Sunday, December 4, 2022

भारत-नेपाल बार्डर पर पथराव के बाद तनाव, काली नदी पर तटबंध निर्माण कर रहे मजदूरों पर की गई पत्थरबाजी


धारचूला में काली नदी के दोनों ओर सैकड़ों गांव बसे हुए हैं। नदी के एक ओर भारतीय क्षेत्र है तो दूसरी ओर नेपाली। इन गांववालों ने आवागमन के लिए कई झूला पुल बना रखे हैं। भारत-नेपाल की सरहद पर एसएसबी की निगरानी है। धारचूला नेपाल और चीन से लगने वाला बार्डर एरिया भी है।

Indo Nepal Border tension near dharchula Uttarakhand, Stone pelting near Kali river, DVG

Indo-Nepal Border: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के पास भारत-नेपाल बॉर्डर पर पड़ोसी देश की ओर से हुए पथराव के बाद स्थितियां तनावपूर्ण हो गई हैं। यह घटना रविवार शाम की है। बताया जा रहा है कि नेपाल की ओर से भारतीय सीमा क्षेत्र में काम कर रहे मजदूरों पर पत्थर फेंके गए। धारचूला क्षेत्र में यह पथराव किया गया। दरअसल, यहां काली नदी पर तटबंध का निर्माण कार्य जोरों पर है। भारतीय क्षेत्र में हो रहे इस निर्माण पर नेपाल में विरोध हो रहा है। 

काली नदी के आसपास हैं सैकड़ों गांव

दरअसल, धारचूला में काली नदी के दोनों ओर सैकड़ों गांव बसे हुए हैं। नदी के एक ओर भारतीय क्षेत्र है तो दूसरी ओर नेपाली। इन गांववालों ने आवागमन के लिए कई झूला पुल बना रखे हैं। भारत-नेपाल की सरहद पर एसएसबी की निगरानी है। धारचूला नेपाल और चीन से लगने वाला बार्डर एरिया भी है। यहां से चीन की सीमा करीब 80 किलोमीटर की दूरी पर है। धारचूला लिपुलेख हाईवे का निर्माण चीन ने किया हुआ है। 

क्यों हो रहा है धारचूला के काली नदी पर विवाद?

भारत-नेपाल के रिश्तों में तल्खी तब आई जब नेपाली सरकार ने कुछ समय पहले अपना नया नक्शा जारी किया। इस राजनीतिक नक्शे में कालापानी, लिंपियाधुरा, लिपुलेख को नेपाल का क्षेत्र दर्शाया गया जबकि भारत के उत्तराखंड का यह हिस्सा है। दो साल पहले भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड के धारचूला से चीन सीमा पर लिपुलेख तक एक संपर्क मार्ग का उद्घाटन किया था। इस पर नेपाल ने विरोध करते हुए उस पर अपना दावा जताया था। इस क्षेत्रीय विवाद के बाद दोनों देशों के बीच तनाव थोड़ा बढ़ गया। यही नहीं इस तनाव के बाद नेपाल ने दोनों सीमाओं के नो मेंस लैंड पर भी अवैध कब्जा करने की कोशिश की। जुलाई 2020 में उत्तराखंड के टनकपुर से लगी सीमा पर नेपाल ने नो मेंस लैंड पर अधिकार जमाने की कोशिश की। लेकिन दोनों तरफ से हंगामा के बाद मामला थोड़ा शांत हुआ। इसी तरह बिहार के पूर्वी चंपारण में भी एक बंधा का काम नेपाल सरकार ने अपना दावा करते हुए रोक दिया था।

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