अभी तक भारत में एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर कोई अहम फैसला नहीं लिया गया है, पर केंद्र सरकार कॉमन वोटर लिस्ट के उपयोग पर कुछ सोच-विचार कर रही है। जीं हां मतलब कि लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय चुनाव में एक ही वोटर लिस्ट के उपयोग को लेकर चर्चा चल रही है।
नई दिल्ली। अभी तक भारत में एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर कोई अहम फैसला नहीं लिया गया है, पर केंद्र सरकार कॉमन वोटर लिस्ट के उपयोग पर कुछ सोच-विचार कर रही है। जीं हां मतलब कि लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय चुनाव में एक ही वोटर लिस्ट के उपयोग को लेकर चर्चा चल रही है। फिलहाल इस बारे में कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में बैठक भी हुई थी। जिसमें कुछ ही राज्यों में चुनाव आयोग की तरफ से तैयार किए गए वोटर लिस्ट का उपयोग पंचायत और नगरपालिका चुनाव में किया जाता है।
मुख्य तौर पर दो विकल्पों पर चर्चा
सामने आई एक रिपोर्ट के अनुसार, पीएम मोदी के प्रधान सचिव पीके मिश्रा की अध्यक्षता में 13 अगस्त को इस वोटर लिस्ट के इस्तेमाल को लेकर एक बैठक हुई थी। इस बैठक में मुख्य तौर पर दो विकल्पों पर चर्चा हुई थी।
इन दो विकल्पों में सबसे पहले, अनुच्छेद 243K और 243ZA के लिए एक संवैधानिक संशोधन पर विचार किया गया। इस संसोधन के बाद देश में सभी चुनावों के लिए एक ही मतदाता सूची का होना अनिवार्य हो जाएगा।
बात करें दूसरे विकल्प के बारे में तो राज्य सरकारों को अपने संबंधित कानूनों को संशोधित करने और नगरपालिका और पंचायत चुनावों के लिए चुनाव आयोग की मतदाता सूची को अपनाने के लिए सहमत करना है।
सूत्रों से मिली रिपोर्ट में दावा किया है कि इस बैठक में कैबिनेट सचिव राजीव गौबा, विधान सचिव जी नारायण राजू, पंचायती राज सचिव सुनील कुमार और चुनाव आयोग के तीन प्रतिनिधि जिनमें महासचिव उमेश सिन्हा शामिल हुए थे।
ये है अनुच्छेद 324 (1)
नियमानुसार, संविधान का अनुच्छेद 324 (1) चुनाव आयोग को संसद और राज्य विधानसभाओं के सभी चुनावों के लिए वोटर लिस्ट तैयार करने और उसके नियंत्रण का अधिकार देता है। इसे दूसरे शब्दों में बताएं तो चुनाव आयोग स्थानीय निकाय चुनावों के लिए अपने खुद के वोटर लिस्ट तैयार करने के लिए स्वतंत्र हैं।