Monday, May 30, 2022

योगी बोले- अयोध्‍या के बाद काशी और मथुरा ले रहे नई अंगड़ाई, एक बार फिर बढ़ना होगा आगे


योगी बोले- अयोध्‍या के बाद काशी और मथुरा ले रहे नई अंगड़ाई, एक बार फिर बढ़ना होगा आगे

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कहा कि अयोध्‍या में भव्‍य राम मंदिर निर्माण की शुरुआत के बाद काशी और मथुरा समेत सभी तीर्थस्थल 'नई अंगड़ाई' लेते हुए दिखायी दे रहे हैं और इन स्थितियों में सबको एक बार फिर आगे बढ़ना होगा. 

रोज 1 लाख श्रद्धालु पहुंच रहे काशी विश्वनाथ धाम
योगी ने यहां ‘अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर’ में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की एक दिवसीय प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के उद्घाटन सत्र को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कहा, 'अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण की शुरुआत के बाद काशी ने जो अंगड़ाई ली है, वह हम सबके सामने है. काशी में काशी विश्‍वनाथ धाम का उद्घाटन होने के बाद प्रतिदिन एक लाख श्रद्धालु काशी विश्‍वनाथ धाम के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं.' 

उन्होंने कहा, 'काशी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप अपने नाम को सार्थक कर रही है और मथुरा, वृंदावन, विंध्यवासिनी धाम, नैमिष धाम सभी तीर्थ एक बार फ‍िर से नई अंगड़ाई लेते हुए दिखाई दे रहे हैं और इन स्थितियों में हम सबको एक बार फ‍िर आगे बढ़ना होगा.' 

'पहली बार हुआ कि सड़कों पर नमाज नहीं हुई'
मुख्यमंत्री ने ईद के दौरान धर्म स्थलों से लाउडस्पीकर उतारे जाने और सड़कों पर नमाज न होने का जिक्र करते हुए कहा कि अलविदा के दिन सड़कों पर नमाज न हो, यह पहली बार उत्‍तर प्रदेश में संभव हो पाया है. उन्होंने कहा, ‘यह पहली बार हुआ कि सड़कों पर नमाज नहीं हुई. आपने देखा होगा जो अनावश्यक शोरगुल था उससे कैसे मुक्ति मिली.' 

लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए किया प्रेरित
उन्‍होंने दावा किया कि नये भारत का नया उत्तर प्रदेश तैयार है जो मजबूती के साथ देश और दुनिया के सामने प्रस्तुत है. योगी ने भाजपा के कार्यकर्ताओं को अभी से 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए प्रेरित करते हुए कहा, 'अगले चुनाव की भाव भूमि हमें अभी से तैयार करनी होगी और एक बार फ‍िर से लोकसभा की 75 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ना है.' 

मोदी सरकार को दी 8 साल पूरे होने की बधाई
मुख्यमंत्री ने आगामी 30 मई को प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र में भाजपा की सरकार के आठ वर्ष पूरे होने पर बधाई दी. पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा, ‘पार्टी को विधानसभा चुनाव में बेहतर परिणाम मिला है, इसलिए हमें 2024 के लिए अभी से आगे बढ़ना होगा.’ 

उन्होंने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एक बार फ‍िर से यह साबित करना है, इसलिए 75 लोकसभा सीटों का लक्ष्य लेकर अभी से आगे बढ़ना होगा. 

Friday, May 27, 2022

यूपी के बिजली उपभोक्ता हो जाएं तैयार, 1 जुलाई से लगेंगे 4G तकनीक के स्मार्ट प्रीपेड मीटर


लखनऊ। उत्तर प्रदेश में एक जुलाई से बिजली उपभोक्ताओं के यहां 4जी तकनीक के प्री-पेड स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने इसकी सहमति दे दी है। इसके बाद पावर कॉर्पोरेशन ने अब एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेस लिमिटेड (ईईएसएल) से 4जी तकनीक के स्मार्ट मीटर ही लगवाने का फैसला किया है। यही नहीं पूर्व में लगाए जा चुके 2जी व 3जी तकनीक के करीब 12 लाख मीटरों को भी 4जी तकनीक में बदला जाएगा।

पिछले लगभग 1 वर्ष से उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगने पर रोक लग गई थी। उपभोक्ता परिषद लगातार घटिया स्मार्ट मीटर व 2 जी 3जी पुरानी तकनीक के स्मार्ट मीटर का विरोध करते हुए नई उच्च तकनीकी आधारित 4 जी स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की मांग कर रहा था। अब केंद्र सरकार द्वारा इसे स्वीकार कर लिया गया है। पावर कारपोरेशन ने ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार के सामने पुरानी तकनीकी के लगे 12 लाख स्मार्ट मीटर को भी 4जी आधारित नई तकनीकी में कन्वर्ट करने की अपनी शर्त भी दोहराई है यानी कि आने वाले समय में पुरानी तकनीकी आधारित स्मार्ट मीटर 4जी तकनीकी आधारित स्मार्ट प्रीपेड मीटर में कन्वर्ट होंगे या नए लगाए जाएंगे।

दरअसल 2108 में ईईएसएल द्वारा लगाए जा रहे 2जी व 3जी तकनीक 40 लाख स्मार्ट मीटर में भार जंपिंग समेत अन्य खामियां सामने आने पर राज्य उपभोक्ता परिषद ने इसका विरोध शुरू कर दिया था। इस पर 12 लाख मीटर लगने के बाद बाकी मीटर लगाने पर रोक लगा दी गई थी। बीते एक साल से ज्यादा समय से स्मार्ट मीटर लगाने की योजना खटाई में पड़ी थी।

शर्मनाक: पैसों की भूखी भाभी ने ननद का कर डाला सौंदा, पांच आरोपी गिरफ्तार


shameful money hungry sister in law gave tax to sister in law

 गोंडा जिले से रिश्ते को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां पर पैसों की भूखी भाभी ने अपनी ही ननद का सौदा करके दरिंदों के हाथों सौंप दिया। मामले का खुलासा तब हुआ जब पीड़िता के भाई ने 22 मई को  पत्नी व बहन के साथ दुष्कर्म होने का मामला दर्ज कराया था। पीड़ित के मुताबिक 15 मई को शाम को पत्नी व बहन बाजार गई थी। वापस आते समय मिले दो व्यक्तियों ने उन्हें वजीरगंज बाजार के पास बगीचे में ले जाकर दुष्कर्म करके वीडियो बना लिया। हरकत में आई पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

एएसपी शिवराज ने मामले का खुलासा करते हुए बताया कि पकड़े गए दोनों आरोपितों का वादी मुकदमा की पत्नी से संपर्क था। उनकी मोबाइल पर बात होती थी। उन्होंने बताया कि 15 मई को भाभी ननद को साथ लेकर घर से निकली। अमदही बंधे पर पहले से उसके दो ग्राहक मौजूद थे। भाभी और ननद को को बाइक पर बैठाकर वजीरगंज स्थित एक घने बाग में ले गए। वहां पर उसके साथ दुष्कर्म किया। रात बिताने के पश्चात इन लोगों ने वापस अमदही बंधे पर आकर दोनों को छोड़ दिया।  उसके बाद भाभी ने आरोपी से नये ग्राहक तय करने की बात की। आरोपी ने इसी दौरान उसकी ननद का लखनऊ में तय कर दिया। भाभी अपनी ननद को लेकर प्रगति होटल चारबाग लखनऊ पहुंच गई। वहीं पर उसके साथ दुष्कर्म किया गया।

वहीं इस मामले में लखनऊ पुलिस ने होटल प्रबंधक अनुज कोहली, लखनऊ के उदयगंज निवासी राजेंद्र कुमार,नितेश तिवारी निवासी कुल्हरिया जिला खगड़िया बिहार व अनिल कुमार निवासी अमदही थाना उमरी बेगमगंज को गिरफ्तार किया है। उन्होंने बताया कि आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। विधिक कार्रवाई के बाद सभी न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

Thursday, May 26, 2022

अखिलेश पर डिप्टी सीएम का हमला, बोले- सपा सरकार में बजट सैफई में बार-बालाओं के डांस के लिए चला जाता था


बृजेश पाठक ने आगे कहा कि जहां सौदा है, वहीं समाजवादी पार्टी है. इस दौरान उन्होंने कपिल सिब्बल को लेकर भी सपा और विपक्ष पर सवाल खड़े किए. 

अखिलेश पर डिप्टी सीएम का हमला, बोले- सपा सरकार में बजट सैफई में बार-बालाओं के डांस के लिए चला जाता था

लखनऊ: विधानसभा सत्र हंगामेदार चल रहा है. सदन में आरोप-प्रत्यारोप का दौर लगातार जारी है. इसी बीच अखिलेश यादव के कटाक्ष को लेकर यूपी के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने समाजवादी पार्टी को आड़े हाथों ले लिया. बृजेश पाठक ने कहा समाजवादी पार्टी मतलब उपद्रवी पार्टी. समाजवादी पार्टी मतलब गुंडों की पार्टी. इतना ही नहीं बृजेश पाठक ने सपा को गिराते हुए यहां तक कह दिया कि सपा सरकार में उत्तर प्रदेश का आधे से ज्यादा बजट सैफई चला जाता था. जहां सरकारी पैसे से मुंबई की बार बालाओं का डांस कराया जाता था. 

कपिल सिब्बल का नामांकन सौदेबाजी है- डिप्टी सीएम 
बृजेश पाठक ने आगे कहा कि जहां सौदा है, वहीं समाजवादी पार्टी है. इस दौरान उन्होंने कपिल सिब्बल को लेकर भी सपा और विपक्ष पर सवाल खड़े किए. बृजेश पाठक ने कहा कि कपिल सिब्बल का नामांकन सौदेबाजी है, लेकिन राज्यसभा का चुनाव लड़ने वाले भारतीय जनता पार्टी के सभी प्रत्याशी जीतेंगे. 

जनता के लिए होगा बजट 
बृजेश पाठक ने अखिलेश यादव पर करारा हमला करते हुए ज़ी मीडिया से कहा कि अब ना तो गुंडई चलेगी, ना तो कोई कानून अपने हाथ में ले पाएगा. उत्तर प्रदेश में कल बजट आने वाला है, जो जनता के लिए होगा. ना कि सैफई के लिए होगा. यानी साफ है समाजवादी पार्टी और बीजेपी आमने-सामने है और बयानों का दौर जारी है. 

Tuesday, May 24, 2022

आजम खान ने दिए सपा छोड़ने के संकेत, इशारों-इशारों में कह दी ये बड़ी बात


Azam Khan: आजम खान ने दिए सपा छोड़ने के संकेत, इशारों-इशारों में कह दी ये बड़ी बात

समाजवादी पार्टी (सपा) से कथित तौर पर नाराज चले रहे वरिष्ठ पार्टी नेता और विधायक आजम खान ने सपा छोड़ने के संकेत दिए हैं. किसी और दल में जाने की संभावनाओं पर आजम खान ने शायराना अंदाज में मंगलवार को कहा, 'कोई माकूल कश्ती सामने तो आए, अभी तो मेरा जहाज काफी है.' खान ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल को सपा की ओर से राज्य सभा चुनाव में उम्मीदवार बनाए जाने की अटकलों पर कहा कि अगर सिब्बल को राज्य सभा भेजा जाता है तो सबसे ज्यादा खुशी मुझे होगी.

सपा छोड़ने के सवाल पर कही ये बात

उत्तर प्रदेश विधान मंडल के मौजूदा सत्र के लगातार दूसरे दिन भी सदन में आजम खान मौजूद नहीं रहे. उन्होंने कहा, 'मेरी सेहत ठीक नहीं है और आपने अंदाजा लगाया होगा कि मुझे खड़े होने में भी परेशानी हो रही है. मैं सदन के लिए चुन कर आया हूं, तो आऊंगा ही.' आजम ने सपा से नाराजगी के सवाल पर कहा, 'मैंने किसी दूसरी कश्ती के तरफ से देखा तक नहीं है, सवार होना तो बहुत दूर की बात है. लेकिन अब अंदाजा यह हुआ है कि सलाम दुआ सबसे रहनी चाहिए.'

इस सवाल पर कि क्या अब वह किसी और कश्ती की तरफ देखेंगे, खान ने कहा, 'पहले कोई माकूल कश्ती सामने तो आए, अभी तो मेरा जहाज काफी है.' इस सवाल पर कि वह परसों से लखनऊ में हैं, क्या सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने उनका हालचाल लिया, आजम खां ने कहा, 'इतनी बड़ी शख्सियत के बारे में मैं कोई टिप्पणी तो कर नहीं सकता. वह अपनी राय और अपनी मर्जी के खुद मालिक हैं.'

सिब्बल की उम्मीदवारी से होंगे खुश

सपा की ओर से कपिल सिब्बल को राज्य सभा भेजने की कवायद की खबरों के बारे में आजम खान ने कहा, 'वह उनका हक भी है और वह जिस पार्टी से भी जाएंगे, वह उस पार्टी के लिए भी सम्मान का विषय रहेंगे. वह इस कदर मोहतरम (सम्मानित) शख्सियत हैं. शायद उनके होने से सबसे ज्यादा खुशी किसी को होगी तो, वह मुझे ही होगी.' इस सवाल पर कि क्या सिब्बल को राज्य सभा भेजकर आपकी सपा से नाराजगी को कम करने की कोशिश की जा रही है, खान ने कहा, 'नहीं नहीं, मैं नाराजगी की हैसियत में हूं ही नहीं, एक बीमार और कमजोर आदमी हूं.'

गौरतलब है कि भ्रष्टाचार समेत अन्य आरोपों में पिछले 27 महीने से सीतापुर जेल में बंद रहने के बाद पिछले शुक्रवार को रिहा हुए आजम खान को सुप्रीम कोर्ट से जमानत दिलवाने में सिब्बल की अहम भूमिका रही थी. उन्होंने वकील के तौर पर खान की पैरवी की थी. ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि सपा सिब्बल को राज्य सभा भेज सकती है. हालांकि पार्टी ने इसकी पुष्टि नहीं की है.

प्रदेश विधान सभा में सपा की 111 सीटें हैं और वह तीन सदस्यों को आसानी से राज्य सभा भेज सकती है. राज्य सभा के लिए नामांकन की प्रक्रिया मंगलवार को शुरू हो गई. सिब्बल वर्ष 2016 में कांग्रेस के टिकट पर सपा की मदद से राज्य सभा सदस्य चुने गए थे, मगर राज्य में कांग्रेस विधान सभा चुनाव में महज दो सीटें जीत पाई थी. इस वजह से वह किसी को भी संसद के उच्च सदन में अपने दम पर पहुंचाने की स्थिति में नहीं है. 

प्रिंसिपल पति पर पत्नी का टॉर्चर: कोर्ट से लगाई गुहार, कहा- तवे और डंडे से बुरी तरह पीटती है


पीड़ित अजीत यादव पिटाई के डर के मारे लगभग 1 महीने से अपने घर नहीं गया है.

पीड़ित अजीत यादव पिटाई के डर के मारे लगभग 1 महीने से अपने घर नहीं गया है.

