Tuesday, September 14, 2021

हिंदुस्तानियों की जान है हिन्दीभाषा: प्रताप मिश्रा


 हिंदीभाषा सभ्यता और हिंदुस्तान के वैचारिक धरातल की वाहिनी है ।भारत के किसी भी प्रांत का व्यक्ति इसे सहज रूप से समझ सकता है बोल सकता है लिख सकता है। यही समाहार प्रवृत्ति हिंदी को विश्व भाषाओं में एक अलग मुकाम पर प्रतिस्थापित करती है।

 हिंदी भाषा सभ्यता और हिंदुस्तान के वैचारिक धरातल की वाहिनी है। भारत के किसी भी प्रांत का व्यक्ति इसे सहज रूप से समझ सकता है बोल सकता है लिख सकता है। यही समाहार प्रवृत्ति हिंदी को विश्व भाषाओं में एक अलग मुकाम पर प्रतिस्थापित करती है। स्मरणीय है कि आज हिंदी का वैश्विक परिदृश्य इस रूप में अंकित हो रहा है कि विकसित देशों की आर्थिक दिशाएं भी हिंदी और हिंदी के कार्यों की ओर बढ़ रही हैं।

यह बात, मैं जोर देकर इसलिए भी कह रहा हूं, क्योंकि हिंदी प्रदेशों में अपनी पैठ जमाने के लिए बहुअंतर्राष्ट्रीय कंपनियां अपने उद्योग को, अपने प्लांट को , अपने बिजनेस को , वैश्विक स्तर पर विस्तार देना चाहता है तो उसे निश्चित रूप से अंग्रेजी भाषा के साथ साथ हिंदी के भाषाई सरोकारों को भी तवज्जो देनी होगी।

आज हिंदी दिवस है और हम सब हिंदी भाषियों  के लिए हिंदी के उत्सव का दिन है। यह बात कलेजे को बहुत ठंडक पहुँचाती है कि आज हिंदी की स्थिति तुलनात्मक रूप से बहुत कुछ सुधरी लगती है क्योंकि अंग्रेजी के अतिक्रमण ने भाषाई वातावरण को प्रभावित जरूर किया है परंतु यह कहने और स्वीकार करने में भी हमें संकोच नहीं होना चाहिए कि हिंदी का विस्तार और उसका वैश्विक प्रयोग अन्य भाषाओं की तुलना में बड़ा है।

भारत के अतिरिक्त पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, म्यांमार, इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, चीन, जापान, यमन, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, युगांडा, दक्षिण अफ्रीका, मॉरिशस, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, रूस, अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, न्यूजीलैंड आदि देशों में हिंदी बोली-समझी जाती है। यही कारण है कि अनेक शोधकर्ताओं के निष्कर्षों के पश्चात यह बात सामने निकल कर आती है कि व्यवहारिक रुप से विश्व में हिंदी को बोलने वाले लोग चीनी भाषा मंदारिन से कहीं अधिक है। 

जयंती प्रसाद नौटियाल का सर्वेक्षण बताता है कि विश्व में हिंदी जानने वालों की संख्या एक अरब दो करोड पच्चीस लाख दस हजार तीन सौ बावन है जबकि चीनी बोलने वालों की संख्या केवल नब्बे करोड चार लाख छह हजार छह सौ चौदह। अर्थात इस समय हिंदी  संपूर्ण विश्व की सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाली भाषा है। वर्तमान में 200 से अधिक विदेशी विश्वविद्यालयों में हिंदी को पढ़ाया जा रहा है। हिंदी के पठन पाठन को व रचनाओं को विदेशी भाषा पाठ्यक्रमों में स्थान दिया जा रहा है। संबंधित देश अपने अध्ययन को हिंदी के साथ जोड़ रहे हैं। कहने का अभिप्राय है कि आज हिंदी विश्व बाजार की भाषा भी बन गई है। 

तकनीकी विकास ने हिंदी का अभूतपूर्व विस्तार किया। साथ ही सोशल मीडिया ने हिन्दी की पहुंच पूरे विश्व में बढ़ा दी। गूगल हिन्दी एप लॉन्च कर चुका है। वॉट्सएप, ट्विटर, ब्लॉग स्पॉट और फेसबुक पर हिन्दी की-बोर्ड उपलब्ध है। सोशल मीडिया में लगातार एक्टिव रहने वाला हर 5वां यूजर हिन्दी में ही टाइप करता है। हिंदी टाइपिंग का एक सरल और सुथरा रूप गूगल वॉइस के माध्यम से भी विस्तार पा रहा है, जो हिंदी के लेखन को न केवल बढ़ावा दे रहा है अपितु एक सामान्य व्यक्ति के उन कामों को भी पूरा कर रहा है जिसके लिए उसे एक टाइपिस्ट की जरूरत हुआ करती थी। यह हिंदी भाषा के ऐसे नवाचार हैं  जिनके माध्यम से हिंदी का अभूतपूर्व विस्तार हुआ। 

