पिछले कुछ समय से देश में बेरोजगारी की जो स्थिति है, वह दिनों-दिन गंभीर होती जा रही है। अब अगस्त 2021 के जो आंकड़े सामने आये हैं उनमें भी यही दर्शाया गया है। दिक्कत तो यही है कि सरकार यह मानने को तैयार नहीं होती कि लोग त्रस्त हैं। दुर्भाग्य से सरकार समर्थक एक बड़ा वर्ग भी कहता है कि देश में 'सब चंगा सी।' एक ओर भीषण महंगाई तो दूसरी तरफ बढ़ती बेरोजगारी से लोगों के जीवन में आने वाली कठिनाइयों की सहज कल्पना की जा सकती है।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकानॉमी (सीएमआईई) के आंकड़े कहते हैं कि अगस्त महीने में बेरोजगारी की दर 8.22 प्रतिशत रही, जो जुलाई में 6.95 प्रतिशत थी। पिछले माह संगठित एवं असंगठित दोनों ही क्षेत्रों में बेरोजगारी बढ़ी है। इस माह में 15 लाख लोगों ने नौकरियां खोईं। अगस्त के दौरान शहरी बेरोजगारी 1.5 प्रतिशत बढ़ी है- जुलाई के 8.3 प्रतिशत से बढ़कर 9.78 प्रतिशत। ग्रामीण क्षेत्र में इसी अवधि में बेरोजगारी 1.3 प्रतिशत बढ़ी। अब वह 7.64 प्रतिशत हो गई है जो पूर्ववर्ती महीने में 6.34 प्रतिशत थी। सीएमआईई के अनुसार नौकरी करने वालों की संख्या अगस्त 2021 में 39.77 करोड़ रह गई। यह जुलाई माह में 39.93 करोड़ थी। ग्रामीण भागों में नौकरियां खोने वालों की संख्या 13 लाख रही।
वैसे तो बेरोजगारी बढ़ने के अनेक कारण हैं, पर मुख्य हैं नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र सरकार दोषपूर्ण नीतियां और असफल कार्यक्रम। मोदी के उठाये अदूरदर्शितापूर्ण कदमों से देश की अर्थव्यवस्था वैसे ही चौपट हो चली थी जो पिछले डेढ़ वर्षों से जारी कोविड-19 के संक्रमण के चलते और भी तबाह हो गई। 2016 में मोदी द्वारा लाए गए नोटबंदी कानून और बाद में जीएसटी ने देश की माली हालत बिगाड़ कर रख दी है। अनेक सेक्टर जो नकद लेन-देन पर अधिक आश्रित थे, ठप होने लगे। रही-सही कसर जीएसटी ने पूरी कर दी। अधूरी तैयारियों से लागू जीएसटी से व्यवसायियों की समस्याएं ही बढ़ीं। मार्च, 2020 से देश भर में आये कोरोना संक्रमण से लाखों व्यवसाय और उद्योग-धंधे ठप हो गये। 5 ट्रिलियन इकानॉमी का दावा करने वाली मोदी सरकार न व्यवसाय सेक्टर को समय पर मदद दे पाई और न ही उद्योग जगत को सम्भाल पाई। बेहद कठिन अवस्था में किसी तरह काम-धंधे चालू तो हुए परन्तु पूरी क्षमता पाने में उन्हें देर लगी। इस बीच बड़ी संख्या में लोगों को बंद होती इकाइयों से निकाल दिया गया। ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में बेरोजगारों की संख्या बढ़ती चली गई।
मार्च, 2021 आते-आते हालात कुछ सुधरे। मार्च में बेरोजगारी दर 6.50 प्रतिशत थी जो अप्रैल 21 में 7.97, मई में 11.90 और जून में 9.17 प्रतिशत रही। अगस्त महीने में हरियाणा (35.7 प्रतिशत), राजस्थान (26.7 प्रतिशत ) और झारखंड (16 प्रतिशत ) सर्वाधिक बेरोजगारी दर वाले राज्य रहे। आंकड़ों में यह भी बतलाया गया है कि एक ओर जहां रोजगार की दर घटी है वहीं लेबर फोर्स में भागीदारी की दर बढ़ी है। अर्थात नौकरी पाने की इच्छा रखने वालों की संख्या बढ़ी है। सीएमआईई द्वारा हर माह जारी होने वाले आंकड़ों में यह भी उजागर हुआ है कि जुलाई में 3 करोड़ लोग काम की तलाश में थे।
No comments:
Post a Comment