अलवर. राजस्थान के अलवर जिले के भिवाड़ी में एक अजीबोगरीब और दिल को दहला देने वाला घरेलू हिंसा (Domestic violence) का सनसनीखेज प्रकरण सामने आया है. यहां रहने वाले एक स्कूल प्रिंसिपल ने अपनी पत्नी पर टॉर्चर करने का आरोप (wife accused of torture) लगाया है. परेशान प्रिंसिपल का आरोप है कि उसकी पत्नी उसे तवे और डंडे से पिटती है. परेशान प्रिंसिपल ने सबूत एकत्र करने के लिये घर में सीसीटीवी कैमरे लगवाये. इन कैमरों में कैद हुये घटनाक्रम को देखकर आपके रोंगटे खडे हो जायेगे. प्रिंसिपल को उसकी पत्नी आये दिन पीट पीटकर कर घर से निकाल देती है. यही नहीं उसे मुकदमे में फंसाने की धमकी देकर ब्लैकमेल करती है. प्रताड़ित प्रिंसिपल ने अब कोर्ट से सुरक्षा की गुहार लगाई है. कोर्ट ने उसे सुरक्षा मुहैया कराने के आदेश दिये हैं.

अमूमन घरेलू हिंसा के केस महिलाओं की तरफ से सामने आते हैं. लेकिन भिवाड़ी में पुरुष घरेलू हिंसा का शिकार हो गया. घरेलू हिंसा का शिकार हुया व्यक्ति अजित सिंह यादव सरकारी स्कूल का प्रिंसिपल है. प्रिंसिपल ने हरियाणा के सोनीपत निवासी सुमन से लव मैरिज की थी. उसके बाद कुछ दिन तक तो जिंदगी सही चली थी. लेकिन धीरे-धीरे पत्नी के पति पर अत्याचार बढ़ने लग गये. परेशान प्रिंसिपल ने अब भिवाड़ी न्यायालय से अपनी सुरक्षा की मांग करते हुए न्याय की गुहार लगाई है.

सात साल पहले की थी लव मैरिज
अजीत सिंह यादव ने बताया कि उन्होंने करीब 7 साल पहले सोनीपत निवासी सुमन से लव मैरिज की थी. कुछ समय बाद सुमन के तेवर बदलते चले गए. इन दिनों तो स्थिति यह है कि वह आये दिन उसे अपनी मनमर्जी तरीके से टॉर्चर करती है. कभी क्रिकेट खेलने के बल्ले से तो कभी खाना बनाने के तवे से पीटती है. इनके अलावा भी घर में कोई भी सामान उसके हाथ आ जाता है तो उससे पीटने लगती है.

अजीत सिंह के जगह जगह लगी है चोटें
मारपीट इस हद तक हुई है कि अजीत सिंह के जगह जगह से चोटें लगी हुई हैं. अजीत यादव इतने दिन तक लोकलाज और शिक्षक के पेशे की गरिमा को ध्यान में रखते हुये इधर-उधर उपचार कराकर अपना समय गुजार रहे थे. लेकिन अब हदें पार हो जाने पर उन्होंने कोर्ट की शरण ली है. अजीत सिंह के एक बेटा भी है. सीसीटीवी फुटेज में दिखाई दे रहा है कि की सुमन अपने 8 वर्षीय बेटे के सामने ही अपने पति को बेरहमी से पीट रही है. अजीत ने घटना के फुटेज कोर्ट में पेश किये हैं.

पेशे की गरिमा को ध्यान में रखते हुये पत्नी पर कभी नहीं उठाया हाथ
इतना कुछ होने के बावजूद अजीत सिंह ने बताया कि उन्होंने कभी सुमन पर हाथ नहीं उठाया और कानून को हाथ में नहीं लिया. अजीत सिंह का कहना है कि वो एक अध्यापक है. अध्यापक अगर महिला पर हाथ उठाएं और कानून को हाथ में ले तो यह भारतीय संस्कृति और उनके ओहदे के खिलाफ है. अगर यह बात उनके छात्र-छात्राओं तक जाती तो उन पर क्या असर पड़ता. बस इसी गरिमा को बरकरार रखने के लिये बीते एक साल से घरेलू हिंसा झेलते हुए अजीत अपनी पत्नी से निर्मम तरीके से मार खा रहे हैं.

मानसिक रूप से बीमार हो चुका है अजीत
अजीत सिंह की वर्तमान में स्थिति यह हो चुकी है कि वह मानसिक रूप से इतना बीमार हो चुका है कि कुछ ही पलों में वह सब कुछ भूल जाता है. कोई भी काम या साथी स्टाफ तक का नाम भी भूल जाता है. लगभग 1 महीने से वह पिटाई के डर के मारे अपने घर नहीं गया है. इधर उधर छिपते छिपाते हुये अपना समय व्यतीत कर रहा है. अजीत सिंह का आरोप है कि उसकी पत्नी सुमन के इस पूरे घटनाक्रम को उसको अमेरिका में बैठा हुआ उसका भाई ऑपरेट करता है. वह जैसा भी कहता है सुमन उसी तरह का बर्ताव उनके साथ करती है.

पुलिस कर रही है पूरे मामले की जांच
भिवाड़ी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विपिन शर्मा ने बताया कि न्यायालय की तरफ से प्रिंसिपल को सुरक्षा दिए जाने के आदेश हो चुके हैं. पुलिस न्यायालय की ओर से पेश की गई रिपोर्ट की जांच कर रही है. आरोपी महिला को बयान के लिए बुलाया गया है. वह अभी तक पेश नहीं हुई है. जांच जारी है.

विधान सभा में अखिलेश-योगी आदित्यनाथ के बीच तीखी बहस, CM ने याद दिलाया मुलायम सिंह का विवादित बयान



विधान सभा में अखिलेश-योगी आदित्यनाथ के बीच तीखी बहस, CM ने याद दिलाया मुलायम सिंह का ये बयान उत्तर प्रदेश विधान सभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के बीच तीखी बहस देखने को मिली है. नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने सदन में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध का मामला उठाया था जिसके जवाब में CM योगी ने कहा कि यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, यहां यह नहीं कहा जाता है कि लड़के हैं, गलती कर देते हैं. बता दें कि महिला अपराध के एक मामले में समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि 'लड़के हैं गलती हो जाती है.'

क्राइम पर जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी

विधान सभा में सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को सदन के नेता और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जोर देकर कहा कि अपराध किसी प्रकार का हो वह अक्षम्य है और खासकर महिला अपराध पर सरकार अपराधियों के खिलाफ कठोरतापूर्वक कार्रवाई कर रही है. सीएम योगी ने बिना किसी का नाम लिए सपा प्रमुख और नेता प्रतिपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, 'अगर अपराधी है, चाहे वह कोई भी है, उसके खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत ही कार्रवाई होती है.'

विधान सभा में शून्यकाल में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने महिलाओं के साथ सबसे ज्यादा अपराध होने का दावा करते हुए इलाहाबाद, चंदौली, सिद्धार्थनगर और ललितपुर में महिलाओं के साथ हुई आपराधिक घटनाओं का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि जो सरकार जीरो टॉलरेंस की बात करती है उसमें पुलिस मनमानी कर रही है, ललितपुर थाने में एक दुष्कर्म पीड़िता के साथ थानाध्यक्ष की ओर से रेप किये जाने की घटना की ओर ध्यान दिलाते हुए यादव ने कहा कि नेता सदन ललितपुर गये और मामले में कार्रवाई हुई.

गुंडों को समर्थन देती है सपा

मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया, 'आप (अखिलेश यादव) तो हर उस अपराधी का समर्थन करते हैं जो प्रदेश में अराजकता के पुजारी हैं, गुंडागर्दी जिनका पेशा बन चुकी है.' उन्होंने अपनी सरकार की सराहना करते हुए कहा, 'पिछले पांच वर्ष के अंदर प्रदेश में कानून व्यवस्था, सुरक्षा के बेहतर माहौल ने ही इस सरकार को फिर से व्यापक जन समर्थन दिया है.'

राज्य के क्राइम ग्राफ में पांच वर्षों में कमी का दावा करते हुए CM योगी ने कहा कि कल हमारे प्रतिपक्ष के मित्र राज्यपाल के अभिभाषण को सुनते तो बहुत सारी बातें उनके सामने साफ होती. अभिभाषण का जब जवाब देंगे तो आप को साफ तौर पर बताएंगे कि अपराधों में कितनी गिरावट आई है. उन्होंने कहा कि पहले विधान सभा के चुनाव होते थे या कोई चुनाव होता था तो चुनाव के दौरान या उसके बाद व्यापक हिंसा होती थी. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने इस विधान सभा चुनाव के दौरान भी या उसके बाद कुछ हरकत की थी, लेकिन उस हरकत को कुछ ही घंटों में हम लोगों ने कंट्रोल भी किया.

हिन्दू मन्दिरों पर कब्जा करने वाले मुस्लिम आक्रांताओं के पक्षधर मुसलमानों को भी मिलनी चाहिए सजा: प्रताप मिश्रा

भारतीय या हिन्दू संस्कृति की विशालता और उदारता व सहिष्णुता का इससे बड़ा कोई दूसरा नमूना नहीं हो सकता कि काशी विश्वनाथ धाम में 1669 ईस्वीं में तत्कालीन मुगल बादशाह औरंगजेब के फरमान पर मचाये गये विध्वंस के बाद इसके एक हिस्से में देवाधिदेव महादेव के पूजा स्थल पर तामीर की गई कथित मस्जिद के ‘जबर’ जीते-जागते निशान और सबूत होने के बावजूद हिन्दू समाज के लोग न्यायालय की शरण में हैं और अपना शास्त्र सम्मत जायज हक मुस्लिमों से लेने के लिए कानूनी दांव-पेंचों का सामना करना चाहते हैं। पूरी दुनिया में ऐसी कोई दूसरी मिसाल नहीं मिलती कि जब किसी स्थान विशेष पर अलग-अलग धर्मों के अनुयायियों का विवाद पैदा हो जाने पर इसका निपटारा न्यायालय पर छोड़ दिया जाये। मैं बड़े अदब से पूछना चाहता हूं कि क्या मुस्लिम, इसाई व यहूदी ‘यरुशलम’ विवाद के  मामले को न्यायालय के ऊपर  छोड़ने पर सहमत हो सकते हैं? यरुशलम को तीनों ही धर्मों के अनुयायी अपना-अपना पवित्र स्थल मानते हैं। वे पवित्र स्थल इसलिए मानते हैं क्योंकि उनकी धार्मिक पुस्तकें और अकीदा और आस्था बताते हैं कि उनके पैगम्बरों के यरुशलम से गहरे आध्यात्मिक सम्बन्ध रहे हैं। इसी वजह से सदियों से ये तीनों यरुशलम को लेकर आपस में भिड़ते आ रहे हैं मगर इसका फैसला किसी न्यायालय पर नहीं छोड़ना चाहते।
मगर देखिये हिन्दुओं की विशाल उदारता कि उनके विभिन्न धर्म शास्त्राें में काशी धाम का वर्णन होने के बावजूद वे पिछले साढ़े तीन सौ साल से औरंगजेब द्वारा किये गये पैशाचिक कृत्य की विभीषिका को अपने सीने पर ढो रहे हैं और मुसलमान भाइयों के साथ अपने सामाजिक रिश्ते पूरी सहृदयता और समरसता के साथ निभाते आ रहे हैं और काशी में अपनी ही छाती पर गाड़े गये शूल की पीड़ा सहते आ रहे हैं और न्यायालय में जाकर न्याय की गुहार लगा रहे हैं। ठीक एेसा ही मामला मथुरा में श्रीकृष्ण जन्म स्थान का भी है जहां लीलाधर श्री कृष्ण के जन्म स्थान को मुस्लिम आक्रान्ता शासकों ने जबर्दस्ती अपवित्र करके उसके एक हिस्से में जबरन मस्जिद तामीर कराई थी। हिन्दुओं की उदार व समावेशी संस्कृति का यह ऐसा  बेनजीर नमूना है जो दुनिया की किसी दूसरी सभ्यता में देखने को नहीं मिलता है।

काशी व मथुरा में जो मन्दिर तोड़ कर मस्जिद तामीर किये जाने के सबूत खुद ही बोल रहे हैं और बता रहे हैं कि मुस्लिम शासकों ने ऐसा  केवल इस देश के हिन्दुओं को अपना ताबेदार दिखाये जाने की गरज से किया और उनके सम्मान को रौंदने की गरज से किया वरना बाबा विश्वनाथ धाम के बराबर में जबरन मस्जिद तामीर करके कौन सा ‘सबाब’ कमाया जा रहा था लेकिन यह साढ़े तीन सौ साल पहले की इस्लामी सत्ता का अपना रुआब गालिब करने का एक तरीका था और हिन्दू रियाया को यह एहसास करना था कि अब उनके मुल्क के मालिक मुसलमान हैं। मगर दीनदार मुसलमान शासकों को भी यह इल्म था कि इस मुल्क के हिन्दुओं के साथ जमकर बेइंसाफी हुई है क्यों हिन्दोस्तान की सारी दौलत उन्हीं की है। इसी वजह से 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान जब अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को उत्तर भारत के बहुसंख्यक देशी राजे-रजवाड़ों ने ईस्ट इंडिया कम्पनी के खिलाफ बगावत करते हुए उसे हिन्दोस्तान का बादशाह घोषित किया तो उसने हिन्दू रजवाड़ों को अपने  विद्वान व देशभक्त वजीर मौलवी हजीमुल्ला के हाथों यह सन्देश भिजवाया कि काशी का पूरा विश्वनाथ धाम हिन्दुओं को सौंप दिया जायेगा। मौलवी हजीमुल्ला की वीर सावरकर ने अपनी पुस्तक ‘1857 का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम’ में जमकर तारीफ की है।

अतः आजकल विश्वनाथ धाम में बनी मस्जिद के पक्ष को लेकर जिस तरह मुस्लिम मुल्ला व उलेमा बांहे चढ़ा-चढ़ा कर विभिन्न टीवी चैनलों पर बहस कर रहे हैं उन्हें सबसे पहले ज्ञानवापी क्षेत्र की कैफियत के बारे में जानकारी होनी चाहिए। उनका ही यह फर्ज बनता है कि हिन्दोस्तानी मुसलमान होने की वजह से वे ज्ञानवापी क्षेत्र की हिन्दू शास्त्रों में गाई गई महिमा को देखते हुए इसे ससम्मान हिन्दुओं को लौटा दें और औरंगजेब को इस्लाम को दुश्मन घोषित करें क्योंकि औरंगजेब साढ़े तीन सौ साल पहले का आज की ‘आईएसआईएस का सरगना’ के अलावा और कुछ नहीं था। भारतीय मुसलमानों को पता होना चाहिए कि काशी का हिन्दू संस्कृति में वही स्थान है जो मुस्लिम संस्कृति या विश्वासों में ‘पवित्र मक्का’ का है। भाजपा नेता उमा भारती ने इस बारे में बहुत स्पष्ट रूप से कह दिया है कि काशी की पवित्रता से अब किसी भी प्रकार से समझौता नहीं किया जायेगा । काशी का प्रश्न सियासत का नहीं है बल्कि ‘शराफत’ का है और शराफत कहती है कि मजहब की बुनियाद पर 75 साल पहले भारत के दो टुकड़े कराने वालों को भारत को भीतर से टुकड़े-टुकड़े करने का कोई हक नहीं है क्योंकि भारत के संविधान ने सभी हिन्दू-मुसलमानों को एक समान अधिकार दिये हैं बल्कि हकीकतन मुस्लिम नागरिकों को फिर  उन्हें धार्मिक अधिकारों का ‘बोनस’ देकर ज्यादा ही कृपा की है अतः उन्हें भी भारत की उदार संस्कृति के रंग में रंग कर इसका मुरीद हो जाना चाहिए।

Friday, May 20, 2022

अमेरिका ने कभी भारत को गेहूं के लिए ‘भिखारियों की भूमि’ कहा था, आज भारत से गेहूं की भीख मांग रहा है!


गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के लिए भारत सरकार की आलोचना की गई है। संयुक्त राज्य अमेरिका सहित दुनिया भर के कई देशों ने सरकार के फैसले पर चिंता व्यक्त की है। हालांकि, भारत ने यह फैसला देश में गेहूं और आटे की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए लिया है।

अमेरिका गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध से खफा है। जर्मनी में जी -7 की बैठक में, अमेरिकी कृषि सचिव टॉम विल्सैक ने कहा कि यह गेहूं की पहुंच को रोक रहा है। उन्होंने इसे “गलत समय पर गलत कदम” कहा। “हमें एक ऐसे बाजार की आवश्यकता है जो जरूरतमंद लोगों तक सामान पहुंचाने में मदद करे,” विल्साक ने कहा।

भारत ने 13 मई को गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी। भारत ने यह प्रतिबंध ऐसे समय लगाया है जब रूस-यूक्रेन युद्ध ने विश्व गेहूं की आपूर्ति को प्रभावित किया है। भारत दुनिया में गेहूं के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है। चीन के बाद भारत गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत ने 2021-22 में 1,113 लाख टन गेहूं का उत्पादन किया है।

अमेरिका ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के भारत के फैसले पर आज नाराजगी जताई, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब अमेरिका गेहूं के लिए भारत को धमका रहा था। उस समय भारत गेहूं के लिए अमेरिका पर निर्भर था। 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान, अमेरिका ने भारत को गेहूं की आपूर्ति नहीं करने की धमकी दी। इतना ही नहीं अमेरिका ने कभी भारत को ‘भिखारियों’ का देश कहा था।

अभिनेत्री ने बयां किया दर्द, कहा- 1 नही 2 नही बल्कि 14 लोगों ने किया शारीरिक शोषण


मलयालम इंडस्ट्री की जानी-मानी अदाकारा रेवती सम्पत (Revathy Sampath) ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से खुलासा किया है कि 14 लोगों ने उनका यौ”न शो”ष”ण किया है। रेवती सम्पत ने इन सभी लोगों के नाम पोस्ट के माध्यम से उजागर कर दिए हैं। रेवती सम्पत के द्वारा जारी की गई लिस्ट में कई बड़े एक्टर्स-डायरेक्टर्स के नाम शामिल हैं। रेवती की लिस्ट में कलाकार सिद्दिकी, डायरेक्टर राजेश टचरिलर और DYFI लीडरन नंदी अशोकन के नामों का भी जिक्र है।अभिनेत्री (Revathy Sampath) द्वारा किए गए इतने हैरान कर देने वाला खुलासे ने उनके फैंस को झकझोर कर रख दिया है. रेवती के इस खुलासे के बाद पूरी मलयालम इंडस्ट्री संदेह के घेरे में आ गई है.

15 जून, 2021 को मलयालम फिल्म इंडस्ट्री (Malayalam Film Industry) से जुड़े हुए लोग उस समय दं’ग रह गए, जब मशहूर अभिनेत्री रेवती संपत (Revathy Sampath) ने इंडस्ट्री के 14 लोगों पर उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए. रेवती ने एक फेसबुक पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने उन 14 लोगों के नाम का खुलासा किया, जिसमें एक नाम मशहूर अभिनेता सिद्दीकी का भी शामिल है. अपने आरोपियों के नाम का खुलासा करते हुए रेवती ने फे”स”बुक पोस्ट में यह भी संकेत दिए कि उन्हें इसका कोई ड’र नहीं है कि वह अपने गुनहगारों का चेहरा मीडिया के सामने रख रही हैं.

यह लिस्ट बहुत बड़ी है, जिसमें कई नामी लोग शामिल हैं. रेवती के इस खुलासे ने फिल्म इंडस्ट्री को हिलाकर रख दिया है. फिलहाल, इन आरोपों पर उन 14 लोगों में से किसी की भी प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. हालांकि, अभिनेत्री द्वारा किए गए इतने हैरान कर देने वाला खुलासे ने उनके फैंस को झकझोर कर रख दिया है. रेवती के इस खुलासे के बाद पूरी मलयालम इंडस्ट्री संदेह के घेरे में आ गई है. सोशल मीडिया यूजर्स ने फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं की सु”रक्षा को लेकर चिंता जाहिर की और इस मामले पर अपना गुस्सा भी जाहिर किया.

अभिनेत्री के आरोपों से जुड़े पांच मुख्य बिंदु:- 1. अभिनेत्री ने अपने पोस्ट में यह भी बताया कि इन 14 लोगों ने उनका न केवल शारीरिक या यौ’न रूप से बल्कि भावनात्मक और मानसिक रूप से भी उत्पीड़न किया. रेवती ने इन लोगों को अपराधी करार दिया. 2. रेवती ने सिद्दीकी के अलावा इस लिस्ट में मशहूर निर्देशक राजेश का नाम भी लिखा है, जो कई नेशनल और स्टेट लेवल पर अपनी फिल्मों के लिए अवॉर्ड्स जीत चुके हैं. 3. रेवती ने इस लिस्ट में ने”ता नंदु अशोकण समेत पुलिस विभाग से लेकर कई प्रोफेशन से जुड़े लोगों का नाम दिया है, जिनमें एक डॉक्टर भी है. 4. अभिनेत्री के इस खुलासे के बाद उनके पोस्ट पर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली. एक तरफ जहां कुछ लोगों ने उनके इस कदम को पब्लिसिटी स्टंट बताया, तो वहीं कुछ ऐसे भी नजर आए, जिन्होंने रेवती का खुलकर समर्थन किया. 5. अपने इस पोस्ट में रेवती ने एक आदमी की फोटो भी साझा की, जिसे उन्होंने अपना अब्यूजर बताया.

Thursday, May 19, 2022

अखिलेश यादव के विवादित बयान के बाद भाजपा नेताओं में रोष: प्रताप मिश्रा




ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद के बीच समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के अपने एक बयान के बाद सोशल मीडिया से लेकर भाजपा नेताओं तक के निशाने पर पर आ गए हैं। दरअसल, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कह दिया कि ''हमारे हिन्दू धर्म में यह है कि पीपल के पेड़ के नीचे कहीं पर भी पत्थर रखकर उस पर लाल झंडा लगा दो वह मंदिर बन जाता है।'' अखिलेश यादव ने इससे भी बढकर एक बात और कह दी उन्होंने कहा कि एक समय ऐसा भी था कि रात के अंधेरे में मूर्तियां रख दी जाती थी। हालांकि उनके निशाने पर भाजपा थी पर इसका सीधा असर पूरे हिन्दू जनमानस पर पड़ा है। इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर अखिलेश यादव को जमकर ट्रोल किया जा रहा है।

'समाज की ज्ञानवापी मस्जिद पर अखिलेश यादव क्यों चुप हैं'

दरअसल, विधानसभा चुनाव और उसके बाद आजम खां मामले पर अखिलेश यादव मुस्लिम समाज के निशाने पर है। उधर असद्दीन ओवैसी भी सवाल उठा चुके है कि समाजवादी पार्टी को 112 सीटे दिलाने वाले मुस्लिम समाज की ज्ञानवापी मस्जिद पर अखिलेश यादव क्यों चुप हैं।

माना जा रहा है कि अखिलेष यादव का यह बयान इन सब को देखते हुए ही आया है। उन्होंने योगी सरकार पर आरोप लगाया कि मुस्लिम समाज को डराने के लिए बुलडोजर चलाया जा रहा है।ये बुलडोजर केवल धर्म जाति और हमारे मुसलमान भाईयों को डराने के लिए ही है। उन्होंने कहा कि भाजपा के पास नफरत वाला कैंलेडर है जिसे वह पूरे साल चलाती हैं।

अखिलेश फिर जनता को ठगने की तैयारी कर रहे

अखिलेश यादव के इस बयान के बाद भाजपा भी हरकत में आ गयी हे। योगी सरकार के मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने उनके इस बयान को बचकाना बयान बताते हुए कहा कि न्यायपालिका का पालन हम सबको करना चाहिए। धर्मवीर प्रजापति ने कहा कि संवैधानिक व्यवस्था आम जन से लेकर सत्ता और सत्ता से पालन करना चाहिए। जो भी हो रहा है न्यायप्रक्रिया के तहत हो रहा है। जबकि एक अन्य मंत्री नन्द गोपाल नन्दी ने कहा कि अखिले यादव एक बार फिर आजमगढ की जनता को ठगने की तैयारी कर रहे हैं। पहले वोट लिया फिर इस्तीफा दे दिया और अब जब उपचुनाव होने को है तो फिर से वहां पर शादी व्याह में पहुंचने लगे हैं।

बरेली में अतिक्रमण पर चला ‘पीला पंजा’, छाती पीट रोने लगे साधु- योगी भैया, तुमने तो हमारे ऊपर बुलडोजर चलवा दिया


Bulldozer, New Delhi, National News
अवैध निर्माण को ढहाता एक बुलडोजर। (फाइल फोटोः पीटीआई)

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार अवैध कब्जों और गैरकानूनी निर्माणों के खिलाफ लगातार बुलडोजर चला रही है। इस दौरान कई लोगों ने प्रशासन पर भेदभाव करने का आरोप लगाया तो कई लोगों की शिकायत है कि उन्हें कोई पूर्व सूचना दिए बिना ही उनके निर्माणों को गिरा दिया जा रहा है। बरेली में अतिक्रमण हटाओ अभियान में कई निर्माण गिराए गए। इसी में एक साधु के आवास को भी गिरा दिया गया। इसके बाद पीले वस्त्रधारी साधु छाती पीट-पीट कर रोए। वे बोले- “योगी भैया, तुमने तो हमारे ऊपर बुलडोजर चलवा दिया।”

बरेली के बिचपुरी के रामगंगा नगर आवासीय योजना सेक्टर एक में करीब 100 मकानों पर बुलडोजर चलाकर 4 हेक्टेअर भूमि को कब्जा मुक्त कराया गया है। इस दौरान 100 करोड़ रुपए कीमत की भूमि से अतिक्रमण हटाया गया। तीन दिन से चल रहे अभियान में अधिकतर दो और तीन मंजिले वाले मकान गिराए गए। इन मकानों में 20 साल से लोग रह रहे थे। बताया जा रहा है कि प्रशासन ने ऐसे 500 और मकान-दुकान चिह्नित किए हैं, जिस पर बुलडोजर चलाए जाने हैं।

भूमि पर अवैध निर्माण ढहाने पहुंची बीडीए की टीम के खिलाफ लोगों में जबर्दस्त गुस्सा था। मकानों को ढहा रहे बुलडोजर पर नाराज लोगों ने पत्थर फेंके। हालात बिगड़ने लगे तो सुरक्षाबलों ने लाठियां फटकार कर लोगों को नियंत्रित किया। अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान एक साधु के मकान को भी गिराए जाने के प्रशासन की कार्रवाई पर कई लोगों ने कमेंट किए हैं। पुन की बात@violent_tree नाम के यूजर ने कहा कि “योगी जी सेक्युलरिज्म का कड़ाई से पालन कराते हुए, सख्त प्रशासन इसे ही कहते है, साधुवाद।”

Wednesday, May 18, 2022

हजारों सालों से भारत की मिट्टी में दफन था दुनिया का सबसे बड़ा घड़ा, भरा जा सकता है 2 हजार लीटर पानी


खुदाई में मिले घड़े देख लोग भी हो गए हैरान

खुदाई में मिले घड़े देख लोग भी हो गए हैरान (इमेज- इंटरनेट)

गर्मियों का सीजन आ चुका है. समय के साथ तकनीक ने इतनी तरक्की कर ली है कि लोग गर्मियों को मात देने के कई तरीके अपनाने लगे हैं. अगर घर के अंदर हैं तो पंखे, कूलर और यहां तक की एयर कंडीशनर के सहारे गर्मी से बचा जा सकता है. बात अगर ठंडे पानी की करें, तो पहले के समय में गर्मियों में कुएं का ठंडा पानी लोगों को सुकून देता था. इसके बाद आई मिट्टी से बने घड़ों की बारी. अब तो फ्रिज के जरिये लोग गर्मी में भी बर्फीले पानी का मजा लेते हैं. लेकिन जो बात मिट्टी के घड़ों में थी, वो फ्रिज के बोतल के पानी में कहां?

आपने आजतक घरों या सड़कों के किनारे लगे प्याऊं में घड़े देखे होंगे. कुछ घटे मटके जैसे होते हैं तो कुछ सुराही. कोई छोटे होते हैं तो कुछ बड़े. कुछ घड़ों में तो अब नल भी लगे आते हैं ताकि पानी निकालने में आसानी हो. लेकिन आज हम आपको जिस घड़े के बारे में बताने जा रहे हैं, वो दुनिया का सबसे बड़ा घड़ा है. जी हां, इस घड़े का आकार इतना बड़ा है कि इसके अंदर दो लीटर तक पानी भरा जा सकता है. लेकिन ये घड़ा आज के दौर का नहीं है. ये घड़े अब से हजारों साल पहले मौजदू थे. खुदाई के दौरान इन्हें बाहर निकाला गया. लोग इतने बड़े घड़े को देखकर हैरान हो गए. एक घड़े का आकार आम घरों में लगी पानी की टंकी के बराबर था.

टैंकर के साइज के घड़े
आपको लग रहा होगा कि टैंकर के साइज के घड़े हो ही नहीं सकते हैं. लेकिन हम मजाक नहीं कर रहे हैं. इतना बड़ा घड़ा आज भी उत्तर प्रदेश के कन्नौज में बने एक म्यूजियम में रखा हुआ है. इसे दुनिया का सबसे बड़ा घड़ा कहा जाता है. इसके अंदर दो हजार लीटर तक पानी भरा जा सकता है. ये आज के दौर में नहीं बना है. इतिहासकारों के मुताबिक़, ये घड़ा करीब दो हजार साल पुराना है. उस समय मौजूद कुषाण वंश में ऐसे घड़ों में पानी स्टोर किया जाता था ताकि वो ठंडे रहे.

हजारों साल से मिट्टी में थे दफ़न
कुषाण वंश के ये घड़े करीब चालीस साल पहले खुदाई में निकले थे. जब इनकी उम्र पर शोध किया गया तो पता चला कि ये 78 ई से 230 ई के बीच के हैं. जिस एरिया में ये घड़े मिले, उसके पास से गंगा नदी गुजरती थी. उसी का पानी इन घड़ों ेमिन स्टोर किया जाता था. खुदाई में कुषाण वंश के दौरान इस्तेमाल कई तरह के बर्तन मिले थे. लेकिन सबसे ज्यादा ध्यान इन विशाल घड़ों ने खींचा था. इन घड़ों को संभाल कर कन्नौज में बने म्यूजियम में रखा गया है. जो भी यहां इन घड़ों को देखता है हैरान रह जाता है.

