दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के मद्देनजर पुलिस ने एक अलग लेवल की तैयारी की है. कील-कांटा-बल्लम-लोहा-लक्कड़-पत्थर, दिल्ली पुलिस ने सब लगा दिया है. मतलब तैयारी ऐसी कि दिल्ली में कोई प्रदर्शनकारी आ ना पाए, और किसान आंदोलन स्थल से ट्रैक्टर वग़ैरह लेकर बाहर ना निकल सकें. 26 जनवरी के दिन राजधानी में हुई हिंसा और किसानों की ओर से आंदोलन तेज किए जाने की धमकियों के मद्देनजर सुरक्षा इंतजाम सख्त किए गए हैं. किसानों ने 6 फरवरी को सभी स्टेट और नैशनल हाइवेज़ को तीन घंटे तक ब्लॉक करने की चेतावनी दी है।
किसी भी तरह के आंदोलन में प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए ऐसे इंतजाम शायद ही कभी राजधानी या उसके आसपास देखे गए हों. गाजीपुर बॉर्डर पर बैरिकेड्स के रूप में कंक्रीट की दीवार खड़ी कर दी गई है. वहीं, टिकरी बॉर्डर की सड़क पर बड़ी-बड़ी कीलें लगा दी गई हैं. टिकरी बॉर्डर पर तो दिल्ली पुलिस ने सड़कों पर बड़ी-बड़ी कीलें लगा दी हैं. इन कीलों को इतना मोटा और ऊंचा रखा गया है कि ट्रैक्टर इनसे पार न जा सकें. इतना ही नहीं, पुलिस ने लेयर के बाद लेयर बिछा दिए हैं. मतलब एकदम जाबड़ करने की योजना है।
अब ख़बर ये भी आई है कि पुलिस देशभक्ति के गाना बजवा रही है. इसे लेकर लोग सोशल मीडिया पर कहने लगे हैं कि ऐसे देशभक्ति के गाने तो भारत-पाकिस्तान के बीच वाघा बॉर्डर पर शाम को बजा करते हैं।
यानी चीन और पाकिस्तान की तरह बाड़बंदी से इसकी तुलना की जा रही है. सोशल मीडिया पर एक यूज़र ने अरुणाचल में हाल में सामने आईं चीन द्वारा बसाए गए गांव की फ़ोटो डालते हुए कहा कि देश के लिए बाड़बंदी और चीन के लिए मुस्तैदी में क्या अंतर है?
एक और यूज़र हैं. कह रही हैं कि सरकार दिखाना क्या चाहती है. ये युद्ध नहीं है. हम देश के नागरिक हैं. चीन या पाकिस्तान नहीं है।
तो बात तो हो गयी. देखिए किसान आंदोलन पर पुलिस की इस तल्ख़ बाड़बंदी की कुछ तस्वीरें।
एक तरफ़ किसान, दूसरी तरफ़ पुलिस. बीच में पत्थर, लोहा और बल्ली सब लगे हुए हैं।
टिकरी बॉर्डर की ये तस्वीर भी देखिए. किसान प्रदर्शनकारियों की आवाजाही रोकने के लिए पत्थर की दीवारें खड़ी कर दी गई हैं।
दिल्ली पुलिस ने बस लगाकर ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर आम और खुला रास्ता भी बंद कर दिया है, ऐसे आरोप दिल्ली पुलिस पर लगाए जा रहे हैं।
ग़ाज़ीपुर पर किसी भी हालात से निपटने के लिए दिल्ली पुलिस के जवान मुस्तैद हैं।
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