पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में 8 लोगों को जिंदा जलाए के मामले पर ममता सरकार की जमकर किरकिरी हो रही है. कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) शुक्रवार को रामपुरहाट (Rampurhat, Birbhum incident), बीरभूम की घटना पर आदेश सुनाएगा. कोर्ट में इस मामले की जांच केंद्रीय एजेंसियों से कराने को लेकर जनहित याचिका दायर की गई है. बता दें कि वर्तमान में इस मामले की जांच SIT द्वारा कराई जा रही है. बता दें कि रामपुरहाट में टीएमसी नेता भादू खान की हत्या के बाद इलाके में हिंसा भड़क उठी और इस घटना में 2 बच्चों समेत 8 लोगों की जान चली गई. फॉरेंसिक रिपोर्ट में बताया गया कि लोगों की मौत जिंदा जलाए जाने व बुरी तरह पीटने के कारण हुई है।
23 लोगों की हो चुकी है गिरफ्तारी
इस मामले पर विपक्षी पार्टियां व देश की तमाम हस्तियों द्वारा ममता सरकार की आलोचना की जा रही है. इस बाबत अबतक कुल 23 लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है. राज्य सरकार ने कथित रूप से लापरवाही बरतने के आरोप में कई प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है. वहीं गुरुवार के दिन रामपुरहाट के थाना प्रभारी त्रिदिप प्रमाणिक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. वहीं एसडीपीओ श्रीशायन अहमद का भी ट्रांसफर कर उन्हें विभाग से अटैच कर दिया गया है।
मानवाधिकार आयोग ने जारी किया नोटिस
इस घटना पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पश्चिम बंगाल की ममता सरकार, राज्य पुलिस प्रमुख को बीरभूम जिले में हुई हिंसा और 8 लोगों की मौत के मद्देनजर नोटिस जारी किया है. आयोग ने लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए पुलिस द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से जानकारी साझा करने वाली रिपोर्ट को 4 सप्ताह के भीतर ही पेश करने का निर्देश दिया है।
इस बाबत बात करते हुए ममता बनर्जी ने कहा है कि प्रशासन की तरफ से बड़ी लापरवाही हुई है. पार्टी के नेता की हत्या के बाद प्रशासन को अलर्ट रहना चाहिए था. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इसके पीछे जो लोग भी हैं उन्हें सख्त सजा दी जाएगी. वहीं ममता बनर्जी ने मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये व जिनके घर जले हैं उन्हें 1 लाख रुपये और घर चलाने के लिए 10 लोगों को नौकरी देने की घोषणा की है।
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