चीन से मुकाबला करने को भारत अरुणाचल में बनाएगा दूसरा सबसे बड़ा बांध

ब्रह्मपुत्र नदी की धारा को अपनी ओर मोड़ने की योजनाओं पर लगातार काम कर रहा है चीन, चीन के प्रयासों से जल सुरक्षा सुनिश्चित

ब्रह्मपुत्र नदी

ब्रह्मपुत्र नदी की धारा को अपनी ओर मोड़ने की योजनाओं पर लगातार काम कर रहा है चीन, चीन के प्रयासों से जल सुरक्षा सुनिश्चित करने और बाढ़ को कम करने में मदद मिलेगी

ब्रह्मपुत्र नदी की धारा को अपनी ओर मोड़ने की योजनाओं पर लगातार काम कर रहा है। इसी का मुकाबला करने के लिए भारत पूर्वोत्तर के अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र नदी पर दूसरा सबसे बड़ा बांध बनाने की योजना बना रहा है। लगभग 50 हजार करोड़ रुपये की लागत वाले इस प्रस्तावित बांध से भारत को तिब्बत में नदी पर बांध बनाने के चीन के प्रयासों से जल सुरक्षा सुनिश्चित करने और बाढ़ को कम करने में मदद मिलेगी।

केंद्र सरकार अरुणाचल प्रदेश के यिंगकिओंग में ब्रह्मपुत्र नदी पर भारत का दूसरा सबसे बड़ा बांध बनाने की योजना बना रही है। लगभग 50 हजार करोड़ की लागत से बनने वाला यह प्रस्तावित जलाशय लगभग 10 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) पानी का भंडारण करेगा। भारत ने यह फैसला ब्रह्मपुत्र नदी (चीन में यारलुंग त्सांगपो) पर विशाल बांधों के निर्माण की चीनी योजनाओं का मुकाबला करने के लिए किया है।

ब्रह्मपुत्र नदी की कुल लंबाई 2,880 किमी. है, जिसमें से 918 किमी. भारत में बहती है। नदी में बहने वाले पानी का 75 प्रतिशत हिस्सा भारत के जलग्रहण क्षेत्रों से आता है। साथ ही गैर-मानसून मौसम में पानी का बड़ा हिस्सा तिब्बत में बर्फ पिघलने से नदी को मिलता है। ब्रह्मपुत्र में नदी के पानी को स्टोर या डायवर्ट करने का चीनी प्रयास भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र और बांग्लादेश की जल सुरक्षा को चुनौती दे सकता है।

केंद्र सरकार ब्रह्मपुत्र नदी में पानी के भीतर रणनीतिक महत्व की 15.6 किलोमीटर लंबी जुड़वां सड़क सुरंग बनाने जा रही है। लगभग 12,807 करोड़ रुपये लागत वाले इस प्रोजेक्ट से न केवल असम राज्य के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की सुरक्षा होगी बल्कि इस सुरंग के जरिए अरुणाचल प्रदेश की कनेक्टिविटी देश के अन्य हिस्सों से और मजबूत हो सकेगी।

सरकार का अनुमान है कि अरुणाचल के ऊपरी इलाकों में बांध निर्माण से बाढ़ के प्रभाव और चीन की इसे प्रेरित करने की क्षमता कम हो जाएगी। अरुणाचल प्रदेश के यिंगकिओंग में बांध निर्माण से पनबिजली उत्पादन के अलावा जल सुरक्षा को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, क्योंकि पानी को बारिश के मौसम में संग्रहित करके और जरूरत के समय छोड़ा जा सकता है।

ब्रह्मपुत्र नदी में 500 बीसीएम (अरब घन मीटर) पानी बह रहा है, जिसमें से 75 प्रतिशत से अधिक पानी भारत के जलग्रहण क्षेत्र से आता है। गैर-मानसून के मौसम में जब बर्फ के पिघलने से नदी को पानी मिलता है, तो भारत के जलग्रहण क्षेत्र में पानी नहीं होता है। इसलिए अगर वे गैर-मानसून मौसम में बांध बनाते हैं और पानी को डायवर्ट करते हैं तो इसका असर अरुणाचल प्रदेश से बांग्लादेश पर पड़ेगा।

ब्रह्मपुत्र नदी पर चीनी बांध बन जाने के बाद भारत, बांग्लादेश समेत कई पड़ोसी देशों को सूखे और बाढ़ दोनों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि चीन अपनी मनमर्जी से कभी भी बांध का पानी रोक सकता है या बांध के दरवाजे खोल सकता है। ऐसी स्थिति में भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में जल की आपूर्ति भी बाधित हो सकती है। इसके साथ ही केंद्र सरकार ब्रह्मपुत्र नदी में पानी के भीतर रणनीतिक महत्व की 15.6 किलोमीटर लंबी जुड़वां सड़क सुरंग बनाने जा रही है। लगभग 12,807 करोड़ रुपये लागत वाले इस प्रोजेक्ट से न केवल असम राज्य के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की सुरक्षा होगी बल्कि इस सुरंग के जरिए अरुणाचल प्रदेश की कनेक्टिविटी देश के अन्य हिस्सों से और मजबूत हो सकेगी।

यूपी में अब किसी नए मदरसों को नहीं मिलेगा सरकारी अनुदान, योगी सरकार ने लिया बड़ा फैसला


इस समय यूपी में 560 मदरसों को अनुदान मिल रहा है.

इस समय यूपी में 560 मदरसों को अनुदान मिल रहा है.

 उत्तर प्रदेश सरकार अब राज्य में किसी भी नए मदरसे को अनुदान नहीं देगी. योगी कैबिनेट की मंगलवार को हुई बैठक में पूर्व की अखिलेश सरकार के फैसले को पलटते हुए नए मदरसों को अनुदान सूची पर लिए जाने की नीति को समाप्त करने का फैसला लिया है.

बता दें कि अखिलेश यादव की सरकार ने अनुदान सूची में शामिल 146 में से सौ मदरसों को शामिल कर लिया था. इसके बाद इन मदरसों का अनुदान भी शुरू कर दिया गया था, जबकि बाकी 46 मदरसों का प्रकरण अभी चल रहा था. इसे लेकर अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ मंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया कि ये मदरसे मानक ही पूरा नहीं कर रहे थे. अब कैबिनेट में इस नीति को ही समाप्त कर दिया गया है तो किसी भी नए मदरसे को अनुदान की सूची में शामिल नहीं किया जाएगा.

धर्मपाल सिंह ने कैबिनेट मीटिंग के बाद पत्रकारों को बताया, ‘अरबी-फारसी मदरसों में से वर्ष 2003 तक के आलिया (10वीं) स्तर के स्थायी मान्यता प्राप्त मदरसों को अनुदान सूची पर लिए जाने संबंधी नीति को समाप्त किए जाने का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा गया था. इस प्रस्ताव के अनुमोदित होने के बाद अब किसी भी नए मदरसे को अनुदान सूची पर नहीं लिया जाएगा.’

गौरतलब है कि इस समय यूपी में 560 मदरसों को अनुदान मिल रहा है. इसके तहत शिक्षकों, गैर शिक्षण कर्मचारियों का वेतन और भत्ता शामिल है.

यूक्रेन, गेहूं बैन, और अब अफगानिस्तान पर भी बदले सुर, अचानक भारत की इतनी तरफदारी क्यों कर रहा चीन?


किसी भी वैश्विक मंच पर या वैश्विक मुद्दे पर चीन भारत के पक्ष में नजर आए, ऐसा कम ही देखने को मिलता है। लेकिन, अगर चीन बार बार भारत का पक्ष लेने लगे, भारत की नीतियों की तारीफ करने लगे, भारत की शान में कसीदे पढ़ने लगे, तो आश्चर्य होने के साथ साथ शक भी होने लगता है, कि आखिर ये चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को हो गया है। यूक्नेन युद्ध पर भारत की तारीफ करने के बाद चीन ने भारत के गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के फैसले की भी तारीफ की है और अब अफगानिस्तान के मुद्दे पर भी चीन भारत की तरफदारी कर रहा है।
  • अफगानिस्तान पर बोला चीन

    अफगानिस्तान पर बोला चीन

    भारत में इस वक्त शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के द्वारा एससीओ शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें भारत और चीन के अलावा पाकिस्तान और अफगानिस्तान के तमाम पड़ोसी देश भाग ले रहे हैं। एससीओ शिखर सम्मेलन को लेकर चीन ने कहा है कि, नई दिल्ली में आयोजित इस बैठक को चीनी विशेषज्ञों ने एशिया में शांति और सुरक्षा की दिशा में उठाए गये बड़े कदम के संकेत के तौर पर मान रहे हैं। चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि, नाटो के विस्तार की वजह से एशिया और यूरोप एक टकराव की स्थिति में फंस गया है। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि, मध्य एशिया में भारत, चीन, पाकिस्तान और अन्य एससीओ सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल सोमवार को विभिन्न क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों, विशेष रूप से अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति से निपटने में सहयोग बढ़ाने के लिए एकत्र हुए हैं और ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि, एससीओ शिखर सम्मेलन का आयोजन कर भारत अफगानिस्तान के मुद्दे पर अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है, जो एशिया में शांति की दिशा में बढ़ने का एक संकेत है।

  • अफगानिस्तान पर भारत की तारीफ

    अफगानिस्तान पर भारत की तारीफ

    चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने सिंघुआ विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय रणनीति संस्थान में अनुसंधान विभाग के निदेशक कियान फेंग के हवाले से लिखा है कि, मंगलवार को ग्लोबल टाइम्स को बताया कि बैठक में आतंकवाद, अलगाववाद और धार्मिक कट्टरता को रोकने में एससीओ की भूमिका पर प्रकाश डाला गया। 2001 में स्थापित, एससीओ क्षेत्रीय आतंकवादी खतरों से निपटने और राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए चीन द्वारा शुरू किया गया पहला क्षेत्रीय संगठन है। कियान ने कहा कि बैठक से पता चलता है कि अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति को बिगड़ने से फैलने से रोकने और हिंसक आतंकवादी ताकतों को रोकने के लिए सभी क्षेत्रीय देशों में एक साथ काम करने के लिए एक समान हित और आम सहमति है।

  • अफगानिस्तान में कदम पसार रहा भारत- चीन

    अफगानिस्तान में कदम पसार रहा भारत- चीन

    ग्लोबल टाइम्स से बात करते हुए चीन के सुरक्षा विशेषज्ञ ने कहा कि, हालांकि एससीओ की बैठक में तालिबान शामिल नहीं है, क्योंकि भारत कभी भी तलिबान के साथ सहज नहीं रहा है, लेकिन एससीओ सम्मेलन की सक्रिय मेजबानी करके अब ऐसा प्रतीत होता है, कि अफगानिस्तान में भारत अपनी उपस्थिति बढ़ाएगा और अफगानिस्तान की स्थिति पर एक प्रमुख राष्ट्र के तौर पर अपना प्रभाव डालेगा। चीनी विशेषज्ञ ने ये भी कहा कि, रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष के बीच इस बैठक में ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया था, क्योंकि यूरोप की स्थिति ने एशियाई देशों को याद दिलाया, कि उन्हें व्यापक सुरक्षा की अवधारणा का पालन करना चाहिए, बातचीत और परामर्श के माध्यम से समस्या का समाधान करना चाहिए, और तब किसी भी असहमति को संघर्ष की तरफ बढ़ने से हम रोक पाएंगे। इस प्रकार भारत में आयोजित की जा रही यह बैठक सुरक्षा के लिए एशिया की खोज का उदाहरण है।

  • भारत के गेहूं प्रतिबंध पर आया साथ

    भारत के गेहूं प्रतिबंध पर आया साथ

    ऐसा पहली बार है, जब चीन ने अफगानिस्तान में भारत की महत्वपूर्ण स्थिति की स्वीकार की है और माना हो, कि अफगानिस्तान में भारत भी एक पक्ष है। इससे पहले चीन ने भारत सरकार के गेहूं निर्यात पर लगाए गये प्रतिबंध को भी सही कदम ठहराया था। ग्रुप ऑफ सेवन (जी 7) देशों की भारत की आलोचना के बाद चीनी राज्य मीडिया ने भारत के गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के फैसले का बचाव किया था और चीनी सरकार के आउटलेट ग्लोबल टाइम्स ने लिखा था कि, 'भारत को दोष देने से खाद्य समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि यूरोप को भी विकल्प खोजना चाहिए'। ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा है कि, यदि कुछ पश्चिमी देश संभावित वैश्विक खाद्य संकट के मद्देनजर गेहूं के निर्यात को कम करने का खुद भी फैसला लेते हैं, तो वे भारत की आलोचना करने की स्थिति में नहीं होते हैं, क्योंकि इस वक्त भारत भी देश के अंदर अपनी खाद्य आपूर्ति को सुरक्षित करने के दबाव का सामना कर रहा है।

  • भारत की विदेश नीति की तारीफ

    भारत की विदेश नीति की तारीफ

    इससे पहले पिछले महीने ग्लोबल टाइम्स ने भारत की विदेश नीति की भी जमकर तारीफ की थी और कहा था कि, यूक्रेन मुद्दे पर भारत ने अमेरिका के दोमुंहे रवैये को बेनकाब कर दिया है। पिछले महीने 11 अप्रैल को ग्लोबल टाइम्स ने लिखा था कि, भारत के साथ 2+2 बैठक से पहले अमेरिका बार बार इस बात को रेखांकित कर रहा था, कि अमेरिका और भारत 'सामान्य मूल्यों और लचीले लोकतांत्रिक संस्थानों' को साझा करते हैं, और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने साझा हितों और प्रतिबद्धताओं की पुष्टि करते हैं। लेकिन, इस बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच रूस-यूक्रेन संघर्ष पर ही चर्चा करने में काफी वक्त बिताया गया और नई दिल्ली ने जो रूख दिखाया है, वो साफ जाहिर करता है, कि नई दिल्ली की प्रतिक्रिया स्पष्ट रूप से वाशिंगटन से अलग है।

  • ‘प्रतिबंध में शामिल नहीं भारत’

    ‘प्रतिबंध में शामिल नहीं भारत’

    ग्लोबल टाइम्स ने लिखा था कि, भारत सहित ब्रिक्स देशों ने रूस के खिलाफ प्रतिबंधों में भाग लेने से इनकार कर दिया है। भारत ने रूस के साथ व्यापार को निलंबित तो नहीं ही किया, बल्कि भारत ने रूस से ऊर्जा आयात में वृद्धि ही कर दी है। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा था कि, क्वाड का सदस्य देश होते हुए भी भारत मे अमेरिका की नीति का अनुसरण नहीं किय, जिससे अमेरिका को शर्मिंदगी उठानी पड़ी है। इससे यह भी पता चलता है कि वाशिंगटन रणनीतिक महत्वाकांक्षाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं, जिसके दायरे में वो देशों को नियंत्रित करना चाहता है, लेकिन अब अमेरिका के पास कुछ ही 'उपग्रह राज्य' हैं। लेकिन, भारत ने अपनी स्वतंत्र विदेश नीति का पालन किया और अमेरिका की बात मानने से इनकार कर दिया और भारत ने ना ही रूस की आलोचना की और ना ही रूस से व्यापार कम किए।

  • बार बार भारत की तरफदारी क्यों?

    बार बार भारत की तरफदारी क्यों?

