लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम के 15 वें परिनिर्वाण दिवस के मौके पर बसपा की महारैली में भाड़े पर बुलाए गए मजदूर वर्ग के लोगों ने पैसा ना मिलने पर हंगामा काटा। पांच सौ रुपये और खाना पानी की शर्त पर बसों में भरकर लाए गए इन मजदूरों को कार्यक्रम के समाप्ति के बाद ना तो इनकी दिहाड़ी मिली और ना ही खाना पानी। बता दें कि उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में बसपा के जिम्मेदार पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं को लोगों को बसों से लाने का जिम्मा सौंपा गया था।
बसपा सुप्रीमो का फरमान था तो इस फरमान का पालन करना बसपा कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों की जिम्मेदारी थी। इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए बसपा नेताओं ने जब रैली में आने के लिए लोग नहीं मिले तो भाड़े के मजदूरों को बसों में भरकर ले आए और कार्यक्रम की समाप्ति के बाद खुद नदारद हो गए। बेचारे भूखे प्यासे मजदूर अपनी बिहारी को लेकर इको गार्डन में हंगामा करने लगे। इस बात की भनक जब कुछ वरिष्ठ बसपा नेताओं को लगी तो मजदूरों को समझा-बुझाकर बसों में बैठाकर जहां से आए थे वहां वापस भेज दिया गया।
इस मामले को हम इसलिए उजागर कर रहे हैं ताकि बसपा सुप्रीमो मायावती को भी यह पता तो चले कि अभी भी पार्टी में ऐसे नेताओं की फौज है जो किराए की भीड़ बटोर कर उन्हें गुमराह करने में लगे हुए हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती ने आज इस तरह 2022 में सत्ता वापसी का शंखनाद किया है तो उन्हें यह भी जानना जरूरी है कि भाड़े की भीड़ से चुनाव नहीं जीते जाते हैं।
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