नई दिल्ली: भारत और रूस की दोस्ती के बारे में दुनिया का हर देश जानता है। भारत पर कोई भी संकट आए और रूस देखता रहे, ऐसा हो नहीं सकता। इस समय भारत का चीन से तनाव चल रहा है और ऐसे में रूस ने जो ऐलान किया है, उसके बाद चीन के साथ-साथ पाकिस्तान भी भारत की बढ़ती ताकत को देखकर कांप उठे हैं।
एक भारतीय वेबसाइट से विशेष बातचीत में इल्या तारासेंको जोकि मिग कॉरपोरेशन ऑफ रूस के सीईओ हैं, उन्होंने भारतीय वायु सेना के लिए MiG-35 की पेशकश की और मेक इन इंडिया की योजना बनाई है। कंपनी ने कहा कि आधी सदी से अधिक समय से हम भारतीय साझेदारों के साथ एक सामान्य समझ बना रहे हैं। दशकों के सहयोग के दौरान हमने भारत में मिग प्रकार के विमानों के संचालन के साथ-साथ उनके उत्पादन और बिक्री के बाद समर्थन का समर्थन करते हुए विशाल बुनियादी ढांचा तैयार किया है। हमने भारत में सिम्युलेटर और सेवा केंद्र स्थापित किए हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमने भारतीय वायुसेना के दर्शन, आत्मा और वास्तविक जरूरतों को समझना सीख लिया है।
इल्या तारासेंको ने कहा, ‘हम अपने भारतीय औद्योगिक साझेदार के साथ एक समझौते को अंतिम रूप देने वाले हैं। हम कई तकनीकी मुद्दों के समापन की प्रक्रिया में हैं। हमारे भारतीय साझेदार की सहमति को देखते हुए आधिकारिक तौर पर इसपर हस्ताक्षर करने के बाद इस प्रस्ताव के मापदंडों पर अधिक जानकारी का खुलासा करने में सक्षम होंगे।’
अमेरिकी F-16s और F-18s और स्वीडिश ग्रिपेन की तुलना में मिग -35 कैसे है?
मिग-35 एक नया विमान है, जिसमें सभी तकनीकों को लागू किया गया है, जो हमें इस विमान को पांचवीं पीढ़ी के लिए सक्षम बनाने में मदद करते हैं। आज मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि यह रेंज और उपयोग की दक्षता के लिए अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में बेहतर है। मिग-35 में नए रूसी एवियोनिक्स का उपयोग किया जाता है। इसमें सॉफ्टवेयर सिस्टम को उन्नत किया गया है। एविओनिक कॉम्प्लेक्स के साथ जुड़े मल्टीफंक्शनल डिस्प्ले के साथ नया कॉकपिट स्थापित किया गया है।
इसके अलावा, हमने आधुनिक एयरबोर्न रडार- एईएसए डिजाइन किया है। रडार को बढ़ी हुई सीमा के लिए जाना जाता है और 190 किमी की दूरी पर दिन और रात व सामने और पीछे के अर्ध-गोले में हवा, जमीन और सतह के लक्ष्यों का पता लगाने, ट्रैकिंग, मान्यता और अधिग्रहण प्रदान करता है।
अधिकतम दक्षता के साथ लड़ाकू कार्यों को करने में सक्षम नए और निर्देशित हवाई हथियारों से लैस होगा। इसके अलावा नए मिग-35 डिजिटल हथियार नियंत्रण प्रणाली भी रूसी या विदेशी डिजाइन के किसी भी भविष्य के हथियारों को एकीकृत करने में सक्षम बनाती है जो भारतीय उत्पादन के हथियारों को पूरी तरह से इंटरफेस करेंगे। मिग-35 को विकसित करते समय हमने मिग-29 के वायुगतिकीय विन्यास का उपयोग किया और यह हमारे डिजाइनरों का समझदार और सफल निर्णय था।
मेक इन इंडिया: क्या आप मेक इन इंडिया के लिए महत्वपूर्ण तकनीकों को देने के लिए तैयार हैं?
बेशक हम इसके लिए भी तैयार हैं। रूस किसी भी अन्य रक्षा निर्यातक की तरह भागीदार के लिए उत्पाद के साथ-साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए हमेशा तैयार रहा है। हमारा पहला लाइसेंस उत्पादन भारत में स्थापित किया गया था। 1960 के दशक में भारत में लड़ाकू मिग-21 के उत्पादन के साथ। तब से भारत में सोवियत और रूसी डिजाइन के रक्षा उत्पादों की कई लाइनें बन चुकी हैं। वास्तव में रूस ने मेक इन इंडिया की पेशकश लगभग आधी सदी पहले की थी।
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