    पिछले दो महीने में तीन बड़े मुद्दों पर आखिर चीन ने भारत का पक्ष क्यों लिया है, ये एक बड़ा सवाल है। वहीं, चीन के विदेश मंत्री ने भी भारत का दौरा किया था और भारत के साथ संबंधों को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश की थी। वहीं, कई विशेषज्ञों का कहना है कि, चीन भारत की बार बार इसलिए तरफदारी कर रहा है, क्योंकि वो इस साल के अंत में चीन में होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन को सफल बनाने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बीजिंग बुलाना चाहता है, जिसमें शामिल होने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी आएंगे और चीन की कोशिश ये है, कि विश्व के तीन शक्तिशाली नेताओं को एक साथ लाकर वो पश्चिम को संदेश दे सके, कि चीन विश्व का सुपरपॉवर बन चुका है या बनने वाला है। हालांकि, इस बात की उम्मीद काफी कम है, कि भारतीय प्रधानमंत्री चीन का दौरा करेंगे।


भारत के गेहूं निर्यात पर बैन से अमेरिका भी परेशान, बोला- भूखी मर जाएगी दुनिया, फैसले पर ‘पुनर्विचार’ करें


भारत ने हाल ही में गेहूं के निर्यात पर बैन लगा दिया था जिसके चलते पूरी दुनिया में गेहूं की कीमतें आसमान छूने लगीं। दुनिया के सबसे अमीर देशों में से एक अमेरिका भी भारत के इस फैसले से परेशान है। हालांकि अमेरिका को उम्मीद है कि भारत गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले पर “पुनर्विचार” करेगा।

अमेरिका ने कहा है कि जिन देशों ने गेहूं के निर्यात पर बैन लगाया है वह उन देशों से अनुरोध करेगा कि ऐसा न करें। दरअसल यूक्रेन पर रूसी अटैक के बाद से पूरी दुनिया में भोजन की कमी देखी जा रही है क्योंकि इससे गेहूं के निर्यात को लेकर सप्लाई चेन बाधित हुई है।

भारत ने क्यों लगाया गेहूं निर्यात पर बैन?

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है। गर्मी और लू की वजह से गेहूं उत्पादन प्रभावित होने की चिंताओं के बीच भारत ने अपने प्रमुख खाद्यान्न की कीमतों में आई भारी तेजी पर अंकुश लगाने के मकसद से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।

इस निर्णय से गेहूं और गेहूं के आटे की खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी, जो पिछले एक साल में औसतन 14-20 प्रतिशत बढ़ी है, इसके अलावा पड़ोसी और कमजोर देशों की खाद्यान्न आवश्यकता को भी पूरा करने में मदद मिलेगी।

भारत से बोला अमेरिका- फैसले पर फिर से सोचें

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने सोमवार को एक वर्चुअल न्यूयॉर्क फॉरेन प्रेस सेंटर ब्रीफिंग के दौरान कहा: “हमने भारत के फैसले की रिपोर्ट देखी है। हम देशों को निर्यात को प्रतिबंधित नहीं करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं क्योंकि हमें लगता है कि निर्यात पर कोई भी प्रतिबंध भोजन की कमी को बढ़ा देगा।

उन्होंने कहा कि लोग भुखमरी की कगार पर खड़ें हैं। उन्होंने कहा, “भारत सुरक्षा परिषद में हमारी बैठक में भाग लेने वाले देशों में से एक होगा, और हमें उम्मीद है कि वे अन्य देशों द्वारा उठाई जा रही चिंताओं को सुनेंगे और हम उम्मीद करते हैं कि फिर वे उस स्थिति पर पुनर्विचार करेंगे।”

विकासशील दुनिया के लिए रोटी की टोकरी था यूक्रेन’

थॉमस-ग्रीनफील्ड गेहूं के निर्यात को प्रतिबंधित करने के भारत के निर्णय पर एक सवाल का जवाब दे रही थीं। अमेरिकी दूत ने कहा कि यूक्रेन विकासशील दुनिया के लिए एक रोटी की टोकरी हुआ करता था, लेकिन जब से रूस ने महत्वपूर्ण बंदरगाहों को ब्लॉक करना शुरू किया और नागरिक बुनियादी ढांचे और अनाज सिलोस को नष्ट करना शुरू कर दिया

तब से अफ्रीका और मध्य पूर्व में भूख की स्थिति और भी विकट हो गई है उन्होंने कहा, “यह पूरी दुनिया के लिए एक संकट है, और इसलिए यह संयुक्त राष्ट्र का मुद्दा है। हमारी उन लाखों लोगों के प्रति जिम्मेदारी है जो इस बात को लेकर चिंतित हैं कि उन्हें अपना अगला भोजन कहां मिलेगा या वे अपने परिवार का भरण पोषण कैसे करेंगे।

इस सप्ताह हम इसी बारे में चर्चा करेंगे और दुनिया भर में खाद्य असुरक्षा को कम करने के लिए कदम उठाएंगे।” अमेरिका मई महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष है और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे अंतरराष्ट्रीय संघर्षों की पृष्ठभूमि के खिलाफ इस सप्ताह खाद्य सुरक्षा पर एक हस्ताक्षर कार्यक्रम की मेजबानी करेगा।

19 मई को, विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ‘अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के रखरखाव: संघर्ष और खाद्य सुरक्षा’ पर एक खुली बहस की अध्यक्षता करेंगे। सुरक्षा परिषद की बैठक की पूर्व संध्या पर, ब्लिंकन बुधवार को एक वैश्विक खाद्य सुरक्षा कॉल टू एक्शन मंत्रिस्तरीय बैठक की अध्यक्षता करेंगे।

विदेश एवं संसदीय मामलों के राज्य मंत्री वी मुरलीधरन 17 मई से 20 मई तक न्यूयॉर्क में रहेंगे। वे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ‘वैश्विक खाद्य सुरक्षा – कॉल टू एक्शन’ पर उच्च स्तरीय मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लेंगे और एक बयान देंगे।


Monday, May 16, 2022

ज्ञानवापी मस्जिद में मिले भोलेनाथ, कोर्ट ने परिसर को सील करने का दिया आदेश:प्रताप मिश्रा


ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में बड़ी खबर सामने आई है। सर्वे टीम को परिसर के अंदर शिवलिंग मिला है। यह बात सामने आने के बाद कोर्ट ने डीएम को आदेश दिया कि जिस जगह शिवलिंग मिला है, उसे तत्काल सील कर दें। कोर्ट ने सभी का शिवलिंग क्षेत्र में प्रवेश वर्जित किया था। दोपहर 12 बजे तक शेष 20 फीसदी बचे कार्यो की वीडियोग्राफी और फोटो ग्राफी होनी है। अधिवक्ता कमिश्नर के साथ वादी-प्रतिवादी पक्ष के कुल 52 सदस्यों की मौजूदगी में परिसर में सर्वे हो रहा है। दोपहर 12 बजे तक शेष 20 फीसदी बचे कार्यो की वीडियोग्राफी और फोटो ग्राफी होनी है। माना जा रहा है कि सर्वे टीम और उच्चाधिकारी आपस में विमर्श के बाद परिसर में मौजूद तालाब का पानी निकालकर उसकी भी वीडियोग्राफी करा सकते है। इसके बाद वीडियोग्राफी की चिप कोर्ट कमिश्नर को सौंप दी जाएगी।

मंगलवार 17 मई को कमीशन की कार्यवाही की रिपोर्ट कोर्ट कमिश्नर को न्यायालय में दाखिल करना है। इसके पहले रविवार को मस्जिद व गुंबद के बाद तहखाने के भी कुछ हिस्सों की फोटो और वीडियोग्राफी हुई थी। इसमें गुंबद के हिस्से में अलग बनावट नजर आई। चर्चा है कि मस्जिद परिसर के गुंबदों की बनावट जैसी बाहर से नजर आती है भीतर से काफी अलग है। इसके पहले सर्वे टीम चौक थाने से कड़ी सुरक्षा के बीच ज्ञानवापी मस्जिद के लिए रवाना हुई। मस्जिद परिसर में प्रवेश के पूर्व सभी सदस्यों के मोबाइल फोन जमा करा लिया गया। सर्वे के चलते लगातार तीसरे दिन ज्ञानवापी मस्जिद से लगभग एक किलोमीटर की दूरी तक मार्ग प्रतिबंधित है। काशी विश्वनाथ मंदिर के गेट नंबर चार के दोनों तरफ करीब 500 मीटर पहले ही बैरिकेडिंग लगी हुई है। किसी भी वाहन को गोदौलिया-मैदागिन मार्ग पर नहीं जाने दिया जा रहा है। काशी विश्वनाथ मंदिर में आने वाले दर्शनार्थियों को गलियों के रास्ते काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश कराया जा रहा है। ज्ञानवापी के एक किलोमीटर तक जगह-जगह पुलिस और पीएसी के जवान मुस्तैद है। पुलिस अफसरों के अनुसार ज्ञानवापी की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। पहले दिन सुरक्षा 10 लेयर की थी । दूसरे दिन रविवार को 12 लेयर की कर दी गई। तीसरे और अन्तिम दिन 16 लेयर की सुरक्षा व्यवस्था की गई है।

वाराणसी पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश ने मीडिया कर्मियों को बताया कि न्यायालय के आदेश पर कोर्ट कमिश्नर की मौजूदगी में ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे हो रहा है। आज बुध पूर्णिमा पर काशी विश्वनाथ मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ को देख सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि पूरे शहर को सुरक्षा कारणों से सेक्टर और जोन में बांटा गया है। शहर के लिए हमने राजपत्रित अधिकारी की ड्यूटी लगाई है, और जोन के लिए पुलिस अधीक्षक को जिम्मेदारी सौंपी गई है।

न्यायालय से नियुक्त विशेष अधिवक्ता कमिश्नर विशाल सिंह ने बताया कि, कमीशन की कार्यवाही का आज आखिरी दिन है। सर्वे आज पूरा हो जाएगा। सर्वे अपने नियत समय सुबह 8 से दोपहर 12 बजे तक होगा। सर्वे में क्या क्या जांच हुई, ये सारी बातें गोपनीय हैं। कोर्ट के आदेशानुसार जिला प्रशासन ने पूरा सहयोग किया है। फ्लड लाइट, सफाईकर्मी, ड्राफ्ट मैन जितनी भी सहायता मांगी गई। जिलाधिकारी ने सभी कुछ उपलब्ध कराया। आज जितने भी कार्य सर्वे के दौरान बचे हैं। सभी पूरे हो जाएंगे और 17 मई को कोर्ट में इसकी रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। उधर, ज्ञानवापी विवाद मामले में आज सोमवार को ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी सुनवाई है। एक विवाद से जुड़ी 3-3 याचिकाएं दाखिल हैं। कुल 6 याचिकाओं पर सुनवाई होनी है।

बाबा विश्वनाथ के दरबार में उमड़े श्रद्धालु -

सोमवार का दिन और बुद्ध पूर्णिमा पर्व के चलते श्री काशी विश्वनाथ के स्वर्णिम दरबार में दर्शन पूजन और जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। बुद्ध पूर्णिमा पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान के बाद दरबार में पहुंच रहे है। उनकी सुरक्षा के लिए गंगा में एनडीआरएफ और जल पुलिस तैनात हैं। मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को गेट नंबर एक और गंगा द्वार से मंदिर में प्रवेश कराया जा रहा है। पर्व पर दरबार में दर्शन पूजन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी है। ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के चलते सुरक्षा कारणों से मंदिर का गेट नंबर चार बंद है।

Sunday, May 15, 2022

काले हिरण और मोर के शिकारियाें काे काेर्ट ले जाते समय गाड़ी पलटी, आराेपित भागे ताे पैराें में मारी गाेली, गिरफ्तार


Attack on Guna Police: शिकारियाें काे काेर्ट ले जाते समय  गाड़ी पलटी, आराेपित भागे ताे पैराें में मारी गाेली, गिरफ्तार
शार्ट एनकाउंटर के दाैरान दाेनाें आराेपिताें के पैराें में गाेलियां लगी हैं। इसके बाद दाेनाें आराेपिताें काे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

गुना के आराेन में पुलिस जवानाें काे गाेली मारने के मामले में गिरफ्तार दाे आराेपिताें काे पुलिस आज काेर्ट लेकर जा रही थी। इसी दाैरान अचानक गाड़ी अनियंत्रित हाेकर पलट गई। माैके का फायदा उठाकर जब आराेपिताें ने भागने का प्रयास किया ताे पुलिस काे गाेलियां चलाना पड़ी। शार्ट एनकाउंटर के दाैरान दाेनाें आराेपिताें के पैराें में गाेलियां लगी हैं। इसके बाद दाेनाें आराेपिताें काे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

पुलिस ने इस मामले में 8 शिकारियाें काे हिरासत में लिया था, जबकि दाे की एनकाउंटर के दाैरान माैत हाे चुकी है। पुलिस आज शिकारी जिया खान और शानू खान काे काेर्ट में पेश करने के लिए लेकर जा रही थी। इसी दाैरान माेड़ पर पुलिस वाहन अनियंत्रित हाेकर सड़क पर पलट गया। पुलिसकर्मी खुद काे संभालने की काेशिश में जुटे हुए थे कि तभी दाेनाें आराेपिताें ने माैके का फायदा उठाकर भागने का प्रयास किया। पुलिस ने चेतावनी दी लेकिन शिकारियाें ने रूकने की जगह दाैड़ लगाना शुरू कर दिया। ऐसे में पुलिस काे गाेलियां चलाना पड़ी, जिसमें दाेनाें के पैराें में गाेलियां लगी हैं। इसके बाद दाेनाें काे गिरफ्तार करके अस्पताल ले जाया गया है।

दाे की एनकाउंटर में माैतः मध्य प्रदेश के गुना के आरोन थानाक्षेत्र में शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी रात पुलिस और शिकारियों के बीच मुठभेड़ में एक एसआइ सहित तीन पुलिसकर्मियों की मौत हो गई। रात में मुठभेड़ में एक शिकारी नौशाद मारा गया था, वहीं दूसरे शिकारी शहजाद को भी पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि दूसरा आरोपित कहीं पहाड़ के पास छिपा था, उसने आठ राउंड गोली पुलिस पर चलाई, जवाबी कार्रवाई में मारा गया। मुख्य आरोपित अभी फरार है, जिसकी तलाश की जा रही है।

क्या है घटनाक्रमः शुक्रवार की रात करीब 12.30 बजे आरोन थाना पुलिस को सूचना मिली थी कि शहरोक गांव की पुलिया से आगे मौनवाड़ा के जंगल में शिकारियों द्वारा ब्लैक बग हिरण और मोर का शिकार किया गया है। इस पर थाने से एसआइ राजकुमार जाटव, प्रधान आरक्षक नीरज भार्गव और आरक्षक संतराम मीना सहित सात लोग दो चारपहिया और एक बाइक से जंगल की ओर रवाना हुए। इस दौरान पुलिस ने चार मोटरसाइकिल से आए दो-तीन शिकारियों को पकड़ लिया, लेकिन तभी पीछे से आए शिकारियों के अन्य साथियों ने फायरिंग शुरू कर दी। इसमें तीन पुलिसकर्मियों की गाेलियां लगने से मौके पर मौत हो गई।

Friday, May 13, 2022

श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री बने रानिल विक्रमसिंघे


सबसे भीषण आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका में रानिल विक्रमसिंघे नए प्रधानमंत्री बने हैं। पीएम बनें रानिल विक्रमासिंघे ने वादा किया है कि वह देश की संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था को ऊपर उठाने की पूरी कोशिश करेंगे। इसी के साथ गुरुवार को श्रीलंका के नए प्रधान मंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद रानिल विक्रमसिंघे ने अपनी पहली टिप्पणी में कहा कि भारत के साथ द्वीप राष्ट्र के संबंध पिछली सरकार की तुलना में ‘बहुत बेहतर’ होंगे। विक्रमसिंघे ने यह भी कहा कि उन्होंने अर्थव्यवस्था के उत्थान की चुनौती ली है और इसे पूरा करेंगे।

