Wednesday, October 13, 2021

लद्दाख के इलाके में फिर से नजर आये चीन के टैंक



लद्दाख के इलाके में फिर से नजर आये चीन के टैंक भारत भी सतर्क
सैन्य कमांडरों की बैठक में नतीजा नहीं
वार्ता विफल होते ही सीमा पर टैंक दिखे
भारतीय सैनिक भी अग्रिम पंक्ति पर तैनात

नईदिल्लीः लद्दाख के इलाके में फिर से चीनी टैंक नजर आ रहे हैं। भारतीय सेना की इस पर नजर है जबकि भारत ने पहले से ही वहां सुरक्षा के लिहाज से होवित्जर तोपों का एक रेजिमेंट ही खड़ा कर रखा है।

आज की यह जानकारी तब आयी जबकि भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच की वार्ता विफल हो गयी। औपचारिक तौर पर इस बैठक के बारे में कोई भी जानकारी नहीं देने के बाद भी माना जा रहा है कि शायद चीन ने अपने वर्तमान तैनाती से पीछे हटने से इंकार कर दिया है।

दूसरी तरफ भारतीय थलसेनाध्यक्ष जनरल नरवाणे पहले ही यह साफ कर चुके हैं कि जब तक चीन की सेना वहां इस तरीके से मौजूद रहेगी, भारतीय सैनिकों के पीछे लौटने का सवाल ही नहीं उठता है।

इस वजह से 17 महीने से चला आ रहा गतिरोध अभी आगे भी जारी रहने की उम्मीद है। इस बात को लेकर दोनों देशों में चिंता है क्योंकि लद्दाख के जिन इलाकों में दोनों देशों की सेना आमने सामने खड़ी है, वहां जाड़े के मौसम का तापमान अत्यंत खतरनाक हो जाता है।

अगर सेना की वर्तमान स्थिति बनी रहती है तो यह लगातार दूसरा जाड़ा होगा जबकि कड़ाके की ठंड में भी दोनों देशों के सैनिक सीमा की अग्रिम पंक्ति पर ही डटे रहेंगे।

वरना आम तौर पर शांति के मौके पर दोनों देशों की सेना ठंड बढ़ने की स्थिति में पीछ लौट जाया करती थी।

इस सैन्य कमांडरों की वार्ता के विफल होने के तुरंत बाद लद्दाख सीमा पर चीन के टैकों के नजर आने से यह माना जा सकता है कि चीन ने पहले से ही इसकी तैयारी कर रखी थी।

लद्दाख के इलाके में टैंक यानी पहले तैयारी थी

इसी वजह से वार्ता विफल होने के चौबीस घंटे के भीतर वहां चीनी टैक अग्रिम पंक्ति पर नजर आ रहे हैं। वैसे गलवान घाटी की घटना के तुरंत बाद भारतीय टैकों के वहां पहुंच जाने से चीन को हैरानी हुई थी।

लेकिन उसके बाद यह स्पष्ट हो चुका है कि चीन ने भारतीय सैन्य शक्ति को जितना कमतर आंका था, असलियत उसके ठीक उल्टी है। अब भारतीय सेना हर लिहाज से काफी मजबूत है।

इसी वजह से कुछ इलाकों से चीन की सेना पीछे लौट गयी है। जनरल एमएम नरवाणे ने लद्दाख के इलाके का दौरा करने के बाद ही मीडिया से यह कहा था कि चीन की सीमा पर अत्यधिक सैनिकों का होना तथा वहां लगातार स्थायी निर्माण होने की वजह से भारतीय सेना के सामने सतर्क रहने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है।

चीन जिस तरीके से अपने भवन बना रहा है, उससे तो स्पष्ट है कि वह य़हां स्थायी तौर पर रहना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में भारत को भी अग्रिम पंक्ति में तैनात रहने की मजबूरी है।

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