भारत में प्रशिक्षण से जुड़ी यादों पर शेरू ने कहा, 'मैं अपने युवावस्‍था में वहां गया था जब रूसी सेना अफगान‍िस्‍तान आई थी। मुझे IMA में प्रशिक्षण दिया गया था और वहां से स्‍नातक किया था। अब मेरा भारत में किसी के साथ कोई संपर्क नहीं है।' अफगानिस्‍तान में हिंदुओं और सिखों को निकाले जाने के लिए मदद के सवाल पर शेरू ने कहा कि उन्‍हें देश को छोड़कर जाने की जरूरत नहीं है। अफगानिस्‍तान हिंदुओं और सिखों का घर है और उनका देश है। ये लोग शांतिपूर्ण तरीके से रह सकते हैं।

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कौन है शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई
तालिबान के प्रमुख चेहरों में से एक शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई अमेरिका के साथ हुए शांति समझौते में भी शामिल रहा था। वह बेहद कट्टर धार्मिक नेता है। तालिबान की सरकार में उप मंत्री पद पर रहा चुका है। वह पिछले एक दशक से दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय में रह रहा है। 2015 में उसे तालिबान के राजनीतिक कार्यालय का प्रमुख बनाया गया था। उसने कई देशों की राजनयिक यात्राओं पर तालिबान का प्रतिनिधित्व किया है।


शेर मोहम्मद का भारत से क्या है संबंध ?
शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) के 1982 बैच में रह चुका है। यहां सहपाठी उन्हें  'शेरू' कह कर बुलाते थे। जब वह IMA) में भगत बटालियन की केरेन कंपनी में शामिल हुआ था तब वह 20 साल का होने वाला था। उसके साथ  44 अन्य विदेशी कैडेट भी इस बटालियान का हिस्सा थे।

आतंक के खिलाफ बोले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह... 'जरूरत पड़ी तो उनकी धरती पर जाकर खत्म करेंगे आतंक'



रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को तमिलनाडु के वेलिंगटन में डिफेंस सर्विस स्टाफ कॉलेज में अफ़गानिस्तान के हालाताें के बारे बात की. जहां उन्हाेंने कहा कि 'वर्तमान हालातों ने हमें मजबूर कर दिया है कि हम अपनी रणनीति में बदलाव करें। अब भारत, अफगानिस्तान पर दोबारा से सोच रहा है और नई रणनीति तैयार कर रहा है। अगर जरूरत पड़ी तो हम उनकी धरती पर जाकर सैन्य अभियान चलाएंगे और आतंक को खत्म करेंगे'। 

राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि 'ऐसी ही चुनौतियों से लड़ने के लिए रक्षा मंत्रालय इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप बनाने पर तेजी से विचार कर रहा है। क्योंकि, युद्ध के समय सबसे महत्वपूर्ण होता है कि आप कितनी जल्दी निर्णय ले रहे हैं। ये बैटल ग्रुप जल्द निर्णय तो लेंगे ही साथ लड़ाकों की यूनिट भी तैयार करेंगे। ये बैटल ग्रुप हमारे दुश्मनों का खात्मा करने में सक्षम होंगे। टूर ऑफ ड्यूटी बदलेगी सेना का भविष्य 
रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारा प्रयास है कि भारत के युवा, सैनिकों जैसी राष्ट्रभक्ति और अनुशासन सीखें'।

उन्होंने आगे बताया कि 'इसके लिए हमें नए रास्ते खोजने होंगे, जिससे सेना के प्रति युवाओं के रूझान को बढ़ाया जा सके। इसके लिए रक्षा मंत्रालय टूर ऑफ ड्यूटी पर गंभीरता से विचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे भरोसा है कि यह निर्णय हमारे लिए गेम चेजिंग साबित होगा और भारतीय सेना की औसत उम्र को भी कम कर देगा'। 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान पर हमला बोलते हुए कहा कि 'दो लड़ाईयां हारने के बाद पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ आतंक का सहारा लेना शुरू कर दिया। वह आतंकियों को हथियार व प्रशिक्षण दे रहा है, लेकिन एक बात मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि अब भारत बदल चुका है और वह अपनी जमीन पर आतंकियों को पनपने तो देगा ही नहीं साथ ही उनके खिलाफ अभियान भी चलाएगा। भारत-पाकिस्तान सीमा पर इस समय शांति इसलिए है क्योंकि पाकिस्तान जानता है कि भारत अपने रक्षात्मक रवैये को छोड़कर अब प्रतिक्रिया भी देने लगा है। 2016 में बालाकोट स्ट्राइक में यह बात दुनिया ने जान ली है'। 

