नई दिल्ली: देश में हाल ही के धार्मिक असहिष्णुता के कुछ मामलों को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा हैं कि, देश के अंदर कट्टरता और हिंसा को फैलाना सही नहीं हैं.
सुब्रमण्यम स्वामी ने एक निजी चैनल से बात करते हुए कहा कि “हिंदुओं की भी गलती है. 1947 में यह साफ कर देनी चाहिए थी कि जो मुसलमान दारुल इस्लाम चाहते हैं, वो हिंदुस्तान में नहीं रह सकते हैं. ऐसा नहीं हो सकता है कि इस्लाम का शासन भी हो, हिंदुत्व भी होगा और इसमें क्रिश्चियन के जो रास्ते हैं, वह भी हो. किसी को रोकेंगे नहीं, लेकिन आप इसमें हमसे टक्कर मत लेना. हमारे भगवान की बुराई मत करो. आपके पैगंबर की बुराई हम भी नहीं करेंगे.”
बीजेपी नेता ने यह भी कहा कि, “किसी के ऊपर प्रहार करें, हिंसा करें यह तो गैरकानूनी है. नुपूर शर्मा को कोई पसंद करे या न करे, यह लोकतंत्र में कोई बड़ी बात नहीं है. यह तो सबका अधिकार है, लेकिन भाषा सही होनी चाहिए. टिप्पणी करना लोकतंत्र का एक भाग है. धमकी देना कि हम तुम्हारा गला काट देंगे, यह हम नहीं मान सकते हैं. और देश में इसको हम सहन भी नहीं कर सकते हैं.”
उन्होंने कहा कि लगभग 40 हजार से ज्यादा मंदिरों को तोड़ दिया गया. हम चाहतें हैं कि जो मंदिरों का कोई विकल्प नहीं हैं, उसे फिर से वहीं पर बनाया जाना चाहिए. राम अयोध्या में जन्म लिए है, वे (राम ) कहीं ओर नहीं जन्म लिए है, इसलिए अयोध्या में ही राम मंदिर बनेगा. इसके साथ-साथ कृष्ण भगवान मथुरा में पैदा हुए हैं, तो मस्जिद हटाकर वहां मंदिर ही बनना चाहिए. काशी विश्वनाथ का मामला भी इसी तरह से है. उन्हें कहीं और नहीं हटाया जा सकता है.
भाजपा नेता ने कहा कि “जो कोई भी तलवार उठाएगा और हिंसा को बढ़वा देगा उसके ऊपर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. उसका फायदा, उसका साथ अपनी राजनीतिक दल में नहीं लेना चाहिए. बदला लेना सबसे आखिरी काम है. इससे बचना चाहिए.”
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