यूपी का आतंकी विकास दुबे गुरुवार को उज्जैन में पकड़े जाने के बाद से टेंशन में था। विकास ने उज्जैन टू कानपुर के 12 घंटे के आखिरी सफर में रातभर में एक झपकी तक नहीं ली थी। शायद उसे इस बात का अंदाजा था कि पुलिस कुछ खेल कर सकती है। विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि इस सफर में विकास से यूपी एसटीएफ ने कई सवाल किए। जिनके जवाब देते वक्त उसके चेहरे पर कोई सिकन नहीं थी। विकास ने 50 से ज्यादा पुलिस अफसरों और कर्मचारियों के नाम गिनाए, जो उसके मददगार थे। कानपुर, उन्नाव और लखनऊ के बड़े नेताओं के नामों का भी खुलासा किया तो साथ बैठे लोग एक-दूसरे का चेहरा देखने लगे थे। चेहरे पर मुस्कान लिए विकास ने कहा- गुस्से में बिकरुकांड हो गया। आप लोग (पुलिसवाले) जेल भेज भी देंगे तो कुछ महीने या साल में जमानत मिल जाएगी। कानपुर शूटआउट का मुख्य आरोपी और 5 लाख का इनामी विकास को 9 जुलाई को उज्जैन में महाकाल मंदिर में गार्ड ने पकड़ा लिया था। यहां पुलिस ने हिरासत में लेकर उससे 8 घंटे तक पूछताछ की थी। उसके बाद यूपी एसटीएफ उज्जैन पहुंची और शाम करीब 6 बजे विकास को लेकर सड़क मार्ग से कानपुर के लिए निकली थी। शुक्रवार सुबह 6:30 बजे कानपुर से 17 किमी पहले भौंती में पुलिस की गाड़ी पलट गई। इसमें विकास भी बैठा था। वह हमलाकर भागने की कोशिश में मारा गया। विकास एनकाउंटर से पहले अपने कबूलनामे में कई मददगारों के नाम उजागर किए थे। कहा था कि 50 से ज्यादा पुलिसवालों ने उसकी अब तक मदद की है। इसमें तीन एडिशनल एसपी और दो आईपीएस अफसरों के नाम भी शामिल हैं। यहीं नहीं, उसे जुबानी सभी नाम याद थे और कौन कहां पोस्ट है, यह भी बताया था। विकास ने कानपुर, उन्नाव और लखनऊ के कई नेताओं के नाम लिए। उसने दिवंगत सीओ देवेंद्र मिश्र से अपनी चिढ़ का राज भी खोला। कहा कि सीओ उसे हद में रहने की बात करते थे। लेकिन वह चाहता था कि उसके गांव, आसपास के इलाके और थाने पर सिर्फ उसका ही राज चले। पुलिस का दखल मुझे पसंद नहीं था। विकास ने यही बात उज्जैन में भी पूछताछ के दौरान कही थी। बताया कि सीओ उसे लंगड़ा कहते थे। मेरे क्षेत्र में मुझे ऐसा कोई कैसे कह सकता था। इसलिए सोच रखा था कि इसे निपटाऊंगा। सीओ से चिढ़ थी, अन्य पुलिसवालों का क्या दोष था? इस सवाल के जवाब में विकास ने पाश्चाताप जताया। उसने कहा कि गुस्से में इतना बड़ा कांड हो गया। लेकिन इतनी बड़ी कार्रवाई हो जाएगी, इसका भी अंदाजा नहीं था। उसे लग रहा था कि उसके ‘खास लोग’ उसे बचा लेंगे। रास्ते में वह कई बार खुद पुलिसवालों से पूछता रहा कि आगे क्या करने वाले हैं। विकास को लगता था कि पुलिस उसे जेल भेजेगी। इसीलिए वह मुतमईन था कि वह कुछ माह या सालभर में जमानत पर जेल से बाहर आ जाएगा।अब तक विकास के अलावा उसके करीबी प्रभात, बऊआ, अमर दुबे, प्रेम प्रकाश पांडे, अतुल दुबे का एनकाउंटर हो चुका है। नामजद में 21 आरोपियों में से 12 अभी फरार हैं। वहीं, चौबेपुर के एसओ रहे विनय तिवारी, दरोगा केके शर्मा समेत 12 लोगों की भी गिरफ्तारी हुई है। कानपुर के चौबेपुर थाना के बिकरु गांव में 2 जुलाई की रात आतंकी विकास और उसकी गैंग ने 8 पुलिसवालों की हत्या कर दी थी। अगली सुबह से यूपी पुलिस विकास गैंग के सफाए में जुट गई। गुरुवार को उज्जैन के महाकाल मंदिर से सरेंडर के अंदाज में विकास की गिरफ्तारी हुई थी। शुक्रवार सुबह कानपुर से 17 किमी पहले पुलिस ने विकास को एनकाउंटर में मार गिराया।उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस पूरे इंकाउंटर पर कहा है कि कार नहीं पलटी है, सरकार को पलटने से बचाया गया है। इस बीच उ.प्र. की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी इंकाउंटर पर सवाल उठाते हुए इस इंकाउंटर की न्यायिक जांच कराने की मांग की है। कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने भी कहा है कि अपराधी का अंत तो हो गया लेकिन अपराध को संक्षरण देने वालों का अंत कब होगा।
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