Vaccination in India: देश में वैक्सीन प्रोग्राम शुरू होने से पहले ही की लोगों ने इसकी सत्यता पर सवाल उठाए थे. ऐसे में वैक्सीन को लेकर तैयार हुई नेशनल टास्क फोर्स ने भी इस बात को माना था कि 27 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए नेताओं का सहयोग जरूरी है.
नई दिल्ली. देश में कोरोना वायरस (Corona Virus) के खिलाफ वैक्सीन प्रोग्राम शुरू हो चुका है. सरकार ने पहले चरण में स्वास्थ्य कर्मियों (Health Workers) को शामिल किया है. वहीं, खबर है कि वैक्सीन कार्यक्रम के दूसरे चरण में राजनेताओं को वैक्सीन दी जा सकती है. इस दौरान उन सांसद, विधायकों को वैक्सीन दी जा सकती है, जो ज्यादा उम्र के हैं और बीमारियों से जूझ रहे हैं. खास बात है कि देश में कई बड़े नेताओं की उम्र 80 साल से अधिक है, जिन्हें वैक्सीन के मामले में तरजीह मिल सकती है. जिनमें दो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) और एचडी देवगौड़ा शामिल हैं.
सरकार ने पहले ही साफ कर दिया था कि वैक्सीन प्रोग्राम अलग-अलग चरणों में पूरा किया जाएगा. अनुमान है कि इस ड्राइव का दूसरा चरण अप्रैल से शुरू हो सकता है. जिसमें देश के 50 साल से ज्यादा उम्र वाले मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों को वैक्सीन दी जाएगी. इस चरण में प्रधानमंत्री और कई मुख्यमंत्री भी शामिल होंगे. आंकड़ों से पता चलता है कि लोकसभा में 343 और राज्यसभा में 200 सांसद 50 की उम्र पार कर चुके हैं।
ऐसा हो सकता है सरकार का प्लान
दूसरे चरण की शुरुआत में लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों में वैक्सीन को लेकर विशेष कैंपेन का आयोजन किया जा सकता है. इसकी जिम्मेदारी क्षेत्र के प्रतिनिधि पर होगी. हालांकि, इस चरण में जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र में ही जनता के बीच पहुंचकर वैक्सीन लगवा सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि हर चरण के लिए सरकार ने अलग तैयारियां की हैं. ऐसे में देश में वैक्सीन प्रोग्राम के पहले चरण में किसी भी जनप्रतिनिधि को टीका नहीं लगाया जा सकता है. रिपोर्ट्स में वैक्सीन प्रणाली से जुड़े एक आधिकारी का हवाला दिया गया है.
जरूरी है राजनेताओं का योगदान
देश में वैक्सीन प्रोग्राम शुरू होने से पहले ही की लोगों ने इसकी सत्यता पर सवाल उठाए थे. ऐसे में वैक्सीन को लेकर तैयार हुई नेशनल टास्क फोर्स ने भी इस बात को माना था कि 27 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए नेताओं का सहयोग जरूरी है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर राजनेता वैक्सीन प्रोग्राम में शामिल होते हैं, तो इससे लोगों के मन में वैक्सीन को लेकर जारी संदेह दूर करने में मदद मिले।
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