Sunday, December 18, 2022

पूरे विश्व में जमी है भारतीय मूलके लोगों की धाक: प्रताप मिश्रा




भारतीय मूल के लगभग 2 करोड़ लोग इस समय विदेशों में फैले हुए हैं। लगभग दर्जन भर देश ऐसे हैं, जिनके राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री वगैरह भारतीय मूल के हैं।

भारतीय मूल के लगभग 2 करोड़ लोग इस समय विदेशों में फैले हुए हैं। लगभग दर्जन भर देश ऐसे हैं, जिनके राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री वगैरह भारतीय मूल के हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक तो इसके नवीनतम उदाहरण हैं। भारतीय लोग जिस देश में भी जाकर बसे हैं, वे उस देश के हर क्षेत्र में सर्वोच्च स्थानों तक पहुंच गए हैं। इस समय दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति और महासंपन्न देश अमरीका है। अमरीका में इस समय 50 लाख लोग भारतीय मूल के हैं। दुनिया के किसी देश में इतनी बड़ी संख्या में भारतीय लोग नहीं बसे हैं।

इसके कारण भारत से प्रतिभा-पलायन जरूर हुआ है लेकिन अमरीका के ये भारतीय मूल के नागरिक सबसे अधिक संपन्न, सुशिक्षित और सुखी लोग हैं, ऐसा कई सर्वेक्षणों ने सिद्ध किया है। यदि अमरीका में 200 साल पहले से भारतीय बसना  शुरू हो जाते तो शायद अमरीका भी मॉरीशस, सूरिनाम वगैरह की तरह भारत-जैसा देश बन जाता। लेकिन भारतीयों का आव्रजन 1965 में शुरू हुआ, लेकिन इस समय मैक्सिको के बाद वह दूसरा देश है जिसके सबसे ज्यादा लोग अमरीका में जाकर बसते हैं। मैक्सिको तो अमरीका का पड़ोसी देश है, लेकिन भारत उससे हजारों कि.मी. दूर है। भारत के आप्रवासी प्राय: उत्साही नौजवान ही होते हैं।

जो वहां पढऩे जाते हैं, वे या तो वहीं रह जाते हैं या फिर भारत से अनेक सुशिक्षित लोग बढिय़ा नौकरियों की तलाश में अमरीका जा बसते हैं। उनके साथ उनके माता-पिता भी वहीं बसने की कोशिश करते हैं। इसके बावजूद भारतीय आप्रवासियों की औसत आयु 41 वर्ष है, जबकि अन्य देशों के आप्रवासियों की 47 वर्ष है। भारत के कुल आप्रवासियों में से 80 प्रतिशत लोग कार्यरत रहते हैं। अन्य विदेशी आप्रवासियों में से 15 प्रतिशत ही सुशिक्षित होते हैं, जबकि भारत के 50 प्रतिशत से अधिक लोग स्नातक स्तर तक पढ़े हुए होते हैं। भारतीय मूल के लोगों की औसत प्रति व्यक्ति आय डेढ़ लाख डॉलर प्रति वर्ष होती है, औसत अमरीकियों और अन्य आप्रवासियों की वह आधी से भी कम यानी सिर्फ 70 हजार डॉलर होती है।

भारतीय लोगों को आप आज के दिन अमरीका के हर प्रांत और शहर में दनदनाते हुए देख सकते हैं। अब से लगभग 50-55 साल पहले जब मैं न्यूयॉर्क की सड़कों पर घूमता था तो कभी-कभार कोई भारतीय ‘टाइम्स स्कवायर’ पर दिख जाता था, लेकिन अब हर बड़े शहर और प्रांत में भारतीय भोजनालयों में भीड़ लगी रहती है। विश्वविद्यालयों में भारतीय छात्रों और अध्यापकों की भरमार है। अमरीका की कई कंपनियों और सरकारी विभागों के सिरमौर भारतीय मूल के लोग हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि आज से 24 साल पहले मैंने जो लिखा था, वह भी शीघ्र हो ही जाए। ब्रिटेन की तरह अमरीका का शासन भी किसी भारतीय मूल के व्यक्ति के हाथ में ही हो।

No comments:

Post a Comment

परम तत्व दर्शन