Monday, July 27, 2020

भूलकर भी ना करे रिश्ता- लड़की और उसके परिवार को जाने और समझे बिना, नहीं तो....


शादी एक ऐसा रिश्ता हो हैं जिसमे सात जन्म के कसमें होते हैं, दो परिवार का मिलना होता हैं, सुख ओर दुख में साथ देने की बातें होती हैं और अटूट प्रेम होता हैं, जहां पर अग्नि को साक्षी मान कर सात फेरे लेकर जीवन भर एक दूसरे का दामन थाम कर चलते हैं। 

मेरे दोस्त के जीवन में भी ये खुशियाँ आने वाली थी पर वो अभी इसके लिए तैयार नहीं था क्योंकि उसकी नयी-नयी नौकरी ही लगी थी मुंबई में। कुछ हफ्ते पहले वो छुट्टियों में अपने घर आया हुआ था। 

एक दिन उसके घर में एक घटक आये जो लड़की के पिता थे। उन्होने लड़के के नौकरी के बारे में पूछा, कहाँ रहता हैं, किस स्थान पर कार्यरत हैं, कोई बुरे लक्षण तो नहीं जैसे शराब-सिगार पीने इत्यादि कई तरह के प्रश्न पूछे, जब तक उन्हे खुद संतुष्ट ना हो जाए। 

जब उनकी सारी मंशा दूर हुई उन्होने लड़के का हाथ अपनी बेटी के लिए मांगा जिसके लिए वो अभी मानसिक तौर से तैयार नहीं था। पर माँ-बाप के खुशी के लिए उसने भी शादी के लिए हाँ कर दी। कुंडली मिलान के लिए जब लड़की की जन्म तिथी पूछी गयी तो लड़की के पिता थोड़ा असमंजस में पर गये, यह देखकर वो भी थोड़ा चौंक सा गया। 

बात आगे बढ़ी और उन्होने लड़के को कहा - ''आपसे यह निवेदन करना चाहता हूँ कि कृपया कर आप मेरी बेटी से कल ऑफिस में जा कर मिले, इससे मुझे प्रसन्नता होगी।'' उसने कुछ सोचकर कहा - ''ठीक हैं मैं उनसे कल जाकर मिल लूँगा।'' 

कल जब वो लड़की से मिला तो उसे वह लड़की थोड़ी ठीक लगी पर वो इतनी जल्दी हाँ भी नहीं कर सकता था। अब उसकी छुट्टी ख़त्म होने में कुछ ही दिन शेष थे। जब वह नौकरी करने मुंबई चला गया उसके कुछ दिनों बाद उसकी माँ ने उसे फोन कर रिश्ते को समाप्त करने की बात कहीं, उन्होने बताया की - ''लड़की के पिता ने हमारे साथ अभद्र व्यवहार किया हैं जिसके कारण हम इस रिश्ते को नामंज़ूर कर रहे हैं।'' यह बात सुनकर उसे अपने परिवार के लिये काफी बुरा लगा। कुछ दिन सब कुछ संतुलित चल रहा था कि घर से फिर फोन आया और इस बार सगाई को लेकर बात चली। यह बात सुनकर वो काफी हैरान सा हो गया कि आखिर हो क्या रहा हैं? कभी रिश्ते बन रहे हैं, कभी बिगड़ रहे हैं उसे समझ नहीं आ रहा था। पर माँ-बाप के खुशी के लिये उसने फिर से इस रिश्ते को स्वीकार किया। 

उसके परिवार वाले चाहते थे कि लड़का इस बार 15 दिनों की छुट्टियाँ लेकर घर आये ताकि चट मंगनी और पट बियाह हो सके। लड़का लड़की के परिवार को जान नहीं रहा था कि वो कैसे हैं, उनके परिवार में कितने सदस्य हैं आदि। 

मगर सगाई से 2 दिन पहले लड़की के पिता ने फोन किया और कहा कि - '' मैं किसी तरह की रुकावट नहीं चाहता हूँ और अपनी इच्छा के अनुसार सारी व्यवस्था करूँगा। मैं यह भी नहीं चाहता कि लड़के के दोस्त, बहन और उसके पति शादी में शामिल हो।'' यह बात सुनकर सभी को गुस्सा आ गया और इस बार हमने उन्हें शादी में बुलाने की ठान ली, लेकिन फिर लड़के की माँ ने उसके माता-पिता के प्रति सहानुभूति दिखाते हुए मना कर दिया और कहा कि - ''अगर लड़की की शादी रद्द हो जाती है तो समाज में लोग क्या सोचेंगे। वैसे भी सगाई हैं तो हो सकता हैं की वो अपने बजट के अनुसार ऐसा कह रहे होंगे।''


नाराजगी उन्हें भी थी पर सोच समझकर ही फैसला लेना था। लड़के के माता-पिता बहुत हे सहज और सरल ढंग से अपनी बातों को नम्रतापूर्वक रख रहे थे पर वहीं दूसरी ओर से उन्होनें धमकी दी गई कि - ''अगर कुछ उतार-चढाव हुआ तो पुलिस से शिकायत कर देंगे की उन्होने शादी की बात कर हमसे धोखाधड़ी की हैं, और यही नहीं कोर्ट में भी हम कहेंगे कि आपका बेटा गलत हैं जुआ, शराब पीने की लत भी हैं।'' पर इसी क्रम में उन्होनें सारी बातों को रिकॉर्ड कर लिया और उन्होनें खुद ही पुलिस से जाकर सारी बातें कह डाली। अंत में उन्हे पहचान लिया गया ये लड़की वाले लोग अपना गिरोह चलाकर ना जाने कितने मासुम परिवारों को लूटा था और ये इतने चालाक थे कि पुलिस भी इन्हें नहीं ढूंढ पा रही थी। जब इनकी सच्चाई सामने आई सब आश्चर्य में थे। शुक्र हैं की मेरे दोस्त का जीवन बच गया वरना बहुत अनर्थ होता उसके और उसके परिवार के साथ। 


शादी जैसे अहम रिश्तो को किसी भी निर्णय लेने से पहले हमें दूसरे पक्ष की भी जाँच करनी चाहिए चाहे वह लड़के वाले हो या लड़की वाले। 

No comments:

Post a Comment

परम तत्व दर्शन