रानिल विक्रमसिंघे ने कहा, “मैंने अर्थव्यवस्था को ऊपर उठाने की चुनौती स्वीकार की है और मुझे इसे पूरा करना होगा।” भारत-श्रीलंका संबंधों के बारे में पीएम ने कहा, “यह बहुत बेहतर हो जाएंगे।” देश की सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे लोगों के बारे में पीएम ने कहा, “उन्हें ठहरना चाहिए, हम चाहते हैं कि वे थम जाएं, अगर वे बात करना चाहते हैं तो हम तैयार है।”

बंद कमरे में प्रधान मंत्री की हुई नियुक्ति

बता दें, 73 वर्षीय यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के नेता को राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने बुधवार को बंद कमरे में चर्चा के बाद प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त किया। श्रीलंका के चार बार प्रधानमंत्री रह चुके विक्रमसिंघे को अक्टूबर 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने प्रधानमंत्री पद से हटा दिया था। हालांकि दो महीने बाद ही सिरीसेना ने उन्हें इस पद पर बहाल कर दिया था।

70 के दशक में रानिल ने राजनीति में कदम रखा और पहली बार 1977 में सांसद चुने गए थे। 1993 में पहली बार PM बनने से पहले रानिल उप विदेश मंत्री, युवा और रोजगार मंत्री सहित कई और मंत्रालय संभाल चुके हैं। वह संसद में दो बार विपक्षी नेता की भूमिका निभा चुके हैं। बता दें, रानिल विक्रमसिंघे को भारत समर्थक माना जाता है। वह भारत के साथ संबंध प्रगाढ़ करने के प्रबल हिमायती रहे हैं। पड़ोसी देश भारत के प्रति किसी तरह का पूर्वग्रह नहीं रखते।

स्टॉक एक्सचेंज में तीन प्रतिशत का उछाल

आपको बता दें, 1948 में ब्रिटेन से आजादी के बाद से श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। मगर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को नया प्रधानमंत्री मिलने के साथ आर्थिक सुधार के संकेत मिले हैं। यहां स्टॉक एक्सचेंज में तीन प्रतिशत का उछाल आया है।

मन्दिरों पर से मुस्लिम आक्रांताओं का अवैध कब्जा स्वतः ही छोड़ दें भारतीय मुसलमान: प्रताप मिश्रा

भारत के सन्दर्भ में यह समझना बहुत जरूरी है कि इस देश की मूल भारतीय या हिन्दू संस्कृति का केन्द्र मानवतावाद ही रहा है जिसकी वजह से इस धरती पर आने वाले प्रत्येक धर्म के अनुयायी का स्वागत हुआ और उसे अपने मजहब की पूजा पद्धति मानने का कहीं कोई विरोध नहीं हुआ। इसकी प्रमुख वजह यह थी कि स्वयं हिन्दू धर्म में ही किसी एक वि​धि द्वारा पूजा-अर्चना के अनुष्ठान किये जाने की रूढ परंपरा नहीं थी। बदलते समय के अनुसार इन परंपराओं में वृद्धि होती रही और नये–नये मतों की उत्पत्ति होती रही जिनके आधार पर पंथों का गठन होता रहा किन्तु इनके मानने वालों में कभी कोई वैमनस्य पैदा नहीं हुआ और ये सब अपने-अपने तरीके से अपनी परंपराओं का निर्वाह करते रहे जिसके परिणामस्वरूप भारत के समाज में सहिष्णुता और सहनशीलता का भाव अन्तर्निहित हो गया परन्तु इसे केवल सहनशीलता या सहिष्णुता के दायरे में कैद कर देना भी हिन्दू संस्कृति के प्रति न्याय नहीं होगा बल्कि यह इससे भी ऊपर मानव की अपनी स्वतन्त्र व सम्मान की सत्ता थी जिसे ‘मानवतावाद’  ही कहा जाना चाहिए परन्तु इसके विरोध में वामपंथी या प्रगतिशील कहे जाने वाले विचारक यह तर्क देते हैं कि यदि सांस्कृतिक भाव इतना उदार था तो इसमें वर्ण व्यवस्था के चलते शूद्र समाज के लोगों के साथ पशुवत व्यवहार क्यों किया जाता था और उसमें ‘अंत्यज’  जैसी श्रेणी किस प्रकार अस्तित्व में आ गई थी। यजुर्वेद में वर्ण व्यवस्था का जिक्र मिलता है परन्तु यह जन्म से न होकर कर्म से परिभाषित थी। अतः यह तर्कपूर्ण है कि जैसे–जैसे समाज का आर्थिक विकास होता गया और इसमें समाज के विशेष वर्गों के आर्थिक हित उन्हें प्राप्त होने वाली सम्पत्ति से पोषित होने लगे वैसे- वैसे ही वर्ण व्यवस्था की जड़े जमती गईं और इसने जन्म मूलक रूप धारण कर लिया और यहां तक हुआ कि शूद्रों के देवता भी प्रथक कर दिये गये। अतः हिन्दू समाज में असहनशीलता का भाव हमें सबसे पहले शूद्रों के प्रति उपजी निर्दयता में मिलता है और उनके सामाजिक व आर्थिक शोषण में मिलता है परन्तु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इसका विरोध भी हिन्दू संस्कृति में ही हुआ और ‘आजीविका’ मत का उदय हुआ जिसका मूल सिद्धान्त नियति या कर्म पर आधारित था। यह मत अनीश्वरवादी था और मानता था कि मनुष्य नियति के लेख के अनुसार ही कर्म करता है अतः अच्छा या बुरा कर्म कुछ नहीं होता है। संभवतः ‘अऱाजक’ शब्द की उत्पत्ति भी यहीं से हुई है। इसके साथ ही ईसा से साढे़ छह सौ वर्ष पूर्व ही बौद्ध धर्म की उत्पत्ति हुई जिसमें सद्कर्मों की ‘अष्टपदि’ नियमावली के अनुसार मनुष्य काे निर्वाण प्राप्ति का रास्ता दिखाया गया। इसके साथ ही इससे चालीस साल पहले जैन धर्म के तीर्थांकर महावीर स्वामी ने भी प्रेम, अहिंसा व सत्य के मार्ग से मोक्ष की प्राप्ति का रास्ता बताया परन्तु इन सभी पंथों की ग्राह्यता हिन्दू संस्कृति में बिना किसी राग- द्वेष के हो गई और यहां तक हो गई कि बुद्द को भगवान विष्णु का अवतार भी स्वीकार कर लिया गया जो बौद्ध धर्म की ‘महायान’ शाखा के बाद संपुष्ट हुआ। इन सभी धर्मों के प्रतीक स्थल भारत में एक-दूसरे के समानान्तर खड़े रहे और भारत की विविधता में समा गये, बेशक इक्के–दुक्के मामलों में बौद्ध व सनातन धर्म के प्रतीक स्थलों के मामले में संघर्ष का जिक्र जरूर मिलता है परन्तु अन्ततः बुद्ध भागवान विष्णु के अवतार के रूप में ही प्रतिष्ठापित हुए। परन्तु 711 के बाद सिन्ध के रास्ते भारत में इस्लाम के प्रवेश के साथ हमें यह आपसी सद्भाव टूटता हुआ मिला है क्योंकि सिन्ध में आने वाले मोहम्मद बिन कासिम ने वहां के हिन्दू राजा दाहिर को हराने के बाद इस्लाम को तलवार और ताकत के जोर पर फैलाना शुरू किया औऱ हिन्दू व बौद्ध नागरिकों का कत्लेआम करने के साथ उनकी औरतों को गुलाम बना कर ‘दमिश्क’ में बेचा और गैर मुस्लिम प्रजा से ‘जजिया’ वसूलने की कुप्रथा शुरू की। यह इस्लाम के फैलने का दौर था और इसी दौरान 712 में स्पेन में भी इस्लाम का प्रवेश हुआ जो सात सौ सालों तक काबिज रहा। स्पेन का इस्लामीकरण भी इस दौरान जम कर किया गया और तमाम चर्चों को मस्जिदों में बदल दिया गया परन्तु 15वीं शताब्दी के अन्त में जब यहां इस्लामी हुकूमत समाप्त हो गई तो इसके बाद स्पेन ने अपनी पुरानी जड़ों की तरफ लौटना शुरू किया और अपनी चर्चों को वापस लेते हुए पुनः इसाईत का डंका बजाया। आज स्पेन की 95 प्रतिशत से अधिक जनता इसाई धर्म को मानने वाली है। इसकी असली वजह ही थी कि स्पेनी नागरिकों ने कभी भी अपनी मूल संस्कृति से किनाराकशी नहीं की और स्वयं को सबसे पहले स्पेनिश समझा परन्तु भारत में महमूद गजनबी से लेकर मोहम्मद गौरी और बाद के मुस्लिम आक्रान्ताओं ने यहां के नागरिकों का धर्मान्तरण करके उसकी जड़ें मुल्ला–मौलवियों की मदद से भारत से काटने की मुहीम चलाई और उन्हें सबसे पहले ‘मुसलमान’ पहचान देने की कोशिश की जबकि इसके समानान्तर इंडोनेशिया व मलेशिया जैसे देशों में यह नहीं हो सका क्योंकि यहां के नागरिकों ने अपनी पहली राष्ट्रीय पहचान मलय या इंडोनेशियाई को नहीं छोड़ा जिसकी वजह से इन देशों के नागरिकों के नाम आज भी आधे हिन्दू और आधे मुस्लिम होते हैं परन्तु भारत में यह लगातार आठ सौ वर्षओं के लगभग इस्लाम शासन रहने की वजह से नहीं हो सका क्योंकि भारत के मुगल सम्राट तक अरब के मक्का तीर्थ स्थल का पूरा खर्चा उठाते थे। केवल अकबर के शासन को छोड़ कर शेष किसी भी मुगल शासक जमाने में हिन्दुओं पर अत्याचार नहीं रुके जिसकी वजह उनके दरबार में मौजूद कट्टर मुल्ला और काजियों का होना था। हिन्दू मन्दिरों का विध्वंस जिसे ‘बुत शिकनी’ कहा जाता था उसे ये मुल्ला या काजी इस्लाम के अनुसार जायज ठहराते थे। बेशक शासन की मजबूरियों के चलते और अर्थव्यवस्था के मुख्य स्रोत हिन्दुओं के हाथ में ही होने की वजह से इनमें कभी कुछ रियायत भी दे दी जाती थी मगर बादशाह मौलवियों की सलाह पर ही चलता था। जरा अक्ल से सोचने वाली बात है कि कुतुबमीनार बनाने वाला कुतबुदीन एबक अपने साथ न तो कोई कारीगर लाया था और न मिस्त्री तथा पत्थरों पर नक्काशी करने वाले लोग उसने पहले से ही मौजूद हिन्दू व जैन मन्दिरों को तोड़ कर इस्लामी इमारतें तामीर कराई थीं। मन्दिरों की भव्यता और उनकी उत्कृष्ठ स्थापत्यकला व नक्काशी से मुस्लिम आक्रन्ता इतने भयभीत रहते थे कि उहें विध्वंस करके उन्हीं के मलबे से नई इमारतें बना डालते थे। अतः वाराणसी में जिस ज्ञानव्यापी मस्जिद का मामला न्यायालय में चल रहा है वह पूरी तरह हिन्दू मन्दिर के विध्वंस की ही मिसाल है औऱ इसी तरह मथुरा के श्रीकृष्ण जन्म स्थान किले का मामला है। इतिहास को कोई कैसे बदल सकता है जबकि यह हकीकत है कि अहमद शाह अब्दाली ने मथुरा-वृन्दावन में सैकड़ाें मन्दिरों को तोड़ डाला था। अतः भारत के मुसलमानों का यह फर्ज बनता है कि वह स्वतः ही ऐसे सभी स्थानों को स्वेच्छा से हिन्दुओं को सौंप दें जिनसे हिन्दू धर्म की पहचान जुड़ी हुई है। उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि मुस्लिम आक्रान्ताओं ने ही उनके पूर्वजों पर जुल्म ढहा कर उनकी पहचान बदलने की कोशिश की थी।

Thursday, May 12, 2022

कर्ज में डूबा पाकिस्तान पीओके के बड़े भाग को चीन को सौंपने की कर रहा तैयारी



भारत के खिलाफ पाकिस्तान सदियों से साजिश रचता रहा है. इस बार उसने चीन से मिलकर एक बड़ी योजना बनाई है. कर्ज में डूबा पाकिस्तान पीओके के बड़े भाग को चीन को सौंपने की तैयारी कर रहा है.

यह ठीक वैसे ही हो रहा है, जब पाकिस्तान ने 1963 में PoK में आने वाली 5 हजार वर्ग किलोमीटर एरिया में फैली शक्सगाम वैली को चीन को गिफ्ट कर दिया था. उस घाटी पर आज भी ड्रैगन का कब्जा है. अब हुंजा घाटी को चीन को दिए जाने की अटकलों के बाद स्थानीय लोगों के विरोध हिंसा की एक नई लहर शुरू हो गई है.

पाकिस्तान सरकार की योजना से नाराज गिलगित-बालटिस्तान (Gilgit Baltistan) के लोगों का पाकिस्तानी सेना के साथ संघर्ष पिछले कुछ हफ्तों में काफी बढ़ गया है. स्कार्दू में स्थानीय लोगों ने पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों उनके वाहनों पर पथराव भी किया. लोगों में इस बात को लेकर भी गुस्सा भड़का हुआ है कि पाकिस्तानी सैनिक उनके जनप्रतिनिधियों को सरेआम पीट रहे हैं.

पाकिस्तानी सैनिकों ने बीते माह के अंत में स्थानीय लोगों की आवाज उठाने पर गिलगित-बाल्टिस्तान (Gilgit Baltistan) के पर्यटन स्वास्थ्य मंत्री राजा नासिर अली खान को बुरी तरह से पीटा गया था. मंत्री ने स्कार्दू रोड पर सेना के अधिग्रहण को लेकर अपना विरोध जताया था. राजा नासिर अली खान पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान के समर्थक रहे हैं.

जनता में विरोध शुरू

घटना 27 अप्रैल, 2022 को हुई थी. इसने सेना के खिलाफ जनता में विरोध शुरू हो गया था. घटना के बाद गुस्साए लोगों ने सेना के अधिकारियों उनके वाहनों पर जमकर पथराव किया. इस स्थानीय समुदाय ने हाल के दिनों में अलग-अलग मौके पर सेना के खिलाफ विरोध किया है.

