इसकी शुरुआत 31 जनवरी को हुई थी। इस नौसैन्य अभ्यास में पाकिस्तान, सऊदी अरब, ओमान, कोमोरोस, जिबूती, सोमालिया, यमन जैसे देश शामिल थे। इन सभी देशों के इजरायल के साथ कूटनीतिक संबंध नहीं हैं। इन अभ्यास में बहरीन और यूएई जैसे देश भी शामिल थे, जिनसे इजरायल के रिश्ते बीते कुछ वक्त में सामान्य हुए हैं। बहरीन की अमेरिका से भी करीबी दोस्ती है। अमेरिकी नौसेना ने कहा कि हर साल इस तरह का सैन्याभ्यास किया जाता है, जिसकी शुरुआत 2012 में की गई थी।
इजरायली मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक पहली बार यहूदी देश की सेना ने इस अभ्यास में हिस्सा लिया है। खासतौर से उन देशों की सेनाओं के साथ उसकी मिलिट्री ने अभ्यास किया है, जिनके साथ उसके रिश्तों में खटास रही है और आज तक कूटनीतिक संबंध नहीं रहे हैं।
इजरायली नौसेना के प्रमुख डेविड सालमा ने एक बयान में कहा कि अमेरिका के नेतृत्व वाले अभ्यास में शामिल होने का अर्थ है कि हमारी सेना, ताकत और अभ्यास के बीच एक साझा संबंध है। हम रणनीतिक साझेदारी की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम अपने अमेरिकी साझेदारों के साथ मैरीटाइम एरिया में आतंकवाद को रोकने के लिए खुद को मजबूत करने का काम कर रहे हैं।
बता दें कि पाकिस्तान, सऊदी अरब समेत तमाम इस्लामिक मुल्कों ने इजरायल को मान्यता प्रदान नहीं की है और उसके साथ उनके कूटनीतिक रिश्ते नहीं हैं। ऐसे में सैन्य अभ्यास में इजरायल का शामिल होना अहम है।
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