मैं मानता हूं योगी जी और मोदी जी सुशासन के लिए सतत प्रयत्नशील हैं लेकिन उनके प्रयासों पर तब पानी फिरता हुआ नजर आता है जब उनकी पार्टी में अन्य पार्टियों से मेहमान नवाजी करने आए भ्रष्ट लोग पूरी विचारधारा को ही हैक कर लेते हैं।
नेताओं को छोड़ो भ्रष्टाचार तो उनका आभूषण है। नेताओं के चमचों को देखो गरीबों के घर उजाले के लिए बटने वाला मिट्टी का तेल बन्द और जिनके घर इन्वर्टर लगा है उनके घर के बाहर सोलर लाइट भी लगी है। किसी भी गांव में जाएं अगर ऐसा न मिले तो कहना।
सरकार ने गरीबों के लिए पेयजल की सुविधा हेतु सरकारी नल प्रदान किए, जो अमीरों ने हड़प लिए हर प्रधान के दरवाजे पर एक लगा हुआ मिलेगा और उसमें चोरी की बिजली से चलने वाला समरसेबल भी पडा होगा।
चकबंदी में छूटने वाले गलियारे तो बगल के खेत वाले जोत ही लिए हैं शिकायत करने वाला अगर घूस न दे तो कर्मचारियों की क्या गरज पड़ी है कि रास्ते खुलवा दें।
सरकार अवैध जमीनों पर कब्जा हटवाने का दावा कर रही है लेकिन एस डी एम के आदेश के बावजूद अगर घूस न पाने के कारण लेखपाल जमीन न नापने जाए तो अधिकारी लाचार है।
क्या इसे ही सुशासन कहते हैं ?
कब तक आप लोग हाथ पर हाथ धरे बैठे रहोगे? कब तक योगी और मोदी के सुशासन के सपने को पूरा नही होने दोगे? क्या सारा ठेका योगी और मोदी का ही है? आपका कोई दायित्व नहीं है।
शर्म आनी चाहिए ऐसे कर्मचारियों को जो भ्रष्टाचार रोकने में असमर्थ हैं।
जय हिंद।।
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