राम मंदिर निर्माण के लिए हुए भूमिपूजन के बाद से जगह-जगह समुदाय विशेष के लोग इसका विरोध कर रहे हैं। इसी संबंध में 7 अगस्त को बंगाल इमाम एसोसिएशन ने अपने बयान में भाजपा और आरएसएस से जुड़े मुसलमानों को धमकी दी।
बयान में कहा गया कि अगर उन लोगों ने अपनी गलती नहीं सुधारी तो उनके परिवारों को नहीं छोड़ा जाएगा। एसोसिएशन ने अपने बयान में कहा है कि जो भी कोई मुसलमान राम मंदिर के भूमिपूजन की खुशियाँ मना रहा है। वो मुसलमान नहीं है। वो गैर-इस्लामी है।
बयान में कहा गया कि हाल ही में राम मंदिर निर्माण करने के लिए उस जगह पर भूमिपूजन हुआ जहाँ कभी बाबरी मस्जिद हुआ करती थी। इसलिए यह बात साफ है कि आरएसएस और भाजपा मुसलमानों के मित्र नहीं है।
This letter, purportedly from the Bengal Imams Association, issues an open threat to Muslims working for or associated with BJP-RSS.
— Abhijit Majumder (@abhijitmajumder) August 8, 2020
It threatens that in the spirit of Hadees, such individuals will not be considered Muslims, they will be targeted, their families won’t be spared. pic.twitter.com/d0Mbqu8Int
इस फरमान में यह भी कहा गया कि एक मुस्लिम कभी भी तब मुस्लिम नहीं रहता अगर वह उस व्यक्ति के पक्ष में हो जो इस्लाम विरोधी है। इसलिए जो सदस्य आरएसएस और वीएचपी के सदस्य हैं या उनसे जुड़े हुए हैं। उन्हें अपनी स्थिति के बारे में गौर करना चाहिए। उन्हें निर्णय लेना होगा कि वह भाजपा-आरएसएस में रहना चाहते हैं या फिर अपनी भूल सुधारना चाहते हैं।
फरमान में आगे भाजपा व आरएसएस से जुड़े मुस्लिमों को धमकी भी दी गई। इसमें लिखा गया कि इन लोगों को यह याद रखना चाहिए कि आने वाले समय में इनके परिजनों को बख्शा नहीं जाएगा।
गौरतलब है कि यह बयान बंगाल इमाम एसोसिएशन की ओर से ठीक उसी समय आया था जब ऑलइंडिया इमाम एसोसिएशनन के साजिद रशीदी ने कहा था कि एक मस्जिद हमेशा मस्जिद ही रहेगा और शायद अब एक मंदिर उसे बनाने के लिए ध्वस्त किया जाए।
इसके अलावा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने भी तभी कहा था कि बाबरी मस्जिद वहाँ था और हमेशा वहाँ मस्जिद ही रहेगा। अपने बयान में AIMPB ने इस भूमिपूजन से निराश लोगों को समझाते हुए यह भी कहा था कि दिल दुखाने की जरूरत नहीं है। स्थिति कभी एक जैसी नहीं रहती।
बता दें, बंगाल इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहम्मद याहिया ने कहा, “यह उन मुसलमानों को चेतावनी देना है जो आरएसएस-बीजेपी का समर्थन कर रहे हैं। उन्हें अब यह तय करना चाहिए कि वे आने वाले दिनों में किसे समर्थन देना चाहते हैं। यह कोई फतवा नहीं है, लेकिन उन्हें यह समझने की जरूरत है कि वे उन्हें मदद कर रहे हैं जो मुसलमानों को नुकसान पहुँचाना चाहते हैं।”