श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला


नई दिल्ली। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद के मामलों को जल्द निपटाने की याचिका पर गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने मथुरा की अदालत को निर्देश दिया है कि अधिकतम चार महीने में सभी अर्जियों का निपटारा किया जाए। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि अगर सुन्नी वक्फ बोर्ड व अन्य पक्षकारों के सुनवाई में शामिल ना होने पर एकपक्षीय आदेश जारी कर दिया जाए।

यह याचिका नारायणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष यादव की तरफ से दाखिल की गई थी। इसमें याचिकाकर्ता ने मथुरा में चल रहे मुकदमे की सुनवाई हर रोज और जल्द निपटारा कराए जाने की अपील की थी। याचिका में मांग की गई थी कि मथुरा की अदालत में इस केस से जुड़े जो भी मामले पेंडिंग हैं, उनका निस्तारण जल्द से जल्द किया जाए। अगर विपक्षी पार्टी सुनवाई के दौरान हाजिर न हों तो उनके खिलाफ कार्रवाई कर एकतरफा आदेश दिया जाए।

श्रीकृष्ण जन्मस्थान और ईदगाह प्रकरण में मथुरा की अदालत में अब तक कुल नौ वाद दर्ज हो चुके हैं। एक अपील जिला न्यायाधीश के न्यायालय में लंबित है। इस पर जिला जज ने निर्णय सुरक्षित रखा है। श्रीकृष्ण जन्मस्थान प्रकरण में सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री द्वारा 13. 37 एकड़ जमीन पर दावा पेश किया गया था, लेकिन परंतु सिविल जज सीनियर डिवीजन ने उनके वाद को स्वीकार नहीं किया गया।

जिसके बाद वह अपील में जिला जज की अदालत पहुंची। जिला जज द्वारा निर्णय को सुरक्षित रखने के बाद के बाद 19 मई की तारीख नियत की है। जबकि नारायणी सेना, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास, अखिल भारत हिंदू महासभा और अन्य सहित कुल मिलाकर के नौ वाद अदालत में दर्ज हैं। जिनमें अलग-अलग सुनवाई चल रही है। सभी मामलों के वादी पक्षों ने हाईकोर्ट के निर्देशों को स्वागत किया है।

अब अफसरशाही पर भी चलने लगा बुलडोजर, पिछले 24 घंटों में देश के 27 टॉप अधिकारी नपे


देश में आईएएस और पीसीएस को समाज एक विशेष स्थान देता है। इस पद की प्रतिष्ठा ही है कि हर मां-बाप अपने बच्चे को अधिकारी बनाने का सपना जरूर देखता है। कोई थोड़ी भी ईमानदारी से पढ़ाई करता है तो पहले नंबर पर अफसर बनने की ही सोचता है, लेकिन वही शख्स अधिकारी की कुर्सी संभालने पर घूस लेने लगे या अपने काम में ही लापरवाह हो जाए, जिस काम की सैलरी पाता हो उसे ही भूल जाए तो आप क्या कहेंगे?
कुछ साल पहले तक क्लास-वन या टॉप पोस्ट को ‘फिकर नॉट’ टाइप माना जाता था। मतलब नौकरी मिल गई तो बस ऐश ही ऐश है। अब ऐसा नहीं चलता। अतिक्रमण और अवैध निर्माण पर ही नहीं, अफसरशाही पर भी अब बुलडोजर चलने लगा है। लाल बत्ती हटाकर अपने देश में जो स्टेटस सिंबल खत्म करने की कोशिश की गई, उस दिशा में आगे बढ़ते हुए अब भ्रष्ट और लापरवाह अधिकारियों पर नकेल कसी जाने लगी है। पिछले 24 घंटों में दिल्ली से लेकर यूपी, झारखंड, असम, तमिलनाडु तक ऐसे अकर्मण्य 27 अधिकारियों पर सरकारी बुलडोजर चला है। आइए जानते हैं कि ये अधिकारी कौन हैं और उन्होंने कैसे पूरी अफसर जमात को बदनाम किया है।
UP के DGP 
गांव में ग्राम विकास अधिकारी, थाने में SHO, ब्लॉक में बीडीओ, एसडीएम, डीएम तक लापरवाही समझ में आती है लेकिन जिस शख्स के पास किसी देश के बराबर क्षेत्र वाले प्रदेश की जिम्मेदारी हो, ऐसे डीजीपी लापरवाही में नपेंगे तो क्या संदेश जाएगा। जी हां, उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल बुधवार को सरकारी काम में लापरवाही के आरोप में पद से हटा दिए गए। नए पुलिस महानिदेशक चुने जाने तक अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार को कार्यभार संभालने को कहा गया है। गोयल को पुलिस महानिदेशक (डीजी) नागरिक सुरक्षा के पद पर भेजा गया है। सरकारी बयान में बताया गया है कि ‘पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल को शासकीय कार्यों की अवहेलना करने, विभागीय कार्यों में रुचि न लेने और अकर्मण्यता के चलते डीजीपी के पद से हटा दिया गया है।’
इस मामले में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त फैसले की भी तारीफ हो रही है। जनता में यही संदेश गया है कि कोई कितनी भी बड़ी पोस्ट पर हो, अगर काम नहीं करेगा तो हटा दिया जाएगा।
1987 बैच के आईपीएस अधिकारी गोयल को पिछले साल जून में प्रदेश का पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया गया था। उत्तर प्रदेश का डीजीपी बनने से पहले वह सीमा सुरक्षा बल में अपर पुलिस महानिदेशक के पद पर तैनात थे। मुजफ्फरनगर में जन्मे गोयल भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर की डिग्री हासिल कर चुके हैं।
रुपयों के बिस्तर’ पर सोने वाली पूजा सिंघल, 5% चलता था कमीशन
जैसे हम बेड पर बिस्तर बिछाते हैं उसी तरह से नोटों की गड्डियां बिछी थीं। वो तस्वीर जिसने भी देखी, हैरान रह गया। अधिकारी बनने पर ऐसी मनमर्जियां! जांच बढ़ी, पूछताछ हुई और कल झारखंड की खनन सचिव पूजा सिंघल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनरेगा फंड के कथित गबन और अन्य संदिग्ध वित्तीय लेन देन के मामले में गिरफ्तार कर लिया। भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की 2000 बैच की अधिकारी को पीएमएलए के तहत ईडी ने दो दिन की पूछताछ के बाद हिरासत में लिया। सिंघल जवाब देने में टालमटोल कर रही थीं। उनके कारोबारी पति अभिषेक झा का बयान भी मामले में दर्ज किया गया है। दंपति से कथित तौर पर जुड़े चार्टर्ड अकाउंटेंट और वित्तीय सलाहकार सुमन कुमार के बाद यह इस मामले में हुई दूसरी गिरफ्तारी है।
मामले में एक के बाद एक खुलासे शुरू हो गए। सिंघल और अन्य के खिलाफ ईडी की जांच मनी लॉन्ड्रिंग के उस मामले से संबंधित है जिसमें झारखंड सरकार में पूर्व कनिष्ठ अभियंता राम बिनोद प्रसाद सिन्हा को एजेंसी ने 17 जून 2020 को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया था। एजेंसी ने सिन्हा को 2012 में पीएमएलए के तहत दर्ज मामले का अध्ययन करने के बाद गिरफ्तार किया था। सिन्हा के खिलाफ जनता के धन की हेराफेरी करने के आरोप में धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार में मामला दर्ज किया गया था। सिन्हा ने इस धनराशि को एक अप्रैल 2008 से 21 मार्च 2011 तक कनिष्ठ अभियंता के रूप में काम करते हुए अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर निवेश किया था। जबकि उस धनराशि को खूंटी जिले में मनरेगा के तहत सरकारी योजनाओं के लिए रखा गया था।
पूछताछ में सिन्हा ने ईडी से बताया कि उन्होंने फ्रॉड करके जो पैसे कमाए उसमें से 5 प्रतिशत कमीशन जिला प्रशासन को दिया गया था। पूजा सिंघल के खिलाफ अनियमितता के मामले उस समय के हैं जब वह 2007 और 2013 के बीच चतरा, खूंटी और पलामू के उपायुक्त/जिला मजिस्ट्रेट थीं। एजेंसी ने इस मामले में सीए सुमन कुमार को 6 मई को उसके परिसर से 17 करोड़ रुपये से ज्यादा नकदी जब्त करने के बाद गिरफ्तार किया था। अधिकारियों ने कहा कि सभी ठिकानों से कुल 19.31 करोड़ रुपये की बरामदगी की गई थी।
रेलवे ने 19 अधिकारियों को भेजा घर
डिपार्टमेंट कोई भी हो, लोगों के जेहन में इतनी आरामतलबी आ गई है कि सोचते हैं अफसर बन गए अब काम करने की क्या जरूरत है। रेलवे ने बुधवार को ऐसे ही अपने 19 अधिकारियों को घर भेज दिया। जी हां, इन्हें नौकरी से जबरन रिटायर कर दिया गया है। रेलवे ने उस नियम को लागू किया है कि किसी सरकारी कर्मी को न्यूनतम तीन महीने का नोटिस देकर या इस अवधि का वेतन देकर सेवानिवृत्त के लिए बाध्य किया जा सकता है। उम्मीद की जा रही है कि शायद इस डर से ही सही, बाकी बचे अकर्मण्य लोग कुछ काम कर लें।
यह लिस्ट इतनी छोटी भी नहीं है। 19 अधिकारियों के अलावा पिछले 11 महीने में 75 अन्य अधिकारियों को VRS (स्वैच्छिक सेवानिवृति) लेने के लिए बाध्य किया गया जिनमें महाप्रबंधक और सचिव जैसे वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। यह कदम ठीक से काम नहीं करने वालों से निजात पाने के केंद्र सरकार के प्रयासों के तहत उठाया गया है। जिन 19 लोगों को रिटायर किया गया है उनमें इलेक्ट्रिकल एवं सिग्नल सेवाओं के चार-चार अधिकारी, मेडिकल एवं सिविल से तीन-तीन अधिकारी, कार्मिक से दो, स्टोर, यातायात एवं मेकेनिकल से एक-एक अधिकारी शामिल हैं। ये सभी पश्चिम रेलवे, मध्य रेलवे, पूर्व रेलवे, उत्तर मध्य रेलवे, उत्तर रेलवे, सैंडकोच फैक्टरी कपूरथला, माडर्न कोच फैक्टरी, रायबरेली आदि से हैं।
गृह मंत्रालय के 6 अधिकारियों को लगी हथकड़ी
CBI ने 40 जगहों पर छापेमारी कर गृह मंत्रालय के छह अधिकारियों सहित 14 लोगों को गिरफ्तार किया है। उनके पास से कई आपत्तिजनक दस्तावेज और मोबाइल फोन मिले हैं। ये छापेमारी दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, असम और मणिपुर में की गई है। CBI ने कथित तौर पर एफसीआरए नियमों का उल्लंघन करते हुए विदेशी चंदों को मंजूरी दिलाने के मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों, गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों और बिचौलियों के खिलाफ अभियान चलाया। इस कार्रवाई में 3.21 करोड़ रुपये नकद बरामद किए गए। एजेंसी ने मंत्रालय की शिकायत पर 10 मई को 36 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इन लोगों में गृह मंत्रालय के एफसीआरए डिवीजन के सात अधिकारी भी शामिल हैं।
मंत्रालय ने पाया कि कम से कम तीन नेटवर्क सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहे थे जो गैर सरकारी संगठनों को विदेशी चंदा (विनियमन) कानून (FCRA) संबंधी मंजूरी में तेजी लाने के लिए उनसे पैसे ले रहे थे ताकि उन्हें विदेशी चंदा मिल सके। जब यह मामला गृह मंत्री अमित शाह के संज्ञान में लाया गया तो उन्होंने इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया। कुछ अधिकारी एफसीआरए के तहत पंजीकरण और पंजीकरण के नवीनीकरण और एफसीआरए से संबंधित अन्य कार्यों के लिए गैर सरकारी संगठनों से कथित तौर पर रिश्वत ले रहे थे। जांच के दौरान दो आरोपियों को गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ लेखाकार की ओर से चार लाख रुपये की रिश्वत लेते और देते हुए पकड़ा गया।
अफसरों को याद रखना चाहिए…
ये मामले यह बताने के लिए काफी हैं कि भ्रष्टाचार किस तरह हमारे सिस्टम की नसों में दौड़ रहा है। गांव में घपला होता है तो उससे निपटने के लिए कई अधिकारी और तंत्र है लेकिन अगर जिलाधिकारी स्तर पर अफसर करोड़ों डकारने लगे तो व्यवस्था का क्या होगा। कैसे भ्रष्टाचार मुक्त देश बन पाएगा। ऐसे मामले पूरे IAS समुदाय, अधिकारियों के समूह को भी प्रदूषित करते हैं। जनता हर अधिकारी को घूसखोर की नजरों से देखने लगती है। अगर ऐसा ही रहा तो पद की गरिमा भी नहीं बचेगी। अफसरों के लिए यह ‘लिटमस टेस्ट’ होगा। जरा पिछले दिनों टीचर या कर्मचारी के रिटायरमेंट-ट्रांसफर की उन तस्वीरों को याद कर लीजिए जब पूरा स्कूल या डिपार्टमेंट रोता दिखा था। हमारे अफसर अपने रिटायरमेंट के बाद खुद को कैसे याद कराना चाहते हैं?

Tuesday, May 10, 2022

रेपिस्ट मौलवी को उम्रकैद की सजा, फैसला सुनाते भावुक हुये जज, पीड़िता के लिये लिखी ये मार्मिक कविता


जज ने लिखा ''ओ मेरी नन्ही मासूम परी रानी तुम खुश हो जाओ, तुम्हें रुलाने वाले दुष्ट राक्षस को हमने जिंदगी की आखिरी सांस तक के लिए सलाखों के पीछे भेज दिया है''.

 जज ने लिखा ''ओ मेरी नन्ही मासूम परी रानी तुम खुश हो जाओ, तुम्हें रुलाने वाले दुष्ट राक्षस को हमने जिंदगी की आखिरी सांस तक के लिए सलाखों के पीछे भेज दिया है''.
घटना गत वर्ष 13 नवंबर को दीगोद इलाके में हुई थी
मौलवी एक गांव में बच्चों को उर्दू की तालीम देता था
 कोटा जिले में 6 साल की मासूम के साथ रेप करने वाले मौलवी एवं उर्दू टीचर अब्दुल रहीम (Rapist Maulavee Abdul Rahim) को पोक्सो कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. कोर्ट ने रेपिस्ट को जीवन की आखिरी सांस तक (Till the last breath of life) सलाखों के पीछे रखने की सजा सुनाई है. रेप केस का फैसला सुनाने के दौरान जज भावुक हो गये. उन्होंने पीड़िता के लिये एक कविता भी लिखी. उन्होंने लिखा ”ओ मेरी नन्ही मासूम परी रानी तुम खुश हो जाओ, तुम्हें रुलाने वाले दुष्ट राक्षस को हमने जिंदगी की आखिरी सांस तक के लिए सलाखों के पीछे भेज दिया है, अब तुम इस धरती पर निडर होकर अपने सपनों के खुले आसमान में पंख लगाकर उड़ सकती हो, तुम सदा हंसते रही बस यही प्रयास है हमारा”.

किसी किताब में लिखी हुई लग रही इन पंक्तियों को पोक्सो कोर्ट के विशिष्ट न्यायाधीश दीपक दुबे ने अपने फैसले में दर्ज किया है. कोर्ट ने करीब छह माह पुराने इस मामले में मंगलवार को फैसला सुनाया. कोर्ट ने 6 वर्षीय मासूम बालिका के साथ वारदात करने वाले अभियुक्त उर्दू पढ़ाने वाले मौलवी को शेष-प्राकृत जीवनकाल तक के कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपी मौलवी पर 1 लाख का भारी जुर्माना भी लगाया है.

