Sunday, October 3, 2021

जानिए क्या है तालिबान की नई 'मंसूर सेना', जिसने रूस-चीन को बुरी तरह डरा दिया है? एक बटन, सैकड़ों खत्म


तालिबान ने नई फौज का ऐलान किया है, जिसने चीन और रूस को भारी टेंशन में डाल दिया है। तालिबान ने एक विशेष बटालियन का निर्माण किया है, जिसे उसने अफगानिस्तान से लगती चीन और ताजिकिस्तान की सीमाओं पर तैनात किया है। तालिबान की ये नई फौज सिर्फ एक बटन दबाकर सैकड़ों को खत्म करने की क्षमता रखती है, जिसे देखते हुए चीन और रूस को समझ नहीं आ रहा है कि वो आखिर तालिबान के इन लड़ाकों को रोकने के लिए क्या करे?

  • तालिबान ने बनाई स्पेशल बटालियन

    तालिबान ने बनाई स्पेशल बटालियन

    तालिबान ने देश की सीमाओं पर तैनात करने के लिए आत्मघाती हमलावरों की एक विशेष बटालियन बनाई है, खासकर बदख्शां प्रांत में जो अफगानिस्तान और ताजिकिस्तान के बीच की सीमा पर है। बदख्शां प्रांत के डिप्टी गवर्नर मुल्ला निसार अहमद अहमदी ने कहा कि, बटालियन का नाम 'लश्कर-ए-मंसूरी' या 'मंसूर सेना' है। बदख्शां प्रांत के डिप्टी गवर्नर ने कहा कि, बटालियन वही है जो पिछली अफगान सरकार के सुरक्षा बलों को निशाना बनाकर आत्मघाती हमले कर रही थी।

  • अल्लाह के लिए समर्पित सेना

    अल्लाह के लिए समर्पित सेना

    अफगानिस्तान की खामा प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका के खिलाफ तालिबान की सफलता के लिए आत्मघाती हमलावर बटालियन को श्रेय दिया गया है। जिसको लेकर बदख्शां प्रांत के डिप्टी गवर्नर मुल्ला निसार अहमदी ने कहा कि, 'अगर इस बटालियन नहीं होती तो अफगानिस्तान में अमेरिका की हार संभव नहीं होती''। उन्होंने कहा कि, ''ये बहादुर लोग विस्फोटक कमरकोट पहनेंगे और अफगानिस्तान में अमेरिकी ठिकानों को विस्फोट के जरिए उड़ा देंगे। ये ऐसे लोग हैं जिन्हें सचमुच कोई डर नहीं है जो खुद को अल्लाह की सहमति के लिए समर्पित करते हैं।'

  • ताजिकिस्तान के साथ भारी तनाव

    ताजिकिस्तान के साथ भारी तनाव

    तालिबान ने अपने नये बटालियन की घोषणा ऐसे समय की है, जब ताजिकिस्तान के साथ उसका विवाद काफी ज्यादा बढ़ चुका है और ताजिकिस्तान ने किसी भी संभावित घुसपैठ को रोकने के लिए अफगानिस्तान की सीमा पर भारी सुरक्षाबलों को तैनात कर दिया है। तालिबान और ताजिकिस्तान के नेताओं के बीच काफी तनाव भरे शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है। आपको बता दें कि, पंजशीर के नेताओं को ताजिकिस्तान का समर्थन हासिल है, जिससे तालिबान खफा है। वहीं, संयुक्त राष्ट्र महासभा में संबोधन के दौरान ताजिक राष्ट्रपति इमोमाली रहमोन ने कहा कि, 'विभिन्न आतंकवादी समूह अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए अफगानिस्तान में अस्थिर सैन्य-राजनीतिक स्थिति का सक्रिय रूप से उपयोग कर रहे हैं ... हम गंभीर रूप से चिंतित हैं और खेद है कि अफगानिस्तान एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का मंच बनने की राह पर है।'


  • ताजिकिस्तान को तालिबान का जवाब

    ताजिकिस्तान को तालिबान का जवाब

    तालिबान ने भी ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति के भाषण के बाद कड़ा जवाब दिया है। तालिबान ने कहा है कि, तालिबान किसी भी पड़ोसी देश को अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं देगा। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि, ताजिकिस्तान ने इस सप्ताह अफगानिस्तान की सीमा से लगे दो प्रांतों में सैन्य परेड आयोजित की थी, जबकि रूस ने ताजिकिस्तान और तालिबान दोनों से किसी भी विवाद को पारस्परिक रूप से स्वीकार्य तरीके से हल करने का आग्रह किया है।

  • ताजिकिस्तान में अफगान नेता

    ताजिकिस्तान में अफगान नेता

    रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान से भागे ज्यादातर अफगान नेताओं ने ताजिकिस्तान में शरण ले रखी है और अफगानिस्तान के रेसिस्टेंस फोर्स के नेताओं का अड्डा बन चुके ताजिकिस्तान ने भी पंजशीर प्रांत में मानवाधिकारों के उल्लंघन की निंदा की है। तालिबान ने ताजिकिस्तान से सटे तखर प्रांत में दसियों हजार अफगान विशेष बल के लड़ाकों को भी तैनात किया है। जिससे ताजिकिस्तान को आत्मघाती हमलों का डर बुरी तरह से सता रहा है।

  • चीन-रूस को डर

    चीन-रूस को डर

    तालिबान की 'मंसूर सेना' से चीन और रूस को भी डर सता रहा है। हालांकि, इन दोनों देशों की तरफ से अभी तक कोई बयान नहीं आया है, लेकिन रूस ने ताजिकिस्तान और तालिबान के नेताओं को शांति से बात करने के लिए कहा है। रूस और चीन को डर है कि तालिबान के ये आत्मघाती हमलावर कहीं देश में ना पहुंच जाएं। वहीं, चीन को बुरी तरह से डर है कि शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिम भी तालिबान की राहपर चलते हुए आत्मघाती हमले कर सकते हैं, लिहाजा चीन ने अफगानिस्तान से लगती सीमा पर भारी संख्या में जवानों को उतार रखा है। वहीं, एक रिपोर्ट के मुताबिक, शिनजियांग प्रांत में तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद से ही चीन की सेना चप्पे-चप्पे पर तैनात है और 'सुधार गृह' की भी सुरक्षा काफी कड़ी कर दी गई है।

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