नई दिल्ली (New Delhi). चीन के साथ पूर्वी लद्दाख पर सीमा विवाद के बाद भले ही पूरी दुनिया, खासकर अमेरिका भारत के साथ हो, लेकिन भारत अपने दम पर ही चीन को चुनौती देने का विश्वास रखता है. यूरोपियन थिंक टैंक का दावा है कि अमेरिका ने भारत को पेइचिंग के खिलाफ क्योड का गठन करने का मौका दिया, लेकिन भारत ने दिखाया है कि वह खुद ही चीन के सामने किसी भी मुद्दे पर मजबूती से खड़ा हो सकता है. जून में चीन और भारत की सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच कई वार्ताएं हुई हैं और पूरी तरह न सही, कुछ हद तक सीमा पर स्थिति सामान्य भी हुई है.
भारत के आक्रामक रुख से चीन भी हुआ हैरान
यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज ने कहा है,पैंगॉन्ग सो पर सेना पीछे करने के शुरुआती चरण में चीनी फिंगर 4 से फिंगर 5 पर गए लेकिन पहाड़ी के किनारे तैनाती जारी रखी.वहीं भारत जोर दे रहा है कि चीन फिंगर 5 से हटकर वापस फिंगर 8 पर जाए. वहीं, चीन के प्रतिनिधि भारत से मांग कर रहे हैं कि वह फॉरवर्ड इलाकों से हटे लेकिन भारत ने तब तक हटने से इनकार कर दिया है,जब तक चीन पूरी तरह से पीछे नहीं चला जाता. इएफएसएएस का कहना है कि 2017 में डोकलाम की तरह यहां भी चीन की आक्रामकता के सामने भारतीय राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व को दृढ़ रवैया और निश्चय ने चीन को हैरान कर दिया है.
भारतीय रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के हवाले से इएफएसएएस ने कहा है, दोनों पक्षों को मान्य हों, इसतरह के नतीजों पर पहुंचने के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत जारी है,लेकिन फिलहाल यथास्थिति कुछ वक्त तक बनी रहेगी. इसका मतलब है कि सर्दी आने पर और मुश्किल मौसम के बावजूद इतनी ऊंचाई पर दोनों देश अपने रुख पर कायम रहने वाले है. भारत ने बड़ी मात्रा में ताकत जुटा ली है. जैसे हर साल भारत सियाचीन ग्लेशियर में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए अभ्यास करता है, उसकी तैयारी भी की जा रही है.
इएफएसएएस का कहना है कि भले ही चीन सीमा मुद्दे की जगह द्विपक्षीय संबंध सुधारने का लालच दे रहा हो, भारत की इस तैयारी से लगता है कि वह किसी भी तरह के गंभीर टकराव की स्थिति के लिए मजबूत है. संस्थान का कहना है, ‘चीन ने समय-समय पर सीमा पर भारत को परेशान किया है और दोनों पक्षों के बीच शांति स्थापित करने के समझौते का उल्लंघन किया है. भारत भी यह समझ रहा है कि वह अपने दम पर मुद्दे से जूझ रहा है जिसका कोई फायदा नहीं है.’
अपनी रक्षा के लिए कसर नहीं छोड़ रहा भारत
भले ही चीन भारत से ‘आसान रास्ता’ अपनाने को कह रहा हो, भारत का मानना है कि वह अब दृढ़ है और मजबूत है कि सीमा पर गंभीर टकराव के लिए खड़ा होकर चीन की अप्रत्याशित आक्रामक गतिविधियों का सामना कर सकता है. भारत को उम्मीद है कि मौजूदा टकराव को बातचीत से सुलझा लिया जाएगा लेकिन वह इस बात की कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता कि अगर टकराव बढ़े,तब वह अपने क्षेत्र की रक्षा कर सकता है. थिंक-टैंक ने यहां तक कहा है कि इसकारण बेहतर होगा कि दोनों देश आपसी सहमति से समाधान निकालें जिसमें चीन सम्मान के साथ पीछे हट जाए. इसमें चीन और भारत, दोनों के करीबी दोस्त रूस की बड़ी भूमिका भी हैl
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