Wednesday, September 15, 2021

ईरान और रूस के साथ मिलकर अफगानिस्तान में पाकिस्तान और चीन को ऐसे पस्त कर सकता है भारत


नई दिल्ली (New Delhi) . अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से चीन और पाकिस्तान काबुल पर अपना प्रभाव बढ़ाने को लेकर काम कर रहे हैं. मिडिल ईस्ट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि अफगानिस्तान को लेकर अगर संघर्ष बढ़ता है तो एक और चीन-पाकिस्तान तो दूसरी ओर रूस-ईरान और भारत जैसे देश होंगे. एक्सपर्ट के मुताबिक अमेरिका अब इस संघर्ष का हिस्सा नहीं होगा. काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से चीन और पाकिस्तान अफगानिस्तान में सबसे आगे नज़र आए हैं. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई लंबे वक्त से तालिबान को हर तरह से सहयोग कर रही है. चीन की नजर अफगानिस्तान की समृद्ध खनिज संसाधनों पर है. इसके साथ ही चीन बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट का विस्तार भी करना चाहता है. तालिबान के रवैए को देखते हुए रूस ने अफगानिस्तान पर अपनी स्थिति सख्त कर ली है और नई सरकार के साथ बातचीत करने के मूड में नहीं है. रूस ने तालिबान सरकार के उद्घाटन समारोह में भी भाग लेने से इनकार कर दिया है. रूस क्षेत्र में एक्टिव आतंकी गुटों से सावधान है. इन्हीं खतरों से रूस ने अफगानिस्तान के बॉर्डर से लगे ताजिकिस्तान को कई सैन्य उपकरण भेजे हैं. आतंक के खिलाफ भारत और रूस की पॉलिसी एक सी ही रही है. हाल ही में भारत में रूसी राजदूत निकोले कुदाशेव ने कहा था कि क्षेत्रीय सुरक्षा पर संयुक्त चिंताएं रूस और भारत को एक साथ लाती हैं.

अफगानिस्तान मसले को लेकर रूस और भारत के टॉप अधिकारी लगातार बातचीत कर रहे हैं. शिया बहुल ईरान के तालिबान से संबंध मधुर नहीं है. ईरान ने पंजशीर घाटी में तालिबान की कारवाई को लेकर कड़ी निंदा की है. इससे पहले ईरान ने अंतरिम अफगानिस्तान सरकार को गैर-समावेशी बताया था. ईरान ने अफगानिस्तान में पाकिस्तान की भागीदारी को लेकर भी कई बार सवाल उठाया है. पिछले तालिबान शासन के दौरान भी ईरान ने तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी थी. इस सबके बीच अफगानिस्तान के हालात को लेकर भारत और ईरान नजदीक आ रहे हैं. ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीरबदोल्लाहियान सितंबर आखिर तक भारत का दौरा कर सकते हैं. भारत अपने बॉर्डर के पास अस्थिर अफगानिस्तान नहीं देखना चाहता है. इसे लेकर भारत कई देशों से बातचीत कर रहा है. पिछले तालिबान शासन में कश्मीर में चरमपंथी घटनाओं में इजाफा देखने को मिला था. भारत पहले ही इस बात को लेकर चिंता जता चुका है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए किया जा सकता है. ऐसे में रूस और ईरान जैसे अपने दोस्तों के साथ भारत क्षेत्रीय गठबंधन बनाकर अफगानिस्तान में चीन और पाकिस्तान के प्रभाव को कम करने की कोशिश कर सकता है।

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