पाकिस्तान की मुसीबतें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। महंगाई आसमान छू रही है और संकटग्रस्त देश ईंधन की समाप्ति जैसी सबसे बड़ी समस्या का सामना भी कर रहा है। लाहौर, गुजरांवाला, फैसलाबाद सहित प्रमुख शहरों में कई पेट्रोल पंपों पर स्टॉक खत्म हो गया है।
पाकिस्तान के बिगड़ते आर्थिक हालात के बीच खबर है कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अपने लिये विदेश में सुरक्षित ठिकाना तलाशने में जुट गये हैं। यदि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से जल्द ही राहत पैकेज नहीं मिला तो शहबाज शरीफ पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था पूरी तरह ढहने से पहले ही खुद को सुरक्षित कर सकते हैं। पाकिस्तान में इस बारे में तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। हम आपको बता दें कि पाकिस्तान में खाद्य संकट और पेट्रोलियम पदार्थों का संकट तो है ही साथ ही पाकिस्तानी रुपया सबसे निचले स्तर पर पहुँच गया है। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार पूरी तरह खत्म हो चुका है। पाकिस्तान के दोस्त चीन ने भी अब किसी तरह की आर्थिक मदद देने से साफ इंकार करते हुए पहले अपना पुराना कर्ज लौटाने की मांग कर दी है। अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं पाकिस्तान को अब किसी प्रकार का कर्ज देकर अपनी रकम डुबाना नहीं चाहतीं ऐसे में पाकिस्तान एक राष्ट्र के रूप में सबसे गंभीर संकट का सामना कर रहा है।
भीषण आर्थिक तबाही के बीच पाकिस्तान की मुसीबतें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। महंगाई आसमान छू रही है और संकटग्रस्त देश ईंधन की समाप्ति जैसी सबसे बड़ी समस्या का सामना भी कर रहा है। लाहौर, गुजरांवाला, फैसलाबाद सहित प्रमुख शहरों में कई पेट्रोल पंपों पर स्टॉक खत्म हो गया है। कई लोगों ने वाहन घर पर खड़ा कर साइकिल की सवारी शुरू कर दी है। पाकिस्तान में पेट्रोल पंपों पर पहले तो पेट्रोल है नहीं, दूसरा अगर कहीं मिल भी रहा है तो वह भी बहुत ज्यादा दाम पर। पेट्रोल-डीजल-केरोसीन की कालाबाजारी को रोकने में पाकिस्तान सरकार पूरी तरह नाकाम सिद्ध हुई है। इस बीच, पाकिस्तान के पेट्रोलियम मंत्री ने तेल आपूर्तिकर्ताओं को किसी भी प्रकार की जमाखोरी के प्रति आगाह किया है।
हम आपको यह भी बता दें कि आर्थिक संकट और मुद्रा के अवमूल्यन के कारण पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अब 'ढहने' के कगार पर हैं। इस बीच, इस प्रकार की भी खबरें हैं कि हालात को देखते हुए शहबाज शरीफ देश छोड़ कर भाग सकते हैं और स्थानीय जनता में जिस प्रकार का आक्रोश देखने को मिल रहा है वह दर्शा रहा है कि यदि धैर्य ने जवाब दिया तो श्रीलंका की तरह राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के आवास में जनता घुस कर धावा बोल सकती है।
दूसरी ओर बात पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की करें तो यह क्षेत्र पूरी तरह अंधेरे में डूबा हुआ है। यहां ना दिन में बिजली है ना रात में। बिजली नहीं होने की वजह से छोटे-मोटे काम धंधे भी पूरी तरह बंद पड़े हैं, स्कूलों में अंधेरे कमरों में बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, दफ्तरों में बिजली नहीं होने की वजह से कोई कामकाज नहीं हो पा रहा है, बिजली नहीं होने से अधिकांश लोगों के मोबाइल फोन बंद हो गये हैं। बैंक और एटीएम भी बंद पड़े हैं। लोग सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन इस्लामाबाद तक उनकी आवाज नहीं पहुँच रही है। पीओके के लोगों को गुस्सा इस बात पर भी है कि सर्वाधिक बिजली का उत्पादन करने वाले इस क्षेत्र की सारी बिजली बाकी पाकिस्तान को दे दी जा रही है और यहां के लोगों के साथ अन्याय किया जा रहा है।
मुजफ्फराबाद और आसपास के इलाके के अलावा गिलगित-बाल्टिस्तान के निवासी भी बिजली नहीं होने के कारण पिछले कई हफ्तों से अंधेरे में रहने को मजबूर हैं। दिन में तो सूरज की रोशनी में कुछ काम चल जाता है लेकिन दिन ढलते ही लोगों का जीना दुश्वार हो जाता है। सड़कों पर अंधेरा होने से गड्ढों में गिरने का खतरा अलग रहता है। पीओके के लोगों का कहना है कि इलाके की सरकार लोगों को पाकिस्तान की सरकार से कोई राहत नहीं दिला पा रही है। लोगों का कहना है कि पाकिस्तान बात तो पूरे कश्मीर की करता है लेकिन अपने हिस्से वाले कश्मीर के साथ दशकों से अत्याचार और अन्याय कर रहा है। कुछ लोगों का कहना है कि पिछले चुनावों में यहां से इमरान खान की पार्टी को जीत मिली थी जिसका बदला शहबाज शरीफ की सरकार इस क्षेत्र के लोगों के साथ अन्याय बढ़ा कर ले रही है। स्थानीय लोग भारत से हस्तक्षेप करने की मांग कर रहे हैं और सड़कों पर प्रदर्शन करते हुए कह रहे हैं कि हमें पाकिस्तान से आजादी दिलाओ। पीओके के निवासियों ने आरोप लगाया है कि शहबाज शरीफ सरकार ने इस क्षेत्र के साथ किये गये सभी समझौतों का उल्लंघन कर संकट को गहरा दिया है। खासतौर पर गिलगित-बाल्टिस्तान सबसे ज्यादा संघर्ष कर रहा है क्योंकि स्थानीय लोगों को पूरे दिन बिजली नहीं मिल रही है।
बहरहाल, नकदी की समस्या से गुजर रहे पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से राहत पैकज जारी कराने को लेकर जारी वार्ता में एक नया रोड़ा अटक गया है। आईएमएफ ने कुछ मुद्दों पर स्पष्टीकरण मांगा है जिसे देने में पाकिस्तान सरकार के हाथ-पांव फूल रहे हैं। माना जा रहा है कि अब तक अमेरिकी डॉलर और चीन के कर्ज पर पलता रहा पाकिस्तान इस स्थिति में पहुँच गया है जहां से उबरना उसके लिए बहुत मुश्किल है। इसलिए आने वाले दिन पाकिस्तान के लिए और चुनौतीपूर्ण होने वाले हैं।
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