नेपाल की राजनीति में दखल
पाकिस्तान में कर चुकी हैं काम
इन सबके बीच चीनी राजदूत होउ यांकी काफी सक्रिय है। भारत के साथ नेपाल की सीमा को फिर से परिभाषित किए जाने के पीछे भी होउ का ही दिमाग बताया जा रहा है। नेपाल ने होउ यांकी के कहने पर ही लिंपुयाधारा कालापानी और लिपुलेख को अपने नक्शे में दर्शाया। होउ को एक मझा हुआ राजदूत माना जाता है जो पहले पाकिस्तान में भी काम कर चुकी हैं।
कौन है होउ यांकी
मार्च 1970 में चीन के शांक्सी प्रांत में जन्मे होउ यांकी मास्टर ऑफ आर्ट्स की चैंपियन भी हैं। होउ यान्की ने चीनी विदेश मंत्रालय के विदेश सुरक्षा मामलों के विभाग के निदेशक, विदेश मंत्रालय के एशियाई मामलों के विभाग के काउंसलर और एशियाई मामलों के विभाग के उप महानिदेशक के रूप में कार्य किया है। हो यांकी की लोकप्रियता नेपाल में लगातार बढ़ रही है और वह अपने इस मिशन में कामयाब रही हैं। होउ यांकी चीन की सिविल सर्वेंट हैं जो तीन साल तक पाकिस्तान में काम कर चुकी हैं।
जब होउ पाकिस्तान में थी तो वहां भी पीएम कार्यालय में उनका आना जाना लगा रहता था। युवा चीनी राजदूत होउ को नेपाल में सबसे शक्तिशाली विदेशी राजदूत माना जाता है। होउ ही वह राजदूत थी जिन्होंने नेपाल चीन को लेकर सेना प्रमुख नरवणे के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। होउ नेपाल को अच्छी तरह समझती हैं इसलिए वहां के हर सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी बढ़चढ़कर हिस्सा लेंती हैं।
नेपाली भाषा में भी करती हैं संवाद
नेपाल को जब चीन से कोरोना के समय मदद पहुंचाई गई थी तो होउ पल-पल की अपडेट ट्विटर के माध्यम से देती रहीं और वो भी नेपाली भाषा में। जब ओली की पार्टी टूट के कगार पर थी तो वह होउ ही थी जिन्होंने इस टूट को बचाया। होउ 1996 से चीन के विदेश विभाग में काम कर रही हैं। इस साल की शुरुआत में, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर काठमांडू में चीनी दूतावास में आयोजित एक कार्यक्रम में, होउ यांकी को एक लंहगा-चोली में देखा गया था और उन्होंने एक लोकप्रिय नेपाली गीत पर नृत्य भी किया गया था। इस तरह वह कूटनीति ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक माध्यम से भी लोगों के साथ लगातर कनेक्ट होने की कोशिश करती रही हैं।
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