Wednesday, March 23, 2022

चीन का कर्ज जाल और सोने की लंका कंगाल

चीन का कर्ज जाल और सोने की लंका कंगाल, एक भूल ने दिवालिया होने की कगार पर ला खड़ा कर दिया

चीन ऐसा देश है जो किसी पर अपना हाथ रख दे तो उसे कंगाल बना देता है। क्योंकि चीन का कर्ज और उस देश की कंगाली दिन-दूनी रात चौगुनी बढ़ती है। यकीन ना हो तो पाकिस्तान की हालत देख लीजिए। लेकिन एक और देश अब इस कड़ी में जुड़ गया है।

अक्सर ये कहा जाता है कि अगर हमारे पड़ोसी अच्छे हैं तो हमारी रोजमर्रा की कई छोटी-बड़ी बातों की फिक्र यूं ही खत्म हो जाती है। यही फॉर्मूला देशों पर भी लागू होता है। अगर हमारे पड़ोसी देश में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है और उथल पुथल मची है तो हमें इससे क्या कहकर हम पीछा नहीं छुड़ा सकते। ये तो वही बात हो गई कि अगर आपके पड़ोसी के घर में आग लगी हो और आप अपना दरवाजा बंद कर लें, तो आप सुरक्षित नहीं रहेंगे। इसका असर हम पर भी पड़ना लाजिमी है। और ये पड़ने भी लगा है। भारत में शरणार्थी संकट का अंदेशा जताया जाने भी लगा है। आखिर कौन है वो पड़ोसी देश भारत को हर वक्त सताने वाला पाकिस्तान, जवाब है नहीं, छोटा सा देश नेपाल जो हालिया दिनों में चीन की गोद में जा बैठा है। ये भी गलत उत्तर है। अब केबीसी जैसा क्विज कांटेस्ट के सवालों को परे रखकर आपको बता देते हैं कि ये भारत के पास होकर भी बहुत दूर श्रीलंका देश है। श्रीलंका भारत के पास होकर भी बहुत दूर है। तमिलनाडु से जाफरा मोटरबोट से चंद घंटों में पहुंचा जा सकता है। लेकिन श्रीलंका भारत की बजाय चीन की गोद में जा बैठा और इसका अब उसे खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। चीन के चक्कर में श्रीलंका दिवालिया घोषित हो सकता है। 

ऐसा कोई सगा नहीं जिसे चीन ने ठगा नहीं

चीन की पुरानी नीति है कि जिससे भी वो व्यापारिक दृष्टिकोण के लिहाज से नजदीकियां बढ़ाता है उसे चूना जरूर लगा देता है। चाहे वो पाकिस्तान को बिना गारंटी वाले घटिया किस्म के ड्रोन देने की बात हो या फिर बांग्लादेश द्वारा चीन से खरीदे गए युद्धपोतों और विमान में आई खराबी। ऐसा कोई सगा नहीं है जिसे ड्रैगन ने ठगा नहीं है। जिसकी सबसे बड़ी मिसाल बनकर इन दिनों श्रीलंका की बदहाली और कंगाली की दांस्ता सामने आई है। जिसके पीछे भी चीन का ही बहुत बड़ा हाथ है। चीन ने श्रीलंका में काफी निवेश किया। यही निवेश श्रीलंका के लिए गले की फांस बन गया। एक खुशहाल देश सालभर के अंदर ही बदहाली के कगार पर इस कदर पहुंच गया कि उसके लोग देश छोड़कर भारत के कई हिस्सों में पलायन तक करने लग गए। सालभर पहले श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार 5 अरब डॉलर से ज्यादा हुआ करता था और यह वह 1 अरब डॉलर तक आ चुका है। डॉलर का भाव 200 श्रीलंकाई रुपए से भी ज्यादा हो गया है। 

श्रीलंका के लिए भस्मासुर बना चीन

चीन ऐसा देश है जो किसी पर अपना हाथ रख दे तो उसे कंगाल बना देता है। क्योंकि चीन का कर्ज और उस देश की कंगाली दिन-दूनी रात चौगुनी बढ़ती है। यकीन ना हो तो पाकिस्तान की हालत देख लीजिए। लेकिन एक और देश अब इस कड़ी में जुड़ गया है। भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका कंगाली की राह में चल पड़ा रहा है। श्रीलंका में खाद्य से लेक मानव कल्याण पर संकट खड़ा हो गया है। श्रीलंका आज कंगाली की कगार पर खड़ा है और आर्थिक व मानवीय संकट गहरा गया है। खाने-पीने की कीमत आसमान छू रही है और रिकॉर्ड स्तर पर महंगाई है। विश्व बैंक का अनुमान है कि श्रीलंका में महामारी की शुरुआत के बाद से पांच लाख लोग गरीबी रेखा से नीचे आ गए हैं। श्रीलंका पर चीन का 5 बिलियन डॉलर का कर्ज है। इसके अलावा चीन से श्रीलंका ने 1 बिलियन डॉलर का क़र्ज़ और लिया है, जिसको वो किश्तों में चुकाने की कोशिश कर रहा है। जानकारों के मुताबिक़ अगले 12 महीने में श्रीलंका को विदेशी सरकारों और राष्ट्रीय बैंकों के 7.3 बिलियन डॉलर का क़र्ज़ चुकाना होगा। इसके साथ साथ 500 मिलियन डॉलर के सोवरेन बांड्स भी श्रीलंका पर बकाया हैं। लेकिन श्रीलंका के पास इस वक्त अपने बैंक में महज 1.6 बिलियन डॉलर हैं। 

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