एक अध्ययन के मुताबिक हिंदी सामग्री की खपत करीब 94 फीसद तक बढ़ी है। हर पांच में एक व्यक्ति हिंदी में इंटरनेट प्रयोग करता है। फेसबुक, ट्विटर और वाट्स एप में हिंदी में लिख सकते हैं। इसके लिए गूगल हिंदी इनपुट, लिपिक डॉट इन, जैसे अनेक सॉफ्टवेयर और स्मार्टफोन एप्लीकेशन मौजूद हैं। हिंदी-अंग्रेजी अनुवाद भी संभव है।
 
आज विश्व में सबसे ज्यादा पढे जानेवाले समाचार पत्रों में आधे से अधिक हिंदी भाषा के हैं। मॉरीशस, त्रिनिटाड फिजी ,अमेरिका ,कनाडा, लंदन आदि के हिंदी चैनल पत्र-पत्रिकाओं ,हिंदी प्रचार प्रसार की संस्थाएं , विश्व हिंदी सचिवाल,  विश्व हिंदी सम्मेलन के माध्यमों से न केवल हिंदी अपना वैश्विक विस्तार कर रही है  अपितु हिंदी भाषा को बोलने और समझने  व लिखने  वालों के भी एक वर्ग तैयार हो रहा है।
माइक्रोसाफ्ट, गूगल, याहू, आईबीएम तथा ओरेकल जैसी विश्वस्तरीय कंपनियाँ हिन्दी बाजार को मुनाफे के रूप में  देख रही हैं। जिससे  हिंदी प्रयोग को बढावा मिला।

आज भारत विश्व का ब्राड नाम बन गया है। आज हमारे देश में 50 करोड़ से अधिक इंटरनेट उपभोक्ता हैं जिनमें से 40 करोड़ से अधिक लोग स्मार्ट फोन के द्वारा इंटरनेट का उपयोग करते हैं। इनमें से 42 करोड़ उपभोक्ता हिंदी में इंटरनेट का उपयोग करते हैं। इस समय संपूर्ण विश्व में यू-ट्यूब के 1अरब 80 करोड़ उपभोक्ता हैं जिनमें से 27 करोड़ से अधिक लोग भारत के हैं।

यह भी सच है कि 26 करोड़ से अधिक लोगों द्वारा यू-ट्यूब पर हिंदी का प्रयोग हो रहा है। भारत के 93% युवा यू-ट्यूब पर हिंदी वीडियो देखते हैं।इस समय गूगल प्ले स्टोर द्वारा भारत में हर महीने एक अरब ऐप डाउनलोड किए जाते हैं। इस दृष्टि से भारत और हिंदी सबसे ऊपर हैं।

आज हिंदी वाॅयस सर्च क्वेरी प्रति वर्ष 400% की दर से बढ़ रही है। इस समय सोशल मीडिया अंग्रेजी न जानने वालों के लिए सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म है जो ई-मेल को भी अप्रासंगिक बना रहा है। अंग्रेजी की तुलना में फेसबुक, ट्विटर पर हिंदी ज्यादा लोकप्रिय है। इसका मूल कारण अभिव्यक्तिगत सरलता और सुबोधता है। सोशल मीडिया के कारण पारदर्शिता बढ़ रही है। इसने हर व्यक्ति को स्मार्ट फोन के माध्यम से रिपोर्टर बना दिया है। इसकी द्रुत गति एवं विश्वव्यापी वर्चुअल पहुंच आश्चर्यजनक है।

कितनी अद्भुत बात है ना कि किसी भी भाषा के विस्तार में वहां के जनसंचार माध्यम एक महत्वपूर्ण पार्ट बनते हैं अखबार टीवी पत्र पत्रिकाएं चैनल आदि आदि । आजकल सिनेमा के बदलते रूप को हम इस रूप में भी स्वीकार कर सकते हैं कि हिंदी के विकास व क्षेत्रीय भाषाओं के विकास में सिनेमा के  योगदान कम नहीं आंका जा सकता। विदेशी विश्वविद्यालयों में भाषा विभाग के प्रोफ़ेसर इस बात को सहज रूप से स्वीकार करते हैं कि उन्हें  छात्रों को हिंदी सिखाने और पढ़ाने के लिए, हिंदी गानों और हिंदी फिल्मों के डायलॉग को काम में लेते हैं। यह सच भी है कि बच्चा या विद्यार्थी श्रोता के रूप में किसी भी चीज को जल्दी से सीख पाता है। 

कहने का अभिप्राय यह है कि हिंदी फिल्मों ने, हिंदी धारावाहिकों ने भी हिंदी को विस्तार दिया। भाषा के स्तर पर काफी कुछ छेड़छाड़ भी की जा रही है परंतु फिर भी संतोष इस बात का है कि बावजूद सब चीजों के हिंदी का विकास दिनों दिन बढ़ रहा है। हिंदी बाजार की भाषा बन रही है। उद्योग और व्यवसायिक विकास  की भाषा बन रही है। हिंदी का एक नया वैश्विक वर्ग तैयार हो रहा है। 

No comments:

Post a Comment

परम तत्व दर्शन