कुशीनगर। गोरखपुर मंडल के कुशीनगर जिले को वर्ष 2018 में ओडीएफ (खुले में शौच से मुक्त) घोषित कर दिया गया था। लेकिन जमीनी हकीकत सरकारी दावे से कोसों दूर है। दरअसल, कुशीनगर के गांव जगदीशपुर टोला भरपटिया में शौचालय नहीं होने से लगभग डेढ़ दर्जन बहुएं ससुराल छोड़कर मायके चली गयीं हैं। दुल्हनों का कहना है कि शौचालय के बगैर उन्हें काफी दिक्कत हो रही थी। कहा कि जबतक ससुराल में शौचालय नहीं बन जाता है तबतक मायके में ही रहेगी। 'घुंघट' की इस बगावत ने स्वच्छ भारत मिशन की सारी पोल खोलकर रख दी है।
गरीबों के पास नहीं है शौचालय
जानकारी के मुताबिक, जिले के साथ ही जंगल जगदीशपुर गांव भी ओडीएफ हुआ था। लेकिन इस गांव के टोला भरपटिया के अधिकतर गरीबों के पास आज भी शौचालय नहीं है। गांव के ग्राम प्रधान और जिला पंचायतराज अधिकारी एमआईएस और सूची का हवाला दे रहे हैं लेकिन सवाल ये है कि किन परिस्थितियों में इन गरीबों का नाम सूची में नहीं शामिल हुआ है इसका जबाब किसी के पास नहीं है। लेकिन सच्चाई यह है कि एमआईएस कराने की जिम्मेदारी भी ग्राम प्रधान, ब्लॉक और डीपीआरओ के ही कंधों पर होती है।
कुशीनगर जनपद को 2018 में किया था ODF घोषित
बता दें कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत कुशीनगर जनपद में तकरीबन 4 लाख शौचालय बनने थे। कुशीनगर जनपद को 30 नवंबर 2018 को ओडीएफ घोषित कर दिया गया। ओडीएफ मतलब सभी शौचालयों का निर्माण शत प्रतिशत करा दिया गया है। परंतु इस सरकारी दावे पर से पडरौना विकास खंड के जंगल जगदीशपुर टोला भरपटिया की लगभग डेढ़ दर्जन बहुओं ने पर्दा हटा दिया है। भरपटिया टोले की यह बहुएं ससुराल छोड़कर मायके इसलिए चली गईं है क्योंकि घर में शौचालय नहीं है और उन्हें नित्य जरूरत के लिए तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।शौचालय नहीं बनते तकतक मायके में ही रहेंगी
शौचालय निर्माण का सच सामने लाने वाली रीना, ज्योति बहुओं का कहना है कि गांव के एक तरफ नाला है तो दूसरी तरफ नहर। चारों तरफ पानी लगता है। जिससे बहुत दिक्कतें आती हैं। जबतक ससुराल में शौचालय नहीं बन जाता है तबतक मायके में ही रहेंगी। बता दें कि टोला भरपटिया की आबादी तकरीबन 1000 है और यहां गरीब तपके के लोग निवास करते हैं। गरीबों की बस्ती होने के बाद भी अधिकतर के पास शौचालय नहीं है।
क्या कहा डीपीआरओ ने
वहीं, डीपीआरओ राघवेंद्र से जब इस बारे में मीडिया कर्मियों ने बात कि तो उन्होंने बताया कि जगदीशपुर गांव स्थित अपनी-अपनी ससुराल में शौचालय न होने के कारण महिलाओं के घर छोड़ने की बात संज्ञान में आयी है। इसके बाद जिला पंचायती राज अधिकारी ने गांव का दौरा किया और उन परिवारों से बात की जिनके यहां शौचालय नहीं है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों का नाम सरकारी सूची में था, उनके यहां शौचालय पहले ही बनाये जा चुके हैं। जिनके यहां नहीं बने हैं, उनके लिए शौचालयों का बंदोबस्त किया जा रहा है। गांव में एक सार्वजनिक शौचालय का निर्माण शुरू हो चुका है।
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