Thursday, January 28, 2021

बॉम्बे हाईकोर्ट न्यायालय है या कोठा जहां सब जायज है


नाबालिग लड़की का हाथ पकड़ना, पैंट की ज़िप खोलना,  कपड़े के ऊपर से स्तन छूना POCSO के तहत ‘यौन शोषण’ नहीं: बॉम्बे हाई कोर्ट

Bombay high court

बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) द्वारा स्किन टू स्किन (Skin to Skin Contact) फैसले के बाद बच्चों से यौन अपराध पर बॉम्बे हाईकोर्ट का एक और फैसला आया है। कोर्ट के मुताबिक, नाबालिग लड़की का हाथ पकड़ना और पैंट की ज़िप खोलना Pocso के तहत यौन शोषण की परिभाषा में नहीं आएगा। ये आईपीसी की धारा 354-ए (1) (i) के तहत ऐसा करना यौन उत्पीड़न के दायरे में आता है।


जस्टिस पुष्पा गनेदीवाला की सिंगल बेंच ने 50 वर्षीय एक व्यक्ति द्वारा 5 साल की लड़की से यौन कृत्य मामले में ये फैसला दिया है। निचली अदालत ने इसे पोक्सो की धारा 10 के तहत यौन हमले के तहत उसे 5 साल के सश्रम कारावास और 25,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी। लड़की की मां ने शिकायत की थी कि आरोपी की पैंट की ज़िप खुली हुई थी और उसकी बेटी के हाथ उसके हाथ में थे।


अदालत ने यौन हमले की परिभाषा में ‘शारीरिक संपर्क’ शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि इसका अर्थ है ‘प्रत्यक्ष शारीरिक संपर्क-यानी यौन प्रवेश के बिना स्किन-टू-स्किन-कॉन्टेक्ट। अदालत ने कहा कि ये मामला IPC की धारा 354A (1) (i) के तहत आता है इसलिए, पॉक्सो अधिनियम की धारा 8, 10 और 12 के तहत सजा को रद्द किया गया।


आरोपी को आईपीसी की धारा 354A (1) (i) के तहत दोषी पाया गया, जिसमें अधिकतम 3 साल की कैद का प्रावधान है। अदालत ने माना कि अभियुक्त द्वारा पहले से ही 5 महीने की कैद की सजा अपराध के लिए पर्याप्त सजा है। बता दें कि इससे पहले 19 जनवरी को इसी बेंच ने माना है कि ‘स्किन- टू -स्किन- कॉन्टेक्ट’ के बिना बच्ची की ब्रेस्ट को टटोलना भारतीय दंड संहिता के तहत छेड़छाड़ होगा, लेकिन यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम पॉक्सो के तहत ‘यौन हमले’ का गंभीर अपराध नहीं।

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