राजनाथ सिंह चीन पर भी हमलावर हुए, चीन पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि 'चीनी सेना जब हमारी सीमा की ओर बढ़ रही थी तब हालात बहुत ही चुनौतीपूर्ण हो चुके थे। मैनें रात 11 बजे आर्मी चीफ से बात की। इसके बाद हमारी सेनाओं ने फिर से साबित किया कि वे दुश्मनों से देश की सीमा की रक्षा के लिए कितने प्रतिबद्ध हैं'।

देश में फिर सताने लगा कोरोना का डर, एक हफ्ते में देश में 32% बढ़ गए केस


देश में फिर सताने लगा कोरोना का डर, एक हफ्ते में देश में 32% बढ़ गए केस

दिल्ली- दक्षिण भारत में कोरोना के मामलों की रफ्तार हाल के दिनों में तेजी से बढ़ी है। देश भर के आंकड़ों को देखें तो कोरोना के आंकड़े पिछले 8 हफ्तों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं। हालांकि, इसमें ज्यादा बड़ा हिस्सा दक्षिण भारत के राज्यों का है। बीते हफ्ते देश में कोरोना के 2.9 लाख नए मामले सामने आए हैं, जो कि पिछले सप्ताह के मुकाबले 32 फीसदी ज्यादा हैं। इसमें सिर्फ केरल में 1.9 लाख मामले यानी 65 परसेंट से ज्यादा केस दर्ज किए गए।

24 घंटों में 42,909 कोरोना के नए मामले दर्ज

भारत में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 42,909 नए मामले दर्ज किए गए। शीर्ष पांच राज्य जहां सबसे अधिक मामले दर्ज किए हैं, उनमें 29,836 मामले अकेले केरल से हैं। इसके बाद महाराष्ट्र में 4,666 मामले, आंध्र प्रदेश में 1,557 मामले, तमिलनाडु में 1,538 मामले और कर्नाटक में कोरोना के 1,262 मामले दर्ज किए गए हैं।

पांच राज्यों से आए अधिक मामले

देश में कम हो रहे कोरोना मामलों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कुल नए मामलों में से 90.55 परसेंट केस इन्हीं पांच राज्यों से सामने आए हैं, जिनमें अकेले केरल ही 69.53 परसेंट नए मामलों के लिए जिम्मेदार है। कोरोना से देश में पिछले 24 घंटे में 380 मरीजों की मौतें हुई हैं। इसमें महाराष्ट्र में सबसे अधिक 131 मरीजों की मौत और केरल में 75 दैनिक मौतें हुईं हैं।

वर्तमान में भारत का कोरोना रिकवरी रेट 97.51 फीसदी है। देश में पिछले 24 घंटों में कुल 34,763 मरीज ठीक हुए, जिससे देश भर में कुल ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 3,19,23,405 हो गई है। वर्तमान में भारत में एक्टिव मामलों की संख्या 3,76,324 है। बता दें कि पिछले 24 घंटों में सक्रिय मामलों में 7,766 मरीजों की वृद्धि हुई है।

भारत में पिछले 24 घंटों में 31,14,696 लोगों को टीका लगा है, जिससे कुल टीकाकरण की संख्या बढ़कर 63,43,81,358 हो गई है। पिछले 24 घंटों में देश में कुल 14,19,990 लोगों की कोरोना जांच हुई है।

केरल में कोरोना के 29,836 नए मामले

केरल में लगातार चार दिन कोरोना वायरस संक्रमण के 30 हजार से ज्यादा मामले सामने आने के बाद रविवार को 29,836 नए मामले सामने आए जिसके बाद कुल मामले बढ़कर 40,07,408 हो गए। पिछले एक दिन में महामारी से 75 मरीजों की मौत हो गई जिससे मृतकों की संख्या 20,541 पर पहुंच गई।

राज्य में कोविड-19 से पीड़ित होने के बाद अब तक 37,73,754 लोग ठीक हो चुके हैं और वर्तमान में 2,12,566 मरीज उपचाराधीन हैं। पिछले 24 घंटे में 1,51,670 नमूनों की जांच की गई और संक्रमण की दर 19.67 प्रतिशत है।

