Tuesday, July 26, 2022

उद्धव या शिंदे किसकी होगी शिवसेना? सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर लिया ये फैसला


Shiv Sena Crisis: उद्धव या शिंदे किसकी होगी शिवसेना? सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर लिया ये फैसला

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) 1 अगस्त को शिवसेना (Shiv Sena) के उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के नेतृत्व वाले खेमे की नई याचिका (Fresh Plea) पर सुनवाई करेगा, जिसमें एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) गुट के 'असली' शिवसेना के रूप में मान्यता के दावे पर भारत के चुनाव आयोग (ECI) के द्वारा कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई थी. दरअसल, शिवसेना के उद्धव गुट की मांग ये है कि पार्टी का चुनाव किसका होना चाहिए ये फैसला होने से पहले विधायकों की योग्यता पर फैसला हो. अब सुप्रीम कोर्ट (SC) ने शिवसेना के उद्धव गुट की नई याचिका को 1 अगस्त को सुनने का फैसला किया है.

सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कही ये बात

बता दें कि असली शिवसेना की पहचान के लिए चुनाव आयोग में चल रही प्रक्रिया के खिलाफ दायर उद्धव ठाकरे ग्रुप की याचिका को कपिल सिब्बल ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) के सामने रखा. फिर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि महाराष्ट्र (Maharashtra) मामले से जुड़ी दूसरी याचिकाओं के साथ सुनवाई करेंगे. उद्धव ठाकरे गुट का कहना है कि जब तक शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता पर फैसला नहीं हो जाता, चुनाव आयोग को तब तक अपनी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए.

उद्धव ने बागियों को बताया 'सड़े हुए पत्ते'

गौरतलब है कि शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे ने आज (मंगलवार को) पार्टी के बागी नेताओं की तुलना पेड़ के ‘सड़े हुए पत्तों’ से की. उद्धव ठाकरे ने कहा कि चुनाव के बाद पता लग जाएगा कि लोग किसका सपोर्ट करते हैं. सामना को दिए इंटरव्यू में उद्धव ठाकरे ने कहा कि अपनी पार्टी के कुछ नेताओं पर अत्यधिक विश्वास करना उनकी गलती थी.

शिवसेना के 39 विधायक हुए बागी

जान लें कि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी (MVA) सरकार एकनाथ शिंदे और 39 अन्य विधायकों के शिवसेना नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह करने की वजह से गिर गई थी. उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘ये विद्रोही पेड़ के सड़े हुए पत्तों के जैसे हैं और इन्हें गिर ही जाना चाहिए. यह पेड़ के लिए अच्छा होता है, क्योंकि इसी के बाद नए पत्ते उगते हैं.'

बगावत के लिए किसे दोष दिया जा सकता है, यह पूछे जाने पर उद्धव ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि मैंने पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं और नेताओं पर बहुत ज्यादा भरोसा कर लिया था. इतने लंबे समय तक उन पर विश्वास करना मेरी गलती है.’

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