कोटा के दीगोद इलाके में हुई थी वारदात
विशिष्ट लोक अभियोजक ललित शर्मा ने बताया कि अब्दुल रहीम पेशे से उर्दू टीचर था. वह बच्चों को उर्दू पढ़ाता था. उसने गत वर्ष ट्यूशन पढ़ने आई 6 साल की मासूम के साथ दुष्कर्म किया था. मासूम के परिजनों ने गत वर्ष 14 नवंबर को दीगोद थाने में एक शिकायत दी थी. इसमें उन्होंने बताया कि उर्दू टीचर अब्दुल रहीम पिछले 4 महीने से गांव के मदरसे में रहता है. वह बच्चों को उर्दू की तालीम देता है. उनकी 6 साल की बेटी भी उर्दू पढ़ने मौलवी के पास जाती थी.

गत वर्ष 13 नवंबर को आरोपी ने की थी वारदात
13 नवंबर को दोपहर 3 बजे बेटी पढ़ने के लिये मौलवी के पास गई थी. उसके बाद 4 बजे वह रोती हुई घर लौटी. उसने परिजनों को मौलवी की ओर से की गई करतूत बताई. शिकायत पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 14 नवंबर को आरोपी मौलवी को गिरफ्तार किया. जांच के बाद 6 जनवरी को कोर्ट में चालान पेश किया गया था. कोर्ट में फरवरी माह में मौलवी के खिलाफ आरोप तय किए थे. कोर्ट में पेश किये गये साक्ष्यों और गवाहों के बयान के बाद जज ने मौलवी अब्दुल रहीम को रेप का दोषी करार देते हुये मंगलवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

दिल्ली में दूसरे दिन बुलडोजर ने दुकानें तोड़ी, घरों के बाहर का अतिक्रमण हटाना शुरू; JCB के आगे खड़े हुए AAP विधायक को हटाया


दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (SDMC) की मंगलवार को बुलडोजर लेकर मंगोलपुरी और न्यू फ्रेडंस कॉलोनी में अतिक्रमण हटाने पहुंची। यहां बुलडोजर ने अवैध दुकानें तोड़ना शुरू कर दी हैं। दुकानदारों ने अपना अतिक्रमण हटाना खुद शुरू कर दिया है। पटरी दुकानदारों के अतिक्रमण के बाद अब बुलडोजर घरों के बाहर किए गए अतिक्रमण को तोड़ा जा रहा है। घरों के बाहर बनी पार्किंग, बाउंड्री और अन्य निर्माण को तोड़ा गया। लोगों घरों के बाहर सड़क पर रैलिंग लगाकर वहां कब्जा कर लिया था, जिसे बुलडोजर से हटा दिया गया।

SDMC दक्षिण दिल्ली के कई हिस्सों में 4 मई से 13 मई तक अतिक्रमण अभियान का पहला चरण चला रही है। इसी क्रम में वह कल शाहीन बाग में अतिक्रमण हटाने पहुंची थी। लोगों के विरोध के कारण टीम अतिक्रमण नहीं हटा पाई थी।

लाल रंग का रिबिन लगाकर पहुंचे कर्मी
SDMC के कर्मचारी लाल रंग का रिबिन लगाकर एक्शन में भाग लेने पहुंचे। टीम ने यह रिबिन लगाने का डिसीजन इसलिए लिया, जिससे आम लोग और MDMC कर्मचारी अलग पहचान में आ सकें और हंगामा होने की स्थिति में पुलिस को एक्शन लेने में किसी भी प्रकार का कन्फ्यूजन न हो।

न्यू फ्रेडंस कॉलोनी पहुंचे बुलडोजर को देखकर लोगों ने अपना अतिक्रमण खुद ही हटाना शुरू कर दिया था। लोगों का कहना था कि हम अपना अतिक्रमण खुद हटा लेंगे, यहां बुलडोजर नहीं चलाएं, लेकिन टीम ने अपनी कार्रवाई जारी रखी। यहां लोगों ने सड़क पर पक्का निर्माण कर लिया था। लोगों ने दुकान बनाकर सीमेंट कंक्रीट से पक्का निर्माण किया था। इसे बुलडोजर से तोड़ा जा रहा है।

ट्रकों में भरकर ले जा रहे सामान
लोगों ने बुलडोजर देखकर अपनी दुकानें हटाकर उनका सामान पार्क में छिपा दिया था। MCD की टीम ने पार्क से सामान जब्त कर लिया। जो ट्रक वह मलबा भरने के लिए लाए थे, उसमें यह सामान भरकर ले गए।

गुरुद्वारा रोड से शुरू हुई थी कार्रवाई
SDMC का बुलडोजर न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी से पहले गुरुद्वारा रोड पहुंचा और यहां रास्ते से अतिक्रमण हटाते हुए न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी पहुंचा। SDMC ने कल ही यहां 11 बजे से कार्रवाई का ऐलान किया था। SDMC का बुलडोजर 11 बजे से कुछ देर पहले ही एक्शन में आ गया और अतिक्रमण हटाना शुरू कर दिया।

हम सड़कों पर काम कर रहे, धर्म विशेष पर नहीं: सिंह
SDMC सेंट्रल जोन के अध्यक्ष राजपाल सिंह ने अतिक्रमण अभियान पर कहा- लोगों का आरोप रहता है कि हम धर्म विशेष पर कार्रवाई करते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। जनता के जो अधिकार हैं, हम उसके लिए काम करते हैं। बच्चों की स्कूल बसें, फायर टेंडर आने के लिए सड़कें बाधित नहीं होनी चाहिए, हम इसके लिए काम कर रहे हैं।

विधायक को पुलिस ने पकड़कर हटाया
गुरुद्वारा रोड पर जैसे ही बुलडोजर पहुंचा, आम आदमी पार्टी के मंगोलपुरी विधायक मुकेश अहलावत मौके पर पहुंच गए और बुलडोजर के आगे खड़े हो गए। उनका कहना था कि जब लोग खुद ही अपना अतिक्रमण हटा रहे हैं तो बुलडोजर की क्या जरूरत है। इस पर पुलिस ने पहले उन्हें पकड़कर गाड़ी में बैठाया, फिर वहां से जाने को बोल दिया। पुलिस की सख्ती देकर विधायक वहां से चले गए।

सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से मना किया था
कल शाहीन बाग में अतिक्रमण हटाने की मुहिम के खिलाफ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया-मार्क्सवादी यानी CPIM ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यह कहते हुए दखल देने से इनकार कर दिया कि याचिका किसी भी प्रभावित पक्ष की बजाय एक राजनीतिक दल ने दायर की है। कोर्ट ने कहा कि अदालत को इन सब के लिए मंच नहीं बनाया जाना चाहिए। कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने की मुहिम से प्रभावित लोगों से हाईकोर्ट जाने को कहा था।

सरकार जांच परखकर दुरुस्त करेगी राजद्रोह कानून, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा


सरकार जांच परखकर दुरुस्त करेगी राजद्रोह कानून

केंद्र राजद्रोह कानून की समीक्षा करेगा। इसे लेकर केंद्र ने दूसरा हलफनामा दाखिल किया है। इसमें कहा गया है कि 124ए के प्रावधानों पर पुनर्विचार और पुन: जांच के लिए केंद्र सरकार तैयार है। कोर्ट को 124ए की वैधता पर सुनवाई के साथ आगे बढ़ने से पहले केंद्र के पुनर्विचार की प्रतीक्षा करनी चाहिए। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजद्रोह कानून के प्रावधान पर फिर से विचार करने और पुनर्विचार करने को कहा है। प्रधानमंत्री ने अप्रचलित राजद्रोह कानून को हटाने का आग्रह किया। 

उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने नागरिक स्वतंत्रता के संरक्षण, मानवाधिकारों के सम्मान और संवैधानिक स्वतंत्रता को अर्थ देने के पक्ष में अपने स्पष्ट विचार व्यक्त किए हैं। सरकार उपयुक्त रूप से हितधारकों के विचारों को ध्यान में रखेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि देश की संप्रभुता और अखंडता संरक्षित है। इसलिए, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आईपीसी 1860 की धारा 124ए की वैधता की जांच में अपना कीमती समय नहीं लगाने का आग्रह किया है और कहा है कि भारत सरकार द्वारा की जाने वाली धारा 124ए पर फिर से विचार करने की प्रक्रिया की प्रतीक्षा करें।

इससे पहले केंद्र ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में राजद्रोह से संबंधित दंडात्मक कानून और इसकी वैधता बरकरार रखने के संविधान पीठ के 1962 के एक निर्णय का बचाव किया था। मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 5 मई को कहा था कि वह 10 मई को इसपर सुनवाई करेगी कि क्या राजद्रोह से संबंधित औपनिवेशिक युग के दंडात्मक कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं को बड़ी पीठ के पास भेजा जा सकता है।

कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई ने शुक्रवार को कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में 2014 से 2019 के बीच राजद्रोह के 326 मामले दर्ज किए गए थे। प्रदेश कांग्रेस महासचिव और प्रवक्ता सचिन सावंत ने इस आंकड़े को ट्वीट करते हुए कहा कि केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान 2019 के बाद दर्ज किए गए राजद्रोह के मामलों की संख्या अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है। कांग्रेस नेता ने कहा कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ बोलने के लिए राजद्रोह के कुल 149 और (उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री) योगी आदित्यनाथ के खिलाफ बोलने के लिए 144 मामले दर्ज किए गए। केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन पर गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया और हाथरस बलात्कार मामले के बारे में लिखने के लिए उत्तर प्रदेश जाने के बाद डेढ़ साल से जेल में हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश में बिना OBC आरक्षण के पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया


एमपी में कमलनाथ सरकार ने ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी करने का फैसला लिया था.
OBC Reservation Stop. एमपी में कमलनाथ सरकार ने ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी करने का फैसला लिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश में बिना OBC आरक्षण के पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया है. इस आदेश के बाद एमपी में सियासी हलचल बढ़ गयी है. इस हालात के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों एक दूसरे को दोषी ठहरा रही हैं. दोनों दलों का कहना है वो पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ठीक से पढ़ेंगे और फिर आगे क्या कदम उठाना है उस पर विचार करेंगे.

मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के कारण लंबे समय से अटके पंचायत और निकाय चुनाव के संबंध में आज सुप्रीम कोर्ट का आदेश आते ही सियासी घमासान मच गया है. बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में जुट गए हैं. खुद को सबसे बड़ा ओबीसी हितैषी बताने की कोशिश में सियासी दल हैं. बिना ओबीसी आरक्षण के स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर हमला बोलना शुरू कर दिया है.

बीजेपी ने कहा-कांग्रेस दोषी
प्रदेश के मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा आज जो हालात बने उसके पीछे कांग्रेस पार्टी जिम्मेदार है. यदि पहले ही कांग्रेस के नेता कोर्ट में नहीं जाते तो आज आरक्षण पर रोक नहीं लगती. मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का परीक्षण करा रही है. इसके बाद सरकार अगला कदम उठाएगी. मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा सरकार ने पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की रिपोर्ट को कोर्ट के सामने पेश किया था. अधूरी रिपोर्ट देने पर कोर्ट की नाराजगी के बारे में मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से 1 हफ्ते का अतिरिक्त समय मांगा था. कोर्ट की अपेक्षा के मुताबिक जवाब देने के लिए समय मांगा था. लेकिन अब कोर्ट का आदेश आ चुका है. कोर्ट का आदेश सर्वोपरि है. राज्य सरकार कोर्ट के आदेश का परीक्षण कर अगला कदम उठाएगी. मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा सरकार पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ कराने के पक्ष में है. जरूरत पड़ी तो रिव्यू पिटिशन दाखिल की जाएगी.

कांग्रेस बोली-ये सब बीजेपी का किया धरा

बिना ओबीसी आरक्षण के पंचायत चुनाव कराने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस बीजेपी सरकार पर हमलावर है. कांग्रेस में ओबीसी वर्ग के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा बीजेपी एमपी में आर एस एस का एजेंडा लागू करने की कोशिश में  है. 56 फीसदी आबादी के साथ सरकार षड्यंत्र कर रही है. अरुण यादव ने कहा इस बात की आशंका थी कि अन्य पिछड़ा वर्ग को लेकर सरकार की घोर लापरवाही सामने आएगी. बीजेपी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का आरक्षण खत्म करने का एजेंडा लागू करने की कोशिश में है. सरकार ने आधी अधूरी रिपोर्ट कोर्ट के सामने पेश की है जो ओबीसी वर्ग के साथ धोखा है. इसका जवाब 2023 के चुनाव में ओबीसी वर्ग बीजेपी देने देगा. अरुण यादव ने कहा कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के आदेश का परीक्षण कर रही है. जरूरत पड़ी तो कांग्रेस अपील कर सकती है.

OBC हितैषी बताने की होड़
मध्य प्रदेश में निकाय और पंचायत चुनाव के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिन के अंदर पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने बिना ओबीसी आरक्षण के ही चुनाव कराने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद खुद को सबसे बड़ा ओबीसी हितैषी बताने की कोशिश में बीजेपी और कांग्रेस जुट गए हैं. मतलब साफ है कि अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ओबीसी सुप्रीमो कौन होगा इसकी जान तेज हो गई है.

Monday, May 9, 2022

भाजपा नेताओं को सीएम की नसीहत, कहा अपनी दलाली बंद करो अफसरों को हम सुधार देंगे


 पुलिस लाइन के बंद सभागार में चली बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ के तेवर देख पार्टी पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के पसीने छूट गए। सीएम ने नेताओं और कार्यकर्ताओं को अनुशासित होकर काम करने की नसीहत दी। बैठक में कुछ नेताओं द्वारा अफसरों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि पहले अपनी दलाली बंद करो अफसरों को तो हम सुधार देंगे।

मुख्यमंत्री ने प्रभारी मंत्री, सांसद, विधायक, एमएलसी, जिलाध्यक्ष का कोर ग्रुप बनाते हुए कहा कि पदाधिकारी और कार्यकर्ता अपनी शिकायतें कोर ग्रुप के माध्यम से उनके पास भेजें। शिकायतों का निराकरण वह कराएंगे। आधा घंटे तक चली बैठक में सीएम ने नेताओं और कार्यकर्ताओं को अनुशासित होकर काम करने की नसीहत दी। बैठक में पार्टी के एक नेता ने कहा कि अफसरों के भ्रष्टाचार करने से पार्टी की साख खराब हो रही है। जनता से जुड़े विभागों में अफसर जमकर वसूली कर रहे हैं। इस दौरान जिले में बढ़ते अपराधों को लेकर भी नेताओं ने सीएम को अपनी पीड़ा बताई। वहीं, नगर पालिकाध्यक्ष ने शहर में विकास कार्यों में हो रही दिक्कतों को उठाया। उन्होंने अधिशासी अधिकारी पर सहयोग न करने का आरोप लगाया। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वह खुद देखेंगे।

बुंदेलखंड के हर घर तक पहुंचेगा शुद्ध पेयजल

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत का नौजवान सीमा पर जो तोप लेकर जाएगा, वह बुंदेलखंड की धरती पर बने डिफेंस कॉरिडोर की होगी। सरकार युवाओं के भविष्य को लेकर योजनाएं बना रही है। हर घर जल योजना के तहत दिसंबर माह तक बुंदेलखंड के प्रत्येक घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचेगा। सीएम योगी रविवार को संत मोरारी बापू की रामकथा के समापन पर पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड की धरती भक्ति और शक्ति का संगम है।

परम तत्व दर्शन