महाराष्ट्र में 4,666 नए मामले, 131 मौतें

महाराष्ट्र में रविवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 4,666 नए मामले सामने आने के साथ ही राज्य में संक्रमण की चपेट में आए लोगों की संख्या बढ़कर 64,56,939 तक पहुंच गई। इसी दौरान कोविड-19 के 131 मरीजों की मौत के बाद मृतक संख्या बढ़कर 1,37,157 हो गई।

यहां पिछले 24 घंटे के दौरान राज्य में 3,510 मरीजों को संक्रमणमुक्त होने के बाद अस्पतालों से छुट्टी दी गई, जिसके साथ ही अब तक 62,63,416 लोग ठीक हो चुके हैं। राज्य में कोविड-19 के मरीजों के ठीक होने की दर 97 फीसद है और संक्रमण दर 2.12 फीसद है। फिलहाल 52,844 मरीज उपचाराधीन हैं।

आतंकियों के मारे जाने से दुःखी हुई महबूबा मुफ़्ती, बोली- आतंकियों को मारकर रोज जश्न मना रही मोदी सरकार


जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबल के जवान आतंकियों पर कहर बनकर टूट रहे हैं, आतंकियों का लगातार सफाया जारी है, आतंकियों के मारे से पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती दुःखी हो गई हैं, जम्मू कश्मीर में आतंकियों पर हो रही कार्रवाई को लेकर राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि रोज आतंकियों को मार कर केंद्र सरकार जश्न मना रही है।

जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने शनिवार को आरोप लगाया कि यहां पुलिस, पीडीपी की युवा ईकाई की मीटिंग अनंतनाग में नहीं होने दे रही। महबूबा मुफ्ती ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस यूथ विंग के सदस्यों से झगड़ा कर रही है। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि केंद्र सरकार सभी कश्मीरियों की ब्रांडिंग हिंसा करने वाले शैतान के रूप में कर रही है।

महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि ‘हर रोज हो रहे एनकाउंटर में आतंकवादी मारे जा रहे हैं और यह केंद्र सरकार के लिए जश्न का जरिया बन गया है। लेकिन पीडीपी हिंसा में विश्वास नहीं रखती है।’

उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों ने आतंकियों के नाक में दम कर रखा है। कठोर कार्रवाई की बदौलत कई बड़े आतंकियों को अब तक सुरक्षा बलों और राज्य की पुलिस ने मिलकर मौत की नींद सुला दिया है। इतना ही नहीं कई आतंकियों को जिंदा दबोच कर सुरक्षा बलों ने बड़ी साजिश को नाकाम भी किया है।

Sunday, August 29, 2021

पाकिस्‍तान के मुंह पर तालिबान का तमाचा, TTP पाकिस्तान की समस्‍या, हमारी नहीं,


तालिबान ने पाकिस्‍तान के मुंह पर करारा तमाचा मारा है। ऐसा उसने आतंकी संगठन टीटीपी को पाकिस्‍तान की समस्‍या बताकर किया है। उसने साफ कर दिया है कि ये उसकी नहीं बल्कि पाकिस्‍तान की समस्‍या है। इसलिए वही उससे निपटेगा हम नहीं।

पाकिस्‍तान के मुंह पर तालिबान का तमाचा, कहा- TTP तुम्‍हारी समस्‍या, हमारी नहीं, खुद ही सुलझाओ
टीटीपी की समस्‍या हमारी नहीं है पाकिस्‍तान खुद इससे निपटेगा

इस्‍लामाबाद (एएनआइ)। तालिबान ने पाकिस्‍तान को करारा झटका देते हुए साफ कर दिया है कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्‍तान उनकी समस्‍या नहीं है। इसको खुद पाकिस्‍तान को ही सुलझाना होगा या इससे सुलटना होगा। ये बयान खुद तालिबान के प्रवक्‍ता जबीहुल्‍लाह मुजाहिद ने दिया है। उनका कहा है कि टीटीपी से खुद पाकिस्‍तान को ही निपटना होगा, अफगानिस्‍तान को नहीं। तालिबान की तरफ से आया ये बयान पाकिस्‍तान के मुंह पर एक करारा तमाचा भी है। मुजाहिद ने जियो न्‍यूज से हुई बातचीत के दौरान टीटीपी के मुद्दे पर बड़ी ही बेबाकी से अपना जवाब दिया। उनके जवाब से ये भी साफ हो गया है कि तालिबान पाकिस्‍तान की कठपुतली बनकर रहने वाला नहीं है। इसलिए अब भविष्‍य में पाकिस्‍तान को भी तालिबान से उतना ही खतरा हो सकता है जितना किसी दूसरे देश को होगा।  

बड़ा खुलासा: 2013 में मनमोहन सरकार ने शुरू किया था तालिबान से सम्पर्क, आतंकी को वीजा भी दिया


अफगानिस्तान में तालिबान ने कब्जा कर लिया है, तालिबान के कब्जे के बाद डर और दहशत का आलम यह है कि लोग तत्काल अफगानिस्तान छोड़कर भाग जाना चाहते हैं, जिस-जिस देश के नागरिक अफगानिस्तान में फंसे हैं, वो देश अपने नागरिकों को निकालनें में जुटे हैं, काबुल इंटरनेशनल एयरपोर्ट का संचालन अमेरिकी सेना कर रही है, लेकिन 31 अगस्त के बाद तालिबान के नियंत्रण में आ जाएगा।

अब तालिबान सरकार बनानें की ओर भी आगे बढ़ रहा है, ऐसे में सवाल यह उठता है कि तालिबान की सरकार को मान्यता कौन-कौन देश देगा, तालिबान के साथ भारत के संबंध कैसे रहेंगे, इसपर भी चर्चा जोरों पर है, चर्चा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अफगानिस्तान सरकार के साथ भारत सरकार के संबंध अच्छे खासे हैं, भारत सरकार ने अफगानिस्तान में अरबों का निवेश भी कर रखा है..इन सबके बीच तालिबान और भारत सरकार को लेकर पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर ने बड़ा खुलासा किया है..

आजतक में लिखे गए एक लेख में पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर ने दावा किया है कि ‘मनमोहन सरकार ने न सिर्फ तालिबान से सम्पर्क किया था बल्कि तालिबान के आतंकी को भारत का वीजा भी दिया था, यही नहीं तालिबान के शीर्ष नेता की एक पुस्तक प्रकाशन भी भारत में ही हुआ था..

पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर के मुताबिक़, तालिबान से 2013 में मनमोहन सिंह सरकार ने संपर्क शुरू किया था। जिस तालिबानी शीर्ष नेता मुल्ला अब्दुल जईफ को 9/11 हमले के बाद अमेरिका ने गिरफ्तार किया था और उसका नाम UN की आतंकियों की सूची में दर्ज हो चुका था, उसे बाद में मनमोहन सरकार ने वीजा दिया था। तालिबानी संस्थापकों में से एक मुल्ला अब्दुल सलाम जईफ की किताब – ‘माय लाइफ विद तालिबान’का वर्ष 2010 में भारत में ही प्रकाशन हुआ था।

कपिल सिब्‍बल ने प्रधानमंत्री मोदी की इस बात का किया स्वागत, लेकिन…


नई दिल्‍ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा था कि दुनिया में कहीं भी भारतीय नागरिकों को अगर समस्या हुई है तो भारत ने आगे बढ़कर उनकी मदद की है। इसमें उन्होंने कोरोना काल और अफगानिस्तान का उदाहरण भी दिया था।
अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने प्रधानमंत्री के इस बयान पर प्रतिक्रिया दी है।

कपिल सिब्बल ने कहा, यह हमारा संवैधानिक दायित्व है कि जो भी व्यक्ति सताया जा रहा हो हम उसकी सुरक्षा करें, वह चाहे हिंदू हो या अफगानी हो या कोई और। उन्होंने आगे कहा, ‘मैं प्रधानमंत्री मोदी की इस बात का स्वागत करता हूं लेकिन इसी के साथ यह भी मांग करता हूं कि एक निश्चित धर्म के लोगों पर प्रतिबंध नहीं होना चाहिए।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, ‘अगर दुनिया में कहीं भी भारतीय नागरिक समस्या में हैं, भारत उनकी मदद करने के लिए अपने पूरे सामर्थ्य के साथ आगे आया है। चाहे यह कोरोना काल हो या अफगानिस्तान का संकट हो, दुनिया लगातार इसका अनुभव करती रही है। अफगानिस्तान से हमारे सैकड़ों मित्र भारत लाए गए हैं।’

परम तत्व दर्शन